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जयंती विशेष: देश को उदारीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, जानिए उनकी खास बातें
चैतन्य भारत न्यूज आज भारत के 9वें प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की जयंती है। वह देश के पहले दक्षिण भारतीय प्रधानमंत्री थे। नरसिम्हा राव को भारत में ‘लाइसेंस राज’ की समाप्ति और आर्थिक सुधारों की नीति की शुरुआत के लिए याद किया जाता है। 100वीं जयंती पर देश के हर बड़े नेता नरसिम्हा राव को नमन कर रहे हैं। प्रारंभिक जीवन पीवी नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को तेलंगाना में हुआ था। उनका पूरा नाम पामुलापति वेंकट राव था। उन्होंने पुणे के फरग्यूसन कॉलेज में पढ़ाई की और यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई से लॉ की डिग्री हासिल की। इसके अलावा उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय और नागपुर विश्वविद्यालय से भी पढ़ाई की। राजनीति में प्रवेश नरसिम्हा राव ने आजादी आंदोलन में भी भाग लिया था। 1962 से 1971 तक वे आंध्रप्रदेश मंत्रिमंडल में भी रहे। 1971 में राव प्रदेश ��ी राजनीति में कद्दावर नेता बन गए। वे 1971 से 1973 तक आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। इंदिरा गांधी के प्रति वफादारी के चलते इन्हें काफी राजनीतिक लाभ प्राप्त हुआ और इनका राजनीतिक कद भी बढ़ा। उन्होंने गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय तथा रक्षा मंत्रालय भी देखा था। इन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनों का कार्यकाल देखा। इनकी विद्वता और योग्यता के कारण दोनों नेता इनका सम्मान करते थे।
1991 में प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी के आकस्मिक निधन के बाद पीवी नरसिंह राव को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। वे दक्षिण भारत से पहले प्रधानमंत्री थे। वे 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक वे प्रधानमंत्री पद पर बने रहे और इस पद का कुशलतापूर्वक संचालन किया। सारे देश में आर्थिक सुधारों को लागू करने का श्रेय इन्हें ही जाता है। मुश्किल समय में संभाली कमान पीवी नरसिम्हा राव ने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक कम हो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। उन्होंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डॉ। मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाकर देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकाला।
17 भाषाओं के ज्ञाता थे नरसिम्हा राव की पत्नी का निधन इनके जीवनकाल में ही हो गया था। वे हिन्दी, अंग्रेजी, तेलुगु, मराठी, स्पेनिश, फ्रांसीसी सहित 17 भाषाओं के ज्ञाता थे। वे स्पेनिश और फ्रांसीसी भाषाएं बोल व लिख भी सकते थे। इसके अलावा उन्हें संगीत, साहित्य और कला की बारीकियों की जानकारी थी। 23 दिसंबर, 2004 को पीवी नरसिम्हा राव ने दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली। Read the full article
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जयंती विशेष: देश को उदारीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, जानिए उनकी खास बातें
चैतन्य भारत न्यूज आज भारत के 9वें प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की जयंती है। वह देश के पहले दक्षिण भारतीय प्रधानमंत्री थे। नरसिम्हा राव को भारत में ‘लाइसेंस राज’ की समाप्ति और आर्थिक सुधारों की नीति की शुरुआत के लिए याद किया जाता है। 100वीं जयंती पर देश के हर बड़े नेता नरसिम्हा राव को नमन कर रहे हैं। प्रारंभिक जीवन पीवी नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को तेलंगाना में हुआ था। उनका पूरा नाम पामुलापति वेंकट राव था। उन्होंने पुणे के फरग्यूसन कॉलेज में पढ़ाई की और यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई से लॉ की डिग्री हासिल की। इसके अलावा उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय और नागपुर विश्वविद्यालय से भी पढ़ाई की। राजनीति में प्रवेश नरसिम्हा राव ने आजादी आंदोलन में भी भाग लिया था। 1962 से 1971 तक वे आंध्रप्रदेश मंत्रिमंडल में भी रहे। 1971 में राव प्रदेश की राजनीति में कद्दावर नेता बन गए। वे 1971 से 1973 तक आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। इंदिरा गांधी के प्रति वफादारी के चलते इन्हें काफी राजनीतिक लाभ प्राप्त हुआ और इनका राजनीतिक कद भी बढ़ा। उन्होंने गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय तथा रक्षा मंत्रालय भी देखा था। इन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनों का कार्यकाल देखा। इनकी विद्वता और योग्यता के कारण दोनों नेता इनका सम्मान करते थे।
1991 में प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी के आकस्मिक निधन के बाद पीवी नरसिंह राव को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। वे दक्षिण भारत से पहले प्रधानमंत्री थे। वे 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक वे प्रधानमंत्री पद पर बने रहे और इस पद का कुशलतापूर्वक संचालन किया। सारे देश में आर्थिक सुधारों को लागू करने का श्रेय इन्हें ही जाता है। मुश्किल समय में संभाली कमान पीवी नरसिम्हा राव ने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक कम हो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। उन्होंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डॉ। मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाकर देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकाला।
17 भाषाओं के ज्ञाता थे नरसिम्हा राव की पत्नी का निधन इनके जीवनकाल में ही हो गया था। वे हिन्दी, अंग्रेजी, तेलुगु, मराठी, स्पेनिश, फ्रांसीसी सहित 17 भाषाओं के ज्ञाता थे। वे स्पेनिश और फ्रांसीसी भाषाएं बोल व लिख भी सकते थे। इसके अलावा उन्हें संगीत, साहित्य और कला की बारीकियों की जानकारी थी। 23 दिसंबर, 2004 को पीवी नरसिम्हा राव ने दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली। Read the full article
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जयंती विशेष: देश को उदारीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, जानिए उनकी खास बातें
चैतन्य भारत न्यूज आज भारत के 9वें प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की जयंती है। वह देश के पहले दक्षिण भारतीय प्रधानमंत्री थे। नरसिम्हा राव को भारत में ‘लाइसेंस राज’ की समाप्ति और आर्थिक सुधारों की नीति की शुरुआत के लिए याद किया जाता है। 99वीं जयंती पर देश के हर बड़े नेता नरसिम्हा राव को नमन कर रहे हैं। प्रारंभिक जीवन पीवी नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को तेलंगाना में हुआ था। उनका पूरा नाम पामुलापति वेंकट राव था। उन्होंने पुणे के फरग्यूसन कॉलेज में पढ़ाई की और यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई से लॉ की डिग्री हासिल की। इसके अलावा उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय और नागपुर विश्वविद्यालय से भी पढ़ाई की। राजनीति में प्रवेश नरसिम्हा राव ने आजादी आंदोलन में भी भाग लिया था। 1962 से 1971 तक वे आंध्रप्रदेश मंत्रिमंडल में भी रहे। 1971 में राव प्रदेश की राजनीति में कद्दावर नेता बन गए। वे 1971 से 1973 तक आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। इंदिरा गांधी के प्रति वफादारी के चलते इन्हें काफी राजनीतिक लाभ प्राप्त हुआ और इनका राजनीतिक कद भी बढ़ा। उन्होंने गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय तथा रक्षा मंत्रालय भी देखा था। इन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनों का कार्यकाल देखा। इनकी विद्वता और योग्यता के कारण दोनों नेता इनका सम्मान करते थे।
1991 में प्रधानमंत्री बने राजीव गांधी के आकस्मिक निधन के बाद पीवी नरसिंह राव को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। वे दक्षिण भारत से पहले प्रधानमंत्री थे। वे 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक वे प्रधानमंत्री पद पर बने रहे और इस पद का कुशलतापूर्वक संचालन किया। सारे देश में आर्थिक सुधारों को लागू करने का श्रेय इन्हें ही जाता है। मुश्किल समय में संभाली कमान पीवी नरसिम्हा राव ने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक कम हो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। उन्होंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डॉ। मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाकर देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकाला।
17 भाषाओं के ज्ञाता थे नरसिम्हा राव की पत्नी का निधन इनके जीवनकाल में ही हो गया था। वे हिन्दी, अंग्रेजी, तेलुगु, म���ाठी, स्पेनिश, फ्रांसीसी सहित 17 भाषाओं के ज्ञाता थे। वे स्पेनिश और फ्रांसीसी भाषाएं बोल व लिख भी सकते थे। इसके अलावा उन्हें संगीत, साहित्य और कला की बारीकियों की जानकारी थी। 23 दिसंबर, 2004 को पीवी नरसिम्हा राव ने दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली। Read the full article
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