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मप्र : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लव जिहाद पर रोक लगाने संबंधी अध्यादेश को दी मंजूरी, जानिए क्या है सजा का प्रावधान
चैतन्य भारत न्यूज मध्यप्रदेश में लव जिहाद पर रोक लगाने संबंधी अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंजूरी दे दी है। अब इससे संबंधित कानून राज्य में लागू हो जाएगा। इस कानून के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति द्वारा लालच देकर, धमकाकर, धर्म परितर्वन कराने को गैर कानूनी माना गया है। बता दें मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार ने 29 दिसंबर 2020 को धर्म स्वतंत्रता (धार्मिक स्वतंत्रता) अध्यादेश 2020 (लव जिहाद) को मंजूरी दे दी थी। फिर इसे स्वीकृति के लिए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के पास भेजा गया था। कम से कम 10 साल की सजा जानकारी के मुताबिक, नए कानून में कुल 19 प्रावधान हैं, जिसके तहत अगर धर्म परिवर्तन के मामले में पीड़ित पक्ष के परिजन शिकायत करते हैं तो पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी। यदि किसी शख्स पर नाबालिग, अनुसूचित जाति/जनजाति की बेटियों को बहला फुसला कर शादी करने का दोष सिद्ध होता है तो उसे दो साल से 10 साल तक की सजा दी जाएगी। अगर कोई शख्स धन और संपत्ति के लालच में धर्म छिपाकर शादी करता हो तो उसकी शादी शून्य मानी जाएगी। लव जिहाद जैसे मामलों में सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा हो��ी। कलेक्टर को एक महीने पहले आवेदन जरूरी स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के लिए एक महीने पहले आवेदन देना होगा। कई मामलों में देखा गया है कि युवतियां स्वेच्छा से धर्मांतरण कर शादी करना चाहती है। ऐसे मामलों को देखते हुए कानून में यह भी प्रावधान होगा कि अगर कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन शादी के लिए करना चाहता है, तो उसे एक महीने पहले कलेक्टर के यहां आवेदन देना होगा। आवेदन देना अनिवार्य होगा। बिना आवेदन के अगर धर्मांतरण किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। नए विधेयक के तहत, जबरदस्ती किसी का धर्म परिवर्तन कराने पर एक से पांच साल की कैद और न्यूनतम 25,000 रुपए का जुर्माना लगेगा। Read the full article
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मध्यप्रदेश: लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश को शिवराज कैबिनेट ने दी मंजूरी
चैतन्य भारत न्यूज मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार ने मंगलवार को धर्म स्वतंत्रता (धार्मिक स्वतंत्रता) अध्यादेश 2020 (लव जिहाद) को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश को मंजूरी दी गई। इस कानून के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति द्वारा लालच देकर, धमकाकर, धर्म परितर्वन कराने को गैर कानूनी माना गया है। Madhya Pradesh cabinet approves the Dharma Swatantrata (Religious Freedom) Ordinance — ANI (@ANI) December 29, 2020 सोमवार को राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि, 'मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 सहित जितने भी विधेयक विधानसभा सत्र स्थगित होने के कारण हम सदन में नहीं ला पाए, उन्हें कल मंगलवार को मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में अध्यादेश के माध्यम से लागू करेंगे। मंत्रिमंडल की बै���क के बाद कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएंगे।' कम से कम 10 साल की सजा जानकारी के मुताबिक, नए कानून में कुल 19 प्रावधान हैं, जिसके तहत अगर धर्म परिवर्तन के मामले में पीड़ित पक्ष के परिजन शिकायत करते हैं तो पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी। यदि किसी शख्स पर नाबालिग, अनुसूचित जाति/जनजाति की बेटियों को बहला फुसला कर शादी करने का दोष सिद्ध होता है तो उसे दो साल से 10 साल तक की सजा दी जाएगी। अगर कोई शख्स धन और संपत्ति के लालच में धर्म छिपाकर शादी करता हो तो उसकी शादी शून्य मानी जाएगी। लव जिहाद जैसे मामलों में सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी। कलेक्टर को एक महीने पहले आवेदन जरूरी स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के लिए एक महीने पहले आवेदन देना होगा। कई मामलों में देखा गया है कि युवतियां स्वेच्छा से धर्मांतरण कर शादी करना चाहती है। ऐसे मामलों को देखते हुए कानून में यह भी प्रावधान होगा कि अगर कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन शादी के लिए करना चाहता है, तो उसे एक महीने पहले कलेक्टर के यहां आवेदन देना होगा। आवेदन देना अनिवार्य होगा। बिना आवेदन के अगर धर्मांतरण किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। नए विधेयक के तहत, जबरदस्ती किसी का धर्म परिवर्तन कराने पर एक से पांच साल की कैद और न्यूनतम 25,000 रुपए का जुर्माना लगेगा। उन्होंने कहा, विधेयक के तहत नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 50,000 रुपये का जुर्माना और दो से लेकर दस साल की जेल की सजा का प्रावधान भी होगा। Read the full article
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