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जब शास्त्री जी ने कहा था- पेट पर रस्सी बांधो, देश का मान रखो, एक अपील पर भूखा रहा था पूरा देश
चैतन्य भारत न्यूज 2 अक्टूबर का दिन 'गांधी जयंती' के नाम से जाना जाता है। लेकिन इस दिन न सिर्फ महात्मा गांधी बल्कि भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्म हुआ था। आज लाल बहादुर शास्त्री की 116वीं जयंती है। शास्त्री जी को उनकी सादगी, सरलता और उनके दमदार भाषण के लिए जाना जाता है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को एक ��रीब परिवार में हुआ था हुआ था। आइए जानते हैं कैसे एक गरीब परिवार से बाहर निकलकर शास्त्री देश के मुखिया बने और देश को आगे बढ़ाया। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
बता दें आजादी के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के अगले प्रधानमंत्री बने थे। उस समय संकट का दौर चल रहा था। नेहरू जी के जाने के बाद देश को बेहद खराब आर्थिक स्थिति से उबारना था। साल 1965 में उस वक्त भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध भी हुआ था। ऐसे में परिस्थितियां और ज्यादा विकट हो गईं थीं। पाकिस्तान से युद्ध के दौरान अन्न की भी कमी हो गई थी। ऐसे में भुखमरी के संकट में प्रधानमंत्री शास्त्री ने एक ऐसा बड़ा कदम उठाया था, जिसकी आज भी सराहना की जाती है।
उस समय शास्त्री जी ने अपनी तनख्वाह उठानी बंद कर दी थी। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि घरेलू सहायकों का खर्च बचाने के लिए वे खुद ही सभी काम करने लगे थे। देश अन्न की कमी से जूझ रहा था और अमेरिका ने भी भारत को खाद्यान्न के निर्यात रोकने की धमकी दे दी। ऐसे में देश पर बड़ा संकट आ गया था। तब शास्त्री जी जनता से रूबरू हुए और उन्होंने सभी से यह अपील की कि सभी लोग हफ्ते में एक दिन एक वक्त का भोजन छोड़ दें। यह कठिन दौर जल्द ही गुजर जाएगा, तब तक उन्हें जनता से सहयोग की उम्मीद है। उसी ��ौरान उन्होंने देश की कृषि आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए नारा दिया, 'जय जवान जय किसान'।
शास्त्री जी के इस आग्रह का जनता पर गहरा असर हुआ और जनता ने कहा कि, 'अब एक हफ्ते तक घर में चूल्हा ही नहीं जलेगा।' फिर अमेरिका ने भारत को अपनी कुछ शर्तों पर अनाज देने की पेशकश की थी। शास्त्री जी यह जानते थे कि यदि उन्होंने अमेरिका से अनाज लिया था देश का स्वाभिमान खत्म हो जाएगा। इसके बाद शास्त्री ने जी जनता से कहा कि, 'हमें देश का स्वाभिमान रखने के लिए उपलब्ध अनाज से ही काम चलाना होगा। हम किसी भी देश के आगे हाथ नहीं फैला सकते। यदि हमने किसी देश से अनाज ले लिया तो यह हमारे देश के स्वाभिमान पर चोट होगी।'
उन्होंने कहा था कि, 'देश की जनता को सप्ताह में एक वक्त का उपवास करना चाहिए। इससे अनाज भी बचेगा और अगली फसल आने तक देश में अनाज की उपलब्धता भी बनी रहेगी।' शास्त्री जी ने गुजारिश की थी कि, 'पेट पर रस्सी बांधो, साग-सब्जी ज्यादा खाओ, सप्ताह में एक दिन एक वक्त उपवास करो, लेकिन अपने देश का मान रखो।'
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