#kabir ke dohe
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#सुनो_गीता_अमृत_ज्ञान
Who is Immortal God?
To know, must listen to the AudioBook
"Gita Tera Gyan Amrit" by JagatGuru Tatvadarshi Sant Rampal Ji Maharaj
Download the Official App SANT RAMPAL JI MAHARAJ
#सुनो_गीता_अमृत_ज्ञान#spirituality#godkabir#kabir ke dohe#sant kabir#kabirisgod#santrampaljimaharaj#saintrampalji
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Pyar pyar sab chillaye, pyar kare na koye.
Commitment se sbki fatte,
Shadi arranged hi hoye.
#puri jawani single guzar gayi abhi to milo koi#singer#arranged marriage#love marriage#love#romance#commitment#sher o shayari#sher#poetry#kabir ke dohe
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#kabir ke dohe#spiritual awakening#godkabir#youtube#saint rampal ji maharaj#infographic#santrampalji is trueguru#nature#youtube video#miraclesoftrueworship#हिन्दू भाई संभलो
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#kabirvani#bhiwani#kabir ke dohe#sant kabir#aesthetic#god#vibes#sprituality#GodMorningSundayAtharvaved Kand 4 Anuvak 1 Mantra 7Supreme God Kabir#because of creating all brahmands & living beings by His word powe#SundayAtharvaved Kand 4 Anuvak 1 Mantra 7Supreme God Kabir#because of creating all brahmands & living beings by His word power#is
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150+ Kabir Ke Dohe in Hindi PDF Free Download
Kabir Ke Dohe in Hindi PDF: कबीर के दोहे हिंदी में अगर आप भी पढ़ना चाहते है और Kabir Ke Dohe in Hindi free PDF को डाउनलोड करना चाहते है, तो इस पोस्ट हम आपको देंगे 150 से अधि�� दोहे कबीर दास के जिसे पढ़कर आप बहुत ह�� अच्छा महसूस करेंगे वैसे तो कबीर दास के दोहे 300 से अधिक है। जिनमें से हम आपको कबीर दास के सबसे अच्छे दोहे का चयन किया है उसके अर्थ सहित जिसे आप पढ़ भी सकते हैं। और इसका पीडीएफ फाइल भी…
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Miracles of Kabir Saheb ji
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#1Feb_GodKabir_NirvanaDiwas
Supreme God Kabir went to Satlok in body o Magh month Shukla Paksha date Ekadashi Vikram Samvat 1575 (year 1518). Kabir Saheb is imperishable.
-Supreme Saint Rampal Ji Maharaj
मगहर से सतलोक
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it is appalling how underrepresented awadhi is as a language despite it being such a dominant force in indic literature. Hello? The Tulsidas ramayan sung across this country is in awadhi. Kabir ke dohe? Ras Khan ke poems? Awadhi!
Awadhi literature is being taught in hindi books as hindi literature? Children don't even know of this language. A lot many people instantly assume it to be bhojpuri or bihari when they hear it- but it is distinct from both of those.
No it is not a dialect (boli) of hindi. Awadhi is much older than not just hindi but also Khadiboli- the precursor language of hindi.
Parents in the Awadh region no longer teach their kids this language. Why? Because bollywood has done an awesome job of identifying awadhi with illiteracy, poverty or both in the media space.
Hindi is not the natural language of uttar pradesh. "Hindi belt" sounds like a slur at this point. We have 7 distinct languages here which are dying out. Hindi is not the mother tongue of UP- it is the mother tongue of Delhi and its sub regions.
Awadhi is the language of Awadh- land of Ram.
We have Brajbhasa of Braja, Kannauji, Kauravi in Northern UP, Bagheli and Bundeli in the western borders and Bhojpuri in the south Eastern parts. All of these are older than hindi and its precursor. None of these are dialects of the delhi language so stop treating them as inferior sub languages. They have linguistic history and literature spanning far back in time.
If you are from southern India please be educated. Stop calling us hindi belt ffs- northern region is just as diverse and linguistically rich as your states if not more. UP is not a "bimaru" state either. Also we have no interest in imposing hindi on any state. We are possibly one of the biggest victims of hindi domination ourselves. Our scripts and language is systematically wiped off- not just in the last 75 years though-we have been struggling for a millennium. So please read, read and read more before you fall into stereotypes.
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Never thought Kabir ke dohe and pop concert would mix but damn these guys are good
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#SaveLives_DonateBlood
संत गरीब दास जी महाराज बोध दिवस पर संत रामपाल जी महाराज के भक्तों ने किया रक्तदान
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में संत गरीबदास जी के बोध दिवस पर सतलोक आश्रम खमाणों, पंजाब में लगाए गए ब्लड डोनेशन कैम्प में 120 यूनिट रक्तदान हुआ
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#godkabir#spirituality#godisgood#kabir ke dohe#kabirprakatdiwas#sant kabir#kabir#kabirisgod#santrampaljimaharaj#santrampaljiquotes
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Kabir ke dohe that I actually know by heart (thanks icse)
१. गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाए। बलिहारी गुरु अपने गोविंद दीयो बताय॥
२. पाहन पूजन हरि मिले तो मैं पूजू पहाड़। ताते ये चाकी भली, पीस खाय संसार॥
३. काँकर पत्थर जोड़ के मस्जिद लई बनाय। ता चढ़ी मुल्ला बाँग दे का बहरा भया ख़ुदाय॥
#wow#its been years and i still remember them#desiblr#desi aesthetic#poetry#kabirdas#tw religious themes
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#kavirisgod#allah kabir#kabir ke dohe#al mualim#allah is kabir#allah#spiritual awakening#godkabir#youtube#saint rampal ji maharaj#infographic#santrampalji is trueguru#nature#youtube video#miraclesoftrueworship#हिन्दू भाई संभलो
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Sant Kabir Das Ke Dohe in Hindi : Kabir Amritwani
Dr. Mulla Adam Ali Hindi Language and Literature Youtube Channal and Blog
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Kabir Ke Dohe | guru govind | #kabirbhajan #doha #kabirvani #kabir #yout...
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पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी: सभी आत्माओं के जनक
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी: सभी आत्माओं के जनक

हम सभी जानते हैं कि कबीर साहेब आज से लगभग 600 वर्ष पहले इतिहास के भक्तियुग में जुलाहे की भूमिका निभाकर गये। पर वे वास्तव में कौन हैं? कबीर साहेब कोई सूफी संत हैं या कवि मात्र? क्या कबीर साहेब परमात्मा हैं? इस लेख में हम कुछ प्रश्नों के उत्तर बताने का प्रयत्न करेंगे, जैसे कबीर कौन हैं? वे कवि हैं या पूर्ण परमेश्वर? कबीर जी इस पृथ्वी पर कब अवतरित हुए? क्या कबीर साहेब ने सशरीर इस मृत्युलोक को छोड़ा था? आखिर क्या रहस्य है जो अब तक अनसुलझा है? कबीर साहेब कहाँ रहते थे? कबीर का क्या अर्थ है? कबीर साहेब ने पूर्ण परमेश्वर के विषय में क्या ज्ञान दिया है?
लेख में हम निम्न बिंदुओं पर चर्चा करेंगे
परमेश्वर कबीर साहेब की जीवनी
परमात्मा कबीर का रूप
परमेश्वर कबीर साहेब का अवतरण
कबीर साहेब ही पूर्ण परमेश्वर है इसका सभी धर्मग्रंथों से प्रमाण
कबीर साहेब के गुरु कौन थे?
परमात्मा कबीर किन महापुरुषों को मिले?
परमात्मा कबीर साहेब के चमत्कार
परमेश्वर कबीर साहेब की मृत्यु- एक रहस्य
पूर्ण तत्वदर्शी संत की पहचान
पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब का कलियुग में अवतरण
परमात्मा कबीर की जीवनी
परमात्मा कबीर जनसाधारण में सामान्यतः "कबीर दास" नाम से जाने जाते थे तथा बनारस (काशी, उत्तर प्रदेश) में जुलाहे की भूमिका कर रहे थे। विडंबना है कि सर्व सृष्टि के रचनहार, भगवान स्वयं धरती पर अवतरित हुए और स्वयं को दास सम्बोधित किया। कबीर साहेब के वास्तविक रूप से सभी अनजान थे सिवाय उनके जिन्हें कबीर साहेब ने स्वयं दर्शन दिए और अपनी वास्तविक स्थिति से परिचित कराया जिनमें नानक देव जी (तलवंडी, पंजाब), आदरणीय धर्मदास जी ( बांधवगढ़, मध्यप्रदेश), दादू साहेब जी (गुजरात) शामिल हैं। वेद भी पूर्ण परमेश्वर के इस लीला की गवाही देते हैं (ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मन्त्र 6)। इस मंत्र में परमेश्वर कबीर जी को "तस्कर" अर्थात छिप कर कार्य करने वाला कहा है। नानक जी ने भी परमेश्वर कबीर साहेब की वास्तविक स्थिति से परिचित होने पर उन्हें "ठग" (गुरु ग्रंथ साहेब, राग सिरी, महला पहला, पृष्ठ 24) कहा है।

कबीर परमेश्वर का अवतरण
कबीर साहेब भारत के इतिहास में मध्यकाल के भक्ति युग में आये थे। उनकी बहुमूल्य एवं अनन्य कबीर वाणी / (Kabir Vani) कविता आज भी साहित्य की अनमोल धरोहर हैं। परमेश्वर की कबीर वाणी में ढेरों गूढ़ रहस्य भरे पड़े हैं जिनके माध्यम से परमेश्वर ने विश्व को समझाने का प्रयत्न किया था। हम सभी लगभग बाल्यकाल से ही कबीर जी के दोहे (Kabir Saheb Ji Ke Dohe), शबद पढ़ते आये हैं अतः आश्चर्य होना स्वाभाविक है कि आखिर कबीर जी कौन हैं? वास्तव में एक जुलाहे एवं कवि की भूमिका करने वाला जो मानव सदृश पृथ्वी पर अवतरित हुआ और अपनी प्यारी आत्माओं को सही आध्यात्मिक ज्ञान का बोध कराया वह कोई और नहीं बल्कि पूर्ण ब्रह्म कविर्देव हैं। यह सभी धर्मग्रंथों पवित्र वेद, पवित्र कुरान शरीफ, पवित्र बाइबल, पवित्र गुरु ग्रंथ साहेब में प्रमाण है कि कबीर साहेब ही भगवान हैं। आइए हम आगे बढ़ें और जानें कि 600 वर्ष पहले इस मृत्युलोक में कबीर साहेब के माता पिता कौन थे? 600 वर्ष पूर्व किस प्रकार वे अवतरित हुए एवं पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब कहाँ अवतरित हुए?
कबीर साहेब के माता पिता कौन थे?
जैसा वेदों में वर्णित है कि पूर्ण परमेश्वर कभी भी माता के गर्भ से जन्म नहीं लेता है, वह स्वयं सतलोक से अवतरित होते हैं और निसंतान दंपत्ति को प्राप्त होते हैं। 600 वर्ष पूर्व जब कबीर परमेश्वर आये तो उन्होंने नीरू और नीमा को अपना माता-पिता चुना। नीरू और नीमा निसंतान दम्पति थे जो जुलाहे का कार्य करते थे, वे बालक रूपी कबीर परमात्मा को लहरतारा तालाब से उठाकर घर ले आये। यह परमेश्वर कबीर की अलौकिक लीला है।
नीरू नीमा कौन थे?
नीरू और नीमा, यानी कबीर परमेश्वर के माता पिता वास्तव में ब्राह्मण थे जिन्हें अन्य ब्राह्मणों की ईर्ष्या के परिणामस्वरूप, मुसलमानों द्वारा जबरन धर्म परिवर्तित कर दिया गया था। नीरू का नाम गौरीशंकर था तथा नीमा का नाम सरस्वती था। वे दोनों शिव जी के उपासक थे वे परमात्मा चाहने वाली आत्माओं के बीच शिव पुराण का कथा वाचन किया करते थे। वे किसी से कोई दान आदि नहीं लेते थे फिर भी किसी भक्त द्वारा दिये जाने पर जरूरत के अनुसार रख लेते एवं बचे हुए धन का भंड��रा कर दिया करते थे।
अन्य ब्राह्मणों को गौरी शंकर और सरस्वती द्वारा किये जाने वाली इस निस्वार्थ भाव से की जाने वाली कथा से ईर्ष्या होने लगी। गौरीशंकर किसी भी भक्तात्मा को धन के लालच में बहकाता नहीं था जिसके परिणामस्वरूप वह अनुयायियों में प्रिय बन गया। वहीं दूसरी ओर मुसलमानों को यह पता हो गया कि कोई भी हिन्दू ब्राह्मण उनके पक्ष में नहीं है जिसका उन्होंने फायदा उठाया और जबरदस्ती उनके घर मे में पानी छिड़क दिया एवं उन्हें भी पिला दिया। उन्हें धर्म परिवर्तित कर दिया। इस पर हिन्दू ब्राह्मणों ने कहा कि वे मुस्लिम हो चुके हैं एवं उनका अब कोई वास्ता नहीं रह सकता।
बेचारे गौरीशंकर और सरस्वती के पास कोई रास्ता नहीं बचा। मुस्लिमों ने उनका नाम क्रमशः नीरू और नीमा रख दिया। उन्हें जो भी दान मिला करता था वे उस समय का निर्वाह करके बाकी बचा हुआ दान कर दिया करते थे। अब न तो उनके पास कोई संचित राशि थी और न ही उनके पास आजीविका का कोई साधन बचा था क्योंकि दान आना अब बंद हो चुका था और वे मुस्लिम ठहराए जा चुके थे। ऐसी स्थिति में उन्होंने चरखा लेकर जुलाहे का कार्य प्रारंभ कर दिया। किन्तु अब भी वे मात्र जीविका निर्वाह का धन रखकर अन्य बचे धन का भंडारा कर देते थे। नीरू-नीमा का गंगा में स्नान करना अन्य ब्राह्मणों ने बंद कर दिया था क्योंकि उनके अनुसार वे मुस्लिम हो गए थे।
अब हम जानेंगे कि पूर्ण परमात्मा कहाँ प्रकट हुए?
कबीर परमेश्वर का प्राकट्य
कलयुग में कबीर साहेब काशी में लहरतारा तालाब पर अवतरित हुए थे। लहरतारा तालाब में जल गंगा नदी का ही आता था। वर्ष 1398 (विक्रम संवत 1455) को ज्येष्ठ की पूर्णिमा के दिन कबीर साहेब कमल के पुष्प पर अवतरित हुए। इस घटना के गवाह ऋषि अष्टानंद हुए जो स्वामी रामानन्द जी के शिष्य थे। वे अपनी साधना करने के लिए तालाब के किनारे बैठे हुए थे और अचानक उन्होंने आकाश से तीव्र प्रकाश उतरता और कमल के पुष्प पर सिमटता हुआ देखा जिससे आंखें चौंधिया गईं।
भगवान कबीर साहेब का कमल के पुष्प पर अवतरण
कबीर साहेब का कुंवारी गायों से पोषण
परमात्मा कबीर का कमल के पुष्प पर अवतरण
काशी में गंगा नदी की लहरों से लहरतारा तालाब जो कि एक बड़ा तालाब था, भर जाता था। वह सदा गंगा के पवित्र जल से भरा रहता था। तालाब में कमल पुष्प उगते थे। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को सन 1398 (विक्रमी संवत 1455) को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में (जोकि सूर्योदय से लगभग डेढ़ घण्टे पहले होता है) कबीर परमेश्वर सतलोक (ऋतधाम) से सशरीर आकर शिशु रूप में लहरतारा तालाब के ही कमल के पुष्प में विराजमान हुए। इस घटना के प्रत्यक्ष दृष्टा स्वामी रामानन्द जी के शिष्य ऋषि अष्टानांद जी थे जो प्रतिदिन सुबह वहाँ साधना के लिए जाते थे। उन्होंने तेज प्रकाश उतरता देखा, उस तीव्र प्रकाश से सारा लहरतारा तालाब जगमग हो उठा एवं स्व��ं ऋषि अष्टानांद की आंखें चौंधिया गईं। उन्होंने वह प्रकाश एक कोने में सिमटते देखा। अष्टानांद जी ने सोचा कि "यह मेरी भक्ति की उपलब्धि है या कुछ अन्य अवतार अवतरित हुआ है" ऐसा सोचते हुए वे अ��ने गुरुदेव के पास पहुँचे।

यहाँ नीरू नीमा गंगा नदी में नहाने से रोक दिए जाने के कारण लहरतारा तालाब में नहाने जाने लगे क्योंकि उसमें भी गंगा का ही स्वच्छ जल रहता था। चूँकि वे निसंतान थे अतः बालक रूप में कबीर साहेब को देखकर अति प्रसन्न हुए। नीमा ने शिशु रूप में आये परमात्मा को हृदय से लगाया। तब नीरू को परमात्मा ने स्वयं उसी बालक रूप में ही घर ले चलने का आदेश दिया।
परमात्मा कबीर साहेब का लालन पालन
नीरू नीमा शिशु रूप में कबीर परमात्मा को घर ले आये। परमेश्वर कबीर बहुत सुंदर थे और पूरी काशी उस सुंदर मुखड़े वाले परमेश्वर के अवतार को देखने के लिए चली आयी। किसी ने भी इतना सुंदर बालक पहले कभी नहीं देखा था। काशीवासी स्वयं कह रहे थे कि इतना सुंदर बालक कभी नहीं देखा। काशी के स्त्री पुरुष कह रहे थे कि किसी ब्रह्मा-विष्णु-महेश में से किसी का अवतरण हुआ है। ब्रह्मा-विष्णु-महेश ने कहा कि यह कोई अन्य परम् शक्ति है। कबीर परमेश्वर का सुंदर मुखड़ा देखकर सभी पूछना भूल गए कि इस बालक को आप कहाँ से लाये हैं?

25 दिनों तक कबीर साहेब ने कुछ भी ग्रहण नहीं किया। इस बात से नीरू और नीमा अत्यंत दुखी हुए। दुखी होकर नीरू-नीमा ने भगवान शिव से प्रार्थना की क्योंकि वे भगवान शिवजी के अनुयायी थे। तब शिवजी एक साधु का वेश बनाकर आये तथा नीमा ने अपनी सारी व्यथा शिवजी को सुनाई। शिवजी ने परमेश्वर कबीर साहेब को गोद में लिया, तब परमेश्वर कबीर ने शिवजी से संवाद किया एवं उन्हें प्रेरणा दी। तब कबीर जी के बताए अनुसार शिवजी ने नीरू को कुंवारी गाय लाने का आदेश दिया। कुंवारी गाय पर हाथ रखते ही गाय ने दूध देना प्रारंभ कर दिया और वह दूध कबीर साहेब ने पिया। परमात्मा की इस लीला का ज़िक्र वेदों में भी है। (ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9)
जब काजी मुल्ला कबीर साहेब के नामकरण के लिए आये तब उन्होंने कुरान खोली लेकिन पुस्तक के सभी अक्षर कबीर-कबीर हो गए। उन्होंने पुनः प्रयत्न किया लेकिन तब भी सभी अक्षर कबीर में तब्दील हो गए। तन उनका नाम कबीर रखकर ही चल पड़े। इस तरह कबीर परमात्मा ने अपना नाम स्वयं रखा।
कुछ समय बाद कुछ काजी कबीर साहेब की सुन्नत करने के उद्देश्य से आये तथा कबीर साहेब ने उन्हें एक लिंग के स्थान पर ढेरों लिंग दिखाए जिससे डर कर वे वापस लौट गए। परमात्मा की इस लीला का वर्णन पवित्र कबीर सागर में भी है।
आइए जानें कबीर साहेब ही परमात्मा हैं इसका धर्मग्रंथों में प्रमाण
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है-धर्मग्रंथों में प्रमाण
परमात्मा कबीर स्वयं ही पूर्ण परमात्मा का संदेशवाहक बनकर आते हैं और अपना तत्वज्ञान सुनाते हैं। इस बात के साक्ष�� पवित्र वेद, पवित्र कुरान, पवित्र बाइबल, पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब हैं।
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है पवित्र वेदों में प्रमाण
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं पवित्र क़ुरान में प्रमाण
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं पवित्र बाइबल में प्रमाण
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं पवित्र गुरु ग्रन्थ साहेब में प्रमाण
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है पवित्र वेदों में प्रमाण
वेदों में प्रमाण है कि कबीर साहेब प्रत्येक युग में आते हैं। परमेश्वर कबीर का माता के गर्भ से जन्म नहीं होता है तथा उनका पोषण कुंवारी गायों के दूध से होता है। अपने तत्वज्ञान को अपनी प्यारी आत्माओं तक वाणियों के माध्यम से कहने के कारण परमात्मा एक कवि की उपाधि भी धारण करता है।
आइए वेदों में प्रमाण जानें
यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 18
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9
यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25
यजुर्वेद में स्पष्ट प्रमाण है कि कबीर परमेश्वर अपने तत्वज्ञान के प्रचार के लिए पृथ्वी पर स्वयं अवतरित होते हैं। वेदों में परमेश्वर कबीर का नाम कविर्देव वर्णित है।
समिद्धोऽअद्य मनुषो दुरोणे देवो देवान्यजसि जातवेदः।
आ च वह मित्रामहश्चिकित्वान्त्वं दूतः कविरसि प्रचेताः।।25।।
भावार्थ- जिस समय भक्त समाज को शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण (पूजा) कराया जा रहा होता है। उस समय कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान को प्रकट करता है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17
यह उधृत है कि पूर्ण परमेश्वर शिशु रूप में प्रकट होकर अपनी प्यारी आत्माओं को अपना तत्वज्ञान प्रचार कविर्गीर्भि यानी कबीर वाणी से पूर्ण परमेश्वर करते हैं।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17
शिशुम् जज्ञानम् हर्य तम् मृजन्ति शुम्भन्ति वह्निमरूतः गणेन।
कविर्गीर्भि काव्येना कविर् सन्त् सोमः पवित्राम् अत्येति रेभन्।।17।।
भावार्थ - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि विलक्षण मनुष्य के बच्चे के रूप में प्रकट होकर पूर्ण परमात्मा कविर्देव अपने वास्तविक ज्ञान को अपनी कविर्गिभिः अर्थात कबीर वाणी द्वारा निर्मल ज्ञान अपने हंसात्माओं अर्थात् पुण्यात्मा अनुयायियों को कवि रूप में कविताओं, लोकोक्तियों के द्वारा सम्बोधन करके अर्थात उच्चारण करके वर्णन करता है। वह स्वयं सतपुरुष कबीर ही होता है।

ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 18
पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जब तक पृथ्वी पर रहे उन्होंने ढेरों वाणियां अपने मुख कमल से उच्चारित की जिन्हें उनके शिष्य आदरणीय धर्मदास जी ने जिल्द किया। आज ये हमारे समक्ष कबीर सागर और कबीर बीजक के रूप में मौजूद हैं जिनमें कबीर परमेश्वर की वाणियों का संकलन है। आम जन के बीच कबीर साहेब एक साधारण कवि के रूप में प्रचलित थे जबकि वे स्वयं सारी सृष्टि के रचनाकार है। परमात्मा की इस लीला का वर्णन हमें ऋग्वेद में भी मिलता है।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।
तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।18।।
भावार्थ- वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण ��च्चे के रूप में आकर प्रसिद्ध कवियों की उपाधि प्राप्त करके अर्थात एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची हजारों वाणी संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष तीसरे मुक्तिलोक अर्थात सत्यलोक पर सुदृढ़ पृथ्वी को स्थापित करने के पश्चात् मानव सदृश संत रूप में होता हुआ गुबंद अर्थात गुम्बज में ऊंचे टीले रूपी सिंहासन पर उज्जव��� स्थूल आकार में अर्थात मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।

ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
भावार्थ - पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है उस समय कंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है। ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 94 मन्त्र 1 में परमात्मा की अन्य लीलाओं का भी वर्णन है कि पूर्ण परमेश्वर भ्रमण करते हुए अपने तत्वज्ञान का प्रचार करते हैं और कवि की उपाधि धारण करते हैं।
परमात्मा के अन्य अनेकों गुणों का वर्णन इन अध्याय में है
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 19,20
ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 90 मन्त्र 3,4,5,15,16
यजुर्वेद अध्याय 19 मन्त्र 26,30
यजुर्वेद अध्याय 29 मंत्र 25
सामवेद संख्या नं. 359, अध्याय 4 खंड 25, श्लोक 8
सामवेद संख्या नं. 1400, अध्याय 12, कांड 3, श्लोक 8
अथर्वेद कांड नं. 4, अनुवाक 1, मन्त्र 1,2,3,4,5,6,7
कबीर साहेब पूर्ण परमेश्वर है कुरान शरीफ में प्रमाण
पवित्र कुरान शरीफ, सूरत फुरकान 25, आयत 52 से 59 में कहा गया है कि "तुम काफिरों का कहा न मानना क्योंकि वे कबीर को अल्लाह नहीं मानते। कुरान में विश्वास रखो और अल्लाह के लिए संघर्ष करो, अल्लाह की बड़ाई करो। "साथ ही आयात 25:59 में कुरान का ज्ञानदाता कहता है कि कबीर ही अल्लाह है जिसने धरती और आकाश तथा इनके बीच जो कुछ है की छः दिनों में रचना की और सातवें दिन तख्त पर जा विराजा, उसके बारे में किसी बाख़बर से पूछो। बाख़बर/ धीराणाम/ तत्वदर्शी सन्त एक ही होता है।
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