मोक्षदा एकादशी : इस दिन श्रीकृष्ण ने दिया था गीता उपदेश, जानिए इसका महत्व और पूजन-विधि
चैतन्य भारत न्यूज
मार्गशीर्ष (अगहन) शुक्ल एकादशी को मोक्षदा एकादशी के तौर पर जाना जाता है। इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मनुष्यों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। यही नहीं इस व्रत के प्रभाव से पितरों को भी मुक्ति मिलती है। इस बार मोक्षदा एकादशी 8 दिसंबर को पड़ रही है। आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी का महत्व और पूजा-विधि।
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मोक्षदा एकादशी का महत्व
मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य के मृतक पूर्वजों के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति मोक्ष पाने की इच्छा रखता है उसे इस एकादशी पर व्रत रखना चाहिए। ये भी कहा जाता है कि, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के मुख से पवित्र श्रीमदभगवद् गीता का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी का व्रत हिंदू वर्ष की अन्य 23 एकादशियों पर उपवास रखने के बराबर है।
मोक्षदा एकादशी पूजन-विधि
इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करते हुए पूरे घर में गंगाजल छिड़कें।
इसके बाद पूजन सामग्री में तुलसी की मंजरी, धूप-दीप, फल-फूल, रोली, कुमकुम, चंदन, अक्षत, पंचामृत रखें।
विघ्नहर्ता भगवान गणेश, भगवान श्रीकृष्ण और महर्षि वेदव्यास की मूर्ति या तस्वीर सामने रखें। साथ ही श्रीमदभगवद् गीता की पुस्तक भी रखें।
इसके बाद विष्णु जी को धूप-दीप दिखाकर रोली और अक्षत चढ़ाएं।
पूजा पाठ करने के बाद व्रत-कथा सुननी चाहिए। इसके बाद आरती कर प्रसाद बांटें।
एकादशी के दिन रात्रि काल में जागरण करना अच्छा माना गया है।
एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी को स्नान और पूजा के बाद ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना चाहिए।
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मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य के मृतक पूर्वजों के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति मोक्ष पाने की इच्छा रखता है उसे इस एकादशी पर व्रत रखना चाहिए। ये भी कहा जाता है कि, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के मुख से पवित्र श्रीमदभगवद् गीता का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी का व्रत हिंदू वर्ष की अन्य 23 एकादशियों पर उपवास रखने के बराबर है।
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इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करते हुए पूरे घर में गंगाजल छिड़कें।
इसके बाद पूजन सामग्री में तुलसी की मंजरी, धूप-दीप, फल-फूल, रोली, कुमकुम, चंदन, अक्षत, पंचामृत रखें।
विघ्नहर्ता भगवान गणेश, भगवान श्रीकृष्ण और महर्षि वेदव्यास की मूर्ति या तस्वीर सामने रखें। साथ ही श्रीमदभगवद् गीता की पुस्तक भी रखें।
इसके बाद विष्णु जी को धूप-दीप दिखाकर रोली और अक्षत चढ़ाएं।
पूजा पाठ करने के बाद व्रत-कथा सुननी चाहिए। इसके बाद आरती कर प्रसाद बांटें।
एकादशी के दिन रात्रि काल में जागरण करना अच्छा माना गया है।
एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी को स्नान और पूजा के बाद ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना चाहिए।
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