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भीष्म द्वादशी व्रत से मिलता है सौभाग्य, इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में माघ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का काफी महत्व है। इस तिथि को भीष्म द्वादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि भीष्म तिथि का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस बार भीष्म द्वादशी 6 फरवरी को पड़ रही है। आइए जानते हैं भीष्म द्वादशी का महत्व और पूजन-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
भीष्म द्वादशी का महत्व शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन व्रत करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है और यदि संतान है तो उसकी प्रगति होती है। इसके साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होकर सुख-समृद्धि मिलती है। भीष्म द्वादशी को गोविंद द्वादशी भी कहते हैं। यह व्रत सब प्रकार का सुख वैभव देने वाला होता है। इस दिन उपवास करने से समस्त पापों का नाश होता है। इस दिन भीष्म पितामह के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें।
भीष्म द्वादशी पूजन-विधि भीष्म द्वादशी के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें। भीष्म द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की भी पूजा करें। पूजा में केले के पत्ते व फल, पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुंकुम, दूर्वा का उपयोग करें। इसके बाद भीष्म द्वादशी की कथा सुनें। देवी लक्ष्मी समेत अन्य देवों की स्तुति करें तथा पूजा समाप्त होने पर चरणामृत एवं प्रसाद का वितरण करें। आज के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं व दक्षिणा दें। ये भी पढ़े... संतान सुख के लिए करें अहोई अष्टमी व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि पापों से मुक्ति दिलाता है जया एकादशी व्रत, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि पुत्र प्राप्ति और रोगों को दूर करने के लिए करें शीतला षष्ठी व्रत, जानिए महत्व और पूजा-विधि Read the full article
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