पितरों को मोक्ष दिलाने वाली फाल्गुन अमावस्या आज, जानें तर्पण का सही तरीका
चैतन्य भारत न्यूज
महाशिवरात्रि के बाद मनाई जाने वाली फाल्गुन अमावस्या का शास्त्रों में अत्यधिक महत्व है। इस साल फाल्गुन अमावस्या 13 मार्च को पड़ रही है। फाल्गुन अमावस्या श्राद्ध और पितरों की तृप्ति के लिए भी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। आइए जानते हैं तर्पण का सही तरीका।
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फाल्गुन अमावस्या का महत्व
अमावस्या का दिन काफी पवित्र होता है और इस तिथि पर श्राद्ध कर्म करने का बहुत अधिक महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन देवतागण संगम तट पर वास करते हैं, इसलिए इस दिन प्रयाग में स्नान करना शुभ माना जाता है। अमावस्या के दिन इन आत्माओं के वंशज, सगे-संबंधी या कोई परिचित उनके लिए श्राद्ध, दान और तर्पण करके उन्हें आत्मशांति दिला सकते हैं। पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले दान, तर्पण, श्राद्ध आदि के लिए यह दिन बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है। कालसर्प दोष के निवारण के लिए भी इस अमावस्या का विशेष महत्व है। यह अमावस्या सुख, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी विशेष फलदायी है।
ऐसे करें तर्पण
फाल्गुन अमावस्या के दिन तर्पण के लिए सूर्योदय के समय उठकर स्नान कर लें। फिर सूर्य को जल अर्पण करें साथ ही ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र बोलें। इसके बाद तर्पण के लिए आसान पर बैठ जाएं। फिर जहां बैठे हैं उस स्थान को साफ कर पितरों का तर्पण शुरू करें। पितरों के तर्पण में तिल का खास महत्व बताया गया है। इसलिए पितृ तर्पण में तिल मिला हुआ जल का इस्तेमाल करना चाहिए। तर्पण पूरा होने के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन कराएं। भोजन के बाद अपनी क्षमतानुसार इन्हें दक्षिणा दें।
सबसे खास होती फाल्गुन अमावस्या
बता दें साल में 12 अमावस्या पड़ती है। वैसे तो हर अमावस्या तर्पण के लिए खास मानी गई है, लेकिन फाल्गुन मास की अमावस्या पितृ तर्पण के लिए शुभ मानी जाती है। मान्यता ये भी है कि कालसर्प दोष निवारण के लिए यह अमावस्या बेहद खास है।
फाल्गुन अमावस्या व्रत के नियम और पूजा-विधि
फाल्गुन अमावस्या पर रविवार का उपवास रखें।
फाल्गुन अमावस्या पर भगवान सूर्य को अर्घ्य अवश्य दें।
भ��वान सूर्य के 12 नामों का जाप सुबह के समय घी का दीपक जलाकर करें।
पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि पूजा-पाठ करें।
फाल्गुन अमावस्या पर पवित्र नदियों में देवी-देवताओं का निवास होता है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है।
इस दिन मौन व्रत रहने सर्वश्रेष्ठ फल मिलता है।
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पितरों को मोक्ष दिलाने वाली फाल्गुन अमावस्या आज, जानें तर्पण का सही तरीका
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महाशिवरात्रि के बाद मनाई जाने वाली फाल्गुन अमावस्या का शास्त्रों में अत्यधिक महत्व है। इस साल फाल्गुन अमावस्या 13 मार्च को पड़ रही है। फाल्गुन अमावस्या श्राद्ध और पितरों की तृप्ति के लिए भी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। आइए जानते हैं तर्पण का सही तरीका।
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फाल्गुन अमावस्या का महत्व
अमावस्या का दिन काफी पवित्र होता है और इस तिथि पर श्राद्ध कर्म करने का बहुत अधिक महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन देवतागण संगम तट पर वास करते हैं, इसलिए इस दिन प्रयाग में स्नान करना शुभ माना जाता है। अमावस्या के दिन इन आत्माओं के वंशज, सगे-संबंधी या कोई परिचित उनके लिए श्राद्ध, दान और तर्पण करके उन्हें आत्मशांति दिला सकते हैं। पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले दान, तर्पण, श्राद्ध आदि के लिए यह दिन बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है। कालसर्प दोष के निवारण के लिए भी इस अमावस्या का विशेष महत्व है। यह अमावस्या सुख, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी विशेष फलदायी है।
ऐसे करें तर्पण
फाल्गुन अमावस्या के दिन तर्पण के लिए सूर्योदय के समय उठकर स्नान कर लें। फिर सूर्य को जल अर्पण करें साथ ही ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र बोलें। इसके बाद तर्पण के लिए आसान पर बैठ जाएं। फिर जहां बैठे हैं उस स्थान को साफ कर पितरों का तर्पण शुरू करें। पितरों के तर्पण में तिल का खास महत्व बताया गया है। इसलिए पितृ तर्पण में तिल मिला हुआ जल का इस्तेमाल करना चाहिए। तर्पण पूरा होने के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन कराएं। भोजन के बाद अपनी क्षमतानुसार इन्हें दक्षिणा दें।
सबसे खास होती फाल्गुन अमावस्या
बता दें साल में 12 अमावस्या पड़ती है। वैसे तो हर अमावस्या तर्पण के लिए खास मानी गई है, लेकिन फाल्गुन मास की अमावस्या पितृ तर्पण के लिए शुभ मानी जाती है। मान्यता ये भी है कि कालसर्प दोष निवारण के लिए यह अमावस्या बेहद खास है।
फाल्गुन अमावस्या व्रत के नियम और पूजा-विधि
फाल्गुन अमावस्या पर रविवार का उपवास रखें।
फाल्गुन अमावस्या पर भगवान सूर्य को अर्घ्य अवश्य दें।
भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप सुबह के समय घी का दीपक जलाकर करें।
पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि पूजा-पाठ करें।
फाल्गुन अमावस्या पर पवित्र नदियों में देवी-देवताओं का निवास होता है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है।
इस दिन मौन व्रत रहने सर्वश्रेष्ठ फल मिलता है।
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आज है फाल्गुन अमावस्या, जानिए व्रत का महत्व, नियम और पूजा-विधि
चैतन्य भारत न्यूज
फाल्गुन माह में पड़ने वाली अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहते हैं। इसे हिंदू धर्म काफी खास माना गया है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान, तर्पण और श्राद्ध किया जाता हैं। इस बार फाल्गुन अमावस्या 23 फरवरी, रविवार के दिन पड़ रही है। आइए जानते हैं फाल्गुन अमावस्या का महत्व और पूजा विधि।
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फाल्गुन अमावस्या का महत्व
अमावस्या का दिन काफी पवित्र होता है और इस तिथि पर श्राद्ध कर्म करने का बहुत अधिक महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन देवतागण संगम तट पर वास करते हैं, इसलिए इस दिन प्रयाग में स्नान करना शुभ माना जाता है। अमावस्या के दिन इन आत्माओं के वंशज, सगे-संबंधी या कोई परिचित उनके लिए श्राद्ध, दान और तर्पण करके उन्हें आत्मशांति दिला सकते हैं। पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले दान, तर्पण, श्राद्ध आदि के लिए यह दिन बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है। कालसर्प दोष के निवारण के लिए भी इस अमावस्या का विशेष महत्व है। यह अमावस्या सुख, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी विशेष फलदायी है।
फाल्गुन अमावस्या व्रत के नियम और पूजा-विधि
फाल्गुन अमावस्या पर रविवार का उपवास रखें।
फाल्गुन अमावस्या पर भगवान सूर्य को अर्घ्य अवश्य दें।
भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप सुबह के समय घी का दीपक जलाकर करें।
पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि पूजा-पाठ करें।
फाल्गुन अमावस्या पर पवित्र नदियों में देवी-देवताओं का निवास होता है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है।
इस दिन मौन व्रत रहने सर्वश्रेष्ठ फल मिलता है।
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पितरों को मोक्ष दिलाती है फाल्गुन अमावस्या, जानें तर्पण का सही तरीका
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महाशिवरात्रि के बाद मनाई जाने वाली फाल्गुन अमावस्या का शास्त्रों में अत्यधिक महत्व है। इस साल फाल्गुन अमावस्या 23 फरवरी 2020 रविवार को पड़ रही है। फाल्गुन अमावस्या श्राद्ध और पितरों की तृप्ति के लिए भी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। आइए जानते हैं तर्पण का सही तरीका।
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ऐसे करें तर्पण
फाल्गुन अमावस्या के दिन तर्पण के लिए सूर्योदय के समय उठकर स्नान कर लें। फिर सूर्य को जल अर्पण करें साथ ही ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र बोलें। इसके बाद तर्पण के लिए आसान पर बैठ जाएं। फिर जहां बैठे हैं उस स्थान को साफ कर पितरों का तर्पण शुरू करें। पितरों के तर्पण में तिल का खास महत्व बताया गया है। इसलिए पितृ तर्पण में तिल मिला हुआ जल का इस्तेमाल करना चाहिए। तर्पण पूरा होने के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन कराएं। भोजन के बाद अपनी क्षमतानुसार इन्हें दक्षिणा दें।
सबसे खास होती फाल्गुन अमावस्या
बता दें साल में 12 अमावस्या पड़ती है। वैसे तो हर अमावस्या तर्पण के लिए खास मानी गई है, लेकिन फाल्गुन मास की अमावस्या पितृ तर्पण के लिए शुभ मानी जाती है। मान्यता ये भी है कि कालसर्प दोष निवारण के लिए यह अमावस्या बेहद खास है।
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फाल्गुन अमावस्या के दिन तर्पण के लिए सूर्योदय के समय उठकर स्नान कर लें। फिर सूर्य को जल अर्पण करें साथ ही ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र बोलें। इसके बाद तर्पण के लिए आसान पर बैठ जाएं। फिर जहां बैठे हैं उस स्थान को साफ कर पितरों का तर्पण शुरू करें। पितरों के तर्पण में तिल का खास महत्व बताया गया है। इसलिए पितृ तर्पण में तिल मिला हुआ जल का इस्तेमाल करना चाहिए। तर्पण पूरा होने के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन कराएं। भोजन के बाद अपनी क्षमतानुसार इन्हें दक्षिणा दें।
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