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satyam-mathematics · 4 years ago
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1.मिलिए नासा हेलीकॉप्टर इंजीन्यूटी के चीफ इंजीनियर जे बाॅब बलराम से (Meet J Bob Balaram Chief Engineer NASA),भारतीय डाॅ. जे. बाॅब बलराम जिनके हाथों में है नासा हेलीकॉप्टर इंजीन्यूटी की कमान (Indian Dr J Bob Balaram who hold command of NASA Helicopter Ingenuity)-
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मिलिए नासा हेलीकॉप्टर इंजीन्यूटी के चीफ इंजीनियर जे. बाॅब बलराम से (Meet J Bob Balaram Chief Engineer NASA) जिनके हाथों में है नासा हेलीकॉप्टर इंजीन्यूटी की कमान।
मंगल ग्रह पर सफल लैंडिंग के बाद नासा का इंजीन्यूटी हेलीकॉप्टर एक के बाद एक कीर्तिमान स्थापित करता जा रहा है।
मंगल ग्रह पर लैंड करनेवाला यह ऐसा पहला रोटर क्राफ्ट है  जो कि पिछले दिनों से लगातार चर्चा में है।यह हेलीकॉप्टर अपनी सर्द (ठंडी) रात काट चुका है जो कि नासा के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि तथा सफलता है।सफलता इसलिए है क्योंकि मंगल ग्रह की रात बहुत ठंडी होती है। यहां के सतह का तापमान रात को -90°C तक गिर जाता है।
सबसे खास बात यह है कि इस मिशन में रोवर के साथ भेजे गए हेलीकॉप्टर की कमान एक भारतीय के हाथों में है। भारतीय मूल के जे. जाॅब बलराम ही वह इंजीनियर है जिन्होंने हेलीकॉप्टर इंजेन्यूटी का कांसेप्ट दिया।अब इस मिशन की टीम को भी वे लीड कर रहे हैं।
जे.बाॅब बलराम ने आईआईटी मद्रास से 1980 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था।उसके पश्चात वे उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए थे।
1982 में जे. बाॅब बलराम ने अमेरिका के रेंससिलर पॉलिटेक्निक इंस्टिट्यूट से कंप्यूटर एंड सिस्टम इंजीनियरिंग में अपना पोस्ट ग्रेजुएशन किया और पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद पीएचडी की तैयारी शुरू कर दी।
वर्तमान समय में जे.बाॅब बलराम मार्स हेलीकॉप्टर इंजेंविनिटी के चीफ इंजीनियर है।नासा के मीट द मार्सियन पेज पर दी गई जानकारी के मुताबिक वे नासा में इंजेंवीनिटी के लिए एंटी,डिसेंट और लैंडिंग यानी ईडीएल सिम्यूलेटर को डेवलप करने वाली टीम को लीड कर रहे हैं।
भारतीय मूल के लोगों ने अमेरिका में रहकर वहां के विकास में अपना पूर्ण योगदान दिया है।चाहे राजनीतिक,आर्थिक,विज्ञान,तकनीकी अथवा कोई क्षेत्र हो उसमें अपनी प्रतिभा का पूर्ण उपयोग करते हुए अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी है।
हम यहां कुछ ऐसी प्रतिभाओं का विशेष रूप से उल्लेख करना चाहते हैं।पहली प्रतिभा कविता चावला जो हरियाणा करनाल से सम्बन्ध रखती है।एक अंतरिक्ष अभियान के दौरान वापिस लौटते समय उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उनकी मृत्यु हो गई थी।
दूसरी प्रतिभा है सुनीता विलियम्स जो कि भारतीय मूल की हैं।उन्होंने भी अंतरिक्ष अभियान में अपना विशिष्ट योगदान दिया है।
दरअसल अन्य देशों की प्रतिभाएं जब दूसरे देश में जाती हैं तो दो सबसे महत्वपूर्ण बातें होती हैं जिनका उनको पालन करना चाहिए।प्रथम बात है उस देश की नागरिकता ग्रहण करना और दूसरी बात है देश के लिए समर्पित भाव से कार्य करना।
भारतीय प्रतिभाएं अमेरिका अथवा अन्य किसी भी देश में जाती है तो इन दोनों बातों का आवश्यक रूप से पालन करते हैं।वहां की गोपनीय बातों की जासूसी करना,उस देश को तोड़ने की गतिविधि में शामिल होना,उत्पात करना अथवा विद्रोह करना जैसी बातें भारतीयों प्रतिभाओं में नहीं पाई जाती है।इसी कारण भारतीय प्रतिभाएं अन्य देशों में जाती है तो वहां की टॉप लीडरशिप का जल्दी ही विश्वास अर्जित कर लेती है और कई महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्त हो जाती है।
अभी हाल ही में अमेरिका में उपराष्ट्रपति के पद पर नियुक्त कमला हैरिस भी भारतीय मूल की है।
इसी क्रम में भारतीय मूल के डॉक्टर जे. बाॅब बलराम (Meet J Bob Balaram Chief Engineer NASA)भी उन्हीं परंपराओं को निभा रहे हैं।इन ��्रतिभाओं को प्रसिद्ध तब मिलती है जब उन्होंने किसी विशिष्ट पद पर नियुक्त होकर कोई उत्कृष्ट कार्य किया हो अन्यथा भारतीय प्रतिभाएं लाइमलाइट तथा प्रसिद्धि से दूर रहती है।उनमें प्रसिद्धि पाने की तथा अपने आपको चमकाने की लालसा नहीं होती है।उन पर भारतीय संस्कृति का गहरा प्रभाव रहता है।वे अपना कार्य शांतिपूर्ण तरीके से करते रहते हैं।
उपर्युक्त विवरण में मिलिए नासा हेलीकॉप्टर इंजीन्यूटी के चीफ इंजीनियर जे बाॅब बलराम से (Meet J Bob Balaram Chief Engineer NASA),भारतीय डाॅ. जे. बाॅब बलराम जिनके हाथों में है नासा हेलीकॉप्टर इंजीन्यूटी की कमान (Indian Dr J Bob Balaram who hold command of NASA Helicopter Ingenuity) के बारे में बताया गया है।
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bbcbreakingnews · 4 years ago
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From UP to Karnataka, 12 desis drive Nasa’s Mars mission
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MELBOURNE: It took nearly two decades for Bob Balaram’s idea to take off. Sometime in the 1990s, Balaram, along with a Stanford professor, had proposed a “helicopter for Mars”. Seeing it through, however, was not possible. The technology just did not exist. A chance occurrence seven years ago, the director of Nasa’s Jet Propulsion Laboratory (JPL) attending a talk on drones, led to a question he had the answer to — could drones fly on Mars? “Someone remembered I had attempted this in the 1990s and recommended me. My team and I had eight weeks to prepare a proposal which led to some initial study money, which has now grown into this bold effort — the first helicopter on Mars, Ingenuity,” Balaram told TOI a week after Perseverance, Nasa’s latest Mars rover, landed successfully. While working on his part for the Mars 2020 mission, he would often run into Swati Mohan, the guidance, navigation and controls lead. “We practise Kannada when we meet in the hallway,” he said. On the Perseverance team alone, there are at least 12 Indian-origin scientists at work, eight of whom are women. There is Vandana Verma, who could take the rover out for a spin on Mars next week. There’s deputy team chief of engineering operations for Perseverance rover, Nagin Cox. The former US Air Force officer was born in Bengaluru, grew up in Malaysia and the US, and has been a spacecraft operations engineer at Nasa/JPL for over 20 years. The avionics domain lead — which means overseeing the electronic systems for communication, navigation, display on board the spacecraft — was Yogita Shah, an electrical engineer from Aurangabad who went on to become a flight systems engineer with Nasa JPL. Developing software as the activity planning and sequencing subsystem lead was Usha Guduri, a BITS Pilani alumnus. With over 18 years in software development, Guduri had earlier worked for Cassini (the fourth probe to Saturn) and Dawn (the first mission to orbit a dwarf planet). Leading the effort to test SuperCam, that will analyse composition of Martian rocks, was Vishnu Sridhar. Among those testing part of the ground data systems was Kavita Kaur from Chandigarh. Zooming in on the trajectory the spacecraft took during entry, descent and landing was Soumyo Dutta, an aerospace engineer. The motor control assembly during descent of the spacecraft was the responsibility of Priyanka Srivastava, a systems engineer who studied in Lucknow and Punjab before working on three Nasa flight missions. For the software for motor control assembly, another systems engineer, Shivali Reddy, was on board. Finally, helping the automated system to collect and manage space material is Neel Patel, also a systems engineer. (With inputs from Srinivas Laxman in Mumbai)
source https://bbcbreakingnews.com/2021/02/27/from-up-to-karnataka-12-desis-drive-nasas-mars-mission/
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