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vyapartalks · 10 months ago
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kisanofindia · 1 year ago
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सरसों की खेती (Mustard Farming): उचित पैदावार के लिए सरसों की उन्नत किस्म और रोग नियंत्रण पर ख़ास ध्यान दें
जानिए क्या है सरसों की खेती की तकनीक और कैसे होगी ज़्यादा कमाई?
सरसों की खेती की उन्नत तकनीकें अपनायी जाएँ तो किसान अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं। कीटों और बीमारियों से रबी की तिलहनी फसलों को सालाना 15-20 प्रतिशत तक नुकसान पहुँचाता है। कभी-कभार ये कीट उग्र रूप धारण कर लेते हैं तथा फसलों को अत्याधिक हानि पहुँचाते हैं। इसीलिए सरसों या तिलहनी फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाना बेहद ज़रूरी है।
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सरसों की खेती (Mustard Farming): सरसों रबी में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है। इसकी खेती सिंचित और असिंचित यानी बारानी खेतों में संरक्षित नमी के ज़रिये की जाती है। देश के सरसों उत्पादन में राजस्थान का प्रमुख स्थान है। पश्चिमी क्षेत्र के राज्यों का देश के कुल सरसों उत्पादन में 29 प्रतिशत योगदान है। सरसों की औसत उपज काफ़ी कम यानी महज 7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
अगर सरसों की खेती की उन्नत तकनीकें अपनायी जाएँ तो औसत पैदावार 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर यानी दो से ढाई गुना ज़्यादा मिल जाती है। ये भी माना गया है कि असिंचित क्षेत्रों में सरसों की पैदावार 20 से 25 क्विंटल तक तथा सिंचित क्षेत्रों में 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है।
क्या है सरसों की खेती की उन्नत तकनीक?
एक ही खेत में लगातार सरसों की फसल नहीं उगाना चाहिए।
कीट प्रबन्धन: सरसों की खेती में कीटों का प्रकोप पूरे देश में पाया जाता है। सरसों की पैदावार को घटाने में कीटों की बड़ी भूमिका होती है। मेरठ स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के अनुसार, कीटों और बीमारियों से रबी की तिलहनी फसलों को सालाना 15-20 प्रतिशत तक नुकसान पहुँचाता है। इससे किसान बहुत हतोत्साहित होते हैं। बेमौसम की बारिश से बढ़ने वाली नमी और धूप के कमी की वजह से सरसों की फसल में लगने वाले कीट तेज़ी से फैलते हैं। कभी-कभार ये कीट उग्र रूप धारण कर लेते हैं तथा फसलों को अत्याधिक हानि पहुँचाते हैं। इसीलिए सरसों या तिलहनी फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाना बेहद ज़रूरी है।
फसल चक्र: खरपतवार के टिकाऊ उपचार में फसल चक्र अपनाने से बहुत फ़ायदा होता है। फसल चक्र का अधिक पैदावार प्राप्त करने, मिट्टी का उपजाऊपन बनाये रखने तथा बीमारियों और कीट से रोकथाम में भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। मूँग-सरसों, ग्वार-सरसों, बाजरा-सरसों जैसे एक वर्षीय फसल चक्र तथा बाजरा-सरसों-मूँग/ग्वार-सरसों का दो वर्षीय फसल चक्र में उपयोग करना बेहद लाभकारी साबित होता है। बारानी इलाकों में जहाँ सिर्फ़ रबी में फसल ली जाती हो वहाँ सरसों के बाद चना उगाया जा सकता है।
सरसों की खेती के लिए उन्नत किस्मों का ही इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और उत्पादकता बेहतर होती है।
सरसों की खेती के साथ यदि किसान उन सावधानियों का ध्यान रखें जिससे उनके खेत में ही अगली फसल के लिए उन्नत किस्म के बीजों की पैदावार हो सके तो ये तरीका और फ़ायदेमन्द साबित होता है।
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बीज उत्पादन
प्रगतिशील किसान कुछ सावधानियाँ रखकर सरसों का बीज अपने खेतों में ही पैदा कर सकते हैं। बीज उत्पादन के लिए ऐसी भूमि का चुनाव करना चाहिए, जिसमें पिछले साल सरसों की खेती नहीं की गयी हो। यहाँ तक कि खेत के चारों ओर 200 से 300 मीटर की दूरी तक सरसों की फसल नहीं होनी चाहिए। सरसों की खेती के लिए प्रमुख कृषि क्रियाएँ, फसल सुरक्षा, अवांछनीय पौधों को निकालना तथा उचित समय पर कटाई की जानी चाहिए।
फसल की कटाई के वक़्त खेत को चारों ओर से 10 मीटर क्षेत्र छोड़ते हुए बीज के लिए लाटा काटकर अलग से सुखाना चाहिए तथा दाना निकालकर उसे साफ़ करके ग्रेडिंग करना चाहिए। दाने में नमी 8-9 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। बीज को कीट और कवकनाशी से उपचारित कर लोहे के ड्रम या अच्छी किस्म के बोरों में भरकर सुरक्षित जगह पर भंडारित करना चाहिए। ऐसे बीज को किसान अगले साल बुआई के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
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dpnewsmedia24 · 9 days ago
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मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजनान्तर्गत पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित
**DP NEWS MEDIA**राज्य सरकार दे रही पशुपालकों को संबल, निःशुल्क होगा पशुओं का बीमाबालोतरा। प्रदेश में समस्त जनाधार कार्ड धारक पशुपालकों के मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजनान्तर्गत पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किए जा रहे है।मुख्यमंत्री  भजन लाल शर्मा ने प्रदेश के पशुपालकों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनके अमूल्य पशुधन का बीमा कर पशुपालकों को वित्तीय सुरक्षा एवं आर्थिक सुदृढ़ीकरण प्रदान करने के…
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umangharyana · 17 days ago
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मौसम को मात देने वाली किस्में: उन्नत बीजों से किसानों की उपज बढ़ाने की योजना
Ministry of agriculture: जलवायु परिवर्तन के असर के चलते मौसम में आए बदलाव ने कृषि क्षेत्र को खासा प्रभावित किया है। बारिश के अन���यमित पैटर्न, अत्य���िक गर्मी और ठंड, तथा सूखा और बाढ़ जैसी घटनाओं ने किसानों के लिए बहुत सी चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए सरकार ने एक बड़ी पहल शुरू की है, जिसमें गेहूं और अन्य फसलों की उन्नत किस्मों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री…
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news-trust-india · 4 months ago
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Agriculture and Horticulture Department : मुख्यमंत्री धामी ने की कृषि और उद्यान विभाग की समीक्षा
देहरादून : Agriculture and Horticulture Department  मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सचिवालय में कृषि और उद्यान विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य में किसानों की आर्थिकी को और तेजी से बढ़ाने की दिशा में प्रभावी प्रयास किये जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ एक पैकेज के रूप में मिले। केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित…
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hindinewsmanch · 1 year ago
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Capsicum Farming: शिमला मिर्च की खेती से सिर्फ 2 महीने में करें 4 लाख की कमाई
Capsicum Farming:  एक जमाना था जब शिमला मिर्च सिर्फ सब्जी तक सीमित थी, ज्यादा से ज्यादा उसे भरवा शिमला मिर्च के रूप में बना लिया जाता था।, लेकिन आज शिमला मिर्च होटल संस्कृति के कॉन्टिनेंटल खाने से जुड़कर घर से लेकर रेस्टोरेंट तक और रेस्टोरेंट से लेकर 5 सितारा तक भारतीय खाने की शान बन चुकी है। शिमला मिर्च को अब हम सब्जियों में ताज कह सकते हैं क्योंकि आप कोई भी व्यंजन ले उसमें शिमला मिर्च का स्वाद किसी ना किसी रूप में जोड़ा ही जा रहा है। चाहे वह नूडल हो या आप के नाश्ते के खाने की टेबल पर अन्य कोई व्यंजन उसमें शिमला मिर्च जीरे की तरह भूमिका निभा रही है। शिमला मिर्च के बढ़ते इस्तेमाल के कारण भारत से विदेशों तक शिमला मिर्च की मांग बड़ी है।  यही नहीं उसके दाम भी हम देखकर हैरत में रह जाते हैं। उफ्फ शिमला मिर्च इतनी महंगी!
लेकिन अब आप Capsicum Farming से मोटी कमाई के बारे में इसकी खेती करके धनवान बनने की सारी जानकारी हम आपको दे रहे हैं । . शिमला मिर्च के पौधे बीज से लेकर उसकी खेती तक और सेहत के लिए लाभप्रद होने तक सब कुछ जाने बैठे-बिठाए हमारे कुछ खास टिप्स और शिमला चर्चा के साथ। कहां कहां होता है शिमला मिर्च का उत्पादन शिमला मिर्च की खेती से पहले हम यह जान ले शिमला मिर्च का उत्पादन मुख्यत हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक आदि राज्यों में सफलतापूर्वक किया जा रहा है।  देश के 21 राज्यों में शिमला मिर्च की खेती और उसके हरे-भरे खेत देखे जा सकते हैं और घर आंगन बगीचे में भी इसका उत्पादन बहुत ही शौक से किया जा रहा है। शिमला मिर्च बोने का समय शिमला मिर्च की बुवाई वर्ष में तीन बार खेत में की जा सकती है।  पहले खेत में जून जुलाई दूसरी, खेत  में अगस्त सितंबर और तीसरे में अक्टूबर नवंबर में हम शिमला मिर्च की बुवाई कर सकते हैं और इस समय अगस्त का महीना शिमला मिर्च की बुवाई के लिए सर्वोत्तम है.
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factober · 1 year ago
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सनफ्लॉवर / सूरजमुखी रोचक तथ्य| #हिंदी में #रोचक #तथ्य | Sunflower Fact
सनफ्लॉवर / सूरजमुखी रोचक तथ्य| #हिंदी  में #रोचक #तथ्य  | Sunflower Fact #Sunflowers #sunflower #SunflowerLand #agriculture #agriculturetwt #farming #farmingforlove #agro #सनफ्लॉवर #सूरजमुखी https://youtu.be/0FmaVvah2Xs via @YouTube 
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kadaknewstoday · 2 years ago
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कमोडिटी बाजार भाव भविष्य 2023: गेहूं बाजरा मक्की तुवर चना मसूर मटर मूंग उड़द राजमा चावल तेजी मंदी की लेटेस्ट रिपोर्ट
कमोडिटी बाजार भाव भविष्य 2023: गेहूं बाजरा मक्की तुवर चना मसूर मटर मूंग उड़द राजमा चावल तेजी मंदी की लेटेस्ट रिपोर्ट
कमोडिटी बाजार भाव भविष्य 2023: देश में मौजूदा समय में चल रहे विभिन्न कृषि जिंसों जैसे गेहूं, बाजरा, मक्की, तुवर, चना, मसूर, मटर, मूंग, उड़द, राजमा और चावल इत्यादि प्रमुख फसलों का बाजार भाव और तेजी मंदी की लेटेस्ट अनुमानित रिपोर्ट यहाँ प्रकाशित की जा रही है। आइये एक नजर में डालें गेहूं की फसल पर मौसम की चौतरफा मार एमपी यूपी में फसल तैयार होने को है, लेकिन लगातार बरसात एवं ओले से कहीं-कहीं फसलों…
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gkfarming · 1 year ago
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Haryana was part of the Kuru Kingdom during the Vedic era during 1200 BCE.
Haryana has been inhabited since the pre-historic period. Haryana was part of the Indus Valley civilization during the Bronze Age period. The ancient sites of Rakhigarhi and Bhirrana are some of the oldest Indus Valley civilization sites.(5) Haryana was part of the Kuru Kingdom during the Vedic era during 1200 BCE.(6)(7)(8) The area now Haryana has been ruled by some of the major empires of India. The Pushyabhuti dynasty ruled the region in the 7th century, with its capital at Thanesar. Harsha was a prominent king of the dynasty.(9) The Tomara dynasty ruled the region from 8th to 12th century. The Chahamanas of Shakambhari defeated them in the 12th century.(10)
Harsha Ka Tila mound, ruins from the reign of 7th century ruler Harsha.
Lal kot built by Anangpal Tomar in 1052
Portrait of Hem Chandra Vikramaditya, who fought and won across North India from the Punjab to Bengal, winning 22 straight battles.(11)
In 1192, Chahamanas were defeated by Ghurids in Second Battle of Tarain.(10) In 1398, Timur attacked and sacked the cities of Sirsa, Fatehabad, Sunam, Kaithal and Panipat.(12)(13) In the First Battle of Panipat (1526), Babur defeated the Lodis. Hem Chandra Vikramaditya claimed royal status after defeating Akbar's Mughal forces on 7 October 1556 in the Battle of Delhi. In the Second Battle of Panipat (1556), Akbar defeated the local Haryanvi Hindu Emperor of Delhi, who belonged to Rewari. Hem Chandra Vikramaditya had won 22 battles across India from Punjab to Bengal, defeating the Mughals and Afghans. Hemu had defeated Akbar's forces twice at Agra and the Battle of Delhi in 1556 to become the last Hindu Emperor of India with a formal coronation at Purana Quila in Delhi on 7 October 1556. In the Third Battle of Panipat (1761), the Afghan king Ahmad Shah Abdali defeated the Marathas.(14)
In 1966, the Punjab Reorganisation Act (1966) came into effect, resulting in the creation of the state of Haryana on 1 November 1966.(15)
Distribution
Haryanvis within Haryana
See also: Demography of Haryana
The main communities in Haryana are Gujjar, Jat, Brahmin, Agarwal, Ahir, Chamar, Nai, Ror,Rajput, Saini, Kumhar, Bishnoi etc.(16) Punjabi khatri and Sindhi refugees who migrated from Pakistan had settled in large numbers in Haryana and delhi.
Haryanvi diaspora overseas
(icon)
This section needs expansion. You can help by adding to it. (July 2021)
See also: Indian disaspora overseas
There is increasingly large diaspora of Haryanvis in Australia, Canada, Singapore, New Zealand, Saudi Arabia, UAE, UK, USA, etc.
In Australia, the community lives mainly in Sydney and Melbourne, has set up Association of Haryanvis in Australia (AHA) which organise events.(17)
In Singapore, the community has set up the Singapore Haryanvi Kunba organisation in 2012 which also has a Facebook group of same name. Singapore has Arya Samaj and several Hindu temples.
Culture
Main article: Haryanvi culture
Language
Main article: Haryanvi language
Haryanvi, like Khariboli and Braj is a branch of the Western Hindi dialect, and it is written in Devanagari script.(18)
Folk music and dance
Main article: Music of Haryana
Folk music is integral part of Haryanvi culture. Folk song are sung during occasion of child birth, wedding, festival, and Satsang (singing religious songs).(2) Some haryanvi folk songs which are sung by young woman and girls are Phagan, katak, Samman, Jatki, Jachcha, Bande-Bandee, Santhene. Some songs which are sung by older women are Mangal geet, Bhajan, Sagai, bhat, Kuan pujan, Sanjhi and Holi. Folk songs are sung in Tar or Mandra stan.(19) Some dances are Khoriya, Chaupaiya, Loor, Been, Ghoomar, Dhamal, Phaag, Sawan and Gugga.(19)
Cuisine
Haryana is agricultural state known for producing foodgrains such as wheat, barley, pearl millet, maize, rice and high-quality dairy. Daily village meal in Haryana consist of a simple thali of roti, paired with a leafy stir-fry (saag in dishes such as gajar methi or aloo palak), condiments such as chaas, chutney, pickles. Some known Haryanvi dishes are green choliya (green chickpeas), bathua yogurt, bajre ki roti, sangri ki sabzi (beans), kachri ki chutney (wild cucumber) and bajre ki khichdi. Some sweets are panjiri and pinni prepared by unrefined sugar like bura and shakkar and diary. Malpua are popular during festivals.(20)
Clothes
See also: History of clothing in the Indian subcontinent and History of Textile industry in India
Traditional attire for men is turban, shirt, dhoti, jutti and cotton or woollen shawl. Traditional attire for female is typically an orhna (veil), shirt or angia (short blouse), ghagri (heavy long skirt) and Jitti. Saris are also worn. Traditionally the Khaddar (coarse cotton weave cloth) is a frequently used as the fabric.(21)(22)
Cinema
See also: Haryanvi cinema and List of Haryanvi-language films
The First movie of Haryanvi cinema is Dharti which was released in 1968. The first financially successful Haryanvi movie was Chandrawal (1984) which spurted the continuing production of Haryanvi films, although none have been as successful.(23) Other films such as Phool Badan and Chora Haryane Ka followed with only about one out of twelve films being profitable at the box office.(23) In 2000, Aswini Chowdhary won the Indira Gandhi Award for Best Debut Film of a Director at the National Film Awards for the Haryanvi film Laddo.(24) In 2010 the government of Haryana announced they were considering establishing a film board to promote Haryanvi-language films.(25)
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werindialive · 26 days ago
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UP Farmers’ Protest March from Noida to Delhi: Key Demands and Impact 
Farmers from Uttar Pradesh, under the banner of the Bhartiya Kisan Parishad (BKP) and allied groups such as the Kisan Mazdoor Morcha (KMM) and Samyukt Kisan Morcha (SKM), launched a protest march today from Noida towards the Parliament complex in Delhi. The march coincides with the ongoing Winter Session of Parliament and aims to press the government for urgent action on their key demands related to compensation and benefits under the revised agricultural laws. This is the top news headline today!
Key Demands
1. Enhanced Compensation: Farmers are demanding 64.7% increased compensation under the old acquisition law, equating to four times the market rate, and an allocation of 10% plots.
2. Compensation for Post-2014 Land Acquisitions: For lands acquired after January 1, 2014, they seek 20% plot allocations and appropriate compensation.
3. Employment and Rehabilitation for Landless Farmers: They urge employment and resettlement benefits for children of landless farmers.
4. Implementation of High Power Committee Orders: Farmers are pressing for the government to issue binding orders on recommendations made by the High Power Committee.
5. Settlement of Populated Areas: Proper resolutions are sought for families residing in affected areas.
Security and Traffic Impact
Authorities in Delhi and Uttar Pradesh have imposed strict security measures, including barricades at Noida-Delhi border points, to manage the march and prevent a potential escalation. Intensive vehicle checks and multiple route diversions have been implemented, causing significant disruptions across the National Capital Region (NCR).
Notable traffic diversions include:
· Commuters from Chilla Border to Greater Noida are redirected via Sector 14A Flyover and Sector 15.
· Travelers from DND Border to Delhi must use the Film City Flyover route.
· Vehicles from Greater Noida to Delhi are routed through Kalindi Kunj and Sector 51.
The authorities have urged commuters to opt for metro services to avoid delays and announced exemptions for ambulances and other emergency vehicles.
Protest Details
Led by BKP leader Sukhbir Khalifa, the march began near Mahamaya Flyover in Noida at 12 PM, with participants arriving on foot and tractors. Farmers from over 20 districts, including Gautam Buddh Nagar, Agra, and Aligarh, are actively participating in the agitation.
The protest reflects the growing unrest among farmers regarding compensation and land acquisition policies. While government officials have yet to comment formally, the farmers have warned of escalating their demonstrations if their demands remain unaddressed.
This renewed agitation underscores the need for prompt action to address farmers’ grievances while ensuring minimal disruption to daily life in the NCR.
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vyapartalks · 11 months ago
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Latest Kheti Kisani Subsidy News in Hindi – vyapartalks
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dpnewsmedia24 · 3 months ago
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कृषि विभाग ने बैठक कर कृषि आदान विक्रेताओं को दिये आवश्यक दिशा निर्देश
डेस्क न्यूज़/डीपी न्यूज मीडिया बालोतरा। सोमवार को संयुक्त निदेशक कृषि डॉ. प्रमोद कुमार यादव की अध्यक्षता में पंचायत समिति परिसर कार्यालय में कृषि आदान विक्रेताओं के साथ बैठक का आयोजन किया गया।बैठक की अध्यक्षता करते हुए संयुक्त निदेशक कृषि डॉ. प्रमोद कुमार यादव ने उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985, बीज नियंत्रण आदेश 1983 एव कीटनाशी अधिनियम 1968  को विस्तार से समझाया।सहायक निदेशक कृषि पदम सिंह भाटी ने…
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umangharyana · 21 days ago
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गेहूं की खेती में कॉपर की कमी से बचाव: जानिए फसल को स्वस्थ रखने के उपाय
Wheat Crop : गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए यह जानना जरूरी है कि फसल में कॉपर (तांबा) की कमी से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। कॉपर पौधों की वृद्धि और विकास में अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी के कारण पौधों में प्रोटीन निर्माण बाधित हो सकता है और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। इसका सीधा असर फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर पड़ता है। कॉपर की कमी के लक्षण गेहूं की फसल में कॉपर की कमी…
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news365timesindia · 2 months ago
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[ad_1] Russia’s First Deputy Prime Minister Denis Manturov, emphasized the robust growth in trade between the two countries at the 25th India-Russia Intergovernmental Commission session held in the capital on Tuesday. Highlighting India as Russia’s second-largest economic partner, Manturov pointed to a fivefold increase in trade over the past five years and noted a further nine percent growth in 2024 during the first eight months. Addressing officials and business representatives, Manturov stressed the role of large-scale events in fostering economic collaboration. He stated, “allow to rhythmically expand the growth rates of trade turnover in accordance to fashion,” suggesting that exhibitions and congresses could help sustain this momentum. In his remarks, Manturov praised the diversification of trade items. Russia’s traditional exports to India include energy products and mineral fertilizers, while agricultural exports, such as sunflower and soybean oil, are on the rise. Meanwhile, Indian exports to Russia feature industrial machinery, pharmaceuticals, and components. To address trade imbalances, Manturov outlined a roadmap for cooperation through 2030 aimed at broadening the range of exchanged goods and services. Looking to future initiatives, Manturov confirmed Russia’s intent to finalize major agreements, including a Free Trade Agreement between the Eurasian Economic Union (EEU) and India. “We confirm our strong commitment on signing the Free Trade Agreement between the EEU and India, as well as the bilateral agreement on services and investments,” he affirmed. रूस भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच FTA के लिए ‘दृढ़ता से प्रतिबद्ध’ है – प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव pic.twitter.com/Hi2tFBMamr — RT Hindi (@RT_hindi_) November 12, 2024 External Affairs Minister S. Jaishankar joined the session, with discussions focused on evaluating the progress of ongoing projects and identifying new areas of cooperation. Co-chaired a productive and wide ranging 25th meeting of the India-Russia Intergovernmental Commission in Delhi. Thank my co-chair First DPM Denis Manturov and our delegations for their contribution. Our deliberations covered the complimentary and beneficial economic and… pic.twitter.com/J5W0deSzX2 — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 12, 2024 Click here for Latest Fact Checked News On NewsMobile WhatsApp Channel For viral videos and Latest trends subscribe to NewsMobile YouTube Channel and Follow us on Instagram [ad_2] Source link
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news365times · 2 months ago
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[ad_1] Russia’s First Deputy Prime Minister Denis Manturov, emphasized the robust growth in trade between the two countries at the 25th India-Russia Intergovernmental Commission session held in the capital on Tuesday. Highlighting India as Russia’s second-largest economic partner, Manturov pointed to a fivefold increase in trade over the past five years and noted a further nine percent growth in 2024 during the first eight months. Addressing officials and business representatives, Manturov stressed the role of large-scale events in fostering economic collaboration. He stated, “allow to rhythmically expand the growth rates of trade turnover in accordance to fashion,” suggesting that exhibitions and congresses could help sustain this momentum. In his remarks, Manturov praised the diversification of trade items. Russia’s traditional exports to India include energy products and mineral fertilizers, while agricultural exports, such as sunflower and soybean oil, are on the rise. Meanwhile, Indian exports to Russia feature industrial machinery, pharmaceuticals, and components. To address trade imbalances, Manturov outlined a roadmap for cooperation through 2030 aimed at broadening the range of exchanged goods and services. Looking to future initiatives, Manturov confirmed Russia’s intent to finalize major agreements, including a Free Trade Agreement between the Eurasian Economic Union (EEU) and India. “We confirm our strong commitment on signing the Free Trade Agreement between the EEU and India, as well as the bilateral agreement on services and investments,” he affirmed. रूस भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच FTA के लिए ‘दृढ़ता से प्रतिबद्ध’ है – प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव pic.twitter.com/Hi2tFBMamr — RT Hindi (@RT_hindi_) November 12, 2024 External Affairs Minister S. Jaishankar joined the session, with discussions focused on evaluating the progress of ongoing projects and identifying new areas of cooperation. Co-chaired a productive and wide ranging 25th meeting of the India-Russia Intergovernmental Commission in Delhi. Thank my co-chair First DPM Denis Manturov and our delegations for their contribution. Our deliberations covered the complimentary and beneficial economic and… pic.twitter.com/J5W0deSzX2 — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 12, 2024 Click here for Latest Fact Checked News On NewsMobile WhatsApp Channel For viral videos and Latest trends subscribe to NewsMobile YouTube Channel and Follow us on Instagram [ad_2] Source link
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newsonradar001 · 2 months ago
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