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किस्सा कुछ यूं: 46 साल पहले इस एक फैसले के बाद देश में लगा था आपातकाल, इंदिरा गांधी को पाया गया था दोषी
चैतन्य भारत न्यूज 46 साल पहले आयरन लेडी कही जाने वालीं भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल/इमरजेंसी लगा दी थी। 25 जून, 1975 की आधी रात को लगा आपातकाल 21 महीनों तक यानी 21 मार्च, 1977 तक लगा रहा। 25 जून और 26 जून की मध्य रात्रि में ही तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर होने के साथ ही देश में पहला आपातकाल लागू हो गया था। आपातकाल लगने की अगली सुबह पूरे देश ने रेडियो पर इंदिरा की आवाज में संदेश सुना था कि, 'भाइयो और बहनो, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है।' आइए जानते हैं आपातकाल से जुड़ीं कुछ खास बातें- आपातकाल लगने के पीछे की सबसे बड़ी वजह 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला बताया जाता है। यह फैसला 12 जून 1975 को दिया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी म��ीनरी का दुरुपयोग करने में इंदिरा गांधी को दोषी पाया था। साथ ही उनके चुनाव को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इंदिरा गांधी पर छह साल तक के लिए चुनाव लड़ने या फिर कोई पद संभालने पर भी रोक लगा दी थी। यह फैसला जस्टिस जगमोहनलाल सिन्हा ने सुनाया था। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के अवकाशकालीन न्यायाधीश जस्टिस कृष्णा अय्यर ने 24 जून 1975 को सिन्हा के फैसले पर रोक लगाकर उन्हें थोड़ी राहत दे दी। इससे इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने की इजाजत दी। इस फैसले के बाद जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में विपक्ष और हमलावर हो गया था। 25 जून की दोपहर जेपी ने यह घोषणा की कि अब रोज सरकार के खिलाफ एक रैली निकाली जाएगी। फिर पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर ने इंदिरा गांधी को आपातकाल की सलाह दी। संजय गांधी ने भी इसका समर्थन किया। फिर इंदिरा ने 25 जून की रात आपातकाल लागू कर दिया। ऐसा करने से पहले उन्होंने कैबिनेट की सलाह भी नहीं ली।
तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। 26 जून को रेडियो पर इंदिरा गांधी ने इसे दोहराया। इंदिरा गांधी ने आकाशवाणी पर जनता को संदेश देते हुए कहा था कि, 'जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही थी।' आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद 2 जनवरी, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने यह स्वीकार किया था कि, आपातकाल के समय इस कोर्ट से भी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हु�� था। इतना ही नहीं बल्कि कई लोगों की जबरन नसबंदी तक कर दी गई थी। आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा कानून (मीसा) के तहत करीब 900 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इंदिरा गांधी ने बताया था कि, उन नेताओं को जेल में नहीं बल्कि आरामदायक जगह पर रखा गया है। आपातकाल में हर उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा था जिसका संबंध आरएसएस, समाजवादियों या फिर किसी भी सरकारी विरोधी दल से था। गिरफ्तार होने वालों में जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फर्नांडिस और अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। इंदिरा गांधी ने 21 महीने तक देश में आपातकाल लागू कर रखा था और इस दौरान विपक्षी नेताओं को जेलों में ठूंस दिया गया। सरकार ने पूरे देश को बड़े जेलखाने में बदल दिया था। दो साल बाद यानी 21 मार्च 1977 को आपातकाल हटा दिया गया था और देश में चुनाव कराने की घोषणा कर दी गई थी। उस चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गई थी। यहां तक कि इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से भी हार गईं थीं। उस चुनाव में कांग्रेस 153 सीटों पर सिमट गई थी। 23 मार्च 1977 को मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने। आजादी के तीस साल बाद यह पहली गैर कांग्रेस सरकार थी। Read the full article
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किस्सा कुछ यूं: 45 साल पहले इस एक फैसले के बाद देश में लगा था आपातकाल, इंदिरा गांधी को पाया गया था दोषी
चैतन्य भारत न्यूज आज से ठीक 45 साल पहले आयरन लेडी कही जाने वालीं भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल/इमरजेंसी लगा दी थी। 25 जून, 1975 की आधी रात को लगा आपातकाल 21 महीनों तक यानी 21 मार्च, 1977 तक लगा रहा। 25 जून और 26 जून की मध्य रात्रि में ही तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर होने के साथ ही देश में पहला आपातकाल लागू हो गया था। आपातकाल लगने की अगली सुबह पूरे देश ने रेडियो पर इंदिरा की आवाज में संदेश सुना था कि, 'भाइयो और बहनो, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है।' आइए जानते हैं आपातकाल से जुड़ीं कुछ खास बातें- आपातकाल लगने के पीछे की सबसे बड़ी वजह 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला बताया जाता है। यह फैसला 12 जून 1975 को दिया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने में इंदिरा गांधी को दोषी पाया था। साथ ही उनके चुनाव को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इंदिरा गांधी पर छह साल तक के लिए चुनाव लड़ने या फिर कोई पद संभालने पर भी रोक लगा दी थी। यह फैसला जस्टिस जगमोहनलाल सिन्हा ने सुनाया था। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के अवकाशकालीन न्यायाधीश जस्टिस कृष्णा अय्यर ने 24 जून 1975 को सिन्हा के फैसले पर रोक लगाकर उन्हें थोड़ी राहत दे दी। इससे इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने की इजाजत दी। इस फैसले के बाद जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में विपक्ष और हमलावर हो गया था। 25 जून की दोपहर जेपी ने यह घोषणा की कि अब रोज सरकार के खिलाफ एक रैली निकाली जाएगी। फिर पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर ने इंदिरा गांधी को आपातकाल की सलाह दी। संजय गांधी ने भी इसका समर्थन किया। फिर इंदिरा ने 25 जून की रात आपातकाल लागू कर दिया। ऐसा करने से पहले उन्होंने कैबिनेट की सलाह भी नहीं ली।
तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। 26 जून को रेडियो पर इंदिरा गांधी ने इसे दोहराया। इंदिरा गांधी ने आकाशवाणी पर जनता को संदेश देते हुए कहा था कि, 'जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही थी।' आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद 2 जनवरी, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने यह स्वीकार किया था कि, आपातकाल के समय इस कोर्ट से भी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ था। इतना ही नहीं बल्कि कई लोगों की जबरन नसबंदी तक कर दी गई थी। आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा कानून (मीसा) के तहत करीब 900 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इंदिरा गांधी ने बताया था कि, उन नेताओं को जेल में नहीं बल्कि आरामदायक जगह पर रखा गया है। आपातकाल में हर उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा था जिसका संबंध आरएसएस, समाजवादियों या फिर किसी भी सरकारी विरोधी दल से था। गिरफ्तार होने वालों में जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फर्नांडिस और अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। इंदिरा गांधी ने 21 महीने तक देश में आपातकाल लागू कर रखा था और इस दौरान विपक्षी नेताओं को जेलों में ठूंस दिया गया। सरकार ने पूरे देश को बड़े जेलखाने में बदल दिया था। दो साल बाद यानी 21 मार्च 1977 को आपातकाल हटा दिया गया था और द��श में चुनाव कराने की घोषणा कर दी गई थी। उस चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गई थी। यहां तक कि इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से भी हार गईं थीं। उस चुनाव में कांग्रेस 153 सीटों पर सिमट गई थी। 23 मार्च 1977 को मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने। आजादी के तीस साल बाद यह पहली गैर कांग्रेस सरकार थी। Read the full article
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44 साल पहले इस एक फैसले के बाद देश में लगा था आपातकाल, जानिए इससे जुड़ीं ये 10 बड़ी बातें
चैतन्य भारत न्यूज आज से ठीक 44 साल पहले आयरन लेडी कही जाने वाली इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल/इमरजेंसी लगा दी थी। 25 जून, 1975 की आधी रात को लगा आपातकाल 21 महीनों तक यानी 21 मार्च, 1977 तक लगा रहा। 25 जून और 26 जून की मध्य रात्रि में ही तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर होने के साथ ही देश में पहला आपातकाल लागू हो गया था। आपातकाल लगने की अगली सुबह पूरे देश ने रेडियो पर इंदिरा की आवाज में संदेश सुना था कि, 'भाइयो और बहनो, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है। इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है।' आइए जानते हैं आपातकाल को लेकर कुछ रोचक तथ्य- आपातकाल लगने के पीछे की सबसे बड़ी वजह 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला बताया जाता है। यह फैसला 12 जून 1975 को दिया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने में इंदिरा गांधी को दोषी पाया था। साथ ही उनके चुनाव को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इंदिरा गांधी पर छह साल तक के लिए चुनाव लड़ने या फिर कोई पद संभालने पर भी रोक लगा दी थी। यह फैसला जस्टिस जगमोहनलाल सिन्हा ने सुनाया था। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के अवकाशकालीन न्यायाधीश जस्टिस कृष्णा अय्यर ने 24 जून 1975 को सिन्हा के फैसले पर रोक लगाकर उन्हें थोड़ी राहत दे दी। इससे इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने की इजाजत दी। इस फैसले के बाद जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में विपक्ष और हमलावर हो गया था। 25 जून की दोपहर जेपी ने यह घोषणा की कि अब रोज सरकार के खिलाफ एक रैली निकाली जाएगी। फिर पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर ने इंदिरा गांधी को आपातकाल की सलाह दी। संजय गांधी ने भी इसका समर्थन किया। फिर इंदिरा ने 25 जून की रात आपातकाल लागू कर दिया। ऐसा करने से पहले उन्होंने कैबिनेट की सलाह भी नहीं ली। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। 26 जून को रेडियो पर इंदिरा गांधी ने इसे दोहराया। इंदिरा गांधी ने आकाशवाणी पर जनता को संदेश देते हुए कहा था कि, 'जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही थी।' आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद 2 जनवरी, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने यह स्वीकार किया था कि, आपातकाल के समय इस कोर्ट से भी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ था। इतना ही नहीं बल्कि कई लोगों की जबरन नसबंदी तक कर दी गई थी। आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा कानून (मीसा) के तहत करीब 900 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इंदिरा गांधी ने बताया था कि, उन नेताओं को जेल में नहीं बल्कि आरामदायक जगह पर रखा गया है। आपातकाल में हर उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा था जिसका संबंध आरएसएस, समाजवादियों या फिर किसी भी सरकारी विरोधी दल से था। गिरफ्तार होने वालों में जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फर्नांडिस और अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। इंदिरा गांधी ने 21 महीने तक देश में आपातकाल लागू कर रखा था और इस दौरान विपक्षी नेताओं को जेलों में ठूंस दिया गया। सरकार ने पूरे देश को बड़े जेलखाने में बदल दिया था। दो साल बाद यानी 21 मार्च 1977 को आपातकाल हटा दिया गया था और देश में चुनाव कराने की घोषणा कर दी गई थी। उस चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गई थी। यहां तक कि इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से भी हार गईं थीं। उस चुनाव में कांग्रेस 153 सीटों पर सिमट गई थी। 23 मार्च 1977 को मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने। आजादी के तीस साल बाद यह पहली गैर कांग्रेस सरकार थी। Read the full article
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