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कभी हाथ में टिफिन बॉक्स और बिस्तर लेकर निकले थे, आज है 3.6 बिलियन डॉलर की संपत्ति
सफलता किसी को भी ऐसे ही नहीं मिल जाती, इसके पीछे कठिन संघर्ष छिपा होता है। लेकिन सफलता भी उन्हीं को मिलती है जो उसे पाने की चाह रखते हैं। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं कभी बिहार से हाथ में एक टिफिन बॉक्स, बिस्तर और आंखों में बड़े सपने लेकर निकलने वाले वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल। जिन्होंने कबाड़ बेचकर अपनी पहचान बनाई और आज वो भारत के बड़े बिज़नेसमैन में से एक हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी संपत्ति को दान करके नई सुर्खियां भी बटोरी है साथ ही लोगों को प्रेरित भी किया है। वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल उन चंद लोगों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी कामयाबी की कहानी खुद लिखी है। अधिकांश लोगों की तरह इन्होंने भी छोटे शहर से निकलकर मुंबई जाने का बड़ा सपना देखा है। लेकिन अनिल अग्रवाल न केवल उन सपनों को देखा बल्कि कठिन संघर्ष करते हुए उन्हें पूरा करके ही दम लिया। अगर आपके अंदर भी कुछ कर गुज़रने की आग है तो आप इनसे काफी कुछ सीख सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे उन्होंने अपने सपनों को पूरा किया और कैसे वो लोगों के लि�� आज प्रेरणास्त्रोत बन गए।
· 15 की उम्र में छोड़ दिया था स्कूल
बिहार के पटना में जन्में और पले-बढ़े अनिल अग्रवाल की पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन उनके सपने बहुत बड़े थे। उन्होंने हायर सेकंडरी स्कूल से पढ़ाई की, लेकिन महज 15 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया। जब वो पटना से मुंबई जाने के लिए निकले तो उनके हाथ में एक टिफिन बॉक्स, बिस्तर और आंखों में बड़े-बड़े सपने थे। और मन में कुछ अलग करने की चाह थी।
· कबाड़ बेचकर शुरू किया करियर
अनिल अग्रवाल ने अपने करियर की शुरूआत बतौर स्क्रैप डीलर के तौर पर की। 1970 के दशक में उन्होंने कबाड़ की धातुओं की ट्रेडिंग शुरू की और 1980 के में उन्होंने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज की स्थापना कर दी। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज 1990 के दशक में कॉपर को रिफाइन करने वाली देश की पहली प्राइवेट कंपनी बनी। यही कंपनी आगे चलकर वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड और आज की Vedanta Group बन गई। वेदांता ग्रुप आज के समय देश ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी खनन कंपनियों में से एक है।आज उनका नाम देश के टॉप बिजनेसमैन की लिस्ट में शुमार हैं।
· पत्नी के सहयोग से बड़े आगे
अपनी मेहनत से पहचान बनाने वाले अनिल अग्रवाल के आगे बढ़ने में उनकी पत्नी ने भी काफी सहयोग किया। उनकी पत्नी ने उनके लंदन जाने में अहम रोल अदा किया। लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर उतरने के बाद के अनिल अग्रवाल ने देखा कि यह भारत से कई तरह अलग था। लेकिन उन्होंने लंदन में भी अपनी एक खास पहचान बनाई। वे धातु, तेल और गैस के कारोबार से जुड़े हैं।
· अपनी संपत्ति को दान करने कि घोषणा की
वेदांता रिसोर्सेज के मालिक अनिल अग्रवाल ने लंदन स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी की लिस्टिंग के 10 साल होने पर करीब दो साल पहले अपनी 75 फीसदी संपत्ति को दान की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि जो कमाया उसे समाज को लौटाना चाहता हूं। वर्तमान में अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता ग्लोबल बन चुकी है, यह कंपनी भारत के अलावा अफ्रीका, आयरलैंड और अस्ट्रेलिया समेत अन्य कई देशों में कारोबार कर रही है। इस कंपनी में 65,000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। फोर्ब्स के अनुसार, वर्तमान में अनिल अग्रवाल की अनुमानित संपत्ति 3.6 बिलियन डॉलर है।
वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल कहते हैं कि, “अगर आप मजबूत इरादे के साथ पहला कदम उठाएंगे, मंज़िल मिलना तय है।” उन्होंने अपने संघर्ष को अपनी ता��त बनाकर अपनी नई कहानी लिखी है। इसलिए आप भी अनिल अग्रवाल की सफलता की इस कहानी से प्रेरणा ले सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। लेख के बारे में आप अपने सुझाव कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं। साथ ही इस कहानी से आपको क्या प्रेरणा मिली है यह भी आप हमें कमेंट कर के बता सकते हैं।
Source: https://hindi.badabusiness.com/motivational/success-story-of-anil-agarwal-11013.html
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Social Responsibility during Social Distancing: Explaining the major companies in India
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45 per cent of stake of #HindustanZinc which the #NDAgovt sold to the #VedantaGroup is today valued at Rs 40,000, 50 times of the sale price in 2003 https://t.co/JkBkqQuXiA
— 24x7politics (@24x7Politics) November 10, 2019
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Tuticorin very worst pollution center #SesaSterlite #Vedantagroup (at Sterlite Copper)
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