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chaitanyabharatnews · 5 years
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मोदी सरकार ने सरोगेसी बिल संशोधन को इन शर्तों के साथ दी मंजूरी, अब विधवा-तलाकशुदा भी बन सकेंगी सरोगेट मदर
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. मोदी सरकार ने बुधवार को सरोगेसी नियमन बिल 2020 के मसौदे को मंजूरी दे दी। प्रस्तावित बिल के मुताबिक, अब कोई भी 'इच्छुक' महिला सरोगेट मां बन सकती है। निसंतान जोड़ों के अलावा विधवा और तलाकशुदा महिलाएं भी सरोगेट मदर बन सकती हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा कि, 'नए बिल के मसौदे में राज्य सभा की सिलेक्ट कमेटी की सभी सिफारिशों को शामिल किया गया है। कमेटी ने सरोगेसी बिल के पुराने ड्राफ्ट का अध्ययन करके किराए की कोख के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। इसके साथ ही नए बिल में इसे नैतिक रूप देने की बात कही गई थी।' सिर्फ भारतीय जोड़े ही करवा सकेंगे सरोगेसी महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि, 'प्रस्तावित बिल में प्रावधान किया गया है कि सिर्फ भारतीय जोड़े ही देश में सरोगेसी के जरिए संतान प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए किसी भी जोड़े में शामिल दोनों सदस्यों का भारतीय होना जरूरी होगा।' ईरानी ने यह भी कहा कि, 'महिलाओं के संतान को जन्म देने के अधिकार के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुला नजरिया रखते हैं।' नए बिल में क्या खास होगा नए बिल में उस पुराने प्रावधान को बरकरार रखा गया है जिसमें विदेशी और एनआरआई लोगों पर भी भारत में सरोगेसी का व्यावसायिक इस्तेमाल कर बच्चा पैदा करने पर पाबंदी थी। सिर्फ भारतीय विवाहित जोड़े ही सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा करवा सकते हैं। लेकिन इसके लिए शर्त यह है कि उन्हें एक मेडिकल सर्टिफिकेट देना होगा कि वो किसी भी कारण से बच्चा पैदा करने में असमर्थ हैं। बता दें पिछले बिल में यह प्रावधान था कि जिन भी जोड़े की शादी को पांच साल गुजर गए हो उन्हें ही सरोगेसी का इस्तेमाल कर बच्चे पैदा करने का अधिकार था। हालांकि, यदि कोई महिला 50 साल और कोई पुरूष 55 साल की उम्र पार कर चुका है तो सरोगेसी का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध नए नियम में सेरोगेट मदर के मेडिकल कवर को 18 से बढ़ाकर 36 महीने का कर दिया गया है। इसके अलावा व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध होगा और इसके प्रचार प्रसार पर भी रोक लगाने की सिफारिश की गई है। भारतीय विवाहित जोड़े, विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के विवाहित जोड़े और अकेली भारतीय महिलाएं कुछ शर्तों के अधीन सरोगेसी का फायदा उठा सकेंगी। हालांकि, अकेली महिलाओं की स्थिति में उनका विधवा या तलाकशुदा होना जरूरी होगा। उनकी उम्र 35 से 45 साल के बीच होनी चाहिए। नजदीकी रिश्तेदारों वाली पाबंदी हटाई गई नए बिल में एक और बदलाव किया गया है कि अब किसी भी महिला की मर्जी से उसकी कोख का इस्तेमाल हो सकेगा। वह जोड़े जिनके पास पहले से बच्चा हो वो सेरोगेसी प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे, भले ही पहला बच्चा गोद लिया गया हो। बता दें पुराने बिल में केवल नजदीकी रिश्तेदारों के जरिए ही सरोगेसी प्रक्रिया में इस्तेमाल का अधिकार दिया गया था। बच्चा न स्वीकारने पर माता-पिता को होगी जेल एक महिला अपनी कोख जीवन में केवल एक बार ही दूसरे को उधार दे सकती है। इसके लिए यह शर्त है कि महिला ने पहले किसी स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया हो। सरोगेसी के जरिए पैदा हुए बच्चे को विकलांग या किसी रोग से ग्रसित होने या किसी भी वजह से इंकार करने पर उस बच्चे के होने वाले माता पिता पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसमें कम से कम 10 साल की जेल और 10 लाख जुर्माने का प्रावधान है। नेशनल सरोगेसी बोर्ड बनेगा जानकारी के मुताबिक, देश में सरोगेसी का व्यापार फिलहाल तकरीबन 9000 करोड़ रुपए माना जाता है। प्रस्तावित बिल में इसकी निगरानी के लिए एक नेशनल सरोगेसी बोर्ड बनाए जाने की भी बात कही गई है जिसके अध्यक्ष केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री होंगे। साथ ही देश भर में लगभग 2000 ऐसे क्लिनिक का पंजीकरण करना भी अनिवार्य होगा और उन्हें बच्चा पैदा होने के 25 सालों तक उनका रिकॉर्ड रखना होगा। इस बिल को संसद के बजट सत्र के दूसरे हाफ में पारित कराए जाने की संभावना है। क्या होता है सरोगेसी जब किसी दूसरी महिला की कोख को किराए पर लिया जाता है तो उसे सरोगेसी कहा जाता है। जो महिला अपनी कोख में दूसरे का बच्चा पालती है उसे सरोगेट मदर कहते हैं। पिछले काफी समय से यह आरोप लगाया जा रहा था कि कुछ लोग पैसों के दम पर आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं की कोख का दुरुपयोग कर रहे हैं। ऐसे में महिलाओं को सेहत से जुड़ी कई समस्याएं पैदा हो रही थी, जिसके बाद यह प्रावधान बनाया गया है। बॉलीवुड में सेरोगेसी का चलन बता दें पिछले कुछ सालों में शाहरूख खान, आमिर खान, तुषार कपूर, एकता कपूर और सनी लियोनी समेत बॉलीबुड से जुड़ी कुछ हस्तियों ने सरोगेसी के जरिए अपना परिवार आगे बढ़ाया था। हाल ही में प्रसिद्ध अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को भी सरोगेसी के जरिए ही अपने दूसरे बच्चे का सुख प्राप्त हुआ है। ये भी पढ़े... दूसरी बार मां बनीं शिल्पा शेट्टी, घर आई नन्हीं परी, शेयर की पहली तस्वीर राज्यसभा में पेश हुआ सरोगेसी बिल, खूब हो रही इसकी आलोचना, जानें बिल में क्या-क्या प्रावधान हैं शामिल   Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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राज्यसभा में पेश हुआ 'सरोगेसी बिल', खूब हो रही इसकी आलोचना, जानें बिल में क्या-क्या प्रावधान हैं शामिल
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को मोदी सरकार द्वारा सरोगेसी (रेगुलेशन) बिल 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया। यह बिल वाणिज्यिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाता है और साथ ही विवाहित, निसंतान दंपतियों के लिए करीबी रिश्तेदारों द्वारा केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है। बता दें लोकसभा में यह बिल जुलाई में ही पेश कर दिया गया था और अगस्त को यह पास भी हो गया था। लेकिन संसद के ऊपरी सदन में इस बिल को लेकर बहस जारी है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); बता दें बीजेपी की दूसरी बार सरकार बनने के बाद नई सरकार के पहले संसदीय सत्र के दौरान जुलाई में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा 15 जुलाई को सरोगेसी (रेगुलेशन) बिल 2019 को पेश किया था। मोदी सरकार की ओर से प्रस्तावित सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2019 में कई नए प्रावधान शामिल किए गए हैं। सरोगेसी बिल को 'संस्कारी बिल' कहकर इसकी आलोचना की जा रही है । दरअसल यह बिल अकेले रहने वाले पुरुषों और होमोसेक्सुअल पुरुषों के पिता बनने पर रोक लगाता है। आइए जानते हैं क्या कहता है सरोगेसी बिल 2019 इस बिल के जरिए नेशनल सरोगेसी बोर्ड और स्टेट सरोगेसी बोर्ड का गठन किया जाएगा। इस बिल में सरोगेसी पर निगरानी रखने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करने का भी प्रावधान। बिल में मुताबिक, सरोगेसी की सुविधा सिर्फ उन्हीं दंपतियों को मिलेगी जिनकी शादी हुए 5 साल या उससे अधिक हो गए हो। यह सुविधा सिर्फ एक बार ही मिलेगी। सरोगेसी सेवा देने वाले सरोगेसी क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन होना जरुरी है। नियम का उल्लंघन करने पर कम से कम 10 साल जेल की सजा और 10 लाख रुपए जुर्माना भी तय किया गया है। भारतीय विवाहित जोड़ो के लिए सिर्फ 'नैतिक परोपकारी सरोगेसी' की अनुमति है। बिल के मुताबिक, महिला की उम्र 23-50 और पुरुष की उम्र 26-55 के बीच होनी चाहिए। बता दें 'नैतिक परोपकारी सरोगेसी' का अर्थ यह है कि सरोगेट मदर के मेडिकल खर्च और इंश्योरेंस कवर के अलावा यह बिना किसी खर्च के या फिर बिना पैसे या फीस के होनी चाहिए। सरोगेट मदर दंपत्ति की कोई करीबी रिश्तेदार होनी चाहिए या फिर कोई ऐसी महिला होनी चाहिए जिसकी शादी हो चुकी हो और उसका अपना बच्चा हो और उसकी उम्र 25-35 साल की होनी चाहिए। बिल के मुताबिक, एक महिला को अपने जीवन में एक बार ही सरोगेट मदर बनने की अनुमति प्राप्त है। सरोगेसी के केस में गर्भ को तभी हटाया जा सकता है जब सरोगेट मदर की लिखित में अनुमति हो। साथ ही उचित प्राधिकारी की भी अनुमति हो। सरोगेसी बिल सरोगेसी के जरिए पैदा होने वाले बच्चे का परित्याग रोकने का भी प्रावधान करता है और उसके वे सारे अधिकार सुनिश्चित करता है जो कि किसी जैविक पुत्र के होते हैं। 'संस्कारी बिल' पर विरोध क्यों? कहा जा रहा है कि यह बिल पुरुष के लिए पिता बनने के अधिकार को छीनता है। बिल को लेकर सबसे ज्यादा विरोध शादीशुदा दंपति वाले प्रावधान को लेकर हो रहा है। दरअसल, इस बिल के प्रावधानों के मुताबिक, सरोगेसी की सुविधा सिर्फ शादीशुदा दंपति को ही मिलेगी और सिंगल व होमोसेक्सुएल पुरुष इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पाएंगे। साथ ही सेरोगेसी बिल विदेशी, तलाकशुदा, लिव-इन कपल, विधुर और विधवा लोगों को भी यह सुविधा लेने पर रोक लगाता है। 2016 में भी पेश हुआ था बिल सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान साल 2016 में इस बिल को संसद में पेश किया था। 2016 में बिल को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि, 'यह विधेयक लाना बेह��� जरूरी था क्योंकि जो चीजें जरूरत के नाम पर शुरू की गई थी वो अब शौक बन गई है।' लेकिन अब इस बिल के नए प्रारूप को सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2019 के नाम से पेश किया गया है। इस बिल का मकसद किराए की कोख का व्यावसायिक इस्तेमाल करने पर रोक लगाना है। क्या होता है सरोगेसी जब किसी दूसरी महिला की कोख को किराए पर लिया जाता है तो उसे सरोगेसी कहा जाता है। जो महिला अपनी कोख में दूसरे का बच्चा पालती है उसे सरोगेट मदर कहते हैं। पिछले काफी समय से यह आरोप लगाया जा रहा था कि कुछ लोग पैसों के दम पर आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं की कोख का दुरुपयोग कर रहे हैं। ऐसे में महिलाओं को सेहत से जुड़ी कई समस्याएं पैदा हो रही थी, जिसके बाद यह प्रावधान बनाया गया है। Read the full article
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