कलामे पाक में कुरबानी का अर्थ अल्लाह की इबादती इम्तेहान में खरा उतरना होता है। जबकि मुस्लिम मौलवी साहेबानों ने इसका मतलब गलत निकालकर पूरे मुस्लिम समुदाय को गलत इबादत पर लगा दिया। जो अल्लाह प्राप्ति से कोसों दूर हैं।
कबीर जी ने कहा है कि दूसरों ���ी स्त्री और बेटी को अपनी बहन-बेटी के दृष्टिकोण से देखना चाहिए। इससे दुराचार, बलात्कार, और व्यभिचार को समाप्त किया जा सकता है। इस दृष्टिकोण से मन में कोई दोष नहीं आएगा और समाज में नैतिकता बनी रहेगी।
संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस के पावन अवसर पर 8 सितंबर 2024 को एक विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। इस विशेष दिन पर, देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु संत रामपाल जी महाराज के आश्रम में एकत्रित होंगे और उनकी दिव्य शिक्षाओं और आशीर्वाद का लाभ उठाएंगे। इस भंडारे का उद्देश्य मानवता की सेवा, प्रेम और समर्पण की भावना को बढ़ावा देना है। सभी भक्तजनों से अनुरोध है कि वे इस भव्य कार्यक्रम में सम्मिलित होकर संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद प्राप्त करें और इस पावन अवसर को सफल बनाएं।
यह संदेश उन धनी लोगों के लिए है जो पूजा नहीं करते और अपने ऐश्वर्य में मस्त रहते हैं:
"धन-दौलत इस संसार में आपको क्षणिक सुख तो दे सकता है, लेकिन सच्ची शांति और मोक्ष का मार्ग केवल ईश्वर की भक्ति और सत्संग से ही प्राप्त होता है। जो लोग अपने जीवन में भक्ति का महत्व नहीं समझते, वे अपने जीवन का सच्चा उद्देश्य खो देते हैं। धन से भौतिक सुख-सुविधाएँ तो खरीदी जा सकती हैं, लेकिन आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग केवल सतगुरु की शरण में आने से ही मिलता है।
संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, एक आत्मा को काल के जाल से छुड़वाने का फल अत्यंत महत्त्वपूर्ण और अनमोल है। संत रामपाल जी के उपदेशों में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को सही गुरु द्वारा नाम दीक्षा मिलती है और वह सतभक्ति के मार्ग पर चलता है, तो उसकी आत्मा काल के जाल से मुक्त हो सकती है। इस मुक्ति का फल है मोक्ष, अर्थात जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा और सत्यलोक में परमात्मा के पास पहुंचने का अवसर।
शास्त्रों (वेदों) में वर्णित साधना छोड़ मनमानी पूजा किसी व्यक्ति या ऋषि व सन्त विशेष के कहने से करने वाले साधक की साधना व्यर्थ होती है ।
श्रीमद्भगवद्गीता
इसलिए गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में कहा है कि कौन सी साधना करने योग्य (कर्तव्य कर्म) है तथा कौन सी छोड़ने योग्य (अकर्तव्य कर्म) है । इसके लिए शास्त्र (वेद) ही प्रमाण है ।
किसी अन्य द्वारा लोकवेद अर्थात् दन्त कथाओं के आधार से बताया गया भक्ति मार्ग स्वीकार नहीं करना चाहिए ।
यदि हलाल करने का शौक है तो अपने काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि बुराइयों को हलाल कर, खत्म कर । अल्लाह के लिए समर्पण भाव से सत्य भक्ति कर, यही वास्तव में कुबीनी है।
पवित्र कुरान शरीफ मुसलमान धर्म का धार्मिक ग्रंथ है। रमज़ान के समय इसका पाठ करना आवश्यक बताया गया है। क्या कोई बिना सतगुरु के ईश्वरीय ज्ञान समझ सकता है।
जब से आत्माए अल्लाह ताला से जुदा हुई हैं तब से उसे कई तरीकों से खोजने की कोशिश की है जैसे:- रोजे रखना, नमाज़ अदा करना! आईए जानते हैं कुरान शरीफ के अनुशार अल्लाह को प्राप्त करने की सही विधि क्या है?