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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘राजनीतिज्ञों के शब्द और कर्म में सामंजस्य ज़रूरी’
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज आगरा में शिक्षकों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राजनेताओं के शब्द और उनके कार्यों में सामंजस्य होना चाहिए, लेकिन आज के समय में ऐसा कम देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि जनता का भरोसा राजनीतिक नेतृत्व के शब्दों पर से उठता जा रहा है। शिक्षकों की भूमिका पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि देश के शिक्षक राष्ट्र निर्माण की धुरी हैं। उन्होंने कहा, "भले ही समय के साथ उनकी भूमिका बदल रही हो, लेकिन यह सत्य है कि इस यांत्रिक युग में संस्कृति और सभ्यता का ��्ञान केवल शिक्षक ही दे सकते हैं।" राजनाथ सिंह ने कहा कि शिक्षकों को उनके कर्तव्यों के बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने महाभारत का संदर्भ देते हुए कहा, "भगवान कृष्ण भी एक शिक्षक थे। मैं खुद शिक्षक के रूप में सेवा देने के बाद राजनीति में आया हूं।" शिक्षकों की भूमिका और चुनौतियां एक सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री ने कहा कि कंप्यूटर के युग में युवाओं के लिए जानकारी की कमी नहीं है। उन्होंने कहा, "दुनिया भर की जानकारी अब केवल एक बटन क्लिक पर उपलब्ध है। लेकिन जानकारी देना और शिक्षा देना दो अलग चीज़ें हैं। सही जानकारी का चयन केवल ज्ञान के माध्यम से किया जा सकता है, जो एक शिक्षक ही दे सकता है।" उन्होंने कहा कि जब एक शिक्षक छात्र के भविष्य का निर्माण करता है, तो वह राष्ट्र के भविष्य को भी आकार देता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों में सांस्कृतिक जागरूकता विकसित करना भी शिक्षकों की जिम्मेदारी है। पुरानी पेंशन योजना पर चर्चा का आश्वासन पुरानी पेंशन योजना को लेकर शिक्षकों की मांग पर उन्होंने कहा कि यह मुद्दा मुख्यमंत्री के साथ उठाया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर यह मांग वाजिब है, तो इसे लागू करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा, "शिक्षकों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना मेरी सर्वोत्तम कोशिश होगी।" भारत की वैश्विक स्थिति पर विश्वास भारत की आर्थिक प्रगति पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, "आने वाले 2-3 वर्षों में भारत विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा।" उन्होंने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर 11वें स्थान से 5वें स्थान पर आ चुकी है और यह लगातार आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का कद वैश्विक मंचों पर बढ़ा है और अब भारत की बातों को गंभीरता से सुना जाता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत जल्द ही ‘विश्व गुरु’ के रूप में उभरेगा। Read the full article
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