#KaalLok_Vs_SatlokSant Rampal Ji Maharaj
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🏡गीता जी अध्याय 8 श्लोक 16 के अनुसार पृथ्वी लोक से ब्रह्मलोक तक सभी लोक पुनरावृत्ति में हैं।
लेकिन सतलोक ही वह अमर स्थान है, जहां जाने के बाद साधक की जन्म-मृत्यु नहीं होती।
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🏡 सतलोक में जाने के बाद जीवात्मा का जन्म-मरण हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।
लेकिन सतभक्ति के अभाव में पृथ्वी के प्राणी 84 लाख योनियों के चक्कर में भटकते रहते हैं
Sant Rampal Ji Maharaj
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सतलोक निरामय लोक है जहाँ वृद्धावस्था व रोग नहीं है।
जबकि पृथ्वी लोक में इन दोनों स्तिथियों से कोई नहीं बचा है।
काल लोक/पृथ्वी लोक में सब कर्म बंधन से बंधे हैं। जीव को तीनों गुणों के प्रभाव से विवश कर सब कार्य करवाया जाता है।
जबकि सतलोक में किसी गुण का कोई दवाब नहीं है। जीव पूर्णतया स्वतंत्र है।
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🏡सतलोक कैसा है ?
सतलोक ऐसा अमर लोक है जहां प्रत्येक हंस आत्मा के शरीर का तेज 16 सूर्यों के समान है। जहां सिर्फ पूर्ण गुरु द्वारा बताई गई सतभक्ति से ही जा सकते हैं।🏡ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 के अनुसार पूर्ण परमात्मा कविर्देव का निजधाम तीसरा मुक्ति धाम "सतलोक" में है। जहाँ जाने के बाद मनुष्य का जन्म मरण नहीं होता है।
जबकि पृथ्वी लोक / काल लोक पर जन्म - मरण का चक्र चलता ही रहता है।
Sant Rampal Ji Maharaj
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🏡काल लोक/पृथ्वी लोक में सब कर्म बंधन से बंधे हैं। जीव को तीनों गुणों के प्रभाव से विवश कर सब कार्य करवाया जाता है।
जबकि सतलोक में किसी गुण का कोई दवाब नहीं है। जीव पूर्णतया स्वतंत्र है।
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सतलोक में प्रत्येक हंस आत्मा का अविनाशी शरीर होता है।
जबकि पृथ्वी लोक/काल लोक में सब कुछ विनाश के अंदर आता है।
अवश्य देखिए 02:00 Pm (IST)
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🏡काल लोक/पृथ्वी लोक में सब कर्म बंधन से बंधे हैं। जीव को तीनों गुणों के प्रभाव से विवश कर सब कार्य करवाया जाता है।
जबकि सतलोक में किसी गुण का कोई दवाब नहीं है। जीव पूर्णतया स्वतंत्र है।🏡काल लोक/पृथ्वी लोक में जन्म-मृत्यु और वृद्धावस्था सबसे बड़े दुख हैं।
जबकि सतलोक में सर्व सुख हैं। न ही जन्म-मृत्यु का दुख, न ही वृद्धावस्था का दुःख।
Sant Rampal Ji Maharaj
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