#Gita_Is_Divine_KnowledgeWe Should Follow It
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dasmp89 · 6 months ago
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पवित्र गीता अध्याय 2 श्लोक 7 में अर्जुन ने कहा है कि मैं आपका शिष्य हूँ। मैं आपकी शरण में हूँ।
विचार - अर्जुन तो पहले ही श्री कृष्ण जी की शरण में था। फिर उसको श्री कृष्ण गीता अध्याय 18 श्लोक 66 में यह नहीं कहेंगे कि मेरी धार्मिक साधना को मुझमें त्यागकर मेरी शरण में आजा। ‘‘व्रज‘‘ का अर्थ जाना है। श्री ज्ञानानंद जी ने ‘‘व्रज’’ का अर्थ आना किया है। इससे पूरी गीता का भावार्थ ही बदल जाता है। संस्कृत शब्दकोश में देखेंगे तो व्रज का अर्थ जाना ही है।
- जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj Youtube Channel
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sajnamalik · 6 months ago
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091175 · 6 months ago
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pk-aug · 6 months ago
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pawankumar1976 · 6 months ago
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🎉 गीता अध्याय 15 श्लोक 17
सर्वोत्तम परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी का पालन-पोषण करते हैं और उसे अमर परम ईश्वर कहते हैं।
🎉गीताजी अध्याय 4 श्लोक 5 में गीता ज्ञान देने वाला भगवान स्वयं को जन्म मरण के अंतर्गत बता रहा है, फिर जन्म मरण से परे अविनाशी व पूजनीय पूर्ण परमात्मा कौन है?
🎉 गीता अध्याय 18, श्लोक 66
गीता ज्ञान दाता काल कहता है, " मेरी सभी धार्मिक पूजाओं को मुझमें त्याग कर, तू केवल उस एक पूर्ण परमात्मा की शरण में जा। मैं तुझे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा; तू शोक मत कर।
🎉 गीता अध्याय 18 श्लोक 62
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हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को तथा सनातन परम धाम को प्राप्त होगा।
इस श्लोक में गीता ज्ञान दाता अपने से अन्य सर्व शक्तिमान पूर्ण परमात्मा की शरण में जाने को कह रहा है, उसकी शरण में जाने से ही पूर्ण शांति व सनातन परम धाम (सत्यलोक/अविनाशी लोक) की प्राप्ति होगी।
अधिक जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें।
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kanaks-stuff · 6 months ago
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foggyinternetwerewolf · 6 months ago
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rahuldas1247 · 7 months ago
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9343915506 · 7 months ago
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sajnamalik · 6 months ago
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091175 · 6 months ago
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pk-aug · 6 months ago
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pawankumar1976 · 6 months ago
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💥पवित्र गीता अध्याय 2 श्लोक 7 में अर्जुन ने कहा है कि मैं आपका शिष्य हूँ। मैं आपकी शरण में हूँ।
विचार - अर्जुन तो पहले ही श्री कृष्ण जी की शरण में था। फिर उसको श्री कृष्ण गीता अध्याय 18 श्लोक 66 में यह नहीं कहेंगे कि मेरी धार्मिक साधना को मुझमें त्यागकर मेरी शरण में आजा। ‘‘व्रज‘‘ का अर्थ जाना है। श्री ज्ञानानंद जी ने ‘‘व्रज’’ का अर्थ आना किया है। इससे पूरी गीता का भावार्थ ही बदल जाता है। संस्कृत शब्दकोश में देखेंगे तो व्रज का अर्थ जाना ही है।
- जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
🎉 गीता अध्याय 15 श्लोक 17
सर्वोत्तम परमात्मा तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सभी का पालन-पोषण करते हैं और उसे अमर परम ईश्वर कहते हैं।
🎉 गीता अध्याय 18 श्लोक 62
हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को तथा सनातन परम धाम को प्राप्त होगा।
इस श्लोक में गीता ज्ञान दाता अपने से अन्य सर्व शक्तिमान पूर्ण परमात्मा की शरण में जाने को कह रहा है, उसकी शरण में जाने से ही पूर्ण शांति व सनातन परम धाम (सत्यलोक/अविनाशी लोक) की प्राप्ति होगी।
अधिक जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण पुस्तक को Sant Rampal Ji Maharaj App से डाउनलोड करके पढ़ें।
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foggyinternetwerewolf · 6 months ago
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#गीता_प्रभुदत्त_ज्ञान_है इसी को follow करें
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अ��ुत्तम का अर्थ अश्रेष्ठ है जबकि इसका अर्थ ‘‘अति उत्तम’’ किया है जो गलत है।
गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 7 श्लोक 18 में कहा है कि मेरी भक्ति से पूर्ण मोक्ष प्राप्त नहीं होता यानि
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pk-aug · 6 months ago
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pk-aug · 6 months ago
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