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100 साल पहले फैली थी कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक बीमारी, 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत!
चैतन्य भारत न्यूज चीन से फैले कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर में लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से अब तक दुनिया भर में 13.80 करोड़ लोग बीमार हुए हैं। जबकि, 29.71 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित पांच देश हैं- अमेरिका, भारत, ब्राजील, फ्रांस, रूस और यूके। अमेरिका तो संक्रमितों और मरने वालों की संख्या में सबसे ऊपर है। कोरोना वायरस महामारी बन गया है। वैसे कोरोना वायरस पहली ऐसी बीमारी नहीं है जिसका डर दुनियाभर में देखा जा रहा है, बल्कि इससे पहले भी दुनिया में एक ऐसे फ्लू ने कहर ढाया था जिसकी चपेट में आकर करोड़ों लोगों की मौत हो गई थी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); इस फ्लू का नाम स्पेनिश फ्लू था। स्पेनिश फ्लू के शुरुआती मामले 100 साल पहले मार्च, 1918 में अमेरिका से सामने आए थे। उस समय तो एक देश से दूसरे देश में आना-जाना समुद्री मार्गों से ही होता था। फिर भी यह बीमारी काफी तेजी से फैली। स्पेनिश फ्लू की चपेट में सबसे पहले यूएस मिलट्री का एक जवान आया था। इसके बाद तो इस बीमारी ने ऐसा तांडव मचाया कि सिर्फ यूएस में 6 लाख 75 हजार लोगों की जान गई थी। वहीं दुनियाभर में इस बीमारी से 5 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हुई थी। ज्यादतार मृतकों में पांच साल से ज्यादा उम्र के बच्चे, 20-40 साल के जवान और 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग शामिल थे। कैसे हुई बीमारी की शुरुआत? माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत सैनिकों से हुई थी। उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। स्पेनिश फ्लू पश्चिमी मोर्चे पर सैनिकों के तंग और भीड़ भरे ट्रेनिंग कैंपों में फैला। खासतौर से फ्रांस के साथ लगती सीमाओं पर स्थित खाइयों में प्रदूषित वातावरण ने इसके फैलने में ज्यादा मदद की। नवंबर 1918 के अंत तक युद्ध तो खत्म हो गया लेकिन इससे संक्रमित सैनिकों के साथ वायरस भी अन्य देशों में फैल गया।
करोड़ों लोग मारे गए इस बीमारी का कहर करीब दो सालों तक जारी रहा। पूरी दुनिया में स्पेनिश फ्लू से 50 करोड़ से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए और लगभग 5 करोड़ लोग मारे गए। ये आंकड़ा पहले विश्व युद्ध में मारे गए सैनिकों और आम लोगों की कुल संख्या से भी ज्यादा था।
स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा नाम? अब सवाल यह उठता है कि इस बीमारी की शुरुआत स्पेन में नहीं हुई फिर भी इसका नाम स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा? तो हम आपको बता दें कि इसका एक कारण माना जाता है कि पहले विश्वयुद्ध में स्पेन तटस्थ था। उसने अपने यहां इस बीमारी को फैलने की खबर को दबाया नहीं। लेकिन युद्ध में भाग ले रहे अन्य देशों ने यह सोचकर इस खबर को दबा दिया कि इससे उनके सैनिकों का मनोबल न टूटे। साथ ही वह दुश्मनों की नजर में कमजोर न दिखे। ऐसे में मीडिया ने इस बीमारी को स्पेनिश फ्लू के नाम से प्रचलित कर दिया।
कोरोना और स्पेनिश फ्लू में अंतर COVID-19 की तरह ही स्पेनिश फ्लू भी सीधे फेफड़ों पर हमला करता था। हालांकि, दोनों बीमारियों में यह अंतर था कि कोरोना वायरस जहां कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को संक्रमित करता है, वहीं स्पेनिश फ्लू इतना ज्यादा खतरनाक था कि उसके लक्षण सामने आने के महज 24 घंटों के अंदर ही ये एकदम स्वस्थ व्यक्ति की भी जान ले सकता था। उस समय इलाज की इतनी सुविधा नहीं थी जितनी अभी है। उस समय स्वास्थ्य और बीमारी संबंधित शोध की भी सुविधा नहीं थी। ये भी पढ़े... इंदौर: देश में कोरोनावायरस से पहले डॉक्टर की मौत, नहीं कर रहे थे कोरोना मरीजों का इलाज, फिर भी हुए संक्रमित इंदौर: कोरोना से अब तक 16 लोगों की मौत, लेकिन कब्रिस्तान पहुंचे 120 जनाजे, आंकड़ें देख प्रशासन भी चौंका कोरोना निगेटिव होने पर अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी 14 दिन होम क्वारंटाइन में रहना जरुरी Read the full article
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100 साल पहले फैली थी कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक बीमारी, 5-10 करोड़ लोगों की हुई थी मौत, वक्त फिर खुद को दोहरा रहा है
चैतन्य भारत न्यूज चीन से फैले कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर में लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक कोरोना वायरस की चपेट में आकर दुनियाभर में 4 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 70 लाख से ज्यादा लोग इसके संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। भारत में भी कोरोना के अब तक करीब पौने तीन लाख मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 7,745 लोगों की मौत हो चुकी है। वैसे कोरोना वायरस पहली ऐसी बीमारी नहीं है जिसका डर दुनियाभर में देखा जा रहा है, बल्कि इससे पहले भी दुनिया में एक ऐसे फ्लू ने कहर ढाया था जिसकी चपेट में आकर करोड़ों लोगों की मौत हो गई थी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); इस फ्लू का नाम स्पेनिश फ्लू था। स्पेनिश फ्लू के शुरुआती मामले 100 साल पहले मार्च, 1918 में अमेरिका से सामने आए थे। उस समय तो एक देश से दूसरे देश में आना-जाना समुद्री मार्गों से ही होता था। फिर भी यह बीमारी काफी तेजी से फैली। स्पेनिश फ्लू की चपेट में सबसे पहले यूएस मिलट्री का एक जवान आया था। इसके बाद तो इस बीमारी ने ऐसा तांडव मचाया कि सिर्फ यूएस में 6 लाख 75 हजार लोगों की जान गई थी। वहीं दुनियाभर में इस बीमारी से 5 से 10 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। ज्यादातर मृतकों में पांच साल से ज्यादा उम्र के बच्चे, 20-40 साल के जवान और 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग शामिल थे। कैसे हुई बीमारी की शुरुआत? माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत सैनिकों से हुई थी। उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। स्पेनिश फ्लू पश्चिमी मोर्चे पर सैनिकों के तंग और भीड़ भरे ट्रेनिंग कैंपों में फैला। खासतौर से फ्रांस के साथ लगती सीमाओं पर स्थित खाइयों में प्रदूषित वातावरण ने इसके फैलने में ज्यादा मदद की। नवंबर 1918 के अंत तक युद्ध तो खत्म हो गया लेकिन इससे संक्रमित सैनिकों के साथ वायरस भी अन्य देशों में फैल गया।
करोड़ों लोग मारे गए इस बीमारी का कहर करीब दो सालों तक जारी रहा। पूरी दुनिया में स्पेनिश फ्लू से 50 करोड़ से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए और लगभग 5 करोड़ लोग मारे गए। ये आंकड़ा पहले विश्व युद्ध में मारे गए सैनिकों और आम लोगों की कुल संख्या से भी ज्यादा था।
स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा नाम? अब सवाल यह उठता है कि इस बीमारी की शुरुआत स्पेन में नहीं हुई फिर भी इसका नाम स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा? तो हम आपको बता दें कि इसका एक कारण माना जाता है कि पहले विश्वयुद्ध में स्पेन तटस्थ था। उसने अपने यहां इस बीमारी को फैलने की खबर को दबाया नहीं। लेकिन युद्ध में भाग ले रहे अन्य देशों ने यह सोचकर इस खबर को दबा दिया कि इससे उनके सैनिकों का मनोबल न टूटे। साथ ही वह दुश्मनों की नजर में कमजोर न दिखे। ऐसे में मीडिया ने इस बीमारी को स्पेनिश फ्लू के नाम से प्रचलित कर दिया।
कोरोना और स्पेनिश फ्लू में अंतर COVID-19 की तरह ही स्पेनिश फ्लू भी सीधे फेफड़ों पर हमला करता था। हालांकि, दोनों बीमारियों में यह अंतर था कि कोरोना वायरस जहां कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को संक्रमित करता है, वहीं स्पेनिश फ्लू इतना ज्यादा खतरनाक था कि उसके लक्षण सामने आने के महज 24 घंटों के अंदर ही ये एकदम स्वस्थ व्यक्ति की भी जान ले सकता था। उस समय इलाज की इतनी सुविधा नहीं थी जितनी अभी है। उस समय स्वास्थ्य और बीमारी संबंधित शोध की भी सुविधा नहीं थी। ये भी पढ़े... अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और उसकी पत्नी भी हुए कोरोना वायरस का शिकार, अस्पताल में भर्ती वैज्ञानिकों का दावा- चीन नहीं बल्कि फ्रांस में आया था कोरोना वायरस का पहला केस! मंदिर के पुजारी ने कोरोना वायरस को भगाने के लिए दी मानव बलि, शख्स का सिर काटकर मंदिर में चढ़ाया, हुआ गिरफ्तार Read the full article
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100 साल पहले फैली थी कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक बीमारी, 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत!
चैतन्य भारत न्यूज चीन से फैले कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर में लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक कोरोना वायरस की चपेट में आकर 88,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 14 लाख से ज्यादा लोग इसके संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। भारत में भी अब तक कोरोना वायरस के 5735 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और करीब 165 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस अब महामारी बन गया है। वैसे कोरोना वायरस पहली ऐसी बीमारी नहीं है जिसका डर दुनियाभर में देखा जा रहा है, बल्कि इससे पहले भी दुनिया में एक ऐसे फ्लू ने कहर ढाया था जिसकी चपेट में आकर करोड़ों लोगों की मौत हो गई थी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); इस फ्लू का नाम स्पेनिश फ्लू था। स्पेनिश फ्लू के शुरुआती मामले 100 साल पहले मार्च, 1918 में अमेरिका से सामने आए थे। उस समय तो एक देश से दूसरे देश में आना-जाना समुद्री मार्गों से ही होता था। फिर भी यह बीमारी काफी तेजी से फैली। स्पेनिश फ्लू की चपेट में सबसे पहले यूएस मिलट्री का एक जवान आया था। इसके बाद तो इस बीमारी ने ऐसा तांडव मचाया कि सिर्फ यूएस में 6 लाख 75 हजार लोगों की जान गई थी। वहीं दुनियाभर में इस बीमारी से 5 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हुई थी। ज्यादतार मृतकों में पांच साल से ज्यादा उम्र के बच्चे, 20-40 साल के जवान और 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग शामिल थे। कैसे हुई बीमारी की शुरुआत? माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत सैनिकों से हुई थी। उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। स्पेनिश फ्लू पश्चिमी मोर्चे पर सैनिकों के तंग और भीड़ भरे ट्रेनिंग कैंपों में फैला। खासतौर से फ्रांस के साथ लगती सीमाओं पर स्थित खाइयों में प्रदूषित वातावरण ने इसके फैलने में ज्यादा मदद की। नवंबर 1918 के अंत तक युद्ध तो खत्म हो गया लेकिन इससे संक्रमित सैनिकों के साथ वायरस भी अन्य देशों में फैल गया।
करोड़ों लोग मारे गए इस बीमारी का कहर करीब दो सालों तक जारी रहा। पूरी दुनिया में स्पेनिश फ्लू से 50 करोड़ से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए और लगभग 5 करोड़ लोग मारे गए। ये आंकड़ा पहले विश्व युद्ध में मारे गए सैनिकों और आम लोगों की कुल संख्या से भी ज्यादा था।
स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा नाम? अब सवाल यह उठता है कि इस बीमारी की शुरुआत स्पेन में नहीं हुई फिर भी इसका नाम स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा? तो हम आपको बता दें कि इसका एक कारण माना जाता है कि पहले विश्वयुद्ध में स्पेन तटस्थ था। उसने अपने यहां इस बीमारी को फैलने की खबर को दबाया नहीं। लेकिन युद्ध में भाग ले रहे अन्य देशों ने यह सोचकर इस खबर को दबा दिया कि इससे उनके सैनिकों का मनोबल न टूटे। साथ ही वह दुश्मनों की नजर में कमजोर न दिखे। ऐसे में मीडिया ने इस बीमारी को स्पेनिश फ्लू के नाम से प्रचलित कर दिया।
कोरोना और स्पेनिश फ्लू में अंतर COVID-19 की तरह ही स्पेनिश फ्लू भी सीधे फेफड़ों पर हमला करता था। हालांकि, दोनों बीमारियों में यह अंतर था कि कोरोना वायरस जहां कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को संक्रमित करता है, वहीं स्पेनिश फ्लू इतना ज्यादा खतरनाक था कि उसके लक्षण सामने आने के महज 24 घंटों के अंदर ही ये एकदम स्वस्थ व्यक्ति की भी जान ले सकता था। उस समय इलाज की इतनी सुविधा नहीं थी जितनी अभी है। उस समय स्वास्थ्य और बीमारी संबंधित शोध की भी सुविधा नहीं थी। ये भी पढ़े... इंदौर: देश में कोरोनावायरस से पहले डॉक्टर की मौत, नहीं कर रहे थे कोरोना मरीजों का इलाज, फिर भी हुए संक्रमित इंदौर: कोरोना से अब तक 16 लोगों की मौत, लेकिन कब्रिस्तान पहुंचे 120 जनाजे, आंकड़ें देख प्रशासन भी चौंका कोरोना निगेटिव होने पर अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी 14 दिन होम क्वारंटाइन में रहना जरुरी Read the full article
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100 साल पहले फैली थी कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक बीमारी, 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत!
चैतन्य भारत न्यूज चीन से फैले कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर में लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक कोरोना वायरस की चपेट में आकर 4 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 100 से ज्यादा देशों में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल गया है। भारत में भी कोरोना वायरस के 60 से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं। वैसे कोरोना वायरस पहली ऐसी बीमारी नहीं है जिसका डर दुनियाभर में देखा जा रहा है, बल्कि इससे पहले भी दुनिया में एक ऐसे फ्लू ने कहर ढाया था जिसकी चपेट में आकर करोड़ों लोगों की मौत हो गई थी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); इस फ्लू का नाम स्पेनिश फ्लू था। स्पेनिश फ्लू के शुरुआती मामले 100 साल पहले मार्च, 1918 में अमेरिका से सामने आए थे। उस समय तो एक देश से दूसरे देश में आना-जाना समुद्री मार्गों से ही होता था। फिर भी यह बीमारी काफी तेजी से फैली। स्पेनिश फ्लू की चपेट में सबसे पहले यूएस मिलट्री का एक जवान आया था। इसके बाद तो इस बीमारी ने ऐसा तांडव मचाया कि सिर्फ यूएस में 6 लाख 75 हजार लोगों की जान गई थी। वहीं दुनियाभर में इस बीमारी से 5 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हुई थी। ज्यादतार मृतकों में पांच साल से ज्यादा उम्र के बच्चे, 20-40 साल के जवान और 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग शामिल थे। कैसे हुई बीमारी की शुरुआत? माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत सैनिकों से हुई थी। उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। स्पेनिश फ्लू पश्चिमी मोर्चे पर सैनिकों के तंग और भीड़ भरे ट्रेनिंग कैंपों में फैला। खासतौर से फ्रांस के साथ लगती सीमाओं पर स्थित खाइयों में प्रदूषित वातावरण ने इसके फैलने में ज्यादा मदद की। नवंबर 1918 के अंत तक युद्ध तो खत्म हो गया लेकिन इससे संक्रमित सैनिकों के साथ वायरस भी अन्य देशों में फैल गया।
करोड़ों लोग मारे गए इस बीमारी का कहर करीब दो सालों तक जारी रहा। पूरी दुनिया में स्पेनिश फ्लू से 50 करोड़ से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए और लगभग 5 करोड़ लोग मारे गए। ये आंकड़ा पहले विश्व युद्ध में मारे गए सैनिकों और आम लोगों की कुल संख्या से भी ज्यादा था।
स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा नाम? अब सवाल यह उठता है कि इस बीमारी की शुरुआत स्पेन में नहीं हुई फिर भी इसका नाम स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा? तो हम आपको बता दें कि इसका एक कारण माना जाता है कि पहले विश्वयुद्ध में स्पेन तटस्थ था। उसने अपने यहां इस बीमारी को फैलने की खबर को दबाया नहीं। लेकिन युद्ध में भाग ले रहे अन्य देशों ने यह सोचकर इस खबर को दबा दिया कि इससे उनके सैनिकों का मनोबल न टूटे। साथ ही वह दुश्मनों की नजर में कमजोर न दिखे। ऐसे में मीडिया ने इस बीमारी को स्पेनिश फ्लू के नाम से प्रचलित कर दिया।
कोरोना और स्पेनिश फ्लू में अंतर COVID-19 की तरह ही स्पेनिश फ्लू भी सीधे फेफड़ों पर हमला करता था। हालांकि, दोनों बीमारियों में यह अंतर था कि कोरोना वायरस जहां कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को संक्रमित करता है, वहीं स्पेनिश फ्लू इतना ज्यादा खतरनाक था कि उसके लक्षण सामने आने के महज 24 घंटों के अंदर ही ये एकदम स्वस्थ व्यक्ति की भी जान ले सकता था। उस समय इलाज की इतनी सुविधा नहीं थी जितनी अभी है। उस समय स्वास्थ्य और बीमारी संबंधित शोध की भी सुविधा नहीं थी। ये भी पढ़े... कोरोना वायरस के डर से दुनियाभर में बदला अभिवादन का तरीका, जानें अलग-अलग देशों की परंपराएं चीन में कोरोना वायरस का डर, 4 फीट दूर से बाल काट रहे हैं नाई, वायरल हुआ वीडियो IPL-2020 पर मंडराए खतरे के बादल, कोरोना वायरस के कारण टाली जा सकती है लीग! कोरोना वायरस से भी बड़ी महामारी है वायु प्रदूषण, 4 साल तक उम्र हो रही कम, हर साल 88 लाख मौत Read the full article
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100 साल पहले फैली थी कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक बीमारी, 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत!
चैतन्य भारत न्यूज चीन से फैले कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर में लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक कोरोना वायरस की चपेट में आकर 4 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 100 से ज्यादा देशों में कोरोना वायरस का संक्रमण फैल गया है। भारत में भी कोरोना वायरस के 60 से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं। वैसे कोरोना वायरस पहली ऐसी बीमारी नहीं है जिसका डर दुनियाभर में देखा जा रहा है, बल्कि इससे पहले भी दुनिया में एक ऐसे फ्लू ने कहर ढाया था जिसकी चपेट में आकर करोड़ों लोगों की मौत हो गई थी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); इस फ्लू का नाम स्पेनिश फ्लू था। स्पेनिश फ्लू के शुरुआती मामले 100 साल पहले मार्च, 1918 में अमेरिका से सामने आए थे। उस समय तो एक देश से दूसरे देश में आना-जाना समुद्री मार्गों से ही होता था। फिर भी यह बीमारी काफी तेजी से फैली। स्पेनिश फ्लू की चपेट में सबसे पहले यूएस मिलट्री का एक जवान आया था। इसके बाद तो इस बीमारी ने ऐसा तांडव मचाया कि सिर्फ यूएस में 6 लाख 75 हजार लोगों की जान गई थी। वहीं दुनियाभर में इस बीमारी से 5 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हुई थी। ज्यादतार मृतकों में पांच साल से ज्यादा उम्र के बच्चे, 20-40 साल के जवान और 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग शामिल थे। कैसे हुई बीमारी की शुरुआत? माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत सैनिकों से हुई थी। उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था। स्पेनिश फ्लू पश्चिमी मोर्चे पर सैनिकों के तंग और भीड़ भरे ट्रेनिंग कैंपों में फैला। खासतौर से फ्रांस के साथ लगती सीमाओं पर स्थित खाइयों में प्रदूषित वातावरण ने इसके फैलने में ज्यादा मदद की। नवंबर 1918 के अंत तक युद्ध तो खत्म हो गया लेकिन इससे संक्रमित सैनिकों के साथ वायरस भी अन्य देशों में फैल गया।
करोड़ों लोग मारे गए इस बीमारी का कहर करीब दो सालों तक जारी रहा। पूरी दुनिया में स्पेनिश फ्लू से 50 करोड़ से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए और लगभग 5 करोड़ लोग मारे गए। ये आंकड़ा पहले विश्व युद्ध में मारे गए सैनिकों और आम लोगों की कुल संख्या से भी ज्यादा था।
स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा नाम? अब सवाल यह उठता है कि इस बीमारी की शुरुआत स्पेन में नहीं हुई फिर भी इसका नाम स्पेनिश फ्लू क्यों पड़ा? तो हम आपको बता दें कि इसका एक कारण माना जाता है कि पहले विश्वयुद्ध में स्पेन तटस्थ था। उसने अपने यहां इस बीमारी को फैलने की खबर को दबाया नहीं। लेकिन युद्ध में भाग ले रहे अन्य देशों ने यह सोचकर इस खबर को दबा दिया कि इससे उनके सैनिकों का मनोबल न टूटे। साथ ही वह दुश्मनों की नजर में कमजोर न दिखे। ऐसे में मीडिया ने इस बीमारी को स्पेनिश फ्लू के नाम से प्रचलित कर दिया।
कोरोना और स्पेनिश फ्लू में अंतर COVID-19 की तरह ही स्पेनिश फ्लू भी सीधे फेफड़ों पर हमला करता था। हालांकि, दोनों बीमारियों में यह अंतर था कि कोरोना वायरस जहां कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को संक्रमित करता है, वहीं स्पेनिश फ्लू इतना ज्यादा खतरनाक था कि उसके लक्षण सामने आने के महज 24 घंटों के अंदर ही ये एकदम स्वस्थ व्यक्ति की भी जान ले सकता था। उस समय इलाज की इतनी सुविधा नहीं थी जितनी अभी है। उस समय स्वास्थ्य और बीमारी संबंधित शोध की भी सुविधा नहीं थी। ये भी पढ़े... कोरोना वायरस के डर से दुनियाभर में बदला अभिवादन का तरीका, जानें अलग-अलग देशों की परंपराएं चीन में कोरोना वायरस का डर, 4 फीट दूर से बाल काट रहे हैं नाई, वायरल हुआ वीडियो IPL-2020 पर मंडराए खतरे के बादल, कोरोना वायरस के कारण टाली जा सकती है लीग! कोरोना वायरस से भी बड़ी महामारी है वायु प्रदूषण, 4 साल तक उम्र हो रही कम, हर साल 88 लाख मौत Read the full article
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10 Misconceptions Around Coronavirus: Know Myths And Facts About The Same
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18 Misconceptions Around Coronavirus: Know Myths And Facts About The Same
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