#2021 होली नई
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Holi 2021 : ‘पिचकारी की धार, गुलाल की बौछार, अपनों का प्यार, यही है होली का त्योहार’
Holi 2021 : ‘पिचकारी की धार, गुलाल की बौछार, अपनों का प्यार, यही है होली का त्योहार’
रंगों का त्यौहार यानि होली (Holi 2021) आज पूरे भारत में बड़ी ही धूम धाम से मनाई जा रही है। वसंत ऋतु में पड़ने वाली होली ना सिर्फ भारत में एक बड़े त्यौहार के रूप में मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को आती है। होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है और फिर दूसरे दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है जिसे धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन आदि नाम से जाना जाता है। एक ही रंग में…
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होली ऑफर: बजट स्मार्टफोन पर मिल रहा 40% तक डिस्काउंट, कल इस ऑफर का आखिरी दिन
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Hindi News Tech auto Smartphone Upgrade Offer Holi 2021 Discount Up To 40% On Redmi, Oneplus, Samsung, IPhone And More Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप नई दिल्ली19 मिनट पहले कॉपी लिंक आप नया स्मार्टफोन लेने या फिर पुराने को बदलने का प्लान कर रहे हैं, तब ये आपके लिए सही समय हो सकता है। दरअसल, फ्लिपकार्ट पर स्मार्टफोन अपग्रेड ऑफर चल रहा है। इस ऑफर का आखिरी…
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🚩 मकर संक्रांति के बारे में ये जरूर जाना ले, अनुपम लाभ होगा -12 जनवरी 2021
🚩 हिन्दू संस्कृति अति प्राचीन संस्कृति है, उसमें अपने जीवन पर प्रभाव पड़ने वाले ग्रह, नक्षत्र के अनुसार ही वार, तिथि त्यौहार बनाये गये हैं । इसमें से एक है मकर संक्रांति..!! इस साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जायेगी ।
🚩 सनातन हिंदू धर्म ने माह को दो भागों में बाँटा है- कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष । इसी तरह वर्ष को भी दो भागों में बाँट रखा है। पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। उक्त दो अयन को मिलाकर एक वर्ष होता है ।
🚩 मकर संक्रांति के दिन सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करने की दिशा बदलते हुए थोड़ा उत्तर की ओर ढलता जाता है, इसलिए इस काल को उत्तरायण कहते हैं ।
🚩 ईसी दिन से अलग-अलग राज्यों में गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है । कुंभ के पहले स्नान की शुरुआत भी इसी दिन से होती है ।
🚩 सूर्य पर आधारित हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत अधिक महत्व माना गया है । वेद और पुराणों में भी इस दिन का विशेष उल्लेख मिलता है । होली, दीपावली, दुर्गोत्सव, शिवरात्रि और अन्य कई त्यौहार जहाँ विशेष कथा पर आधारित हैं, वहीं मकर संक्रांति खगोलीय घटना है, जिससे जड़ और चेतन की दशा और दिशा तय होती है । मकर संक्रांति का महत्व हिंदू धर्मावलंबियों के लिए वैसा ही है जैसे वृक्षों में पीपल, हाथियों में ऐरावत और पहाड़ों में हिमालय ।
🚩 सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश को उत्तरायण माना जाता है । इस राशि परिवर्तन के समय को ही मकर संक्रांति कहते हैं । यही एकमात्र पर्व है जिसे समूचे भारत में मनाया जाता है, चाहें इसका नाम प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग हो और इसे मनाने के तरीके भी भिन्न हो, किंतु यह बहुत ही महत्व का पर्व है ।
🚩 विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है:-
उत्तर प्रदेश : मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है । सूर्य की पूजा की जाती है । चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है ।
गुजरात और राजस्थान : उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है। पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है ।
आंध्रप्रदेश : संक्रांति के नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है ।
तमिलनाडु : किसानों का ये प्रमुख पर्व पोंगल क�� नाम से मनाया जाता है । घी में दाल-चावल की खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है ।
महाराष्ट्र : लोग गजक और तिल के लड्डू खाते हैं और एक दूसरे को भेंट देकर शुभकामनाएं देते हैं ।
पश्चिम बंगाल : हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है ।
असम : भोगली बिहू के नाम से इस पर्व को मनाया जाता है ।
🚩पंजाब : एक दिन पूर्व लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है । धूमधाम के साथ समारोहों का आयोजन किया जाता है ।
🚩 इसी दिन से हमारी धरती एक नए वर्ष में और सूर्य एक नई गति में प्रवेश करता है। वैसे वैज्ञानिक कहते हैं कि 21 मार्च को धरती सूर्य का एक चक्कर पूर्ण कर लेती है तो इसे माने तो नववर्ष तभी मनाया जाना चाहिए। इसी 21 मार्च के आसपास ही विक्रम संवत का नववर्ष शुरू होता है और गुड़ी पड़वा मनाया जाता है, किंतु 14 जनवरी ऐसा दिन है, जबकि धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों को ठीक नहीं माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं।
🚩 महाभारत में पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था, कारण कि उत्तरायण में देह छोड़ने वाली आत्माएँ या तो कुछ काल के लिए देवलोक में चली जाती हैं या पुनर्जन्म के चक्र से उन्हें छुटकारा मिल जाता है।
🚩 दक्षिणायन में देह छोड़ने पर बहुत काल तक आत्मा को अंधकार का सामना करना पड़ सकता है । सब कुछ प्रकृति के नियम के तहत है, इसलिए सभी कुछ प्रकृति से बद्ध है । पौधा प्रकाश में अच्छे से खिलता है, अंधकार में सिकुड़ भी सकता है । इसीलिए मृत्यु हो तो प्रकाश में हो ताकि साफ-साफ दिखाई दे कि हमारी गति और स्थिति क्या है ।
🚩 क्या करे मकर संक्रांति में? मकर संक्रांति या उत्तरायण दान-पुण्य का पर्व है । इस दिन किया गया दान-पुण्य, जप-तप अनंतगुना फल देता है । इस दिन गरीब को अन्नदान, जैसे तिल व गुड़ का दान देना चाहिए। इसमें तिल या तिल के लड्डू या तिल से बने खाद्य पदार्थों को दान देना चाहिए । कई लोग रुपया-पैसा भी दान करते हैं।
मकर संक्रांति के दिन साल का पहला पुष्य नक्षत्र है मतलब खरीदारी के लिए बेहद शुभ दिन ।
उत्तरायण के दिन भगवान सूर्यनारायण के इन नामों का जप विशेष हितकारी है ।
ॐ मित्राय नमः । ॐ रवये नमः ।
ॐ सूर्याय नमः । ॐ भानवे नमः ।
ॐ खगाय नमः । ॐ पूष्णे नमः ।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः । ॐ मरीचये नमः ।
ॐ आदित्याय नमः । ॐ सवित्र��� नमः ।
ॐ अर्काय नमः । ॐ भास्कराय नमः ।
ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः ।
🚩 ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नम:। इस मंत्र से सूर्यनारायण की वंदना करनी चाहिए। उनका चिंतन करके प्रणाम करना चाहिए। इससे सूर्यनारायण प्रसन्न होंगे, निरोगता देंगे और अनिष्ट से भी रक्षा करेंगे।
🚩 यदि इस दिन नदी तट पर जाना संभव नहीं है, तो अपने घर के स्नानघर में पूर्वाभिमुख होकर जल पात्र में तिल मिश्रित जल से स्नान करें । साथ ही समस्त पवित्र नदियों व तीर्थ का स्मरण करते हुए ब्रह्मा, विष्णु, र��द्र और भगवान भास्कर का ध्यान करें । साथ ही इस जन्म के पूर्व जन्म के ज्ञात अज्ञात मन, वचन, शब्द, काया आदि से उत्पन्न दोषों की निवृत्ति हेतु क्षमा याचना करते हुए सत्य धर्म के लिए निष्ठावान होकर सकारात्मक कर्म करने का संकल्प लें । जो संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता.... वह 7 जन्मों तक निर्धन और रोगी रहता है ।
🚩 तिल का महत्व :-विष्णु धर्मसूत्र में उल्लेख है कि मकर संक्रांति के दिन तिल का 6 प्रकार से उपयोग करने पर जातक के जीवन में सुख व समृद्धि आती है ।
★ तिल के तेल से स्नान करना ।
★ तिल का उबटन लगाना ।
★ पितरों को तिलयुक्त तेल अर्पण करना।
★ तिल की आहुति देना ।
★ तिल का दान करना ।
★ तिल का सेवन करना।
🚩 ब्रह्मचर्य बढ़ाने के लिए :-
ब्रह्मचर्य रखना हो, संयमी जीवन जीना हो, वे उत्तरायण के दिन भगवान सूर्यनारायण का सुमिरन करें, जिससे बुद्धि में बल बढ़े ।
ॐ सूर्याय नमः... ॐ शंकराय नमः...
ॐ गं गणपतये नमः... ॐ हनुमते नमः...
ॐ भीष्माय नमः... ॐ अर्यमायै नमः...
ॐ... ॐ...
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काशी कॉरिडोर पर कोरोना का साया, काम की चाल पड़ी मंद Divya Sandesh
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काशी कॉरिडोर पर कोरोना का साया, काम की चाल पड़ी मंद
वाराणसी। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर कोरोना का संकट मंडरा रहा है। काम शुरू होने के बाद दो बार प्रोजेक्ट बाधित हुआ है। छुट्टी पर गांव गये मजदूर अब तक नहीं लौटे और बाहर से मजदूर व एक्सपर्ट भी नहीं आ रहे हैं। इससे एक अप्रैल से अब तक यानी डेढ़ माह में केवल 2.5 फीसदी काम हो पाया है। लिहाजा, दिए गये समय में परियोजना का काम पूरा होना मुश्किल दिखाई दे रहा है। कोरोना संक्रमण से श्री काशी विश्वनाथ धाम का काम भी प्रभावित हुआ है। बावजूद इसके गंगा घाट पर जेटी का कार्य पूर्ण हो चुका है और अब फिनिशिंग का काम शुरू होना है। वहीं धाम क्षेत्र की 23 में से 19 इमारतों पर कार्य चल रहा है।
काशी विश्वनाथ मंदिर से लालिता घाट और मणिकर्णिका घाट के बीच में करीब 50 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में निमार्णाधीन काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) का शिलान्यास सात मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। 600 करोड़ की परियोजना पर गुजरात की ��ंसल्टेंट कम्पनी एचसीपी और कार्यदायी एजेंसी पीएसपी ने युद्धस्तर पर काम शुरू किया। तमाम बाधाओं को पार पाते हुए पिछले वर्ष मार्च तक 30 फीसदी तक काम पूरा हो गया था। पूर्ण लॉकडाउन लगने के बाद काम पूरी तरह ठप हो गया। जून में अनुमति मिलते ही परियोजना ने रफ्तार पकड़ी तो 30 मार्च 2021 तक 50 फीसदी काम पूरा हो गया था। पहले अगस्त और फिर लॉकडाउन के बाद अक्तूबर- 2021 में काम पूरा करने की शासन ने समयसीमा निर्धारित कर दी थी।
इस वर्ष मार्च के बाद अचानक संक्रमण की दूसरी लहर ने फिर कॉरिडोर पर संकट के बादल ला दिये। होली की छुट्टी में गये न तो मजदूर लौटे और न ही दूसरे प्रांतों से आने वाले एक्सपर्ट आ पाये। हालांकि विगत दिनों में काफी सुरक्षा के बीच कॉरिडोर के कार्य को जारी रखा गया। हर हफ्ते जांच और सोशल डिस्टेंसिंग के बीच सिविल व बेस वर्क जारी है, लेकिन कार्य में अपेक्षित गति नहीं मिलने का असर परियोजना की डेडलाइन पर पड़ने लगा है।
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सीईओ का कहना है कि वर्तमान में निर्माण एजेंसी प्रोजेक्ट की रिपोर्ट तैयार करती है, लेकिन आंशिक कर्फ्यू हटने के बाद पूरे प्रोजेक्ट की सर्वे रिपोर्ट तैयार होगी। इसमें एक-एक भवन व ढांचे का कार्य प्रगति का आकलन और कितना समय लग सकता है, यह सब समायोजित किया जाएगा।
मंडलाआयुक्त दीपक अग्रवाल के अनुसार, काशी विश्वनाथ धाम परियोजना के काम को देखने वाली कंपनी के लोग भी कोविड की चपेट में आग गये थे। इसके अलावा बड़ी संख्या में मजदूर दूसरे जगह के हैं जो कोरेाना के चलते अभी कुछ लौटे नहीं, कुछ हैं भी तो वह गाइडलाइन के अनुसार दूरी बनाकर कम कर रहे हैं। इससे कार्य प्रभावित हो रहा है।
पीडब्ल्यूडी के मुख्य अधिशासी अभियंता संजय गोरे ने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम का काम अगस्त तक प्रस्तावित था, लेकिन कोरोना की लहर के कारण अब नई डेडलाइन 15 नवंबर तक प्रस्तावित है। अगर स्थितियां ठीक रहीं तो निर्धारित समय तक काम पूर्ण हो जाएगा। इसके अलावा मंदिर के मुख्य परिसर में पत्थर लगाने का काम चल रहा है। जून तक मंदिर में पत्थर लगाने काम पूरा हो जाएगा।
–आईएएनएस
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अप्रैल 2021: ये महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार इस महीने में आएंगे
अप्रैल 2021: ये महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार इस महीने में आएंगे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंग्रेजी कैलेंडर का चौथा महीना अप्रैल आज से शुरू हो रहा है। इस महीने में कई महान त्योहार और व्रत आते हैं। इसी महीने, विक्रम संवत की चित्रा शुक्ला की पहली तारीख को हिंदू नववर्ष भी शुरू होता है। इस महीने हम कई उपवास त्योहारों का अवलोकन करेंगे जिनमें चित्रा नूरत्रि, शतली अष्टमी, व्यास्की शामिल हैं। अप्रैल का महीना रंग पंच��ी के त्योहार से शुरू होता है। रंग पंचमी होली के…
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शीतला अष्टमी 2021: जानें इस दिन का महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
शीतला अष्टमी 2021: जानें इस दिन का महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। होली के आठवें दिन उत्तर भारत के अधिकांश घरों में शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस त्योहार को बुढ़ा बसोरा या लसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन घर में ताजा खाना बनाना वर्जित माना जाता है। शीतलाष्टमी जो इस बार 04 अप्रैल 2021, रविवार को पड़ रही है। यह त्योहार शीतला माता को समर्पित है। शीतला माता चेचक, हैजा जैसे रोगों से रक्षा करती हैं। शीतला माता की महिमा का उल्लेख…
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Deepika Singh ने 'बलम पिचकारी' सॉन्ग पर यूं किया डांस, Video हुआ वायरल
Deepika Singh ने ‘बलम पिचकारी’ सॉन्ग पर यूं किया डांस, Video हुआ वायरल
दीपिका सिंह (Deepika Singh) ने किया ‘बलम पिचकारी’ सॉन्ग पर जमकर डांस खास बातें दीपिका सिंह ने ‘बलम पिचकारी’ सॉन्ग पर किया धमाकेदार डांस वीडियो में दिखा ‘दीया और बाती हम’ एक्ट्रेस का जबरदस्त अंदाज दीपिका सिंह का वीडियो हो रहा है वायरल नई दिल्ली: होली (Holi 2021) का रंग बॉलीवुड से लेकर टीवी के सितारों पर भी खूब चढ़ा ह���आ नजर आ रहा है. हर कोई अपने परिवार के साथ होली सेलिब्रेट कर रहा है. होली के इस…
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होली 2021: स्मार्टफोन को सुरक्षित रखने का तरीका, जानें जरूरी टिप्स
होली 2021: स्मार्टफोन को सुरक्षित रखने का तरीका, जानें जरूरी टिप्स
हाइलाइट्स: होली पर फोन के लिए ज़िप लॉक बैग का इस्तेमाल करें गुब्बारों को वाटरप्रूफ बैग के तौर पर यूज किया जा सकता है स्मार्टफोन को पोर्ट्स का विशेष ध्यान रखें नई दिल्लीआज हम सब होली यानी रंगों का त्यौहार सेलिब्रेट कर रहे हैं। हालांकि, कोविड -19 के कारण अलग-अलग स्थानों पर होली उत्सव नहीं हो रहा है लेकिन हम अपने परिवारों के साथ होली खेल सकते हैं। जरूरी है कि होली मनाने के दौरान सभी आवश्यक चीजों…
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Holi 2021: बॉलीवुड की ये 5 फिल्में जिनके होली सीन्स ने बनाया सुपरहिट [Source: Patrika : India's Leading Hindi News Portal]
Holi 2021: बॉलीवुड की ये 5 फिल्में जिनके होली सीन्स ने बनाया सुपरहिट [Source: Patrika : India’s Leading Hindi News Portal]
नई दिल्ली। आज देशभर में रंगों का खूबसूरत त्योहार मनाया जा रहा है। होली के जश्न में जब तक होली के गाने नहीं चलते हैं। तब तक पूरी पार्टी अधूरी ही रहती है। ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि होली में चार चांद लगाने में बॉलीवुड भी अहम भूमिका निभाता है। होली के खास अवसर पर आज हम आपको कुछ ऐसी फिल्मों के बारें में बताएंगे जिन्हें आज भी उनके होली सीन्स के लिए याद किया जाता है और किसी फिल्म के तो…
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Holi 2021: लाल-पीला, हरा-नील कोई भी हो रंग, ये टिप्स अपनाते ही चेहरे से हो जाएंगे छूमंतर
Holi 2021: लाल-पीला, हरा-नील कोई भी हो रंग, ये टिप्स अपनाते ही चेहरे से हो जाएंगे छूमंतर
नई दिल्ली: होली रंगों का त्योहार है. होली में लोग बेफिक्र होकर रंग-गुलाल खेलते हैं और खूब मस्ती करते हैं. परेशानी तब शुरू होती है, जब रंगों को छुड़ाने की बारी आती है. ज्यादातर लोगों को सही तरीका नहीं पता होता है कि आखिर शरीर पर लगे रंगों को छुड़ाया कैसे जाए. कई बार लोग रंग छुड़ाने के चक्कर में अपनी त्वचा को रगड़ देते हैं, जिससे स्किन संबंधी कई समस्याएं हो जाती हैं. आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं…
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🚩 1 जनवरी का इतिहास जान लेंगे आप तो छोड़ देंगे नववर्ष मनाना - 25 दिसंबर 2021
🚩विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में राज करने के लिए सबसे पहले भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात किया जिससे हम अपनी महान दिव्य संस्कृति भूल जाएं और उनकी पाश्चात्य संस्कृति अपना लें जिसके कारण वे भारत में राज कर सकें।
🚩अपनी संस्कृति का ज्ञान न होने के कारण आज हिन्दू भी 31 दिसंबर की रात्रि में एक-दूसरे को हैपी न्यू इयर कहते हुए नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं ।
🚩नववर्ष उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि (हिन्दुओं का नववर्ष ) भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी ये तिथि नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी लेकिन रोम के तानाशाह जूलियस सीजर को भारतीय नववर्ष मनाना पसन्द नही आ रहा था इसलिए उसने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 ईस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था ��� उसके बाद भारतीय नववर्ष के ��नुसार छोड़कर ईसाई समुदाय उनके देशों में 1 जनवरी से नववर्ष मनाने लगे ।
🚩भारत देश में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की 1757 में स्थापना की । उसके बाद भारत को 190 साल तक गुलाम बनाकर रखा गया। इसमें वो लोग लगे हुए थे जो भारत की ऋषि-मुनियों की प्राचीन सनातन संस्कृति को मिटाने में कार्यरत थे। लॉड मैकाले ने सबसे पहले भारत का इतिहास बदलने का प्रयास किया जिसमें गुरुकुलों में हमारी वैदिक शिक्षण पद्धति को बदला गया ।
🚩भारत का प्राचीन इतिहास बदला गया जिसमें भारतीय अपने मूल इतिहास को भूल गये और अंग्रेजों का गुलाम बनाने वाले इतिहास याद रह गया और आज कई भोले-भ���ले भारतवासी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष नही मनाकर 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाने लगे ।
🚩हद तो तब हो जाती है जब एक दूसरे को नववर्ष की बधाई भी देने लग जाते हैं। क्या किसी भी ईसाई देशों में हिन्दुओं को हिन्दू नववर्ष की बधाई दी जाती है..??? किसी भी ईसाई देश में हिन्दू नववर्ष नहीं मनाया जाता है फिर भोले भारतवासी उनका नववर्ष क्यों मनाते हैं?
🚩इस साल आने वाला नया वर्ष 2022 अंग्रेजों अर्थात ईसाई धर्म का नया साल है।
🚩हिन्दू धर्म का इस समय विक्रम संवत 2078 चल रहा है।
🚩इससे सिद्ध हो गया कि हिन्दू धर्म ही सबसे पुराना धर्म है ।
🚩इस विक्रम संवत से 5000 साल पहले इस धरती पर भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए । उनसे पहले भगवान राम, और अन्य अवतार हुए यानि जबसे पृथ्वी का प्रारम्भ हुआ तबसे सनातन (हिन्दू) धर्म है।
🚩कहाँ करोड़ों वर्ष पुराना हमारा सनातन धर्म और कहाँ भारतीय अपनी गरिमा से गिर 2000 साल पुराना नववर्ष मना रहे हैं!
🚩जरा सोचिए....!!!
🚩सीधे-सीधे शब्दों में हिन्दू धर्म ही सब धर्मों की जननी है। यहाँ किसी धर्म का विरोध नहीं है परन्तु सभी भारतवासियों को बताना चाहते हैं कि इंग्लिश कैलेंडर के बदलने से हिन्दू वर्ष नहीं बदलता!
🚩जब बच्चा पैदा होता है तो पंडित जी द्वारा उसका नामकरण कैलेंडर से नहीं हिन्दू पंचांग से किया जाता है । ग्रहदोष भी हिन्दू पंचाग से देखे जाते हैं और विवाह,जन्मकुंडली आदि का मिलान भी हिन्दू पंचाग से ही होता है । सभी व्रत, त्यौहार हिन्दू पंचाग से आते हैं। मरने के बाद तेरहवाँ भी हिन्दू पंचाग से ही देखा जाता है। मकान का उद्घाटन, जन्मपत्री, स्वास्थ्य रोग और अन्य सभी समस्याओं का निराकरण भी हिन्दू कैलेंडर {पंचाग} से ही होता है।
🚩आप जानते हैं कि रामनवमी, जन्माष्टमी, होली, दीपावली, राखी, भाई दूज, करवा चौथ, एकादशी, शिवरात्री, नवरात्रि, दुर्गापूजा सभी विक्रमी संवत ��ैलेंडर से ही निर्धारित होते हैं | इंग्लिश कैलेंडर में इनका कोई स्थान नहीं होता।
🚩सोचिये! आपके इस सनातन धर्म के जीवन में इंग्लिश नववर्ष या कैलेंडर का स्थान है कहाँ ?
🚩1 जनवरी को क्या नया हो रहा है..????
🚩न ऋतु बदली... न मौसम...न कक्षा बदली...न सत्र....न फसल बदली...न खेती.....न पेड़ पौधों की रंगत...न सूर्य चाँद सितारों की दिशा.... ना ही नक्षत्र...
🚩हाँ, नए साल के नाम पर करोड़ो /अरबों जीवों की हत्या व करोड़ों /अरबों गैलन शराब का पान व रात पर फूहणता अवश्य होगी।
🚩भारतीय संस्कृति का नव संवत् ही नया साल है.... जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तियां, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते हैं जो विज्ञान आधारित है और चैत्र नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण घर, मन्दिर, गली, दुकान सभी जगह पूजा-पाठ व भक्ति का पवित्र वातावरण होता है ।
🚩अतः हिन्दुस्तानी अपनी मानसिकता को बदले, विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने और चैत्री शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन ही नूतन वर्ष मनाये।
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होली 2021: आज होगा होलिका दहन, जानिए इसका महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
चैतन्य भारत न्यूज इस साल होलिका दहन 28 मार्च को है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली में जितना महत्व रंगों का है उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है। रंग वाली होली से एक दिन पहले होली जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। आइए जानते हैं होलिका दहन का महत्व और शुभ मुहूर्त। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
होलिका दहन का महत्व हिंदू धर्म के मुताबिक, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है। इस बार होलिका दहन 28 मार्च को किया जाएगा, जबकि रंगों वाली होली यानी धुलेंडी 10 मार्च को है। होलिका दहन की अग्नि को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। होलिका दहन की राख को लोग अपने शरीर और माथे पर लगाते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से कोई बुरा साया आसपास भी नहीं भटकता है। होलिका दहन बताता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, वो अच्छाई के सामने टिक नहीं सकती और उसे घुटने टेकने ही पड़ते हैं।
पूजा सामग्री एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि। इसके अलावा नई फसल के धान्यों जैसे पके चने की बालियां व गेहूं की बालियां भी सामग्री के रूप में रखी जाती हैं। होलिका दहन पूजा-विधि पूजा करने वाले व्यक्ति को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बैठना चाहिए। इसके बाद होलिका के पास गोबर से बनी ढाल तथा खिलौने को रखा जाता है। जल, मौली, फूल, गुलाल व खिलौनों की चार मालाएं अलग से घर में लाकर सुरक्षित रख ली जाती हैं। इसके बाद कच्चे सूत्र लें उसे होलिका के चारों तरफ तीन या 7 परिक्रमा करते हुए लपेटे। इसके बाद लोटे में भरे हुए शुद्ध जल व अन्य सभी सामग्रियों को एक एक करते होलिका को समर्पित करें। होलिका दहन के बाद उसकी अग्नि में कच्चे आम, नारियल, भुट्टे, चीनी के खिलौने, नई फसल के कुछ भाग की आहुति दी जाती है। इसी के साथ गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर भी जरूर अर्पित करें। मान्यता है कि होलिका दहन के बाद जली हुई राख को घर लाना शुभ माना जाता है। अगले दिन सुबह-सवेरे उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर पितरों का तर्पण करें। घर के देवी-देवताओं को अबीर-गुलाल अर्पित करें। अब घर के बड़े सदस्यों को रंग लाकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
होलिका दहन शुभ मुहूर्त इस बार प्रदोष काल में भद्रा का साया नहीं होना बहुत दुर्लभ और शुभ संयोग है। ऐसे में शाम 6 बजकर 36 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट तक शुभ योग और 8 बजकर 3 मिनट से रात 9 बजकर 30 मिनट तक अमृत काल का शुभ संयोग रहेगा। इस दौरान होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत उचित रहेगा। Read the full article
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हैप्पी होली 2021: शुभकामनाएं, चित्र, संदेश, एसएमएस, व्हाट्सएप स्थिति, तस्वीरें
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रेलवे होली भीड़ के लिए स्पेशल ट्रेनों के तीन जोड़े चलाएगा - होली की भीड़ के लिए रेलवे तीन जोड़ी स्पेशल ट्रेनें चलाएगा
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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज द्वारा प्रकाशित: विनोद सिंह Updated Sat, 27 Mar 2021 12:33 AM IST खबर सुनिए खबर सुनिए होली के अवसर पर सभी ट्रेनों में लंबी प्रतीक्षा सूची के मद्देनजर रेलवे ने त्योहार स्पेशल ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है। इसमें मुख्य रूप से नई दिल्ली-भागलपुर, आनंद विहार-जोगबनी और भागलपुर-जोगबनी स्पेशल शामिल हैं। इसके अलावा रेलवे ने बीकानेर-कोलकाता और सियालदह-अजमेर स्पेशल ट्रेनों…
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