#20लाख
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#GodMorningFariday
वृंदावन का एक कथा वाचन 13000 शिष्यों के साथ आया संत रामपाल जी महाराज की शरण में जो अपनी एक दिन की कथा का 15 से 20लाख करते थे चार्ज
पहले
लक्ष्मी नारायण शास्त्री जी ने अपने 13000 हज़ार शिष्यों के साथ संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण की अब
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#20लाख का पेट्रोल भराकर नहीं दिए पैसे पेट्रोल पंप मैनेजर ने किया सुसाइड...
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प्रेमसिंह सियाग
अक्सर यह कहा जाता है कि मुगलों ने जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाया था लेकिन अंग���रेजी शासन के समय के आंकड़े कुछ और ही कह रहे है।
1881 की जनगणना के मुताबिक संयुक्त पंजाब में हिन्दू जाटों की जनसंख्या 14लाख 45 हजार थी।पचास वर्ष बाद अर्थात 1931 में जनसंख्या होनी चाहिए थी 20लाख 76 हजार लेकिन घटकर 9लाख 92 हजार रह गई।
संकेत साफ है कि अंग्रेजी शासन के इन 50 सालों में 50%जाट सिक्ख व मुसलमान बन गए।
इस दौरान हिंदुओं की आबादी 43.8%से घटकर 30.2%हो गई व सिक्खों की आबादी 8.2%से बढ़कर 14.3% व मुसलमानों की आबादी 40.6%से बढ़कर 52.2%हो गई।
जाटों ने धर्म परिवर्तन इसलिए किया क्योंकि ब्राह्मण धर्म का कास्ट-सिस्टम इनको जल��ल कर रहा था।पाखंड व अंधविश्वास की लूट उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही थी।जाट सदा से प्रकृति के नजदीक रहा है।इंसान जीवन मे सरलता ढूंढता है लेकिन ब्राह्मण धर्म ने कर्मकांडों का जंजाल गूंथ दिया था जिससे मुक्ति के लिए धर्म परिवर्तन करना पड़ा।
हालांकि दयानंद सरस्वती के अथक प्रयासों के कारण जाटों को धर्म परिवर्तन से रोका गया था।मूर्तिपूजा का विरोध करके जाटों को बरगलाया गया था।आज आर्य समाजी राममंदिर निर्माण के लिए बधाइयां दे रहे है,चंदा दे रहे है जैसे वहाँ मूर्ति नहीं लगनी हो!
खैर,धरती में कोई धर्म नहीं होता है।जबरदस्ती किसी को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।धर्म लोगों का ऐच्छिक विषय है।जात नहीं बदली जा सकती है इसलिए धर्म बदलकर जीवन मे सरलीकरण ढूंढा जाता रहा है।
अँधभक्तों की सुविधा के लिए यह बताना जरूरी है कि अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को 1857 की क्रांति के समय अंग्रेजों ने पकड़कर रंगून भेज दिया था व उसके बाद पूरे भारत पर अंग्रेजों का राज कायम हो गया था।1857 के बाद में हुए धर्म परिवर्तन का मुगलों से कोई संबंध नहीं था।
वैसे भी मुगलों के दरबार मे बैठकर साहित्य रचने वाले ब्राह्मण जजिया कर से मुक्त रहते थे।अगर जबरदस्ती धर्म परिवर्तन का मसला भी होता तो सबसे पहले ब्राह्मण इस्लाम मे होते!
प्रेमसिंह सियाग
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दिल्ली / उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की मुख्यमंत्री उम्मीदवार होगी प्रियंका गांधी,20लाख युवाओं को रोजगार का वादा
दिल्ली / उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की मुख्यमंत्री उम्मीदवार होगी प्रियंका गांधी,20लाख युवाओं को रोजगार का वादा
प्रिया सिन्हा की रिपोर्�� / उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने जारी किया भर्ती विधान घोषणा पत्र. प्रियंका गांधी होंगी कांग्रेस की चेहरा. प्रियंका गांधी के नाम पर लिखा जाएगा उत्तर प्रदेश का चुनाव. अगर कांग्रेस चुनाव जीती है तो प्रियंका गांधी बनेगी मुख्यमंत्री. कांग्रेस पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में युवाओं को 20 लाख रोजगार देने का वादा किया. कांग्रेस पार्टी ने भर्ती विधान के जरिए का खाका भी लोगों के सामने…
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कभी रेहड़ी लगाता था किसान, अब किया ऐसा काम की कमा रहा लाखों रूपये, जानिए रिपोर्ट
कभी रेहड़ी लगाता था किसान, अब किया ऐसा काम की कमा रहा लाखों रूपये, जानिए रिपोर्ट
आपको एक ऐसे किसान की खबर बताने जा रहें है जिसने अपनी तकदीर बदल ली है. कैथल के सांच गांव के किसान कुलवंत सिंह ने अपनी मेहनत के दम पर अपनी तकदीर बदल डाली. वह कभी रेहड़ी पर सब्जियां बेचा करता था. अब उनकी सब्जियों की मॉल्स में डिमांड है. जानकारी बता दे कि वह 20 एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं और सालाना 15लाख से 20लाख रुपए कमाई करते हैं, किसान कुलवंत सिंह ने जानकारी दी कि उन्होंने पहले 2 एकड़ से जैविक…
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राजस्थान रोयल्स टीम ने आकाश को 20लाख में खरीदा, IPL में खलेगा
राजस्थान रोयल्स टीम ने आकाश को 20लाख में खरीदा, IPL में खलेगा
भरतपुर: राजस्थान के भरतपुर जिले भारतीय क्रिकेट टीम में इस बार भी आकाश IPL में खेलेंगे, और बताया जा रहा हैं की आकाश को राजस्थान रोयल्स की टीम से 20,00000 रुपये से खरीदा हैं, और प्रकाश भी बहुत अच्छे से गेंदबाजी कर लेता हैं, और बेस्ट बोलर होने के साथ वह आउट स्विंग करने में भी बहुत अच्छा हैं, और राजस्थान रोयल्स को ऐसे ही किसी बहुत अच्छे गेंदबाज की आवश्यकता थी, और इसी लिए ही आकाश को IPL में खलने के…
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दोपह�� के एक बजे हैं। कीर्ति ��गर में चूना भट्टी के पास बसी एक झुग्गी बस्ती में रहने वाली विजेता राजभर अभी-अभी नोएडा से वापस लौटी हैं। आज दिल्ली यूनिवर्सिटी में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा थी। इसी परीक्षा में शामिल होने विजेता नोएडा गई थी।
कीर्ति नगर के आस-पास बसी झुग्गियों में 25 हजार से भी ज़्यादा परिवार रहते हैं। लेकिन, लाखों की इस आबादी में शायद विजेता अकेली ऐसी लड़की हैं जो पीएचडी करने के सपने के इतना क़रीब पहुंच सकी हैं। जिस झुग्गी बस्ती में वे रहती हैं, वहां ऐसे लोगों की संख्या मुट्ठी भर से ज़्यादा नहीं जो ग्रेजुएट हों। पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले तो उंगलियों पर गिने जा सकते हैं।
विजेता अगर यह प्रवेश परीक्षा पास कर लेती हैं तो कीर्ति नगर की झुग्गी से निकल कर यह कीर्तिमान रचने वाली वे पहली लड़की होंगी। इस परीक्षा की लिए विजेता ने काफी मेहनत भी की है। लेकिन, परीक्षा से ठीक एक हफ्ता पहले, जब वो अपना सारा ध्यान सिर्फ़ परीक्षा की तैयारी में लगा देना चाहती थी, तभी उन्हें खबर मिली कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 48 हजार झुग्गियों को तोड़ डालने का आदेश दिया है जिनमें उनकी झुग्गी भी शामिल हो सकती है।
कीर्ति नगर के आस-पास बसी इन झुग्गियों में 25 हजार से भी ज़्यादा परिवार रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 48 हजार झुग्गियों को तोड़ डालने का आदेश दिया है, जिससे यहां रहने वाले सहमे हुए हैं।
विजेता कहती हैं, ‘बचपन से आज तक कभी हमारे पास पढ़ाई के लिए अलग कमरा नहीं रहा, इसलिए हमें बहुत सारे शोर में ही पढ़ाई करने की आदत पड़ गई। यहां पीछे ही रेलवे की पटरी है जहां से दिन भर में न जाने कितनी ट्रेन गुजरती हैं। इनके शोर ने भी कभी परेशान नहीं किया।
लेकिन जब से झुग्गियां टूटने की खबर मिली है, दिमाग़ में एक अलग ही तरह का शोर उठा हुआ है। कई सवाल मन में उठ रहे हैं। झुग्गियां भी नहीं रहेंगी तो हम कहां जाएंगे। इस मनोदशा में पढ़ाई भी नहीं हो रही।’
विजेता जैसी ही मनोदशा से दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले लाखों लोग इन दिनों गुजर रहे हैं। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) के अनुसार पूरी दिल्ली में करीब 700 सौ पंजीकृत झुग्गी बस्तियां हैं जिनमें 4 लाख से ज्यादा झुग्गियां हैं। इनमें रहने वाले लोगों की संख्या 20लाख से भी अधिक बताई जाती है।
यदि इस आंकडे में गैर पंजीकृत झुग्गियों को भी जोड़ लिया जाए तो यह संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इनमें से हजारों झुग्गियां रेलवे लाइन के किनारे बसी हुई हैं जिनमें रहने वाले लाखों लोग अब अपने भविष्य को लेकर आशंकाओं से घिर गए हैं।
झुग्गियां तोड़ने का यह आदेश हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ��मसी मेहता बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया केस की सुनवाई करते हुए दिया है। इस आदेश में कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में रेलवे की 140 किलोमीटर लम्बी लाइन के सेफ्टी ज़ोन में जितने भी अतिक्रमण हैं, उन्हें तीन महीने के अंदर ध्वस्त किया जाए।
इस सेफ्टी जोन में आने वाली 48 हजार झुग्गियों को तोड़ने का आदेश देते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने कहा है कि इस आदेश पर कोई भी राजनीतिक हस्तक्षेप न किया जाए। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश पर अगर कोई भी न्यायालय अंतरिम आदेश जारी करता है तो ऐसा आदेश मान्य नहीं होगा।
साल 2003-04 के दौरान रेलवे ने डूसिब को पुनर्वास के लिए 11.25 करोड़ रुपए दिए था। लेकिन 4410 झुग्गियों में से सिर्फ़ 257 का ही पुनर्वास किया गया।
इस आदेश ने सिर्फ़ झुग्गियों में रहने वाले लाखों लोगों को ही नहीं बल्कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों को भी हैरत में डाल दिया है। डूसिब के एक अधिकारी कहते हैं, ‘मामला सुप्रीम कोर्ट का है इसलिए हम खुलकर कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं। लेकिन यह फैसला बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं है।
ऐसे रातों-रात लाखों लोगों के घर कैसे उजाड़े जा सकते हैं? इन लोगों के पुनर्वास का क्या होगा, इन्हें कहां बसाया जाएगा, इतनी जमीन कहां से आएगी जहां इनका पुनर्वास हो और पुनर्वास के लिए संसाधन और पैसा कौन जारी करेगा, ये सब बातें इतने कम समय में तय नहीं हो सकती।’
दिल्ली में झुग्गियों के पुनर्वास का इतिहास देखें तो यह भी बेहद ख़राब रहा है। सलोनी सिंह मामले में फैसला देते हुए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दर्ज किया है कि साल 2003-04 के दौरान रेलवे ने डूसिब को पुनर्वास के लिए 11.25 करोड़ रुपए दिए थे। लेकिन 4410 झुग्गियों में से सिर्फ़ 257 का ही पुनर्वास किया गया।
कीर्ति नगर में ही रेशमा कैंप नाम की एक झुग्गी बस्ती होती थी। साल 2002 के करीब इस बस्ती के लोगों को रोहिणी में बसाया गया और इस बस्ती को ध्वस्त कर दिया गया। लेकिन आज उस जगह पर पहले से भी ज़्यादा झुग्गियां नजर आती हैं।
इसी झुग्गी में रहने वाले अजय चौधरी बताते हैं, ‘हम भी पहले रेशमा कैंप में ही रहते थे। लेकिन हमारे पास कागज पूरे नहीं थे इसलिए हमें पुनर्वास में शामिल नहीं किया गया और झुग्गियां तोड़ दी गई। हम जैसे कई लोग बेघर हो गए और कई महीनों तक फुटपाथ पर रहे। फिर दस हजार रुपए देकर दोबारा एक झुग्गी डाली। तब से यहीं रहते हैं।'
कीर्ति नगर में एशिया का सबसे बड़ा फर्नीचर मार्केट है। इस पूरे मार्केट की रीढ़ इसके इर्द-गिर्द बसी ये झुग्गी बस्तियां ही हैं। रेलवे लाइन के किनारे बनी इन्हीं छोटी-छोटी झुग्गियों में ये फर्नीचर तैयार होता है और झुग्गी के अधिकतर लोग इसी फर्नीचर मार्केट में कारीगर या लेबर का काम करते हैं।
कीर्ति नगर में एशिया का सबसे बड़ा फर्नीचर मार्केट है। यहां काम करने वाले राज मंगल विश्वकर्मा कहते हैं कि ह��� अपनी मेहनत से सारे अफसर, नेता और जज साहब का घर बसाते हैं लेकिन वो अपने फैसलों से हमारा ही घर उजाड़ देते हैं।
पिछले 22 साल से यहां फर्नीचर का काम कर रहे राज मंगल विश्वकर्मा कहते हैं, ‘हम जो फर्नीचर बनाते हैं वो पूरे देश में जाता है। दिल्ली के सभी सरकारी दफ्तरों से लेकर संसद और अदालतों तक में यहीं से बना फर्नीचर जाता है। ये सारे नेता, अफसर, जज सभी हमारे बनाए बेड पर सोते हैं और हमारी बनाई कुर्सियों पर बैठते हैं। हम तो अपनी मेहनत और कारीगरी से उनके घर बसाते हैं लेकिन वो अपने फैसलों से हमारे ही घर उजाड़ देते हैं। ‘
दिल्ली में झुग्गी वालों की संख्या इतनी ज्यादा है कि ये इन्हें दिल्ली का सबसे बड़ा वोट बैंक भी कहा जा सकता है। इसलिए इन पर राजनीति भी ख़ूब होती है। चुनावों से पहले जहां आम आदमी पार्टी ने बाकायदा अपने घोषणा पत्र में सभी झुग्गी वालों को पक्के मकान देने का वादा किया था वहीं भाजपा ने ‘जहां झुग्गी वहीं मकान’ जैसे जुमले दिए थे।
लेकिन चुनावों के बाद न तो आम आदमी पार्टी ने इनके लिए कुछ खास किया जिनकी दिल्ली में सरकार है और जिनके अंतर्गत डूसिब जैसे विभाग आते हैं और न ही भाजपा ने कुछ खास किया जिसकी केंद्र में सरकार है और जिसके अंतर्गत रेलवे जैसे मंत्रालय हैं, जिनकी जमीनों पर सबसे ज्यादा झुग्गियां बसी हुई हैं।
कमला नेहरू कैम्प की झुग्गी में रहने वाली नीतू देवी हाथ में एक लिफाफा थामे हुए हमसे मिलती हैं। इस लिफाफे पर ऊपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपी है और बड़े- बड़े अक्षरों में लिखा है ‘जहां झुग्गी वहीं मकान।' यह लिफाफा हमारी ओर बढ़ाते हुए नीतू देवी पूरी मासूमियत से कहती हैं, ‘ये देखिए। मोदी जी तो देश के प्रधानमंत्री हैं। वो ही वादा किए थे कि जहां हमारी झुग्गी है, वहीं मकान होगा। फिर क्यों झुग्गी तोड़ने की बात कही जा रही है? क्या सच में हमारी झुग्गी तोड़ दी जाएगी?’
नीतू देवी के इस सवाल पर सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट से जुड़े सुनील कुमार अलेडिया कहते हैं, ‘इन झुग्गियों को एक बार में ही तोड़ देना सरकार या अधिकारियों के लिए नामुमकिन नहीं है। ऐसे कई उदाहरण हम लगातार देखते रहे हैं जब रातों-रात झुग्गियां गिराकर हजारों लोगों को एक झटके में बेघर किया गया। शालीमार बाघ का उदाहरण तो अभी ज़्यादा पुराना भी नहीं है। लेकिन कोरोना की महामारी के इस दौर में जब लोगों की आर्थिक स्थिति भी बेहद खराब है, अगर झुग्गी टूटती हैं तो ये लोग कहां जाएंगे और क्या खाएंगे?’
कमला नेहरू कैम्प की झुग्गी में रहने वाली नीतू देवी कहती हैं कि मोदी जी वादा किए थे कि जहां हमारी झुग्गी है, वहीं मकान होगा। फिर क्यों झुग्गी तोड़ने की बात कही जा रही है?
वैसे इस मामले में कुछ लोग पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की भी बात कर रहे हैं। अधिवक्ता कमलेश मिश्रा कहते हैं, ‘न्यायालय का ये फैसला तर्कसंगत नहीं है। इस मामले में झुग्गियों में रहने वाले उन लोगों का पक्ष तो सुना ही नहीं गया है जो इससे सबसे ज़्यादा प्र��ावित होने जा रहे हैं। ये मामला रेलवे लाइन के आस-पास जमा होने वाले कचरे से संबंधित था।
सरकारी रिपोर्ट ही बताती है कि भारतीय रेलवे खुद सबसे ज्यादा कचरा पैदा करती है। लेकिन इस मामले में अपनी गर्दन बचाने के लिए रेलवे ने झुग्गी वालों पर बात डाल दी और कोर्ट ने झुग्गी वालों को सुने बिना ही हजारों झुग्गियां हटाने का आदेश दे दिया। हम लोग जल्द ही इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।’
सम्भव है कि सुप्रीम कोर्ट इस पुनर्विचार याचिका का संज्ञान लेते हुए झुग्गियों को तोड़ने के आदेश पर फ़िलहाल रोक लगा दे या इसे कुछ समय के लिए टाल दे। लेकिन फिलहाल तो कोर्ट के आदेश के बाद झुग्गियों में रहने वाले लाखों लोगों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है।
इसी झुग्गी में रहने वाले 26 साल के मिलन कुमार कहते हैं, ‘आज मुंबई में कंगना रनौत के घर का एक हिस्सा टूटा तो सारे देश में उसकी चर्चा है। सारा मीडिया वही खबर दिखा रहा है और कहा जा रहा है कि ये लोकतंत्र की हत्या है। इधर हम जैसे लाखों लोगों के घर उजड़ने को हैं और इस पर कहीं कोई चर्चा ही नहीं है। क्या हम लोग इस लोकतंत्र का हिस्सा नहीं हैं?'
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Neetu, who lives here, says, 'Modi ji promised that where our slum is, there will be a house, then why are our slums breaking?
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#कोल इंडिया लिमिटेड (#CIL) विश्व की सबसे कोयला उत्पादक कंपनी है|
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इन लक्षणों से पहचानें थायरॉइड डिसऑर्डर की समस्या
थायरॉइड ग्लैंड तितली के आकार की होती है। गले के निचले भाग में स्थित यह ग्रंथि शरीर में थाइरॉक्सीन हार्मोन पैदा करती है। यह हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। थॉयराइड डिसऑर्डर से पहले शरीर में ऐसे कई लक्षण देखने को मिलते हैं जो इस बीमारी के बारे में आगाह करते हैं। आइए जानते हैं इन लक्षणों के बारे में…
थायरॉइड डिसऑर्डर से संबंधित बीमारियां भारत में तेजी से पैर पसार रही हैं। इंडियन जरनल ऑफ एंडीक्रा���नोलॉजी ��ंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित आलेख के अनुसार भारत में चार करोड़ 20लाख से ज्यादा लोगों को थायरॉइड है। इसमें सबसे ज्यादा रोगी हाइपोथायरॉइज्म, हाइपरथायरॉइज्म, आयोडीन डेफिशिएंसी डिसऑर्डर और हाशिमोटो थायरॉइडिटिज के हैं।
अमरीकन एसोसिएशन ऑफ क्लीनिकल एंडोक्राइनोलॉजिस्ट के अनुसार महिलाओं को थायरॉइड डिसऑर्डर की आशंका पुरुषों से दस गुना ज्यादा होती है। थायरॉइड से निकलने वाले हार्मोन को ट्राओडोथाइरोनिन या टी 3, थाइरोक्सिन या टी 4 कहा जाता है।
इन लक्षणों से पहचानें थायरॉइड डिसऑर्डर भरपूर नींद के बाद भी खुद को थका-थका महसूस करती हैं। यूं ही परेशान और चिंतित रहती हैं। आपकी भूख पहले की तुलना में एकदम से बहुत बढ़ गई है। आप अपने सूंघने और स्वाद महसूस करने की क्षमता में उतार चढ़ाव महसूस कर रही हैं। आपका मस्तिष्क चीजों पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी महसूस कर रहा है। यौन जीवन में आपकी रूचि कम या खत्म हो गई है। आपकी स्किन पहले की तुलना में ज्यादा ड्राई रहने लगी है। आपके आवाज में किसी तरह का बदलाव आया है। आपको कब्ज रहने लगी है और पाचन प्रणाली में कोई परेशानी महसूस कर रही हों। मासिक धर्म अनियमित हो गया है। आपके मसल्स जैसे एडि़यों और पंजों में ऐसा दर्द रहता हो मानो आपने बहुत ज्यादा काम किया हो। आपका ब्लड पे्रशर हाई रहता हो। आपकी नींद पहले की तुलना में बहुत ज्यादा बढ़ गई है। आपका वजन तेजी से बढ़ रहा हो। बाल झड़ने या पतले हो गए हैं। आसानी से गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं। कोलेस्ट्रॉल एकदम से बढ़ गया है।
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Hindi News इन लक्षणों से पहचानें थायरॉइड डिसऑर्डर की समस्या Read Latest Hindi News on Kranti Bhaskar.
source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/health-news/37060/
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इन लक्षणों से पहचानें थायरॉइड डिसऑर्डर की समस्या
थायरॉइड ग्लैंड तितली के आकार की होती है। गले के निचले भाग में स्थित यह ग्रंथि शरीर में थाइरॉक्सीन हार्मोन पैदा करती है। यह हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। थॉयराइड डिसऑर्डर से पहले शरीर में ऐसे कई लक्षण देखने को मिलते हैं जो इस बीमारी के बारे में आगाह करते हैं। आइए जानते हैं इन लक्षणों के बारे में…
थायरॉइड डिसऑर्डर से संबंधित बीमारियां भारत में तेजी से पैर पसार रही हैं। इंडियन जरनल ऑफ एंडीक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित आलेख के अनुसार भारत में चार करोड़ 20लाख से ज्यादा लोगों को थायरॉइड है। इसमें सबसे ज्यादा रोगी हाइपोथायरॉइज्म, हाइपरथायरॉइज्म, आयोडीन डेफिशिएंसी डिसऑर्डर और हाशिमोटो थायरॉइडिटिज के हैं।
अमरीकन एसोसिएशन ऑफ क्लीनिकल एंडोक्राइनोलॉजिस्ट के अनुसार महिलाओं को थायरॉइड डिसऑर्डर की आशंका पुरुषों से दस गुना ज्यादा होती है। थायरॉइड से निकलने वाले हार्मोन को ट्राओडोथाइरोनिन या टी 3, थाइरोक्सिन या टी 4 कहा जाता है।
इन लक्षणों से पहचानें थायरॉइड डिसऑर्डर भरपूर नींद के बाद भी खुद को थका-थका महसूस करती हैं। यूं ही परेशान और चिंतित रहती हैं। आपकी भूख पहले की तुलना में एकदम से बहुत बढ़ गई है। आप अपने सूंघने और स्वाद महसूस करने की क्षमता में उतार चढ़ाव महसूस कर रही हैं। आपका मस्तिष्क चीजों पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी महसूस कर रहा है। यौन जीवन में आपकी रूचि कम या खत्म हो गई है। आपकी स्किन पहले की तुलना में ज्यादा ड्राई रहने लगी है। आपके आवाज में किसी तरह का बदलाव आया है। आपको कब्ज रहने लगी है और पाचन प्रणाली में कोई परेशानी महसूस कर रही हों। मासिक धर्म अनियमित हो गया है। आपके मसल्स जैसे एडि़यों और पंजों में ऐसा दर्द रहता हो मानो आपने बहुत ज्यादा काम किया हो। आपका ब्लड पे्रशर हाई रहता हो। आपकी नींद पहले की तुलना में बहुत ज्यादा बढ़ गई है। आपका वजन तेजी से बढ़ रहा हो। बाल झड़ने या पतले हो गए हैं। आसानी से गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं। कोलेस्ट्रॉल एकदम से बढ़ गया है।
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इन बड़े बदलावों के साथ लॉन्च होगी HONDA CIVIC, फीचर्स से लेकर कीमत सब होगा खास
नई दिल्ली: ऑटो एक्सपो में इस बार Honda ने CR-V, Civic और Amazeको पेश किया था।अमेज मार्केट में आ चुकी है जबकि CR-V साल के अंत तक लॉन्च होगी वहीं CIVIC के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।हालांकि इस कार की लॉन्चिंग में अभी टाइम है लेकिन इसकी काफी सारी डीटेल्स बाहर आ चुकी है तो चलिए आपको बताते हैं इस कार की कुछ खास बातें-
बेहद सस्ती और किफायती ये कार है अरविंद केजरीवाल की फेवरेट, जल्द नए अवतार में होगी लॉन्च
ये होंगे बदलाव-
नई सिविक के एक्सटीरियर में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। पियानो ब्लैक फिनिश से लैस इस कार के नए मॉडल में नया फ्रंट विंग मिलेगा। इसके फ्रंट बंपर को पहले से बेहतर और नया डिजाइन देने की कोशिश की गई है ।इसके अलावा इसकी सतह में अब क्रोम देखने को मिलेगा। फॉग लैम्प हाउसिंग्स और रियर बंपर के लिए क्रोम स्ट्रिप दिखेगी।
प्रीमियम फीचर्स से लैस है TVS की ये सस्ती बाइक, 23 अगस्त को होगी लॉन्च
इसके अलावा civic के नए मॉडल में अलॉय व्हील्स, स्प्लिटर स्टाइल रियर बंपर, रियर स्पॉइलर से लैस है। इतना ही नहीं इंटीरियर के लिहाज से भी कार में काफी बदलाव होंगे। कार के अपडेटेड वेरिएंट में 7 इंच का टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम दिया है जो कि ऐपल कारप्ले और ऐंड्रॉयड ऑटो से लैस है। इस नए मॉडल में कोलिजन वॉर्निंग, ऑटोमैटिक ब्रेकिंग, लेन डिपार्चर वॉर्निंग, अडैप्टिव क्रूज कंट्रोल आदि सेफ्टी फीचर भी होंगे।
इंजन स्पेसीफिकेशन-
इंजन की बात करें तो भारत में होंडा की नई सिविक फेसलिफ्ट में 1.8 लीटर पेट्रोल इंजन दिया जाने की उम्मीद है, जो 140hp की पावर देगा। इसके अलावा इसमें 1.6 लीटर का डीजल इंजन भी दिया गया है जो कि 120hp की पावर देगा। 9 स्पीड ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन इस कार का मेन अट्रैक्शन होगा।
इन कारों से होगा मुकाबला-
होंडा की इस कार का मुकाबला स्कोडा ऑक्टाविया और हुंडई एलांट्रा से होगा। आपको बता दें कि ये कार 2019 में लॉन्च होने की उम्मीद है और इसकी कीमत 16-20लाख के बीच हो सकती है।
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