Tumgik
#2 अमेरिका आ रहा है
dainiksamachar · 4 months
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आ रहा है सदी का 'सबसे लंबा' पूर्ण सूर्य ग्रहण, कब लगेगा? देखें अगले 10 सूर्य ग्रहण की तारीखें
वॉशिंगटन: बेहद दुर्लभ घटना होती है। उसमें भी पूर्ण सूर्य ग्रहण का होना और भी खास होता है। यह कितना लंबा होता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इसकी छोटी सी घटना ही बेहद महत्वपूर्ण होती है। 8 अप्रैल 2024 को अमेरिका में सूर्य ग्रहण देखने को मिला था। जिसने भी इसे देखा है उसे पता है कि यह नजारा कितना अनोखा होता है। क्योंकि समग्रता के दौरान सूर्य को चंद्रमा पूरी तरह से ढक लेता है। तब धरती पर एक बड़ी परछाई होती है, जिससे दिन में रात जैसा माहौल हो जाता है। इस दौरान सूर्य का चमकदार कोरोना दिखता है। पूर्णता जितनी ज्यादा देर की होगी, कोरोना उतनी देर दिखेगा। 2027 में सदी का दूसरा सबसे लंबा पूर्ण सूर्य ग्रहण लगने वाला है। ये पूर्ण सूर्य ग्रहण कब लगेगा उससे पहले हम इस साल लगने वाले दूसरे सूर्य ग्रहण के बारे में जान लेते हैं। अगला सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर 2024 को लगेगा, जो एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। एक वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह सूर्य को नहीं ढक पाता। इस दौरान आसमान में एक आग की रिंग दिखाई देती है। यह सूर्य ग्रहण प्रशांत महासागर, दक्षिणी चिली और दक्षिणी अर्जेंटीना के कुछ हिस्सों में दिखेगा। सदी का सबसे लंबा पूर्ण सूर्य ग्रहण सदी के सबसे लंबे पूर्ण सूर्य ग्रहण की बात करें तो यह 22 जुलाई 2009 को लगा था। इसकी पूर्णता 6 मिनट 38 सेकंड लंबी थी। अब सदी का अगला सबसे लंबा सूर्य ग्रहण 2 अगस्त 2027 को लगेगा। यह 6 मिनट 22 सेकंड का होगा। यह सूर्य ग्रहण उत्तरी अफ्रीका के आसमान में दिखेगा। 8 अप्रैल को अमेरिका में लगे सूर्य ग्रहण के दौरान बादलों के कारण कई दर्शक इसे साफ नहीं देख सके। लेकिन 2027 का सूर्य ग्रहण एकदम साफ दिखेगा। भविष्य के 10 सूर्य ग्रहण * 2 अक्टूबर 2024- वलयाकार सूर्य ग्रहण * 29 मार्च 2025- आंशिक सूर्य ग्रहण * 17 फरवरी 2026- वलयाकार सूर्य ग्रहण * 12 अगस्त 2026- पूर्ण सूर्यग्रहण * 6 फरवरी 2027- वलयाकार सूर्य ग्रहण * 2 अगस्त 2027- पूर्ण सूर्यग्रहण * 26 अगस्त 2028- वलयाकार सूर्य ग्रहण * 22 जुलाई 2028- पूर्ण सूर्यग्रहण * 1 जून 2030- वलयाकार सूर्य ग्रहण * 25 नवंबर 2030- पूर्ण सूर्यग्रहण http://dlvr.it/T7k1yl
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56वॉं अभियंता दिवस, 15 सितम्बर 2023
* लेखक: श्री नागेश चन्द्र मिश्र, सेवानिवृत्त अभियंता प्रमुख,बिहार/झारखंड)
* आज 14 सितम्बर है - हिन्दी दिवस ! हिन्दी दिवस क्यों मनाते हैं? क्योंकि, आज के दिन ही संविधान सभा ने 1949 में, हिन्दी को राजभाषा घोषित किया था । उस दिन की क्या महत्ता थी ? उस दिन, व्यौहार राजेन्द्र सिंह (14 सितम्बर 1900 - 02 मार्च 1988 ) जो मूर्धन्य साहित्यकार थे जिन्होंने हिन्दी को भारत की राजभाषा बनाने की दिशा में अतिमहत्वपूर्ण योगदान दिया था - का 50वॉं जन्मदिन था।( व्यौहार राजेन्द्र सिंह के बारे में,इस ऐतिहासिक तथ्य को जानने मे , मुझे 75+ बर्ष लग गए )
* कल, 15 सितम्बर 2023 को 55वॉं अभियंता दिवस है - इस विषय पर, लीक से हटकर, हिन्दी दिवस के दिन - मुझे हिन्दी में लिखने का मन हुआ ।
* भारत में, अभियंता दिवस क्यों और कब से मनाया जाता है ? महान अभियंता, शिक्षाविद, नीतिकार एवं कुशल प्रशासक भारतरत्न मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैय्या ( 15 सितम्बर 1861 - 12/14 अप्रैल 1962 ) जिन्हें “Father of Modern India” के रूप में भी जाना जाता है - उनकी याद में, भारत सरकार ने 1967 से उनके जन्मदिन 15 सितम्बर को प्रत्येक बर्ष ‘राष्ट्रीय अभियंता दिवस’ मनाने का निर्णय लिया था - तबसे यह परम्परा चली आ रही है ।
* इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) प्रत्येक वर्ष, अभियंता दिवस के लिए एक थीम सेलेक्ट करती है जिस पर , अमूमन , पूरे देश के अभियंतागण परिचर्चा आयोजित करते हैं -
* राष्ट्रीय इंजीनियर्स दिवस 2023 की थीम 'Engineering for a Sustainable Future' यानि ‘सतत भविष्य के लिए इंजीनियरिंग' तय की गयी है।
* 1921 में, लॉर्ड चेम्सफोर्ड,ब्रिटिश वायसराय ऑफ इंडिया द्वारा कलकत्ता में उद्घाटित, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स ( इंडिया) के द्वारा 2023 के लिए निर्धारित थीम, “इंजीनियरिंग फॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर” का जो भी तात्पर्य रहा हो - आज का ‘इंडिया’ दैट इज “भारत 2023” के संदर्भ में , चन्द्रयान -2 और 3 का तिरंगा एवं शिव-शक्ति प्वाइंट से प्रेरित होकर - मुझे ‘फादर ऑफ मोडर्न इंडिया’ भारतरत्न सर मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैय्या के द्वारा अपने ऑटोबायोग्राफ़ी ( Memoirs Of My Working Life, 1951 में प्रकाशित) के अंतिम पृष्ठ पर अंकित निम्नलिखित वाक्यों का स्मरण हो रहा है (जो आज़ादी के बाद भी,ब्रिटिश शासन की मानसिक ग़ुलामी के कारण साकार नहीं हो सका ) :-
* “It is desirable to strengthen the administration by studying the examples and practices suited to this country, in the spirit of what men like Washington and Lincoln did to build up the sister Republic of America. The best way to get results similar to theirs would be to make a special selection of able, patriotic, selfless men to serve in as many key appointments of the State service as possible. Good men already in the service should be encouraged. It cannot be said that if a close, conscientious search be made for men of character and capacity, persons of the requisite calibre could not be found among the 350 million population who inhabit the Indian Union at the present time.”
* अर्थात्,
* “समय की यह माँग है कि विश्व के विकसित राष्ट्रों के ‘बेस्ट प्रैक्टिसों’ का अध्ययन कर हम इस देश के प्रशासन को वैसी मज़बूती प्रदान करें जो यहाँ के लिए उपयुक्त हो - जैसा कि ‘लेटर एंड स्पिरिट में’ वाशिंगटन और लिंकन ने , रिपब्लिक ऑफ अमेरिका के निर्माण हेतु चरितार्थ किया था । वाँछित परिणाम मिले,इसके लिए सबसे बेहतर तरीक़ा यह होगा कि जहॉं तक संभव हो, सरकारी सेवा में सुयोग्य - देशभक्त - नि:स्वार्थ लोगों की भर्ती की जाय । जो अच्छे सेवा कर्मी पहले से ही हों, उन सबों को प्रोत्साहित किया जाय । आज के 35 करोड़ की आबादी वाले देश में, यदि सरकार की सही मंशा हो, तो ऐसे उपयुक्त लोग ज़रूर उपलब्ध होंगे।”
* आज़ादी के बाद, हमारे देश निर्माताओं ने क्या ‘नेशन बिल्डिंग’ के लिए वैसा कुछ किया जैसा ‘सर एम. भी.’ के द्वारा उपरोक्त सलाह दी गई थी ?
* आज़ादी के अमृत काल में भी, 75 बर्षों की अंग्रेज़ीयत ग़ुलामी की ज़ंजीरों में हम भारतीय इस तरह से जकड़े हुए हैं कि “इंजीनियरिंग” शब्द के ऑरिजिन तक का हमें नहीं पता ? हमने ‘इंजीनियरिंग’ का हिन्दी अनुवाद, “अभियांत्रिकी” कर खुद अपने-आपको बौनेपन की यंत्रणा से सीदित कर रखा है ।
* The term engineering is derived from the Latin ingenium, meaning “cleverness” and ingeniare, meaning “to contrive, devise”.
* “Contrive” यानि ईजाद, नवनिर्माण , खोज, आविष्कार; “Devise” यानि तैयार करना , अस्तित्व में लाना ।
* इस प्रकार , ‘ इंजीनियरिंग फ़ॉर ए सस्टेनेबल फ्यूचर’ का जो अभिप्राय हमारी समझ में आ रहा है- उसका अर्थ होता है ,
* “सनातन भविष्य के लिए भारत का नवनिर्माण” ।
* यहाँ मुझे अथर्ववेद के निम्नांकित सूक्तों का स्मरण हो रहा है :-
*                                           पश्येम शरदः शतम् ।।1।।
*                                           जीवेम शरदः शतम् ।।2।।
*                                           बुध्येम शरदः शतम् ।।3।।  
*                                            रोहेम शरदः शतम् ।।4।।
*                                             पूषेम शरदः शतम् ।।5।।
*                                             भवेम शरदः शतम् ।।6।।
*                                            भूयेम शरदः शतम् ।।7।।
*                                          भूयसीः शरदः शतात् ।।8।।
*                                                        (अथर्ववेद, काण्ड 19, सूक्त 67)
* यानि ,  – (1) हम सौ शरदों तक देखें, यानी सौ वर्षों तक हमारे आंखों की ज्योति स्पष्ट बनी रहे ; (2) सौ वर्षों तक हम जीवित रहें ; (3) सौ वर्षों तक हमारी बुद्धि सक्षम बनी रहे, हम ज्ञानवान् बने रहे ; (4) सौ वर्षों तक हम वृद्धि करते रहें, हमारी उन्नति होती रहे ;(5) सौ वर्षों तक हम पुष्टि प्राप्त करते रहें, हमें पोषण मिलता रहे ; (6) हम सौ वर्षों तक बने रहें;   (7) सौ वर्षों तक हम पवित्र बने रहें, कुत्सित भावनाओं से मुक्त रहें ; (8) सौ वर्षों से भी आगे ये सब कल्याणमय बातें होती रहें ।
* भगवान विश्वकर्मा का ध्यान कर, यदि ‘इंजीनियरिंग’ को हम ‘लेटर एंड स्पिरिट’ में सही हिन्दी अनुवाद कर उपरोक्त वैदिक सूत्रों को ध्यान में रखते हुए अभियंता शब्द को ‘निर्माता’ के दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करें जैसा सर विश्वेश्वरैय्या जीवनपर्यन्त कहते रहे और विपरीत परिस्थितियों में भी खुद चरितार्थ करते रहे ; या जैसा कि आज के अन्य विकसित देश की शासन व्यवस्था से या प्राचीन विकसित सभ्य भारत के हज़ारों बर्ष पुराने धरोहरों से ध्वनित हो रहा है, तो ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन-प्रणाली पर आधारित सिस्टम को ‘लॉर्ड मेकॉले के पदचिह्नों पर आज तक जारी नहीं रखते ।
* अभियंता दिवस जब से मनाया जा रहा है, हरेक बर्ष हम यही देखते रहे हैं कि पिटे-पिटाए लीक पर 15 सितम्बर के दिन अभियंतागण इकट्ठे होकर कुछ इधर-उधर की थीम पर पेपर पढ़ते हैं, भाषण देते हैं, मंत्री-मुख्य मंत्री की अध्यक्षता में स्मारिका (सॉविनियर) जारी करते हैं, खाना- पीना होता है और हममें से अधिकांश लोग अपने कैरियर का रोना रोते हैं ।
* 50-55 बर्ष पहले जब हम इंजीनियरिंग सेवा में आए थे, तब तकनीकी विभागों के आइ.ए.एस. सेक्रेटरी, उस विभाग के टेक्निकल हेड को अपने समकक्ष से भी कुछ इंच ऊपर की तरह सम्मान देते थे । उन दिनों बहुत कम इंजीनियरिंग पास आउट, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अभ्यर्थी होते थे । जैसे-जैसे इंजीनियरिंग सर्विस की कद्र कम होती गई, वैसे-वैसे इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स न सिर्फ़ भारतीय प्रशासनिक सेवा (बल्कि यहाँ तक की कि राज्य के प्रशासनिक सेवा के परीक्षा की भी तैयारी शुरू करने लगे ) !
* अंग्रेज़ी में एक कहावत है, “If you can’t beat them , join them “ - इस कहावत के अर्थ का अनर्थ करते हुए, संघ लोक सेवा आयोग के ऑंकड़ों के अनुसार, आज - चाहे भारतीय प्रशासनिक सेवा हो, भारतीय पुलिस सेवा हो , इनकम टैक्स, एक्साइज कस्टम या अन्य एलायड सेवाओं के लगभग दो-तिहाई ( 63% ) सफल अफसर, इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से आते हैं । ब्रिटिश शासन काल में, सर विश्वेश्वरैय्या जैसे मेधावी अभियंता ने सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर के पद से सरकारी नौकरी से इसलिए इस्तीफ़ा दिया था क्योंकि मुख्य अभियंता का पद उन दिनों अंग्रेजों के लिए रिज़र्व हुआ करता था । आज़ाद भारत में , मेधावी प्रोफेशनल्स को “Burning the candle at both the ends” जैसी ज्वाला में जीना पड़ता है - इसे सप्रसंग व्याख्या करने की जरूरत नहीं है- आज के युग में, पॉलिटिशियन्स , भले ‘सर्व धर्म समभाव’ का भाषण यत्र-तत्र-सर्वत्र देते हों, पर भारत में “सर्व सेवा समभाव” की संभावना दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रही है । रियल पॉवर और रियल लीडरशीप के अवसरों की चाह पूरा करने लिए इस देश के मेधावी युवाओं को या तो सिविल सर्विस एग्ज़ाम में सफल होना पड़ता है या अमेरिका जैसे विकसित देशों में जाकर सुंदर पिचइ , सत्या नडेला की श्रेणी में अपने अच्छे कैरियर की तलाश करनी पड़ती है ।
* प्रसिद्ध अंग्रेज़ी लेखक पी.जी. वुडहॉउस की एक उक्ति मुझे बहुत पसंद है जिसे अक्सर याद किया करता हूँ, “You need dynamite to dislodge an idea that has set in public mind” ।मानसिक ग़ुलामी के ज़ंजीर को तोड़ने के लिए, हमें आज सर विश्वेश्वरैय्या के चरण-चिन्हों पर चलने की नितांत आवश्यकता है ।
* “फ़ादर ऑफ मोडर्न इंडिया” भारतरत्न सर मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैया ने अपनी अनूठी कृति “Reconstructing India” (1920 ) ; “Planned Economy For India” ( 1934 ) के ज़रिए और उसके बाद भी, आज़ाद भारत के तत्कालीन देश- निर्माताओं को बारम्बार ताक़ीद करते रहने की चेष्टा की , चेतावनी दी, पर “काले अँग्रेजों” के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा - आज 140 करोड़ की आबादी वाले हम सबों का “सेकुलर डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट रिपब्लिक ऑफ इंडिया “ में आज़ादी के 75 बर्ष बाद , जब इसरो के वैज्ञानिक और इंजीनियर्स सूर्य मिशन की ओर अग्रसर हैं और भारत मंडपम् में G-20 के सफल आयोजन के बाद आज का नया भारत पूरे विश्व में अपना परचम लहरा रहा है। इस अमृत काल में ,
* जब 18-22 सितम्बर 2023 के दौरान भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा पार्लियामेंट का स्पेशल सेशन आहूत कर पुराने लुटियन्स पार्लियामेंट को ‘गुड बाय’ कहकर भारत के जनप्रतिनिधिगण नये भारतीय पार्लियामेंट में प्रवेश करने का श्रीगणेश कर रहे हैं , ऐसे में, क्या इस देश के मेधावी प्रोफेशनल्स यह आशा करें कि नया भारत का नेतृत्व जिन सबों के हाथों में है- वे सब एकजुट होकर भारतरत्न सर मोक्षगुण्डम के ऑटोबायोग्राफ़ी, “Memoirs Of My Working Life” के अंतिम पेज में अंकित “Last Words” को सनातन भविष्य के लिए भारत के नवनिर्माण की दिशा में आगे बढ़ कर “Last Laugh “ के रूप में चरितार्थ करें ? भारतरत्न मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैय्या के प्रति यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
* 🙏🏽🇮🇳 जय हिन्द 🇮🇳🙏🏽
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priyanshu-123 · 1 year
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परमाणु बम और गीता में क्या संबंध था? यहाँ जानिए
'ऑपिनहाइमर' फ़िल्म की आजकल खूब चर्चा है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस पूरी घटना में 'श्रीमद् भगवद् गीता' ने क्या भूमिका अदा की थी? हम ऑपिनहाइमर के उस वायरल वीडियो की बात नहीं कर रहे जिसमें वे गीता के एक श्लोक को उद्धृत करते हैं। तो फिर?
आइए शुरू से समझाते हैं:
अक्टूबर, 1939 में आइंस्टाइन अमेरिका के राष्ट्रपति को एक खत लिखते हैं,
"जर्मनी में परमाणु रिसर्च पूरे ज़ोरों पर है। वे जल्द ही एक शक्तिशाली बम बनाने में सफल हो सकते हैं, ऐसा बम जो मानवजाति ने आजतक नहीं देखा।"
इस वक्त तक दूसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत हो चुकी थी। हिटलर ने पोलैंड पर हमला कर दिया था। और ब्रिटिश व फ्रेंच सरकारों ने जर्मनी के ख़िलाफ़ युद्ध का एलान कर दिया था।
1942 तक आते-आते अमेरिका भी सक्रिय रूप से विश्वयुद्ध का हिस्सा बन चुका था। तब वहाँ के राष्ट्रपति ने विश्व के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों को अपने देश आने का प्रस्ताव भेजा। और शुरुआत हुई "मैनहैटन प्रोजेक्ट" की। जिसका उद्देश्य था जर्मनी से पहले परमाणु बॉम बनाना।
इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर के तौर पर उस वक्त के प्रसिद्ध वैज्ञानिक रॉबर्ट ऑपिनहाइमर को चुना गया। उनको बताया गया कि कैसे विश्वयुद्ध को और हिटलर को अत्याचार को रोकने का एक ही उपाय हो सकता है: कि जर्मनी से पहले अमेरिका एक परमाणु बॉम तैयार करले।
ऑपिनहाइमर धर्मसंकट में पड़ गए। एक तरफ़ थी हिटलर की क्रूरता और अत्याचार और दूसरी ओर था अपने विज्ञान के कौशल का उपयोग करके एक ऐसा हथियार बनाने का आदेश जिसके आगे सारे हथियार विफल साबित हो जाएँ। सिर्फ़ उसके नामभर से सारे युद्ध ख़त्म हो जाएँ।
इसी समय के दौरान वे कहा करते थे कि "भगवद् गीता मेरी बेचैनी की दवाई है"। इसलिए हमेशा गीता की प्रति अपनी मेज़ पर एक हाथ की दूरी पर रखते थे।
वेदान्त से उनका रिश्ता पुराना था। वर्षों पहले जब वे कॉलेज में थे तो उन्हें विज्ञान की किताबों से ज़्यादा रुचि वेदान्त और भगवद् गीता में थी। वे उन लोगों में से थे जिन्होंने संस्कृत सीखी थी ख़ास वेदान्त ग्रंथों के मूल स्वरूप को पढ़ने के लिए।
उनके करीबी बताते हैं कि उनकी बातों से साफ़ झलकता था कि वे कैसे पूरे प्रोजेक्ट के दौरान एक कश्मकश में रहते थे। 'स्वधर्म' को समझने में ख़ुद को असफल पाते थे।
उन्हें समझ नहीं आ रहा था क्या 'सही' है: उनका परमाणु बम बनाने में सफल हो जाना या असफल हो जाना? दोनों ही नतीजे उन्हें भयावह लग रहे थे।
16 जुलाई 1945 को अमेरिका पहला सफल परमाणु परीक्षण करता है। और सभी वैज्ञानिक अपनी खोज को सरकार के हवाले कर देते हैं। ऑपिनहाइमर को पता चलता है कि राष्ट्रपति जापान पर बम गिराने का आदेश देने वाले हैं।
तो वे इस निर्णय का विरोध करते हैं क्योंकि 30 अप्रैल 1945 को हिटलर पहले ही आत्महत्या कर चुका था। और नाज़ी सेना मई तक आते-आते घुटने टेक चुकी थी। सिर्फ़ जापान का तानाशाह हीरोहितो हथियार डालने को राज़ी नहीं था।
राष्ट्रपति उनकी बात नहीं मानते। ऑपिनहाइमर कहते हैं, "आज मेरे और आपके हाथ खून से रंगे हैं" और वहाँ से निकल जाते हैं।
जापान पर दो परमाणु बम गिराए जाते हैं। 2 लाख से अधिक जानें जाती हैं, दो शहर पूरी तरह मिट्टी में मिल जाते हैं, आने वाले कई दशकों के लिए पूरी जनसंख्या रेडिएशन से ग्रसित रहती है। जापान का तानाशाह अपनी हार मान लेता है। और दूसरा विश्वयुद्ध ख़त्म हो जाता है।
ऑपिनहाइमर को लगा शायद ऐसा भयावह मंजर देखकर मानवता दोबारा ऐसा कभी नहीं होने देगी। और परमाणु बम बनाने पर प्रतिबंध लगा देगी। लेकिन 1949 में रुस द्वारा सफल परमाणु परीक्षण के बाद पूरी दुनिया में परमाणु बम बनाने की रेस शुरू हो जाती है।
जिस ऑपिनहाइमर को 'परमाणु बम का पिता' कहा गया था, वही उसके सबसे बड़े विरोधी बनकर खड़े होते हैं। अमेरिकी सरकार 1950 में हाइड्रोजन बम बनाने की तैयार शुरू कर देती है। जो कि परमाणु बम से 1000 गुना शक्तिशाली होता।
तो ऑपिनहाइमर इसका पुरज़ोर विरोध करते हैं। लेकिन उनकी बात सुनने की जगह उनपर राष्ट्रद्रोह का मुक़दमा चलाया जाता है। शेष जीवन वे फिजिक्स पढ़ाने में और अपनी ही रचना के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर विरोध करने को समर्पित कर देते हैं।
दो बातों पर ध्यान दीजिएगा:
1. गीता से प्रेरित होकर कैसे शक्ति का विशाल स्रोत खुलता है। चाहे वे परमाणु शक्ति हो या आंतरिक शक्ति हो।
2. अध्यात्म ही अहिंसा का स्रोत है। जिन्हें अध्यात्म से कोई सरोकार नहीं होता वे ही अपनी घातक महत्वाकांक्षाओं के कारण विश्व पर क्रूरता बरसाते हैं।
ऑपिनहाइमर परमाणु रहस्यों के ज्ञाता थे और गीता के भी। तो उन्होंने बम का पुरज़ोर विरोध किया। लेकिन पूरी दुनिया में पिछले 70 सालों में नाभिकीय विष फैलता ही गया है क्योंकि दुनिया अध्यात्म और वेदान्त से दूर है।
गीता शक्ति भी, करुणा भी।
किसी भी प्रकार कि त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी और सुक्षावों को आमंत्रण।।
धन्यवाद🙏🙏🙏
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*#रसोई में भोजन बनाना छोड़ने का दुष्परिणाम : ज़रूर समझें
अमेरिका में क्या हुआ जब घर में खाना बनाना बंद हो गया ?
1980 के दशक के प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने अमेरिकी लोगों को चेतावनी कि यदि वे परिवार में आर्डर देकर बाहर से भोजन मंगवाऐंगे तो देश मे परिवार व्यवस्था धीरे धीरे समाप्त हो जाएगी। साथ ही दूसरी चेतावनी दी कि यदि उन्होंने बच्चों का पालन पोषण घर के सदस्यो के स्थान पर बाहर से पालन पोषण की व्यवस्था की तो यह भी बच्चो के मानसिक विकास व परिवार के लिए घातक होगा।
लेकिन बहुत कम लोगों ने उनकी सलाह मानी। घर में खाना बनाना लगभग बंद हो गया है, और बाहर से खाना मंगवाने की आदत (यह अब नॉर्मल है), अमेरिकी परिवारों के विलुप्त होने का कारण बनी है जैसा कि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी।
घर मे खाना बनाना मतलब परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से जुड़ना।
*पाक कला मात्र अकेले खाना बनाना नहीं है। बल्कि केंद्र बिंदु है, पारिवारिक संस्कृति का।*
घर मे अगर कोई किचन नहीं है , बस एक बेडरूम है, तो यह घर नहीं है, यह एक हॉस्टल है।
*अब उन अमेरिकी परिवारों के बारे में जाने जिन्होंने अपनी रसोई बंद कर दी और सोचा कि अकेले बेडरूम ही काफी है?*
1-1971 में, लगभग 72% अमेरिकी परिवारों में एक पति और पत्नी थे, जो अपने बच्चों के साथ रह रहे थे।
2020 तक, यह आंकडा 22% पर आ गया है।
2-पहले साथ रहने वाले परिवार अब नर्सिंग होम (वृद्धाश्रम) में रहने लगे हैं।
3-अमेरिका में, 15% महिलाएं एकल महिला परिवार के रुप में रहती हैं।
4-12% पुरुष भी एकल परिवार के रूप में रहते हैं।
5-अमेरिका में 19% घर या तो अकेले रहने वाले पिता या माता के स्वामित्व में हैं।
6-अमेरिका में आज पैदा होने वाले सभी बच्चों में से 38% अविवाहित महिलाओं से पैदा होते हैं।उनमें से आधी लड़कियां हैं, जो बिना परिवारिक संरक्षण के अबोध उम्र मे ही शारीरिक शोषण का शिकार हो जाती है ।
7-संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 52% पहली शादियां तलाक में परिवर्तित होती हैं।
8- 67% दूसरी शादियां भी समस्याग्रस्त हैं।
अगर किचन नहीं है और सिर्फ बेडरूम है तो वह पूरा घर नहीं है।
संयुक्त राज्य अमेरिका विवाह की संस्था के टूटने का एक उदाहरण है।
*हमारे आधुनिकतावादी भी अमेरिका की तरह दुकानों से या आनलाईन भोजन ख़रीदने की वकालत कर रहे हैं और खुश हो रहे हैं कि भोजन बनाने की समस्या से हम मुक्त हो गए हैं। इस कारण भारत में भी परिवार धीरे-धीरे अमेरिकी परिवारों की तरह नष्ट हो रहे हैं।*
जब परिवार नष्ट होते हैं तो मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्वास्थ्य बिगड़ते हैं। बाहर का खाना खाने से अनावश्यक खर्च के अलावा शरीर मोटा और संक्रमण के प्रति संवेदनशील और बिमारीयों का घर हो जाता है।
शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है।
*इसलिए हमारे घर के बड़े-बूढ़े लोग, हमें बाहर के खाने से बचने की सलाह देते थे*
लेकिन आज हम अपने परिवार के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं...",
स्विगी और ज़ोमैटो के माध्यम से अजनबियों द्वारा पकाए गए( विभिन्न कैमिकल युक्त) भोजन को ऑनलाइन ऑर्डर करना और खाना, उच्च शिक्षित, मध्यवर्गीय लोगों के बीच भी फैशन बनता जा रहा है।
दीर्घकालिक आपदा होगी ये आदत...
*आज हमारा खाना हम तय नही कर रहे उलटे ऑनलाइन कंपनियां विज्ञापन के माध्यम से मनोवैज्ञानिक रूप से तय करती हैं कि हमें क्या खाना चाहिए...*
हमारे पूर्वज निरोगी और दिर्घायु इस लिए थे कि वो घर क्या ...यात्रा पर जाने से पहले भी घर का बना ताजा खाना बनाकर ही ले जाते थे ।
*इसलिए घर में ही बनाएं और मिल-जुलकर खाएं । पौष्टिक भोजन के अलावा, इसमें प्रेम और स्नेह निहित है।*
#भारतीयरसोई #देशीखानपान #अन्नदेवोभव:
#राष्ट्रभक्ति
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infohotspot · 2 years
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सबसे अनुभवी और क्रांतिकारी उद्यमियों में से एक के रूप में पहचाने जाने वाले Anupam Mittal ने पीपल ग्रुप की स्थापना की और अब उनके सीईओ के रूप में काम कर रहे हैं। उनका जन्म महाराष्ट्र में 23 दिसंबर 1971 को भगवती देवी मित्तल और गोपाल कृष्ण मित्तल के घर हुआ था। वह वर्तमान में शार्क टैंक इंडिया शो में एक Investor और Judge हैं और इस क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता और अनुभव शो में प्रमुख हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गृह राज्य में पूरी की। उन्होंने महाराष्ट्र में अपनी कॉलेज शिक्षा का एक हिस्सा अपनाया। बाद में वे संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए और 1994 में बोस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया और जनरल बिजनेस या कॉमर्स स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला लिया। बाद में, उन्होंने संचालन और सामरिक प्रबंधन में महारत हासिल की। Shark Tank India Season 1 को बहुत ही अच्छा प्रतिसाद मिला था, और इसी लिए अब आ गया हे Shark Tank India 2, तो आइये जानते हे जजिस, रिलीज़ डेट और होस्ट के बारे में | ये सीजन बहुत ही मजेदार रहेगी | और साथ ही इस बार नए जज भी दिखाई देंगे | अशनीर ग्रोवर की जगह Amit Jain बने नए जज (शार्क) | उनके बारे में भी हमने यहाँ पे जानकारी दी हे वो भी बहुत ही प्रतिभाशाली व्यक्ति हे | अब बस देखना ये हे की यहाँ पे अब और कितनी धूम मचती हे | बोस्टन कॉलेज से स्नातक होने के बाद, मित्तल माइक्रोस्ट्रेटी में शामिल हो गए जो वाशिंगटन डीसी में एक सॉफ्टवेयर कंपनी थी। उन्होंने यहां कई सॉफ्टवेयर और व्यावसायिक कौशल हासिल किए, जिसका उपयोग उन्होंने बाद में 1997 में अपनी वैवाहिक वेबसाइट खोलने के लिए किया। वह .com के लिए तब तक काम करते रहे जब तक कि 2000 में इसका भंडाफोड़ नहीं हो गया। अपनी कार्यस्थल कंपनी को इस समय जो नुकसान हो रहा है, उसे महसूस करते हुए वह भारत वापस आ गए। उन्होंने अपनी निजी इंटरनेट फर्म शुरू की। उन्होंने बाजार की प्रतिक्रिया पर जोर देने के लिए अपनी वैवाहिक मैचमेकिंग इंटरनेट-आधारित फर्म Sagai.com का नाम बदलकर Shaadi.com कर दिया। भारतीय उपमहाद्वीप की उन्नति इंटरनेट के मामले में क्रमिक थी और उससे भी अधिक, प्रौद्योगिकी के स्वागत के मामले में। उनके मुख्य बाजार में अंतरराष्ट्रीय ग्राहक शामिल थे, जब तक कि शादी डॉट कॉम को भारत में अच्छी तरह से माना नहीं गया था। अभी, साइट क्षेत्र में सबसे अच्छे डीलरों में से एक है और इसके साथ ही, वे फेसबुक गेम एंग्री ब्राइड्स एंड शादी केयर्स के माध्यम से विवाह के मामले में विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों और जन शिक्षा में योगदान करने में कामयाब रहे हैं। शादी.कॉम के अलावा, उन्होंने मकान.कॉम की भी स्थापना की जो एक ऑनलाइन रियल एस्टेट प्लेटफॉर्म है। उन्हें 2007 के बाद से एंगर इनवर्सर के रूप में जाना जाता है, उन्होंने केटो, बिग बास्केट, ड्रुवा और अन्य सहित 200 स्टार्ट-अप में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। इसके अतिरिक्त, अनुपम ने बॉलीवुड फिल्मों फ्लेवर्स और 99 में एक निर्माता के रूप में भी निवेश किया। 2021 तक, उनकी कुल संपत्ति $25 मिलियन होने का अनुमान है। अनुपम मित्तल ने भारतीय मॉडल और अभिनेत्री आंचल कुमार से शादी की और वे अपनी बेटी एलिसा मित्तल के माता-पिता हैं। Anupam Mittal सोशल मीडिया के साथ काफी सक्रिय हैं और अपने व्यक्तिगत अनुभवों के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं । देखिये उनकी Linked In Profile Anupam Mittal LinkedIn
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everynewsnow · 4 years
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रूथ ई कार्टर इसे ड्रेसिंग पर
रूथ ई कार्टर इसे ड्रेसिंग पर
अकादमी पुरस्कार विजेता कॉस्ट्यूम डिजाइनर का कहना है कि सुपरहीरो फिल्में जटिल होने के बावजूद भी पूरी कर रही हैं कॉस्ट्यूम डिजाइनर कहानीकार भी हैं, रुथ ई कार्टर कहते हैं, जिन्हें फरवरी में हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम में एक स्टार से सम्मानित किया गया था। 60 वर्षीय ने सिनेमा में कुछ सबसे बड़े नामों के साथ काम किया है, जिनमें स्पाइक ली और स्टीवन स्पीलबर्ग शामिल हैं। रूथ ने अपने शानदार काम के लिए ऑस्कर जीता…
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allgyan · 4 years
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मेकअप करना कब से श���रू हुआ ?
मेकअप और  श्रृंगार-
मेकअप  या श्रृंगार करना इस समय बहुत प्रचलित है और अब तो ज़माना ये आ गया है की पुरुष और महिलाये भी इस क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चलते है। हर तरह का श्रृंगार करते है पुरुष हो या महिलाये। और इस क्षेत्र बड़ी -बड़ी कंपनी आ गयी है और उसका विज्ञापन भी फ़िल्मी हस्तियां करती है और करोड़ -अरबों रूपए इस क्षेत्र में लगा रखे है हेल्थ इंडस्ट्री के बाद ये सबसे बड़ी इंडस्ट्री बनके उभरी है। लेकिन क्या आपको पता है की आखिर ये मेकअप कब शुरू हुआ या कहे इसका इतिहास क्या है। इसको सबसे पहले किसने शुरू किया या किस देश या किस सहर में ये शुरू हुआ और इसकी जरुरत ही क्यों आन पड़ी।
शरीर और चेहरे पर मेक-अप और वनस्पति के रंगों के प्रयोग का साक्ष्य विभिन्न पांडुलिपियों और इतिहास पुस्तकों में दर्ज हैं। नव पाषाण युग में भी पुरूष और महिलाएं अपने शरीर को सजाने के लिए काया लेप और रंगों का प्रयोग करती थीं। उन दिनों मेक-अप का इस्तेमाल मौसम के अनुकूल त्वचा की रक्षा करने के लिए एक छद्मावरण उत्पाद के रूप में किया जाता था। मेक-अप का इस्तेमाल श्रृंगार, जनजातीय पहचान, सामाजिक स्तर और युद्ध व धार्मिक गतिविधियों की तैयारी के रूप में भी किया जाता था। क्लेयोपेट्रा के मेक-अप ने मिस्र की उत्तेजक आंखों को मशहूर कर दिया था।
मेकअप का सबसे पहले प्रयोग -
सौंदर्य प्रसाधनों के उपयोग का पहला पुरातात्विक सबूत प्राचीन इजिप्ट(मिस्र) में लगभग चार हजार ईसा पूर्व मिलता है। प्राचीन समय में ग्रीस और रोम में भी सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग होता था। प्राचीन मिस्रवासियों ने आँखों की बाहरी सजावट के लिए एक विधि ईजाद की थी जिसे सीसा, ताँबा और जले हुए बादाम व अन्य पदार्थों को मिलाकर तैयार किया जाता था।इसे कोल कहा जाता था।इसके बारे में मान्यता थी कि इसे लगाने से बुरी आत्मा का प्रकोप नहीं होता है और यह नजरों को तेज करता है।इसलिए इसका प्रयोग इजिप्ट में गरीब लोग भी करते थे। मिस्र की महारानी क्लियोपेट्रा के अप्रतिम सौंदर्य का राज उनके लिए विशेष प्रकार से तैयार की गई मेकअप सामग्री थी।
क्लियोपेट्रा की लिपस्टिक को एक विशेष प्रकार के लाल कीड़े से बनाया जाता था जो गहरे लाल रंग का होता था। इसमें चीटियों के अंडे भी मिलाए जाते थे।यहाँ सौंदर्य प्रसाधनों के प्रयोग का पहला पुरातात्विक सबूत 1931 में प्राप्त हुआ।सिंध प्रांत के चंहुदड़ो में सिंधुवासियों द्वारा उपयोग की जाने वाली लिपस्टिक मिली।एक उत्खनन कार्य ने एकाएक भारत के इतिहास को अधिक गौरवशाली बना दिया कि 2500 से 1750 ईसा पूर्व मानी जानी वाली यह भारतीय सभ्यता किसी भी मायने में मिस्र और रोम की सभ्यता से पीछे नहीं थी।
आधुनिक मेकअप को जन्म देने का श्रेय मैक्स फैक्टर को है।इनका जन्म पोलैंड के लॉड्ज में 1877 में हुआ। उनके व्यवसाय की शुरुआत 1902 में अमेरिका में हुई जब वे सेंट लुईस में हुए वर्ल्ड फेयर में परिवार सहित शामिल हुए। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। शुरुआत में उन्होंने बालों से संबंधित वस्तुएँ और त्वचा को चिकनाई देने वाली वस्तुएँ सेंट लुइस के स्थानीय रंगमंच कलाकारों को बेचना शुरू की। इस प्रकार उनकी शुरुआती छवि स्थापित हुई।
मेक अप में समय के साथ बदलाव -
एलिजाबेथ अर्डेन ने वर्ष 1910 में अपना पहला सैलून शुरू किया था और प्रसिद्ध काॅस्मेटिक श्रृंखला की प्रमुख बनी। 1 - यद्यपि मेक-अप का प्रयोग धीरे-धीरे प्रचलित हो रहा था किंतु अभी भी प्राकृतिक सुन्दरता का प्रचलन था। 2 - नेल पॉलिश का सृजन किया गया। यार्डले और हेलेना रूबेनस्टिन जैसी कंपनियां उभरीं। 3 - सन् 1930 में महिलाओं के चेहरे पर भारी मेक -अप हुआ करता था। सन् 1920 के अंत में पहली बार सुरक्षित संघटकों का उपयोग करते हुए मेक -अप तैयार किया गया। 4 - सन् 1923 में आईलेश कर्लर का आविष्कार हुआ। 5 - सन् 1910 में केवल वेश्याओं द्वारा ही मेक-अप का इस्तेमाल किया जाता था, किंतु सन् 1920 और 1930 की शुरूआत में अन्य महिलाओं ने भी इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया।
सन् 1930 -
1 - मैक्सफैक्टर ने 1936 में सौंदर्य प्रसाधन के सैलून की शुरूआत की। मैक्सफैक्टर ने पहली बार वाटर प्रफू केक फाउंडेशन व पैन-केक विकसित किया। 2 -चमकीले और गहरे रंगों की नेल पॉलिश का इस्तेमाल किया गया। 3 - इस समय सूर्य स्नान का प्रचलन था और जो प्राकृतिक त्वचा के रंग को अधिक रिफ्लेक्ट करता था। 4 - प्लास्टिक सर्जरी की शुरूआत हुई।
सन् 1940
सन् 1940 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नियंत्रित वितरण करने के लिए मेक-अप का उपयोग कम किया गया। इस दौरान केवल लाल लिप्सटिक ही सरलता से उपलब्ध थी।इसके परिणामस्वरूप लाल लिप्सटिक 1940 का प्रतीक बन गयी।
सन् १९५०
1. सन् 1950 के अंत तक ‘गुआनिन‘ युक्त कई नए मेक-अप की वस्तुएं आ गयीं जो पाउडर और पेंट में झिलमिल चमक देती थीं। 2. पेन-केक मेक-अप प्रसिद्ध हुआ और 1953 में 10 मिलियन से अधिक मेक-अप के सामानों की बिक्री हुई।
सन् 1960 -
1 - सन् 1960 के दौरान कई रूप आये और चली गयीं। 60 के दशक की शुरूआत में म्लान आकृति का प्रचलन था, किंतु दस वर्ष की अवधि के दौरान इस मेक-अप के आगमन से उस मेक-अप का प्रचलन समाप्त हो गया। 2 -मिनी स्कर्ट के उभरने से टांगों के मेक-अप की लोकप्रियता बढ़ी। 3 - इस दशक के अंत में चेहरे और शरीर पर पेंटिंग लोकप्रिय हुई।
सन् 1970 -
1 - डिस्को का प्रचलन हुआ और इसके परिणामस्वरूप चमकीले और इंद्रधनुषी रंगों की लोकप्रियता बढ़ी । 2 -अराजक युवा को दर्शाता एक उग्र व्यक्ति जिसके बाल का रंग फ्लोरोसेंट और उसमें पिन जड़ा हो तथा वेधित चेहरा एवं युद्ध में भाग लेने वाले सैनिक की तरह पेंट वाले स्टाइल के साथ मेक-अप का प्रचलन शुरू हुआ ।
सन् 1980 -
1 - 1980 के मध्य तक विषम आकृति का प्रचलन था। पलकों पर विभिन्न रंग लगाए जाते थे। 2 - भौहों को आकार देना बंद कर दिया गया और इसे स्वाभाविक रूप में रखा जाता था।
सन् 1990 और वर्तमान-
1 -कुल मिलाकर एक प्राकृतिक त्वचा रंग जिसमें एक बेहतर प्राकृतिक परिसज्जा थी, फैशन में था। होठों पर लाल रंग लगाया जाता था। मैट इसकी कुंजी थी। 2 - 1990 के अंत के दौरान चमकदार, भड़कीले और चमकीली मेकअप की व्यापक वापसी हुई। 3 - प्लास्टिक सर्जरी तकनीक में सुधार होता रहा और समाज अब पूर्णरूपेण मेकअप चाहता था। 4 -1990 के अंत में मेंहदी के टेटू और बिंदी फैशन का अंग बन गया।
हम हमेशा इन मेक अप के प्रोडक्ट को कॉस्मेटिक प्रोडक्ट कहते है क्या आपको पता है की आखिर ये नाम ही क्यों दिया गया है इसको क्योकियहाँ पर सौंदर्य प्रसाधनों का आविष्कार विशेष रूप से दासियों के लिए किया गया। इन दासियों को यहाँ पर "कासमेट" कहकर बुलाया जाता था।क्योकि रोम में सौंदर्य प्रसाधनों का आविष्कार विशेष रूप से दासियों के लिए किया गया। इन दासियों को यहाँ पर "कासमेट" कहकर बुलाया जाता था।इसलिए इसका नाम कॉस्मेटिक पड़ा है। हमारा हमेशा ये उद्देश्य रहता है की आपको कुछ रोचक जानकारी लेकर आये। हमारे आर्टिकल अगर आपको पसंद आ रहे है तो हमे समर्थन दे।
पूरा जानने के लिए-https://bit.ly/3fah193
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prashantwede · 4 years
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🔴*दुनिया के सात अजुबे*🔵
👇👇👇👇👇👇👇
1. ताजमहल
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ताजमहल भारत के आग्रा शहर मे स्थित हे। इसका निर्माण मुघल सम्राट शहाजहान ने,अपनी पत्नी मुमताज महल की याद मे बनवाया था। बेपनाह मोहब्बत की निशाणी बताने वाला ताजमहल करिब 20 सालों मे बनकर तैयार हुवा।
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2. चीन की दिवार
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चीन की उत्तरी सीमा पर बाणाई गयी यह दिवार दुनिया की सबसे लंबी दिवार हे,जो मानव निर्मित हे । यह दिवार करिब 6500 किलोमीटर लंबी हे और इस्की उंचाई 35 फिट हे।
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3.  कोलोसीयम (रोम का प्राचीन स्टेडियम)
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इस विशाल स्टेडियम को कोलोसीयम के नाम से जाणते है। रोम स्थित यह अंडाकार कोलोसीयम इतना बडा हे की इसमे करिब 50,000 लोग आ सकते हैं।इस स्टेडियम मे योध्दाओं के बीच मनोरंजन के लिये खुनी लडाइया हुवा करती थी। योध्दाओं को जाणवरो से भी लढणा पडता था।
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4.  माचू पिच्चू (Machu Picchu history)
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दक्षिण अमेरिका के पेरू मे स्थित माचू पिच्चू एक उंची छोटी पर स्थित शहर हुवा करता था।समुद्र तल से 2430 मीटर पर माचू पिच्चू में 15 वी शताब्दी के समय इंका सभ्यता रहा करती हे।इतनि उंचाई पर शहर कैसे बसा, ये सोचने वाली बत है।
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5.  पेट्रा (History of Petra)
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साऊथ जॉर्डन मे बसे पेट्रा शहर की कलाकृती सात अजुबो मे शामिल है। यह एक ऐतिहासिक और पुरातात्त्विक शहर है। इसका निर्माण 312 BC  के लगभग हुवा था।
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6.    क्राईस्ट दी रिडीमर (Christ the redeemer)
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यह ब्राझील के रीओ डी जनरिओ मे स्थित है।दुनिया एकलौते जीवते परमेश्वर यशू मसिह की 38 मीटर ,लगभग 130 किलोमीटर उंची और 28 मीटर चौंडी यह प्रतिमा ,दुनिया के अजुबो मे से एक है।
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7.  चिचेन इत्जा (chicken tuza)
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चिचेन इत्जा मेक्सिको मे बसा बहुत पुराना मायान मंदिर है।इस्का निर्माण AD 600 मे हुवा था ।मेक्सिको चिचेन इत्जा मे सबसे पुराना पुरातत्त्विक स्थलो मे से इक है।चिचेन मेक्सिको मे युकांतन स्टेट मे स्थित है।
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क्या आपको हमारी पोस्ट पसंद आ रही हे ,कमेंट करके जरूर बताओ।
..................धन्यवाद
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jaivendra · 4 years
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Coronavirus Testing in India near 25 millions Image Source : PTI
नई दिल्ली। कोरोना वायरस का बढ़ता संक्रमण पूरी तरह से बेकाबू हो चुका है। हर दिन जिस तरह से नए मामले सामने आ रहे हैं उन्हें देखते हुए लग रहा है कि संक्रमण पर किसी का कंट्रोल नहीं रहा है। पिछले 24 घंटों यानि रविवार सुबह 8 बजे से लेकर सोमवार सुबह 8 बजे के दौरान देशभर में कोरोना वायरस के 62064 नए मामले सामने आए हैं और देश में अब कुल कोरोना वायरस मामलों का आंकड़ा बढ़कर 22,15,074 हो गया है।  
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से देश में मौतों का सिलसिला भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 24 घंटों के दौरान इस जानलेवा वायरस की वजह से पूरे देश में 1000 से ज्यादा लोगों की जान गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 24 घंटों के दौरान देश में कुल 1007 लोगों को कोरोना की वजह से जान गंवानी पड़ी है और अबतक इस वायरस की वजह से देश में कुल 44386 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में कोरोना वायरस की मृत्यु दर 2 प्रतिशत है।
हालांकि कोरोना वायरस से ठीक होने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है लेकिन जिस रफ्तार से नए केस आ रहे हैं उस रफ्तार से ठीक होने वालों का आंकड़ा नहीं बढ़ रहा। पिछले 24 घंटों के दौरान देशभर में 54859 लोग कोरोना से ठीक हुए हैं और अबतक कुल 15,35,743 लोग ठीक हो चुके हैं। देश में कोरोना के कुल एक्टिव मामलों का आंकड़ा 6,34,945 है��� कोरोना वायरस से रिकवरी का रेट अब बढ़कर 69.33 प्रतिशत हो गया है।
कोरोना के मामलों की पहचान के लिए देश में टेस्टिंग को लगातार बढ़ाया जा रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार अबतक देश में कुल 2.45 करोड़ से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं, रविवार को देशभर में कुल 477023 टेस्ट किए गए हैं।
वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस के मामलों की बात करें तो दुनियाभर में कुल मामलों का आंकड़ा बढ़कर 2 करोड़ के पार पहुंच गया है, अबतक दुनियाभर में कोरोना वायरस की वजह से 7.33 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि पूरी दुनिया में 1.28 करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से ठीक भी हो चुके हैं। दुनियाभर में कोरोना वायरस के सबसे अधिक मामले अमेरिका में हैं जहां पर 51.99 लाख से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं और 1.65 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, इसके बाद ब्राजील में 30.35 लाख से ज्यादा केस सामने आए हैं और 1.01 हजार से ज्यादा की जान गई है। रूस में भी 8.87 लाख से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं और 14 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है।
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नमस्कार वेलकम to upLucknow.in हम रोज रोज ब्रेकिंग न्यूज़ शेयर किया करते हैं अगर आप हमसे जुड़ना चाहते हैं तो इस वेबसाइट को सेव कर सकते हैं और इसे व्हाट्सएप या फेसबुक पर ज्यादा से ज्यादा शेयर कर सकते हैं। 1.कोरोना के कारण मौत को लेकर अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ से तोड़ा नाता😷। 2. ट्रंप ने कहा डब्ल्यूएचओ ने नहीं किया सुधार। 3. चीन के कब्जे में है डब्ल्यूएचओ - डोनाल्ड ट्रंप। 4. ट्रंप का आरोप चीन ने डब्ल्यूएचओ पर दुनिया को गुमराह करने का दबाव डाला। 5. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर एक बार चीन को बताया करोना का जिम्मेदार। 6.ट्रम्प ने कहा चीन को देना होगा दुनिया को जबाब। 7. डोनाल्ड ट्रंप लगाए चीन पर चोरी और जासूसी का भी आरोप! 8. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि चीन की हर कंपनियों पर भी मेरी नजर है। 9. नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा कि मैं दिन-रात कोशिश कर रहा हूं। 10. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी ने फिर से की अपील और कहा कि जैसे अभी तक धैर्य बनाए थे वैसे ही धैर्य बनाने की जरूरत। 11. पीएम ने अपने पत्र में लिखा कि भारत को घेर रहा है कोरोना 12.100000000 परिवार तक पहुंचेगा पीएम का पत्र 13.लोकडौन  को लेकर पीएम और गृहमंत्री का एक बड़ा बैठक आज। 15.श्रमिक एक्सप्रेस को लेकर ममता बनर्जी ने किया आरोप कहा कि मजदूरों को ठोस ठोस पर भेजा जा रहा है गांव सोशल डिस्पेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है 16.अब दिल्ली होटल मिलेंगी क्वार्टरइन का सुविधा। Uplucknow.in 17. सरकार की 1 साल पूरा होने पर फेसबुक पर लाइव आएंगे जेपी नड्डा। 18. दिल्ली में कॉल 8:09 पर महसूस किए गए थे भूकंप के झटके। 19. हरियाणा और पंजाब में भी महसूस किए गए थे रात को भूकंप के झटके तीव्रता मापन 3.45। 20. दिल्ली में 48 दिनों में कुल 5 बार आ चुकी है भूकंप। 21. आज गाजियाबाद में 24 घंटों में 16 नए केस आए हैं। 22. तेज गर्मी के कारण हो रही है चमगादड़ की मौत। 23. आज से जम्मू कश्मीर में पेट्रोल 1.5 रुपये और डीजल 1.2 रुपए महंगे। 24. गोरा ग्राम में भी शुरू हुआ करो ना के कहर 24 घंटों में 154 के साथ चुके हैं। 25. ठाणे में स्टेडियम को बदला गया हॉस्पिटल के रूप में। 26. हिमाचल में 1 जून से होगी ट्रांसपोर्ट की शुरुआत। 27. कानपुर में लोगों की भीड़ जमाने के आरोप में समाजवादी पार्टी के विधायक पर शिकायत हुआ दर्ज। 28. बालाघाट में एक जालिम पिता ने अपने 8 साल के बच्चे को नदी में डूबा कर मार डाला। 29. जम्मू कश्मीर में 75 दिन बाद खुली शराब की दुकानें शराब के शौकीनों की लगी जमकर भीड़। 30. चीन और भारत की सीमा विवाद को लेकर राहुल गांधी ने किया ट्वीट और मोदी पर साधा निशाना और अपने ट्वीट के जरिए पूछा कि आखिर यह हो क्या रहा है कुछ और शपस्ट तो किया जाए। तो ये थी आज की कुछ ब्रेकिंग न्यूज़ जो कि आपको जानना बेहद जरूरी था। और यह न्यूज़ अगर आपको अच्छा लगा हो तो मुझे कमेंट जरूर करें और इस न्यूज़ को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि यह न्यूज़ सबके पास पहुंच सके। Share on whatsapp🔥 Share on Facebook🔥
http://www.uplucknow.in/2020/05/aaj-breaking-news-lockdown-5-2020.html
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uday-mahaseth · 4 years
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वर्तमान में कलयुग कितना बीत चुका व कैसे होगा कलयुग में सत्ययुग?
विशेष :- वर्तमान में (सन् 1997 से) कलयुग की बिचली पीढ़ी चल रही है यानि कलयुग का दूसरा (मध्य वाला) चरण चल रहा है। इस समय कलयुग 5505 वर्ष बीत चुका है। कुछ वर्षों में परमेश्वर कबीर जी के ज्ञान का डंका सर्व संसार में बजेगा यानि कबीर जी के ज्ञान का बोलबाला होगा, खरबों जीव सतलोक जाएंगे। यह भक्ति युग एक हजार वर्ष तक तो निर्बाध चलेगा, उसके पश्चात् दो लाख वर्ष तक भक्ति में 50 प्रतिशत आस्था व्यक्तियों में रहेगी, भक्ति मंत्र यही रहेंगे। फिर एक लाख तीस हजार (130000) वर्ष तक तीस प्रतिशत व्यक्तियों में भक्ति की लगन रहेगी। यहाँ तक यानि ( 336500 वर्ष) तीन लाख छत्तीस हजार पाँच सौ वर्ष तक कलयुग का दूसरा चरण चलेगा। इसके पश्चात् कलयुग का अंतिम चरण चलेगा। पाँच सौ (500) वर्षों में भक्ति चाहने वाले व्यक्ति मात्र 5ः रह जाएंगे। तीसरे चरण का समय पचानवे हजार पाँच सौ (95500) वर्ष रह जाएगा। फिर भक्ति चाहने वाले तो होगें, परंतु यथार्थ भक्तिविधि समाप्त हो जाएगी। जो व्यक्ति हजार वर्ष वाले समय में तीनों मंत्रा लेकर पार नहीं हो पाएंगे। वे ही 50ः तथा 30ः, 5ः, उस समय की जनसँख्या में भक्ति चाहने वाले रहेंगे। वे पार नहीं हो पाते, परंतु उनकी भक्ति (तीनों मंत्रों) की कमाई अत्यधिक हो जाती है। वे सँख्या में अरबों होते हैं। वे ही सत्ययुग, त्रोतायुग, द्वापरयुग में ऋषि-महर्षि, प्रसिद्ध सिद्ध तथा देवताओं की पदवी प्राप्त करते हैं। उनका भक्ति कर्मों के अनुसार सत्ययुग में जन्म होता है। वे भक्ति ब्रह्म तक की करते हैं, परंतु सिद्धियाँ गजब की होती हैं। वे पूर्व जन्म की भक्ति की शक्ति से होती हैं। कलयुग में वे ही ब्राह्मण-ऋषि उन्हीं वेदों को पढ़ते हैं। ब्रह्म की भक्ति ओउम् (¬) नाम जाप करके करते हैं, परंतु कुछ भी चमत्कार नहीं होते। कारण है कि वे तीनों युगों में अपनी पूर्व जन्म की भक्ति शक्ति को शॉप-आशीर्वाद देकर सिद्धियों का प्रदर्शन करके समाप्त करके सामान्य प्राणी रह जाते हैं, परंतु उनमें परमात्मा की भक्ति की चाह विद्यमान रहती है। कलयुग में काल सतर्क हो जाता है। वेदविरूद्ध ज्ञान का प्रचार करवाता है। अन्य देवताओं की भक्ति में आस्था दृढ़ करा देता है। जैसे 1997 से 2505 वर्ष पूर्व (यानि ईशा मसीह से 508 वर्ष पूर्व) आदि शंकराचार्य जी का जन्म हुआ था। उन्होंने 20 वर्ष की आयु में अपना मत दृढ़ कर दिया कि श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु तथा श्री शिव जी, माता दुर्गा तथा गणेश आदि-आदि की भक्ति करो। विशेषकर तम् गुण भगवान शिव की भक्ति को अधिक दृढ़ किया क्योंकि वे {आदि शंकराचार्य जी (शिवलोक से आए थे)} शिव जी के गण थे। इसलिए शंकर जी के मार्ग के आचार्य यानि गुरू (शंकराचार्य) कहलाए। वर्तमान तक राम, कृष्ण, विष्णु, शिव तथा अन्य देवी-देवताओं की भक्ति का रंग चढ़ा है। संसार में अरबों मानव भक्ति चाहने वाले हैं। वे किसी न किसी धर्म या पंथ से गुरू से जुड़े हैं। परंतु भक्ति शास्त्राविरूद्ध कर रहे हैं। परमेश्वर वि.संवत् 1575 (सन् 1518) तक 120 वर्ष में गुरू पद पर एक सौ पन्द्रह (115) वर्ष रहकर 64 लाख (चौंसठ लाख) भक्तों में भक्ति की प्रेरणा को फिर जागृत किया। उनमें पुनः भक्ति बीज बोया। फिर सबकी परीक्षा ली। वे असफल रहे, परंतु गुरू द्रोही नहीं हुए। उनका अब जन्म हो रहा है। सर्वप्रथम वे चौंसठ लाख मेरे (संत रामपाल दास) से जुड़ेंगे। उसके पश्चात् वे जन्मेंगे जिन्होंने एक हजार वर्ष के पश्चात् 2 लाख तथा 1 लाख 30 हजार वर्ष तक भक्ति में लगे रहे, परंतु पार नहीं हुए। जो चौंसठ लाख हैं, ये वे प्राणी हैं जो एक हजार वर्ष वाले समय में रह गए थे, परंतु धर्मराज के दरबार में अधिक विलाप किया कि हमने तो सतलोक जाना है। परमात्मा कबीर जी गुरू रूप में प्रकट होकर उनको धर्मराज से छुड़वाकर मीनी सतलोक में ले गए थे। उनका जन्म अपने आने के (कलयुग में वि.संवत् 1455 के) समय के आसपास दिया था जो अभी तक मानव जीवन प्राप्त करते आ रहे हैं।
कैसे होगा कलयुग में सत्ययुग?
वर्तमान में सन् 1997 से 3000 ईशवी तक पुनः सत्ययुग जैसा वातावरण, आपसी प्रेम का माहौल बनेगा। फिर से फलदार वृक्ष तथा छायादार वृक्ष लगाए जाएंगे। फैक्ट्रियां धुँआ रहित होंगी। फिर बंद हो जाऐंगी। लोग हाथ से बने कपड़े पहनेंगे। मिट्टी या स्टील के बर्तन प्रयोग करेंगे जो छोटे कारखानों में मानव चालित यंत्रों से तैयार होंगे जो मानव संचालित अहरण की तरह चलेंगे। पशुधन बढ़ेगा। सब मानव मिलकर पूरी पृथ्वी को उपजाऊ बनाने में एकजुट होकर कार्य करेंगे। कोई धनी व्यक्ति अहंकारी नहीं होगा। वह अधिक धन दान में देगा। जो अधिक धन संग्रह करेगा, उसे मूर्ख कहा जाएगा। उसको ज्ञान समझाकर सामान्य जीवन जीने की प्रेरणा दी जाएगी जिसको वह स्वीकार करेगा। सामान्य जीवन जीने वाले और भक्ति, दान धर्म करने वालों की प्रशंसा हुआ करेगी। पश्चिमी देशों (अमेरिका, इंग्लैंड आदि-आदि) वाली सभ्यता समाप्त हो जाएगी। स्त्री-पुरूष पूरे वस्त्र पहना करेंगे। सुखमय जीवन जीएंगे। एक-दूसरे की सहायता अपने परिवार की तरह करेंगे। कलयुग में सतयुग एक हजार वर्ष तक चलेगा। इसका 50ः प्रभाव 2 लाख वर्ष तक तथा 30ः प्रभाव एक लाख तीस हजार वर्ष तक रहेगा।
अंत के 95500 (पचानवे हजार पाँच सौ) वर्षों में 95ः व्यक्ति कृतघ्नी, मर्यादाहीन, दुष्ट हो जाऐंगे। कच्चा माँस खाने लगेंगे। आयु बहुत कम यानि 20 वर्ष रह जाएगी। मानव की लंबाई 2 से 3 फुट तक रह जाएगी। 5 वर्ष की लड़की को बच्चा पैदा होगा। 80ः व्यक्ति 15 वर्ष की आयु में मर जाया करेंगे। फिर एकदम पृथ्वी पर बारिश से पानी-पानी हो जाएगा। जो अच्छे व्यक्ति 5ः बचेंगे, शेष कुछ तो कल्कि (निःकलंक) अवतार मार देगा, कुछ बाढ़ में मर जाऐंगे। बचे हुए व्यक्ति ऊँचे स्थानों पर निवास करेंगे। पृथ्वी पर सौ-सौ फुट तक पानी हो जाएगा। धीरे-धीरे पानी सूखेगा। पृथ्वी पर पेड़ (वन) उगेंगे। फिर जमीन उपजाऊ होगी। कलयुग के अंत में धरती का 3 फुट नीचे तक उपजाऊ अंश समाप्त हो जाएगा। पानी के कारण वह विष पृथ्वी से बाहर पानी के ऊपर आएगा। पृथ्वी फिर से उपजाऊ होगी और पुनः सत्ययुग की शुरूआत होगी।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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dainiksamachar · 11 months
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चीन का काल है अमेरिका का नया न्‍यूक्लियर ग्रेवेटी बम, ड्रैगन सेना के उड़ा देगा परखच्‍चे, जानें ताकत
वॉशिंगटन: ताइवान, फिलीपींस और जापान को लेकर चीन के साथ बढ़ते टकराव के बीच अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने वैज्ञानिकों को नई पीढ़ी के परमाणु बम को व‍िकसित करने का आदेश दिया है। अमेरिका का यह न्‍यूक्लियर ग्रेव‍िटी बम B61-13 हवा के जरिए गिराया जा सकता है। बताया जा रहा है कि इस परमाणु बम को अमेरिका वर्तमान समय में मौजूद एटम बमों को अपग्रेड करके बनाने जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका ने चीन और रूस से बढ़ते खतरे को देखते हुए इस परमाणु बम को व‍िकसित करने का फैसला किया है। यह परमाणु बम चीन के उन ठिकानों को भी तबाह कर सकता है जो कठोर ढांचों या पहाड़ों के नीचे बनाए गए हैं। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में अपनी परमाणु रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया है कि देश के पास ऐसे व‍िकल्‍प होने चाहिए जिसके जरिए 'कठोर और व‍िशाल सैन्‍य इलाके को निशाना बनाया जा सके। माना जा रहा है कि इसी को देखते हुए अमेरिका न्‍यूक्लियर ग्रेव‍िटी बम B61-13 बनाने की सोच रहा है। एशिया टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक B61-13 को लेकर जारी बयान में अमेरिका के उप रक्षा मंत्री जॉन प्‍लंब ने कहा कि अमेरिका की यह जिम्‍मेदारी है कि वह आकलन करे और ऐसी क्षमता को व‍िकसित करे जिसके जरिए व‍िश्‍वसनीय तरीके से प्रत‍िरोधक क्षमता पैदा की जा सके। परमाणु प्रलय ला सकता है चीन का नया एटम बम जॉन ने कहा कि अगर जरूरी हो तो अमेरिका को रणनीतिक हमला करना चाहिए और अपने सहयोगी देशों को सुरक्षा का आश्‍वासन देना चाहिए। ब्रेकिंग डिफेंस की रिपोर्ट के मुताबिक B61-13 परमाणु बम के अंदर 360 किलोटन की महाव‍िनाशक क्षमता होगी जो उसके पूर्ववर्ती B61-12 की तुलना में बहुत ही ज्‍यादा है। हालांकि सुरक्षा, सेफ्टी और सटीकता के मामले में यह नया परमाणु बम B61-12 की तरह से ही होगा। अमेरिकी परमाणु वैज्ञानिक हांस क्रिस्‍टेंशन ने कहा कि अमेरिका संभवत: केवल 50 B61-13 परमाणु बम ही बनाएगा। यही नहीं इन नए परमाणु बमों का उत्‍पादन साल 2025 में शुरू होगा। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका इस नए परमाणु बम के बाद अपने पुराने पड़ चुके B83 परमाणु बम को हटा देगा जिसको बनाए रखने में काफी खर्च आ रहा है। इस नए न्‍यूक्लियर ग्रेवेटी बम का इस्‍तेमाल एफ-35, एफ-15, एफ-16 और बी-2 व‍िमानों के जरिए किया जा सकेगा। अमेरिका ने यह ऐलान ऐसे समय पर किया है जब चीन बहुत तेजी से अपनी परमाणु ताकत को बढ़ा रहा है। इसकी वजह से अब अमेरिका को अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता पर फ‍िर से व‍िचार करना पड़ रहा है। इसमें कहा गया है कि चीन कम से कम 1000 परमाणु बम बनाने जा रहा है। चीन से निपटने के लिए अमेरिका ने कसी कमर चीन इतने ज्‍यादा परमाणु बम बनाकर अमेरिका के खिलाफ आक्रामक रुख अपना सकता है। इसमें प्रशांस महासागर में मौजूद अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ सैन्‍य टकराव भी शामिल है। यही नहीं रूस के आधुनिक परमाणु हथियार भी अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के अस्तित्‍व के लिए खतरा बन सकते हैं। अमेरिका का यह नया परमाणु बम छोटा होगा लेकिन महाव‍िनाश लाने में पूरी तरह से सक्षम होगा। चीन बड़े पैमाने पर जमीन के अंदर मिसाइल साइलो बना रहा है जिसे यह बम तबाह करने की ताकत रखेगा। http://dlvr.it/SyH60s
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bharattankdamanblog · 5 years
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#Self_Love....#Self_Control....#Self_Isolation....#Self_Social_Distancing....#Self_Quarantine....This Is The Only Way To #Save_Our_Life....#Saves_Others_Life...#Save_Our_Country....This Is Only Way To #Serve_Country_N_World....#Follow_Strictly_Covid_19_Guidelines N #Lockdown_Process By #Govt....#ThanksGiving n #Salute_To_All_Heros_Doctors_Police_All_Essential_Staff To #Serve_Country_n_Ppl✨🙏🇮🇳😇🇮🇳🙏✨.... #मित्रो ✨🙏🇮🇳😇🇮🇳🙏✨ में सोशियल मीडिया ऐवम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जो देख रहा हु सब जगा पर लोग उधर इधर जा रहे हैं यह शर्म जनक लग रहा है के जहा #Covid19 के सामने अमेरिका पूरा , यूरोपीय एरिया पूरा , चीन , ओर एशिया के अंदर क्या हालत हैं सब ने हाथ खड़े कर लिए है यह कोरोना वायरस के सामने लडने के लिए क्यूंकि इटली और चीन मैं सबसे बुरे हालात हैं स्टेज 4th पे चला गया हैं, अभी इंडिया की बात करे अगर कोई यह मानता है कि यह स्टेज 2 में हैं तो यह लोग गलत सोच रहे हैं , हिंदुस्तान में यह स्टेज 3 में जा चुका हैं जिसको सोशियल ट्रांसमिशन कहते और यह आ चुका है, यह लास्ट 4 दिन में 250 से आज 500 तक हो चुका हैं और इसमे की कई जगह मौत भी हो चुकी है और 4th स्टेज मैं आप इस covid 19 को कहा कहा फैल चुका है वो कोई भी सिस्टम ट्रेस नही कर शकती है साथ में हमारी हिंदुस्तान की जनता को लोकडाउन का मतलब समज मैं नही आ रहा है . यह तो हमारा नसीब है मोदीजी जैसे प्रधानमंत्री मिले है कि वो january से सब स्टेप ले रहे है और आज हम सुरक्षित है , अभी भी आप लोगो के पास टाइम है रुक जाओ घर पे रहो परिवार का ख्याल रखो और लोग घर पे रहके भी आपकी और आपके परिवार और आपके समाज और देश को बचाइए साथ मैं यह देश सेवा मा जुड़िये , क्योंकि जब यह 4th लेवल के स्टेज मैं चला जाएगा तो आपको कोई डॉक्टर , कोई सरकार या आपका परिवार या मोदी साहेब तो छोड़ो भगवान भि आपको या आपका परिवार को बचा नही सकेगा , अभी भी टाइम हैं सुधर जाओ संभल जाऊ और देश और अपने आप को सुरक्षित आप भी रहिये और देश को भी रखिये और सरकार की गाइडलाइंस एवं मोदीजी की बात को स्ट्रिकली फॉलो करें आपके और आपके परिवार ऐवम देश के लिए यही टाइम है सच्ची देश सेवा करने का ।। बाकी सबकुछ लोग जानते है समजते है पर फोलो नही करते है वो समय अभी चला गया है हमे सब साथ मिलकर कोरोना वायरस को देश भगाना है और हिन्दुस्तान को हर हाल मैं बचाना है ।। जय हिंद ।। वन्देमातरम ।। ✨🙏🇮🇳😇🇮🇳🙏✨ https://www.instagram.com/p/B-GtVSYDam8/?igshid=n13am2ygjm3q
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chaitanyabharatnews · 5 years
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बाजीराव बनकर डोनाल्ड ट्रंप ने 'मल्हारी' गाने पर किया धांसू डांस, वीडियो हुआ वायरल
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चैतन्य भारत न्यूज बॉलीवुड के सुपरस्टार रणवीर सिंह का जलवा अमेरिका तक छाया हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रणवीर के एक गाने पर जमकर थिरकते हुए नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि ट्रंप का यह वीडियो ��ोशल मीडिया पर बड़ी ही तेजी से वायरल हो रहा है। कमाल की बात यह है कि इस वीडियो को ट्रंप के ऑफिस के ही एक कर्मचारी ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
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दरअसल यह वीडियो किसी फैन द्वारा एडिटिंग की मदद से बनाया गया है, जिसमें 'मल्हारी' गाने पर नाचते हुए रणवीर के चेहरे पर ट्रंप के चेहरे को लगा दिया गया है। इस वीडियो को डैन स्केविनो के एकाउंट से शेयर किया गया है। डैन ने वीडियो के कैप्शन में लिखा कि, 'नफरत करने वालों को पागल बनाने का मेरा कोई इरादा नहीं है, लेकिन इतने शानदार सप्ताह के बाद, इसे एक और शानदार दिन के साथ खत्म करते हैं।' By no means do I intend to drive the haters crazy today — but after such an awesome week, let’s wrap it up with a another great day! #KAG2020 pic.twitter.com/LDBKyNC1pO — Dan Scavino (@DanScavino) August 2, 2019 बता दें यह गाना रणवीर की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' का है। इस फिल्म में रणवीर ने पेशवा बाजीराव का किरदार निभाया था और उनके इस किरदार को सभी ने खूब पसंद किया था। साल 2015 में आई ये फिल्म रणवीर के करियर की सबसे बड़ी हिट साबित हुई है।
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इस फिल्म में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण 'मस्तानी' के किरदार में नजर आईं थीं, जबकि अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने बाजीराव की पत्नी 'काशीबाई' का किरदार निभाया था। इस फिल्म का निर्देशन संजय लीला भंसाली ने किया था जिसका गाना 'मल्हारी' खूब पॉपुलर हुआ था। ये भी पढ़े... कपिल देव की बायोपिक के लिए रणवीर सिंह नहीं बल्कि ये एक्टर था पहली पसंद फिल्म 83 : लंबे बाल और मूंछों में कपिल देव के लुक में दिखें रणवीर सिंह अमेरिकी लेखिका ने डोनाल्ड ट्रंप पर लगाया रेप का आरोप, ट्रंप ने दिया बड़ा बयान Read the full article
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"सेंधा नमक"
भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक "rock salt"सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः: आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है, भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीयां भारत में नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है, हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों अन्नपूर्णा,कैप्टन कुक ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ , आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने में 2 से 3 रूपये किलो में बिकता था । उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बैन कर दिया अमेरिका में नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस में नहीं ,डेन्मार्क में नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 में आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनों में जब हमारे देश में ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता । वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।
सेंधा नमक के फ़ायदे:- सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं, ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??
सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बडा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :- ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप में ही बहुत खतरनाक है! क्योंकि कंपनियाँ इसमें अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक में होता है । दूसरा होता है “industrial iodine” ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरियां हम लोगों को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों में निर्मित है।
आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है । ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।
रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है, एक ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है, इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक में होता है सेंधा नमक में भी आयोडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक में प्रकृति के द्वारा बनाया आयोडीन होता है इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है..
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infohotspot · 2 years
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इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी boAt के CMO और सह-संस्थापक Aman Gupta जल्द ही Shark Tank India Season 2 में जज के रूप में दिखाई देंगे। दिल्ली में जन्मे और पले-बढ़े Aman Gupta सबसे सफल युवा उद्यमियों में से एक हैं। वह भारत स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी boAt के CMO और सह-संस्थापक हैं। वर्तमान में, 39 वर्ष की आयु में, वह Shark Tank India के Judges में से एक हैं। व्यापार में उनकी अंतर्दृष्टि मंच पर विशेष रूप से मूल्यवान है और इसने उनकी लोकप्रियता को और भी अधिक बढ़ा दिया है। उनका जन्म हिंदू माता-पिता, ज्योति कोचर गुप्ता और नीरज गुप्ता से हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा आरके पुरम के दिल्ली पब्लिक स्कूल से पूरी की। बाद में उन्होंने बिजनेस और दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई की। बाद में, उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट के लिए परीक्षा पास की लेकिन उद्यमिता ने उन्हें एक अलग क्षेत्र में आकर्षित किया। उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस से वित्त और रणनीति में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स करने का फैसला किया। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के अधिक पहलुओं का पता लगाने के लिए, गुप्ता ने संयुक्त राज्य अमेरिका में केलॉग ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से सामान्य प्रबंधन और विपणन में एमबीए के साथ फिर से स्नातक किया। Also Read : आ गया हे Shark Tank India 2, जानिए जजिस, रिलीज़ डेट और होस्ट के बारे में सर्वोत्तम शिक्षा प्राप्त करने के बाद, Aman Gupta ने 2003 में एक सहायक प्रबंधक के रूप में अपना करियर शुरू करने का फैसला किया। बाद में उन्होंने एडवांस्ड टेलीमीडिया प्रा. एलटीसी। 2005 में और 2010 तक उनके सीईओ के रूप में कार्य किया। 2011 में, वह क्लेनवेल्ड पीट मार्विक गोएर्डेलर या केएमपीजी में शामिल हो गए। वह वहां एक वरिष्ठ प्रबंधन सलाहकार पद पर थे। एक साल से भी कम समय में, उन्होंने हरमन इंटरनेशनल के लिए भारतीय बिक्री में एक निदेशक के रूप में स्विच करने का फैसला किया, जो सैमसंग द्वारा शासित है। उन्होंने क्षेत्रों के बीच स्विच करके बहुत अनुभव प्राप्त करना शुरू किया और 2014 में, उन्होंने इमेजिन मार्केटिंग के सह-संस्थापक में इसका उपयोग किया। अंत में, 2016 में, Aman Gupta ने समीर मेहता के साथ boAt की सह-स्थापना की और CMO के रूप में सेवा दे रहे हैं। उन्होंने कंपनी के विकास को प्रभावित करने में अपने सभी पेशेवर और व्यक्तिगत अनुभवों का उपयोग किया। Also Read : अशनीर ग्रोवर की ���गह Amit Jain बने नए जज (शार्क), जानिए उसके बारे में सब कुछ Aman Gupta वर्तमान में 95 मिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ व्यापार की दुनिया में खड़ा है। उद्यमी ने अपने विशेष ब्रांड के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स में बाजार में प्रवेश किया है जो अतुलनीय गुणवत्ता के साथ-साथ कई सस्ती कीमतों पर भारत में स्पीकर, हेडसेट, ईयरप्लग, चार्जर और बहुत कुछ में सर्वश्रेष्ठ उत्पाद बेच रहा है। उनके निजी जीवन की बात करें तो उसमें भी वह काफी सराहनीय रहे हैं। उन्होंने प्रिया डागर से खुशी-खुशी शादी की और दो बेहद प्यारी बेटियों मिया और अदा के पिता हैं। Aman Gupta निश्चित रूप से उन दुर्लभ युवा उद्यमियों में से एक हैं, जो किसी भी इच्छुक व्यक्ति को प्रेरित करने में कभी असफल नहीं होंगे, जो उनकी ओर देखने की इच्छा रखते हों।
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