#13 अगस्त को सेंसेक्स
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rightnewshindi · 4 months ago
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पीक पर पहुंचा शेयर मार्केट का ट्रेंड, जिम रोजर्स बोले, पैसा बचा कर रखो, आने वाली है बड़ी मंदी
Share Market Recession: शेयर बाजार में पिछले 13 ट्रेडिंग सेशन से तेजी बरकरार है। और आज सेंसेक्स ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है। इसमें कोई शक नहीं है कि शेयर बाजार का ट्रेंड पीक पर है। लेकिन क्या शेयर बाजार की इस तेजी पर भरोसा किया जा सकता है? अगर हम भारतीय शेयर बाजार की बात करें तो लगातार 13 दिनों की रैली के बाद बाजार को एक कंसॉलिडेशन की जरूरत है। फिलहाल शेयर बाजार का सेटअप ओवरबॉट है। अगस्त के…
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newsreporters24 · 3 years ago
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Sensex vaults 55,000-mark for the first time, Nifty closes on a high too
Sensex vaults 55,000-mark for the first time, Nifty closes on a high too
छवि स्रोत: फ़ाइल सेंसेक्स 13 अगस्त को 55K के स्तर पर रिकॉर्ड रन जारी है, आईटी शेयरों में सुर्खियों में है अनुकूल मैक्रोइकॉनॉमिक डेटा और ग्रोथ आशावाद के बीच निवेशकों के रिस्क-ऑन मोड ��ें बने रहने से बीएसई सेंसेक्स शुक्रवार को पहली बार 55,000 अंक से ऊपर चला गया। इंडेक्स हैवीवेट टीसीएस, आरआईएल, इंफोसिस और एचडीएफसी जुड़वाँ में मजबूत खरीदारी देखी गई, जबकि फार्मा शेयरों में गिरावट आई। लगातार दूसरे सत्र…
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abhay121996-blog · 3 years ago
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अपने सार्वकालिक उच्चतम शिखर पर पहुंच कर शेयर बाज़ार ने किया सप्ताहांत Divya Sandesh
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अपने सार्वकालिक उच्चतम शिखर पर पहुंच कर शेयर बाज़ार ने किया सप्ताहांत
मुंबई। सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिन में आज शुक्रवार 13 अगस्त को शेयर बाजार ने कई कीर्तिमान बनाया। आज पहली बार ऐसा हुआ कि बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) का 30 कंपनियों के सूचकांक सेंसेक्स ने 55 हजार के जादुई आंकड़े को पार गया। 
ज्ञात हो कि विगत लंबे समय से शेयर बाजार से जुड़ा हुआ हर शख्स यह उम्मीद लगा रहा था कि सेंसेक्स जल्द ही 55 हजार के स्तर को छूएगा। आज सेंसेक्स ने न सिर्फ 55 के आंकड़े को छुआ बल्कि क्लोज़िंग भी इस आंकड़े से काफ़ी ऊपर की। सेंसेक्स के साथ आज एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) के निफ्टी ने भी 16500 के आंकड़े को क्रॉस किया है। किसी भी सप्ताहांत में आज की यह उच्चतम स्तर की क्लोज़िंग है। 
आज के कारोबारी दिन की एक और विशेषता रही कि आज मार्केट के दोनों प्रमुख सूचकांकों ने अपने सार्वकालिक उच्चतम शिखर का नया रिकार्ड बनाया है। दिन भर के कारोबार के दौरान आज दोपहर 3 बजे के लगभग सेंसेक्स ने जब 55,487.79 के स्तर को छुआ तो वह सेंसेक्स का अब तक का सबसे ऊपर स्तर का नया रिकार्ड बन गया। लगभग इसी समय में निफ्टी ने भी अपने सार्वकालिक उच्च स्तर 16,543.60 को छूते हुए नया कीर्तिमान बनाया। 
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आज 13 अगस्त के क्लोज़िंग बेल के समय सेंसेक्स 593.31 अंक के लाभ के साथ 55,437.29 पर कारोबार कर रहा था। सेंसेक्स ने आज दिन भर के कारोबार में 1.08 प्रतिशत का उछाल पाया। दूसरी तरफ निफ्टी ने भी सेंसेक्स के रुख का पालन करते हुए 164.70 अंकों की बढ़त प्राप्त करते हुए 16,529.10 के स्तर पर क्लोज़िंग की। निफ्टी ने भी आज 1.01 प्रतिशत की बढ़त प्राप्त की। 
ज्ञात हो कि शेयर बाजार ने आज सुबह बढ़त के साथ ही ओपनिंग की थी, जहां पर एक ओर सेंसेक्स ने 67.97 अंकों की बढ़त बनाते हुए 54,911.95 के स्तर पर ओपन किया था, तो दूसरी तरफ निफ्टी ने कल के क्लोज़िंग से 21.30 अंक ज्यादा अंक चढ़ते हुए 16,385.70 पर ओपन किया था। 
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आज के शेयर बाजार में आए इस तेजी के लिए कई क्षेत्रों के शेयर जिम्मेदार रहें, जहां पर निवेशकों ने खुल कर निवेश किया है। विशेषज्ञों के मुताबिक निवेशक अब कम इक्विटी जोखिम प्रीमियम स्वीकार करने के इच्छुक हैं। आर्थिक सुधार में कमी पर अनिश्चितता के साथ, निवेशक कम रिटर्न स्वीकार करने को तैयार हैं। इसी आकलन के आधार पर बाजार में अच्छा निवेश आ रहा है।
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gokul2181 · 4 years ago
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Market Capitalization Of BSE-Listed Companies Data 2020: From SBI Cards TO Happiest Minds IPO | इस साल लिस्ट होने वाली कंपनियों का एम कैप 1.28 लाख करोड़ रुपए हुआ, साथ ही निवेशकों को भी हुआ शानदार मुनाफा
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Market Capitalization Of BSE-Listed Companies Data 2020: From SBI Cards TO Happiest Minds IPO | इस साल लिस्ट होने वाली कंपनियों का एम कैप 1.28 लाख करोड़ रुपए हुआ, साथ ही निवेशकों को भी हुआ शानदार मुनाफा
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Market Capitalization Of BSE Listed Companies Data 2020: From SBI Cards TO Happiest Minds IPO
मुंबई11 मिनट पहले
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सोमवार को बीएसई में लिस्टेड कुल कंपनियों का मार्केट कैप 160.39 लाख करोड़ रु. रहा
कुल मार्केट कैप में 2020 में लिस्टेड कंपनियों की हिस्सेदारी 1.28 लाख करोड़ रु. है
(दिग्विजय सिंह) कोरोना संकट के बीच इस साल कई कंपनियों की लिस्टिंग शेयर बाजार में हुई है। एसबीआई कार्ड्स, हैप्पिएस्ट माइंड्स सहित कई अन्य कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों ने लिस्टिंग के दिन निवेशकों को शानदार मुनाफा दिया है। इसके अलावा शेयर बाजार में बढ़त को भी सहारा दिया है। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप बीते हफ्ते रिकॉर्ड हाई 161 लाख करोड़ रुपए स्तर को पार कर चुका है। इसमें नई लिस्टिंग वाली कंपनियों की हिस्सेदारी 1.28 लाख करोड़ रुपए की है।
निवेशकों को हुआ शानदार मुनाफा
आज सोमवार को बाजार में दो कंपनियां मझगांव डाक शिपबल्डर्स और यूटीआई एएमसी की लिस्टिंग हुई है। निवेशकों को सरकारी कंपनी मझगांव डाक शिपबिल्डर्स से 49% का मुनाफा हुआ है। जबकि यूटीआई एएमसी से निवेशकों को निराशा हाथ लगी। हालांकि, निवेशकों को इस साल लिस्ट होने वाली कंपनियों से अच्छा मुनाफा हुआ है। निवेशकों को मुनाफे के लिहाज से हैप्पिएस्ट माइंड्स से सबसे ज्��ादा लाभ मिला है। कंपनी ने लिस्टिंग के दिन 111% का मुनाफा दिया था। इसके अलावा रूट मोबाइल और केमकॉन स्पेशियलिटी से भी निवेशकों को अच्छा मुनाफा हुआ।
इस साल लिस्ट हुए कंपनियों से मुनाफा
कंपनी बंद भाव लिस्टिंग डेट मार्केट कैप (हजार करोड़ रुपए) मुनाफा (%) एसबीआई कार्ड्स 847.00 16 मार्च 79.59 -13 रोस्सारी बायोटेक 756.65 23 जुलाई 3.92 57.65 माइंड स्पेस बिजनेस पार्क 303.84 7 अगस्त 18 11 हैप्पिएस्ट माइंड्स टेक 344.40 17 सितंबर 5.05 111 रूट मोबाइल 764.35 21 सितंबर 4.34 105 केमकॉन स्पेशियल्टी 434.85 1 अक्टूबर 1.59 115 कैम्स 1309.40 5 अक्टूबर 6.38 23 यूटीआई एएमसी 476.60 12 अक्टूबर 6.04 -11 मझगांव डाक शिपबिल्डर्स 173.00 12 अक्टूबर 3.48 49
मार्केट कैप में हिस्सेदारी
सोमवार को बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 160.39 लाख करोड़ रुपए स्तर के पार रहा। इससे पहले 8 अक्टूबर को मार्केट कैप 161.12 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंचा था, जो इसका सर्वोच्च स्तर भी है। इससे पहले मार्केट कैप का यह स्तर जनवरी के दौरान 160 लाख करोड़ रुपए के स्तर को छुआ था। इस दौरान बाजार में निवेशकों ने अच्छी कमाई की। 2020 में मार्केट कैप के लिहाज से नई लिस्टिंग वाली कंपनियों की भी हिस्सेदारी 1.28 लाख करोड़ रुपए की रही। जबकि इसमें बड़ी हिस्सेदारी दिग्गज कंपनियों का रहा। इसमें आरआईएल, टीसीएस और इंफोसिस जैसे दिग्गज कंपनियां शामिल हैं।
बाजार के दिग्गज कंपनियों के मार्केट कैप में इजाफा
कंपनी 17 जनवरी को एमकैप 12 अक्टूबर को एमकैप बढ़त आरआईएल 11 लाख करोड़ रुपए 15.12 लाख करोड़ रुपए 4.12 लाख करोड़ रुपए टीसीएस 7.76 लाख करोड़ रुपए 10.66 लाख करोड़ रुपए 2.9 लाख करोड़ रुपए एचडीएफसी बैंक 5.66 लाख करोड़ रुपए 6.66 लाख करोड़ रुपए 1 लाख करोड़ रुपए एचयूएल 3.18 लाख करोड़ रुपए 5 लाख करोड़ रुपए 1.18 लाख करोड़ रुपए इंफोसिस 3 लाख करोड़ रुपए 4.78 लाख करोड़ रुपए 1.78 लाख करोड़ रुपए
सोमवार को बाजार लगातार आठवें दिन बंद हुआ है। आज बीएसई सेंसेक्स 84.31 अंक ऊपर 40,593.80 पर और निफ्टी 16.75 अंक ऊपर 11,930.95 पर बंद हुआ। बाजार में मेटल, ऑटो और बैंकिंग शेयर गिरावट रही। जबकि निफ्टी आईटी इंडेक्स 364 अंकों से ज्यादा की तेजी के साथ बंद हुआ है। वहीं, दूसरी ओर बाजार में आज ज्यादातर न्यू लिस्टेड कंपनियां गिरावट के साथ बंद हुए हैं। जैसे मझगांव डाक शिपबल्डर्स का शेयर 20% नीचे बंद हुआ।
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ajitnehrano0haryana · 5 years ago
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मुंबई। कोरोनावायरस का असर, यस बैंक का संकट और क्रूड ऑयल की कीमतों में 30 फीसदी तक की गिरावट, इन तीन वजहों से सोमवार को शेयर बाजार के इतिहास के तीन सबसे खराब आंकड़े सामने आए। सेंसेक्स ने एक दिन में इतिहास की सबसे बड़ी इंट्राडे की 2467 अंकों की गिरावट देखी। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1941.67 अंक नीचे गिरकर 35,634.95 अंकों पर बंद हुआ। सेंसेक्स 5.17% नीचे रहा। इसी तरह निफ्टी में 538 अंकों की गिरावट आई और यह 10,451.45 अंकों पर बंद हुआ।
सेंसेक्स इस साल के शुरुआती दो महीनों में ही 5672 अंक या करीब 13.73 फीसदी नीचे जा चुका है। निफ्टी भी पीछे नहीं है। निफ्टी दो महीने में 1731 अंक यानी करीब 14.2 फीसदी गिर चुका है।
सोमवार को बाजार की तीन बड़ी घटनाएं
सेंसेक्स में इंट्रा-डे की सबसे बड़ी गिरावट सबसे पहले बात करते हैं बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स की। इसने आज 145 साल के इतिहास में एक दिन की सबसे बुरी गिरावट देखी। सुबह 9:15 बजे जब यह खुला तक यह करीब 1100 अंक नीचे था। 10 ��जते-बजते यह 1500 पॉइंट नीचे आ गया। 11 बजे तक 1600 अंक और दोपहर 1:30 बजे तक तो यह 2345 अंक लुढ़क चुका था। सेंसेक्स में 2467 अंकों की इंट्राडे गिरावट रही। यह अब तक की सबसे बड़ी इंट्राडे गिरावट है। इससे पहले 24 अगस्त 2015 को सेंसेक्स में इंट्राडे की सबसे बड़ी गिरावट 2200 अंकों की रही थी।
सेंसेक्स 13 महीने पुराने स्तर पर जा पहुंचा है इस साल के शुरुआती कुल 69 दिनों में सेंसेक्स 5672 अंक नीचे आ चुका है। 1 जनवरी को सेंसेक्स 41 हजार 306 अंकों पर था। तब से अब तक इसमें 13.73 फीसदी की गिरावट आई है। इस गिरावट ने सेंसेक्स को 35,634.95 पॉइंट पर ला दिया है। इससे पहले 15 जून 2018 को सेंसेक्स 35,622 अंकों पर था।
निफ्टी 16 महीने के सबसे निचले स्तर पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी सोमवार सुबह 318.95 अंकों की गिरावट के साथ खुला। सुबह 11:15 बजे तक यह 417.05 पॉइंट तक लुढ़क गया। दोपहर 1:30 बजे तक 638 अंक गिरकर 16 महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गया। इस साल निफ्टी 1731 अंक नीचे जा चुका है। 1 जनवरी को निफ्टी 12 हजार 182 अंकों पर था। 9 मार्च को 10,451.45 अंकों पर पहुंच कर बंद हुआ।
शेयरों का वैल्यूएशन एक दिन 7 लाख करोड़ घटा निवेशकों के शेयरों का वैल्यूएशन एक दिन 7 लाख करोड़ रुपए घट गया। शुक्रवार को ट्रेंडिंग खत्म होने पर बीएसई का मार्केट कैप 144 लाख करोड़ रुपए था। सोमवार को यह गिरकर करीब 137 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
रिलायंस को 12 साल का सबसे बड़ा नुकसान, मार्केट कैप 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कम हुआ। रिलायंस के शेयरों में करीब 13 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। रिलायंस ने अकेले सेंसेक्स को 500 अंकों का नुकसान पहुंचाया।
बीएसई में 2725 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई, इसमें से 2197 कंपनियों के शेयर गिरावट में रहे। 359 कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही। करीब 80% कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही।महज 23 कंपनियों के शेयर एक साल के उच्च स्तर पर हैं जबकि 839 कंपनियों के शेयर अपने एक साल के निचले स्तर पर हैं।
गिरावट की 4 सबसे बड़ी वजहें
कोरोनावायरस का संक्रमण बढ़ने का असर भारत समेत दुनिया के 109 देशों में कोरोनावायरस फैल चुका है। 1 लाख से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हैं। चीन के वुहान से शुरू हुए इस वायरस दुनियाभर के बाजारों में कई सेक्टर पर असर डाला है। फार्मा, ऑटोमोबाइल, स्मार्टफोन्स जैसी मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज पर असर पड़ा है। इसका असर सोमवार को भी दुनियाभर के सभी प्रमुख बाजारों में नजर आया। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, हॉन्गकॉन्ग समेत दुनिया के सभी बाजारों में गिरावट देखने को मिली।
विदेशी बाजारों में गिरावट दुनिया के सभी बाजारों में गिरावट आ रही है। जापान को निक्केई 5.2% नीचे है तो ऑस्ट्रेलियन कमोडिटी मार्केट 6.4% नीचे है। डाए जोंस 256 अंक और नैस्डेक 161 अंक नीचे है। ब्रिटेन का एफटीएसई 418 अंक नीचे है। हैंगसेंग 1106 तो कोस्पी 4% से ज्यादा नीचे है।
निफ्टी के टॉप 5 गेनर
शेयर बढ़त यस बैंक 32.20% बीपीसीएल 5.45% इंफ्राटेल 2.85% आयशर मोर्टस 0.71%
निफ्टी के टॉप 5 लूजर
शेयर गिरावट ओ��नजीसी 15.99% वेदांता 15.26% रिलायंस 13.10% जी एंटरटेनमेंट 12.73% इंडसइंड बैंक 12.31%
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pragatitimes2016-blog · 7 years ago
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शेयर बाजारों में मामूली तेजी (साप्ताहिक समीक्षा) has been published on PRAGATI TIMES
शेयर बाजारों में मामूली तेजी (साप्ताहिक समीक्षा)
मुंबई,(आईएएनएस)| बीता सप्ताह शेयर बाजारों के लिए मिला-जुला रहा। सेंसेक्स में जहा��� मामूली तेजी रही, वहीं, निफ्टी में मामूली गिरावट दर्ज की गई।
साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स 28.23 अंकों या 0.08 फीसदी की तेजी के साथ 33,342.80 पर तथा निफ्टी 38.15 अंकों या 0.37 फीसदी की तेजी के साथ 10,283.60 पर बंद हुआ। बीएसई का मिडकैप सूचकांक 110.64 अंकों या 0.67 फीसदी की तेजी के साथ 16,673.33 पर तथा स्मॉलकैप सूचकांक 38.69 अंकों या 0.22 फीसदी की गिरावट के साथ 17,605.13 पर बंद हुआ। सोमवार को शेयर बाजारों की कमजोर शुरुआत हुई और सेंसेक्स 281 अंकों या 0.84 फीसदी की गिरावट के साथ 33,033.56 पर बंद हुआ तथा निफ्टी 96.80 अंकों या 0.94 फीसदी की तेजी के साथ 10,224.95 पर बंद हुआ। मंगलवार को सेंसेक्स में 91.69 अंकों या 0.28 फीसदी की गिरावट आई और यह 32,941.87 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 38.35 अंकों या 0.38 फीसदी की गिरावट के साथ 10,186.60 पर बंद हुआ। बुधवार को भी गिरावट का दौर जारी रहा। सेंसेक्स 181.43 अंकों या 0.55 फीसदी की गिरावट के साथ 32,760.44 पर तथा निफ्टी 68.55 अंकों या 0.67 फीसदी की गिरावट के साथ 10,118.05 पर बंद हुआ। गुरुवार को लगातार तीन सत्रों में गिरावट के बाद बाजार में तेजी लौटी और सेंसेक्स 346.38 अंकों या 1.06 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 33,106.82 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 96.70 अंकों या 0.96 फीसदी की तेजी के साथ 10,214.75 पर बंद हुआ। कारोबारी सप्ताह के आखिरी दिन सकारात्मक वैश्विक संकेतों के असर से सेंसेक्स 235.98 अंकों या 0.71 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 33,342.80 पर तथा निफ्टी 68.85 अंकों या 0.67 फीसदी की वृद्धि के साथ 10,283.60 पर बंद हुआ। शुक्रवार को मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने भारत की रेटिंग 14 सालों बाद बीएए से बढ़ाकर बीएए2 कर दी, जिसका बाजार पर काफी सकारात्मक असर देखा गया और विदेशी निवेशकों ने जोरदार खरीदारी की। बीते सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे – महिंद्रा एंड महिंद्रा (1.67 फीसदी), एनटीपीसी (0.76 फीसदी), रिलायंस इंडस्ट्रीज (2.97 फीसदी), कोटक महिंद्रा बैंक (2.97 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (2.04 फीसदी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (1.26 फीसदी) और एचडीएफसी (0.24 फीसदी)। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे – अडाणी पोर्ट्स (7.19 फीसदी), ओएनजीसी (6.97 फीसदी), कोल इंडिया (4.27 फीसदी), लार्सन एंड टूब्रो (3.39 फीसदी), सन फार्मा (1.94 फीसदी), भारती एयरटेल (1.89 फीसदी) और एक्सिस बैंक (0.48 फीसदी)। व्यापक आर्थिक मोर्चे पर, सरकार ने शुक्रवार (10 नवंबर) को शेयर बाजार बंद होने के बाद फैक्ट्री उत्पादन के आंकड़े जारी किए। फैक्ट्री उत्पादन में आई तेजी सितंबर में थमती नजर आई और इस दौरान यह गिरकर 3.80 फीसदी रही, जोकि अगस्त के दौरान 4.46 फीसदी थी। हालांकि साल-दर-साल आधार पर साल 2016 के सितंबर की तुलना में इसमें तेजी दर्ज की गई है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के ‘त्वरित अनुमान’ में कहा गया, “साल 2017 के अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 2.5 फीसदी की संचयी वृद्धि दर रही।” सरकार ने सोमवार (13 नवंबर) को वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए। खाद्य पदार्थों, ईंधन और आवास की ��ीमतों में वृद्धि से अक्टूबर में भारत की वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति की दर ऊंची रही। सांख्यिकी ��वं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर बढ़कर 3.58 फीसदी हो गई, जो सितंबर में 3.28 फीसदी थी। हालांकि, साल-दर-साल आधार पर पिछले महीने सीपीआई महंगाई में गिरावट आई है, जो कि साल 2016 के अक्टूबर में 4.20 फीसदी दर्ज की गई थी। समीक्षाधीन माह में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) बढ़कर 1.90 फीसदी रहा, जबकि सितंबर में यह 1.25 फीसदी था। साल-दर-साल आधार पर शहरी क्षेत्रों में मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 3.81 फीसदी रही, जबकि ग्रामीण भारत में बढ़कर यह 3.36 फीसदी रही। मंगलवार (14 नवंबर) को बाजार बंद होने के बाद सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए। खाद्य पदार्थो की कीमतें बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित देश की महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 3.59 फीसदी रही है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, संशोधित आधार वर्ष 2011-12 के आधार पर अक्टूबर में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) 3.59 फीसदी रहा, जो सितंबर में 2.60 फीसदी था। विभिन्न खंडों के आधार पर प्राथमिक वस्तुओं की अक्टूबर में महंगाई दर 0.15 फीसदी बढ़कर 3.33 फीसदी रही, जिसका डब्ल्यूपीआई में 22.62 फीसदी भार है। खाद्य पदार्थो की कीमतें साल-दर-साल आधार पर अक्टूबर में 4.30 फीसदी हो गईं, जो सितंबर के दौरान 2.04 फीसदी थीं। प्याज के थोक मूल्य सूचकांक में 127.04 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि आलू की कीमतें 44.29 फीसदी घटीं। अक्टूबर में कुल मिलाकर सब्जियों की कीमतों में 36.61 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 11.84 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। आंकड़ों के मुताबिक, गेहूं की कीमत साल-दर-साल आधार पर अक्टूबर में 1.99 फीसदी कम रही, जबकि दालों की कीमतों में 31.05 फीसदी की कमी आई। प्रोटीन आधारित खाद्य पदार्थो जैसे अंडा, मांस और मछली में समीक्षाधीन माह में 5.76 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। समीक्षाधीन माह में ईंधन और बिजली की कीमतों में 10.52 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।
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yarokiyari · 7 years ago
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इस साल शेयर बाजार के परफॉर्मेंस की दो हाइलाइट्स रही हैं. पहली कि बाजार ने (सेंसेक्स और निफ्टी के रूप में) नई ऊंचाइयां छुईं. दूसरी ये कि लाखों नए इन्वेस्टर (ज्यादातर म्‍यूचुअल फंड में निवेश के जरिए) शेयर बाजार से जुड़ गए. लेकिन इसकी एक और हाइलाइट रही, जिस पर काफी कम लोगों ने ध्यान दिया. बाजार के इस बुल रन का ट्रिगर क्या था? अप्रैल से शुरू हुए नए कारोबारी साल की पहली तिमाही के नतीजे हों या जीडीपी के आंकड़े, कहीं भी ऐसे संकेत नहीं थे कि इकोनॉमी में ‘बुल रन’ है, तो फिर शेयर बाजार में ‘बुल रन’ क्यों? लिस्टेड कंपनियों के तिमाही नतीजों पर नजर डालें, तो पहली तिमाही में निफ्टी की 50 में से सिर्फ 13 कंपनियां ऐसी थीं, जिन्होंने बाजार की उम्मीद से बेहतर नतीजे दिखाए. बाकी कंपनियां या तो उम्मीद से कमजोर रहीं, या फिर बस उन पर खरी उतर पाईं. कंपनियों के नतीजे तो फीके रहे ही, जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े भी निराशाजनक थे. अप्रैल-जून तिमाही में ग्रोथ रेट रही 5.7% जिससे ये साफ हुआ कि इकोनॉमी में ‘सब कुछ’ ठीक नहीं है. लेकिन इन दोनों बड़ी निगेटिव खबरों के बावजूद शेयर बाजार की तेज चाल जारी रही और ��सका सारा श्रेय जाता है, उस पैसे को जो निवेशकों ने म्‍यूचुअल फंड में लगाए हैं. म्‍यूचुअल फंडों में आए इस पैसे के पीछे मुख्य रूप से दो वजह हैं. पहली कि लोगों के पास बेहतर रिटर्न वाले निवेश के विकल्प नहीं हैं, एफडी और छोटी बचत योजनाओं में ब्याज दर लगातार कम होती जा रही है. सोना और प्रॉपर्टी, जिनमें भारतीय पारंपरिक रूप से निवेश करते आए हैं, में पैसे लगाना अब फायदेमंद दिख नहीं रहा है. दूसरी वजह यही है कि इक्विटी म्‍यूचुअल फंड ने पिछले 3 साल में जैसे रिटर्न दिए हैं, उससे निवेशकों का रुझान शेयर बाजार की तरफ बढ़ गया है. और खास बात ये है कि म्‍यूचुअल फंड की मिडकैप और स्मॉलकैप स्कीमों में ये पैसा ज्यादा आया है. पिछले तीन साल के म्‍यूचुअल फंड के रिटर्न देखकर ये बात समझ में आती है कि आखिर क्यों लोगों ने मिडकैप और स्मॉलकैप स्कीमों में ज्यादा पैसे लगाए हैं. अब तक मिले रिटर्न तो शानदार हैं, लेकिन अब ये सवाल है कि अगर इकोनॉमी की ग्रोथ और कंपनियों की कमाई में सुधार नहीं होता तो सिर्फ लिक्विडिटी के बल पर शेयर बाजार कब तक टिका रहेगा. मार्क स्कूसेन का ये सूत्र रिटेल निवेशकों को पता हो या नहीं, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को शायद याद है. तभी तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय बाजारों से पीछे हटने लगे हैं. अगस्त और सितंबर के दो महीनों में विदेशी निवेशकों ने यहां से करीब 24,000 करोड़ रुपए निकाल लिए हैं. सितंबर में एफपीआई ने 11,392 करोड़ रुपए और अगस्त में 12,770 करोड़ रुपए के शेयर बेच दिए. इसके पहले के 6 महीनों यानी फरवरी से जुलाई के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 62,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया था. ब्लूमबर्ग क्विंट से बातचीत में बजाज कैपिटल के वाइस प्रेसिडेंट और इन्वेस्टमेंट एनालिटिक्स हेड आलोक अग्रवाल ने इसकी वजह बताई. अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी जीडीपी ग्रोथ को लेकर अपने अनुमान घटा रही हैं. हाल ही में फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2017-18 का जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.4 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है. वहीं पिछले महीने एशियाई विकास बैंक ने भी इसे 7 फीसदी कर दिया था. बैंक ने इसकी वजह बताई थी प्राइवेट कंजप्शन, मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट और बिजनेस इन्वेस्टमेंट में कमजोरी. तो क्या अब भारतीय बाजारों से निकलने का वक्त है? विदेशी निवेशक सतर्क जरूर हुए हैं लेकिन उनका भरोसा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. सीएलएसए के इंडिया स्ट्रैटेजिस्ट महेश नंदूरकर ने ब्लूमबर्ग क्विंट को बताया कि कंपनियों के नतीजे सुधरने में एक तिमाही या उससे ज्यादा वक्त लग सकता है. उनका मानना है कि अक्तूबर-दिसंबर तिमाही से रिकवरी लौटेगी और आने वाली दो तिमाहियों तक जारी रहेगी, क्��ोंकि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से पिछली कुछ तिमाहियों के नतीजे प्रभावित हुए थे. लेकिन इसी के साथ दूसरा तथ्य ये भी है कि शेयर बाजार से वैसे रिटर्न की उम्मीद निवेशकों को नहीं करनी चाहिए, जैसा पिछले साल भर या तीन साल में दिखा है. जानकारों के मुताबिक खासकर पिछले 6-12 महीनों में रिटेल निवेशकों की बाजार से उम्मीद काफी बढ़ गई है, और इसी वजह से नया निवेश भी खूब आया है. लेकिन अगर शेयर बाजार से उनकी ऊंचे रिटर्न की उम्मीदें पूरी नहीं होतीं तो ये नया निवेश बाहर निकलते देर नहीं लगेगी. शेयर बाजार सिर्फ ‘लिक्विडिटी’ के सहारे नई ऊंचाइयां नहीं छू सकता, उसके पीछे कंपनियों की बढ़ती हुई कमाई और इकोनॉमिक फंडामेंटल्स में मजबूती जैसे आधार होने चाहिए. इसलिए शेयर बाजार में निवेश करें तो जरूर, लेकिन ऊंचे रिटर्न की अपनी उम्मीदों को लगाम भी दें.
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pragatitimes2016-blog · 7 years ago
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शेयर बाजार मजबूती के साथ बंद has been published on PRAGATI TIMES
शेयर बाजार मजबूती के साथ बंद
मुंबई, (आईएएनएस)| बीते सप्ताह देश के शेयर बाजार तेजी के साथ बंद हुए, जिसमें सबसे ज्यादा तेजी फार्मा और वाहनों के शेयरों में रही।
साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स 585.09 अंकों या 1.85 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 32,272.61 अंकों पर बंद हुआ तथा निफ्टी 150.60 अंकों या 1.52 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 10,085.40 पर बंद हुआ। वहीं, बीएसई का मिडकैप सूचकांक 217.99 अंकों या 1.38 फीसदी की तेजी के साथ 15,972.74 पर बंद हुआ, जबकि स्मॉलकैप सूचकांक 362.56 अंकों या 2.22 ���ीसदी की तेजी के साथ 16,687.76 पर बंद हुआ। सोमवार को सेंसेक्स सकारात्मक वैश्विक संकेतों के कारण 194.64 अंकों या 0.61 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 31,882.16 पर बंद हुआ। मंगलवार को सेंसेक्स 276.50 अंकों या 0.87 फीसदी की तेजी के साथ 32,158.66 पर बंद हुआ। बुधवार को बाजार में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिला और सेंसेक्स 27.75 अंकों या 0.09 फीसदी की तेजी के साथ 32,186.41 पर बंद हुआ। गुरुवार को भी शेयरों में उतार-चढ़ाव जारी रहा और सेंसेक्स 55.52 अंकों या 0.17 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 32,241.93 पर बंद हुआ। शुक्रवार को सेंसेक्स 30.68 अंकों या 0.1 फीसदी की तेजी के साथ 32,272.61 पर बंद हुआ। बीते सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे- सन फार्मा (11.2 फीसदी), ल्यूपिन (4.02 फीसदी), बजाज ऑटो (3.71 फीसदी), रिलायंस इंडस्ट्रीज (3.21 फीसदी), एक्सिस बैंक (4.93 फीसदी), एचडीएफसी बैंक (3.43 फीसदी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (0.04 फीसदी), टाटा मोटर्स (6.99 फीसदी) और डॉ. रेड्डी (2.38 फीसदी)। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे- हीरो मोटोकॉर्प (1.54 फीसदी), आईटीसी (1.14 फीसदी), एचडीएफसी (0.42 फीसदी), कोटक महिंद्रा बैंक (0.24 फीसदी), भारती एयरटेल (1.29 फीसदी) और विप्रो (4.88 फीसदी)। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपनी साप्ताहिक मौसम रिपोर्ट में कहा कि मॉनसून के दौरान 13 सितंबर तक समूचे देश में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून जो जून से सितंबर तक रहता है, देश के कृषि क्षेत्र के लिए काफी जरुरी है, क्योंकि अभी भी खेती का 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सा बारिश पर ही निर्भर है। व्यापक आर्थिक आंकड़ों में खाद्य पदार्थो और ईधन की कीमतों में हुई तेज बढ़ोतरी के कारण देश के थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर अगस्त महीने में लगभग दोगुनी होकर 3.24 फीसदी रही। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में थोक महंगाई दर 1.88 फीसदी रही थी जबकि अगस्त 2016 में यह दर 1.09 फीसदी थी। मंत्रालय के मुताबिक, “अगस्त 2017 की थोक महंगाई दर 3.24 फीसदी रही है, जबकि जुलाई में यह 1.88 फीसदी थी और अगस्त 2016 में 1.09 फीसदी थी। इस वित्त वर्ष की बिल्ट इन महंगाई दर 1.41 फीसदी रही है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 3.25 फीसदी थी।” थोक कीमतें जुलाई में बढ़कर 1.88 फीसदी हो गई, जबकि जून में यह 0.90 फीसदी और मई में 2.26 फीसदी पर थी। मंगलवार को सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वय मंत्रालय ने अगस्त के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों को जारी किया, जिसमें खाद्य पदार्थो की कीमतों में वृद्धि के कारण खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी दर्ज की गई। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वय मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में 1 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और यह 3.36 फीसदी रही, जबकि जुलाई में यह 2.36 फीसदी थी। समीक्षाधीन अवधि में क्रमिक आधार पर देश के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) में जुलाई की तुलना में 1.52 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि साल-दर-साल आधार पर अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति दर कम रही है, क्योंकि पिछले साल अगस्त में यह 5.05 फीसदी थी। साल-दर-साल आधार पर शहरी क्षेत्रों में महंगाई दर 3.35 फीसदी रही, जबकि ग्रामीण ��लाकों में 3.30 फीसदी रही। पिछले महीने की मंदी के बाद देश के औद्योगिक उत्पादन में जुलाई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यह 1.2 फीसदी रही, जबकि जून में यह 0.16 फीसदी थी। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के संशोधित आधार वर्ष 2011-12 वाले सूचकांक में जून के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट के कारण कमी दर्ज की गई थी और यह -0.1 फीसदी रही थी, जबकि मई में यह 2.80 फीसदी पर थी। साल 2016 के जुलाई में औद्योगिक उत्पादन 4.5 फीसदी पर थी। साल 2017 के अप्रैल-जुलाई के दौरान साल-दर-साल आधार पर यह 1.7 फीसदी थी, जोकि पिछले साल के समान अवधि 6.5 फीसदी थी।
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pragatitimes2016-blog · 7 years ago
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शेयर बाजार मजबूती के साथ बंद
मुंबई, (आईएएनएस)| बीते सप्ताह देश के शेयर बाजार तेजी के साथ बंद हुए, जिसमें सबसे ज्यादा तेजी फार्मा और वाहनों के शेयरों में रही।
साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स 585.09 अंकों या 1.85 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 32,272.61 अंकों पर बंद हुआ तथा निफ्टी 150.60 अंकों या 1.52 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 10,085.40 पर बंद हुआ। वहीं, बीएसई का मिडकैप सूचकांक 217.99 अंकों या 1.38 फीसदी की तेजी के साथ 15,972.74 पर बंद हुआ, जबकि स्मॉलकैप सूचकांक 362.56 अंकों या 2.22 फीसदी की तेजी के साथ 16,687.76 पर बंद हुआ। सोमवार को सेंसेक्स सकारात्मक वैश्विक संकेतों के कारण 194.64 अंकों या 0.61 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 31,882.16 पर बंद हुआ। मंगलवार को सेंसेक्स 276.50 अंकों या 0.87 फीसदी की तेजी के साथ 32,158.66 पर बंद हुआ। बुधवार को बाजार में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिला और सेंसेक्स 27.75 अंकों या 0.09 फीसदी की तेजी के साथ 32,186.41 पर बंद हुआ। गुरुवार को भी शेयरों में उतार-चढ़ाव जारी रहा और सेंसेक्स 55.52 अंकों या 0.17 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 32,241.93 पर बंद हुआ। शुक्रवार को सेंसेक्स 30.68 अंकों या 0.1 फीसदी की तेजी के साथ 32,272.61 पर बंद हुआ। बीते सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे- सन फार्मा (11.2 फीसदी), ल्यूपिन (4.02 फीसदी), बजाज ऑटो (3.71 फीसदी), रिलायंस इंडस्ट्रीज (3.21 फीसदी), एक्सिस बैंक (4.93 फीसदी), एचडीएफसी बैंक (3.43 फीसदी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (0.04 फीसदी), टाटा मोटर्स (6.99 फीसदी) और डॉ. रेड्डी (2.38 फीसदी)। सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे- हीरो मोटोकॉर्प (1.54 फीसदी), आईटीसी (1.14 फीसदी), एचडीएफसी (0.42 फीसदी), कोटक महिंद्रा बैंक (0.24 फीसदी), भारती एयरटेल (1.29 फीसदी) और विप्रो (4.88 फीसदी)। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपनी साप्ताहिक मौसम रिपोर्ट में कहा कि मॉनसून के दौरान 13 सितंबर तक समूचे देश में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून जो जून से सितंबर तक रहता है, देश के कृषि क्षेत्र के लिए काफी जरुरी है, क्योंकि अभी भी खेती का 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सा बारिश पर ही निर्भर है। व्यापक आर्थिक आंकड़ों में खाद्य पदार्थो और ईधन की कीमतों में हुई तेज बढ़ोतरी के कारण देश के थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर अगस्त महीने में लगभग दोगुनी होकर 3.24 फीसदी रही। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुता���िक, जुलाई में थोक महंगाई दर 1.88 फीसदी रही थी जबकि अगस्त 2016 में यह दर 1.09 फीसदी थी। मंत्रालय के मुताबिक, “अगस्त 2017 की थोक महंगाई दर 3.24 फीसदी रही है, जबकि जुलाई में यह 1.88 फीसदी थी और अगस्त 2016 में 1.09 फीसदी थी। इस वित्त वर्ष की बिल्ट इन महंगाई दर 1.41 फीसदी रही है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 3.25 फीसदी थी।” थोक कीमतें जुलाई में बढ़कर 1.88 फीसदी हो गई, जबकि जून में यह 0.90 फीसदी और मई में 2.26 फीसदी पर थी। मंगलवार को सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वय मंत्रालय ने अगस्त के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों को जारी किया, जिसमें खाद्य पदार्थो की कीमतों में वृद्धि के कारण खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी दर्ज की गई। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वय मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में 1 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और यह 3.36 फीसदी रही, जबकि जुलाई में यह 2.36 फीसदी थी। समीक्षाधीन अवधि में क्रमिक आधार पर देश के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) में जुलाई की तुलना में 1.52 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि साल-दर-साल आधार पर अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति दर कम रही है, क्योंकि पिछले साल अगस्त में यह 5.05 फीसदी थी। साल-दर-साल आधार पर शहरी क्षेत्रों में महंगाई दर 3.35 फीसदी रही, जबकि ग्रामीण इलाकों में 3.30 फीसदी रही। पिछले महीने की मंदी के बाद देश के औद्योगिक उत्पादन में जुलाई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यह 1.2 फीसदी रही, जबकि जून में यह 0.16 फीसदी थी। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के संशोधित आधार वर्ष 2011-12 वाले सूचकांक में जून के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट के कारण कमी दर्ज की गई थी और यह -0.1 फीसदी रही थी, जबकि मई में यह 2.80 फीसदी पर थी। साल 2016 के जुलाई में औद्योगिक उत्पादन 4.5 फीसदी पर थी। साल 2017 के अप्रैल-जुलाई के दौरान साल-दर-साल आधार पर यह 1.7 फीसदी थी, जोकि पिछले साल के समान अवधि 6.5 फीसदी थी।
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