सिख धर्म की पुस्तक 'जन्म साखी भाई बाले वाली' (हिन्दी) के पृष्ठ 305 में दिया गया विवरण स्पष्ट करता है कि संत रामपाल जी महाराज ही वह अवतार हैं जो परमेश्वर कबीर जी तथा संत नानक जी के पश्चात् पंजाब की धरती पर अवतरित हुए हैं जो इन्हीं के समान महिमावान व ज्ञानवान हैं।
“I say with confidence that that great man will impart such knowledge which no one has ever heard before, after listening to his knowledge all the so called religious leaders will have to bow down.” - Nostradamus
संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में 6, 7 और 8 सितंबर 2024 को भारत और नेपाल के 10 सतलोक आश्रमों में शुद्ध देसी घी से निर्मित तीन दिवसीय विशाल भंडारा और संत गरीबदास जी महाराज की अमृतमयी वाणी का अखंड पाठ आयोजित किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस पर 6 से 8 सितंबर 2024 तक, संत गरीबदास जी महाराज जी की अमर वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ, विशाल भंडारा, नि:शुल्क नाम दीक्षा, रक्तदान शिविर, दहेज मुक्त विवाह और आध्यात्मिक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
6 से 8 सितंबर 2024 को संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस पर भारत सहित नेपाल के 10 सतलोक आश्रमों में नि:शुल्क भंडारे की व्यवस्था की जा रही है। इसके साथ-साथ संत गरीबदास जी महाराज की वाणी का अखंड पाठ, हवन यज्ञ, सत्संग, दहेजमुक्त विवाह और रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस के अवसर पर 6, 7 और 8 सितंबर को महासमागम का आयोजन किया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में होने वाले तीन दिवसीय अखंड पाठ, विशाल भंडारा, रक्तदान शिविर, दहेज रहित विवाह, नशा मुक्ति अभियान, समाज सुधार, नि:शुल्क नाम दीक्षा और भव्य आध्यात्मिक प्रद���्शनी जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें आप सभी को आमंत्रित किया जाता है। कृपया पधारकर आयोजन की शोभा बढ़ाएं।
संत रामपाल जी महाराज के गुरु स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने सन् 1993 में उन्हें सत्संग करने की तथा 1994 में नाम दान करने की आज्ञा प्रदान की। जिसके बाद संत रामपाल जी महाराज ने भक्त समाज तक तत्वज्ञान पहुँचाने के लिए जे.ई. की पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया और सन् 1994 से 1998 तक घर-घर, गाँव-गाँव, नगर-नगर में जाकर सत्संग किया और जिससे अज्ञानी संतो का विरोध भी बढ़ता गया और यह संघर्ष संत रामपाल जी का निरंतर जारी है।