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उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का वैवाहिक जीवन
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र भचक्र के 27 नक्षत्रों में से 12वां नक्षत्र है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र राशिचक्र की सिंह (प्रथमपद) और कन्या राशि (अंतिम तीन पद )में पड़ता है। इसका विस्तार राशिचक्र के 146.40 डिग्री से 160.00 डिग्री तक है। उत्तराफाल्गुनी में कुल चार तारे होते हैं और ये इस तरह स्थित होते हैं कि देखने में ये पलंग के सिरहाने जैसे दिखते हैं। तारों की संख्या को लेकर, विशेषज्ञों में मतभेद है जिनके अनुसार इसमें दो तारे हैं। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के अधिष्ठाता देव आ��्यमान है। इस नक्षत्र पर सूर्य का प्रभुत्व है। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का अर्थ है - पीछे वाला।
भारतीय खगोल मे यह 12 वा नक्षत्र ध्रुव संज्ञक है। यह अत्यंत शुभ, विद्यादाता, राजसिक और स्त्री नक्षत्र है। यह पूर्व दिशा का स्वामी है और इसके अधिकतर गुण-दोष पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र जैसे ही है। केवल अंतर सूर्य के कारण है। यह नक्षत्र प्रकाश दायक, क्रूर, तीक्ष्ण, भाग्य दायक और ऊर्जा से भरपूर है। इस नक्षत्र पर सूर्य के प्रभाव के कारण ही इसमें ये सभी गुण विद्यमान होते हैं। यह संरक्षण और सहायता देने वाला नक्षत्र है। यह नक्षत्र मुख्यतः प्रेम, विवाह, रिश्तेदारी और आनंद का प्रतीक है। इस नक्षत्र में विवाह की बातचीत व विवाह अत्यंत शुभ फलप्रदायी है। उत्तराफाल्गुनी में जन्मा जातक आध्यात्मिक या तन्त्र-मन्त्र में अत्यधिक रुचि रखता है।
पारिवारिक जीवन-
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र / Uttara Phalguni Nakshatra में जन्मा जातक अपने पारिवारिक जीवन से बहुत ही संतुष्ट रहता है। ऐसा जातक परिवार के प्रति अत्यंत जिम्मेदार होता है। ये अपने घर परिवार के हर मामले में अत्यंत सजग रहते हैं। ये अपने परिवार और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं। हालांकि इस नक्षत्र में जन्मे जातक कुछ क्रोधी और जिद्दी भी होते हैं। ये दूसरो पर हावी होने का प्रयास करते हैं और इनका आक्रामक स्वभाव परिवार के लोगों में तनाव और कठिनाइयों का कारण बन सकता है। जातक किसी भी रिश्ते को लम्बा निभाने के लिए प्रयासरत रहता है और यही कारण है कि इनके आपसी सम्बन्ध बहुत अच्छे रहते हैं। यह लोग समाज में एक अच्छा स्थान रखते हैं और प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। जीवन साथी व संतान का सुख इन्हें प्राप्त होता है। ये अधिकतर दिखावे में विश्वास करते हैं जो इन्हें नहीं करना चाहिए।
दाम्पत्य जीवन-
इस नक्षत्र में जन्में लोगों का वैवाहिक जीवन बहुत अच्छा रहता है। संतोषप्रिय प्रवृत्ति के कारण अपने वैवाहिक जीवन से आप अत्यंत ख़ुश रहते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोगों को एक अच्छा जीवनसाथी मिलता है जो घर के कामकाज में अत्यंत कुशल होता है और शांतिप्रिय व मृदुभाषी होता है। ऐसे लोगों की गणित और विज्ञान में विशेष रुचि होती है और वे अध्यापन एवं प्रशासन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। मॉडलिंग व अभिनय के क्षेत्र में भी वे सफल होते हैं। प्रदर्शन और दिखावे से दूर रहना इनके स्वभाव में होता है।
इस नक्षत्र में जन्मी महिलाओं का वैवाहिक जीवन अत्यंत सामान्य बना रहता है। हालांकि संतान ��ोने के बाद इन महिलाओं के दांपत्य जीवन में दुगुनी ख़ुशी आ जाती है। इनके पति और इनके बच्चे इन्हें बेहद प्यार करते हैं। ये महिलाएं अच्छी गृहिणी होती हैं और घर के सभी कामों को बहुत निपुणता से संभालती हैं। इनका विवाह एक अमीर परिवार में होता है। इस नक्षत्र की महिलाओं में एक अवगुण है कि इन्हें अपने पैसों का दिखावा करना अत्यंत पसंद है। इस वजह से अक्सर दूसरी महिलाएं इनसे ईर्ष्या करती हैं। इस कारण इनके वैवाहिक रिश्ते भी प्रभावित होते हैं।
हर क्षेत्र की तरह, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्में पुरुषों का वैवाहिक जीवन बहुत ही स्वस्थ और सुखी व्यतीत होता है। जीवनसाथी के साथ इनके संबंध बहुत सुगम और सरल होते हैं। इनके बीच आमतौर पर मनमुटाव की स्थिति कम ही होती है। इनकी महिला जीवनसंगिनी इनके लिए अत्यंत सौभाग्यशाली रहती है।
सकारात्मक पक्ष -
इस नक्षत्रप में जन्मे लोग दयालु और दानी होते हैं। इसके अलावा ऐसे जातक साहसी, धैर्यवान, ऊर्जा से भरे, कीर्तिवान, विद्वान, चतुर, बुद्धिमान, सही निर्णय लेने वाले, पूर्वाभास की क्षमता रखने वाले, अध्ययनशील, गणित, साहित्य एवं भाषा आदि में विशेष प्रवीण होते हैं। जातक अपने पुरुषार्थ से धनोपार्जन करने में सफल होते हैं और सामाजिक ख्याति भी बहुत मिलती है। जातक का विवाह तुला राशि या तुला लग्न वाले जीवन साथी से अति उत्तम माना गया है।
नकारात्मक पक्ष -
इस नक्षत्र में जन्में लोगों पर सूर्य का अत्यधिक असर रहता है। यदि सूर्य और बुध की स्थिति जन्म कुंडली में अच्छी ना हो तो व्यक्ति अनैतिक आचरण में रत रहता है। और विवाह के अतिरिक्त भी सम्बन्ध बना सकता है।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का वैदिक मंत्र -
ॐ दैव्या वद्ध��्व्यू च आगत गवं रथेन सूर्य्यतव्चा ।
मध्वायज्ञ गवं समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम ।
ॐ अर्यमणे नम: ।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के दुष्प्रभावों को काम करने के उपाय-
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक को सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए।
सूर्य भगवान् को जल चढा़ना उत्तम उपाय होता है। और साथ ही साथ आदित्य हृदय स्त्रोत्र भी पढ़ना चाहिए।
गायत्री मंत्र का जाप करना भी शुभ परिणाम लाता है।
सिंह पर विराजमान माँ दुर्गा और काली मां की पूजा उपासना भी इस नक्षत्र के लिए अत्यंत उपयोगी है।
लाल, सुनहरे, हरे, सफेद इत्यादि रंगों का उपयोग करना भी अच्छा माना गया है।
बहुत अधिक भड़कीले वस्त्रों से बचना चाहिए।
इस नक्षत्र के जातक, सात रत्ती के पन्ने की अंगूठी सोने में पहन सकते हैं।
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यूपी : राजधानी में पाया गया कोरोना का पहला मरीज
लखनऊ : देश के कई शहरों में फैले कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा घोषित किये गए महामारी अब धीरे से यूपी की राजधानी में भी पैर पसार रहा है |होली के बाद राजधनी३ में एक व्यक्ति की पुष्टि हुई है जिसमे सैंपल पॉजिटिव पाया गया है | बता दें की KGMU ने जांच के बाद इसकी पुष्टि की है | राजधानी यूपी का यह पहला केश है यहाँ इसे पॉजिटिव पाया गया है | महिला मरीज को केजीएमयू में ही आइसोलेट किया गया है | मरीज के सैंपल को पुनः जांच के लिए पुणे की लैब में भेजा गया है | बता दें कि इससे पहले यूपी में 9 लोगों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है | इसमें आगरा से 7 और गाजियाबाद व न��एडा में एक-एक मरीज कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनका इलाज दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में किया जा रहा है |
केजीएमयू मेडिसिन विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ हिमांशु ने बताया कि संक्रमित महिला टोरंटो में डॉक्टर हैं |वह टोरंटो से लंदन और मुंबई होते हुए 8 मार्च को लखनऊ पहुंची थीं | उस वक्त थर्मो स्कैनिंग में कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिखे थे | मंगलवार को लक्षण दिखे तो उन्हें और उनके पति को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया | देर रत आई रिपोर्ट में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई | हालांकि, उनके पति का टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव रहा |
महिला डॉक्टर से 8 से 11 मार्च के बीच जिन लोगों ने मुलाकात की उनकी सूचि बनाई गई है | इनमें 10 लोग शामिल हैं | इन सभी की भी जांच की जाएगी |
विभाग के अनुसार, यूपी के विभिन्न एयरपोर्ट पर 15,903 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है | वहीं, बॉर्डर चेक पोस्ट पर अब तक 12,01,945 लोगों की जांच हो चुकी है |
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न्यू लिल वंडर्स प्ले स्कूल मुरादाबाद मे होली और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन आशियाना फेस -2 स्थित न्यू लिल वंडर्स प्ले स्कूल मुरादाबाद मे होली और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि अल्पना रितेश गुप्ता ��े द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।प्रदर्शनकारी सौरभ अग्रवाल और उनकी पत्नी प्रीति अग्रवाल, स्वरूपिका पारुल अग्रवाल जी के द्वरा स्मृति चिन्ह देकर उने सम्मानित किया गया ।शहर के बिभिन्न क्षेत्रों मे कार्यरत मह संघों को सर्वप्रथम प्रधानिपल रहची सिंह कश्यप एवं सभी अध्ययनपतियों द्व.रा माल्यार्चन कर स्वागत किया गया, और शिक्षा के क्षेत्र में भूतपूर्व प्रधानात्मकता श्री रजनी दुबे, राजकीय इन्टर कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ।, श्वेता पूठिया, भूतपूर्व प्रवक्ता एवं गौ सेवा रत श्री उषा मिश्रा, जी, छात्राओं को स्वाबलंबी बनाने के लिए, व्यावसायिक शिक्षा की अध्यापिका और शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी श्री ँज दर्पण जी के धर्मपत्नी श्रीमती नामिता अग्रवाल, कविता के क्षेत्र में प्रख्यात कवयित्री निवेदिता सक्सेना जी, उभरती हुई पत्रकार और शिक्षिका कुमारी हर्षिता ठाकुर, पबलिक टी वी वीटर कुमारी कुतु स्तुति अग्रवाल, अल्पना जी और प्रबंधन समिति द्वारा, उनके उत्कृष्ट कार्यों को सम्मानित किया गया। गया।इस अवसर पर नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा बलम चित्रकार, बद्री की दुल्हनियां, और चूंदरी जयपुर से मंगवाई गन्स पर मनमोह डांस प्रस्तुत किया गया।तथा उपस्थित सभी महिलाओं द्वारा होली के गनों पर जमकर नृत्य किया गया।कार्यक्रम को सफल बनाने में सोनम सिंह, नेहा भटनागर, खुशबू, और पिंकी के सहयोग रहा।अंत मे प्रबंधक सौरभ अग्रवाल द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया। मुरादाबाद से जगु बोहरा की रिपोट
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ब्याडमिन्टनको टिम इभेन्टमा भारतलाई २ स्वर्ण
१७ मंसिर, पोखरा । १३ औं दक्षिण एसियाली खेलकुद प्रतियोगिता (साग) अन्तर्गत पोखरामा भएको ब्याडमिन्टन प्रतियोगिताको टिम इभेन्टतर्फ महिला र पुरुष दुवैमा भारतले स्वर्ण पदक जितेको छ । सोमबार राति भएको फाइनल खेलमा भारतले श्रीलंकालाई पराजित गरेको गर्दै स्वर्ण जितेको हो ।
भारतले पुरुषतर्फ ३–१ र महिलतर्फ ३–० को सेटमा सहज जित निकालेको हो । रजत विजेता श्रीलंका नेपाललाई पराजित गर्दै फाइनमा प्रवेश गरेको थियो । विजेताभ ारत पाकिस्तानलाई पराजित गर्दै फाइनमा प्रवेश गरेको हो ।
फाइनलमा टिम इभेन्ट पुरुष सिंगल्समा भारतका श्रीकान्त किदाम्बीले श्रीलंकाका एदिरिमुनिदिनुका निसान पर करुणारत्नेलाई ३–० को सेटमा पराजित गरे । पहिलो सेट १७–२१ ले गुमाएका श्रीकान्तले बाँकी सेटमा लय फर्काउँदै २१–१५ र २१–११ स्कोरमा आफ्नो पक्षमा पारेका थिए ।
सिंगल्सतर्फ भारतका श्रीसाई सिरिल बर्मा अलुरीले श्रीलंकाका सचिन प्रेमासन एंगोदा विदांगेलाई २–१ को सेटम पराजित गरे । सचिनले २१–१७ र ११–छ को स्कोरमा सेट गुमाएका हुन् ।
पुरुष डबल्सतर्फ भारतका कृष्�� प्रसाद कपिला र ध्रुव कापिलाको जोडीले श्रीलंकाका इद्रीमुनिदिनुकानिसान पर करुणारत्ने र हासिथा चन्डाकामन्नी हेवाको जोडीलाई २१–१४ र २१–१८ को सेटमा पराजित गरको हो ।
टिम इभेट महिला सिंगल्स सिंगल्सतर्फ पनि भारतले क्लिन स्वीप गर्यो । भारतले श्रीलंकालाई ३–० को सोझो सेटमा पराजित गरेको हो । भारतकी अस्मिता चलिथाले श्रीलंकाकी थिलिनी प्रोमादिका हेन्दाहेवालाई २१–१२ र २१–१३ को सेटमा पराजित गरिन् भने, भारतकै आकर्षि कश्यपले श्रीलंकाकी दिल्मी प्रेम शिखाडायसलाई २१–१९ र २१–१० को सेटमा पराजित गरिन् ।
तेस्रोे खेलमा भारतकी गायत्री गोपिचन्द पुलेलाले श्रीलंकाकी अचिनिनिमेशिका रत्नश्रीलाई २१–१८ र २१–१० को सेटमा पराजित गरिन् । रत्नश्रीले एउटा सेट २१–१३ ले आफ्नो पक्षमा पारे पनि उनले रजत पदकमै चित्त बुझाउनु पर्यो ।
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Begusarai: दुष्कर्म करने का विरोध करने पर मां-बेटी को पीट पीटकर किया अधमरा, छौड़ाही पीएचसी में चल रहा है इलाज...
Begusarai/छौड़ाही: छौड़ाही ओपी क्षेत्र के अमारी पंचायत के एक गांव में मां बेटी के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने एवं विरोध करने पर मां बेटी को पीट-पीटकर अधमरा कर देने की घटना से ग्रामीण स्तब्ध हो गए। बचाने गए एक ग्रामीण भी बुरी तरह घायल हो इलाज रत हैं। सभी घायलों का इलाज छौड़ाही पीएचसी में चल रहा है।घटना के संबंध में छौड़ाही ओपी क्षेत्र के हुलासी टोल अमारी निवासी महिला (सबीना खातून) ने छौड़ाही ओपी में प्राथमिकी दर्ज करवाई है। दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि महिला अपने घर में अकेली थी। सोमवार दिन के लगभग 4:00 बजे उन्हीं के ग्रामीण मोहम्मद गुलाब कलीम अचानक घर में घुस गया और स्टांप पर निशान देने का दबाव बनाने लगा। महिला ने निशान देने से मना कर दिया। इसके बाद मोहम्मद गुलाब महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने लगा। जिस पर महिला बचने के लिए जोर जोर से चिल्लाने लगी। चिल्लाहट सुन उनकी बेटी दौर कर अपने मां की इज्जत बचाने आई एवं ग्रामीणों को आवाज देकर बुलाने लगी। इसी बीच मोहम्मद फजलू, मोहम्मद मेहताब मोहम्मद आफताब मोहम्मद गुलाब सभी मिलकर मां बेटी के साथ जबरदस्ती करने लगे। इसी बीच चिल्लाहट सुन ग्रामीण जब वहां जुटने लगे तो सभी आरोपित लोहे की रॉड एवं लाठी-डडे से मां बेटी को बेरहमी से पीट पीट कर घायल कर दिया। महिला को बचाने गए ग्रामीण मोहम्मद अल्तमस को भी लोहे की रॉड से पीटकर अधमरा कर दिया गया। ज्यादा संख्या में ग्रामीणों को जुटते एवं माहौल बिगड़ते देख सभी आरोपित वहां से फरार हो गए। ग्रामीणों ने तीनों घायलों को इलाज के लिए पीएचसी छौड़़ाही में भर्ती करवा सूचना पुलिस को दी।घटना के बाद गांव में काफी तनाव व्याप्त हो गया है। ग्रामीण बलात्कार का प्रयास करने वाले आरोपित की जल्द गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। इस संदर्भ में छौड़़ाही ओपी अध्यक्ष राघवेंद्र कुमार का कहना है कि महिला द्वारा आवेदन दिया गया है। मामला दर्ज कर कार्रवाई प्रारंभ कर दी ��ई है । बिनोद कुमार शर्मा की रिपोर्ट Read the full article
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Raghottam Shukla ——————–मी टू——————— --------------------मी टू--------------------- इन दिनों इस नाम से एक अभियान चल रहा है,जिसके तहत कोई महिला इस जन्म में कभी कथित रूप से उसके साथ असहमति से किये गये यौनाचार के लिये मुॅह खोल कर पुरुष को भारी परेशानी में डाल सकती है। मैंने इस क्रम में दो पौराणिक नारियों का इण्टरव्यू लिया।1-कुन्ती और 2-सत्यवती।उन्होंने कहा:--- कुन्ती---मेरे रूप यौवन पर सूर्य देव आसक्त हो गये और मेरी सहमति के बिना मुझसे सम्बन्ध बना लिये,जिससे मेरे एक पुत्र भी हुवा।वह जीवन भर उपेक्षा का शिकार रहा।मैं कलंकित बनी रही और सूर्य देव की पूजा उपासना होती रही।प्रातःउन्हें जलदान,आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ लोग आज भी कर रहे हैं।पञ्चदेवोपासना में भी उनका नाम है। अब सुना है एक अभियान चल रहा है।समाज उन पर कार्यवाही करे। सत्यवती---मैं एक सुन्दरी मल्लाह कन्या थी।पूरी तरह युवती नहीं हो पाई थी।एक शाम ऋषि पाराशर मेरी नौका पर बैठे और कामासक्त हो गये।प्रणय याचना की,जिसे मैंने सविनय अस्वीकार कर दिया।मैंने आपत्ति जताई कि मैं अभी पूर्ण युवा नहीं हो पाई हूॅ और यह संधिकाल है।अंधकार नहीं है।वे नहीं माने और अपने तपोबल से सब कुछ दुरुस्त कर देने को कहकर मुझसे शारीरिक सम्बन्ध बना लिये,जिससे मेरे एक पुत्र उत्पन्न हुवा। तत्समय समाज ने उनकी कोई निन्दा नहीं की और सम्मान बना रहा।हालाॅकि जो पुत्र उनसे उत्पन्न हुवा,उसने वेदों को क्रमबद्ध किया,18 पुराणों और महाभारत की रचना की।समाज का कल्याण किया। अतः मैं अब कोई कार्यवाही नहीं चाहती। xxxxx इसी क्रम में चन्द्र और इंद्र को भी आरोपित किया जाता कि उन्होंने सांठगांठ करके ऋषिपत्नी से छल किया , जिसके करण पीड़ित स्त्री को तो पत्थर होना पड़ा , किन्तु दोनो आरोपित आज भी समाज द्वारा न केवल पूजित ही है बल्कि जाने कितने कवि चाँद की भर्त्सना करने के बजाए उसके गुणगान में रत हैं , और कारवां चौथ पर स्त्रियां अपने पतियों की तुलना चाँद से करती है ,,, इस प्रकार समाज का चरित्र हमेशा ही दोहरा रहा है ,, मामला गम्भीर है किन्तु हल्के-फुल्के अंदाज में पढ़ा जाये |
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महिलाओं पर घरेलू हिंसा- शर्मनाक नीचता
3.2 घरेलू हिंसा घरेलू दायरे में हिंसा को घरेलू हिंसा कहा जाता है. किसी महिला का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, मौखिक, मनोवैज्ञानिक या यौन शोषण किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाना जिसके साथ महिला के पारिवारिक सम्बन्ध हैं, घरेलू हिंसा में शामिल है. 3.2.1 घरेलू हिंसा की कानूनी परिभाषा “घरेलू हिंसा के विरुद्ध महिला संरक्षण अधिनियम की धारा, 2005” घरेलू हिंसा को पारिभाषित किया गया है -“प्रतिवादी का कोई बर्ताव, भूल या किसी और को काम करने के लिए नियुक्त करना, घरेलू हिंसा में माना जाएगा – (क) क्षति पहुँचाना या जख्मी करना या पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य, जीवन, अंगों या हित को मानसिक या शारीरिक तौर से खतरे में डालना या ऐसा करने की नीयत रखना और इसमें शारीरिक, यौनिक, मौखिक और भावनात्मक और आर्थिक शोषण शामिल है; या (ख) दहेज़ या अन्य संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की अवैध मांग को पूरा करने के लिए महिला या उसके रिश्तेदारों को मजबूर करने के लिए यातना देना, नुक्सान पहुँचाना या जोखिम में डालना ; या (ग) पीड़ित या उसके निकट सम्बन्धियों पर उपरोक्त वाक्यांश (क) या (ख) में सम्मिलित किसी आचरण के द्वारा दी गयी धमकी का प्रभाव होना; या (घ) पीड़ित को शारीरिक या मानसिक तौर पर घायल करना या नुक्सान पहुँचाना” शिकायत किया गया कोई व्यव्हार या आचरण घरेलू हिंसा के दायरे में आता है या नहीं, इसका निर्णय प्रत्येक मामले के तथ्य विशेष के आधार पर किया जाता है. 3.2.2 कौन घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करा सकता है? इस अधिनियम के तहत यह जरूरी नहीं है की पीड़ित व्यक्ति ही शिकायत दर्ज कराये. कोई भी व्यक्ति चाहे वह पीड़ित से संबंधित हो या नहीं, घरेलू हिंसा की जानकारी इस अधिनियम के तहत नियुक्त सम्बद्ध अधिकारी को दे सकता है.
यह कोई जरूरी नहीं है कि घरेलू हिंसा वास्तव में ही घट रही हो, घटना होने की आशंका के सम्बन्ध में भी जानकारी दी जा सकती है. आरोपी व्यक्ति से घरेलू संबंध में रहने वाली महिला के द्वारा अथवा उसके प्रतिनिधि ghद्वारा इस सम्बन्ध में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. निम्न महिला संबंधी शिकायत कर सकते हैं: पत्नियाँ/ लिव इन पार्टनर्स बहनें माताएं बेटियां इस प्रकार इस अधिनियम का मकसद पारिवारिक ढांचे के अन्दर रह रही सभी स्त्रियों, चाहे वह आपस में सगी संबंधी, विवाह, दत्तक या वैसे भी साथ में रह रही हों, सभी को सुरक्षा देना है. 3.2.3 घरेलू हादसों के रिपोर्ट जब पीड़िता घरेलू हिंसा की शिकायत करना चाहती हो तो रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए. घरेलू हिंसा के विरुध्द संरक्षण नियम, 2006 के फॉर्म 1 में रिपोर्ट का स्वरूप दिया गया है. पीड़िता की शिकायत में उसकी व्यक्तिगत जानकारियों जैसे नाम, आयु, पता, फोन नंबर, बच्चों की जानकारी, घरेलू हिंसा की घटना का पूरा ब्यौरा, और प्रतिवादी का भी विवरण दिये जाने की जरुरत होती है. जब जरुरत हो तो संबंधी दस्तावेज जैसे चिकित्सकीय विधिक दस्तावेज, डॉक्टर के निर्देश या स्त्रीधन की सूची को रिपोर्ट के साथ नत्थी करना चाहिए. शिकायत में पीड़िता को मिली राहत या सहायता का भी विशेष उल्लेख किया जाना चाहिए. इस रिपोर्ट पर पीड़िता के ह��्ताक्षर के साथ-साथ सुरक्षा अधिकारी के भी दस्तखत होने चाहिए. इस रिपोर्ट की प्रति स्थानीय पुलिस थाने और मजिस्ट्रेट को उचित कार्रवाई के लिए दी जानी चाहिए. एक प्रति पीड़िता और एक कॉपी सुरक्षा अधिकारी या सेवा प्रदाता के पास रहनी चाहिए. 3.2.4 घरेलू हिंसा अधिनियम , 2005 के तहत महिलाओं का सरंक्षण घरेलू हिंसा की शिकार महिला को निम्नलिखित सूची में से एक या एकाधिक सहायता उपलब्ध कराई जा सकती है- उपरोक्त सभी बातों के अलावा पीड़िता भारतीय दंड संहिता, 1860 धारा 498-A के तहत आरोपी के विरुद्ध आपराधिक मामलों को दर्ज को कराने का भी अधिकार देती है. 3.2.5 राहत पाने की प्रक्रिया इसके अलावा मजिस्ट्रेट : प्रतिवादी को परामर्श के लिए भेज सकता है. परिवार कल्याण में रत किसी सामाजिक कार्यकर्त्ता, विशेषकर किसी महिला को सहायता के लिए नियुक्त कर सकता है. जहाँ आवश्यक हो कार्यवाही के दौरान कैमरे के प्रयोग का आदेश दिया जा सकता है. मजिस्ट्रेट द्वारा पीड़िता या प्रतिवाद के लिए पारित आदेश के खिलाफ, आदेश जारी होने के 30 दिनों के भीतर सत्र न्यायालय में अपील की जा सकती है. 3.2.6 अधिनियम के तहत कार्यरत संस्थाएं घरेलू हिंसा के शिकार किसी भी व्यक्ति को कानूनी सहायता, मदद, आश्रय या चिकित्सकीय सहायता देना राज्य की जिम्मेदाररी है. इस उद्देश्य के साथ राज्य सरकार को निम्न सस्थाओं को नियुक्त करने के लिए प्राधिकृत किया गया है जो कि पीड़िता को विधि के अंतर्गत सहायता पाने के उसके अधिकार के बारे में जानकारी के साथ सहायता पाने में मदद कर सके. 1.पुलिस अधिकारी (धारा 5) जब भी किसी पुलिस अधिकारी को घरेलू हिंसा की घटना की जानकारी मिलती है तो यह उसक दायित्व है कि आपराधिक दंड प्रक्रिया, 1973 के प्रावधानों के अनुसार जाँच करे. इसके अतिरिक्त, घरेलू हिंसा अधिनियम पुलिस अधिकारी को दायित्व देता है कि वह पीड़िता को (क) नि:शुल्क विधि सेवाओं के बारे में जानकारी दे; (ख) इस अधिनियम के तहत उसकी हानि और वेदनाओं के लिए मुआवजे और नुक्सान के एवज में आवास आदेश, सुरक्षा आदेश, संरक्षण आदेश और आर्थिक राहत जैसी सहायता मुहैय्या कराये. (ग) सुरक्षा अधिकारियों और सेवा प्रदाताओं की सेवाएं उपलब्ध कराये; और (घ) अगर जरूरी हो तो आरोपी व्यक्ति के खिलाफ धारा 498 A के तहत आपराधिक मामला दर्ज करे. (केवल पत्नी ही अपने पति या उसके परिजनों के खिलाफ धारा 498 A के तहत शिकायत कर सकती है. यह अधिकार लिव इन पार्टनर्स को उपलब्ध नहीं है.) सुरक्षा अधिकारी (धारा 9) घरेलू हिंसा अधिनियम में सुरक्षा अधिकारी अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं. ये सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ काम करते हैं. ये योग्य होते हैं और इनके पास सामाजिक क्षेत्र में काम करने का कम से कम तीन सालों का अनुभव होता है. राज्य सरकार ऐसे अधिकारियों को जो ज्यादातर महिलाएं होती हैं, हर जिले में न्यनतम तीन सालों के लिए तैनात करता है और उनके काम का संज्ञान लिया जाता है. सुरक्षा अधिकारी का काम पीड़िता की हर कदम पर मदद करना है. वे पीड़िता की घरेलू हिंसा की रिपोर्ट को तयशुदा ढांचे में दर्ज करवाने में मदद करते हैं. वे पीड़ित को उनके अधिकारों की जानकारी देते हैं और इस अधिनियम के तहत सहायता को उपलब्ध करवाने के लिए पीड़िता को आवेदन लिखने में सहायता करते हैं. ये अधिकारी घरेलू हिंसा के मामले के निबटारे में मजिस्ट्रेट की भी सहायता करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किये गए आदेशों का अनुपालन पीड़िता के हित में हो. स्थिति का जायजा लेने के और घरेलू हिंसा नियम, 2005 के फॉर्म V के अनुसार सुरक्षा योजना बनाने के लिए भी सुरक्षा अधिकारियों की आवश्यकता होती है. यह सब घरेलू हिंसा की आवृत्ति को रोकने के लिए उचित उपाय की सलाह देने और उन पर अमल करने के उद्देश्य से किया जाता है. सुरक्षा अधिकारी पीड़िता को हर मुमकिन सहायता देने के लिए बाध्य हैं जिसमें उसके चिकित्सकीय परीक्षण से लेकर, उसके आवागमन और आश्रय स्थल में आवास की व्यवस्था करना शामिल है बशर्ते कि वह अपने घर पर सुरक्षित न हो. सबसे पहले सुरक्षा अधिकारी को कानूनी सहायता सेवाओं, परामर्श, चिकित्सा सहायता, या जरूरतमंद पीड़ित के आश्रय के लिए अपने क्षेत्राधिकार में शामिल सभी सेवा प्रदाताओं की सूची तैयार करनी होती है आकृति: 1.5 सुरक्षा अधिकारियों की सूची, समाज कल्याण विभाग, दिल्ली सरकार क्रमांक सुरक्षा अधिकारी का नाम और पता जिला दूरभाष फैक्स न. 1 सुश्री बिनीता बहुगुणा 20/21 गुलाबी बाग़ शॉपिंग काम्प्लेक्स दिल्ली उत्तरी 23652304 23655002 2 सुश्री कविता शर्मा निर्मल छाया, जेल रोड, नयी दिल्ली पश्चिम 25547952 25534583 3 सुश्री अंजलि चौधरी निर्मल छाया, जेल रोड, नयी दिल्ली पश्चिम 25547952 25534583 4 प्रमेश टोकस उद्योग सदन, क़ुतुब औद्योगिक क्षेत्र क़ुतुब होटल के पास नयी दिल्ली दक्षिण पश्चिमी 26529019 26528175 5 सुश्री किरण शर्मा कस्तूरबा निकेतन लाजपत नगर दक्षिण 29819812 29810892 6 सुश्री प्रीति मुद्गल ब्लाक न. 10 गीता कॉलोनी शमशान घाट के सामने दिल्ली-35. पूर्वी 22450147 22792102 7 सुश्री रंजना सिंह ब्लाक न. 10 गीता कॉलोनी शमशान घाट के सामने दिल्ली-35. पूर्वी 2450147 22792102 8 सुश्री दीक्षा संस्कार आश्रम (महिला) दिलशाद गार्डन जीटीबी हॉस्पिटल के सामने दिल्ली उत्तरी पूर्वी 22133765 22582253 9 सुश्री नेहा वालिया संस्कार आश्रम (महिला) दिलशाद गार्डन जीटीबी हॉस्पिटल के सामने दिल्ली उत्तरी पूर्वी 22133765 22582253 10 सुश्री मधु मनावी 12/1, जामनगर हाउस, शाहजहाँ रोड, दिल्ली-1 नयी दिल्ली 23071093 23071094 11 सुश्री प्रीति सक्सेना जीएलएनएस काम्प्लेक्स दिल्ली गेट नयी दिल्ली केन्द्रीय दिल्ली 23318323 --- 12 सुश्री कीर्ति ढाका एन.पी स्कूल (बधिरों के लिए) ��ेक्टर -4 विश्राम चौक रोहिणी नयी दिल्ली-85 उत्तर पश्चिमी I 27933961 24371697 13 सुश्री स्नेह यादव एन.पी स्कूल (बधिरों के लिए) सेक्टर -4, विश्राम चौक रोहिणी, नयी दिल्ली-85 उत्तर पश्चिमी 27933961 24371697 14 सुश्री किरण एन.पी स्कूल (बधिरों के लिए) सेक्टर -4, विश्राम चौक रोहिणी, नयी दिल्ली-85 उत्तर पश्चिमी I 27933961, 24371697 27040844 15 सुश्री ज्योति सिरोही K-5/3, मॉडल टाउन III दिल्ली उत्तर पश्चिमी II 27410018 27410018 16 सुश्री नीलम K-5/3, मॉडल टाउन III दिल्ली उत्तर पश्चिमी II 27410018 27410018 17 सुश्री नीरज चौहान K-5/3, मॉडल टाउन III दिल्ली उत्तर पश्चिमी II 27410018 27410018 1.सेवा प्रदाता (धारा 10) सेवा प्रदाता महिलाओं के अधिकारों और हितों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा पंजीकृत स्वैच्छिक संगठन हैं. ये संगठन निरोधात्मक, सुरक्षात्मक और पुनर्वास का काम करते हैं. ये घरेलू हिंसा की शिकार औरतों की सहायता करने और उन्हें कानूनी, समाजिक, चिकित्सकीय और आर्थिक सहायता देने के लिए उत्तरदायी हैं. ये संस्थाएं निश्चित आवेदन के प्रारूप में DIR को दर्ज करा सकती हैं और उसे सीधे आवश्यक कार्रवाई के लिए सम्बद्ध और मजिस्ट्रेट और सुरक्षा अधिकारी को भेज सकती हैं. अगर पीड़िता चाहे तो ये संस्थाएं उसे चिकत्सकीय सहायता और शरणगृहों में आवास का प्रबंध कर सकती हैं. राज्य सरकार सेवा प्रदाताओं की सूची बनाती है और उसे क्षेत्र विशेष के सुरक्षा अधिकारी के पास भेजती है ताकि वे आपसी तालमेल के साथ काम कर सकें. किसी क्षेत्र विशेष के सेवा प्रदाताओं की सूची को जानकारी और आवश्यक कार्रवाई के लिए अखबार में प्रकाशित करना होता है या राज्य सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध कराना होता है 2.परामर्शदाता (धारा 14) परामर्शदाता सेवा प्रदाताओं के ऐसे सदस्य हैं जो कि घरेलू हिंसा के मामलों से निबटने में योग्य एवम अनुभवी होते हैं इसलिए वे घरेलू हिंसा की पीड़िता या दोषी व्यक्ति को परामर्श सेवाएं देने में दक्ष होते हैं. इस अधिनियम के दौरान अगर मजिस्ट्रेट को ऐसा महसूस होता है कि पीड़िता या पीड़क व्यक्ति को परामर्श की आवश्यकता है तो वह उन्हें एकल या संयुक्त रूप से सेवा प्रदाताओं द्वारा उपलब्ध कराये गए परामर्शदाता के पास परामर्श सत्रों में भाग लेने का सीधे तौर पर निर्देश जारी कर सकता है. परामर्शदाता दोनों पक्षों के लिए सहज स्थान पर मुलाकात का आयोजन करता है और वह पीड़ित की शिकायत के निवारण के लिए उपाय सुझाता है और जहाँ पर पीड़ित राजी हो, वह वहाँ पर समझौते का भी प्रबंध करता है. इस प्रकार के परामर्श का उद्देश्य पीड़ित व्यक्ति के विरुद्ध घरेलू हिंसा के उन्मूलन के उपायों को खोजना और विकसित करना है, 3.कल्याण विशेषज्ञ (धारा 15) कल्याण विशेषज्ञ पारिवारिक मामलों को सुलझाने में दक्षता और विशेषज्ञता प्राप्त व्यक्ति होते हैं. इस अधिनियम के तहत आवश्यकता पड़ने पर मजिस्ट्रेट कल्याण विशेषज्ञों की सहायता ले सकते हैं. इस अधिनियम के तहत जहाँ तक संभव हो महिला विशेषज्ञों का ही चुनाव किया जाता है. 4.आश्रय और चिकित्सा सुविधा प्रभारी घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 6 और 7 के अनुसार आश्रय और चिकित्सा सुविधा प्रभारी का दायित्व है कि स्वयम पीड़िता या सुरक्षा अधिकारी या उसकी ओर से सेवा प्रदाता के अनुरोध के आधार पर पीड़िता को आश्रय और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराये. 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