#ॐ_तत_सत_का_DecodeSantRampalJiMaharaj
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🎺श्रीमद्भगवद्गीता में केवल "ॐ" और "ॐ तत् सत्" मंत्रों की बात की गई है। भगवद्गीता में कहीं भी 'राम', 'हरि ओम' 'हरे कृष्ण' आदि मनमाने नामों का उल्लेख नहीं है। ये अज्ञानी संतों और गुरुओं की स्वयं निर्मित रचनाएँ हैं। यहाँ "ॐ" एक सीधा मंत्र है लेकिन "तत्" और "सत्" सांकेतिक मंत्र हैं।
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#ॐ_तत_सत_का_Decode
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संत रामपाल जी महाराज ने सर्वप्रथम प्रमाण सहित बताया कि सच्चिदानंद घन ब्रह्म अर्थात पूर्ण परमात्मा को पाने का तीन मंत्र का जाप है।
जिसका प्रमाण श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 17 श्लोक 23 (ॐ, तत, सत), सामवेद मंत्र संख्या 822 और कुरान शरीफ सूरह शूरा 42 आयत 1 (ऐन् सीन् काफ जोकि सांकेतिक हैं) में है।
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जिसे तत्वदर्शी संत/बाख़बर ही बता सकता है।
वह तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
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🎺नकली धर्मगुरुओं ने हमें सिर्फ राधे राधे, ॐ मंत्र, जय श्री कृष्ण के जाप तक ही सीमित रखा।
जबकि गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में तीन मंत्र ॐ, तत, सत जो कि सांकेतिक हैं बताए गए हैं।
उनका भेद तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही बता सकते हैं।
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नकली धर्मगुरुओं ने हमें सिर्फ राधे राधे, ॐ मंत्र, जय श्री कृष्ण के जाप तक ही सीमित रखा।
जबकि गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में तीन मंत्र ॐ, तत, सत जो कि सांकेतिक हैं बताए गए हैं।
उनका भेद तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही बता सकते हैं।
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श्रीमद्भगवद्गीता में केवल "ॐ" और "ॐ तत् सत्" मंत्रों की बात की गई है। भगवद्गीता में कहीं भी 'राम', 'हरि ओम' 'हरे कृष्ण' आदि मनमाने नामों का उल्लेख नहीं है। ये अज्ञानी संतों और गुरुओं की स्वयं निर्मित रचनाएँ हैं। यहाँ "ॐ" एक सीधा मंत्र है लेकिन "तत्" और "सत्" सांकेतिक मंत्र हैं।
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WHO DECODED THE MANTRA OM TAT SAT ?
पूर्ण संत सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने पूर्ण भेद खोल दिया है कि सच्चिदानंद घन ब्रह्म की भक्ति का मन्त्र "ॐ तत् सत्" है
"ॐ" मन्त्र ब्रह्म का है
"तत्" यह सांकेतिक मंत्र है जो अक्षर पुरूष का है
"सत्" मंत्र भी सांकेतिक मन्त्र है जो परम अक्षर ब्रह्म का है। इन तीनों मंत्रों के जाप से पूर्ण मोक्ष मिलेगा।
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ॐ तत सत का decode
कुरान में वर्णित "जैन" यह अरबी भाषा का अक्षर है, देवनागरी में हिन्दी भाषा का "अ" है तथा "सीन" यह अरबी भाषा की वर्णमाला का अक्षर है जो देवनागरी में हिन्दी भाषा का "स" है तथा "काफ" यह अरबी वर्णमाला का अक्षर है, देवनागरी में हिन्दी भाषा का "क" है।
जैसे ओम् (ॐ) मंत्र का पहला अक्षर वर्णमाला का "अ" है। इसलिए "औन" अक्षर "ओम्" का सांकेतिक है। "तत्" यह सांकेतिक मंत्र है। इसका जो यथार्थ मंत्र है, उसका पहला अक्षर "स" है तथा तीसरा जो "सत्" सांकेतिक मंत्र है, इसका जो यथार्थ मंत्र है, उसका पहला मंत्र "क" है। इसलिए गुप्त यानि सांकेतिक "ऐन सीन काफ़" कुरआन में बताए।
वे गीता में बताए "ओम्, तत्, सत्" की तरह हैं। ये इन्हीं का संकेत है और इन्हीं से मोक्ष संभव है।
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नकली धर्मगुरुओं ने हमें सिर्फ राधे राधे, ॐ मंत्र, जय श्री कृष्ण के जाप तक ही सीमित रखा।
जबकि गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में तीन मंत्र ॐ, तत, सत जो कि सांकेतिक हैं बताए गए हैं।
उनका भेद तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही बता सकते हैं।
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