#हे राम
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new-haryanvi-ragni · 7 months ago
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वो हे उसका राम जिसमे मन फंसज्या | Surender Gignow New Haryanvi Ragni | #...
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bharatlivenewsmedia · 2 years ago
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Video: राम गोपाल वर्माने अभिनेत्रीसोबत ‘हे’ काय केलं? सोशल मीडियावर व्हिडीओ व्हायरल
Video: राम गोपाल वर्माने अभिनेत्रीसोबत ‘हे’ काय केलं? सोशल मीडियावर व्हिडीओ व्हायरल
Video: राम गोपाल वर्माने अभिनेत्रीसोबत ‘हे’ काय केलं? सोशल मीडियावर व्हिडीओ व्हायरल Ram Gopal Varma Video: नुकताच राम गोपाल वर्मा याचा एक असा व्हिडीओ व्हायरल होत आहे, ज्यात तो एका अभिनेत्रीच्या पायाचे चुंबन घेताना दिसत आहे. Ram Gopal Varma Video: नुकताच राम गोपाल वर्मा याचा एक असा व्हिडीओ व्हायरल होत आहे, ज्यात तो एका अभिनेत्रीच्या पायाचे चुंबन घेताना दिसत आहे. Go to Source
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jayshrisitaram108 · 1 month ago
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सरगु नरकु अपबरगु समाना जहँ तहँ देख धरें धनु बाना
करम बचन मन राउर चेरा राम करहु तेहि कें उर डेरा
भावार्थ
स्वर्ग नरक और मोक्ष जिसकी दृष्टि में समान हैं क्योंकि वह जहाँ-तहाँ (सब जगह) केवल धनुष-बाण धारण किए आपको ही देखता है
और जो कर्म से वचन से और मन से आपका दास है हे रामजी
आप उसके हृदय में डेरा कीजिए
जय श्री सीताराम🏹ᕫ🚩🙏
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hari-bol · 1 year ago
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सतयुग में आए चार बार ,
मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह अवतार;
अयोध्या नगरी चमक उठी,
जो राम जन्मे, हे दुःख हरनं ;
द्वापरयुग पावन थयो,
पड़े जो कान्हा के चरनं;
कलियुग जुवे राह तुम्हारी,
अब आ भी जाओ भगवन ||
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sstkabir-0809 · 1 year ago
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( #MuktiBodh_Part116 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part117
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 229-230
कथा :- शंकर जी का मोहिनी स्त्री के रूप पर मोहित होना
जिसमें दक्ष की बेटी यानि उमा (शंकर जी की पत्नी) ने श्री रामचन्द्र जी की बनवास में सीता रूप बनाकर परीक्षा ली थी। श्री शिव जी ऐसा न करने को कहकर घर से बाहर चले ग��� थे। सीता जी का अपहरण होने के पश्चात् श्रीराम जी अपनी पत्नी के वियोग में विलाप कर रहे थे तो उनको सामान्य मानव जानकर उमा जी ने शंकर भगवान की उस बात पर विश्वास नहीं हुआ कि ये विष्णु जी ही पृथ्वी पर लीला कर रहे हैं। जब उमा जी सीता जी का रूप बनाकर श्री राम जी के पास गई तो वे बोले, हे दक्ष पुत्र माया! भगवान शंकर को कहाँ छोड़ आई। इस बात को श्री राम जी के मुख से सुनकर उमा जी लज्जित हुई और अपने निवास पर आई। शंकर जी की आत्मा में प्रेरणा हुई कि उमा ने परीक्षा ली है। शंकर जी ने विश्वास के साथ कहा कि परीक्षा ले आई। उमा जी ने कुछ संकोच करके
भय के साथ कहा कि परीक्षा नहीं ली अविनाशी। शंकर जी ने सती जी को हृदय से त्याग दिया था। पत्नी वाला कर्म भी बंद कर दिया। बोलना भी कम कर दिया तो सती जी अपने घर राजा दक्ष के पास चली गई।
राजा दक्ष ने उसका आदर नहीं किया क्योंकि उसने शिव जी के साथ विवाह पिता की इच्छा के विरूद्ध किया था। राजा दक्ष ने हवन कर रखा था। हवन कुण्ड में छलाँग लगाकर सती जी ने प्राणान्त कर दिया था। शंकर जी को पता चला तो अपनी ससुराल आए। राजा दक्ष का सिर काटा, फिर उस पर बकरे का सिर लगाया। अपनी पत्नी के कंकाल को उठाकर दस हजार वर्ष तक उमा-उमा करते हुए पागलों की तरह फिरते रहे। एक दिन भगवान विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से उस कंकाल को टुकड़े-टुकड़े कर दिया। जहाँ पर धड़ गिरा, वहाँ पर वैष्णव देवी मंदिर बना। जहाँ पर आँखें गिरी, वहाँ पर नैना देवी मंदिर बना।
जहाँ पर जीभ गिरी, वहाँ पर ज्वाला जी का मंदिर बना तथा पर्वत से अग्नि की लपट निकलने लगी। तब शंकर जी सचेत हुए तथा अपनी दुर्गति का कारण कामदेव (sex) को माना। कामदेव वश हो जाए तो न स्त्री की आवश्यकता हो और न ऐसी परेशानी हो। यह विचार करके हजारों वर्ष काम (sex) का दमन करने के उद्देश्य से तप किया। एक दिन कामदेव उनके निकट आया और शंकर जी की दृष्टि से भस्म हो गया। शंकर जी को अपनी सफलता पर असीम प्रसन्नता हुई। जो भी देव उनके पास आता था तो उससे कहते थे कि मैंने कामदेव को भस्म कर दिया है यानि काम विषय पर विजय प्राप्त कर ली है। मैं कभी भी किसी सुंदरी से प्रभावित नहीं हो सकता। अन्य जो विवाह किए हुए हैं, वे ऊपर से सुखी नजर आते हैं, अंदर से महादुःखी रहते हैं। उनको सदा अपनी पत्नी की रखवाली, समय पर घर पर न आने से डाँटें खाना आदि-आदि परेशानियां सदा बनी रहती हैं। मैंने यह दुःख निकट से देखा है। अब न ��हेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
काल ब्रह्म को चिंता बनी कि यदि सब इस प्रकार स्त्री से घृणा करेंगे तो संसार का अंत हो जाएगा। मेरे लिए एक लाख मानव का आहार कहाँ से आएगा? इस उद्देश्य से नारद जी को प्रेरित किया। एक दिन नारद मुनि जी आए। उनके सामने भी अपनी कामदेव पर विजय की कथा सुनाई। नारद जी ने भगवान विष्णु को यथावत सुनाई। श्री विष्णु जी को काल ब्रह्म ने प्रेरणा की। भाई की परीक्षा करनी चाहिए कि ये कितने खरे हैं। काल ब्रह्म की प्रेरणा से एक दिन शिव जी विष्णु जी के घर के आँगन में आकर बैठ गए। सामने बहुत बड़ा फलदार वृक्षों का बाग था। भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल खिले थे। बसंत जैसा मौसम था। श्री विष्णु जी, शिव जी के पास बैठ गए। कुशलमंगल जाना। फिर विष्णु जी ने पूछा, सुना है
कि आपने काम पर विजय प्राप्ति कर ली है। शिव जी बोले, हाँ, मैंने कामदेव का नाश कर दिया है। कुछ देर बाद शिव जी के मन में प्रेरणा हुई कि भगवान मैंने सुना है कि सागर मंथन के समय आप जी ने मोहिनी रूप बनाकर राक्षसों को आकर्षित किया था। आप उस रूप में कैसे लग रहे थे? मैं देखना चाहता हूँ। पहले तो बहुत बार विष्णु जी ने मना किया, परंतु शिव जी के हठ के सामने स्वीकार किया और कहा कि कभी फिर आना। आज मुझे किसी आवश्यक कार्य से कहीं जाना है। यह कहकर विष्णु जी अपने महल में चले गए। शिव जी ने कहा कि जब तक आप वह रूप नहीं दिखाओगे, मैं भी जाने वाला नहीं हूँ। कुछ ही समय के बाद शिव जी की दृष्टि बाग के एक दूर वाले कोने में एक अपसरा पर पड़ी जो सुन्दरता का सूर्य थी। इधर-उधर देखकर शिव जी उसकी ओर चले पड़े, ज्यों-ज्यों निकट गए तो वह सुंदरी अधिक सुंदर लगने लगी और वह अर्धनग्न वस्त्र पहने थी। कभी गुप्तांग वस्त्र से ढ़क जाता तो कभी हवा के झोंके से आधा हट जाता। सुंदरी ऐसे भाव दिखा रही थी कि जैसे उसको कोई नहीं देख रहा। जब शिव जी को निकट देखा तो शर्मशार होकर तेज चाल से चल पड़ी। शिव जी ने भी गति बढ़ा दी। बड़े परिश्रम के पश्चात् तथा घने वृक्षों के बीच मोहिनी का हाथ पकड़ पाए। तब तक शिव जी का शुक्रपात हो चुका था। उसी समय सुंदरी वाला स्वरूप श्री विष्णु रूप था। भगवान विष्णु जी शिव जी की दशा देखकर मुस्काए तथा कहा कि ऐसे उन राक्षसों से अमृत छीनकर लाया था। वे राक्षस ऐसे मोहित हुए थे जैसे मेरा छोटा भाई कामजीत अब काम पराजित हो गया। शिव जी ने उसके पश्चात् हिमालय राजा की बेटी पार्वती से अंतिम बार विवाह किया। पार्वती वाली आत्मा वही है जो सती जी थी। पार्वती रूप में अमरनाथ स्थान पर अमर मंत्रा शिव जी से प्राप्त करके अमर हुई है। इस प्रकार वाणी में कहा है कि शंकर जी की समाधि तो अडिग (न डिगने वाली) थी जैसा पौराणिक मानते हैं। वह भी मोहे गए। माया के वश हो गए।
◆ वाणी नं. 140 में बताया है कि भगवान शिव की पत्नी पार्वती तीनों लोकों में सबसे सुंदर स्त्रियां में से एक है। शिव राजा ऐसी सुंदर पत्नी को छोड़ मोहिनी स्त्री के पीछे चल पड़े। पहले अठासी हजार वर्ष तप किया। फिर लाख वर्ष तप किया काम (sex) पर विजय पाने के लिए और भर्म भी था कि मैनें काम जीत लिया। फिर हार गया।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 145 :-
गरीब, कष्ण गोपिका भोगि करि, फेरि जती कहलाय। याकी गति पाई नहीं, ऐसे त्रिभुवनराय।। 145।।
◆ सरलार्थ :- श्री कृष्ण के विषय में श्रीमद् भागवत (सुधा सागर) में प्रमाण है कि श्री कृष्ण मथुरा वृंदावन की गोपियों (गोपों की स्त्रियों) के साथ संभोग (sex) किया करते थे। वे फिर भी जती कहलाए। (अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य की स्त्री से कभी संभोग न करने वाला या पूर्ण रूप से ब्रह्मचारी को जती कहते हैं।) उसका भेद ही नहीं पाया। ऐसे ये तीन लोक के मालिक {श्री कृष्ण के अंदर प्रवेश करके काल ब्रह्म गोपियों से सैक्स करता था। स्त्रियों को तो श्री कृष्ण नजर आता था। काल ब्रह्म सब कार्य गुप्त करता है।} हैं।
◆ वाणी नं. 142-144 :-
गरीब, योह बीजक बिस्तार है, मन की झाल किलोल। पुत्र ब्रह्मा देखि करि, हो गये डामांडोल।।142।।
गरीब, देह तजी दुनियां तजी, शिब शिर मारी थाप।
ऐसे ब्रह्मा पिता कै, काम लगाया पाप।।143।।
गरीब, फेरि कल्प करुणा करी, ब्रह्मा पिता सुभान।
स्वर्ग समूल जिहांन में, योह मन है शैतान।।144।।
◆ सरलार्थ :- एक समय ब्रह्मा जी देवताओं तथा ऋषियों को वेद ज्ञान समझा रहे थे। मन तथा इंद्रियों पर संयम रखने पर जोर दे रहे थे। ब्रह्मा जी की बेटी सरस्वती पति चुनने के लिए अपने पिता की सभा में गई जिसमें युवा देवता तथा ऋषि विराजमान थे। उनको आकर्षित करने के लिए सब श्रृंगार करके सज-धजकर गई थी। अपनी पुत्र की सुंदरता देखकर काम (sex) के वश होकर संयम खोकर विवेक का नाश करके अपनी बेटी से संभोग (Sex) करने को उतारू हो गया था। ब्रह्मा पाप के भागी बने। मन तो कबीर परमात्मा की भक्ति तथा तत्वज्ञान से काबू में आता है।
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क्रमशः__________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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mukesh885923 · 7 months ago
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#GodMorningSunday
गरीब, राम रटत नहिं ढील कर, हरदम नाम उचार।
अमी महारस पीजिये, योह तत बारंबार।।
हे साधक ! पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर उस राम के नाम की रटना (जाप करने में) में देरी (ढ़ील) ना कर।
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helputrust · 1 year ago
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लखनऊ, 27.08.2023 | "प्रत्येक देश के दो पंख होते हैं एक स्त्री और दूसरा पुरुष, देश की उन्नति एक पंख से उड़ान भरने पर नहीं हो सकती है |" वर्तमान समय में देश की उन्नति में अपना महत्वपूर्ण योगदान करने वाली महिलाओं को सादर नमन करते हुए महिला समानता दिवस 2023 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा मल्टीलेवल पार्किंग हजरतगंज लखनऊ में नुक्कड़ नाटक सरस्वती का मंचन किया गया व देश की उन्नति व प्रगति के लिए समाज में महिलाओं को समान अधिकार देने की अपील की गई |
नुक्कड़ नाटक की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई तत्पश्चात कुशल और मंझे हुए कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक सरस्वती का मंचन किया जिसमें एक गरीब परिवार की कहानी प्रस्तुत की गई जहां मां अपनी कोख में पल रही बच्ची को जन्म देना चाहती है लेकिन पिता उसे मार देना चाहता है | माँ बहुत परेशान हो जाती है तभी उसकी अंतरात्मा उसे आवाज देती है कि "हे माँ मुझे धरती पर आ जाने दो |" यह आवाज मां की आत्मा को झकझोर देती है और कुछ महीने बाद मां एक बच्ची को जन्म देती है और उसका नाम सरस्वती रखती है जो पढ़ लिखकर सिर्फ अपने गांव का ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन करती है |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों को बताया गया कि किसी भी देश की उन्नति महिला और पुरुष दोनों के योगदान पर निर्भर है इसलिए समाज में महिलाओं को पुरुषों के समान स्थान मिलना चाहिए क्योंकि जब देश की महिला सशक्त होगी तभी हमारा देश उन्नति और प्रगति की राह पर चल सकेगा |
नुक्कड़ नाटक सरस्वती में राम सिंह के किरदार में महर्षि कपूर, फूला सिंह के किरदार में श्रीमती नीलम वार्ष्णेय, सरस्वती के किरदार में इशिता वार्ष्णेय तथा छीद्धू के किरदार में बृजेश कुमार चौबे ने महिलाओं को समाज में समानता के अधिकार की गहरी सीख दी |
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salviblogdinesh · 10 months ago
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#GodMorningSaturday
हे साधक !
🌠🌠
पूर्ण गुरु से दीक्षा लेकर उस राम के नाम के जाप में देरी न कर। प्रत्येक श्वांस में उस नाम को उच्चार । यह भक्ति का सार है।
👉 most watch Sadhna TV daily 7.30 pm 🖥
#SaturdayVibes
#SantRampaljiQuates
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kisturdas · 10 months ago
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( #Muktibodh_part189 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part190
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 363-364
कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी को गीता से ही प्रश्न तथा उत्तर देकर सत्य ज्ञान समझाया। उपरोक्त वाणी सँख्या 1 में गीता अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 2 श्लोक 12 वाला वर्णन बताया जिसमें गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ। वाणी सँख्या 2 में गीता अध्याय 15 श्लोक 17 वाला वर्णन बताया है। वाणी सँख्या 3 में गीता अध्याय 4 श्लोक 34 वाला ज्ञान बताया है। वाणी सँख्या 4 में गीता अध्याय 18 श्लोक 62ए 66 तथा अध्याय 15 श्लोक 4 वाला वर्णन बताया है। वाणी सँख्या 5 में गीता अध्याय 18 श्लोक 64 का वर्णन है जिसमें काल कहता है कि मेरा ईष्ट देव भी वही है। वाणी सँख्या 6 में गीता अध्याय 8 श्लोक 13 तथा अध्याय 17 श्लोक 23 वाला ज्ञान है। आगे की वाणियों में कबीर परमेश्वर जी ने अपने आपको छुपाकर अपने ही
विषय में बताया है।
◆ धर्मदास वचन
विष्णु पूर्ण परमात्मा हम जाना।
जिन्द निन्दा कर हो नादाना।।
पाप शीश तोहे लागे भारी।
देवी देवतन को देत हो गारि।।
◆ जिन्दा (कबीर जी) वचन
जे यह निन्दा है भाई।
यह तो तोर गीता बतलाई।।
गीता लिखा तुम मानो साचा।
अमर विष्णु है कहा लिख राखा।।
तुम पत्थर को राम बताओ।
लडूवन का भोग ��गाओ।।
कबहु लड्डू खाया पत्थर देवा।
या काजू किशमिश पिस्ता मेवा।।
पत्थर पूज पत्थर हो गए भाई।
आखें देख भी मानत नाहीं।।
ऐसे गुरू मिले अन्याई।
जिन मूर्ति पूजा रीत चलाई।।
इतना कह जिन्द हुए अदेखा।
धर्मदास मन किया विवेका।।
◆ धर्मदास वचन
यह क्या चेटक बिता भगवन।
कैसे मिटे आवा गमन।।
गीता फिर देखन लागा।
वही वृतान्त आगे आगा।।
एक एक श्लोक पढ़ै और रौवै।
सिर चक्रावै जागै न सोवै।।
रात पड़ी तब न आरती कीन्हा।
झूठी भक्ति में मन दीन्हा।।
ना मारा ना जीवित छोड़ा।
अधपका बना जस फोड़ा।।
यह साधु जे फिर मिल जावै।
सब मानू जो कछु बतावै।।
भूल के विवाद करूं नहीं कोई। आधीनी से सब जानु सोई।।
उठ सवेरे भोजन लगा बनाने।
लकड़ी चुल्हा बीच जलाने।।
जब लकड़ी जलकर छोटी होई। पाछलो भाग में देखा अनर्थ जोई।।
चटक-चटक कर चींटी मरि हैं।
अण्डन सहित अग्न में जर हैं।।
तुरंत आग बुझाई धर्मदासा।
पाप देख भए उदासा।।
ना अन्न खाऊँ न पानी पीऊँ।
इतना पाप कर कैसे जीऊँ।।
कराऊँ भोजन संत कोई पावै।
अपना पाप उतर सब जावै।।
लेकर थार चले धर्मनि नागर।
वृक्ष तले बैठे सुख सागर।।
साधु भेष कोई और बनाया।
धर्मदास साधु नेड़े आया।।
रूप और पहचान न पाया।
थाल रखकर अर्ज लगाया।।
भोजन करो संत भोग लगाओ।
मेरी इच्छा पूर्ण कराओ।।
संत कह आओ धर्मदासा।
भूख लगी है मोहे खासा।।
जल का छींटा भोजन पे मारा।
चींटी जीवित हुई थाली कारा।।
तब ही रूप बनाया वाही।
धर्मदास देखत लज्जाई।।
कहै जिन्दा तुम महा अपराधी।
मारे चीटी भोजन में रांधी।।
चरण पकड़ धर्मनि रोया।
भूल में जीवन जिन्दा मैं खोया।।
जो तुम कहो मैं मानूं सबही।
वाद विवाद अब नहीं करही।।
और कुछ ज्ञान अगम सुनाओ।
कहां वह संत वाका भेद बताओ।।
◆ जिन्द (कबीर) वचन
तुम पिण्ड भरो और श्राद्ध कराओ। गीता पाठ सदा चित लाओ।।
भूत पूजो बनोगे भूता।
पितर पूजै पितर हुता।।
देव पूज देव लोक जाओ।
मम पूजा से मोकूं पाओ।।
यह गीता में काल बतावै।
जाकूं तुम आपन इष्ट बतावै।।
(गीता अ. 9 व 25)
इष्ट कह करै नहीं जैसे।
सेठ जी मुक्ति पाओ कैसे।।
◆ धर्मदास वचन
��म हैं भक्ति के भूखे।
गुरू बताए मार्ग कभी नहीं चुके।।
हम का जाने गलत और ठीका।
अब वह ज्ञान लगत है फीका।।
तोरा ज्ञान महा बल जोरा।
अज्ञान अंधेरा मिटै है मोरा।।
हे जिन्दा तुम मोरे राम समाना।
और विचार कुछ सुनाओ ज्ञाना।।
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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zanydeerenemy · 10 months ago
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#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं*
#SantRampalJiMaharaj*
#हिन्दू_भाई_संभलो
#HinduBhai_Dhokhe_Mein
#Hindu #Hinduism #HinduTemple #rammandir #Hindiquotes #Sanatani #SanatanDharma #ramayana
#SantRampalJiMaharaj
#BhagavadGita
हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
पवित्र गीता जी पवित्र वेदों का निष्कर्ष है फिर उसमें तो राधे राधे, जय हनुमान, जय श्री राम, आदि मंत्र नही हैं। क्या आप नहीं जानते कि पवित्र गीता जी अध्याय 16 के मंत्र 23 में शास्त्र विरुद्ध साधना करने वाले को कोई लाभ न होने की बात कही है।
इस सच्चाई को जानने के लिए तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनें।
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8505935828 · 10 months ago
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हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
पवित्र गीता जी पवित्र वेदों का निष्कर्ष है फिर उसमें तो राधे राधे, जय हनुमान, जय श्री राम, आदि मंत्र नही हैं। क्या आप नहीं जानते कि पवित्र गीता जी अध्याय 16 के मंत्र 23 में शास्त्र विरुद्ध साधना करने वाले को कोई लाभ न होने की बात कही है।
इस सच्चाई को जानने के लिए तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनें।
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partaap · 10 months ago
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#Hindu
#sanatandharma
#SaintRampalJiQuotes #SantRampalJiQuotes
SantRampalJiMaharaj
SaintRampalJi
हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
पवित्र गीता जी पवित्र वेदों का निष्कर्ष है फिर उसमें तो राधे राधे, जय हनुमान, जय श्री राम, आदि मंत्र नही हैं। क्या आप नहीं जानते कि पवित्र गीता जी अध्याय 16 के मंत्र 23 में शास्त्र विरुद्ध साधना करने वाले को कोई लाभ न होने की बात कही है।
इस सच्चाई को जानने के लिए तत्वदर्शी संत रामपाल जी ji महाराज के सत्संग सुनें।
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jayshrisitaram108 · 6 months ago
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हे राम हे रघुनाथ हे जानकीराम
मैं सभी जन्मो में आपका ही भक्त बनकर जनमलूँ
ऐसी कृपा आपमुझ पर कीजिये जय श्री सीताराम🏹ᕫ🚩🙏
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shitaldesi · 10 months ago
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हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
पवित्र गीता जी पवित्र वेदों का निष्कर्ष है फिर उसमें तो राधे राधे, जय हनुमान, जय श्री राम, आदि मंत्र नही हैं। क्या आप नहीं जानते कि पवित्र गीता जी अध्याय 16 के मंत्र 23 में शास्त्र विरुद्ध साधना करने वाले को कोई लाभ न होने की बात कही है।
#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं
Sant Rampal Ji Maharaj
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bhus-han · 10 months ago
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#_मेरी_कौम_के_हिंदुओं
हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
पवित्र गीता जी पवित्र वेदों का निष्कर्ष है फिर उसमें तो राधे राधे, जय हनुमान, जय श्री राम, आदि मंत्र नही हैं।
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heeralaldas · 10 months ago
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#हमारीभीसुनो_बुद्धिमानहिंदुओं
#SantRampalJiMaharaj
हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
पवित्र गीता जी पवित्र वेदों का निष्कर्ष है फिर उसमें तो राधे राधे, जय हनुमान, जय श्री राम, आदि मंत्र नही हैं। क्या आप नहीं जानते कि पवित्र गीता जी अध्याय 16 के मंत्र 23 में शास्त्र विरुद्ध साधना करने वाले को कोई लाभ न होने की बात कही है।
इस सच्चाई को जानने के लिए तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनें।
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