#हीना
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radhadasi26363 · 1 month ago
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श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पूष्ठ 1189
राग बसेत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागैबारा।
दुख घणों मरीऔ करतारा, बिन प्रीतम के कटैन सारा।।1।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्तिसचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिनगुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दातेठाकुर मेरे।।21।
रोग वडो किंवु बांधु धिरा, रोग बुझै से काटेपीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढूंढ़त खोजतगुरू मेले बीरा।131।
नोट:- यहाँ पर स्पष्ट है कि अक्षर कबीराकी जगह गुरु मेले बीरा' लिखा है। जबकि��िखना था दूँढ़त खोजत गुरि मेले कबीरा
#हक्काकबीर_करीम_तू
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pawankumar1976 · 1 month ago
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#हक्काकबीर_करीम_तू
श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पृष्ठ 1189 राग बसंत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागे बारा।
दुख घणों मरी करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा ।।१।।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना (रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै'
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raginee-23 · 1 month ago
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श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पृष्ठ 1189
राग बसंत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु धिरा, रोग बुझै से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढूंढ़त खोजत गुरिू मेले बीरा।।3।।
नोट:- यहाँ पर स्पष्ट है कि अक्षर कबीरा की जगह ‘गुरु मेले बीरा‘ लिखा है। जबकि लिखना था ‘ढूँढ़त खोजत गुरि मेले कबीरा‘
#हक्काकबीर_करीम_तू #gurugranthsahibji #gurudwara #goldentemple #punjab #amritsar #gurbani #satnamwaheguru #waheguru #ekonkar #darbarsahib
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rakeshdasprajapat · 1 month ago
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#हक्काकबीर_करीम_तू
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#gurugobindsinghji #darshan #guru #waheguruji #singh #god #sardari #satnam #khalsa #sikhi #punjabi
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श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पृष्ठ 1189
राग बसंत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु धिरा, रोग बुझै से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढूंढ़त खोजत गुरिू मेले बीरा।।3।।
नोट:- यहाँ पर स्पष्ट है कि अक्षर कबीरा की जगह ‘गुरु मेले बीरा‘ लिखा है। जबकि लिखना था ‘ढूँढ़त खोजत गुरि मेले कबीरा‘
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soujjwalsays · 2 years ago
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हमारी साँसों में आज तक वोह हीना की खुशबू महक रही है
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Hamari sanson mein aaj tak woh heena ki khushboo mehek rahi hai ,
Labon pe naghme machal rahe hain nazar se masti jhalak rahi hai.
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Woh mere nazdeek aate-aate haya se ek din simat gaye the
Mere khayalon mein aaj tak woh badan ki daali lachak rahi hai
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jantanow · 14 days ago
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राष्ट्रीय मानव सेवा रत्न अवार्ड 2024 से सम्मानित हुई कई विभूतियां
नई दिल्ली। विवेक जैन। इंटरनेशनल हुमन राइट्स प्रोटेक्शन काउंसिल नई दिल्ली द्वारा लिटिल थियेटर ग्रुप आडिटोरियम मंडी हाउस दिल्ली में राष्ट्रीय मानव सेवा रत्न अवार्ड-2024 कार्यक्रम का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के चेयरमैन डाॅ टी एम ओंकार एंव मंच का संचालन एडवोकेट शारलेट सामू, डाॅ हीना क्रिस्चियन एंव डाॅ आशा ओंकार द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप…
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karmjeet12 · 1 month ago
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#हक्काकबीर_करीम_तू
श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पृष्ठ 1189
राग बसंत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु धिरा, रोग बुझै से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढूंढ़त खोजत गुरिू मेले बीरा।।3।।
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furrykittybread · 1 month ago
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श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पृष्ठ 1189
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चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
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औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
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sadanand-patel · 1 month ago
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श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पृष्ठ 1189
राग बसंत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
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बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
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waywardlightconnoisseur · 1 month ago
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दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
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बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु धिरा, रोग बुझै से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढूंढ़त खोजत गुरिू मेले बीरा।।3।।
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anu-shekhawat · 1 month ago
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चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु धिरा, रोग बुझै से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढूंढ़त खोजत गुरिू मेले बीरा।।3।।
नोट:- यहाँ पर स्पष्ट है कि अक्षर कबीरा की जगह ‘गुरु मेले बीरा‘ लिखा है। जबकि लिखना था ‘ढूँढ़त खोजत गुरि मेले कबीरा‘
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ashoklavishkumar · 1 month ago
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#हक्काकबीर_करीम_तू
कबीर परमात्मा दयालु है
श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पृष्ठ 1189 राग बसंत महला 1,
चंचल चित न पावै पारा,
आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीजै करतारा,
बिन प्रीतम के कटै न सारा ।। 1।।
सब उत्तम किस आखवु हीना,
हरि भक्ति सचनाम पतिना (रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे,
किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे,
दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु घिरा,
रोग बुझे से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा,
ढूंढ़त खोजत गुरुि मेले बीरा।।3।।
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vaanigheer · 1 month ago
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#हक्काकबीर_करीम_तू
श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पृष्ठ 1189
राग बसंत महला 1चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरेबिन हर भक्ति
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janardan7310singh · 1 month ago
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श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पृष्ठ 1189
राग बसंत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु धिरा, रोग बुझै से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढूंढ़त खोजत गुरिू मेले बीरा।।3।।
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indrabalakhanna · 1 month ago
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Shraddha TV Satsang 24-10-2024 || Episode: 2723 || Sant Rampal Ji Mahara...
*🌺बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🌺*
23/10/24♦
*गुरु ग्रंथ साहिब में प्रमाण है, कबीर साहेब भगवान हैं!"
📕🌺🌼🌸🌺🌼🌸🌺 #GodMorningThursday
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1📖अगम निगम बोध के पृष्ठ 44 पर नानक जी का शब्द है:-
वाह-वाह कबीर गुरू पूरा है
शब्द
वाह-वाह कबीर गुरू पूरा है।(टेक)
पूरे गुरू की मैं बली जाऊँ जाका सकल जहूरा है।
अधर दुलीचे परे गुरूवन के, शिव ब्रह्मा जहाँ शूरा है।
श्वेत ध्वजा फ���कत गुरूवन की, बाजत अनहद तूरा है।
पूर्ण कबीर सकल घट दरशै, हरदम हाल हजूरा है।
नाम कबीर जपै बड़भागी, नानक चरण को धूरा है।
2📖एक बार श्री नानक जी ने कबीर परमात्मा की परीक्षा लेनी चाही। कहा मैं दरिया में छिपुंगा और आप ढूंढ़ना। श्री नानक जी ने बेई नदी में डुबकी लगाई तथा मछली बन गए। जिन्दा फकीर (कबीर पूर्ण परमेश्वर) ने उस मछली को पकड़ कर श्री नानक जी बना दिया।
(प्रमाण श्री गुरु ग्रन्थ साहेब सीरी रागु महला पहला, घर 4 पृष्ठ 25) -
तू दरीया दाना बीना, मैं मछली कैसे अन्त लहा।
जह-जह देखा तह-तह तू है, तुझसे निकस फूट मरा।
न जाना मेऊ न जाना जाली। जा दुःख लागै ता तुझै समाली।1।रहाऊ।।
नानक जी ने कहा कि मैं मछली बन गया था, आपने कैसे ढूंढ लिया? हे परमेश्वर! आप सब जानने वाले हो। (उपरोक्त वार्ता बाद में काशी में प्रभु के दर्शन करके हुई थी)।
3📖 हक्का (सत) कबीर दयालु तू
गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721, महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि -
“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार। नानक बुगोयद जनु तुरा, तेरे चाकरां पाखाक”
भावार्थ: हे कबीर परमेश्वर जी मैं नानक कह रहा हूँ कि मेरा उद्धार हो गया, मैं तो आपके सेवकों के चरणों की धूर तुल्य हूँ।
4📖गुरु ग्रन्थ साहिब, राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1, पृष्ठ 24, शब्द 29
फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।
खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।3।।
मैं कीता न जाता हरामखोर, उह किआ मुह देसा दुष्ट चोर।
नानक नीच कह बिचार, धाणक रूप रहा करतार।।4।।
श्री नानक जी ने कहा कि परमात्मा मनमोहिनी सूरत में तथा जिस देश में जाता है वैसा ही वेश बना लेता है, जैसे जिंदा महात्मा रूप में बेई नदी पर मिले, सतलोक में पूर्ण परमात्मा वाले वेश में तथा उतर प्रदेश में धाणक(जुलाहे) रूप में स्वयं करतार (पूर्ण प्रभु) विराजमान है। यही धाणक(जुलाहे) रूप में सतपुरुष अर्थात् अकाल मूर्त ही है।
5📖हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार
‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
‘‘राग तिलंग महला 1‘‘
यक अर्ज गुफतम पेश तो दर गोश क��न करतार। हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
हे शब्द स्वरूपी कर्ता दयालु (हक्का कबीर) सत कबीर (तू) आप (बेएब परवरदिगार) निर्विकार परमेश्वर हैं।
(नानक बुगोयद) नानक जी कह रहे हैं कि हे कबीर परमेश्वर आपकी कृपा से (तेरे चाकरां पाखाक) आपके सेवकों के चरणों की धूर डूबता हुआ (जनु तुरा) बंदा पार हो गया।
6📖श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पृष्ठ 1189
राग बसंत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु धिरा, रोग बुझै से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढूंढ़त खोजत गुरिू मेले बीरा।।3।।
नोट:- यहाँ पर स्पष्ट है कि अक्षर कबीरा की जगह ‘गुरु मेले बीरा‘ लिखा है। जबकि लिखना था ‘ढूँढ़त खोजत गुरि मेले कबीरा‘
7📖वाहे गुरु कबीर परमेश्वर हैं।
इसका प्रमाण संत गरीबदास साहेब ने अपने सतग्रन्थ साहेब में फुटकर साखी का अंग पर दिया है।
गरीब, झांखी देख कबीर की, नानक कीती वाह। वाह सिक्खों के गल पड़ी, कौन छुटावै ताह।।
गरीब, हम सुलतानी नानक तारे, दादू कुं उपदेश दिया। जाति जुलाहा भेद ना पाया, कांशी माहे क���ीर हुआ।।
8📖श्री नानक जी का गुरू था, प्रमाण:-
’’साखी कंधार देश की चली‘‘ जन्म साखी के पृष्ठ 470-471 पर:-
एक मुगल पठान ने पूछा कि आपका गुरू कौन है? श्री नानक जी ने उत्तर दिया कि जिन्दा पीर है। वह परमेश्वर ही गुरू रूप में आया था। उसका शिष्य सारा जहाँ है। फिर ‘‘साखी रूकनदीन काजी के साथ होई’’ जन्म साखी के पृष्ठ 183 पर कुछ वाणी इस प्रकार हैं:-
नानके आखे रूकनदीन सच्चा सुणहू जवाब। खालक आदम सिरजिया आलम बड़ा कबीर।
कायम दायम कुदरती सिर पिरां दे पीर। सजदे करे खुदाई नू आलम बड़ज्ञ कबीर।।
भावार्थ:- श्री नानक जी ने कहा है कि रूकनदीन काजी! जिस खुदा ने आदम जी की उत्पत्ति की है। वह बड़ा परमात्मा कबीर है। वह ही पृथ्वी पर सतगुरू की भूमिका करता है। वह सिर पीरां दे पीर यानि सब गुरूओं का सिरताज है। सब से उत्तम ज्ञान रखता है। वह कायम यानि श्रेष्ठ दायम यानि समर्थ परमात्मा (कुदरती) है।
9📖पूरे गुरु ग्रन्थ साहेब में कहीं प्रमाण नहीं है कि श्री नानक जी, परमेश्वर कबीर जी के गुरु जी थे। जैसे गुरु ग्रन्थ साहेब आदरणीय तथा प्रमाणित है, ऐसे ही पवित्र कबीर सागर भी आदरणीय तथा प्रमाणित सद्ग्रन्थ है तथा श्री गुरुग्रन्थ साहेब से पहले का है। इसीलिए तो सैंकड़ों वाणी ‘कबीर सागर‘ सद्ग्रन्थ से गुरु ग्रन्थ साहिब में ली गई हैं।
पवित्र कबीर सागर में विस्तृत विवरण है नानक जी तथा परमेश्वर कबीर साहेब जी की वार्ता का तथा श्री नानक जी के पूज्य गुरुदेव कबीर परमेश्वर जी थे।
10📖पवित्र कबीर सागर में विस्तृत विवरण है नानक जी तथा परमेश्वर कबीर साहेब जी की वार्ता का तथा श्री नानक जी के पूज्य गुरुदेव कबीर परमेश्वर जी थे। कृप्या निम्न पढ़ें।
विशेष प्रमाण के लिए कबीर सागर (स्वसमबेदबोध) पृष्ठ न. 158 से 159 से सहाभार:-
नानक वचन
आवा पुरूष महा��ुरु ज्ञानी। अमरलोकी सुनी न बानी।।
अर्ज सुनो प्रभु जिंदा स्वामी। कहँ अमरलोक रहा निजधामी।।
काहु न कही अमर निजबानी। धन्य कबीर परमगुरु ज्ञानी।।
कोई न पावै तुमरो भेदा। खोज थके ब्रह्मा चहुँ वेदा।।
11📖कबीर सागर (स्वसमबेदबोध) पृष्ठ न. 158 से 159 से सहाभार:-
जबते हमते बिछुरे भाई। साठि हजार जन्म भक्त तुम पाई।।
धरि धरि जन्म भक्ति भलकीना। फिर काल चक्र निरंजन दीना।।
परम पूज्य कबीर प्रभु एक जिन्दा महात्मा का रूप बना कर श्री नानक जी से मिलने पंजाब में गए तब श्री नानक साहेब जी से वार्ता हुई। तब परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि आप जैसी पुण्यात्मा जन्म-मृत्यु का कष्ट भोग रहे हो फिर आम जीव का कहाँ ठिकाना है? जिस निरंकार को आप प्रभु मान कर पूज रहे हो पूर्ण परमात्मा तो इससे भी भिन्न है। वह मैं ही हूँ। जब से आप मेरे से बिछुड़े हो साठ हजार जन्म तो अच्छे-2 उच्च पद भी प्राप्त कर चुके हो। फिर भी जन्म मृत्यु के चक्र में ही हो। मैं आपको सतशब्द अर्थात् सच्चा नाम जाप मन्त्रा बताऊँगा उससे आप अमर हो जाओगे। 
12📖कबीर सागर के अध्याय ‘‘अगम निगम बोध’’ में पृष्ठ नं. 44 पर शब्द है:-
।।नानक वचन।।
वाह वाह कबीर गुरु पूरा है।
पूरे गुरु की मैं बलि जावाँ जाका सकल जहूरा है।। अधर दुलिच परे है गुरुनके शिव ब्रह्मा जह शूरा है।। श्वेत ध्वजा फहरात गुरुनकी बाजत अनहद तूरा है।। पूर्ण कबीर सकल घट दरशै हरदम हाल हजूरा है।। नाम कबीर जपै बड़भागी नानक चरण को धूरा है।।
विशेष विवेचन:- बाबा नानक जी ने कबीर जुलाहे (धाणक) काशी वाले को सत्यलोक में आँखों देखा, फिर काशी में धाणक का कार्य करते हुए तथा बताया कि वही धाणक रूप (जुलाहा) सत्यलोक में सत्यपुरुष रूप में भी रहता है तथा यहाँ भी वही है
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karmjeet12 · 1 month ago
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#हक्काकबीर_करीम_तू
श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी, पृष्ठ 1189
राग बसंत महला 1
चंचल चित न पावै पारा, आवत जात न लागै बारा।
दुख घणों मरीअै करतारा, बिन प्रीतम के कटै न सारा।।1।।
सब उत्तम किस आखवु हीना, हरि भक्ति सचनाम पतिना(रहावु)।
औखद कर थाकी बहुतेरे, किव दुख चुकै बिन गुरु मेरे।।
बिन हर भक्ति दुःख घणोरे, दुख सुख दाते ठाकुर मेरे।।2।।
रोग वडो किंवु बांधवु धिरा, रोग बुझै से काटै पीरा।
मैं अवगुण मन माहि सरीरा, ढूंढ़त खोजत गुरिू मेले बीरा।।3।।
नोट:- यहाँ पर स्पष्ट है कि अक्षर कबीरा की जगह ‘गुरु मेले बीरा‘ लिखा है। जबकि लिखना था ‘ढूँढ़त खोजत गुरि मेले कबीरा‘
WahWah Kabir Guru Pura
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