#हमें रूस
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जिस दिन मैं अपने देश भारत का प्रधानमंत्री बनूंगा तो सबसे पहले इस सर्कस को बंद करने का आदेश दूंगा।
अरे भाई बराबरी करनी है तो अपने बराबर के देश के साथ बराबरी करो भूखे, नंगे, भिखमंगे, बर्बाद, इस्लामी जाहिल देश पाकिस्तान के साथ इस सर्कस को करके हम क्यों एहसास दिलाते हैं कि पाकिस्तान भी एक देश है...???
आखिर इस सर्कस से मेरे देश को क्या फायदा है...???
कनाडा, अमेरिका बॉर्डर पर यह सर्कस नहीं होता है...
अमेरिका, मैक्सिको बॉर्डर पर यह सर्कस नहीं होता है...
इटली, जर्मनी बॉर्डर पर यह सर्कस नहीं होता है...
रूस, फिनलैंड बॉर्डर पर यह सर्कस नहीं होता है...
यानी कि पूरी दुनिया में ऐसा सर्कस नहीं होता है, ये सर्कस सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच इसलिए होता है ताकि यह दिखाया जा सके कि किसकी टांग ज्यादा उठती है, और कौन ज्यादा तेज पैर पटक सकता है कौन ज्यादा तेज घूर सकता है...
हमें यह नहीं दिखाना है कि हमारी टांग ज्यादा उठती है या हम बहुत तेज पैर पटक सकते हैं या हम बहुत भयंकर घूर सकते हैं...
हमें यह दिखाना है कि हमारी कलम, हमारा दिमाग, हमारी सोच ज्यादा उठती है...
मोदी जी आपसे फिर से निवेदन है कृपा करके इस सर्कस को बंद करवा दीजिए...🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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युद्ध में उलझे रूस की सबसे पसंदीदा विदेशी भाषा बनी चीनी भाषा मंदारिन, पुतिन बोले, मेरे बच्चे भी बोलते है चाइनीज
Russia News: यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझे रूस पर चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। चीनी भाषा मंदारिन को पूरे रूस में सबसे पसंदीदा विदेशी भाषा के तौर पर देखा जा रहा है। मंदारिन की लगातार बढ़ती लोकप्रियता के बीच रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने सोमवार को कहा कि उनके परिवार के बच्चे मंदारिन बहुत साफ-साफ बोलते हैं। स्कूली बच्चों से बात करते हुए पुतिन ने कहा कि हमें मंदारिन सीखनी चाहिए लेकिन अंग्रेजी के महत्व…
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खेल मंत्री सारंग ने कांस्य पदक विजेता चारु को दी शुभकामनाएं
नर्मदापुरम। समेरिटंस स्कूल की छात्रा चारु चीचाम से शुक्रवार को प्रदेश के खेल मंत्री विश्वास सारंग ने अपने भोपाल स्थित निवास पर मिलकर शुभकामनाएं और बधाई दी। उन्होंने कहा कि हमारी होनहार बेटी चारु ने अपनी प्रतिभा के बल पर न केवल प्रदेश का बल्कि देश का नाम भी रोशन किया है, हमें इस बेटी पर गर्व है। ज्ञात हो कि चारु ने हाल ही में रूस में आयोजित 8 वी चिल्ड्रन एशियन गेम कुराश में कांस्य पदक जीता है। इस…
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मोदी की रूस यात्रा से इतना चिढ़ा क्यों है अमेरिका? दे रहा धमकी, पुतिन की हुई बल्ले-बल्ले
मॉस्को: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत के लिए रूस जा रहे हैं। यह रूस के 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से उनकी पहली यात्रा है। यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मोदी और पुतिन दोनों ने अपने-अपने देशों में हुए चुनावों में एक बार फिर जीत हासिल की है। पुतिन के नए कार्यकाल के शुरू होने के बाद यह किसी बड़े वैश्विक नेता की पहली रूस यत्रा भी है, जिससे रूसी राष्ट्रपति को बहिष्कृत करने के पश्चिमी प्रयासों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। पुतिन ने चुनाव जीतने के बाद पहली यात्रा के तौर पर चीन को चुना था, जिसे दोनों देशों के संबंधों में आई तेजी के तौर पर देखा गया। हालांकि को लेकर अमेरिका खुश नहीं है। भारत में अमेरिकी राजदूत ने तो भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधों की धमकी तक दे डाली है।ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय द्वारा समर्थित शोध समूह मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की एसोसिएट फेलो स्वास्ति राव ने कहा, "रूस और चीन के बीच रणनीतिक गठबंधन का गहरा होना भारत के लिए असहज है, क्योंकि यह आपके सबसे अच्छे दोस्त और दुश्मन के बीच सोने जैसा है।" "चूंकि हमें ये चिंताएं हैं, इसलिए प्रधानमंत्री का वहां जाना और उच्चतम स्तर पर पुतिन से बात करना समझ में आता है।" तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद यह मोदी की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी, जिसमें प्रधानमंत्री भूटान, मालदीव और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के बजाय रूस की यात्रा करके परंपरा को तोड़ रहे हैं, जहां उन्होंने पिछले चुनाव जीतने के बाद जाना चुना था। रूस के साथ रिश्तों को महत्व दे रहा भारत इस मामले से परिचित लोगों ने कहा कि यह इस बात को रेखांकित करता है कि नई दिल्ली मास्को के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उपभोक्ता भारत रूसी तेल का एक बड़ा खरीदार बन गया है। भारत की सैन्य हार्डवेयर आपूर्ति भी रूस पर निर्भर है। वहीं, 2020 में भूमि-सीमा संघर्ष के बाद से चीन और भारत के बीच संबंध निम्न स्तर पर हैं। रूस के साथ किसी बड़े सौदे की संभावना नहीं इस मामले से परिचित भारतीय अधिकारियों के अनुसार, दोनों नेताओं से कई मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद है, हालांकि कोई महत्वपूर्ण समझौता होने की संभावना नहीं है। लोगों ने कहा कि एजेंडे में दोनों सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए रसद आपूर्ति समझौता, पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के संयुक्त विकास पर चर्चा फिर से शुरू करना और परमाणु ऊर्जा पर सहयोग शामिल है। अधिक जानकारी के लिए संपर्क किए जाने पर भारत का विदेश मंत्रालय तुरंत टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं था। पीएम मोदी की रूस यात्रा का अजब संयोग पीएम मोदी की मॉस्को की यात्रा 8-9 जुलाई को होने की उम्मीद है। यह आंशिक रूप से वाशिंगटन में उत्तरी अमेरिकी संधि संगठन (NATO) के सदस्यों के एक अलग शिखर सम्मेलन के साथ मेल खाती है। मामले से परिचित लोगों ने कहा कि मोदी की रूस यात्रा लंबे समय से लंबित थी और समय का नाटो गठबंधन की बैठक से कोई संबंध नहीं है। मॉस्को के बाद मोदी के दो दिवसीय दौरे पर वियना जाने की उम्मीद है। रूस के साथ भारत के संबंधों से अमेरिका चिंतित अमेरिका ने एशिया में चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की मांग की है और रूस के साथ नई दिल्ली के संबंधों के प्रति सहिष्णु रहा है। उन संबंधों के बारे में पूछे जाने पर, अमेरिकी उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल ने पिछले हफ्ते कहा कि वाशिंगटन ने नई दिल्ली के साथ भारत-रूस संबंधों के बारे में चिंता जताई है, लेकिन उसे भारत पर भरोसा है और वह दक्षिण एशियाई देश के साथ संबंधों का विस्तार करना चाहता है। संकट में भी रूस के साथ खड़ा रहा भारत द्वितीय वि��्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे खराब लड़ाई को लेकर नई दिल्ली में बेचैन�� के बीच मोदी पिछले दो वर्षों से पुतिन के साथ वार्षिक व्यक्तिगत शिखर सम्मेलनों में शामिल नहीं हुए हैं। फिर भी, भारत ने पड़ोसी यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए रूस की निंदा करने से परहेज किया है, इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के मतदान में भाग नहीं लिया है, और संघर्ष को हल करने के लिए कूटनीति की वकालत की है। अमेरिका ने भारत को दी धमकी भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि रूस के खिलाफ वैश्विक प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाली किसी भी भारतीय कंपनी को यूरोप, अमेरिका और दुनिया भर में अपने वैश्विक सहयोगियों के साथ व्यापार करने की कोशिश करते समय होने वाले "परिणामों" के बारे में पता होना चाहिए। गार्सेटी ने कहा, "अमेरिका, दर्जनों सहयोगियों के साथ, इस विचार के खिलाफ खड़ा है कि एक देश को क्रूर बल द्वारा दूसरे की जमीन लेने में सक्षम होना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि… http://dlvr.it/T93MNd
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देश में मौजूदा वक्त में प्रचंड मोदी लहर देखते हुए हमें चीन और रूस की तरह मोदी जी को आजीवन देश का प्रधानमंत्री घोषित कर देना चाहिए। इससे देश का पैसा भी बचेगा और भ्रष्ट नेताओं से देश को आजीवन मुक्ति भी मिल जायेगी।
।। नमो नमः।।
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1.प्रतिभाओं की उपेक्षा के दुष्परिणाम का परिचय (Introduction to Ill-Effects of Neglect of Talents),प्रतिभाओं की उपेक्षा के महत्त्वपूर्ण कारण (Important Reasons for Neglect of Talent):
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प्रतिभाओं की उपेक्षा के दुष्परिणाम (Ill-Effects of Neglect of Talents) देश को भुगतने पड़ रहे हैं।यदि प्रतिभाओं को उचित सम्मान,वेतन व साधन-सुविधाएँ दी हुई होती तो आज देश की दशा और दिशा बहुत अलग होती।
अमेरिका,रूस,ब्रिटेन,फ्रांस,जर्मनी इत्यादि देशों में प्रतिभाओं को भरपूर सुविधाएं,ऊँचे वेतन तथा सम्मान देने के कारण आज वे विकसित देशों की श्रेणी ��ें खड़े हैं।इन देशों की पंक्ति में खड़ा होने के लिए आज कोई देश सोच भी नहीं सकता है।
यदि देश को विकास,उन्नति के पथ पर द्रुतगति से आगे बढ़ाना है तो हमें प्रतिभाओं को उचित सम्मान और साधन-सुविधाएँ उपलब्ध कराना ही होगा।भारत में प्रतिभाओं के बलबूते व्यावसायिक एवं आर्थिक महाशक्ति बनने की भरपूर क्षमता है।यहाँ समाज के सभी वर्गों से उभरने वाली प्रतिभाएं अपने प्रतिभा व परिश्रम के बल पर आगे बढ़ रहे हैं।उनकी व्यावसायिक समझ में आश्चर्यजनक क्षमता है।
Read More:Ill-Effects of Neglect of Talents
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Live : चीन और रूस के नास्तिक होने का क्या कारण था? | Episode: 2662 | Sa...
हम सभी मरना नहीं चाहते, हँसते खेलते परिवार को छोड़कर जाना नहीं चाहते, फिर भी हमारी मृत्यु क्यों होती है❓
आखिर जन्म-मरण कैसे समाप्त हो सकता है❓
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श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और ज्योतिर्लिंग दर्शन पथ एवं सम्पूर्ण जानकारी | Bhakti Saar
परिचयः:
ज्ञानं ओंकारेश्वरम् : दर्शनं और भक्तिसारः - इस ब्लॉग में हम ज्ञानं ओंकारेश्वरम् के बारे में चर्चा करेंगे। उसके अलावा, हम दर्शनं और भक्तिसारः के महत्वपूर्ण तत्वों के बारे में भी चर्चा करेंगे। इसके अलावा, हम यह भी देखेंगे कि ज्ञानं ओंकारेश्वरम् से प्राप्त होने वाले मानसिक और शारीरिक लाभ क्या हैं। चलिए, अब हम विस्तार से इस परिचय को शुरू करते हैं।
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ज्ञानं ओंकारेश्वरम्
परमात्मा, ईश्वर, भगवान, ओंकारेश्वरम्। जैसे नाम, वैसी बातें। इन सब का अर्थ एक ही है - सर्व सकल का आदिपुरुष, आत्मा का परमात्मा। ओंकारेश्वरम्, जो कि ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के माध्यम से प्रकट हुए हैं।
इतिहास के पहले पन्ने से बजी हुई गाँधार ताल की धमकी के बावजूद, भारतीय संस्कृति में ओंकारेश्वरम् का स्थान सदैव अपरिहार्य रहा है। विवादों के बावजूद, इसके अर्थ से जुड़ी मान्यताओं और पूजा के रूप में यह हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
ओंकारेश्वरम्, जो सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनियों, आदि लोक जनों के प्रणव रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। यह शक्ति का सच्चा प्रतीक है जो हमें अनन्त सृष्टि की ओर ले जाता है।
इससे हमें अद्वैत भाव का अनुभव होता है - हम सब ब्रह्म का हिस्सा हैं, हम सब में ओंकारेश्वरम् निवास करता है। तो फिर चिंता और संकोच से क्यों भरे हैं? दर्शन करें, मन को बहार करें और आत्म-सात की अनुभूति करें।।
दर्शनं और भक्तिसारः
दर्शनं का अर्थ उसे सही तरीके से देखना है। इस दर्शनं के अंतर्गत हम ब्रह्म से जुड़ सकते हैं। यह एक शक्ति है जिसके माध्यम से हम आपत्तियों के पीछे छिपे वास्तविकताओं को देख सकते हैं। ठीक है, ठीक है, दर्शनं एक नेत्री है जो आपको दिखाती है कि ताजमहल वास्तव में इतना सुंदर है या नहीं, जो आपको ग्यारहवीं दिन की रात को एक फिल्म के साथ भरपूर तारों की तस्वीरें दिखाती है। अब इस दर्शनं के प्रकार की बात करते हैं।
दर्शनं के प्रकार विविध होते हैं। पहले हमारे पास राजस्थानी दर्शनं हैं, जो हमें उद्धेश्यों की आपूर्ति करते हैं, वहां हम सोने की अक्षरमणी और पीले घास की तालाबें देख सकते हैं। फिर हमें उत्साही दर्शनं भी हैं, जो हमें अपने स्वप्नों की पूर्ति करते हैं, जैसे कि हम शनिवार की शाम को स्थानीय खेल मैदान पर दिखाई देते हैं। उन लोगों के लिए भी एक दर्शनं है जो केवल वातावरण में रमते हैं, जल्दी निभाने, अस्था के अंधकार को हाथ लगाने में अनवश्यक अधिक कुशल हाथी होते हैं।
और इसके बाद यहां हम पहुंचते हैं भक्तिसारः पर, जो हमारे जीवन की उज्ज्वलता है। भक्तिसारः का अर्थ होता है इतना भगवान का चितान करना कि उन के सामीप्य में हमें आनंद मिलता है। भक्तिसारः के फायदे बहुत हैं। यह ��में संतोष और समय की लालसा से मुक्त करता है और हमें अद्वैत की अनुभूति कराता है।
बच्चा लोग की तरह नहीं सोचिए, ये दर्शनं और भक्तिसारः आपके जीवन में खासा मज़ा लाएंगे। आह, ध्यान दें! अपनी उत्सुकता को नियंत्रित रखें और अपने अस्तित्व के आनंद का ठिकाना चुनें। समर्पण के साथ यह यात्रा अटहल रहेगी।
मानसिक लाभ
मानसिक लाभ पाने के लिए, हमें अपने मन को शांत करना होगा। मानो या ना मानो, दुनिया भर के लोग शांति के लिए छह महीने तक हिमालय जा रहे हैं। वेल, हम नहीं!
मानसिक शांति केवल एक छोटा सा टास्क है, ना? तो यह आसान है! आप प्रारंभिक बाधाओं के बावजूद अपने मन के उच्चतम स्थान पर पहुँचने के लिए घंटों तक ध्यान का अभ्यास करेंगे। हां, शांति के इस पथ पर चलना आसान है जैसे कि बैंक की ATM कार्ड का पिन याद रखना! ज्यादा आदत दालने के बजाय, प्रायः तो दिनभर शांत बैठे रहते हैं, ताकि विश्रांति के लिए अपने मन को एक इकाई में चित्ताकर्षण कर सकें और धियान में संपूर्णता में पूर्ण हों।।
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फिर तो, उठने से पहले अपने मन को नशा में डूबा दीजिए सो सकते हैं। अब कौन कहता है मन का नियंत्रण असंभव है? हमारे मन में ऐसी विलक्षण शक्ति है कि हमें पूर्ण विश्रांति मिलती है जब हमारे मंजर पर सिट-इन बाथटब की तरह आदते होती हैं। अगर हमारा मन पसंद नहीं कर रहा होता है, तो उसे लगातार घुमाते रहें और अपने वश में करें। हमें ध्यान देना चाहिए कि रूस के अधिकांश ढेरों गुरुवे पहले इसी को प्रायोगिक तरीके से सैनिटाइज करने के लिए क्रिस्��ैल फील्ड का उपयोग करते थे। वो बताते कह एक टिनकरी खम्भा की ओर अपनी गाड़ी को खिंच ले पर हम उसे नहीं! इतने मन मारो कि मन का नियंत्रण खो जाए।
विचारशक्ति के बारे में बात करें तो ये एक थोड़ी भी आवश्यक नहीं है। कॉफी पीने वालों के मुकाबले तो हम बेहद स्नान करने वाले हरी चाय के बाद काम करते हैं। अपनी योग्यता और सक्षमता को नापने के लिए छात्रों को हमेशा एक साथ खड़े होना चाहिए। विचारों के खेल को खेलें और जानें कि आपके मन कितना जल्दी शांत हो सकता है। यह तो मुर्गे की रगड़ कर बैच पकाने वाले जितना आसान है।
आप तो जानते ही हैं कि हमारे मन कब कहीं घुमा जाता है, बस हमें उसे वापस लाना है। तो, अपने मन को नीचे के मानसिक लाभ खोजने में जुटाएं और विचारशक्ति, धियानावस्था और स्थितप्रज्ञता का एकदिवसीय श्रृंगार करें। आपके मन को साथ लेकर बोलें, "काश तुम मेरे ब्रेन से बात कर सकते!" और देखें यह नौकरी कैसे आपकी शांति की डिमांड पर पूरी उतर आएगी।।
शारीरिक लाभ:
जब बात आती है ज्ञानं ओंकारेश्वरम् के शारीरिक लाभ की, तो यकीनन आपका मन बहुत उत्साहित होता है। इतने आसान ही हो जाता है ये ज्ञान सबसे अच्छा हो जाता है इस वजह से इसे इतना पसंद करने लगते हैं लोग। अब चलिए देखते हैं, इसके शारीरिक लाभों की कुछ विस्तार से जानकारी।
सबसे पहले, स्वास्थ्य लाभ की बात करेंगे। ये एक ऐसा ज्ञान है जो आपकी शरीर को स्वस्थ रखने में बहुत मदद करता है। यहाँ तक की इसमें मधुमेह के नियंत्रण में भी असाधारण प्रभाव होता है। आपकी हृदय सुरक्षित रहती है और आपके शरीर की ताकत भी बढ़ती है। इसके साथ ही आपकी नींद में सुधार भी होता है, जो बहुत ही आवश्यक है आपके सेहत के लिए।
तो ये थे ज्ञानं ओंकारेश्वरम् के शारीरिक लाभ। अब चलिए देखते हैं कि इसके पीछे का यह कैसा रहस्य हो सकता है। थोड़ा रोमांचकारी नहीं है क्या, वो भी जान तो सही? इस रहस्य को जानकर इस ज्ञान का अधिक मजा आएगा।
चलिए, अगली बार दर्शनं और भक्तिसारः की बात करते हैं। क्योंकि इसके लाभ ही नहीं, इनमें तो और खूबसूरत रिश्ते हैं भी। अब से थोड़ा उम्मीद से ज्यादा ध्यान रखिएगा, ताकि किसी लाभ का नुकसान ना हो। वरना हो सकता है सबकी सेहत पर भारी पड़े, और वो तो कोई चाहता नहीं है। तो जान लें इन रिश्तों के सारे राज़, और हमें देंगे अपनी इस उम्मीदीवारी पर एक्सेप्टेशन। Let's go!
निराकार स्वरूप
निराकार स्वरूप में आत्मा का ब्रह्म से ��म्बन्ध होता है। यह ब्रह्म ही हमारी अंतिम उद्दिश्य होता है, जबकि हमारी आत्मा ब्रह्म का हिस्सा होती है। यह एक बहुत ही रोचक बात है कि हम और ब्रह्म में एकता होने के कारण हम अस्तित्व में रहते हैं।
और ब्रह्म के गुणों की बारे में बात करें, यहां परमात्मा की बात है, जिनमें नित्यता, सत्यता, ज्ञान और आनंद के गुण शामिल होते हैं। ये गुण हमें एक उच्चतम स्थिति के प्रति प्रेरित करते हैं और हमें सच्चे शुद्ध और परिपूर्ण अस्तित्व की ओर ले जाते हैं।
जगत् में आत्मनिष्ठा होना आत्मस्वरूप का ही विभाग है। यह मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक स्तर पर हो सकता है। जब हम अपने आप को आत्मा में स्थित करते हैं, तो हम ईश्वरीय और व्याकुलता मुक्त हो जाते हैं। ऐसा महसूस करने के लिए यह आवश्यक है कि हम ध्यानपूर्वक मेधावी बनें और अपने उद्दियमय अस्तित्व को अनुसरण करें।
इस प्रकार, निराकार स्वरूप पर आत्मा के ब्रह्म से सम्बन्ध, आत्मस्वरूप के गुण और जगत् में आत्मनिष्ठा संबंधी कुछ महत्वपूर्ण तत्व हैं। जब हम इन तत्वों को गहराते हैं, तो हम अपने मन को अपने लक्ष्य के प्रति संकेत करते हैं और अस्तित्व में एकता को अनुभव करते हैं।
Sarcasm - वाह! क्या बात है! इस ब्रह्मगयान से हम सचमुच सस्य के बीज तक की सम्पूर्ण विश्वव्यापकता जान सकते हैं। ये ग्यानी भगवान वालों को ही ब्रह्मा बनने की इजाजत है, हम साधारण लोग तो ये छोटी-मोटी जगह में भटखते ही रहेंगे।
समापनम्
इस प्रकरण में, विचारशक्ति, धियानावस्था और स्थितप्रज्ञता जैसे मानसिक लाभ ओंकारेश्वरम् के साथ जुड़ते हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य लाभ, हृदय की सुरक्षा, ताकतवर शरीर और नींद में सुधार जैसे शारीरिक लाभ भी हैं। इसे पढ़कर आपको होगा खुशी का एहसास कि ओंकारेश्वरम् असल में बहुत मजेदार है! छोटी खुशी की जगह बहुत सी छोटी खुशियाँ हैं।
#omkareshwar temple#omkareshwar#omkareshwar jyotirlinga#omkareshwar live darshan#Bhakti Saar#Youtube
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नेपाल दूतावास नही कर रहा अपने नागरिकों को मदद, रूस में फंसे नेपालियों ने भारत से लगाई मदद की गुहार
नेपाल दूतावास नही कर रहा अपने नागरिकों को मदद, रूस में फंसे नेपालियों ने भारत से लगाई मदद की गुहार
Russia News: रुस में फंसे नेपाली लोगों ने भारत सरकार से उन्हें बचाने की अपील की है. क्योंकि नेपाली सरकार से उन्हें कोई मदद नहीं मिल पा रही है. उनके साथ ट्रैवल एजेंटों ने धोखाधड़ी की, जिन्होंने उन्हें रूसी सेना में सहायक की नौकरी के बहाने रूस भेजा. एजेंसी के मुताबिक, लोगों ने कहा कि एजेंट ने हमें झूठ बोलकर यहां भेजा है और अब हमारे साथ यहां बहुत मुश्किल हो रही है. हमें कहा गया था कि हमें रशियन…
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#Real_Facts_About_Buddhism
बुद्ध के मार्ग पर चलते चलते चीन, रूस जैसे देश नास्तिक बन गए। उनके अनुयायी ये नहीं जानते कि भगवान कौन है और पूर्ण मोक्ष कैसे मिलेगा।
जबकि वेद प्रमाणित करते हैं कबीर परमात्मा ही पूर्ण मोक्ष दायक हैं।
*✰किसी भी जीव को मनुष्य जीवन कैसे मिलता है?✰*
अवश्य पढ़ें पवित्र सद्ग्रंथों पर आधारित संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक *ज्ञान गंगा*।
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परिणाम भुगतने होंगे... अमेरिका ने रूस से व्यापार करने वाली भारतीय कंपनियों को दी प्रतिबंध की धमकी
वॉशिंगटन: अमेरिका ने रूस के साथ व्यापार करने वाली भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधों की धमकी दी है। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि रूस के खिलाफ वैश्विक प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाली किसी भी भारतीय कंपनी को यूरोप, अमेरिका और दुनिया भर में अपने वैश्विक सहयोगियों के साथ व्यापार करने की कोशिश करते समय होने वाले "परिणामों" के बारे में पता होना चाहिए। यह पहली बार नहीं है, जब अमेरिका ने भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधों को लेकर चेताया है। इससे पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने भी ऐसा ही बयान दिया था। गार्सेटी ने भारत को दी समझाइश बिजनेसलाइन के साथ इंटरव्यू में गार्सेटी ने कहा, "अमेरिका, दर्जनों सहयोगियों के साथ, इस विचार के खिलाफ खड़ा है कि एक देश को क्रूर बल द्वारा दूसरे की जमीन लेने में सक्षम होना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि भारत उस सिद्धांत को पहचानना जारी रखेगा और उन कंपनियों की पहचान करने के लिए हमारे साथ काम करेगा जो रूसी युद्ध मशीन को बढ़ावा दे रही हैं...।" एक भारतीय कंपनी पर प्रतिबंध लगाकर दी चेतावनी गार्सेटी का बयान इसलिए भी प्रासंगिक है क्योंकि इस महीने की शुरुआत में जापान ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को डिजाइन और निर्माण करने वाली बेंगलुरु स्थित Si2 माइक्रोसिस्टम्स पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। कंपनी ने यूक्रेन पर आक्रमण से संबंधित दंडात्मक उपायों से बचने में रूस की मदद की थी। इसी कंपनी पर इस साल फरवरी में यूरोपीय संघ और पिछले नवंबर में अमेरिका ने रूस के सैन्य और रक्षा औद्योगिक आधार का कथित रूप से समर्थन करने के लिए प्रतिबंध लगाया था। IIT मद्रास के साथ जुड़ी है प्रतिबंध वाली भारतीय कंपनी दिलचस्प बात यह है कि Si2 माइक्रोसिस्टम्स पर अमेरिकी प्रतिबंधों से ठीक एक महीने पहले, इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने IIT मद्रास में सिलिकॉन फोटोनिक्स रिसर्च सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के शुभारंभ पर उद्योग भागीदारों में से एक के रूप में नामित किया था। रूस को धन और हथियारों के प्रवाह को रोकने के लिए, अमेरिका ने कथित तौर पर 4,000 से अधिक रूसी व्यवसायों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाया है। गार्सेटी ने भारत को 'ज्ञान' देने की कोशिश की गार्सेटी ने कहा कि रूस के साथ भारत के ऊर्जा व्यापार में कोई समस्या नहीं है क्योंकि किसी को भी यह आभास नहीं था कि भारत किसी तरह के नियमों का उल्लंघन कर रहा है। कई देशों ने मिलकर रूसी तेल के लिए मूल्य सीमा तय की थी जो मॉस्को की कमाई को सीमित करेगी और भारत इसके प्रवर्तन का ध्यान रख रहा था। उन्होंने कहा, "तेल एक महत्वपूर्ण वस्तु है जिस पर अमेरिका प्रतिबंध नहीं लगाना चाहता क्योंकि इससे सभी की लागत बढ़ जाएगी।" गार्सेटी ने कहा, "ऐसा कहने के बाद, मुझे नहीं लगता कि मुझे अपने भारतीय मित्रों को यह याद दिलाना होगा कि हमारे ��ंतरराष्ट्रीय संबंधों में सबसे पवित्र और पवित्र चीज हमारी सीमाएं हैं... हमें यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है कि रूसी युद्ध मशीन हमेशा के लिए जारी न रहे।" http://dlvr.it/T91nWH
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#Real_Facts_About_Buddhism
बुद्ध के मार्ग पर चलते चलते चीन, रूस जैसे देश नास्तिक बन गए। उनके अनुयायी ये नहीं जानते कि भगवान कौन है और पूर्ण मोक्ष कैसे मिलेगा।
जबकि वेद प्रमाणित करते हैं कबीर परमात्मा ही पूर्ण मोक्ष दायक हैं।
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📺 ➡️ सुनिए जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन :-
🏵️ Nepal 1 टी.वी. पर सुबह 6:00 से 7:00 तक
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🏵️ साधना टी. वी. पर शाम 7:30 से 8:30 तक
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रायपुर - कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ अदालत का फैसला दुर्भाग्यजनक है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि ऊंची अदालत में इस फैसले के खिलाफ जायेंगे। हमें पूरा भरोसा है न्याय मिलेगा। सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी और उनकी आक्रामकता से घबराई हुई है। राहुल गांधी के भाषणों उनके द्वारा उठाये गये मुद्दो के आधार पर उनको घेरने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। भाजपा विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है। राहुल गांधी लगातार जनता की आवाज उठा रहे महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के खिलाफ वे मुखर है। संसद में अडानी के भ्रष्टाचार के खिलाफ राहुल गांधी बोल रहे उनके नेतृत्व में विपक्षी दल अडानी के घोटाले की जांच के लिये संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग कर रहे है। भाजपा संसद नहीं चलने दे रही है। राहुल गांधी ने अपने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 140 दिनों में आम आदमी की समस्याओं को उठाया था। मोदी सरकार को वह भी बर्दाश्त नहीं। राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली पुलिस के द्वारा नोटिस भेजवाया गया। मोदी और उनके सहयोगी सोचते है इस प्रकार का हथकंडा अपना कर वे विपक्ष को दबा देंगे तो मुगालते है। कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता मोदी सरकार के इस तानाशाही रवैये के खिलाफ संघर्ष करेगा। न हम डरे है और न डरेंगे, न झुके है और झुकेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि राहुल गांधी, मोदी सरकार से सवाल पूछते है जो जनता से जुड़े एवं देश के भविष्य से संबंधित होता है। राहुल गांधी के सवाल का जवाब देने से बचने मोदी सरकार ईडी का नोटिस भेजती है। राहुल गांधी मजदूरों की, गरीबों की, किसानों की, युवाओं की आवाज को दबने नहीं दिया। मोदी भाजपा सरकार, ईडी और पुलिस के माध्यम से ये दबाव इनकी आवाज उठाने से रोकती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिये राहुल गांधी यदि विदेश में सत्तारूढ़ दल के अतिवादी च��ित्र के बारे में कुछ कहते है तो भाजपा को आपत्ति है लेकिन जब प्रधानमंत्री विदेश की धरती पर आधा दर्जन बार देश की आलोचना करते है तो इसमें भाजपा को देशद्रोह नजर नहीं आता है, चीन, रूस, अमेरिका हर जगह मोदी जी ने भारत के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां किया है। चीन में जाकर प्रधानमंत्री मोदी बोल चुके है कि हमने ऐसा कौन सा पाप किया था जो हम हिन्दुस्तान में पैदा हो गये। प्रधानमंत्री मोदी के इस वक्तव्य से देश का सिर नीचा नहीं हुआ था तब भाजपाईयों की बोलती क्यों बंद हो गयी थी? राहुल गांधी को समर्थन देने कांग्रेस ने अंबेडकर चौक में किया सत्याग्रह राहुल गांधी के खिलाफ आये अदालत के फैसले पर राहुल गांधी के साथ एकजुटता दिखाने कांग्रेस ने पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम के नेतृत्व में अंबेडकर चौक में सत्याग्रह किया। कांग्रेस नेताओं ने कहा सच परेशान हो सकता है पराजित नहीं। कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता राहुल गांधी के साथ एकजुटता के खड़ा है। सत्याग्रह के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
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Top 5 Most Powerful Army in the World
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Top 5 Most Powerful Army in the World : घुमा-फिरा कर नहीं बल्कि एक क्रूर तथ्य, हमें किसी भी बाहरी आक्रमण से खुद को सुरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए अत्यधिक कुशल सेनाओं और सबसे उन्नत हथियारों की आवश्यकता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि दुनिया को राज्यों के बीच शांति और सौहार्दपूर्ण संबंधों की आवश्यकता है, लेकिन कभी-कभी एक सशस्त्र संघर्ष अपरिहार्य हो जाता है और तभी किसी भी देश की सेना के विभिन्न अंग हरकत में आते हैं। जैसा कि दुनिया रूस-यूक्रेन संघर्ष देख रही है जो अब चार महीने से अधिक समय से चल रह��� है, दोनों पक्षों द्वारा मुख्य रूप से रूस द्वारा नवीनतम, विभिन्न प्रकार के हथियारों के इस्तेमाल की खबरें आई हैं।
एक देश की सेना निस्संदेह इसके सबसे महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक है। भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक है। आकार, भर्तियों और सक्रिय पुरुषों के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी सेना के बारे में जानने के लिए नीचे दी गई तालिका देखें।
Top 5 Strongest Armies in the World
1) United States of America
2) Russia
3) China
4) India
5) Japan
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BSnews, 3 March 0023, Friday, 1:00 AM
वैश्विक परिवेश में युद्ध और शांति
राष्ट्र अथवा राज्यों का उत्थान और पतन चिरकाल से होता आया है। भू-राजनीतिक विलय, विघटन भी इन्ही प्रक्रियाओं का एक हिस्सा है।
यह किसी भी समय में महत्वपूर्ण नहीं था कि भू- राजनीतिक दृष्टि ��े कौन से राष्ट्र कितने बड़े अथवा छोटे थे। बल्कि यह महत्वपूर्ण था कि किस राष्ट्र की नीतियां नागरिकों के लिए कितनी स्वतंत्र, न्यायिक, जनहितैषी और सार्वजनिक सुविधा संपन्न थीं।
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रूस के इतिहास में अनेक उतार चढ़ाव आये। तत्कालीन जार शासकों की नीतियों के कारण रूस गृहयुद्ध की भेंट चढ़ गया था। अपने आंतरिक संकटों से उभरकर अंततः रूस की जनता ने 1922 में एक नये अध्याय के साथ राज्य की नींव डाली थी। इस राज्य में यूक्रेन सहित अनेक नये क्षेत्रों को भी सम्मिलित किया गया था। जिसके परिणामस्वरूप 1922 A.D. में यह United Soviet Social Republic (USSR) के नाम से अस्तित्व में आया था।
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निश्चित रूप से सोवियत रूस इस संघ के सबसे महत्वपूर्ण और जिम्मेदार घटकों में से एक था। क्योंकि एक बड़े क्षेत्र को एकीकृत राजनीतिक के रूप में खड़ा करने की भूमिका सबसे अधिक रुस ने निभाई थी और इसलिए केन्द्रीय राजनीति में भी रूस का प्रभाव अधिक था।
1922 से 1991 A. D. लगभग 69 वर्षों तक इस संघ शासित राज्य ने अपनी यात्रा पूरी की और स्वर्गीय मिखाइल गोर्बाचेव USSR के अंतिम राष्ट्रपति सिद्ध हुए। शीतयुद्ध की समाप्ति के पश्चात सोवियत संघ का विघटन हो गया और अंततः इसमें सम्मलित राज्यों ने पुनः अपनी सम्प्रभुता का गठन कर लिया और अपनी अंतर्राष्ट्रीय मान्यताएँ प्राप्त कर लीं ।
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अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक दूसरे की संम्प्रभुता का सम्मान करना एक विशिष्ट और प्रचलित नीति रही है। जिसका पालन सभी को करना चाहिए। लेकिन ये तभी संभव है जब हम सामरिक नीतियों में परस्पर सुरक्षात्मक परिवेश को भी सम्मिलित करते हैं। युद्ध जैसी स्थितियों को जितना हो सकता है, उतना टाला जाना चाहिए।
इतिहास बताता है कि युद्ध क्षेत्र ( War Zone ) से विश्व यदि ध्रुवीकरण होने की दिशा में बढ़ता है, तो यह निश्चित रूप से विश्व युद्ध के परिणाम में बदल जाता है।
विश्व में स्थायी शान्ति और सौहार्द स्थापित करने के लिए हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गठन किया और उसमें सभी विभागीय संस्थाओं को स्थापित किया गया। लेकिन अब भी हम वही खड़े हैं। जहाँ अंतर्राष्ट्रीय संघ के उद्देश्यों को पूरा करने में हम विफलता महसूस कर रहे हैं।
इसका मुख्य कारण है कि संयुक्त राष्ट्र का गठन करने के पश्चात हमने अपनी विचारधाराओं की सुरक्षा के लिए स्वतंत्र आंतरिक नीतियां अपनाई हैं। इसलिए हमारा आपसी टकराव होना स्वाभाविक है। संस्था के समक्ष समस्याओं का निराकरण करने के लिए हम वोटिंग में अपने स्वभाव का उपयोग करते हैं। और समस्याएं कभी कभी तटस्थ बनी रह जातीं हैं।
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जबकि हमने अपने आंतरिक गुण दोषों का विश्लेषण कभी नहीं किया है। पूरे विश्व में मुख्यतः दो ही विचार धारायें हैं।
(1) एक नैतिकता वादी ( विधान, धर्म, रक्षा, न्याय, मुक्ति या मोक्ष ) है। कभी कभी इस विचार धारा में अनैतिक शक्तियां प्राकृतिक संसाधनों का दुरूपयोग करते हुये बहुलता से स्वयं को स्थापित करने का प्रयास करतीं हैं। लेकिन संक्षिप्त ज्ञान और अविवेक के कारण वे कभी भी सफल नहीं हो पातीं हैं।
(2) दूसरी विचारधारा पूंजीवादी ( अर्थ, कर्म, पोषण एवं श्रम) है। दोनों ही विचार धाराओं की विश्व को आवश्यकता है। जहाँ नैतिक वाद की विचार धारा संपूर्ण न्याय के लिए आवश्यक है। वहीं पूंजीवादी विचार धारा व्यवस्था संचालन तथा लोगों की आजीविका से जुड़ी हुई है। लेकिन कलांतर में पूंजीवादी विचार धाराओं में भी अनियमितताएं देखने को मिलती हैं। जिसमें पूंजीवादी नीतियां श्रम एवं श्रमिकों का आर्थिक शोषण करते हुए पायीं जातीं हैं।
किसी भी व्यवस्था में इन दोनों विचार धाराओं की सहभागिता 50-50 % (प्रतिशत) होनी चाहिए। जबकि आधुनिक व्यवहार में पूंजीवाद, नैतिकता वाद पर हावी हो रहा है। और व्यवस्थाओं में भ्रष्टाचार की मानसिकता का विस्तार कर रहा है।
सबसे पहले हमें अपनी स्वंतत्र आंतरिक नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए। इसके पश्चात ही हम वैश्विक संस्थानों के माध्यम से विश्व में स्थायी शान्ति, सौहार्द स्थापित करने में सफल हो सकते हैं। और उन्नत सोच के साथ लोगों को अच्छा जीवन और उज्वल भविष्य दे सकते हैं।
युद्ध, शांति, संगठन और विघटन भी व्यवस्थागत क्रियाओं के हस्से हैं। जिन्हें प्रचलित लोकतंत्र में संख्याबल द्वारा निर्णायक माना जाता है।
छीना,झपटी, लूटपाट, करने के लिए युद्ध नहीं लड़े जाने चाहिए। मानवीय सभ्यता में इसे ही जंगल राज और अपराध की संज्ञा दी जाती है। किसी भी स्तर पर इस प्रकार की स्थितियों पर नियंत्रण होना अति आवश्यक है।
युद्ध सदैव नैतिकता और अनैतिकता के आधार पर लड़े जातें हैं। वैसे तो युद्ध किन्हीं भी समस्याओं के समाधान नहीं होतें हैं। बल्कि युद्ध अपने आप में स्वयं समस्या होते हैं।
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लेकिन जब भ्रष्ट मानसिकता एवं बुरे धन ( दुर्योधन ) का संग्रह अधिक हो जाता है। नैतिक मानवीय मूल्य बेबस एवं असहाय महसूस करने लगते हैं। सुधार करने के सभी विकल्प समाप्त हो जाते हैं। तब नये मानवीय स्वभाव का निर्माण करने के लिए युद्ध अंतिम विकल्प होता है। लेकिन दो नीतियों के मध्य में निर्दोष एवं शांतिपूर्ण जीवन जीने वाले लोग नहीं पिसने चाहिए।
Published by Bsnews
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