#हनुमानगढ़ी
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कनक भवन
श्री अयोध्या जी में ‘कनक भवन’ एवं ‘हनुमानगढ़ी’ के बीच में एक आश्रम है जिसे ‘बड़ी जगह’ अथवा ‘दशरथ महल’ के नाम से जाना जाता है। काफी पहले वहाँ एक सन्त रहा करते थे जिनका नाम था श्री रामप्रसाद जी। उस समय अयोध्या जी में इतनी भीड़ भाड़ नहीं होती थी। ज्यादा लोग नहीं आते थे। श्री रामप्रसाद जी ही उस समय बड़ी जगह के कर्ता धर्ता थे। वहाँ बड़ी जगह में मन्दिर है जिसमें पत्नियों सहित चारों भाई (श्री राम,…
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Afzal Ansari ka Bayaan Sanaatan Sanskrti ka Apamaan, Tatkaal Kiya jae Giraphtaar : Mahant Raju Das
अयोध्या। गांजे को लेकर विवादित टिप्पणी के बाद यूपी के गाजीपुर से सपा सांसद अफजाल अंसारी के खिलाफ रविवार को बीएनएस की धारा 353(3) के तहत मामला दर्ज किया गया। वहीं, हनुमानगढ़ी के महंत राज��� दास ने कहा कि, सपा सांसद अफजल अंसारी द्वारा संतों का अपमान सनातन संस्कृति का अपमान है। कुंभ मेले पर उनका बयान निंदनीय है। उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
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अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर और हनुमान जी के लाइव दर्शन!
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Astrobhoomi- Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं।
Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं। Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं। दिसंबर 01, 2023 Historical History
Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त���र भी यही कहते हैं।
Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं। राम मंदिर इमेजेस। Historical History MNG Image source: social media
Happy New Year 2024 Wishes: आपको बता दें कि शास्त्रों में भी कहा गया कि भगवान के दर्शन से अगर किसी भी शुभ काम की शुरुआत की जाए तो हर काम बन जाता है। जिससे तरक्की और खुशहाली आती है। नए वर्ष की शुरुआत मंदिर में दर्शन के साथ करना ही चाहिए।
Happy New Year 2024 Wishes: नया वर्ष नई उम्मीद और सकारात्मक ऊर्जा के साथ आता है। हमारी कामना है की आने वाला साल 2024 जीवन में खुशियां और समृद्धि लेकर आए। बता दें कि इस कामना से बड़ी संख्या में लोग नए साल की शुरुआत मंदिर में भगवान के दर्शन के साथ शुरू करते हैं। शास्त्रों में भी कहा गया है कि भगवान के दर्शन से अगर किसी शुभ काम की शुरुआत की जाए तो बिगड़ा हर काम बन जाता है। इससे तरक्की और खुशहाली का भी आगमन होता है। अगर आप भी नए साल (New Year 2024) में खास मंदिरों के दर्शन कर आर्शीवाद लेना चाहते हैं तो इन 7 मंदिरों में दर्शन कर साल की शुरुआत करें…
माता वैष्णो देवी मंदिर (Mata Vaishno Devi Temple)
Happy New Year 2024 Wishes: नए साल की शुरुआत आप माता वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन से कर सकते हैं। बता दें कि इस दिन बड़ी संख्या में लोग माता के दर्शन करने जाते हैं। इसकी बुकिंग पहले से ही चलती रहती है। माना जाता है कि माता वैष्णो देवी के दर्शन से ही हर मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और अपने भक्तो को हमेशा खुश हाल रखती हैं।
Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं। माता वैष्णो देवी मंदिर इमेजेस। Historical History MNG Image source: social media
ये भी पढ़ें: माता वैष्णो देवी मंदिर (Mata Vaishno Devi Temple) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानें।
सिद्धि विनायक मंदिर, मुंबई
Happy New Year 2024 Wishes: बता दें कि मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर दुनियाभर में फेमस है। यहां हर समय भक्तों का आना जाना लगा रहता है। साल के पहले दिन यहां श्रद्धालुओं का मेला लगता है। मान्यता ये है कि बप्पा का दर्शन करने से भक्त खाली हाथ कभी नहीं जाते हैं। दर्शन मात्र से ही गणपति भक्त के बड़े - बड़े संकट दूर हो जाते हैं।
महाकाल मंदिर, उज्जैन
Happy New Year 2024 Wishes: बता दें कि महाकाल नगरी उज्जैन के राजाधिराज महाकाल हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से हर तरह के दुख संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशहाली आती है। देश-विदेश से लाखों की भीड़ में श्रद्धालु महाकाल के दर्शन करने जाते हैं। हर दिन मंदिर की भस्म आरती देखने लायक होता है। बाबा महाकाल के दर्शन से खुशहाली और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
Happy New Year 2024 Wishes: बता दें कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर का दर्शन कर नववर्ष की शुरुआत बेहद खास हो सकती है। बाबा भोलेनाथ की त्रिशूल पर बसी काशी में स्विम महादेव निवास करते हैं। यहां की गंगा आरती दुनिया की कोने - कोने में मशहूर है। बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने नए साल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
बांके बिहारी मंदिर, मथुरा
Happy New Year 2024 Wishes: श्रीकृष्ण जन्मभूमि ,जन्मस्थली मथुरा में बांकेबिहारी ��ा मंदिर है। नए साल की खुशियां को सेलिब्रेट करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और बांके बिहारी का आर्शीवाद प्राप्त करते हैं। यहां आने से ही उनकी हर तकलीफ दुख समाप्त हो जाती है और कान्हा उनकी कामनाएं भी पूरी करते हैं। यहां आने वाला हर व्यक्ति श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाता है।
श्रीराम जन्मभूमि, अयोध्या
Happy New Year 2024 Wishes: आपको बता दें कि अयोध्या जाकर आप श्रीराम जन्मभूमि के दर्शन के साथ नए साल की शुरुआत कर सकते हैं। ये एक बहुत ही बड़ा आवास मिला है। बता दें कि प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली सरयू नदी के किनारे है। प्रभु राम की स्थली सुबह औऱ शाम में बेहद खास होती है। यहां आकर आप हनुमानगढ़ी के दर्शन भी कर आर्शीवाद भी प्राप्त कर सकते हैं।
Happy New Year 2024 Wishes: नए वर्ष कि शुरुआत भगवान के दर्शन से शुरू करें, शास्त्र भी यही कहते हैं। राम मंदिर इमेजेस। Historical History MNG Image source: social media
तिरुपति बालाजी, आंध्र प्रदेश
Happy New Year 2024 Wishes: बता दें कि आंध्र प्रदेश में तिरुमला तिरुपति बालाजी का मंदिर दुनिया भर में काफी मशहूर है। देश - विदेश से यहां श्रद्धालु आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। मंदिर में भगवान विष्णु Venkateswara अवतार में विराजमान हैं। यहां बड़ी संख्या में भक्त का मेला होता हैं। म��न्यता है कि मंदिर में बालाजी भगवान के दर्शन से ही सारी मनोकामनाएं और कष्ट दूर हो जाते हैं।
ये भी पढ़ें: तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानें।
अगर संभव हो तो आप इन 7 मंदिरों में से किसी एक के दर्शन करने से आपका नव वर्ष की शुरुआत भगवान के आर्शीवाद से होगा जो कि आपके जीवन में सुख - समृद्धि और खुशहाली भर देगी। मैं अपनी तरफ से नव वर्ष की शुभकामनाए देता हू। New Year 2024: नया साल सभी के जीवन में खुशियां लेकर आता है। ऐसे में लोगों को इसका बेसब्री से इंतजार है। नए साल के शुभ अवसर पर कुछ लोग खरीदारी करते हैं तो कुछ घूमने की योजना बनाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन कुछ विशेष कार्य करने से पूरे साल सुख-समृद्धि बनी रहती हैं। इस दौरान मोर का पंख खरीदना बेहद शुभ होता है। इसलिए लोग नए साल के शुभ अवसर पर इसे घर लाते हैं। साथ ही घर में पूजा पाठ का आयोजन भी किया जाता है।
इस दौरान कुछ लोग अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए योजनाएं भी बनाते हैं तो कुछ अपने अधूरे काम को पूरा करने का प्रण लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ काम ऐसे भी होते हैं जिनको नए साल पर करने से पूरे साल परेशानियां झेलन…
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बाबरी, भगवा और कोठारी भाइयों पर पुलिस की गोली... अयोध्या में उस दिन क्या हुआ था, पढ़िए पूरी कहानी
अयोध्या: 2 नवंबर की तारीख थी आज से 33 साल पहले 1990 की। उस समय राम मंदिर का आंदोलन चरम पर था। देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में कारसेवक सरकारी बाधाओं को तोड़ते हुए अयोध्या की सीमा में घुस चुके थे। युवा स्टूडेंट्स, स्वयंसेवक महिलाएं और लड़कियां सभी ने अयोध्या पहुंचने की ठान ली थी। मंदिर आंदोलन के नायक अशोक सिंघल के आह्वान पर लाखों कारसेवकों का जमावड़ा अयोध्या में हो चुका था। सभी पर गिरफ्तारी की भी तलवार लटक रही थी। उस समय सरकार थी समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव की। सुबह का प्लान था विवादित राम मंदिर में पहुंच कर कारसेवा करने का। अशोक सिंघल उमा भारती ऋतंभरा विनय कटियार सहित विहिप से जुड़े संतों की जमात अयोध्या में मौजूद थी। सुबह का समय था जब कारसेवकों के जत्थे मंदिरों और अपनी-अपनी शरण स्थली से निकलकर सड़क पर पहुंचने ��गे। सरयू तट से कारसेवकों का हुजूम हनुमानगढ़ी की ओर चल पड़ा। अशोक सिंघल संतों के साथ जत्थे का नेतृत्व कर रहे थे। अयोध्या कोतवाली से जब कारसेवक आगे बढ़े तो पुलिस सरगर्मी बढ़ गई। सुरक्षा में लगे कांस्टेबलों के डंडे फटकने लगे और बंदूके तन गई। पुलिस अधिकारियों ने माइक से आगे न बढ़ने की चेतावनी दी पर कारसेवक कहां सुनने वाले। वे आगे बढ़ने लगे। जैसे ही मुख्य मार्ग से हनुमानगढ़ी की ओर मुड़ने की कोशिश की, पुलिस फायरिंग शुरू हो गई। कारसेवकों को गोलियां लगती, उन्हें साथी कारसेवक उठाकर ले जाते। यह सिलसिला कुछ देर तक चलता रहा। इस बीच दिगंबर अखाड़ा को जोड़ने वाले रास्ते पर भी फायरिंग शुरू हो गई। सभी कारसेवक निहत्थे थे। उन्हीं में कोठारी बंधु भी थे जिनको पुलिस की गोलियां लगी और उनकी मौत हो गई। उस समय आंदोलन का संचालन दिगंबर अखाड़ा मणिराम छावनी व कारसेवक पुरम से हो रहा था। 30 अक्टूबर 1990 की घटना 2 नवंबर को भी दोहराई गई जिसमें कई कारसेवक मारे गए। लेकिन कारसेवकों ने मुलायम सरकार को जवाब दे दिया था। वे अंततः विवादित ढांचे तक पहुंच कर उस पर तोड़फोड़ भी करने में कामयाब हो गए थे। 200 किमी पैदल चल पहुंचे थे अयोध्या मुलायम सरकार का दावा कि विवादित ढांचे पर परिंदा भी पर नहीं सका जिसको कारसेवकों ने खारिज कर दिया लेकिन कई कारसेवकों की जान गंवा कर। राजकुमार कोठरी (23) और शरद कोठारी (20) दोनों भाई कलकत्ता में संघ से जुड़े हुए थे। वे आरएसएस की शाखाओं में शामिल होते थे और द्वितीय वर्ष तक प्रशिक्षित थे। कारसेवा की घोषणा पर वे अयोध्या आने की जिद अपने पिता हीरालाल कोठारी से करने लगे। उनकी बहन की शादी दिसंबर 1990 में तय थी। बहन की शादी में लौटने का वादा करके वे ट्रेन से चल पड़े, लेकिन वाराणसी में ट्रेन सेवा बंद कर दी गई थी। रास्ते भी अयोध्या के बंद कर दिए गए थे। वे किसी तरह से टैक्सी से आजमगढ़ तक पहुंच गए। उसके बाद करीब दो सौ किलोमीटर पैदल चलकर 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या पहुंच गए। बहन की शादी में नहीं पहुंच पाए पर इतिहास में नाम दर्ज आंदोलन का पहला चरण 30 अक्टूबर से शुरू हुआ था। दोनों भाई जुनूनी आवेग में विवादित ढांचे के गुंबदों तक पहुंच गए और भगवा फहरा कर मुलायम सिंह यादव सरकार की चुनौती की हवा निकाल दी। हालांकि उन्हें इस दौरान पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ी। अगले चरण में 2 नवंबर को दोनों भाई बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष विनय कटियार की अगुवाई में फिर सड़क पर निकले। इस दौरान पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी तो पीछे हटक�� दोनों भाई एक मकान में छिप गए। कहते हैं कि एक पुलिस अधिकारी ने शरद कोठारी को घर से पकड़ लिया और सड़क पर खड़ाकर गोली मारी दिया। जब बचाने के बड़ा भाई राजकुमार दौड़ कर सड़क पर आया तो उसे भी गोली मारी दी गई। 4 नवंबर को सरयू तट पर दोनों के अंतिम संस्कार करते समय कारसेवकों का बड़ा हुजूम जमा हुआ था। मुलायम सिंह यादव के खिलाफ नारेबाजी भी हुई थी। दोनों कोठारी बंधु अपनी बहन पूर्णिमा की शादी में नहीं पहुंच सके लेकिन मंदिर आंदोलन के इतिहास में उनका नाम दर्ज हो गया। उनकी बहन पूर्णिमा कोठारी जब भी अयोध्या आती हैं तो अपने भाई के बलिदान की यह कहानी दोहराती हैं। http://dlvr.it/SyH60h
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हनुमानगढ़ी मंदिर में बड़ी वारदात, पुजारी की गला रेतकर हत्या; इलाके में मचा हड़कंप
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Jharkhand student suicide - झारखंड में छात्रा ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में स्कूल की शिक्षिका और प्रिंसिपल को बताया जिम्मेदार, पुलिस जांच में जुटी
धनबाद : धनबाद के तेतुल��ारी थाना अंतर्गत जीरोसीम हनुमानगढ़ी कॉलोनी निवासी स्व. कोलकर्मी विजय बाउरी की 17 वर्षीय पुत्री उषा कुमारी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमा��्टम के लिए भेज दिया है. जांच के लिए पहुंची पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट मिला है. जिसमें उषा ने अपने स्कूल धनबाद सेंट जेवियर्स तेतुलमारी के प्राचार्य और एक शिक्षिका पर मानसिक प्रताड़ना की बात कही…
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भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद अविनाश राय खन्ना ने आज अयोध्या पहुँचे
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद अविनाश राय खन्ना ने आज अयोध्या पहुँचे
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद अविनाश राय खन्ना ने आज अयोध्या पहुँचे। यहां पर पहुंचकर उन्होंने सबसे पहले रामलला व हनुमानगढ़ी का दर्शन पूजन किया। फिर उसके बाद चल रहे निर्माणाधीन कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन, निर्माणाधीन श्री राम एयरपोर्ट एवं गुप्तार घाट का निरीक्षण भी किया। उसके बाद गुप्तार घाट पर माता सरयू के जल से आचमन किया।निरीक्षण करने के बाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना ने धर्म परिवर्तन को लेकर कहा कि धर्म परिवर्तन के लिए सरकारें हमारी कानून भी बना रही है लेकिन जनता से अपील करूंगा संविधान सबको एक हक देता है जबरदस्ती करने का किसी को हक नहीं है।वही 9 और 10 जून को नैमिषारण्य में आयोजित सपा के दो दिवसीय सॉफ्ट धर्म कार्यशाला पर बोले अविनाश राय खन्ना उन्होंने कहा उनको धर्म ��ाद आया अच्छी बात है, यह अयोध्या वासियों के लोगों की ताकत है जो लोग धर्म को पाप समझते थे जो धर्म को लोग अछूत समझते थे आज वह भी धर्म संसद कर रहे हैं इसका मतलब है लोगों में जागृति आई है, अब वोट बैंक के लिए कर रहे हैं या सच के लिए कर रहे हैं यह तो उनकी इंटेंशन बताएगी जो उनकी नीति होगी उस हिसाब से उनको परिणाम भी मिलेगा।उन्होंने कहा कि अयोध्या में एयरपोर्ट निर्माणाधीन है एयर स्ट्रिप बन चुकी है, 300 लोगों को हैंडल करने की क्षमता है, यहां पर पैसेंजर के लिए लगेज बेल्ट भी होगी, तीन द्वार बनाए जा रहे हैं एक आने के लिए एक जाने के लिए एक स्टाफ के लिए अलग होगा, इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की योजना भी साथ-साथ चल रही है, दूसरे फेज में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन जाएगा, राम के जीवन से संबंधित प्रदर्शनी भी एयरपोर्ट पर दिखाई जाएगी, गुप्तार घाट का भी निरीक्षण किया है बताया गया है कि गुप्तार घाट से क्रूज़ का संचालन भी किया जाएगा, गुप्तारघाट पर प्रधानमंत्री सुनिधि स्वरोजगार योजना के तहत लोन लेकर लोगों ने व्यापार शुरू किया है, 10 हजार रुपए का लोन लिया वापस किया फिर उन्हें 20 हजार रुपए का लोन दिया गया, अयोध्या एक टूरिज्म को बढ़ावा देने का सेंटर बना है।
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नैनीताल तो बहुत सुना होगा आपने लेकिन क्या आप जानते हैं नैनीताल का इतिहास।
नैनीताल राज्य का ही नहीं बल्कि देश और दुनिया का पसंदीदा टूरिस्ट प्लेस है। यहां का मौसम गर्मियों में सैलानियों को सबसे ज्यादा भाता है। नैनीताल की खूबसूरती और ठंडी आबोहवा की वजह से सैलानी यहां खींचे चले आते हैं। यह हनीमून के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन प्लेस है। एक दौर में नैनीताल के आसपास 60 से अधिक झीलें थी। इसीलिए इसको 'षष्टिखात' प्रदेश या छखाता कहा जाता था। लेकिन अब कुछ झीलें अपना अस्तित्व खो चुकी हैं।
नैनीताल का इतिहास
नैनीताल नैनीताल का इतिहास बहुत ही रोचक रहा है। कहा जाता है कि साल 1841 में अंग्रेज व्यापारी पीटर बैरन ने नैनीताल को खोजा था। हालांकि इससे पहले वर्ष 1823 में तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर विलियम ट्रेल यहां आए थे। लेकिन ट्रेल ने इसकी जानकारी किसी को नहीं दी ताकि इसकी खूबसूरती को ग्रहण ना लगे। लेकिन 1841 में पीटर बैरन ने इस खूबसूरत शहर को दुनिया के सामने रखा। तब से इस शहर की खोज का श्रेय पीटर बैरन को दिया जाता है। कहते हैं जब पीटर बैरन यहां पहुंचे तो उस समय नैनीताल का पूरा स्वामित्व नरसिंह थोकदार के पास था। पीटर बैरन ने नरसिंह थोकदार को झील के बीचो-बीच ले जाकर डराया धमकाया और इस शहर को अपने नाम कर लिया। वर्ष 1842 के बाद अंग्रेजों ने न सिर्फ नैनीताल को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया बल्कि इसे छोटे विलायत का दर्जा भी दिया।
नैनीताल में भूकंप व भूस्खलन
नैनीताल नैनीताल में लोगों की बसावट के कुछ सालों बाद ही वर्ष 1867 में भूकंप आया था लेकिन इसमें कोई हताहत नहीं हुआ। इसके बाद साल 1880 में यहां पर भूस्खलन हुआ जिसमें 151 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। यह भूस्खलन इतना खतरनाक था कि नैनीताल का एक बड़ा हिस्स��� झील में समा गया। हालांकि, इसके बाद अंग्रेजों ने इस शहर को सुरक्षित रखने के लिये 64 छोटे-बड़े नालों का निर्माण करवाया। लेकिन वक्त के साथ ये पूरा शहर कंक्रीट के जंगल में बदल गया। अब अतिक्रमण से इस शहर के अस्तित्व पर फिर खतरा मंडरा रहा है। इतिहासकार अजय रावत बताते हैं कि इस शहर को बचाने के लिये इन नालों का महत्वपूर्ण योगदान है जिनको नैनीताल की धमनियां कहा जाता है।
नैनीताल का धार्मिक महत्व
नैना देवी मंदिर- नैनीताल ऐसा नहीं है कि पीटर बैरन की खोज से पहले नैनीताल का अस्तित्व ही नहीं था। साल 1841 में ये शहर जरुर दुनियां के नजरों में आया लेकिन इससे पहले इस स्थान को पवित्र भूमि माना जाता था। इसका उल्लेख स्कंद पुराण के मानस खंड़ में मिलता है। मानस खंड में इस स्थान को त्रि-ऋषि सरोवर कहा गया है। कहा जाता है कि इस स्थान पर तीन ऋषि- अत्रि, पुलत्स्य और पुलह ने तपस्या की थी। कहा जाता है कि यहां पर पानी का अभाव था तो तीनों ऋषियों ने अपने-अपने त्रिशूलों से मानसरोवर का स्मरण कर धरती को खोदा। उनके इस प्रयास से तीन स्थानों पर जल धरती से फूट पडा और यहाँ पर ताल का निर्माण हो गया। इसलिए कुछ विद्वान इस ताल को ‘त्रि-ऋषि सरोवर’ के नाम से पुकारा जाना श्रेयस्कर समझते हैं। नैनीताल झील के किनारे बसी नयना मां का मंदिर भी लोगों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। 64 शक्तिपीठों में शामिल इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती का अधजला शव लेकर आकाश मार्ग से जा रहे थे तो इस दौरान मां सती की आंख यहां गिरी थी। तभी यहां नयना देवी की स्थापना की गयी और शहर का नाम भी नैनीताल रखा गया।
नैनीताल में सैर-सपाटे की जगहें
नैनीताल नैनीताल में सैर सपाटे के लिये बहुत सारे स्थान हैं। माल रोड सैलानियों के घूमने के लिए अच्छी जगह है। वहीं, बस स्टैण्ड, तिब्बति बाजार और बड़ा बाजार में भी पर्यटकों की बहुत आवाजाही रहती है। इसके साथ ही नैनीताल में हिमालय दर्शन करने के अलावा आप पंगूट, किलबरी, खुर्पाताल, भीमताल, सडियाताल झरना, स्नोव्यूह, हनुमानगढ़ी और राजभवन में भी आसानी से घूम सकते हैं। नैनीताल से अगर बाहर जाना है तो श्यामखेत टी गार्ड़न, कार्बेट नेशनल पार्क, रामगढ़, मुक्तेश्वर, घोड़ाखाल गोल्ज्यू मंदिर, कैंची धाम मन्दिर और काकडीघाट जैसे पर्यटन स्थल हैं। Read the full article
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नव दिवसीय श्रीराम महायज्ञ का किया गया शुभारंभ। गाजे-बाजे के साथ निकाला गया कलश यात्रा।
नव दिवसीय श्रीराम महायज्ञ का किया गया शुभारंभ। गाजे-बाजे के साथ निकाला गया कलश यात्रा। भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री वैभव सिंह हुए शामिल राज कुमार विश्वकर्मा छपिया/ गोण्डा विकासखंड बभनजोत के ग्राम पंचायत हथियागढ़ के हनुमानगढ़ी कोटिया धाम मंदिर प्रांगण में कलश यात्रा के साथ नौ दिवसीय श्रीराम महायज्ञ शुभारंभ गाजे-बाजे व हाथी घोड़ों से सजी हुई पालकी के साथ किया गया। कलश यात्रा में भाजपा…
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी आज कैबिनेट के साथ करेंगे रामलला के दर्शन
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंगलवार को अपनी पूरी कैबिनेट के साथ रामलला के दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए अयोध्या जाएंगे। वह अपने कैबिनेट के साथ हनुमान गड़ी और रामलला के दर्शन करेंगे। साथ ही पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना करेंगे। यह जानकारी सोमवार को ��ुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई। मुख्यमंत्री धामी 20 फरवरी को दिन के लगभग 11:15 बजे अयोध्या धाम की हनुमानगढ़ी पहुंचेंगे, जहां दर्शन व पूजन करने के बाद रामलला के दर्शन-पूजन करेंगे।
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महंत राजू दास बोले :रामचरित मानस पर अभद्र टिप्पणी समाज को तोड़ने की साजिश - Mahant Raju Das: Indecent Remarks On Ramcharit Manas A Conspiracy To Break Society
अयोध्या के महंत राजू दास – फोटो : सोशल मीडिया विस्तार अयोध्या स्थित सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने मंगलवार को कहा कि रामचरित मानस पर अभद्र टिप्पणी करने वाले समाज को तोड़ना का क��चक्र कर रहे हैं। इनसे सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने हिंदू समाज के बढ़ते वैभव और श्रेष्ठ भारत के उदय का गौरवगान भी किया। यह बातें उन्होंने एनसीजेडसीसी में लोक पहल और राजकीय पांडुलिपि विभाग की ओर से संयुक्त…
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श्रीअयोध्या जी के हनुमानगढ़ी के श्रद्धेय महंत कल्याणदास जी महाराज से आद्यात्मिक भेंट के दौरान प्रभु श्रीराम जी के सर्वश्रेष्ठ भक्त महाबली महावीर हनुमान जी सरकार का प्रसाद ग्रहण किया। प्रसाद की आलौकिक अद्भुत उर्जा का प्रवाह रक्तसंचार में अनुभूत हुआ। जयश्रीराम!
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हनुमानगढ़ी के पुजारी महंत राजूदास ने पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को पागल कुत्ता करार दिया
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*🚩श्री हनुमान जी महाराज की 22 दिसम्बर 2022 वृहस्पतिवार प्रातःकाल मंगला श्रृंगार आरती दर्शन, श्री हनुमानगढ़ी अयोध्या (उ0प्र0)🚩* *🙏🏻जय बजरंगबली🙏🏻* (at श्री हनुमानगढ़ी मंदिर श्रीधाम अयोध्या) https://www.instagram.com/p/Cmdh8XHrONC/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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Ram Mandir Bhumi Pujan: वास्तु में भवन निर्माण से पहले क्यों किया जाता है भूमि पूजन, जानिए भूमि वंदना से जुड़े अनेक रहस्य
Ram Mandir Bhumi Pujan: वास्तु में भवन निर्माण से पहले क्यों किया जाता है भूमि पूजन, जानिए भूमि वंदना से जुड़े अनेक रहस्य
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Ayodhya Ram Mandir Bhoomi Pujan Updates: आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। बचपन से ही हम अपने घरों में देखते आए हैं कि हमारे बड़े-बुजुर्ग सुबह सोकर उठते ही सबसे पहले भूमि को छूकर प्रणाम करते…
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