#स्पैम संदेश अवरुद्ध करना
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jaksnews · 4 years ago
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अपने स्मार्टफोन पर स्पैम मैसेज को कैसे ब्लॉक करें
अपने स्मार्टफोन पर स्पैम मैसेज को कैसे ब्लॉक करें
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द्वारा: टेक डेस्क | नई दिल्ली | प्रकाशित: 23 अगस्त, 2020 9:05:45 बजे
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स्पैम संदेशों में मैलवेयर हो सकता है (स्रोत: Getty / Thinkstock)
स्पैम पाठ संदेश हमेशा कष्टप्रद होते हैं। ये टेक्स्ट मैसेज आपके स्मार्टफोन के नोटिफिकेशन बार को हग करते हैं, बैटरी को तेजी से निकालते हैं, स्पेस लेते हैं और ऐप में मौजूद महत्वपूर्ण मैसेज को नीचे धकेल देते…
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vijaysangharsha-blog · 6 years ago
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डिजिटल बैंक फ्रॉड से बचें ! नोटबंदी के बाद से जिस तरीके से सरकार ने ऑनलाइन पेमेंट को बढ़ावा दिया कई ऑनलाइन पेमेंट वेबसाइट आक्रामक तरीके से बाजार में आए, उसने ऑनलाइन और खासकर मोबाइल द्वारा फ्रॉड होने के खतरे के रेंज को बढ़ा दिया। अब चूंकि ऑनलाइन पेमेंट क�� आकार बढ़ रहा है, वैसे इसके खतरे भी बढ़ रहे हैं। अभी हाल में एनीडेस्क मोबाइल ऐप का एक नया खतरा सामने आया, जिसके लिए आरबीआई ने एडवाइजरी तक जारी की। एनीडेस्क ऐप की धोखाधड़ी में धोखेबाज इसे बैंक से कॉल के साथ शुरू करते हैं। जालसाज आपका ध्यान खींचने के लिए बैंक प्रतिनिधि के रूप में फोन करेंगे। आपको आरबीआई के अनुसार एनीडेस्क ऐप डाउनलोड करने के लिए कहेंगे। इस कॉल को सच्चा दिखाने के लिए ये आपका विवरण जैसे नाम, जन्म तिथि और मोबाइल नंबर भी खुद ही बताएंगे और ये आमतौर पर यह कहकर भ्रम में डालने की कोशिश करेंगे कि आपका कार्ड अवरुद्ध हो जाएगा। जब आप इसे डाउनलोड करेंगे तो यह किसी भी अन्य ऐप की तरह प्राइवेसी परमिशन मांगेगा। एक बार जब आप एप्लिकेशन को सभी अनुमतियां दे देते हैं तो ऐप आपके डिवाइस का पूरा नियंत्रण आपकी जानकारी के बिना ले लेता है। इसके बाद यह ९ अंकों का ऐप कोड मांगेगा, जो आपके के फोन पर जनरेट होता है और एक बार ९ अंकों का कोड मिल जाने के बाद वह आपको डिवाइस से अनुमति देने के लिए कहेगा। इसके बाद उसे आपके जानकारी के बिना दूर से आपके डिवाइस तक पूरी पहुंच और नियंत्रण प्राप्त हो जाती है। ध्यान देनेवाली बात यह है कि एनीडेस्क ही एकमात्र ऐसा ऐप नहीं है। ऐसे बहुत सारे रिमोट डिवाइस कंट्रोल ऐप हैं जो ऐसा करते हैं। खतरे को भांपते हुए आरबीआई ने लोगों को अपने स्मार्टफोन पर एनीडेस्क ऐप डाउनलोड करने से आगाह करते हुए कहा है कि यह आपके बैंक खातों से पैसा साफ कर सकता है। इसलिए आपको सिर्फ यही नहीं इसके जैसी अन्य रिमोट डिवाइस कंट्रोल ऐप्स और नए प्रकार के बैंकिंग धोखाधड़ी के बारे में जानने की जरूरत है। आरबीआई ने बाजार में उभरते एक नए डिजिटल बैंकिंग धोखाधड़ी के लिए भी बैंकों को चेतावनी जारी की है, जिसमें यूपीआई का उपयोग कर ग्राहक के खाते से बैंक पैसा निकाल लिया जा रहा है। आज इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड एक धोखाधड़ी है, जो ऑनलाइन तकनीक का उपयोग करके अवैध रूप से बैंक खाते से पैसे निकालने और या किसी अन्य बैंक में खाते में धन हस्तांतरित करने के लिए किया जाता है। इंटरनेट बैंकिंग प्रâॉड एक तरह से आपके पहचान की चोरी का ही एक प्रकार है और इसे आमतौर पर फिशिंग जैसी तकनीकों के माध्यम से संभव बनाया जाता है। आज इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग बैलेंस चेक, बिल भुगतान, हस्तांतरण, प्रिंट स्टेटमेंट आदि के लिए किया जाता है। आमतौर पर उपयोगकर्ता की पहचान ग्राहक की पहचान संख्या होती है और लेन-देन को करने के लिए पासवर्ड प्रदान किया जाता है। कुछ अज्ञानता या गलतियों के कारण कई बार आप आसानी से साइबर अपराधियों के जाल में फंस सकते हैं। हालांकि ऐसे साइबर अपराधियों के जाल से बचने के लिए यहां कुछ सरल उपाय दिए गए हैं। आप असुरक्षित वाई-फाई सिस्टम पर ऑनलाइन बैंकिंग से बचें और घर पर केवल पीसी से ही काम करें। अपना पासवर्ड कभी भी किसी को न बताएं। इसे कागज के टुकड़े पर डायरी पर भी न लिखें। बस इसे याद रखें। यह अल्फान्यूमेरिक होना चाहिए और इसे अक्सर बदलते रहना चाहिए। खाते या व्यक्तिगत विवरण के बारे में ऑनलाइन बैंक से पूछे गए सवालों का जवाब कभी न दें। व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजनिक कंप्यूटर या ईमेल में भी न रखें। इसके अलावा, आसान-से-अनुमानित पासवर्ड से बचें। यदि आपके पास कई बैंक खाते हैं तो सभी के लिए एक ही ऑनलाइन बैंकिंग पासवर्ड का उपयोग न करें। कभी भी ब्राउजर पर उस विकल्प का चयन न करें जो उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड को संग्रहित या बरकरार रखता है। इसके अलावा अपना पासवर्ड कभी भी पेस्ट न करें, इसे हमेशा टाइप करें। कई बार ऐसे प्रâॉड में धोखेबाजों द्वारा किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत विवरण के लिए खुद को बैंकर के रूप में प्रस्तुत करते हैं और इसके लिए बैंक के डुप्लीकेट साइट का प्रयोग करते हैं। वे डेटाबेस अपग्रेडेशन के बहाने आपके खाते के बारे में सभी व्यक्तिगत जानकारी बैंक क�� प्रदान करने के लिए कहते हैं, जिससे वो आपका नंबर और पासवर्ड प्राप्त कर लेते हैं और फिर इसका उपयोग आपकी जानकारी के बिना लेन-देन करने के लिए करते हैं। फिशिंग के तरीकों में लोगों के ऑनलाइन बैंकिंग विवरण तक पहुंच प्राप्त करने के लिए धोखेबाज स्पैम का भी प्रयोग करते हैं। आमतौर पर एक फिशिंग ईमेल आपसे आपके व्यक्तिगत बैंक खाते के विवरण को अपडेट करने के नाम पर मेल पर भेजे एक लिंक को खोलने के लिए कहता है। यदि लिंक को गलती से खोल दिया तो आप अनजाने में अपने बैंकिंग लॉगिन विवरण को उसे हासिल करने देते हैं जो वह खुद या तो यूज करता है या तीसरे पक्ष को बांट देता है। दरअसल स्पैम एक इलेक्ट्रॉनिक ‘जंक मेल’ या आपके ईमेल खाते या मोबाइल फोन पर भेजे जानेवाले अवांछित संदेश हैं। ये संदेश अलग-अलग तरह के हो सकते हैं लेकिन ये समान रूप से पैसे या कॉमर्स से ही संबंधित होते हैं और कई बार आते हैं। वे आपको एक उत्पाद या सेवा खरीदने के लिए राजी करने की कोशिश कर सकते हैं या एक वेबसाइट पर जा सकते हैं, जहां आप खरीदारी कर सकते हैं या वे आपके बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड विवरण को इस्तेमाल करने का प्रयास कर सकते हैं। कई बार यह लॉटरी की घोषणा के साथ आते हैं, जिसमें इनका इरादा लॉटरी पुरस्कार के खिलाफ शुल्क के रूप में पैसे चोरी करने के लिए होता है। ‘ट्रोजन हॉर्स’ भी आमतौर पर इसी तरह का स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर माना जाता है, जो गुप्त रूप से आपके कंप्यूटर पर इंस्टाल होता है और आपके अनुमति या जानकारी के बिना आपकी निजी एवं अन्य जानकारियां लेता है। इसका पता तब चलता है, जब आपके कंप्यूटर पर मैलवेयर आता है। ट्रोजन अक्सर किसी अज्ञात ई-मेल से लिंक या अटैचमेंट के रूप में आता है। इसके इंस्टाल होने के बाद जैसे ही कोई व्यक्ति ऑनलाइन बैंकिंग साइटों पर अपनी जानकारी डालता है, यह स्पाईवेयर उसकी जानकारी साइबर अपराधी को भेज देते हैं। सार्वजनिक कंप्यूटर का उपयोग करनेवाले लोग जैसे कि इंटरनेट वैâफे आदि जगहों पर अक्सर ऐसे मैलवेयर या स्पाइवेयर जैसे ट्रोजन के शिकार होते हैं क्योंकि यह वहां के कंप्यूटर में पहले से छिपे होते हैं। ऑनलाइन पेमेंट करते वक्त हमें हमेशा अपने बैंक की वेब साइट के यूआरएल को भी चेक करना चाहिए। कई जालसाज फर्जी वेबसाइट पर आपका आईडी और पासवर्ड मांगते हैं, जो आपके बैंक से मिलता-जुलता होता है। यदि आप बैंक के वास्तविक यूआरएल के अलावा कुछ भी देखते हैं तो सतर्क हो जाइए। कभी भी बिना निश्चित हुए कि आप सही वेबसाइट पर हैं आपको अपनी यूजर आईडी या पासवर्ड जैसी संवेदनशील जानकारी नहीं डालनी चाहिए। हमेशा अपने बैंक का वेब पता ब्राउजर एड्रेस स्पेस में टाइप करें। ईमेल में दिए गए लिंक पर कभी भी क्लिक न करें। वेबसाइट पर लेन-देन करते समय जानकारी भरने करने के बाद पीसी को अटेंडेंड न रखें।
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