#स्त्र��
Explore tagged Tumblr posts
profnarayanaraju · 1 year ago
Video
youtube
Modern Hindi Novels and women discourse || आधुनिक हिंदी उपन्यास और स्त्र...
0 notes
sparklysheepfest · 2 years ago
Text
Christmas
बाईबल में यूहन्ना ग्रन्थ (अध्याय १६ श्लोक ४ से १५) में प्रमाण है काल भक्ति युक्त भक्तों को नबी बनाकर भेजता है और उन्हीं भक्तों की कमाई से चमत्कार करवाता रहता है। जब उनकी कमाई खत्म हो जाती है। उनको मरने के लिए छोड देता है जैसे ईसा जी की मृत्यु हुई। लेकिन परमेश्वर भक्ति दृढ़ रखने के लिए ३ दिन बाद ईसा जी के स्त्र में प्रकट हुए। ताकि जब भक्ति युग आए तो सब सतभक्ति करें और साधक पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करें।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
भक्ति युक्त आत्माएं नबी बनकर आती हैं
Kabir Is God
Tumblr media
1 note · View note
jagmalsaini · 2 years ago
Text
#BibleFacts
जैसे ईसा जी की मृत्यु हुई। लेकिन परमेश्वर भक्ति दृढ़ रखने के लिए ३ दिन बाद ईसा जी के स्त्र में प्रकट हुए। ताकि जब भक्ति युग आए तो सब सतभक्ति करें और साधक पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करें।
Kabir Is God
Tumblr media
0 notes
rajeshkumarneeta · 2 years ago
Text
#BibleFacts
जैसे ईसा जी की मृत्यु हुई। लेकिन परमेश्वर भक्ति दृढ़ रखने के लिए ३ दिन बाद ईसा जी के स्त्र में प्रकट हुए। ताकि जब भक्ति युग आए तो सब सतभक्ति करें और साधक पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करें।
Kabir Is God
Tumblr media
0 notes
balkardas · 2 years ago
Text
#BibleFacts
जैसे ईसा जी की मृत्यु हुई। लेकिन परमेश्वर भक्ति दृढ़ रखने के लिए ३ दिन बाद ईसा जी के स्त्र में प्रकट हुए। ताकि जब भक्ति युग आए तो सब सतभक्ति करें और साधक पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करें।
Kabir Is God
Tumblr media
0 notes
burningloverharmony · 2 years ago
Text
#BibleFacts
जैसे ईसा जी की मृत्यु हुई। लेकिन परमेश्वर भक्ति दृढ़ रखने के लिए ३ दिन बाद ईसा जी के स्त्र में प्रकट हुए। ताकि जब भक्ति युग आए तो सब सतभक्ति करें और साधक पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करें।
Kabir Is God
Tumblr media Tumblr media
0 notes
newsonlineblognepali · 4 years ago
Text
१० वर्ष ज’न’यु’द्ध ल’डेका प्र’चण्ड सर्बोच्चले ग’रेको फैसला सु’नेर रो ए’को भिडियो विश्वभर भाइरल, प्रचण्ड भन्छन फेरि टा’उकैमै हा न्यो..(हेर्नुस पूरा भिडियो)
१० वर्ष ज’न’यु’द्ध ल’डेका प्र’चण्ड सर्बोच्चले ग’रेको फैसला सु’नेर रो ए’को भिडियो विश्वभर भाइरल, प्रचण्ड भन्छन फेरि टा’उकैमै हा न्यो..(हेर्नुस पूरा भिडियो)
१० वर्ष ज’न’यु’द्ध ल’डेका प्र’चण्ड सर्बोच्चले ग’रेको फैसला सु’नेर रो ए’को भिडियो विश्वभर भाइरल, प्रचण्ड भन्छन फेरि टा’उकैमै हा न्यो..(हेर्नुस पूरा भिडियो) —Read More— प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओलीलाई हराउन सक्ने एउटा बलियो अ स्त्र विफल भएपछि माओवादी केन्द्रका अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड निरास भएका छन् । ***** यो समाचार को पुरा भिडियो हेर्न यहाँ तल क्लिक गर्नुहोला ***** दाहालको पुनरवलोकन…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
dasmukesh · 5 years ago
Photo
Tumblr media
‘‘#पूजा_तथा_साधना_में_अंतर‘‘ प्रश्न :- काल ब्रह्म की पूजा करनी चाहिए या नहीं? गीता में प्रमाण दिखाऐं। उत्तरः- नहीं करनी चाहिए। पहले आप जी को पूजा तथा साधना का भेद बताते हैं। भक्ति अर्थात् पूजा :- जैसे हमारे को पता है कि पृथ्वी के अन्दर मीठा शीतल जल है। उसको प्राप्त कैसे किया जा सकता है? उसके लिए बोकी के द्वारा जमीन में सुराख किया जाता है, उस सुराख (ठवतम) में लोहे की पाईप डाली जाती है, फिर हैण्डपम्प (नल) की मशीन लगाई जाती है, तब वह शीतल जीवनदाता जल प्राप्त होता है। हमारा पूज्य जल है, उसको प्राप्त करने के लिए प्रयोग किए उपकरण तथा प्रयत्न साधना जानें। यदि हम उपकरणों की पूजा में लगे रहे तो जल प्राप्त नहीं कर सकते, उपकरणों द्वारा पूज्य वस्तु प्राप्त होती है। अन्य उदाहरण :- जैसे पतिव्रता स्त्र परिवार के सर्व सदस्यों का सत्कार करती है, सास-ससुर का माता-पिता के समान, ननंद का बड़ी-छोटी बहन के समान, जेठ-देवर का बड़े-छोटे भाई के समान, जेठानी-देवरानी का बड़ी-छोटी बहनों के समान, परंतु वह पूजा अपने पति की करती है। जब वे अलग होते हैं तो अपने हिस्से की सर्व वस्तुऐं उठाकर अपने पति वाले मकान में ले जाती है। अन्य उदाहरण :- जैसे हमारी इच्छा आम खाने की होती है, हमारे लिए आम का फल पूज्य है। उसे प्राप्त करने के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है। धन संग्रह करने के लिए मजदूरी/नौकरी/खेती-बाड़ी करनी पड़ती है, तब आम का फल प्राप्त होता है। इसलिए आम पूज्य है तथा अन्य क्रिया साधना है। साध्य वस्तु को प्राप्त करने के लिए साधना करनी पड़ती है, साधना भिन्न है, पूजा अर्थात्भ क्ति भिन्न है। स्पष्ट हुआ। प्रश्न चल रहा है कि क्या ब्रह्म की पूजा करनी चाहिए। उत्तर में कहा है कि नहीं करनी चाहिए। अब श्रीमद् भगवत गीता में प्रमाण दिखाते हैं। गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 में तो गीता ज्ञान दाता ने बता दिया कि तीनों गुणों (रजगुण श्री ब्रह्मा जी, सतगुण श्री विष्णु जी तथा तमगुण श्री शिव जी) की भक्ति व्यर्थ है। फिर गीता अध्याय 7 के श्लोक 16,17,18 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म ने अपनी भक्ति से होने वाली गति अर्थात् मोक्ष को “अनुत्तम” अर्थात् घटिया बताया है। बताया है कि मेरी भक्ति चार प्रकार के व्यक्ति करते हैं। 1. अर्थार्थी :- धन लाभ के लिए वेदों अनुसार अनुष्��ान करने वाले। 2. आर्त :- संकट निवारण के लिए वेदों अनुसार अनुष्ठान करने वाले। 3. जिज्ञासु :- परमात्मा के विषय में जानने के इच्छुक। (ज्ञान ग्रहण करके स्वयं वक्ता बन जाने वाले) इन तीनों प्रकार के ब्रह्म पुजारियों को व्यर्थ बताया है। 4. ज्ञानी :- ज्ञानी को पता चलता है कि https://www.instagram.com/p/B_OwBsgpzty/?igshid=14quferm6p986
0 notes
freestock123-blog · 6 years ago
Link
एशियाई बाजारों के नकारात्मक संकेत के परिणामस्वरूप भारतीय शेयर बेंचमार्क सूचकांक मंगलवार को कम होने लगे। सुबह 9.40 बजे, बीएसई सेंसेक्स 37...
0 notes
onlinekhabarapp · 8 years ago
Text
महिन्द्राको ‘चिन्ताहरुको एक्स्चेन्ज, निश्चिन्ततासँग’
१७ जेठ, काठमाडौं । महिन्द्रा टु-व्हीलर्स्को आधिकारिक वितरकको रुपमा महिन्द्रा बाइक तथा स्कुटरहरुको विक्री वितरण गर्दै आइरहेको अग्निमोटो इन्क प्रालिले “महिन्द्रा टू व्हीलर” एक्स्चेन्ज क्याम्प ल्याएको छ ।
जेष्ठ १६ देखि १८ गतेसम्म टेकु शोरुममा हुने उक्त क्याम्पमा ग्राहकहरुलाई “चिन्ताहरुको एक्स्चेन्ज, निश्चिन्ततासँग” गर्न भनि आव्हान गरिएको छ ।
एक्स्चेन्ज क्याम्पमा ग्राहकहरुका लागि कुनै पनि पुरानो बाइकवा स्कुटर ल्याई सबैभन्दा उत्कृष्ट मूल्यांकनका साथ नयाँ महिन्द्रा टू व्हीलर एक्स्चेन्ज गर्ने अवसर रहेको छ ।
साथै, एक्स्चेन्ज गरी ग्राहकहरुले “४०० प्रतिशत बोनस क्यासब्याक”नामक अफरको पनि लाभ उठाउन सक्नेछन् । जस अन्तर्गत महिन्द्रा टू व्हीलर खरिदकर्ताहरुका लागि ४०० प्रतिशतसम्म क्यासब्याक बोनस पाउने अवसर पनि रहेको छ ।
हरेक खरिदमा पाइने स्त्र\mयाच् कार्डमा पहिलो स्क्रयाचमा ग्राहकहरुले १ लाखसम्म पक्का जित्ने र दोश्रो स्क्रयाचमा उक्त रकमको ४०० प्रतिशत सम्मबोनस क्यास जित्ने अवसर रहेको छ ।
यो एक्स्चेन्ज क्याम्पले ग्राहकहरुका लागि महिन्द्रा टू व्हीलर खरिद गर्न थप उत्साह प्रदान गर्ने कम्पनीको विश्वास रहेको छ ।
0 notes
aliscience · 6 years ago
Text
पराग स्त्रीकेसर संकर्षण
पराग स्त्रीकेसर संकर्षण (Pollen Pistil Interaction)
परागकण की पहचान (Identification of pollen)
जब परागकण परागण के द्वारा वतिकाग्र पर पहुँच जाते है। तो परागकण व वतिकाग्र के रासायनिक घटकों के मध्य परस्पर क्रिया द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है, कि वतिकाग्र पर पहुँचने वाला परागकण ठीक उसी जाती का है। क्योंकि परागण के द्वारा गलत प्रकार के परागकण (दूसरी पादप जाति का) भी उसी वतिकाग्र पर आ जाते है।
स्त्र…
View On WordPress
0 notes
sparklysheepfest · 2 years ago
Text
बाईबल में यूहन्ना ग्रन्थ (अध्याय १६ श्लोक ४ से १५) में प्रमाण है काल भक्ति युक्त भक्तों को नबी बनाकर भेजता है और उन्हीं भक्तों की कमाई से चमत्कार करवाता रहता है। जब उनकी कमाई खत्म हो जाती है। उनको मरने के लिए छोड देता है जैसे ईसा जी की मृत्यु हुई। लेकिन परमेश्वर भक्ति दृढ़ रखने के लिए ३ दिन बाद ईसा जी के स्त्र में प्रकट हुए। ताकि जब भक्ति युग आए तो सब सतभक्ति करें और साधक पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करें।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
भक्ति युक्त आत्माएं नबी बनकर आती हैं
Tumblr media
1 note · View note
jodhpurnews24 · 6 years ago
Text
वीडियो: खेत में बकरी घुसी तो दलित महिला को निर्व#स्त्र कर जमकर पीटा, वीडियो में सब कुछ क़ैद
पिछले कुछ सालों में दलितों के खिलाफ होने वाले कई ममाले सामने आए है. केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से ही मना जाता है कि ऐसे मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है. बताया जाता है कि सरकार ऐसे लोगों को खुलेआम या फिर गुपचुप तरीकों से कथित तौर पर सर्मथन देती है. दलितों पर होने वाले अत्याचार का एक ऐसा ही मामला एक बार फिर से सामने आया है जहाँ एक दलित महिलाओं को मामूली से बात के लिए निशाना बनाया गया है.
मामूली बात पर की गई पिटाई
मामला महाराष्ट्र के अहमदनगर से सामने आया है जहां एक महिला और उसके पति के साथ मारपीट की गई. इतना ही नही दलित महिला को निर्वस्त्र करके पीटा गया और इस दिल दहला देने वाले मामले का बाकायदा वीडियो भी बनाया गया जिसके बाद वह वीडियो वायरल हो गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया जा रहा है कि यह मारपीट खेत में बकरी घुस जाने के चलते की गई. यह मामला 12 सितंबर का बताया जा रहा है. अहमदनगर के श्रीगोंदा के भानगाव गांव में एक बेहद ही गरीब आदिवासी समाज का परिवार अपना गुजारा करने के लिए बकरी पलता है.
महिला को निर्वस्त्र करके पिटा
अब बेजुबान जानवर इंसान की बनाई हुई सीमाओं के बारे में क्या जाने. दलित परिवार की बकरियों ने एक गुस्ताखी कर दी और वह घूमते घूमते पास में स्थित एक स्वर्ण के खेत में घुस गई फिर क्या था स्वर्ण की भौं तन गई और वह स्वर्ण संतोष वागस्ककर गुस्से में कुछ लोगों के साथ दलित के जहाँ पहुंच गया.
इसके बाद गुस्साए लोगों ने महिला के पति के साथ मारपीट शुरू कर दी. इसके बाद अपने पति को बचाने के लिए आई महिला के साथ भी मारपीट की गई इतना ही नही उन दरिंदो ने महिला को निवस्त्र करके उसकी पिटाई की. इसके बाद जब मामले की शिकायत लेकर महिला पुलिस के पास पहुंची तो पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया.
लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद अहमदनगर पुलिस ने श्रीगोंदा थाने में भानगाव गांव के इस वागस्ककर परिवार के लोगो के खिलाफ पिटाई का ममला दर्ज किया है. इसके बाद पुलिस ने आरोपी संतोष वागस्ककर सहीत तीन लोगो पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत कर्जत पुलिस थाने में मामला दर्ज करते हुए गिरफ्तार किया.
पुलिस ने केस दर्ज करने से किया इनकार
वहीँ आरोपी संतोष वागस्ककर ने भी पीड़ित महिला और उसके पति संदिप काले पर भी श्रीगोंदा पुलिस थाने में डकैती करने का मामला दर्ज कराया है. अहमदनगर के एसपी रंजन कुमार शर्मा ने बताया कि महिला के साथ मारपीट का मामला दर्ज किया गया है आरोपियों को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया गया था जहां से उन्हें जमानत दे दी गई है.
youtube
  The post वीडियो: खेत में बकरी घुसी तो दलित महिला को निर्व#स्त्र कर जमकर पीटा, वीडियो में सब कुछ क़ैद appeared first on .
Hindi News Latest Hindi News
Hindi News वीडियो: खेत में बकरी घुसी तो दलित महिला को निर्व#स्त्र कर जमकर पीटा, वीडियो में सब कुछ क़ैद appeared first on Kranti Bhaskar.
source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/ajab-gajab-news/viral-news/27945/
0 notes
latesthindinewsindia · 6 years ago
Text
वीडियो: खेत में बकरी घुसी तो दलित महिला को निर्व#स्त्र कर जमकर पीटा, वीडियो में सब कुछ क़ैद
पिछले कुछ सालों में दलितों के खिलाफ होने वाले कई ममाले सामने आए है. केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से ही मना जाता है कि ऐसे मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है. बताया जाता है कि सरकार ऐसे लोगों को खुलेआम या फिर गुपचुप तरीकों से कथित तौर पर सर्मथन देती है. दलितों पर होने वाले अत्याचार का एक ऐसा ही मामला एक बार फिर से सामने आया है जहाँ एक दलित महिलाओं को मामूली से बात के लिए निशाना बनाया गया है.
मामूली बात पर की गई पिटाई
मामला महाराष्ट्र के अहमदनगर से सामने आया है जहां एक महिला और उसके पति के साथ मारपीट की गई. इतना ही नही दलित महिला को निर्वस्त्र करके पीटा गया और इस दिल दहला देने वाले मामले का बाकायदा वीडियो भी बनाया गया जिसके बाद वह वीडियो वायरल हो गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया जा रहा है कि यह मारपीट खेत में बकरी घुस जाने के चलते की गई. यह मामला 12 सितंबर का बताया जा रहा है. अहमदनगर के श्रीगोंदा के भानगाव गांव में एक बेहद ही गरीब आदिवासी समाज का परिवार अपना गुजारा करने के लिए बकरी पलता है.
महिला को निर्वस्त्र करके पिटा
अब बेजुबान जानवर इंसान की बनाई हुई सीमाओं के बारे में क्या जाने. दलित परिवार की बकरियों ने एक गुस्ताखी कर दी और वह घूमते घूमते पास में स्थित एक स्वर्ण के खेत में घुस गई फिर क्या था स्वर्ण की भौं तन गई और वह स्वर्ण संतोष वागस्ककर गुस्से में कुछ लोगों के साथ दलित के जहाँ पहुंच गया.
इसके बाद गुस्साए लोगों ने महिला के पति के साथ मारपीट शुरू कर दी. इसके बाद अपने पति को बचाने के लिए आई महिला के साथ भी मारपीट की गई इतना ही नही उन दरिंदो ने महिला को निवस्त्र करके उसकी पिटाई की. इसके बाद जब मामले की शिकायत लेकर महिला पुलिस के पास पहुंची तो पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया.
लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद अहमदनगर पुलिस ने श्रीगोंदा थाने में भानगाव गांव के इस वागस्ककर परिवार के लोगो के खिलाफ पिटाई का ममला दर्ज किया है. इसके बाद पुलिस ने आरोपी संतोष वागस्ककर सहीत तीन लोगो पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत कर्जत पुलिस थाने में मामला दर्ज करते हुए गिरफ्तार किया.
पुलिस ने केस दर्ज करने से किया इनकार
वहीँ आरोपी संतोष वागस्ककर ने भी पीड़ित महिला और उसके पति संदिप काले पर भी श्रीगोंदा पुलिस थाने में डकैती करने का मामला दर्ज कराया है. अहमदनगर के एसपी रंजन कुमार शर्मा ने बताया कि महिला के साथ मारपीट का मामला दर्ज किया गया है आरोपियों को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया गया था जहां से उन्हें जमानत दे दी गई है.
youtube
  The post वीडियो: खेत में बकरी घुसी तो दलित महिला को निर्व#स्त्र कर जमकर पीटा, वीडियो में सब कुछ क़ैद appeared first on .
Hindi News Latest Hindi News
Hindi News वीडियो: खेत में बकरी घुसी तो दलित महिला को निर्व#स्त्र कर जमकर पीटा, वीडियो में सब कुछ क़ैद appeared first on Kranti Bhaskar.
source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/ajab-gajab-news/viral-news/27945/
0 notes
balajiastrocenter · 7 years ago
Link
जिस स्त्री जातक की कुण्डली में बृहस्पति शुभ स्थान और शुभ प्रभाव में होता है तो उसे सामाजिक मान-सम्मान तथा ऊँचे पद-प्रतिष्ठा और सांसारिक सुख सहजता से मिलता है । बृहस्पति खराब होने पर स्त्री जातक को अपमान और उपेक्षा झेलनी पड़ सकती है । ऎसे में अधिकांश स्त्र�...
0 notes
jayveer18330 · 7 years ago
Text
कोयल
बसंत का दिन । पौ फटने का समय । उषा काल । धीमी-धीमी पुरवाई । कलियों का चटकना। अमराइयों के बीच से कोयल बोल उठती है--' और एक साथ सहसा सैकड़ों हृदयों के हृदयतन्तु कांप उठते है, डोल उठते हैं । आगे का हाल इन पंक्तियों में पढ़िए सिहर उठा उर देख नदी का, सिहर उठी जलबीच पंकजा ; ताल-ताल पर तेरे आली पून-व्यथा जग उठी संत की। संत-हृदय में भी प्रेमव्यथा जगाने की शक्ति सिवा कोयल के और किस पक्षी म है वह ने , ? ? कौन है हृदय जिसे मदभरी कोयल की कूक तड़पाया नहींरुलाया नहीं प्रकृतितः भारतीय साहित्य ने जो स्थान कोयल को दिया है वह किसी और को नहीं । न जाने कितनी शतसहन पंक्तियां इसकी प्रशंसा में, प्रशस्ति में लिखी जा चुकी हैं और आज भी, जबकि प्राचीन परम्पराओं की दीवार व्रत गति से ढहती जा रही है, आधुनिक साहित्य में इसका स्थान अक्षुण्ण है । मनुष्य की वाणी उसका मित्र और शत्रु दोनों ही है । दुधन के सम्बन्ध में कहे हुए दो शब्द महाभारत के भीषण रण का कारण बने । महात्मा गांधी के मीठे शब्दों ने कितनों को उनके चरणों पर विनयावनत किया। यही हाल पक्षियों का भी है। समय। पड़ने पर हम प्रियाप्रियतम के संवादवाही काग की भले ही खुशामद कर लें, साधारण तौर पर उसकी कर्कश वाणी से तंग आकर हम ढले मारमार कर उसे उड़ाते फिरते हैं पर कोयल की, जो देखने में उतनी ही कुरूप है जितना कि काग, वाणी सुनने को हम उत्कंठित रहते हैं और ऐसे स्थानों में, जहां कोयल का आवास नहीं , मसलन शिमला, मसूरी आदि पहाड़ों पर, उसकी बोली सुनने को तरसते हैं। उसकी मधुर बोली ने। ही तो मानव-हृदय में उसके लिए यह गहरा स्थान बना रखा है । किसी ने ठीक ही कहा है कौआ कासों लेत है, कोयल काको वेत, मीठो बचन सुनाय क, सब को बस करि लेत। कोयल और वसंत का गहरा सम्बन्ध है तथा वसन्त काल में कोयल का कूकना कहीं तो आनन्द की वर्षा करता है, कहीं प्रोषित पतिकारों के हृदय में विष उड़ेल��ा है । कवि पण्डित प्रवीन’ के शब्दों में बल्ली' को बितान, मल्ली दल को बिछौना, मऊ महल निकु है प्रमोदवन३ राज को, भारी दरबार भिरी भरन की भीर बेठ मदन दिवान इतिमाम४ काम काज को। ‘पण्डित प्रबीन' तजि मानिनी गुमान गढ़ ‘हाजिर हुजूर' सुनि कोकिल अवाज को, चोपदार चातक बिरद बढ़ि बोले वर दौलत दराज सहराज ऋतुराज को।' ऋतुराज के दरबार की ज्योतियों में है यह कोयलअतिशय सुखदायी । पर देखिएपद्माकर का विचार कुछ और ही है । वे कहते हैं. ए ब्रजचन्द ! चलो किन वा ब्रज लू वसन्त की अकन लागीं, त्यों पद्माकरपेखौ पलासन पावक सी मनो फूकन लागों । वे बजवारी बिचारी वध वन बावरी लीं हिये फूकन लागों, कारी कुरूप कसाइमैं ये सु कुडू कुहू क्वैलियां कूकन लागीं । विचार चाहे पद्माकर के अपने हों अथवा ब्रजवनिता के, पर यहां स्पष्ट है कि उसका ककना विष ही ढालता है, अमृत नहीं। क्यों ? इसे वियोग वाण से बिंधे हुए जन ही समझ सकेंगे । फिर भी कोयल, कोयल ही है, पक्षीराज है, और तावच्चकोरचरणायुधचक्रवाक पारावतादि विहगाः कलमालपन्तु, यावद्वसन्तरजनीघटिकावसानमासा कोकिल युवा न कुकरोति । चकोर, मुगा , चकवा तथा कबूतर आदि पक्षी तभी तक अपनीअपनी बोलियां सुनाते हैं जब तक कि वसंत की प्रभात वेला में कोयल अपना कुहूकुहू शब्द नहीं सुनाने लगती । कोयल उन पक्षियों में है जिन्हें गाने का अत्यन्त शौक है। वह जब गाती है। तो दिल खोल कर गाती है, और गाती ही रहती है । फारस की बुलबुल की तरह। वह दिनरात गाती है । वसंत के आरम्भ में जब आम के वक्ष बौरों से लद। जाते हैं तो वह मंजरीकोपलें, फल आदि का रसास्वादन करती हुई पंचम स्वर में ऐसी तान छेड़ती है कि एक समां बांध देती है। डालडाल पर नाचती है और रहरह। कर गाने में तल्लीन हो जाती है । वसंत के बाद भी, प्रीष्म तथा पावस में, उसका रुकना जारी रहता है। किसी कवि का यह कथन "अब तो दादुर बोलिहैंभये कोकिला मौन" गलत है, क्योंकि वर्षाकाल में भी वह पूरे जोशोखरोश के साथ गाती रहती है और तब तक गाती है जब तक कि शीतकाल का आरम्भ नहीं हो जाता तथा अन्तरिक्ष में पहाड़ी झ��लों से आए हुए जल पक्षी अपने सृजन से आकाश को भरना नहीं शुरू कर देते । गरज यह कि साल में चार महीने से अधिक वह चुप नहीं रहती। कहते हैं कि जाड़ों में यह दक्षिण की ओोर, जहां ठंडक नाम-मात्र को पड़ती है, चली जाती है । । मुमकिन है इनमें से कुछ चली जाती हों पर अवश्य ही सभी नहीं जातीं, क्योंकि शिशिर और हेमन्त में भी बहुधा कोयल को बोलते सुना गया है । हां, सदियों से इसे नफरत जरूर है और यही वजह है कि पहाड़ों की ओर यह कभी भूल कर भी नहीं जाती। पर्वतीय कोयल चित्र संख्या : ७) समतल क्षेत्रों में पाई जाने वाली कोयलों से भिन्नदेखने में इनसे सुन्दर अवश्य हैपर उसके गले में न तो वह सोज है न वह साज़ जो इन काली कोयलों में है । केवल उत्तरपश्चिम सीमान्त को छोड़ करभारतवर्ष के सभी राज्यों में यह पाई जाती। है और हर जगह इसकी कद्र है । मलय चीन आदि देशों में भी वह मिलती है। अधिकतर वटअश्वत्थ आदि वृक्षों के छोटे-छोटे फल इसके आहार है, पर भोजन निरामिष ही हो, ऐसा कोई बन्धन नहीं है । यदाकदा कीड़ेमकोड़े भी उसके भोजनपात्र में स्थान पा जाते हैं । कोयल उन चिड़ियों में है जिसे बड़ी मुश्किल से हम देख पाते हैं, क्योंकि यह कभी जमीन पर नहीं उतरती तथा वृक्षों पर भी अधिकतर पत्तों की ओट से ही अपनी तान छेड़ा करती है। यदि आपने कभी भूल कर वृक्ष के नीचे जाकर इसे देखने की चेष्टा की तो यह फौरन वहां से उड़ कर अन्यत्र चल देगी । एक वृक्ष से उड़ कर दूसरे पर जाते हुए ही इसे हम देख पाते हैं। पर काली होने के कारण हम इसे कौआ समझ कर अक्सर श्रम में पड़ जाते हैं। वे जी के एक प्रसिद्ध कवि वड्र्सवर्थ ने कुछ पक्षी के, जो कोयल वंशव की ही एक विख्यात गायिका है, सम्बन्ध में कहा था O, Cuckool Shall I call thee Bird, Or, but a wandering Voice ? मात्र --कुछ ! तुम्हें में पक्षी कहें या कि भ्रमणशील एक ध्वनि ? कोयल के सम्बन्ध में भी, जिसे हम हाड़मांस के बने हुए पक्षी के रूप में क्षम हो। देखते हैं, उसकी ध्वनिमान ही सुन पाते हैं कभी इस वृक्ष से, कभी उस वृक्ष से हम कुछ ऐसा ही कह सकते हैं । कोयल के नर और मादा के रंग-रूप में काफी अन्तर है । नर नीलीहरी चमक लिए हुए पूरा काला और मादा भूरी होती है ।मादा के पेट पर गहरा भूरापन होता है. डैनों आदि पर सफेद चित्तियां होती है। दुम गहरी भूरी होती है और उस पर श्वेत धारियां होती हैं जो पपीहे से ��हुत कुछ मिलतीजुलती है । नर और मादा दोनों की आने लाल और पांव गहरे स्लेटी रंग के तथा चोंच ही होती है। लम्बाई प्रायः १७ इंच होती है। गाने का शौक नर को ही है । आवाज में जोर है । गला फाड़ कर जब यह पक्षी 'कुड़   कुह' की रट लगाता है तो दिग् दिगन्त गूंज उठता है । मादा कभीकभी एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष पर जाती हुईतेजी से किकृ-किकिक शब्द उच्चारण करती है । इसके अंडे नीलापन लिए हुए हरे रंग के होते हैं, जिन पर कत्थई चितियाँ होती। है। यह कई अंडे एक साथ देती है और एक ही ऋतु में कई बार भी। विलायत की कोयल। तो कहते हैं कि एक ऋतु में २०-२५ अंडे तक दे डालती है पर भारत की कोयल के सम्बन्ध में २०-२५ अंडे देने का दृष्टांत अब तक प्राप्त नहीं हो सका है । फिर भी अंडों की संख्या अधिकांश पक्षियों से अधिक अवश्य होती है । । आकार में ये छोटे होते हैं । अंडा देने का समय अप्रैल से अगस्त तक है । संस्कृत के एक नीति-रलोक में कहा है कि मनुष्य को यदि कूटनीति सीखनी हो तो बारवनिता से सीखे अथवा किसी राज दरबार में बारांगणा राजसभा प्रवेश ।" आम तौर पर कूटनीति का मतलब धूर्तता से समझा जाता है और इस अर्थ में कोयल भी, जो पक्षियों में गानविद्या की दृष्टि से गणिका के समकक्ष है, आचार्यपद के सर्वथा। उपयुक्त है । जिस धूर्तता से वह अपने अंडे स्वयं न सेकर कौए के घोंसले में रख आती है। और उनसे अपने अंडे सेवाती तथा बच्चों का पालनपोषण करती है उस धूर्तता के कारण वह बड़ेबड़े धूर्त कूटनीतिज्ञों के भी कान काट सकती है । कौए की, जो स्वयं दूसरों को चकमा देने में सिद्धहस्त है, आंखों में धूल झोंकना साधारण काम नहीं है, पर कोयल इस काम को बड़ी निपुणता के साथ करती है । तरीका यों है सर्वप्रथम नर कोकिल कौए के घोंसले के पास पहुंचता है और तरहतरह की भाव भंगिमाओं से उसे चिढ़ाता है । मादा मंह में अंडा रख कर अड़ोसपड़ोस के ही किसी वृक्ष पर छिप कर बैठ जाती है । कौआ या यों कहिए कि कौए कोयल के अभद्रतापूर्ण व्यवहार से चिढ़कर उस पर टूटते हैं और वह भाग चलती है । कौए उसका पीछा करते हैं । कोयल उड़ने में तेज होती ही है, ३ड़ती हुई कुछ दूर निकल जाती है, साथसाथ कौए भी; इधर मैदान खाली पा कर मादा कोयल घोंसले में घुसती है, अंडा रख देती है और कौए के अंडे कहीं दूर गिरा आती है । फिर एक ऐसी आवाज देती है जिससे नर समझ जाता है कि काम सफल हो गयाबस एक ही छलांग में कौों के दृष्टिपथ से वह ओझल हो जाता है। कौए यह सोच कर ��ि दुश्मन सरहद से बाहर हो ही गया, लौटते हैं और पुनः घरगृहस्थी में लग जाते हैं। कौआ जैसे धूर्त पक्ष को भी मूर्ख बनाकर स्वार्थसाघन करने वाली कोयल को यथार्थतः महाकवि कालिदास ने विशेषु पण्डितः की उपाधि प्रदान की है । विक्रमोवंशीयम् में लिखा है अपे, इय मातपातस सितमदा जम्यूविटपमध्यास्ते परभुता । विहर्ष पण्डितया जाति: । यजुर्वेद में का नाम इसी 'अन्याय' (दूसरे के घोंसले में अपना अंडा रखने वाला पक्षी) है । यथाकाल कोयलकुमार का जन्म होता है, काग-दम्पति बड़े शौक से उसे अपनी । संतान समझकर पालतेपोसते हैं और जब वह उड़ने लायक हो जाता है तो एक दिन उन्हें। चकमा दे कर नौ-दोग्यारह हो जाता है यही नहींघोंसले में यदि कौए की कोई वास्त ।, विक संतान ही हो तो मौका देखकर उसे जन्म के कुछ ही दिन बाद ठोकर देकर नीचे गिरा   भी डालता है । प्रश्न उठता है कि कोयल के इस नवजात शिशु को आखिर यह धूर्तता तथा कौों के प्रति विद्वेष की यह भावना सिखाता कौन है ? निस्सन्देह शगुण और संस्कार से हो उसे यह प्रेरणा मिलती है । दूसरों द्वारा पाले जान के कारण ही कोयल संस्कृत भाषा में प्रभुता कहलाई है। अभिज्ञान शाकुन्त त में जब पतला महाराज दुष्यन्त की स्मृति जगाने की चेष्टा करती है तो वह कहते हैं स्त्र गामशिक्षितषदुत्वममानुषीण संदृश्यते किमृत याः परिबोषबत्य, प्रागन्तरिक्षगमनास्वमपत्यजात मन्यतेिजी : परताः किल पोषयन्ति। —हे गौतमी ! तपोवन में लालितपालित हुए हैंयह कहकर क्या इनको अनभिज्ञता स्वीकार करनी पड़ेगी ? मनुष्य से भिन्न जीवों की स्त्रियों में भी जब आप से आप पता। आ जाती है तो फिर बुद्धि से युक्त नारी यह प्रकट हो, इसमें आश्चर्य ही क्या ? मादा कोयलअन्तरिक्षगमन के पहले अपनी सन्तान की अन्य पक्षी के द्वारा पालन-पोषण की व्यवस्था कर लेती है । देखने में कौए की अपेक्षा अधिक सुन्दर और तगड़े होने के कारण कभीकभी कोयल कुमार अपने बूढ़े मांबाप के विशेष लाड़प्यार के भागी बन जाते हैं । प्रकृति की ऐसी माया है कि कौए इस छल छन्द को कतई नहीं समझ पाते हैं तथा इन्हें अपनी ही संतान मान बैठते हैं । यही नहीं, इन पर अधिक प्यार भी दिखाने लगते हैं �� इस सम्बन्ध में कभीकभी एक बड़ी रोचक घटना हो जाती है । कौए के एक ही घोंसले में अज्ञानवश कई कोयलें अ��डे रख आती हैं और इस प्रकार काक अपने-अपने दम्पति को कोयल के चार-चार पांचपांच बच्चों तक को पालना पड़ जाता है । पर वे इस काम को बड़ी खुशी के साथ करते हैं । यह संसार धोखे की टटी है, इसमें सन्देह नहीं। लन्दन के फ़ोल्ड" नामक एक पत्र में परशुत कुछ की बेनियाजी का एक मजेदार वर्णन पिछले दिनों पढ़ने को मिला, जो इस प्रकार है हाल नामक व्यक्ति -वाटिका में को दो एक की पुष्प२४ जुलाई१९५६ परन्त के शिशु नजर आए जिनके पूरी तरह पंख हो आए थे । उसके साथ ही रॉबिन को वह मादा भी थीजिसने उन्हें पालापोसा था । वह श्री हाल के घर के आसपास से खाद्य वस्तुएं ला-ला कर दोनों बच्चों को खिलाती और वे मुंह खोलखोल कर बड़े चाव से खाते थे । सारे दिन यह सिलसिला चलता रहा । बीचबीच में परभूत शिशु क्रोधापन्न हो कर हगल पर प्रहार भी कर देता था, पर वह इसका कोई ख्याल न कर अपने कर्तव्य में जुटी रही । दूसरे दिन दो बच्चों में से एक गायब था, तीसरे दिन दूसरा । पंख पाकर दोनों नौ-दोग्यारह हो गए थे । हगल कुछ काल एकाकी, विरहाकुल अवस्था में, उदास हो कर बैठी रहीफिर वह भी अन्यत्र चली गई । जिन्हें पालपोस कर उसने बड़ा किया उन्होंने चलते समय उससे विदा भी न मांगी ! परभूत-वाहे मानव कुल के हों या पक्षीकुल के कभी किसी के नहीं होते । खैरतो इधर काकदम्पति उनके अंडे सेने तथा बच्चों के पालनपोषण में व्यस्त रहते हैं, उधर नर और मादा कोयल मंजरीमदिरा का पान एवं नाचनेगाने में अपना समय बिताती है और कहती है दिन भर गाना, दिन भर पीना हमें यही है फिर जीना ; चार दिनों का ही तो जीवन, जी भर पीलेजी भर गा , प्याले पर प्याले हम दालें, वास स्थान हमारा मावक आ-मंजरी का मदिरालय, परवश नहीं, किसी का क्या भय ? कहीं इंगलैण्ड का प्रसिद्ध कवि किपलिग उसे देख कर अपने वतन के सम्बन्ध से पूछता है Oh Koel, little Koel, singing on the siris bough, can you tell me aught of Angland or of spring in England now? -Kipling -सिरीषवृक्ष की डालों पर से गाती हुई कोयल ! ओो नन्हीं कोयल ! नन्हीं कोयल ! गया तुम मुझे इंगलैंड के अथवा इंगलैंड में वसंत के विषय में कुछ बता सकती हो ? और कहीं प्रमत्त पिक के कूकबाण से विंधा हुआ कवि भोर की कोयल से पूछता है। रात क्या आयी न तु को नौंद, कोकिलेकिसके विर में ��ड़पती लवलीन ? तपती जल-गों में ज्यों विरह-व्याकुल मोन । तू रही न्वित पपीहा-सी न तुझ को चैन फट न क्यों पड़ती घरा यह श्रवण कर दुखचैन ? रात भर त ने बजाई बलू उर की बीन, कोकिलेकिसके विरह में तड़पती लवलोन ? पौ फटीआकाश में था अरुणिमा-विस्तार, स उठी नीलोत्पला तब सेज-स्वप्नागार, जीव माया में फंसा ज्यों सजग हो, निर्बन्य, मलिनिबथन से निकल कर अलि हुआ स्वच्छन्व। प्रणय के किस पाश में, पर, तू रही गति-हीन, कोकिलेकिस विरह में तड़पती लवलीन ? ले चले सम्वेश प्रियतम को प्रिया का, फाग, औौ पमुख पर लगाने प्रतवात पराग कर रहे छाती भिगो कर ओस का मूड पान नीलकंठकपोत, पंडक, और भ्रमर सुजान मंजरीमधु से विरहत्रण हो न पाया कीण, कोकिले, किसके विरह में तड़पती लवलीन ? भाबिर कोयल की कूक से वह घबड़ाता क्यों है ? उत्तर देखिए। आधी रात पुकारे चातक, और भोर में कोयल फसे , रहे थिर मेरा यह छोटा अन्तरतल        अब अपनी तेज जिंदगी में से एक दो पल निकालकर कभी  कुदरत के इन करिश्में की ओर भी देखे और जीवन का नैसर्गिक आनंद ले । 
from Blogger http://ift.tt/2f790l1 via IFTTT
0 notes