#स्कूल छोड़ने की दर घट रही है
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सभी स्तरों पर घट रही स्कूल छोड़ने की दर: सरकार
सभी स्तरों पर घट रही स्कूल छोड़ने की दर: सरकार
सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक सहित शिक्षा के सभी स्तरों पर देश में स्कूल छोड़ने की दर में लगातार कमी आ रही है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने यह बात एक लिखित सवाल के जवाब में कही कि क्या COVID-19 के प्रकोप को देखते हुए स्कूल छोड़ने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। पढ़ना: दिल्ली सरकार, बर्लिंगटन अंग्रेजी भारत छात्रों के अंग्रेजी…
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#केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी#स्कूल छोड़ने की दर घट रही है#स्कूल छोड़ने वाला#स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (शिक्षा मंत्र���लय)
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प्रदेश में शिक्षा विभाग में प्रमुख पदों पर महिलाएं, फिर भी स्कूल जाने में छात्राएं क्यों हैं पीछे? भोपाल:HN/ प्रदेश में सरकारी स्कूलों में साल-दर-साल बच्चों की संख्या कम हो रही है। हर साल प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में 3 से 4 लाख बच्चों की संख्या घट रही हैं। प्रदेश में चल रहे 'स्कूल चले हम' अभियान, 'बेटी पढ़ाओ' सहित अनेक योजनाओं में सालाना करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही। हालात यह है कि पिछले दो सालों में छह लाख बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़ दिया है। शाला त्यागी (ड्राप आउट) बच्चों में छात्राओं की संख्या छात्रों के मुकाबले ज्यादा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने यह रिपोर्ट जारी की है। वहीं, शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन प्रथम के वार्षिक सर्वेक्षण एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) में भी यह बात सामने आई है कि आठवीं में शाला त्यागी छात्राओं का प्रतिशत 26.8 है, जबकि छात्रों की संख्या 20.2 प्रतिशत है। हालांकि छात्राओं के नामांकन का प्रतिशत छात्रों के मुकाबले ज्यादा है, लेकिन स्कूल छोड़ने में भी छात्राएं आगे हैं। यह स्थिति तब है जब स्कूल शिक्षा विभाग में विभिन्न पदों पर महिलाएं ही प्रमुख हैं। इनमें स्कूल शिक्षा प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी, लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त जयश्री कियावत और राज्य शिक्षा केंद्र की संचालिका आईरिन सिंथिया हैं, फिर भी छात्राओं को स्कूल में आकर्षित करने में ये महिला अधिकारी पीछे हैं।
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