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रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण, लक्षण और इलाज – Rheumatoid Arthritis Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
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रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण, लक्षण और इलाज – Rheumatoid Arthritis Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण, लक्षण और इलाज – Rheumatoid Arthritis Causes, Symptoms and Treatment in Hindi Somendra Singh Hyderabd040-395603080 October 31, 2019
जैसे-जैस उम्र बढ़ती जाती है, हमारा शरीर बीमारियों की चपेट में आने लगता है। इसके पीछे एक बड़ा कारण रोग-प्रतिरोधक क्षमता का समय के साथ-साथ कमजोर होना है। इन बीमारियों की लिस्ट में एक नाम रूमेटाइड अर्थराइटिस का भी है (1)। जो लोग इस रोग से पीड़ित हैं, वो बेहतर तरीके से इससे होने वाले दर्द को समझ सकते हैं। कभी-कभी तो यह दर्द इस कदर कष्दायक होता है कि उसे बर्दाश्त करना तक मुश्किल हो जाता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में इसी बीमारी के बारे में बता रहे हैं। इस लेख में आपको यह भी बताया जाएगा कि रूमेटाइड अर्थराइटिस क्या है और रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण क्या-क्या हैं। साथ ही हम बताएंगे कि रूमेटाइड अर्थराइटिस का इलाज कैसे किया जा सकता है।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस क्या है?
विषय सूची
रूमेटाइड अर्थराइटिस क्या है? – What is Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून और सूजन की बीमारी है। इसका मतलब है कि आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता आपके शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती है। इससे शरीर के जोड़ वाले हिस्सों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण इन हिस्सों में सूजन और तेज दर्द शुरू हो जाता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस मुख्य रूप से शरीर के जोड़ों को नुकसान पहुंचाता है। कई बार यह एक ही समय में शरीर के कई जोड़ों को अपनी चपेट में ले लेता है। इस स्थिति में मुख्य रूप से कलाई, हाथों और घुटनों के जोड़ प्रभावित होते हैं। रूमेटाइड अर्थराइटिस पूरे शरीर के अन्य टिश्यू को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे फेफड़ों, हृदय और आंखों में भी समस्या उत्पन्न हो सकती है (1)।
आइए, अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस होने के कारण क्या हो सकते हैं।
रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण – Causes of Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं (2)।
जीन (Gene) के कारण
पर्यावरण की वजह से
हार्मोन के कारण
वहीं, एक वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, अभी उन ठोस कारणों के बारे में बताना मुश्किल है कि किन कारणों से शरीर के जोड़ों और टिश्यू के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे काम करने लगती है। हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि पर्यावरणीय कारक और यौन संबंधी हार्मोन का मिश्रण इस रोग को जन्म दे सकता है (3)।
अब इनके लक्षणों के बारे में नीचे ध्यानपूर्वक पढ़िए।
रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षण – Symptoms of Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं (1)।
शरीर के किसी एक हिस्से में दर्द।
शरीर के एक से अधिक जोड़ों में दर्द।
शरीर के एक से अधिक जोड़ों में अकड़न।
एक से अधिक जोड़ों का मुलायम हो जाना और सूजन बनी रहना।
दोनों हाथों या दोनों घ���टनों पर एक समान लक्षण।
वजन घटना।
बुखार बने रहना।
थकान
कमजोरी
आइए, लेख के अगले भाग में अब जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस के जोखिम कारक क्या हो सकते हैं।
रूमेटाइड अर्थराइटिस के जोखिम कारक – Risk Factors of Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस के जोखिम कारक में इन्हें शामिल किया जा सकता है (3) :
उम्र – आपको किसी भी उम्र में रूमेटाइड अर्थराइटिस हो सकता है, लेकिन व्यस्क होने पर इसका खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
लिंग- पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह होना आम है।
परिवार से – अगर परिवार के किसी भी सदस्य को रूमेटाइड अर्थराइटिस है, तो आपको भी यह रोग हो सकता है।
धूम्रपान के कारण – जो लोग लंबे समय तक धूम्रपान करते हैं, उन्हें रूमेटाइड अर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापा – अधिक वजन के लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
मसूड़े की बीमारी।
आइए, अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस के उपचार के लिए क्या किया जा सकता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस का इलाज – Treatment of Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस का इलाज इसके लक्षणों से आपको राहत दिला सकता है। रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज के लिए डॉक्टर निम्न विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं (4):
दवाइयां : रूमेटाइड अर्थराइटिस से होने वाले दर्द, सूजन और जॉइंट डैमेज से राहत दिलाने के लिए डॉक्टर आपको दवाइयां दे सकता है।
सर्जरी के जरिए : यह स्थिति तब आती है, जब जोड़ों में असहनीय दर्द होने लगता है। इस प्रक्रिया में दर्द वाले हिस्से में जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है।
इन उपचार से रूमेटाइड अर्थराइटिस से होने वाले निम्न प्रकार के जोखिम को कम किया जा सकता है:
दर्द से छुटकारा।
सूजन कम होती है
टिश्यू डैमेज होने से राहत मिलती है।
नोट – इलाज के नाम पर किसी भी दवा आदि का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
आइए, अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस में क्या परहेज करना चाहिए?
रूमेटाइड अर्थराइटिस में परहेज – What to Avoid During Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस के उपचार के दौरान आप निम्लिखित खाद्य पदार्थों को नजरअंदाज कर सकते हैं (5)।
प्रोसेस्ड फूड (इनमें एडेड शुगर, सोडियम और ट्रांस फैट की मात्रा अधिक होती है)
ज्यादा नमक वाले खाद्य पदार्थ
ते��
मक्खन
चीनी
जानवरों से मिलने वाले खाद्य पदार्थ – जैसे मांस, दूध व अण्डा आदि
एक डॉक्टरी रिसर्च के अनुसार, हाई फैट, कोलेस्ट्रोल, उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ और फास्ट फूड का लगातार सेवन मोटापा, चयापचय सिंड्रोम और हृदय रोग को बढ़ावा देता है। इसके कारण ऑटोइम्यून से संबंधित रोग हो सकते हैं। वहीं, ऑटोइम्यून रोग की वजह से रूमेटाइड अर्थराइटिस होता है, जिससे इसका जोखिम और बढ़ सकता है (7)। इसलिए, इन खाद्य पदार्थों का सेवन चिकित्सक की सलाह लेने के बाद ही करें।
आइए, अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि रूमेटाइड अर्थराइटिस में क्या खाना चाहिए।
रूमेटाइड अर्थराइटिस में क्या खाना चाहिए – What to eat during Rheumatoid Arthritis in Hindi
अगर आप यह सोच रहें कि रूमेटाइड अर्थराइटिस के दौरान क्या खाना चाहिए, तो उसकी लिस्ट हम नीचे दे रहे हैं। इन खाद्य पदार्थों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो रूमेटाइड अर्थराइटिस के दौरान होने वाले दर्द को रोकने में लाभदायक असर दिखा सकते हैं (5)।
फल- सूखा आलूबुखारा, चकोतरा, अंगूर, ब्लूबेरी, अनार, आम (मौसमी फल), केला, आड़ू और सेब।
अनाज- साबुत दलिया, गेहूं की रोटी और साबुत पोहा।
फलियां- काले सोयाबीन और काले चने।
साबुत अनाज – गेहूं, चावल, ओट्स, मक्का, राई, जौ, बाजरा, सोरगम और कैनरी बीज।
मसाले – अदरक और हल्दी।
जड़ी बूटी – शल्लकी और अश्वगंधा।
तेल – जैतून का तेल, मछली का तेल और बोरेज सीड ऑयल (कम मात्रा में)।
अन्य सामाग्री – दही, ग्रीन टी और तुलसी से बनी चाय।
लेख के इस भाग में जानिए कि रूमेटाइड अर्थराइटिस से हम कैसे बचे रह सकते हैं।
रूमेटाइड अर्थराइटिस से बचने के उपाय – Prevention Tips for Rheumatoid Arthritis in Hindi
रूमेटाइड अर्थराइटिस से बचने के लिए नीचे बताए जा रहे उपायों को अपनाया जा सकता है (3)।
धूम्रपान न करें।
मसूड़ों को स्वस्थ बनाए रखें।
मोटापे का शिकार होने से बचें।
सुबह जल्दी उठें।
व्यायाम करें।
पोषण से भरपूर आहार खाएं।
पर्यावरण प्रदूषण से बचें।
उपरोक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए इसका पालन करना आपको रूमेटाइड अर्थराइटिस से बचा सकता है।
लेख में ऊपर बताए गए रूमेटाइड अर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस मामले में जरा-सी देरी आपके लिए पूरी जिंदगी कष्टदायक साबित हो सकती है। साथ ही आप संतुलित खान-पान और जीवनशैली का पालन करें, ताकि यह बीमारी आप से हमेशा दूर रहे। अगर आप रूमेटाइड अर्थराइटिस से जुड़ा हुआ कोई अन्य सवाल हमसे पूछना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स का इस्तेमाल कर हम तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं। हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
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Somendra Singh
सोमेंद्र ने इल��हाबाद विश्वविद्यालय से 2019 में बी.वोक इन मीडिया स्टडीज की है। पढ़ाई के दौरान ही इन्होंने पढ़ाई से अतिरिक्त समय बचाकर काम करना शुरू कर दिया था। इस दौरान सोमेंद्र ने 5 वेबसाइट पर समाचार लेखन से लेकर इन्हें पब्लिश करने का काम भी किया। यह मुख्य रूप से राजनीति, मनोरंजन और लाइफस्टइल पर लिखना पसंद करते हैं। सोमेंद्र को फोटोग्राफी का भी शौक है और इन्होंने इस क्षेत्र में कई पुरस्कार भी जीते हैं। सोमेंद्र को वीडियो एडिटिंग की भी अच्छी जानकारी है। इन्हें एक्शन और डिटेक्टिव टाइप की फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/rheumatoid-arthritis-ke-karan-lakshan-aur-ilaj-in-hindi/
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गरिमा ने किये दो साल में 30 किलो कम, जानिए कैसे बनी वो फैट से फिट
गरिमा जीवनभर मोटी रही हैं, लेकिन जब गरिमा को उनके डॉक्टर ने उन्हें कहा कि जल्द से जल्द आपको अपना वजन कम करना पड़ेगा या फिर जिंदगी भर बीमारियों के बीच में रहना सीख लें, तब गरिमा ने वजन कम करने का फैसला लिया।
(और पढ़ें - वजन कम करने के आसान तरीके)
आइये आपको गरिमा के वेट लॉस से संबंधित आगे की कहानी बताते हैं -
आपने वजन घटाने का फैसला कब लिया?
मैं 2015 में अपने डॉक्टर के पास गयी। उन्होंने मुझे वजन मापने वाली मशीन पर खड़ा होने के लिए कहा। जब डॉक्टर ने मेरा वजन देखा तो उन्होंने बोला कि अगर आपको अपनी बीमारियों को दूर रखना है तो आपको 20 किलो वजन अपना घटाना होगा। इससे मेरी आंखें खुल गयी और फिर मैंने सुबह शाम चलना (दो किलोमीटर से शुरुआत की) शुरू किया और साथ ही एक वेट लॉस डाइट चार्ट बनाया। वजन कम करते हुए आज मुझे 22 महीने हो गए हैं, 44 साल की उम्र में 30 किलो वजन घटाकर बहुत फिट महसूस करती हूँ।
(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए डाइट प्लान)
आप क्या खाती थीं?
मैं बहुत फ्रेश और साधारण शाकाहारी खाना खाती थी। मैं शराब नहीं पीती थी व धूम्रपान नहीं करती थी और बाहर हफ्ते में सिर्फ एक बार खाना खाती थी। मैंने कुछ इस तरह अपने खाने की सूची को तैयार किया था -
मैं पूरे दिन में 12 ग्लास पानी पीती थी और दो सुबह सोकर उठने के बाद पीती थी।
सुबह 5:45 बजे - सुबह की सेर के लिए निकलने से पहले ��ूध।
सुबह 8 बजे - नारियल पानी।
सुबह 10 बजे नाश्ते में - दूध के साथ मूसली या ओट्स या पोहा या सैंडविच या गोंड का लड्डू (ज्यादातर सर्दियों में खाती थी)।
दोपहर 12 बजे - एक संतरा और एक सेब।
दोपहर 2 बजे खाने में - दो रोटी, दाल और सब्जियां, दही और कुछ सलाद। मैं हफ्ते में एक बार राजमा, छोले या पनीर बनाकर खाती थी।
शाम को 5 बजे - फल (संतरा या सेब या एक कटोरा पपीता या खरबूज या तरबूज) या मुट्ठीभर मूंगफली या काजू या बादाम या चीज़ सैंडविच।
रात 7 बजे खाने में - कुछ-कुछ दोपहर के खाने की तरह या सूप और टोस्ट या इडली सांबर खाती थी।
रात 9 बजे - एक कप गुनगुना दूध (और गेहूं के बिस्किट, वो भी तब जब मुझे भूख लगती थी)।
रात 10 बजे से सुबह के 5:30 बजे - मैं 7:30 घंटे की नींद लिया करती थी।
डाइट से हटकर आहार - केक एक टुकड़ा या जरा सी आइस क्रीम या ताजा-ताजा बना हुआ पठीशप्ता (एक लोकप्रिय बंगाली मिठाई), लेकिन मैं इन्हें कम मात्रा में ही खाती थी।
(और पढ़ें - vajan kam karne ke liye kya khaye)
आप क्या वर्कआउट करती थीं?
मैं पूरे दिन में 10,000 कदम चला करती थी, पैदल चलने के बाद मैं योगाभ्यास करती थी, हफ्ते में तीन दिन डांस किया करती थी और अगले तीन दिन स्ट्रेंथ ट्रेनिंग किया करती थी। साथ ही, मैं यह सुनिश्चित करती थी कि पूरे दिन में मैं चुस्त रहूं। ऑफिस में लम्बे समय तक काम करने के दौरान मैं हर आध घंटे में थोड़ी देर के लिए टहलती थी। मैं 12 महीने तक बस पैदल चली और धीरे-धीरे मेरा वजन घटना शुरू हो गया। पहले छः महीने में मेरा सिर्फ दो किलो वजन कम हुआ था, फिर तेजी से मेरा वजन घटने लगा। 18 महीने के बाद जब मैं 72 किलो के आसपास थी तो ��ैंने योग करना शुरू किया।
(और पढ़ें - पैदल चलने के फायदे)
आप इस दौरान कैसे प्रेरित रहीं?
मैं जब शॉपिंग करती थी तो अधिक बड़े कपड़ों की जगह कम साइज के कपड़ों को खरीदने के लिए जाती थी। इससे मुझे प्रेरित रहने में मदद मिलती थी। साथ ही मैं अपने रूटीन में बदलाव करती रहती थी, जब मुझे बोर महसूस होता था तो मैं वजन कम करने के लिए डांस कर लिया करती थी।
(और पढ़ें - vajan kam karne ki exercise)
वजन घटाने के बाद आपने क्या सीखा?
वजन कम करने का मतलब यह नहीं है कि आपने शुरू किया और कुछ दिनों बाद छोड़ दिया। "डाइट पर रहना" बहुत बड़ी गलतफ़हमी है। जीवनशैली को बेहतर बनाने के लिए फिटनेस बेहद जरूरी है। स्वच्छ खाना और हमेशा चुस्त रहना बहुत आवश्यक है। जितना वजन होना चाहिए उसके अनुसार मेरा वजन बिल्कुल सही है, लेकिन अब मुझे अपनी बॉडी को टोन करना है और यह धीरे-धीरे ही सम्भव है।
(और पढ़ें - hips kam karne ke nuskhe)
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आशा करते हैं कि आपको गरिमा के बारे पढ़ कर प्रेरणा मिली होगी और अब आप अपना वजन घटाने का सफर ज़रूर शुरू करेंगे।
अगर आपके पास भी कोई ऐसी ही प्रेरणा देने वाली कहानी है, अपनी या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य की, तो हमसे ज़रूर शेयर करें यहाँ लिख कर - [email protected]
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via https://www.myupchar.com/weightloss/garima-ne-kiye-do-saal-me-30-kilo-kam-janiye-kaise-bani-vo-fat-se-fit-in-hindi
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Apple लॉन्च इवेंट लाइव अपडेट: iPhone 14 लाइनअप, वॉच सीरीज़ 8, AirPods Pro 2 लॉन्च आज अपेक्षित
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#आईफोन 14#आईफोन 14 प्रो मैक्स लॉन्च इवेंट ऐप्पल वॉच 8 सितंबर 7 इवेंट लाइव अपडेट ब्लॉग स्ट्रीम स्पेसिफिकेशं#एयरपॉड्स प्रो 2#पहुंच से बहुत दूर#सेब घटना#सेब घड़ी श्रृंखला 8
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फैटी लिवर के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Fatty Liver Causes, Symptoms and Remedies in Hindi
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फैटी लिवर के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Fatty Liver Causes, Symptoms and Remedies in Hindi
Ankit Rastogi Hyderabd040-395603080 July 23, 2019
भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग अपने खान-पान और सेहत का सही से ख्याल नहीं रख पाते हैं। इसका सीधा असर इंसान के स्वास्थ्य पर पड़ता है। अनियमित दिनचर्या और असंतुलित आहार के कारण कई गंभीर बीमारियां आपको अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है फैटी लिवर की समस्या। वैसे तो यह समस्या बहुत आम है, लेकिन सही समय पर इसका पता न चल पाने के कारण यह भविष्य में गंभीर रूप धारण कर सकती है। स्टाइल क्रेज के इस लेख के माध्यम से हम फैटी लिवर से जुड़े करक, कारण और लक्षणों के बारे में बताएंगे। साथ ही यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि इस समस्या से निजात पाने के लिए किन-किन घरेलू उपायों को अपनाया जा सकता है।
लक्षणों और कारकों को जानने से पहले हम बात करेंगे फैटी लिवर के कारणों के बारे में।
विषय सूची
फैटी लिवर के कारण – What Causes Fatty Liver in Hindi
बता दें कुछ मुख्य कारण हैं, जो फैटी लिवर की समस्या को बढ़ावा देने का काम करते हैं। इन कारणों को हम कुछ बिन्दुओं के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे(1)।
एक्ट्रा कैलोरी- खाने में एक्ट्रा कैलोरी वाले आहार क��� अधिक उपयोग लिवर में वसा का निर्माण करता है। लिवर में वसा की यही अधिकता फैटी लिवर की समस्या को जन्म देती है।
लिवर की कार्यक्षमता कम होना- फैटी लिवर होने के प्रमुख कारणों में यह वजह काफी अहम है। जब किसी कारण से लिवर की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है, तो वह वसा को तोड़ने की प्रक्रिया को अंजाम नहीं दे पाता। फलस्वरूप लिवर में अतरिक्त वसा का जमाव होने लगता है। इस कारण फैटी लिवर की समस्या पैदा हो जाती है।
विशेष बीमारियां- मोटापा, डायबिटीज और हाई-ट्राइग्लिसराइड्स (खून में पाया जाने वाला एक प्रकार का फैट) जैसी समस्याएं लिवर संबधी जोखिमों को बढ़ाने का कारण बनती हैं। नजीतन इन स्थितियों में फैटी लिवर होने की संभावना अत्यधिक प्रबल हो जाती है।
शराब का सेवन- शराब का अधिक सेवन करने से भी फैटी लिवर की समस्या हो जाती है। समय रहते इस पर कंट्रोल न किया जाए, तो लिवर की पूरी तरह से खराब होने की आशंका प्रबल हो जाती हैं।
तेजी से वजन घटाना- कई लोग तेजी से वजन घटाने के चक्कर में फैटी लिवर की समस्या को न्योता दे जाते हैं। कारण यह है कि लिवर पाचन प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाता है। जरूरी आहार न मिल पाने की स्थिति में लिवर की प्रक्रिया प्रभावित होती है। फलस्वरूप लिया जाने वाला आहार सीधे वसा के रूप में लिवर में जमा होने लगता है।
नोट– कुछ लोगों में उपरोक्त दिए किसी भी कारण के न होने के बावजूद भी फैटी लिवर की समस्या पाई जा सकती है।
फैटी लिवर के कारणों के बाद अब बात करते हैं इसके लक्षणों के बारे में।
फैटी लिवर के लक्षण – Symptoms of Fatty Liver in Hindi
आपको लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि फैटी लिवर की समस्या बहुत आम है। इसलिए शुरुआती दिनों में इसके कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते। जब फैटी लिवर के लक्षण नजर आते हैं तो बहुत देर हो चुकी होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज कई सालों या दशकों तक बिना किसी लक्षण के लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। समस्या हद से ज्यादा बढ़ने की स्थिति में ही इससे संबंधित लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इन्हें कुछ इस तरह पहचाना जा सकता है(1)।
थकान– फैटी लिवर के लक्षण में से एक यह है कि इसमें रोगी को अधिक थकान महसूस होती है। कारण यह है कि इस समस्या की वजह से रोगी में ऊर्जा की कमी होने लगती है।
वजन का घटना– फैटी लिवर पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करता है। इस कारण शरीर में आहार से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। नतीजतन फैटी लिवर के लक्षण के रूप में रोगी का वजन तेजी से गिरने लगता है।
पेट की परेशानी– फैटी लिवर की समस्या पाचन प्रक्रिया में अवरोध पैदा करने का काम करती है। इस वजह से रोगी में पेट संबंधी कई परेशानियां देखी जा सकती हैं।
कमजोरी– पोषक तत्वों की उचित मात्रा न मिल पाने के कारण फैटी लिवर से ग्रस्त व्यक्ति को हर समय कमजोरी का एहसास होता रहता है।
भ्रम का अनुभव– फैटी लिवर के लक्षण में ��भी-कभी इस बीमारी से ग्रस्त रोगी में भ्रम (confusion) की स्थिति भी देखी जा सकती है।
आगे लेख में हम जानेंगे फैटी लिवर से संबंधित जोखिम कारकों के बारे में।
फैटी लिवर के जोखिम कारक – Risk Factors of Fatty Liver in Hindi
फैटी लिवर के जोखिम कारकों की बात की जाए तो यह कई प्रकार के हैं। सही जानकारी और इनके प्रति सावधानी बरतने से काफी हद तक फैटी लिवर को बढ़ने से रोका जा सकता है। आइए इन कारकों पर डालते हैं एक नजर(2)(3)।
मोटापा– मोटापा फैटी लिवर के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक बढ़ता मोटापा इस समस्या को और भी अधिक गंभीर बना सकता है।
डायबिटीज– फैटी लिवर और डायबिटीज यह दोनों समस्याएं एक दुसरे से जुड़ी हुई हैं। कई मामलों में फैटी लिवर बल्ड में शुगर की अधिक मात्रा का कारण बनता है। वहीं डायबिटीज की समस्या भी फैटी लिवर के जोखिम को बढ़ा सकती है।
हाई कोलेस्ट्रॉल– ब्लड में हाई कोलेस्ट्रॉल की मात्रा फैटी लिवर की समस्या को अधिक बढ़ा सकती है। इसलिए समय रहते इसे कंट्रोल किया जाना जरूरी है।
हाई ट्राइग्लिसराइड्स– फैटी लिवर की समस्या के लिए हाई ट्राइग्लिसराइड्स बड़ा जोखिम कारक साबित हो सकता है। इसकी अधिक मात्रा को नियंत्रित किया जाना बहुत जरूरी है, अन्यथा लिवर फेलियर की स्थिति भी पनप सकती है।
हाई ब्लड प्रेशर– फैटी लिवर एसिड के जोखिम कारकों में से एक हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी है। फैटी लिवर की समस्या से निजात पाने के लिए जरूरी होगा कि बीपी को कंट्रोल किया जाए।
तेजी से वजन घटाना– ��जन घटाने की तीव्र इच्छा भी आपको फैटी लिवर की समस्या से ग्रस्त बना सकती है। कारण यह है कि वजन घटाने की लालसा में व्यक्ति संतुलित आहार को भी छोड़ देता है। इस वजह से पाचन प्रक्रिया प्रभावित होकर लिवर पर बुरे असर डालती है।
गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी– विशेषज्ञों के मुताबिक कई मामलों में गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी के बाद रोगी में फैटी लिवर की समस्या को देखा जाता है।
आंतो से संबंधित बीमारी– आंतो की बीमारी भी फैटी लिवर की समस्या का कारण बन सकती है।
विशेष दवाओं का असर– विशेषज्ञों के मुताबिक कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स और कैंसर ड्रग्स जैसी कुछ विशेष दवाएं फैटी लिवर होने का कारण बन सकती हैं।
आगे लेख में हम जानेंगे फैटी लिवर से छुटकारा दिलाने वाले कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में।
फैटी लिवर के घरेलू इलाज – Home Remedies To Cure Fatty Liver in Hindi
आपके किचन में कई ऐसी चीजें पाई जाती हैं, जो फैटी लिवर का इलाज करने में आपकी मदद कर सकती हैं। आइए उनके बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
1. हल्दी से फैटी लिवर का उपचार
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सामग्री
एक गिलास दूध
एक चम्मच हल्दी
कैसे करें इस्तेमाल
पहले दूध को गर्म करें।
उसमें एक चम्मच हल्दी डालें।
उसे अच्छे से मिला लें।
फिर हल्दी के इस दूध को पी लें।
इस प्रक्रिया को प्रतिदिन दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
हल्दी मेंएंटी इन्फ्लामेट्री, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी��ंगल, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। हल्दी में पाए जाने वाले यही गुण लिवर संबंधित बीमारियों की रोकथाम करने में मदद करते हैं। साथ ही यह गुण ऑक्सीडेटिव तनाव, लिपिड को संतुलित करने और इंसुलिन की प्रक्रिया में सुधार करने में भी लाभदायक साबित होते है। इसलिए हल्दी को लिवर संबंधी सभी विकारों को दूर करने में सहायक माना जा सकता है(4),(5)।
2. ग्रीन-टी फैटी लिवर में मददगार
सामग्री
एक चम्मच ग्रीन-टी
दो कप पानी
कैसे करें इस्तेमाल
पहले पैन में दो कप पानी डाल कर उसे उबलने के लिए रख दें।
एक बार उबाल आ जाने पर उसमें एक चम्मच ग्रीन-टी डालें।
एक बार फिर उबाल आने का इंतजार करें।
उबाल आने के बाद गैस बंद कर दें और ग्रीन टी को कप में छान लें।
मिठास के लिए इसमें आधा चम्मच शहद मिलाएं।
ग्रीन टी का सेवन दिन में 2 से 3 बार तक किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक
आपको पहले ही बताया जा चुका है कि ग्रीन टी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण कई तरह से स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। वहीं सबसे अहम और खास हैं, इसमें पाए जाने वाले पॉलीफिनोल्स (ऑर्गेनिक केमिकल्स)। विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें पाए जाने वाले यह पॉलीफिनोल्स लिवर संबंधित सभी जोखिमों को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसलिए फैटी लिवर का इलाज करने के लिए ग्रीन-टी को उपयोग में लाया जा सकता है(6)(7)।
3. सेब का सिरका फैटी लिवर में सहायक
सामग्री
एक चम्मच सेब का सिरका
एक चम्मच शहद
एक गिलास गर्म पानी
कैसे करें इस्तेमाल
एक गिलास गर्म पाने में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं।
इसके बाद उसमें एक चम्मच शहद डालें।
उसे अच्छी तरह मिलाएं।
अब इस मिश्रण का सेवन करें।
दिन में 1 से 2 बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
बता दें सेब के सिरके में एसिटिक एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है(8)। यह उपापचय (Metabolism) की क्रिया को तेज कर शरीर में मौजूद अतिरिक्त वसा को गलाने का काम करता है। साथ ही इसमें पाए जाने वाले एंटीटॉक्सिन गुण लिवर में मौजूद विषैले पदार्थों को दूर करने में सहायक साबित होते हैं। इस कारण सेब के सिरके को फैटी लिवर से निजात पाने का एक सटीक उपाय माना जा सकता है(9)।
4. फैटी लिवर में नींबू
सामग्री
आधा नींबू
एक गिलास पानी
कैसे करें इस्तेमाल
एक गिलास गुनगुना पानी लें।
उसमें नींबू का रस मिलाएं।
नींबू मिले इस पानी को पी जाएं।
इस प्रक्रिया को दिन में 1 से 2 बार दोहराया जा सकता है।
आप नींबू का इस्तेमाल सलाद के साथ भी कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
नींबू में सिट्रिक एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो एक कारगर एंटीऑक्सीडेंट है। शोधकर्ताओं के मुताबिक नींबू में पाया जाने वाला यह गुण फैटी लिवर के दौरान होने वाली ऑक्सीडेशन प्रक्रिया को रोकने का काम करता है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि फैटी लीवर का इलाज करने के लिए नींबू को नियमित प्रयोग में लाया जा सकता है(10)।
5. फैटी लिवर में आंवला
सामग्री
दो आंवल���ं
एक गिलास पानी
एक चम्मच शहद
कैसे करें इस्तेमाल
आंवले के बीज निकाल कर उसके टुकड़े कर लें।
आंवले के टुकड़े और पानी को ग्राइंडर में डाल कर अच्छे से ग्राइंड कर लें।
फिर इसे छानकर अलग कर लें।
इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पी जाएं।
इस प्रक्रिया को दिन में 1 से 2 बार दोहराया जा सकता है।
आप सीधे कच्चा आंवला या आंवले का मुरब्बा भी खा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक आंवले में कुछ ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो लिवर के लि�� सहायक प्रोटीन को बढ़ाने का काम करते हैं। यह सहायक प्रोटीन लिपिड संबंधी उपापचय (मेटाबोलिज्म) क्रिया को तेज कर लिवर संबंधी जोखिमों को कम करने में मदद प्रदान करते हैं। इसलिए ऐसा माना जा सकता है कि आंवले का उपयोग फैटी लिवर की समस्या से निजात पाने का एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है(11)।
6. करेला का उपयोग (Bitter Gourd)
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सामग्री
दो करेले
नींबू का रस (आवश्यकतानुसार)
नमक स्वादानुसार
1 गिलास पानी
कैसे करें इस्तेमाल
करेले के छोटे-छोटे कर लें।
इन टुकड़ों में से बीज निकाल कर अलग कर दें।
अब इन टुकड़ों पर नमक लगाएं, ताकि इनकी कड़वाहट कुछ कम हो सके।
इसे आधे घंटे के लिए ऐसे ही छोड़ दें।
इसके बाद करेले को ग्राइंडर या जूसर में डाले और अच्छे से ग्राइंड कर लें।
बाद में तैयार हुए पेस्ट को कपड़े या छन्नी की मदद से छान लें।
इसमें आवश्यकतानुसार नींबू का रस और नमक मिलाकर पी जाएं।
इस प्रक्रिया को प्रतिदिन एक बार दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक करेला में इन्फ्लामेशन और ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने के चमत्कारिक गुण पाए जाते हैं। साथ ही इसमें फैटी लिवर के विकास में सहायक लिपिड को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। इसलिए इसका उपयोग फैटी लीवर का इलाज करने के लिए किया जा सकता है(12)।
7. व्हीट ग्रास फैटी लिवर में लाभकारी
सामग्री
8 से 10 व्हीट ग्रास
एक गिलास पानी
कैसे करें इस्तेमाल
व्हीट ग्रास और पानी को ग्राइंडर में डालें और अच्छे से ग्राइंड कर लें।
बाद में इसे सूती कपड़े की मदद से छान लें।
अब इसे तुरंत पी जाएं।
ध्यान रहे, इसमें नींबू या नमक बिलकुल न डालें।
इस प्रक्रिया को दिन में 2 से 3 बार दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों ने किए गए शोध में पाया कि व्हीट ग्रास में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। साथ ही किए गए शोध में यह भी पाया गया कि शराब के सेवन से उत्पन्न फैटी लिवर की समस्या को दूर करने में व्हीट ग्रास का उपयोग काफी लाभदायक साबित हो सकता है(13)।
8. अलसी का बीज
सामग्री
एक चम्मच अलसी के बीज का पाउडर
एक गिलास गर्म पानी
नींबू का रस (स्वाद के लिए)
शहद (स्वाद के लिए)
कैसे करें इस्तेमाल
अलसी के बीज के पाउडर को गर्म पानी में डालें।
उसे अच्छे से मिलाएं।
इस मिश्रण में स्वादानुसार नींबू का रस और शहद मिलाएं।
फिर इसे पी जाएं।
इस प्रक्रिया को दिन में 2 से 3 बार दोहराया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक
एक शोध में विशेषज्ञों ने पाया कि अलसी के बीज में पाए जाने वाले खास पोषक तत्व फैटी लिवर की समस्या को दूर करने में सहायक साबित हो सकते हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि फैटी लिवर का उपचार करने में अलसी का बीज मददगार साबित हो सकता है(14)।
9. फलों का उपयोग
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फैटी लिवर की समस्या में फलों के उपयोग की बात करें तो इनका इस्तेमाल आपको इस समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है। कारण यह है कि फलों में पाए जाने वाले डायट्री फाइबर्स मोटापे की समस्या से निजात दिलाने में सहायक होते हैं। वहीं लेख में आपको पहले ही बताया जा चुका है कि मोटापा फैटी लिवर के लिए एक बड़ा जोखिम कारक माना जाता है। ऐसे में फलों के इस्तेमाल से मोटापे को कंट्रोल कर काफी हद तक फैटी लिवर की समस्या से राहत पाई जा सकती है(15)।
10. फैटी लिवर में अदरक फायदेमंद
सामग्री
अदरक का एक टुकड़ा
एक कप गर्म पानी
शहद (स्वादानुसार)
कैसे करें इस्तेमाल
एक कप गर्म पानी में अदरक के टुकड़े को डालें।
पांच से दस मिनट के लिए उसे ऐसे ही छोड़ दें।
अदरक की कड़वाहट को कम करने के लिए स्वादानुसार शहद डालें।
शहद को अच्छे से मिलाने के बाद उसे पी लें।
इस प्रक्रिया को दिन में तीन से चार बार दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक अदरक में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और हाइपोलिपिडेमिक (वसा को तोड़ने वाले) प्रभाव पाए जाते हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि फैटी लिवर का उपचार करने में यह प्रभाव लाभकारी साबित हो सकते हैं(16)।
11. फैटी लिवर में एलोवेरा
सामग्री
एलोवेरा की दो पत्तियां
आधा गिलास पानी
नमक (स्वादानुसार)
कैसे करें इस्तेमाल
एलोवेरा की पत्तियों से गूदे वाले भाग को अगल कर लें।
उसे ग्राइंडर में डालें और उसमें आधा गिलास पानी मिलाएं।
उसे अच्छे से ग्राइंड करें।
तैयार हुए जूस में स्वादानुसार नमक डाल कर पी जाएं।
इस प्रक्रिया को प्रतिदिन दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक एलोवेरा में हाइपोग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर कम करने) और एंटीओबेसिटी (मोटापा घटाने वाले) गुण पाए जाते हैं। इन्हीं गुणों पर किए गए शोध से इस बात की पुष्टि हुई कि एलोवेरा का नियमित उपयोग फैटी लिवर की समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है(17)।
12. फैटी लिवर में पपीता का इस्तेमाल
साम��्री
पपीते के पांच से छह टुकड़े
आधा गिलास दूध
कैसे करें इस्तेमाल
पपीते के टुकड़ों को ग्राइंडर में दूध के साथ डालें।
उसे अच्छे से मिक्स होने दें।
फिर तैयार हुए शेक पी लें।
इस प्रक्रिया को प्रतिदिन दोहराएं।
नोट– आप चाहें तो पपीता के टुकड़ों को सीधा खाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक पपीता में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो कि फैटी लिवर की समस्या में लाभदायक सिद्ध होता है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि पपीते का उपयोग इस समस्या में फायदेमंद साबित हो सकता है(18)।
13. प्याज फैटी लिवर में मददगार
सामग्री
प्याज के चार टुकड़े
कैसे करें इस्तेमाल
प्याज के चार टुकड़े सुबह शाम खाने के साथ इस्तेमाल करें।
किसी भी सामान्य आहार को तैयार करने में प्याज को शामिल करें।
खाने के साथ सलाद बनाकर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक प्याज में पाए जाने वाले कुछ विशेष तत्व फैटी लिवर के जोखिम को कम करने में सक्षम होते हैं। इस संबंध में किए गए एक शोध में भी इस बात की पुष्टि हुई है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि फैटी लिवर का उपचार करने में प्याज का उपयोग लाभकारी साबित हो सकता है(19)।
14. मुलेठी (लिकोरिस) का फैटी लिवर में उपयोग
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सामग्री
आधा चम्मच (छोटा) मुलेठी के बीज का चूर्ण
आधा कप गर्म पानी
कैसे करें इस्तेमाल
आधे कप गर्म पानी में मुलेठी के बीज का चूर्ण डालें।
उसे 10 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें।
फिर उसे छान कर पी लें।
इस प्रक्रिया को एक सप्ताह तक प्रतिदिन दोहराएं।
फिर कुछ हफ्ते के अंतराल के बाद इस प्रक्रिया को दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
इस संबंध में किए गए शोध के आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि मुलेठी या उसके बीज का प्रयोग शराब के अधिक सेवन से पैदा हुई फैटी लिवर की समस्या से राहत दिलाने का काम कर सकता है। बताया जाता है कि इसमें पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण इस समस्या से निजात दिलाने में सक्षम माने जाते हैं(20)।
नोट– मुलेठी का उपयोग सर्दियों के दिनों में करने से बचना चाहिए। कारण है इसकी ठंडी तासीर। अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।
15. टमाटर का उपयोग
सामग्री
दो टमाटर
कैसे करे इस्तेमाल
टमाटर को सलाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
टमाटर के टुकड़े काटकर इसे सीधे भी खाया जा सकता है।
खाद्य पदार्थों को बनाते वक्त इसे शामिल करें।
सूप या चटनी बनाकर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक टमाटर में पाया जाने वाला खास तत्व लाइकोपीन (lycopene) शराब के उपयोग से लिवर में आने वाली सूजन और क्षति को ठीक करने में सहायक साबित होता है। इस कारण यह कहा जा सकता है कि फैटी लिवर की समस्या को दूर करने में टमाटर का उपयोग लाभकारी साबित होता है(21)।
नोट– विशेषज्ञों का मानना है कि शराब के सेवन के साथ टमाटर का उपयोग हानिकारक साबित हो सकता है।
16. मिल्क थिसल
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सामग्री
एक से दो चम्मच (छोटा) मिल्क थिसल टी
एक कप गर्म पानी
शहद (स्वाद के लिए)
कैसे करें इस्तेमाल
आधे कप गर्म पानी में एक या दो चम्मच मिल्क थिसल टी डालें।
पांच से 10 मिनट के लिए उसे ऐसे ही छोड़ दें।
उसमें थोड़ा शहद (स्वाद के लिए) मिलाएं और पी लें।
इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक मिल्क थिसल में सिलीमरीन नाम का एक खास तत्व पाया जाता है। इस तत्व में एंटीऑक्सीडेंट और डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं, जो सिरोसिस (लिवर संबंधित बीमारी) के जोखिम को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं। इस वजह से ऐसा कहा जा सकता है कि मिल्क थिसल का उपयोग फैटी लिवर की समस्या से निजात पाने में लाभकारी सिद्ध हो सकता है(22)।
फैटी लिवर से संबंधित घरेलू उपचारों को जानने के बाद अब हम बात करेंगे फैटी लिवर के इलाज के बारे में।
फैटी लिवर का इलाज – Treatment of Fatty Liver in Hindi
फैटी लिवर ट्रीटमेंट की बात की जाए तो अभी तक इसकी कोई निश्चित दवा या इलाज नहीं पाया गया है। चिकित्सक केवल इस समस्या से बचने के तरीके और उपाय की जानकारी दे सकता है। वहीं समस्या बढ़ जाने की स्थिति में आपको ऑपरेशन या लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी जा सकती है, क्योंकि लास्ट स्टेज पर यही मात्र विकल्प शेष रह जाते हैं। आइए कुछ बिन्दुओं के माध्यम से उन उपायों के बारे में जानते हैं, जिन्हें फैटी लिवर ट्रीटमेंट के दौरान चिकित्सक द्वारा अपनाने की सलाह दी जाती है(23)(24)।
यदि शराब पीने के आदि है तो उसका उपयोग बंद कर दें या कम करें।
बढ़े हुए केलेस्ट्रोल को कम करने के तरीकों अपना कर उसकी मात्रा को नियंत्रित करें।
यदि आप मोटापे के शिकार हैं तो वजन घटाने का प्रयास करें।
फिजिकल एक्टिविटी की सलाह दी जा सकती है।
कुछ खानों से परहेज करने की सलाह दी जा सकती है।
वजन कम करने के चक्कर में खाना-��ीना न छोड़ें अन्यथा जोखिम ��ढ़ सकता है।
यदि शुगर के मरीज है तो आपको उसे नियंत्रित करने वाली दवा लेने की सलाह दी जा सकती है।
यदि आप डायबिटिक नहीं है और नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या से परेशान है तो विटामिन ई लेने की सलाह दी जा सकती है।
आहार संबंधित सलाह दी जा सकती है, जिसे अपना कर फैटी लिवर की समस्या में राहत पाई जा सकती है।
फैटी लिवर ट्रीटमेंट के बारे में जानने के बाद हम इस समस्या के निदान के बारे में बात करेंगे।
फैटी लिवर का निदान – Diagnosis of Fatty Liver in Hindi
फैटी लिवर का निदान आसान नहीं है। कारण यह है कि शुरुआती दिनों में फैटी लिवर के कोई भी लक्षण नजर नहीं आते। हां यह जरूर हो सकता है कि किसी समस्या के लिए आप डॉक्टर के पास जाएं और उसे उस समस्या को देखकर शक हो जाए कि आप फैटी लिवर की समस्या से परेशान हैं। इस बात की पुष्टि के लिए वह कुछ टेस्ट करा सकता है। जिनके माध्यम से इस बीमारी के होने का पता आसानी से लगाया जा सकता है। आइए फैटी लिवर के निदान के लिए किए जाने वाले सभी टेस्ट को क्रमवार समझते हैं(23)।
मेडिकल हिस्ट्री का परीक्षण।
ब्लड टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट का परीक्षण।
लिवर में वसा की मात्रा और कठोरता संबंधी जांच।
संदेह गहरा होने पर पुष्टि के लिए बायोप्सी सहित विभिन्न परीक्षण।
पुष्टि होने की स्थिति में शराब सेवन से संबंधित सवाल ताकि पता कर सके कि बीमारी एल्कोहलिक फैटी लिवर है या नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर।
यदि आप पहले से किसी दवा का नियमित सेवन कर रहे हैं तो उससे बारे में आपसे पूछा जाएगा। यह जानने के लिए कि कहीं कोई खास दवा इस बीमारी का कारण न बन रही हो।
शारीरिक जांच में वजन और ऊंचाई का परीक्षण किया जाएगा। यह जाने के लिए कि कहीं मोटापा इसकी वजह तो नहीं।
अब बात करते हैं फैटी लिवर की समस्या से राहत पाने के लिए की जाने वाली एक्सरसाइज के बारे में।
फैटी लिवर के लिए एक्सरसाइज – Exercises For Fatty Liver in Hindi
इस संबंध में किए गए शोध में पाया गया कि हाई इंटेंसिटी के साथ कम मात्रा में की गई एक्सरसाइज (एरोबिक्स) फैटी लिवर की समस्या में सुधार के लक्षण प्रदर्शित करती है। वहीं दूसरी ओर इसके उलट यदि कम इंटेंसिटी के साथ अधिक एक्सरसाइज (एरोबिक्स) की जाती है, तो उसका भी पहले की तरह बेहतर असर दिखाई देता है। इस संबंध में निष्कर्ष और निचोड़ की बात की जाए तो ऐसा माना जा सकता है कि अन्य एक्सरसाइज के मुकाबले एरोबिक्स की सहायता से फैटी लिवर की समस्या से राहत पाई जा सकती है(24)(25)।
अब समय है फैटी लिवर से बचने के उपाय के बारे में जानने का।
फैटी लिवर से बचने के उपाय – Prevention Tips for Fatty Liver in Hindi
फैटी लिवर से बचने के उपाय कुछ इस प्रकार हैं(1)।
शारीरिक पोषण का ध्यान रखते हुए मोटापा कम करें।
आहार और दवा दोनों के माध्यम से बढ़ी हुई ट्रिगलिसिराइड की मात्रा को कम करें।
शराब से दूरी बनाकर रखें।
डायबिटीज की समस्या को नियंत्रित करें।
संतुलित और स्वस्थ आहार का ��स्तेमाल करें।
शारीरिक गतिविधियों (फिसिकल एक्टिविटी)पर ध्यान दें।
अपने चिकित्सक से लगातार संपर्क में रहें।
अब तो आप फैटी लिवर की समस्या, लक्षण और इलाज के बारे में अच्छे से जान गए होंगे। लेख में आपको इस समस्या से निजात पाने के कई घरेलू उपचारों के बारे में बताया गया है। वहीं इसके निदान और इससे बचाव के भी विस्तृत तरीके आपको लेख के माध्यम से सुझाए गए हैं। ऐसे में यदि आप भी फैटी लिवर की समस्या से झूझ रहे हैं और इससे निजात पाने के तरीके ढूंढ रहे हैं, तो लेख में दी गई सभी जानकारियों को अच्छे से पढ़ें और फिर उन्हें अमल में लाएं। आशा करते हैं कि यह लेख आपको फैटी लिवर की समस्या से राहत पाने में मददगार साबित होगा। इस विषय में किसी अन्य प्रकार के सुझाव और सवालों के लिए आप हमसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से जुड़ सकते हैं।
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Ankit Rastogi
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/fatty-liver-ke-karan-lakshan-aur-gharelu-ilaj-in-hindi/
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बदहजमी (अपच) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Indigestion Symptoms and Home Remedies in Hindi
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बदहजमी (अपच) के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय – Indigestion Symptoms and Home Remedies in Hindi
shivani verma April 30, 2019
बदहजमी यानी अपच ऐसी समस्या है, जो आपके पूरे स्वास्थ्य को बिगाड़कर रख देती है। जब पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द या बेचैनी हो, तो यह बदहजमी का संकेत हो सकता है। पाचन तंत्र में खराबी होने के कारण बदहजमी की समस्या होने लगती है। कुछ लोग बदहजमी का इलाज करने के लिए डॉक्टर से दवा लेते हैं, तो कुछ घरेलू उपचार अपनाकर बदहजमी के उपाय करते हैं।
स्टाइलक्रेज का यह लेख अपच की समस्या पर ही है। इस लेख में हम आपको अपच के घरेलू उपाय बताएंगे। साथ ही आपको इसके कारण और लक्षण के बारे में भी बताएंगे। आइए, पहले जानते हैं कि बदहजमी के कारण क्या हैं।
विषय सूची
बदहजमी के कारण – Causes of Indigestion Hindi
बदहजमी होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे (1):
जरूरत से ज्यादा खा लेना।
मसालेदार और तैलीय भोजन करना।
भोजन के तुरंत बाद लेट जाना।
धूम्रपान करना।
शराब का सेवन।
एस्पिरिन और इबुप्रोफेन जैसी कुछ दवाएं।
एसिड रिफलक्स, गैस्ट्रिक कैंसर, अग्नाशय में असमानता या पेप्टिक अल्सर जैसी चिकित्सीय स्थितियां।
बदहजमी (अपच) के लक्षण – Symptoms of Indigestion in Hindi
बदहजमी होने पर आपको कई तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं। नीचे हम इन्हीं लक्षणों के बारे में बता रहे हैं (1):
पेट फूलना
जी-मिचलाना
उल्टी
सीने में जलन
खाना खाते समय पेट भरा महसूस होना
पेट में जलन
डकार आना
उल्टी में खून आना
वजन घटना
निगलने में कठिनाई
काला मल आना
आगे हम आपको अपच के घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं।
बदहजमी का घरेलू इलाज – Home Remedies for Indigestion in Hindi
समस्या कोई भी हो, अमूमन लोग पहले उसका घरेलू उपचार करना पसंद करते हैं। ये घरेलू उपचार असरदार भी होते हैं और किसी तरह का नुकसान भी नहीं पहुंचाते।
1. बेकिंग सोडा
Shutterstock
सामग्री :
आधा चम्मच बेकिंग सोडा
आधा गिलास गर्म पानी
क्या करें?
आधे गिलास पानी में आधा चम्मच बेकिंग सोडा डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
फिर इस पानी को पी लें।
बेहतर परिणाम के लिए कुछ सप्ताह तक दिन में दो से तीन बार आप इसे पिएं।
यह कैसे काम करता है?
अपच का इलाज करने के लिए बेकिंग सोडा काफी फायदेमंद हो सकता है। बेकिंग सोडा एक प्राकृतिक एंटासिड है, जो अपच और सीने की जलन का इलाज करने में मदद करता है। यह अपच को ठीक करने के लिए पेट के एसिड को बेअसर करता है (2)।
सावधानी : अगर खाना खाने के बाद आपका पेट पूरी तरह से भर गया है, तो बेकिंग सोडे का सेवन न करें।
2. दालचीनी
सामग्री :
एक इंच दालचीनी का टुकड़ा
एक कप गर्म पानी
शहद
क्या करें?
एक कप गर्म पानी में दालचीनी का टुकड़ा डालें।
इसे 5 से 10 मिनट के लिए पानी में ही रहने दें, फिर पानी को छान लें।
जैसे ही पानी थोड़ा-सा ठंडा होने लगे, इसमें शहद मिलाएं और ��ुरंत पी लें।
इसे रोजाना दिन में दो से तीन बार पिएं।
यह कैसे काम करता है?
अपच का इलाज करने के लिए दालचीनी गुणकारी हो सकती है। दालचीनी के एंटीस्पास्मोडिक गुण आपके पाचन तंत्र की मांसपेशियों को आराम पहुंचाते हैं। साथ ही इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो अपच का कारण हो सकते हैं (3) (4)।
3. कैमोमाइल टी
सामग्री :
कैमोमाइल चाय का 1 चम्मच
1 कप गर्म पानी
शहद
क्या करें?
एक कप गर्म पानी में एक चम्मच कैमोमाइल चाय मिलाएं।
इसे 5 से 10 मिनट के लिए पानी में रहने दें।
फिर इसे छान लें और शहद मिलाकर इसे पी जाएं।
बेहतर परिणाम के लिए आप इसे रोजाना दिन में दो से तीन बार पिएं।
यह कैसे फायदा करता है?
कैमोमाइल टी भी अपच में फायदा पहुंचाती है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण एसिड के कारण हुई सूजन को कम करने में मदद करते हैं (5)।
4. नींबू और अदरक की चाय
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सामग्री :
एक इंंच अदरक का टुकड़ा
1 चम्मच नींबू का रस
1 कप गर्म पानी
शहद
क्या करें?
एक कप गर्म पानी में अदकर का टुकड़ा डालें।
फिर इसमें एक चम्मच नींबू का रस डालें।
5 से 10 मिनट के बाद इस पानी को छान लें।
जब यह चाय गुनगुनी हो जाए, तो इसमें थोड़ा-सा शहद डालें और तुरंत पी लें।
यह कैसे फायदा करता है?
नींबू और अदरक की यह चाए न सिर्फ आपका पाचन ठीक करती है, बल्कि ब्लोटिंग से भी राहत दिलाती है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पेट में एसिडिटी से राहत दिलाते हैं (6) (7)।
5. जीरा
1 चम्मच जीरा
1 कप गर्म पानी (वैकल्पिक)
क्या करें?
एक कप गर्म पानी में एक चम्मच जीरा डालें।
इसे 5 से 10 मिनट तक मिलाएं और फिर छान लें।
इस गर्म पानी को आप चाय की तरह पिएं।
आप खाना खाने के बाद आधे चम्मच जीरे को चबा भी सकते हैं।
यह कैसे फायदेमंद है?
जीरे में एंटी-फ्लैट्यूलेंट गुण होते हैं, जो ब्लोटिंग जैसी समस्या को कम कर पाचन को ठीक करने में मदद करते हैं (8)।
6. सेब का सिरका
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सामग्री :
1-2 चम्मच सेब का सिरका
1 गिलास पानी
क्या करें?
एक गिलास गर्म पानी में एक से दो चम्मच सेब का सिरका मिलाएं।
आप स्वाद के लिए इसमें थोड़ा-सा शहद मिला सकते हैं।
फिर इस मिश्रण को पी लें।
यह कैसे काम करता है?
सेब के सिरके में एसिटिक एसिड होता है, जो एसिडिटी को कम करने में मदद करता है (8)।
7. छाछ
सामग्री :
एक कप छाछ
क्या करें?
जब भी आपको अपच की शिकायत हो, तो एक कप छाछ पी लें।
आप चाहें तो इसमें थोड़ा-सा भुना हुआ जीरा भी मिला सकते हैं।
यह कैसे फायदा करता है?
छाछ में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड होता है, जो पेट के एसिड को कम कर अपच की समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है (9)।
8. अजवाइन
सामग्री :
आधा चम्मच अजवाइन
क्या करें?
जब भी आपको अपच महसूस हो, तो अजवाइन के बीज को चबाएं।
यह कैसे काम करता है?
अजवाइन में एंटीस्पास्मोडिक और कार्मिनेटिव गुण होते हैं, जो बदहजमी के कारण पेट फूलने की समस्या को कम करने में मदद करते हैं (10)।
9. दूध
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सामग्री :
फैट फ्री दूध
क्या करें?
जब भी आपको बदहजमी महसूस होने लगे, तो एक कप फैट फ्री दूध पी लें।
यह कैसे फायदा करता है?
दूध पेट में एसिड को कम कर���े में मदद करता है। इस वजह से यह पेट के एसिड को बेअसर करता है और अपच की समस्या से राहत दिलाता है।
10. एसेंशियल ऑयल
सामग्री :
एक बूंद लेमन एसेंशियल ऑयल
एक गिलास पानी
क्या करें?
एक गिलास पानी में एक बूंद लेमन एसेंशियल ऑयल डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
फिर इस पानी को आप खाना खाने के आधा घंटा पहले पी लें।
आप रोजाना दिन में दो से तीन बार यह पी सकते हैं।
यह कैसे फायदेमंद है?
लेमन एसेंशियल ऑयल में कार्मिनेटिव और एल्कलाइन गुण होते हैं, जो पेट के एसिड को बेअसर कर बदहजमी से बचाते हैं। इसके अलावा, इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और डिटॉक्स के गुण आपकी पाचन प्रणाली को साफ करने में मदद करते हैं (11)।
11. शहद
सामग्री :
एक चम्मच ऑर्गेनिक शहद
एक गिलास पानी (वैकल्पिक)
क्या करें?
एक गिलास पानी में एक चम्मच शहद को अच्छी तरह मिला लें।
इस पानी को रोजाना खाने से एक घंटा पहले पिएं।
इसके अलावा, आप एक चम्मच शहद को बिना पानी के भी ले सकते हैं।
यह कैसे फायदा करता है?
शहद में कई तरह के गुण होते हैं, जो पाचन को दुरुस्त करने में मदद करते हैं (12)। इसमें मौजूद मिनरल जैसे पोटैशियम पेट के एसिड को कम कर अपच की समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है।
12. ओटमील
सामग्री :
एक बाउल पका हुआ ओटमील
क्या करें?
अपच की शिकायत होने पर एक बाउल ओटमील खाएं।
कैसे फायदा करता है?
ओटमील में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो आपका पेट ठीक रखने में मदद करता है और आपको बदहजमी से बचाता है (9)।
13. नारियल का तेल
सामग्री :
वर्जिन नारियल तेल के 1-2 बड़े चम्मच
क्या करें?
अपच की समस्या होने पर आप रोजाना दो चम्मच नारियल तेल पिएं।
आप इसे सलाद में डालकर या अपनी पसंदीदा ड्रिंक में मिलाकर भी पी सकते हैं।
कैसे फायदा करता है?
नारियल तेल में लॉरिक एसिड और कैपरिक एसिड होता है, जो पाचन तंत्र को ठीक रखने में मदद करते हैं (10)। इसके अलावा, नारियल तेल को पचाना आसान होता है।
14. एलोवेरा
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सामग्री :
¼ कप एलोवेरा जूस
क्या करें?
बदहजमी होने पर आ��� एक चौथाई एलोवेरा का जूस पी लें।
यह कैसे फायदा करता है?
बदहजमी का इलाज करने के एलोवेरा काफी कारगर होता है। एलोवेरा जूस में विटामिन, खनिज और अमीनो एसिड होता है, जो आपके शरीर को डिटॉक्स करने और पाचन शक्ति बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो आपके शरीर में किसी भी तरह की सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
15. कार्बोनेटेड वॉटर
सामग्री :
एक कैन कार्बोनेटेड वॉटर
क्या करें?
दिन भर में थोड़ा-थोड़ा कार्बोनेटेड वॉटर पीते रहें। जब तक आपको अपच से राहत न मिले, इसे पीते रहें।
यह कैसे काम करता है?
कार्बोनेटेड वॉटर में कार्बनडाईऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है। इसमें मौजूद एंटासिड इफेक्ट अपच की समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है (11)।
बदहजमी (अपच) में क्या खाना चाहिए – Foods to Eat for Indigestion in Hindi
बदहजमी का इलाज करने के लिए सही खानपान भी जरूरी है। आप अपने खानपान में नीचे बताई हुई चीजें शामिल करें। ये बदहजमी के दौरान आपको फायदा पहुंचा सकती हैं :
सब्जियां – अपच की समस्या होने पर आप हरी सब्जियां जैसे बीन्स व ब्रोकली का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि इनमें फैट और शुगर की मात्रा कम होती है, जिन्हें पचाने में आसानी होती है। ओटमील – आप ओटमील का इस्तेमाल करें, क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है, जो आपके पेट को ठीक रखने में मदद करत��� है। केला – अपच की समस्या होने पर आप केले का सेवन कर सकते हैं। केले में प्रीबायोटिक गुण होते हैं, जो इस समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं (12)। योगर्ट – बदहजमी दूर करने के लिए आप योगर्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके सेवन से पेट को ठंडक मिलती है। खरबूजा या तरबूज – आप खरबूजे या तरबूज का भी सेवन कर सकते हैं, क्योंकि इन्हें पचाना आसान होता है। अंडे का सफेद भाग – अपच के दौरान अंडे का सफेद भाग भी फायदा पहुंचा सकता है। इसमें एसिड कंटेंट की कमी होती है और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
आर्टिकल के इस हिस्से में हम कुछ ऐसे टिप्स दे रहे हैं, जिनसे आपको बदहजमी नहीं होगी।
बदहजमी से बचने के कुछ और उपाय – Other Tips for Indigestion in Hindi
यूं तो आप ऊपर बताए गए बदहजमी दूर करने के उपाय अपना सकते हैं, लेकिन आप कुछ बातों का ध्यान रखते हुए खुद को अपच की समस्या से बचा सकते हैं। नीचे हम बदहजमी से बचने के लिए यही कुछ टिप्स दे रहे हैं :
आप एक साथ बहुत सारा खाना न खाते हुए थोड़ा-थोड़ा करके हर कुछ देर में खाएं।
धीरे-धीरे और अच्छी तरह खाने को चबाएं।
मसालेदार और तली हुई चीजों से परहेज करें।
खाना खाने के तुरंत बाद लेटे नहीं। खाने के बाद थोड़ा टहलें, फिर बिस्तर पर जाएं।
शराब और कैफीन से दूर रहें।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
योग और मेडिटेशन का सहारा लेते हुए तनाव से दूर रहने की कोशिश करें।
इस लेख में हमने आपको कई तरह के बदहजमी दूर करने के उपाय बताने की कोशिश की है। अगर आप इस समस्या से परेशान रहते हैं और बदहजमी के उपाय तलाश रहे हैं, तो यकीनन यह लेख आपके काम आएगा। उम्मीद है कि इस लेख में दिए अपच के घरेलू उपाय आपकी समस्या को कम करने में मदद करेंगे। नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में हमें बताएं कि आपने बदहजमी के लिए इनमें से कौन से उपाय अपनाए। इसके अलावा, अगर आपको कोई अन्य बदहजमी का इलाज पता है, तो हमारे साथ जरूर शेयर करें।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/apach-ke-karan-lakshan-gharelu-upay-in-hindi/
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