#सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन
Explore tagged Tumblr posts
Photo
10 जुलाई से आईपीयू में फिजिकल मोड में होने वाली परीक्षा टली गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय ने 10 जुलाई से फिजिकल मोड में होने वाली परीक्षा को वर्तमान में टाल दिया है। वर्तमान में कोविद -19 से उपजी स्थिति को देखते हुए आईपीयू ने पेन पे��र के माध्यम से होने ...। Source link
#आईपीयू#आईपीयू एग���जाम#आईपीयू परीक्षा#काउंसिल फॉर बीआर्क#गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय#डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया#बायर्स के लिए परिषद#भारतीय चिकित्सा परिषद#मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया#सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन#सेंट्रल मेडिलिन ऑफ इंडियन मेडिसिन#हिंदी समाचार#हिंदुस्तान#हिन्दी में समाचार#हिन्दुस्तान
0 notes
Link
अररिया जिले के अम्हारा इलाके में क्लिनिक चलाने वाले डॉक्टर नरसिंह प्रताप सिंह दूर-दूर तक मशहूर हैं। आस-पास के कई जिलों से उनके पास मरीज आते हैं। जिस पर्चे पर वो दवाई लिखते हैं, उसमें सबसे ऊपर शेर पर सवार दुर्गा की एक तस्वीर बनी है और संस्कृत में एक श्लोक दर्ज है। इसके नीचे उनका नाम और ‘रजिस्ट्रेशन नम्बर 00080596’ लिखा है। पड़ताल करने पर वो खुद ही बता देते हैं कि ये असल में उनका यूनिवर्सिटी का रोल नम्बर है।
उनकी डिग्री के बारे में उनके पर्चे पर लिखा है ‘बी.ए.एस.एम.को.’। इस डिग्री के बारे में पूछने पर वो कहते हैं, ‘ये कोलकाता से होने वाली एक मेडिकल डिग्री है, जिसे बिहार सरकार मान्यता नहीं देती, लेकिन कई अन्य सरकारें देती हैं।’ हकीकत ये है कि कोई भी सरकार इस तरह के कोर्स को मान्यता नहीं देती और सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन इस कोर्स को फर्जी घोषित कर चुकी है।
नरसिंह प्रताप सिंह 1971 से लोगों का इलाज कर रहे हैं। अपने बारे में वो कहते हैं, ‘मैंने करीब दस साल एक एमबीबीएस डॉक्टर के साथ काम किया है। मैं तब कंपाउंडर हुआ करता था। उसके बाद ही मैंने अपना डॉक्टर का काम शुरू किया। ��मारे संविधान की धारा 62 में यह लिखा भी गया है कि दस साल किसी डॉक्टर के साथ काम करने वाले व्यक्ति को मेडिकल प्रैक्टिशनर का प्रमाणपत्र दिया जा सकता है।’
पूरे आत्मविश्वास से जब नरसिंह प्रताप सिंह संविधान का हवाला देते हैं तो उनके आस-पास मौजूद उनके मरीजों का उन पर विश्वास कुछ और मजबूत हो जाता है। वे नहीं जानते कि उनके ‘डॉक्टर साहब’ संविधान से जुड़ी जो बात कह रहे हैं, वो हकीकत से कोसों दूर है और संविधान का अनुच्छेद 62 तो असल में राष्ट्रपति चुनावों के संबंध में बा��� करता है।
सहरसा जिले के नवहट्टा ब्लॉक की मुरादपुर पंचायत में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र।
डॉक्टर नरसिंह अपने मरीजों से कोई भी कंसलटेशन फीस नहीं लेते। वे सिर्फ दवा लिख देते हैं, जो उन्हीं की दवाई की दुकान से मरीज को खरीदनी होती है। इस पर होने वाली बचत ही उनकी फीस है। इसके अलावा वो कई बार खून की जांच या एक्स-रे भी लिख देते हैं, जो पास की ही एक लैब में हो जाती है। यह लैब कोई पैथोलॉजिस्ट या रेडियोलॉजिस्ट नहीं चला रहा, बल्कि लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा किए हुए लोगों के नाम से ही लैब चल रही है।
ऐसी लैब से निकली रिपोर्ट कितनी प्रामाणिक होगी, ये समझना मुश्किल नहीं है। इन रिपोर्ट्स पर किसी पैथोलॉजिस्ट या रेडियोलोजिस्ट के हस्ताक्षर भी नहीं होते। इसमें सिर्फ एक हस्ताक्षर होता है, जिसके नीचे ‘डीएमएलटी’ लिखा होता है, जिसका मतलब हुआ ‘डिप्लोमा इन मेडिकल लैबरेटरी टेक्नीक’। डिप्लोमा किया हुआ कोई व्यक्ति ही हस्ताक्षर कर देता है और मरीज इसे ही रिपोर्ट के प्रामाणिक का सबूत मान लेते हैं।
ये कहानी सिर्फ ‘डॉक्टर’ नरसिंह और उनके आस-पास खुली लैब की नहीं है। पूरे बिहार के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था ऐसे ही काम कर रही है। यहां बड़ी आबादी इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास ही इलाज के लिए पहुंचती है। ये डॉक्टर अपना कोई बोर्ड वगैरह नहीं लगाते। इनकी सिर्फ एक केमिस्ट की दुकान होती है, जिसका लाइसेंस किसी फार्मासिस्ट के फर्जी दस्तावेज लगाकर आसानी से मिल जाता है।
सुपौल जिले के ऐसे ही एक झोलाछाप डॉक्टर बताते हैं, ‘पहले एक फार्मासिस्ट के दस्तावेजों पर ही कई-कई केमिस्ट के लाइसेंस जारी कर दिए जाते थे। अब एक फार्मासिस्ट के नाम पर एक ही केमिस्ट शॉप का लाइसेंस जारी होता है। लेकिन ड्रग इंस्पेक्टर के ऑफिस में बैठे दलाल ये लाइसेंस 50-60 हजार रुपए लेकर जारी करवा देते हैं।'
झोलाछाप डॉक्टर बिहार में कितने व्यापक पैमाने पर फैले हैं, इसका अंदाजा कृष्णा मिश्रा की बातों से लगाया जा सकता है। कृष्णा अररिया जिले में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का काम करते हैं। वो बताते हैं, ‘तमाम दवाई कंपनियां यहां जो दवाई बेच रही हैं, उसका 60 फीसदी से ज्यादा ऐसे ही झोलाछाप डॉक्टरों के जरिए लोगों तक पहुंच रहा है। एमबीबीएस डॉक्टरों के जरिए 40 फीसदी से भी कम दवाएं बिकती हैं। ग्रामीण इलाकों में तो लगभग सौ फीसदी दवाएं इन्हीं के जरिए जाती हैं, क्योंकि वहां दूर-दूर तक एमबीबीएस हैं ही नहीं।’
नरसिंह प्रताप सिंह बताते हैं कि अररिया जिले के सिर्फ फारबिसगंज ब्लॉक में ही 400 से ज्यादा झोलाछाप डॉक्टर हैं। वे कहते हैं, ‘बीते करीब दस सालों में ये संख्या तेजी से बढ़ी है। नौकरियां हैं, नहीं तो नए लड़के भी झोला लेकर डॉक्टर का काम शुरू कर रहे हैं। दो-तीन साल किसी डॉक्टर के साथ या किसी दवा की दुकान पर काम करने के बाद लड़के ये काम शुरू कर देते हैं।’
रामपुर पंचायत के रहने वाले विक्की मिश्रा बताते हैं, ‘गांव के लोग अधिकतर झोलाछाप के पास जाना ही पसंद करते हैं। एक तो झोलाछाप आस-पास के ही गांव के होते हैं, तो नजदीक ही रहते हैं। दूसरा, प्राइवेट अस्पताल की फीस इतनी ज्यादा है कि हर कोई वो चुका नहीं सकता। एक कारण ये भी है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति ��ेहद खराब है। वो या तो हैं ही नहीं या उनमें डॉक्टर नहीं है।’
विक्की आगे कहते हैं, ‘मैं जब चौथी-पांचवीं में पढ़ता था तो माधवपुर पंचायत के मेरे स्कूल के ठीक पीछे एक स्वास्थ्य केंद्र बनना शुरू हुआ था। उसका ढांचा पूरा बनकर खड़ा हुआ और अब करीब 12-13 साल बाद वो ढांचा जर्जर होकर गिरने को हो गया है। लेकिन, उसमें कभी न तो कोई डॉक्टर आया, न कभी उसका उद्घाटन हुआ। ऐसे केंद्र यहां के तमाम गांवों में देखे जा सकते हैं।’
बिहार के ये झोलाछाप डॉक्टर अमूमन सर्दी, खांसी, बुखार, पीलिया, डायरिया या मलेरिया जैसी बीमारियों में लोगों को प्राथमिक उपचार देते आए हैं। इनमें कुछ लोग अब बतौर डॉक्टर अपनी पहचान स्थापित कर चुके हैं तो उन्होंने दुकानें खोल ली हैं, जबकि कई साइकल पर झोला लटकाए गांव-गांव घूमते हैं और लोगों का इलाज करते हैं।
माधवपुर पंचायत के स्कूल के ठ���क पीछे एक स्वास्थ्य केंद्र का ढांचा 12-13 साल बाद जर्जर होकर गिरने को हो गया है। लेकिन उसमें कभी न तो कोई डॉक्टर आया, न कभी उसका उद्घाटन हुआ।
बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था इन झोलाछाप पर इस कदर निर्भर है कि सरकार अगर सख्ती से इन पर पाबंदी लगा दे, तो पूरी व्यवस्था ही चरमराने लगेगी। झोलाछाप डॉक्टरों का अस्तित्व बिहार में एक खुला हुआ रहस्य है। वे जो काम कर रहे हैं, वह कानूनन गलत है, लेकिन सरकार के पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है इसलिए इन्हें नजरंदाज करके चलने दिया जाता है।
साल 1993 में ‘सोसायटी फॉर सोशल हेल्थ केयर’ नाम के एक एनजीओ ने इन लोगों को प्रशिक्षण देने का एक खाका तैयार किया था। इसके तहत कई लोगों को चार-पांच महीने का प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वे प्राथमिक उपचार से जुड़ी मूलभूत बातें सीख सकें। इसका काफी फायदा भी हुआ, लेकिन आज बात बहुत आगे बढ़ चुकी है। आज कई झोलाछाप डॉक्टर सिर्फ प्राथमिक उपचार ही नहीं, बल्कि ऑपरेशन तक करने लगे हैं।
गालब्लेडर में पथरी, बच्चादानी निकालने ��र हर्निया जैसे ऑपरेशन जगह-जगह झोलाछाप डॉक्टर खुद ही करने लगे हैं। ये गैर कानूनी तो है ही, साथ ही लोगों की जिंदगी को सीधे-सीधे खतरे में डालने वाला भी है। इन पर गाहे-बगाहे कार्रवाई होती भी है, लेकिन कुछ ही समय बाद ये फिर से शुरू हो जाते हैं और इसका मुख्य कारण सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का बेहद लचर होना है।
बीते सालों में झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या कम होने की जगह तेजी से बढ़ी है। इस बारे में विक्की मिश्रा कहते हैं, ‘जब हम छोटे थे तो हमारे पूरे इलाके में दो-तीन ही ऐसे डॉक्टर हुआ करते थे। एक मुमताज भैया के पापा थे, एक बिंदेश्वरी अंकल थे और शायद एक और कोई थे। लेकिन, आज तो गांव में ही 14-15 से ज्यादा ऐसे डॉक्टर हो गए हैं।’
स्वास्थ्य व्यवस्था का इस कदर लचर होना क्या इन चुनावों में एक मुद्दा होगा? यह सवाल करने पर अररिया के पंकज मंडल कहते हैं, ‘ये बिलकुल भी मुद्दा नहीं होगा। झोलाछाप डॉक्टर असली डॉक्टर हैं या नहीं, इससे गांव के लोगों को फर्क ही नहीं पड़ता। उनके लिए तो ये भगवान हैं, जो कम पैसे में सालों से उनका इलाज करते आ रहे हैं। युवाओं के लिए भी ये मुद्दा नहीं है, क्योंकि नौकरियां नहीं हैं, तो इसी बहाने कई लोगों को काम मिल जाता है। मुझे भी अगर कोई नौकरी नहीं मिली तो मैं भी आसानी से झोलाछाप बन सकता हूं।’
यह भी पढ़ें :
पहली रिपोर्ट : कहानी बिहार के झोलाछाप डॉक्टरों की / जिनके हाथ मेडिकल की डिग्री नहीं, लेकिन कंधों पर बिहार के स्वास्थ्य का जिम्मा है...
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
The registration number registered on the prescription on which these medicines are written is their university roll number
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/35smIZx via IFTTT
0 notes
Photo
राज्यसभा से होम्योपैथिक बिल 2020 को मंजूरी मिलते ही राष्ट्रीय आयोग के गठन का रास्ता साफ
नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र में सरकार के द्वारा पेस किये गए बिल में आयुष मंत्रालय से जुड़ा एक बिल सरकार ने लोकसभा से पास होने के बाद होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल संशोधन बिल 2020 को राज्य सभा में पास कर दिया गया है। इससे पहले 14 सिंतबर को नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी बिल 2020 और नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन बिल 2020 को लोकसभा में पास किया गया था। इन दोनों बिलों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने निचले सदन में पेश किया था।
देश में भारतीय चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी की चिकित्सा शिक्षा में क्रांतिकारी सुधार करने के लिए इन विधेयकों को काफी अहम माना जा रहा है। ये दोनों विधेयक मौजूदा भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1970 और होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 का स्थान लेंगे। इन विधेयकों के अधिनियमन से मौजूदा केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद (सीसीआईएम) और केंद्रीय होम्योपैथी परिषद को संशोधित किया जाएगा। भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए राष्ट्रीय आयोग और होम्योपैथी के लिए राष्ट्रीय आयोग का उद्देश्य भारतीय चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी में सुधार लाना होगा।
आपको बता दें कि इससे पहले भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक, 2019 और होम्योपैथी के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक 2019 को बीते वर्ष जनवरी में पेश किया गया था। इसके बाद दोनों विधेयक स्��ास्थ्य और परिवार कल्याण से संबंधित संसदीय स्थायी समिति के पास भेजे गए थे। समिति ने इन विधेयकों की जांच करने के बाद इनमें राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के अनुरूप कुछ संशोधन करने का सुझाव दिया था। जिसके बाद मंत्रालय ने प्रमुख सुझावों पर विचार किया और उक्त विधेयकों में आधिकारिक संशोधनों को पेश किया। उसके बाद ये विधेयक मार्च, 2020 को राज्य सभा में भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक, 2020 और होम्योपैथी के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक, 2020 के रूप में पारित किए गए थे।
राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक-2020, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग की स्थापना के लिए होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम 1973 का स्थान लेगा। होम्योपैथी आयोग में 20 सदस्य होंगे जिसमें एक अध्यक्ष के अलावा होम्योपैथी शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष, राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान के महानिदेशक और होम्योपैथी के लिए चिकित्सा समीक्षा और रेटिंग बोर्ड के अध्यक्ष सदस्य के रूप में शामिल होंगे। इसमें कुछ अन्य सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा।
https://kisansatta.com/approval-of-formation-of-national-commission-clear-as-soon-as-homeopathic-bill-2020-is-approved-by-rajya-sabha/ #ApprovalOfFormationOfNationalCommissionClearAsSoonAsHomeopathicBill2020IsApprovedByRajyaSabha Approval of formation of National Commission clear as soon as Homeopathic Bill 2020 is approved by Rajya Sabha National, Top, Trending #National, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
#Approval of formation of National Commission clear as soon as Homeopathic Bill 2020 is approved by Rajya Sabha#National#Top#Trending
0 notes
Photo
फैकल्टी के ‘खेल’ पर सीसीआइएम हुआ सख्त, पढ़िए पूरी खबर फैकल्टी के नाम पर खेल कर रहे निजी आयुर्वेद कॉलेजों को सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) किसी हाल में बख्शने के मूड में नहीं है। विजिटेशन परफॉर्मा को लेकर सीसीआइएम का हालिया रुख कुछ यही बयां कर रहा है। विजिटेशन परफॉर्मा भरने की तिथि 17 जनवरी तक बढ़ा दी है। साथ ही यह हिदायत भी दी है कि इसके बाद कोई रियायत नहीं दी जाएगी। यानि अब कोई तिथि नहीं बढ़ेगी।
0 notes
Text
Latest Government Job: NHM में निकली हेल्थ ऑफिसर्स की भर्ती, आज ही करें अप्लाई
Latest Government Job: हरियाणा स्टेट हैल्थ सोसायटी ने नेशनल हेल्थ मिशन के तहत मिड लेवल हेल्थ प्रोवाइडर्स-कम-कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर्स के पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके अनुसार 328 पदों के लिए इच्छुक और पात्र उम्मीदवार 15 अगस्त 2019 तक या उससे पहले इन पदों के लिए अप्लाई कर सकते हैं। उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के जरिए होगा। लिखित परीक्षा 18 अगस्त, 2019 को होगी।
जरूरी योग्यता सरकारी या मान्यता प्राप्त संस्थान से बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी की रेगुलर डिग्री होनी चाहिए, जो काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (हरियाणा) या सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन या किसी अन्य स्टेट काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन के साथ पंजीकृत होना चाहिए।
कैसे करें आवेदन भर्ती में शामिल होने के इच्छुक आवेदक वेबसाइट http://www.nrhmharyana.gov.in/ पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। लॉगइन करके एजूकेशनल डिटेल्स भरें। साइन, जाति आदि जानकारियां भरें और अंत में पेमेंट करें। फोटो और सिग्नेचर की साइज चैक करके ही अपलोड करें।
आवेदन शुल्क और आयु इन पदों के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम 42 वर्ष निर्धारित की गई है। आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए सरकारी मानकों के अनुसार आयु में छूट दी जाएगी। चयनित उम्मीदवारों को 25,000 रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा। इन पदों के लिए कोई आवेदन शुल्क देय नहीं होगा।
कैसे होगा चयन उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर करवाया जाएगा। परीक्षा 18 अगस्त और काउंसलिंग 20 अगस्त को लाजपतराय भवन, सेक्टर नंबर-15, चंडीगढ़ में करवाई जाएगी। मेडिकल के क्षेत्र में अच्छा अनुभव रखने वाले और दक्ष उम्मीदवारों के लिए सुनहरा अवसर है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://www.patrika.com/jobs/latest-government-job-do-apply-for-nhm-health-officers-post-jobs-4970749/
0 notes
Text
मान्यता के लिए आयुष कॉलेजों का नहीं होगा फिजिकल इन्सपेक्शन, कॉलेज की इंफ्रास्ट्रक्चर - टीचिंग फैकल्टी रिपोर्ट पर काउंसिल करेगी मान्यता की सिफारिशDainik Bhaskar
मान्यता के लिए आयुष कॉलेजों का नहीं होगा फिजिकल इन्सपेक्शन, कॉलेज की इंफ्रास्ट्रक्चर – टीचिंग फैकल्टी रिपोर्ट पर काउंसिल करेगी मान्यता की सिफारिशDainik Bhaskar
सरकारी और प्राइवेट आयुष कॉलेजों का मान्यता रिन्युअल के लिए सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) फिजिकल इंस्पेक्शन नहीं कराएगी। बल्कि कॉलेज प्रबंधन द्वारा जमा की गई इंफ्रास्ट्रक्चर और टीचिंग फेकल्टी रिपोर्ट का एनालिसिस कर, संस्थान की मान्यता रिन्युअल की सिफारिश करेगी। यह निर्णय सीसीआईएम की ��ोर्ड ऑफ गवर्नर ने लिया है। ताकि अक्टूबर – नवंबर में आयुष कॉलेजों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत हो…
View On WordPress
0 notes
Text
कोरोना वायरस का टेस्ट कहां कराएं, यह है पूरी लिस्ट
देश में कोरोना वायरस के टेस्ट (coronavirus test) में जहां कुछ सरकारी लैब्स जुटी हुई है, वहां कुछ प्राइवेट लैब्स को भी इसकी इजाजत दे दी गई है। देखिए ऐसे coronavirus test centres ki full list...
देश में कोरोना वायरस का टेस्ट करनेवाले लैब्स की संख्या अब बढ़ा दी गई है
सरकारी लैब्स के साथ-साथ प्राइवेट लैब्स भी कोरोना का टेस्ट कर सकती हैं
ICMR ने 136 सरकारी लैब्स और 56 प्राइवेट लैब्स को टेस्ट की मंजूरी दी
कोविड-19 टेस्ट के लिए प्राइवेट लैब 4500 रुपए से अधिक नहीं ले सकती हैं
सरकार ने देश में कोरोना के बढ़ते मामलों की संख्या देखते हुए कोविड-19 का टेस्ट करने वाली लैब्स की संख्या बढ़ाई है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) स्वीकृत 136 सरकारी लैब्स के साथ अब प्राइवेट लैब्स भी कोरोना का टेस्ट कर रही हैं। देशभर में प्राइवेट लैब्स की संख्या बढ़ाकर 56 कर दी गई है। नीचे हम राज्यवार उन सभी लैब्स का पता दे रहे हैं, जहां कोरोना का टेस्ट हो सकता है। लेकिन इससे पहले जानिए इस टेस्ट से जुड़ी काम की बात... कितने रुपये का होगा टेस्ट केंद्र सरकार के निर्देश हैं कि कोविड-19 टेस्ट के लिए प्राइवेट लैब 4500 रुपए से अधिक नहीं ले सकती हैं। इसमें स्क्रीनिंग के 1500 रुपए और कंफर्मेशन टेस्ट के 3000 रुपए हैं। सभी प्राइवेट लैब्स को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की तरफ से जारी किए गए निर्देशों का पालन करना जरूरी है। ये हैं कोरोना वायरस परीक्षण केंद्र
राज्यपरीक्षण केंद्र आंध्र प्रदेश1. श्री वेंकेटेश्वर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, तिरुपति2.आंध्र मेडिकल कॉलेज, विशाखापट्टनम3.जीएमसी, अनंतपुर4.रंगाराया मेडिकल कॉलेज, काकीनाडा5.सिद्धार्थ मेडिकल कॉलेज, विजयवाड़ा6.गंटूर मेडिकल कॉलेज, गंटूर अंडमान निकोबार द्वीप समूह1. रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर, पोर्ट ब्लेयर असम1. गौहाटी मेडिकल कॉलेज, गुवाहाटी2. रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर, डिब्रूगढ़3.जोहराट मेडिकल कॉलेज, जोहराट4.सिलचर मेडिकल कॉलेज, सिलचर5.फकरूद्दीन मेडिकल कॉलेज, बारपेटा बिहार1.राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, पटना2.इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, पटना3.पटना मेडिकल कॉलेज, पटना4.दरभंगा मेडिकल कॉलेज, दरभंगा चंडीगढ़1.पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च, चंडीगढ़2.जीएमसी ऐंड हॉस्पिटल, चंडीगढ़ छत्तीसगढ़1.ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, रायपुर2.लेट बलीराम कश्यप एम सीएमसी, जगदलपुर दिल्ली-एनसीटी1.एम्स, दिल्ली2.नैशनल सेंट्रल फॉर डिसीज कंट्रोल, दिल्ली3.लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, दिल्ली4.राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल, दिल्ली5.इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर ऐंड बाइलरी साइंस, नई दिल्ली6.आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च ऐंड रेफरल, नई दिल्ली7.मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली8.डॉ लाल पैथ लैब्स9.डॉ डांग लैब, नई दिल्ली10.लेबोरेटरी साइंस इंद्रप्र��्थ अपोलो हॉस्पिटल, सरिता विहार11.मैक्स लैब, मैक्स सुपर, साकेत12.सर गंगा राम हॉस्पिटल क्लीनिकल लैब, नई दिल्ली13.ONCQUEST लैब, नई दिल्ली14.प्रोगोनिस लैब, नई दिल्ली15.सिटी एक्स-रे ऐंड स्कैन क्लीनिक, नई दिल्ली गुजरात1. बीजे मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद2. एमपी शाह गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, जामनगर3.जीएमसी, सूरत4.जीएमसी, भावनगर5.जीएमसी, वडोदरा6.जीएमसी, राजकोट7.यूनीपैथ लैब, अहमदाबाद8.सुपराटेक माइक्रोपैथ लैब, अहदाबाद9.एस.एन जीनीलैब, नानपुरा, सूरत10.पैनजेनोमिक्स इंटरनैशनल प्राइवेट लिमिडेट, अहमदाबाद हरियाणा1. पंडित बीडी शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, रोहतक2. बीपीएस गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, सोनीपत3.स्टरैंड लाइफ साइंस, गुरुग्राम4.एसआरएल, गुरुग्राम5.मॉडर्न डाइगनॉज ऐंड रिसर्च सेंटर, गुरुग्राम6.कोर डाइगनॉज, गुरुग्राम7.मोल्क लैब, गुरुग्राम8.पैथ काइंड प्राइवेट लिमिटिड, गुरुग्राम हिमाचल प्रदेश1. इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, शिमला2. डॉ. राजेंद्र प्रसाद गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कांगड़ा जम्मू-कश्मीर1. शेरे-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, श्रीनगर2. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, जम्मू3.जीएमसी, श्रीनगर4.कमांड हॉस्पिटल, उधमपुर झारखंड1. एमजीएम मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर2.राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, रांची कर्नाटक1. बेंगलुरु मेडिकल कॉलेज ऐंड रिसर्च इंस्टिट्यूट, बेंगलुरु2. नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी फील्ड यूनिट, बेंगलुरु3. मैसूर मेडिकल कॉलेज ऐंड रिसर्च इंस्टिट्यूट, मैसूर4. हसन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, हसन5. शिमोगा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, शिवमोग्गा6.न्यूबर्ग आनंद रेफरेंस लैब, बेंगलुरु7.सैनसाइट टेकनॉलजी प्राइवेट लिमिटिड, बेंगलुरु8.साकरा वर्ल्ड हॉस्पिटल लैब, बैंगलुरु9.विजयनगर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस10.वेलनॉक डिस्टिरिक्ट हॉस्पिटल, मैंगलुरु11.नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ, बेंगलुरु केरल1. नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी फील्ड यूनिट, केरल2. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, तिरुवनंतपुरम3. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कोझिकोड4. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, थ्रीसूर5. राजीव गांधी सेंटर, तिरुवनंतपुरम6. श्री चित्रा टिरनूल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, तिरुवनंतपुरम7. स्टेट पब्लिक हेल्थ लैब, त्रिवेंद्रम8. इंटरयूनिवर्सिटी, कोटायम9. मालाबार कैंसर सेंटर, थालास्सेरी10. सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ केरल, कासरगोड मध्य प्रदेश1. ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, भोपाल2. नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च इन ट्राइबल हेल्थ, जबलपुर3. महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज, इंदौर4. गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल5. भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल, भोपाल6. गजरा राजा मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर7. डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट (DRDE), ग्वालियर मेघालय31. एनईआईजीआरआई ऑफ हेल्थ ऐंड मेडिकल साइंस, शिलॉन्ग महाराष्ट्1. इंदिरा गांधी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, नागपुर2. कस्तूरबा हॉस्पिटल फॉर इन्फेक्शस डिसीज, मुंबई3. नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलॉजी, पुणे4. सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज, मुंबई5. नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलॉजी, मुंबई6. आर्मड फोर्स मेडिकल कॉलेज, पुणे7. बीजे मेडिकल कॉलेज, पुणे8. ग्रांट मेडिकल कॉलेज, सर जेजे हॉस्पिटल, मुंबई9. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, औरंगाबाद10. वी एम गवर्नमेंट कॉलेज, सोलापुर11. हैफकीन इंस्टीट्यूट, मुंबई12. श्री भाऊसाहेब हायर मेडिकल कॉलेज, धुले13. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, मिराज14. एम्स, नागपुर15. नाग��ुर कॉलेज, नागपुर16. थायरोकेयर लिमिटेड, नवी मुंबई17. सबअर्बन डायगनॉज, मुंबई18. मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर, मुंबई19. सर एच एन रिलायंस हॉस्पिटल ऐंर रिसर्च सेंटर, मुंबई20. एसआरएल डायगनॉज, गोरेगांव वेस्ट21. ए.जी. डायगनॉज, पुणे22. कोकीलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई23. इनफेक्सन लैब, ठाणे24. आईजेनेटिक डायगनॉज, मुंबई25. टाटा मेमोरियल डायगनॉज सर्विस, मुंबई26. शाहयादरी स्पेशलिटी लैब, पुणे27. डॉ जरीवाला लैब, मुंबई मणिपुर1. जेएन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस हॉस्पिटल, इम्फाल ईस्ट2. रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, इंफाल ओडिशा1. रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर, भुवनेश्वर2. एम्स, भुवनेश्वर3. एससीबी मेडिकल कॉलेज, कटक4. डिपार्टमेंट ऑफ लैब सर्विस अपोलो, भुवनेश्वर पुड्डुचेरी1. जवाहर इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन ऐंड रीसर्च, पुड्डुचेरी पंजाब1. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, पटियाला2. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, अमृतसर राजस्थान1. सवाई मान सिंह, जयपुर2. डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज, जोधपुर3. झालावाड़ मेडिकल कॉलेज, झालावाड़4. एसपी मेडिकल कॉलेज, बीकानेर5. आरएनटी मेडिकल कॉलेज, उदयपुर6. एम्स, जोधपुर7. जेएलएन, अजमेर8. जीएमसी, कोटा तमिलनाडु1. किंग्स इंस्टिट्यूट ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन ऐंड रीसर्च, चेन्नै2. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, ठेनी3. मद्रास मेडिकल कॉलेज, तमिलनाडु4. तिरुनेलवेली मेडिकल कॉलेज, तिरुनेलवेली5. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, तिरुवरूर6. कुमार मंगलम गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, सलेम7. कोयंबटूर मेडिकल कॉलेज, कोयंबटूर8. गवर्नमेंट विल्लुपुरम मेडिकल कॉलेज, विल्लुपुरम9. मदुरै मेडिकल कॉलेज, मदुरै10. के.ए.पी. विश्वनाथम गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, त्रिची11. आईआरटी पेरुंदुरई मेडिकल कॉलेज, पेरुंदुरई12. स्टेनली मेडिकल कॉलेज, चेन्नै13. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर14. अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज लिमिटेड, चेन्नै15. न्यूबर्ग लैब, चेन्नै16. श्री रामचंद्र लैब, चेन्नै17. माइक्रोबायोलॉजिकल लेबोरेटरी, कोयंबटूर18. वाई आर गायटोंडे सेंटर फॉर ऐड्स, चेन्नै19. के.ए.पी. विश्वनाथम गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, त्रिची त्रिपुरा45. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज. अगरतल्ला तेलंगाना1. गांधी मेडिकल कॉलेज, सिकंदराबाद2. उस्मानिया मेडिकल कॉलेज, हैदराबाद3. सर रोनाल्ड रॉस ऑफ ट्रॉपिकल एंड कम्युनिकेबल डिजीज, हैदराबाद4. निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हैदराबाद5. इंस्टीट्यूट ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन, हैदराबाद6. सीएसआईआर, हैदराबाद7. लैब सर्विस अपोलो हॉस्पिटल, हैदराबाद8. विजया डायग्नोस्टिक सेंटर लिमिटेड, हैदराबाद9. विम्ता लैब्स लिमिटेड, हैदराबाद10. अपोलो हेल्थ ऐंड लाइफस्टाइल लिमिटेड-सिकंदराबाद, डायग्नोस्टिक्स लेबोरेटरी, हैदराबाद11. डॉ रेमेडीज लैब प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद12. पैथकेयर लैब्स लिमिटेड, हैदराबाद13. अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ पैथोलॉजी एंड लेबोरेटरी साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद14. मेडिसिस पैथलैब्स इंडिया प्रा.लिमिटेड, सिकंदराबाद15. डिपार्टमेंट ऑफ लैब मेडिसिन, यशोदा अस्पताल, सिकंदराबाद उत्तर प्रदेश1. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ2. इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, बीएचयू, वाराणसी3. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़4. कमांड हॉस्पिटल, लखनऊ5. लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ6. संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट, लखनऊ7. उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई8. आईसीएमआर- क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र, गोरखपुर9. महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज, झांसी10. आरएमएल मेहरोत्रा पैथोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ उत्तराखंड1. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी2. एम्स, ऋषिकेश3. डॉ अहूजा पैथ, देहरादून पश्चिम बंगाल1. नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कॉलरा ऐंड एंटरिक डिसीज, कोलकाता2. आईपीजीएमईआर, कोलकाता3. मिदनापुर मेडिकल कॉलेज, मिदनापुर4. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज, सिलीगुड़ी5. स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन, कोलकाता6. चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, कोलकाता7. अपोलो ग्लेनेगल्स अस्पताल, कोलकाता8. टाटा मेडिकल सेंटर, कोलकाता
via Blogger https://ift.tt/2JJFTTX
0 notes