चंद्र ग्रहण 2022: चंद्र ग्रहण के दौरान भारत में बंद नहीं होते ये मंदिर; पता है क्यों
चंद्र ग्रहण 2022: चंद्र ग्रहण के दौरान भारत में बंद नहीं होते ये मंदिर; पता है क्यों
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चंद्र ग्रहण 2022: साल का आखिरी और दूसरा चंद्र ग्रहण आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन पड़ रहा है। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और इसे भारत के कुछ क्षेत्रों में देखा जा सकता है। धार्मिक दृष्टि से ग्रहण को अशुभ माना जाता है। ग्रहण के दौरान पूजा करना प्रतिबंधित है और अधिकांश मंदिर बंद रहते हैं। सूतक काल शुरू होते ही ग्रहण के ये नियम अमल में आ जाते हैं। सूतक काल सूर्य…
शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित कार्य -
(०१) गणेश जी को तुलसी पत्र और मंजरी न चढ़ाएं।
(०२) देवी पर दूर्वा न चढ़ाएं।
(०३) शिवलिंग पर केतकी का फूल न चढ़ाएं।
(०४) विष्णु जी को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं।
(०५) दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें।
(०६) मंदिर में तीन गणेश की मूर्ति न रखें।
(०७) तुलसी पत्र चबाकर न खाएं।
(०८) द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें।
(०९) मन्दिर में दर्शन करके वापस लौटते समय घंटा न बजाएं।
(१०) एक हाथ से आरती नहीं लेनी चाहिए।
(११) ब्राह्मण को बिना आसन बैठाना नहीं चाहिए।
(१२) स्त्री द्वारा दंडवत प्रणाम वर्जित है।
(१३) बिना दक्षिणा ज्योतिषी/पुरोहित से प्रश्न नहीं पूछना चाहिए।
(१४) घर में पूजा करने हेतु अंगूठे से बड़ा शिवलिंग न रखें।
(१५) तुलसी के पेड़ में शिवलिंग किसी भी स्थान पर न रखें।
(१६) गर्भवती महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना चाहिए।
(१७) स्त्री द्वारा मंदिर में नारियल फोड़ना वर्जित है।
(१८) रजस्वला स्त्री का मंदिर में प्रवेश वर्जित है।
(१९) परिवार में सूतक हो तो पूजा वर्जित है और प्रतिमा का स्पर्श न करें।
(२०) शिव जी की पूरी परिक्रमा नहीं किया जाता।
(२१) शिव लिंग से बहते जल को लांघना नहीं चाहिए।
(२२) एक हाथ से प्रणाम नहीं करना चाहिए।
(२३) दूसरे के दीपक में अपना दीपक जलाना नहीं चाहिए।
(२४) पंचामृत अथवा चरणामृत लेते समय दायें हाथ के नीचे एक नैपकीन रखें ताकि एक बूंद भी नीचे न गिरे और पंचामृत अथवा चरणामृत पीकर हाथों को शिर या शिखा पर न पोछें बल्कि आंखों पर लगायें, शिखा पर गायत्री का निवास होता है उसे अपवित्र न करें।
(२५) देवताओं को लोहबान की अगरबत्ती का धूप न करें।
(२६) स्त्री द्वारा हनुमानजी एवं शनिदेव की मूर्ति को स्पर्श करना वर्जित है अतः दूर से दर्शन करें।
(२७) कुंवारी कन्याओं से पैर पड़वाना पाप है।
(२८) मंदिर परिसर में स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग दें।
(२९) मंदिर में भीड़ होने पर लाइन पर लगे रहने पर भगवन्नामोच्चारण करते रहें एवं अपने क्रम से ही अग्रसर होते रहें।
(३0) शराबी का भैरव के अलावा अन्य मंदिर में प्रवेश वर्जित है।
(३१) मंदिर में प्रवेश के समय पहले दाहिना पैर और निकास के समय बाया पांव रखना चाहिए।
(३२) मन्दिर की घंटी को इतनी जोर से न बजायें कि उससे कर्कश ध्वनि उत्पन्न हो।
(३४) अगर हो सके तो मंदिर जाने के लिए एक जोड़ी वस्त्र अलग ही रखें।
(३५) मंदिर अगर ज्यादा दूर नहीं है तो बिना जूते चप्पल के ही पैदल जाना चाहिए।
(३६) मंदिर में भगवान के दर्शन खुले नेत्रों से करें और मंदिर से खड़े खड़े वापिस नहीं हों, दो मिनट बैठकर भगवान के रूप माधुर्य का दर्शन लाभ लें।
(३७) आरती लेने अथवा दीपक का स्पर्श करने के बाद हस्त प्रक्षालन अवश्य करें।
यह सभी शास्त्रोक्त बातें हमें हमारे ऋषि मुनियों से परंपरागत रूप से प्राप्त हुई है अतः इसका पालन करते रहें।
यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है, जिसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा। यह चंद्र ग्रहण 25 मार्च को सुबह 10 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।
चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण के समय से 9 घंटे पूर्व ही प्रारंभ हो जाता है, लेकिन इस चंद्र ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा, जिस कारण से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। साथ ही इसका प्रभाव भी होली के त्योहार पर नहीं होगा, इसलिए आप…
👉नक्षत्र - मृगशिरा दोपहर 01:59 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
👉योग - साध्य रात्रि 08:55 तक तत्पश्चात शुभ*
👉राहु काल - दोपहर 12:28 से 01:49 तक*
👉सूर्योदय - 07:02*
👉सूर्यास्त - 05:53*
👉दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
👉ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:17 से 06:10 तक*
👉निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:02 से 12:54 तक*
👉व्रत पर्व विवरण -*
👉विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥मंत्रजप – संबंधी सावधानियाँ💥
👉१] माला हेतु स्वच्छता: जूठे मुँह, जूठे हाथ या मल-मूत्र या किसी विवशता में साधना से उठना पड़े तो माला लेकर बैठ गये, नहीं । हाथ-पैर धोकर या स्नान करके मंत्रजप करें । माला पहनकर शौचालय में नहीं जाना चाहिए, अगर चले गये तो मालासहित स्नान कर लें और माला धो के पहन लें । स्त्रियों को रात्रि में मासिक धर्म हो गया हो तो स्नान जरुर कर लेना चाहिए ।*
👉२] मासिक धर्म में : महिलाओं को मासिक धर्म में न तो माला पहननी चाहिए न माला घुमानी चाहिए और न ॐकार मंत्र जपना चाहिए । जैसे ‘हरि ॐ’ मंत्र है तो ‘हरि, हरि’ जपें, ‘ॐ नम:शिवाय’ मंत्र है तो ‘नम:शिवाय’ जपें ।’ॐ ऐं नम:’ है तो ‘ऐं नम:’ जपें ।*
👉३] जननाशौच व मरणाशौच में : जननाशौच (संतान – जन्म के समय लगनेवाला अशौच अर्थात सूतक ) के समय प्रसूतिका स्त्री (संतान की माता ) ४० दिन तक व संतान का पिता १० दिन तक माला लेकर जप न करें । इसी प्रकार मरणाशौच (मृत्यु के समय लगनेवाला अशौच अर्थात पातक) में १३ दिन तक माला लेकर जप नहीं किया जा सकता किंतु मानसिक जप तो प्रत्येक अवस्था में किया जा सकता है ।*
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Grahan: आज आसमान में दिखेगा रिंग आफ फायर, प्रेग्नेंट महिलाएं जान लें ये बात
ग्रहण 2023: इस साल का अंतिम और दूसरा ग्रहण आज लगने जा रहा है। सूर्य ग्रहण की शुरुआत होने से पहले ही सूतक काल लग जाता है। सूतक काल के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी माना जाता है। वहीं, आज अमावस्या भी है। इसके चलते ये ग्रहण खास माना जा रहा है। इसलिए नोट कर लीजिए सूर्य ग्रहण का सटीक समय, सूतक काल और अन्य बेहद जरूरी बातें-
आखिरी सूर्य ग्रहण शनिवार के दिन 14 तारीक यानि आज…
🌒चंद्र ग्रह बुध पुर्णिमा🌟 पर बनने जा रहा है 🔱अद्भुत योग 💢
चंद्र ग्रहण के समय 🕜किस राशि पर क्या पड़ेगा ❓प्रभाव और क्या करें उपाय⁉️
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Aries:-इमोशनली अपने आप को भी पा सकते हैं आलस की वजह से टाइम खराब होगा ।
Taurus:-किसी व्यक्ति को लंबे समय से बीमारी है तो उस व्यक्ति की बीमारी ठीक हो सकती है. जो लोग बिजनेस में हैं उनकी आय में वृद्धि हो सकती है.
Gemini:-भाग्य का साथ प्राप्त होगा. आय में वृद्धि भी होगी.
Cancer:-नौकरी करने वालों को प्रमोशन और तरक्की प्राप्त हो सकती है।
Leo:-जिन लोगों की शादी नहीं हो रही है उनको शादी के योग बन रहे हैं.
Virgo:-अपनी सेहत का ध्यान रखें
Libra:-क्षेत्रों में भी सफलता प्राप्त हो सकती है.
Scorpio:- अपने कार्य क्षेत्र में ध्यान लगाएं और धन्य वय से बचें
Sagittarius :- लंबे समय से चल रही बीमारी खत्म हो सकती है।
Capricorn :- नयी नौकरी बेहतर सैलरी या न्यू बिजनेस का बहुत अच्छा योग है
Aquarius:- आलस बढ़ेगा काम का Pressure बढ़ेगा कई काम मन मार कर करने पड़ेंगे ।
Pisces:- इस समय पुराना रुका हुआ धन प्राप्त हो सकता है.
🌟चंद्र ग्रहण के दौरान न करें ये काम🌟
चंद्र ग्रहण का सूतक लगते ही विशेष कामों को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए और साथ ही इस समय कोई भी शुभ-मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए.
चंद्र ग्रहण के दौरान खरीदारी करने से बचना चाहिए.
चंद्र ग्रहण का सूतक लगते ही पूजा-पाठ जैसे धार्मिक काम करना अशुभ माना जाता है.
खासकर गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और तेजधार या नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल न करें
🌟चंद्र ग्रहण में करें ये काम🌟
चंद्र ग्रहण में आप धार्मिक मंत्रों का जितना हो सके जाप करें और भगवान का स्मरण करें. आप गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र या अन्य मंत्रों का जाप कर सकते हैं.
ग्रहण के बाद परदा हटा दें और गंगाजल का छिड़काव करें.
चंद्र ग्रहण से पहले ही खाद्य-पदार्थों में तुलसी या कुश डाल दें. लेकिन तुलसी के पत्तों को सूतक लगने के पहले या एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें.
चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद चावल, दूध, सफेद वस्त्र, सफेद मिठाई, दही आदि जैसी चीजों का दान करने से कुंडली में चंद्र दोष दूर होता है.
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सूतक-पातक काल के पीछे का वैज्ञानिक कारण, जानिए सूतक काल के वर्जित और आवश्यक कार्य
Sutak Time And Rules: साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगने जा रहा है। इस दिन वैशाख मास की अमावस्या तिथि भी है। साल का पहला सूर्य ग्रहण सुबह 07:04 बजे से शुरू होगा और दोपहर 12:29 बजे तक रहेगा।
जब भी सूर्य ग्रहण लगता है तो उससे 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। Sutak काल से लेकर ग्रहण काल तक तमाम काम करने की मनाही होती है। आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है सूतक काल और इस समय में क्या काम करने चाहिए और क्या नहीं।
क्या होता है Sutak
ज्योतिषाचार्य के अनुसार सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों से कुछ घंटे पहले का समय ऐसा होता है जब प्रकृति संवेदशनशील हो जाती है और वातावरण में नकारात्मकता फैल जाती है। इस समय को अशुभ माना जाता है और इसे ही सूतक काल कहा जाता है। सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू होता है, वहीं चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले। सूतक काल का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है। इस दौरान कुछ नियमों का पालन करने के लिए कहा जाता है।
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गरीब, घट में शोक सिलसिला, सूतक बड़ा अंधेर।
ये दम गिनती के दिए, तू फेर सके तो फेर।।
यह संसार काल की कैद है। हम सब यहां कैदी है। जेल में केवल दुख ही दुख मिलता है, सुख नाममात्र होता है। यहां दुख शोक चिन्ता टेंशन चलती रहती है। भक्त को अधिक परेशान ना होकर भक्ति करते रहना चाहिए जैसे चूचू में ही पानी पीने का उदाहरण सतगुरु जी बताते है। एक समय वो भी आएगा जब सारी चूचू खत्म होकर एकरस माहौल हो जाएगा।
जीव को गिनती के श्वांस दे रखे है। जितना अधिक हो सके सुमिरण माला फेर लेनी चाहिए। कैद से निकलने का यही जरिया है। श्वांस पूरे होते ही एक श्वांस भी अधिक नहीं मिलेगा।
साल का आखिरी चंद्र ग्रहण शुरू, जानिए आपके शहर में ग्रहण का समय
साल का आखिरी चंद्र ग्रहण शुरू, जानिए आपके शहर में ग्रहण का समय
आज 08 नवंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है और सूतक काल जारी है। ग्रहण भारत में ज्यादातर हिस्सों में आंशिक रूप से दिखाई देगा। सबसे पहले अरुणाचल प्रदेश में पूर्ण चंद्र देखने को मिलेगा। भारत में ग्रहण दिखाई देने के कारण इसका सूतक काल मान्य होगा। ग्रहण से 09 घंटे पहले सूतक काल लग जाएगा। यह ग्रहण आज मेष राशि और भरणी नक्षत्र में लग रहा है।
चंद्र ग्रहण के दौरान भूलकर भी न करें ये काम
साल का आखिरी चंद्र…
सूर्य ग्रहण के बाद आज बना चंद्र ग्रहण का योग 15 दिनों में दो ग्रहण
सूर्य ग्रहण के बाद आज बना चंद्र ग्रहण का योग 15 दिनों में दो ग्रहण
सूर्य ग्रहण के बाद आज चंद्र ग्रहण का योग बन गया है। यह साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है, जो भारत में भी दिखाई देगा। भारत में चंद्र ग्रहण सबसे पहले अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण उसी समय दिखाई देगा जब पूर्वी शहरों में चंद्रोदय होगा। चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण से पहले की अवधि को सूतक काल कहा जाता है।
चंद्रग्रहण
सूतक सुबह 9:21 बजे शुरू होगा
दोपहर 1:32 बजे शुरू करें
शाम 5:20 बजे…
दिनांक 8 नवम्बर 2022, कार्तिक पूर्णिमा को खग्रास चन्द्रग्रहण है ।
यह ग्रहण पूरे भारत में दिखेगा । भारत के अलावा एशिया, आस्ट्रेलिया, पैसेफिक क्षेत्र, उत्तरी और मध्य अमेरिका में भी ग्रहण दिखेगा । जहाँ ग्रहण दिखायी देगा, वहाँ पर ग्रहण के नियम पालनीय हैं ।
आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को लगने जा रहा है, इससे पहले दिवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर 2022 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगा था,सूर्य ग्रहण के सिर्फ 15 दिनों के बाद देव दीपावली के दिन 8 नवंबर 2022 को साल का ये आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा,साल का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई 2022 को लगा था, 8 नवंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन लग रहा है,साल का ये अंतिम चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा।
क्या होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण (What is Chandra Grahan?)
चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आ जाती है,इस दौरान चांद धरती की छाया से पूरी तरह से छुप जाता है, पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं,इस दौरान जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह हमें काला नजर आता है और इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है।
साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को भारत में 4 बजकर 28 मिनट से दिखाई देना शुरू होगा और शाम 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, ऐसे में चंद्र ग्रहण का सूतक काल 8 नवम्बर को सुबह 9 से शुरू होगा और शाम के 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, साल का ये आखिरी चंद्र ग्रहण मेष राशि में लगेगा।
ग्रहण के दौरान किसी भी तरह की यात्रा करने से बचें।
सूतक काल के दौरान घर पर ही रहें,कोशिश करें कि ग्रहण की रोशनी आपने घर के अंदर प्रवेश ना करें।
सूर्य ग्रहण की तरह की चंद्र ग्रहण को भी नहीं देखना चाहिए।
ग्रहण से पहले और ग्रहण के बाद स्नान अवश्य करना चाहिए, कहा जाता है ऐसा करने से ग्रहण का कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं रहता।
ग्रहण में क्या करें, क्या न करें ?
चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके ''ॐ नमो नारायणाय'' मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है।
सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है।
सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।
ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए। ग्रहण के स्नान में गरम जल की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है।
ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।
ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
तीन दिन या एक दिन उपवास करके स्नान दानादि का ग्रहण में महाफल है, किन्तु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।
भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- 'सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।'
ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। (स्कन्द पुराण)
भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए। (देवी भागवत)
अस्त के समय सूर्य और चन्द्रमा को रोगभय के कारण नहीं देखना चाहिए।
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं रखें इन बातों का ख्याल (Chandra Grahan Precaution For Pregnant Ladies)
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं घर से बाहर निकलने से बचें।
शांति से काम लें और किसी भी प्रकार का मानसिक या फिर शारीरिक तनाव न लें।
भारत में ग्रहण समय -
शहर का नाम - प्रारम्भ (शाम) - समाप्त (शाम)
ईटानगर - 4:28 से 6:18 तक
गुवाहटी - 4:37 से 6:18 तक
गंगटोक - 4:48 से 6:18 तक
कोलकाता - 4:56 से 6:18 तक
पटना - 5:05 से 6:18 तक
राँची - 5:07 से 6:18 तक
भुवनेश्वर - 5:10 से 6:18 तक
ब्रह्मपुर - 5:15 से 6:18 तक
प्रयागराज - 5:18 से 6:18 तक
लखनऊ - 5:20 से 06:18 तक
कानपुर - 5:23 से 6:18 तक
विशाखापट्टनम - 5:24 से 6:18 तक
रायपुर (छ.ग.) - 5:25 से 6:18 तक
हरिद्वार - 5:26 से 6:18 तक
धर्मशाला - 5:30 से 6:18 तक
चंडीगढ़ - 5:31 से 6:18 तक
नई दिल्ली - 5:32 से 6:18 तक
जम्मू - 5:35 से 6:18 तक
नागपुर - 5:36 से 6:18 तक
भोपाल - 5:40 से 6:18 तक
जयपुर - 5:41 से 6:18 तक
चेन्नई - 5:42 से 6:18 तक
हैदराबाद - 5:44 से 6:18 तक
उज्जैन - 5:47 से 6:18 तक
जोधपुर - 5:53 से 6:18 तक
बेंगलुरु - 5-53 से 6:18 तक
नासिक - 5:55 से 6:18 तक
अहमदाबाद - 6:00 से 6:18 तक
वडोदरा - 05:59 से 06:18 तक
पुणे - 6:01 से 6:18 तक
सूरत - 6:02 से 6:18 तक
तिरुवनन्तपुरम् - 6:02 से 6:18 तक
मुंबई - 6:05 से 6:18 तक
पणजी (गोवा) - 6:06 से 6:18 तक
जामनगर - 6:11 से 6:18 तक
भारत के जिन शहरों के नाम ऊपर सूची में नहीं दिये गये हैं, वहाँ के लिए अपने नजदीकी शहर के ग्रहण का समय देखें ।
विदेशों में ग्रहण समय -
अफगानिस्तान (काबुल) - शाम 4:55 से शाम 5:18 तक
ताईवान (ताईपे) - शाम 5:10 से रात्रि 8:48 तक
पाकिस्तान (इस्लामाबाद) - शाम 5:11 से शाम 5:48 तक
भूटान (थिम्पू) - शाम 5:13 से शाम 6:48 तक
नेपाल (काठमांडू) - शाम 5:16 से शाम 6:33 तक
बांग्लादेश (ढाका) - शाम 5:16 से शाम 6:48 तक
बर्मा (नेपीडॉ) - शाम 5:28 से रात्रि 7:18 तक
हाँगकाँग (हाँगकाँग) - शाम 5:40 से रात्रि 8:48 तक
इंडोनेशिया (जकार्ता) - शाम 5:47 से रात्रि 7:48 तक
थाईलैंड (बैंकॉ���) - शाम 5:48 से रात्रि 7:48 तक
श्रीलंका (कोलंबो) - शाम 5:52 से शाम 6:18 तक
सिंगापुर (सिंगापुर) - शाम 6:50 से रात्रि 8:48 तक
ऑस्ट्रेलिया (कैनबरा) - रात्रि 8:10 से रात्रि 11:48 तक
अमेरिका तथा कनाडा के लिए नीचे लिखा गया ग्रहण समय स्थानीय समयानुसार 7 नवम्बर मध्यरात्रि के बाद का है अर्थात 8 नवम्बर 00-00 ए. एम के बाद से ।
अमेरिका (सैनजोस, कैलिफोर्निया) - सुबह 1:10 ए.एम से सुबह 4-48 ए.एम तक
अमेरिका (शिकागो) - सुबह 3:10 से सुबह 6:36 तक
अमेरिका (बोस्टन) - सुबह 4:10 से सुबह 6:28 तक
अमेरिका (न्यूयॉर्क) - सुबह 4:10 से सुबह 6:36 तक
अमेरिका (न्यूजर्सी) - सुबह 4:10 से सुबह 6:36 तक
अमेरिका (वाशिंगटन डी.सी.) - सुबह 4:10 से सुबह 6:45 तक
कनाडा (टोरंटो, ओंटारियो) - सुबह 4:10 से सुबह 7:06 तक
ग्रहण सूतक
चंद्रग्रहण प्रारम्भ होने से तीन प्रहर (9 घंटे) पूर्व सूतक (ग्रहण-वेध) प्रारम्भ हो जाता है ।
उदाहरण
अहमदाबाद में ग्रहण समय - शाम 6:00 से 6:18 तक
अहमदाबाद में सूतक प्रारम्भ - सुबह 9-00 बजे से
जो ग्रहणकाल में उसके नियम पालन कर जप-साधना करते हैं वे न केवल ग्रहण के दुष्प्रभावों से बच जाते हैं बल्कि महान पुण्यलाभ भी प्राप्त करते हैं ।
सूतक (ग्रहण- वेध) के पहले जिन पदार्थों में तिल या सूतक व ग्रहण काल में दूषित नहीं होते । किंतु दूध या दूध से बने व्यंजनों में तिल या तुलसी न डालें। सूतककाल में कुश आदि डला पानी उपयोग में ला सकते हैं ।
ग्रहणकाल में भोजन करने से अधोगति होती है, पेशाब करने से घर में दरिद्रता व सोने से रोग आते हैं तथा संसार-व्यवहार (सम्भोग करने से सूअर की योनि में जाना पड़ता है ।
ग्रहणकाल का कैसे हो सदुपयोग ?
(१) ग्रहण के समय रुद्राक्ष माला धारण करने से पाप नष्ट हो जाते हैं परंतु फैक्ट्रियों में बननेवाले नकली रुद्राक्ष नहीं, असली रुद्राक्ष हों ।
(२) ग्रहण के समय मंत्रदीक्षा में मिले मंत्र जप करने से उसकी सिद्धि हो जाती है ।
(३) महर्षि वेदव्यासजी कहते हैं: 'चन्द्रग्रहण' के समय किया हुआ जप लाख गुना फलदायी होता है ।
ग्रहण के समय स्वास्थ्य मंत्र जप लेना, ब्रह्मचर्य का मंत्र भी सिद्ध कर लेना । ग्रहण के समय किये हुए ऐसे-वैसे किसी भी गलत या पाप कर्म का फल अनंत गुना हो जाता है और इस समय भगवद्-चिंतन, भगवद्-ध्यान, भगवद्-ज्ञान का लाभ ले तो वह व्यक्ति सहज में भगवद्-धाम, भगवद्-रस को पाता है । ग्रहण के समय अगर भगवद्-विरह पैदा हो जाता है तो वह भगवान को पाने में बिल्कुल पक्का है, उसने भगवान को पा लिया समझ लो । ग्रहण के समय किया हुआ जप, मौन, ध्यान, प्रभु सुमिरन अनेक गुना हो जाता है । ग्रहण के बाद वस्त्रसहित स्नान करें ।
Lunar-eclipse : चंद्रग्रहण मंगलवार को, जाने क्या है समय और अलग-अलग राशियों पर क्या होगा चंद्रग्रहण का प्रभाव
Lunar-eclipse : चंद्रग्रहण मंगलवार को, जाने क्या है समय और अलग-अलग राशियों पर क्या होगा चंद्रग्रहण का प्रभाव
जमशेदपुर : इस वर्ष का अंतिम चंद ग्रहण मेष राशि पर पड़ने वाला है। मेष राशि के जातकों को काफी सावधान और सजग रहने की आवश्यकता है। साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 8 नवंबर दिन मंगलवार के दिन शाम 5 बजकर 28 मिनट से शुरू होगा और शाम 7 बजकर 26 मिनट तक होगा। ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले से ही सूतक काल आरंभ हो जाता है, जो कि सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर शुरू होकर शाम 6 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। (नीचे भी…
👉रात्रि 2:22 (29 अक्टूबर 2:22 AM) के बाद स्नान आदि करके खीर बना के चाँदनी में रख लें । यथासम्भव 1-2 घंटें पुष्ट होने के बाद खा लें ।
👉सूतक काल में बाहर भ्रमण कर सकते हैं या नहीं ?
👉अनावश्यक नहीं । परंतु समय लंबा होता है सूतक का, पूरा बैठ पाना संभव नहीं होता इसलिए सेवा आदि गतिविधि चालू रख सकते हैं, समस्या नहीं, समय हो तो जप, ध्यान में लगाना चाहिए ।
👉पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को अर्घ्य देते हैं तो ग्रहण के दिन देना है या नहीं ?
👉क्योंकि सूतक काल शाम 4:06 बजे से लग रहा है इसलिए चंद्र ग्रहण में अर्घ्य नहीं देना चाहिए ।
👉सूतक काल में चंद्रमा की किरणों में बैठकर लाभ ले सकते हैं या नहीं ?
ले सकते हैं ।
👉ग्रहण के समय लैट्रिन बाथरूम जा सकते हैं ?
👉नहीं, ग्रहण के समय लघुशंका करने से दरिद्र व मल त्यागने से कीड़ा होता है ।
👉ग्रहण के समय सोना चाहिए या नहीं ?
👉नहीं, ग्रहण के समय सोने से रोगी हो जाता है ।
👉ग्रहण के समय खा सकते है ?
👉चंद्र ग्रहण में सूतक लगने से चंद्र ग्रहण पूर्ण होने तक भोजन करना वर्जीत है ।
👉सूतक में स्नान, पेशाब & शौच कर सकते हैं या नहीं ?
👉कर सकते हैं ।
👉ग्रहणकाल के दौरान अध्ययन कर सकते हैं क्या ?
👉बिल्कुल नहीं । नारद पुराण के अनुसार – ‘‘चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दिन, उत्तरायण और दक्षिणायन प्रारम्भ होने के दिन कभी अध्ययन न करे । अनध्याय (न पढ़ने के दिनों में) के इन सब समयों में जो अध्ययन करते हैं, उन मूढ़ पुरुषों की संतति, बुद्धि, यश, लक्ष्मी, आयु, बल तथा आरोग्य का साक्षात् यमराज नाश करते हैं ।’’
👉सूतक काल में खाने का त्याग करना है तो पानी पी सकते हैं या नहीं ?
👉इसमें अलग-अलग विचारकों का अलग-अलग मत है । कुछ जानकार लोगों का कहना है कि चूंकि सूतक का समय-अवधि अधिक होने से 12 घंटें का सूतक एवं लगभग 3.5 घंटें ग्रहण का समय टोटल 15.5 घंटें बिना जल-पान का रहना सामान्य तौर पर सबके लिए सम्भव नहीं है अतः सूतक काल में सूतक लगने के पूर्व जल में तिल या कुशा डालकर रखना चाहिए और सूतक के दौरान प्यास लगने पर वही जल पीना चाहिए । इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल-पान के बाद 2 से 4 घंटों के अंदर लघुशंका (पेशाब) की प्रवृत्ति होती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के 4 घंटे पूर्व से जलपान करने से भी बचना चाहिए नहीं तो ग्रहण के दौरान समस्या आती है ।
👉ग्रहणकाल में धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर जला सकते हैं या नहीं ?
👉जला सकते हैं ।
👉ग्रहण के समय घर में पूजा कर सकते है ?
👉हाँ, साथ ही अधिक से अधिक जप करना चाहिए ।
👉ग्रहणकाल के दौरान ��ोबाइल का उपयोग कर सकते हैं ?
👉ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग आंखों के लिए अधिक हानिकारक है ।
👉चंद्र ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए ?
👉ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी पहने हुए वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए ।
👉आसन, गोमुखी व मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा भी धो दें । और दूषित औरा के शुद्धिकरण हेतु गोमूत्र या गंगाजल का छिड़काव पूरे घर में कर सकें तो अच्छा है ।
👉भोजन कब तक करना है ?
👉सूतक लगने ( शाम 04:06) से पहले भोजन कर लीजिए उसके बाद कोई भी स्वस्थ व्यक्ति (बच्चे, बुढ़े, गर्भिणी स्त्रियों व रोगियों को छोड़कर) भोजन नहीं करें ।
👉ग्रहणकाल में तुलसी के पत्तों का उपयोग किस प्रकार करना है ?
👉सूतक से पहले ही तुलसी पत्र कुशा आदि तोड़कर रख लें (अनाज, खाद्य पदार्थों में रखने हेतु), ध्यान रखें कि दूध में कभी भी तुलसी पत्र नहीं डाला जाता ।
👉नोट : पूर्णिमा के दिन तुलसी नहीं तोड़ सकते हैं शुक्रवार के दिन दोपहर पहले तोड़ के रख सकते हैं ।
👉ग्रहण के सूतक काल में सोना चाहिए या नहीं ?
👉सो सकते हैं लेकिन चूंकि सोकर तुरंत उठने के बाद जल-पान, लघुशंका-शौच आदि की स्वाभाविक प्रवृत्ति की आवश्यकता पड़ती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के करीब 4 घंटें पहले उठ जाना चाहिए जिससे लघुशंका-शौच आदि की आवश्यकता होने पर इनसे निवृत्त हो सके और ग्रहणकाल में समस्या न आये ।
👉ग्रहण देख सकते है ?
👉नहीं, ग्रहण के समय बाहर न जायें न ही ग्रहण को देखें
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