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राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस : सुरक्षित मातृत्व है विकास का आधार, गर्भवती महिलाओं के लिए जरुरी है अच्छा आहार, व्यवहार और विचार
चैतन्य भारत न्यूज हर वर्ष 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (National safe motherhood day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को उनके स्वास्थ्य संबंधी देखभाल और उन्हें मातृत्व सुविधाओं के विषय में जागरूक करना है। इस दिन देश भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ताकि गर्भवती महिलाओं के पोषण पर सही ध्यान दिया जा सके। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का इतिहास भारत सरकार द्वारा 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया था। 11 अप्रैल को कस्तूरबा गांधी के जन्म की सालगिरह को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया गया है। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धर्मपत्नी हैं। आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस घोषित करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। चौंकाने वाले आंकड़े मां बनना प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान माना जाता है। जब कोई महिला बच्चे को जन्म देती है तो वह इतनी पीड़ा से गुजरती कि उसे खुद के दोबारा जन्म का अहसास हो जाता है। लेकिन क्या हम ��न माताओं की असल स्थिति से वाकिफ है? रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में जन्म देते समय प्रति 100,000 महिलाओं में से 167 महिलाएं मौंत के मुंह में चली जाती हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, अब भारत में मातृ मृत्यु दर में कमी आ रही है। पुरानी रिपोर्ट्स पर नजर डाले तो वर्ष 2010-12 में मातृ मृत्यु दर 178, 2007-2009 में 212 जबकि 2004-2006 में मातृ मृत्यु दर 254 रही। देश ने 1990 से 2011-13 की अवधि में 47 प्रतिशत की वैश्विक उपलब्धि की तुलना में मातृ मृत्यु दर को 65 प्रतिशत से ज्यादा घटाने में सफलता हासिल की है। सुरक्षित मातृत्व का आधार आहार - मनमुताबिक खाना - हर दो घंटे में हल्का खाना - फलों की मात्रा को शामिल करना - भरपूर मात्रा में पानी पीना व्यवहार - दिनचर्या में खुशनुमा रहना - बात-बात में गुस्सैल रवैए से दूरी बनाना - तनावमुक्त होकर काम करना - किसी से झगड़ा नहीं करना - निद्रा एवं आराम - रात में 8 घंटे की नींद लेना - दिन में कम से कम 2 घंटे की नींद - नींद नहीं आने पर आराम करना - भागदौड़ से काम से दूर रहना योग - हर तिमाही में योग के आसन बदलना - सुबह और शाम को टहलना - मेडिटेशन और ध्यान लगाना - हल्का संगीत और मंत्रों को सुनना ये भी पढ़े... शिशु के विकास के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन करना चाहिए ये 5 योगासन प्रसव के दौरान गर्भवती के दर्द को कम करने के लिए अस्पताल ने अपनाया यह अनोखा तरीका गर्भ से ही बच्चों को संस्कारी बनाएगा यह विश्वविद्यालय, गर्भवती महिलाओं को सिखाएंगे ये चीजें Read the full article
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राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस : सुरक्षित मातृत्व है विकास का आधार, गर्भवती महिलाओं के लिए जरुरी है अच्छा आहार, व्यवहार और विचार
चैतन्य भारत न्यूज हर वर्ष 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (National safe motherhood day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को उनके स्वास्थ्य संबंधी देखभाल और उन्हें मातृत्व सुविधाओं के विषय में जागरूक करना है। इस दिन देश भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ताकि गर्भवती महिलाओं के पोषण पर सही ध्यान दिया जा सके। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का इतिहास भारत सरकार द्वारा 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया था। 11 अप्रैल को कस्तूरबा गांधी के जन्म की सालगिरह को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया गया है। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धर्मपत्नी हैं। आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस घोषित करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। चौंकाने वाले आंकड़े मां बनना प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान माना जाता है। जब कोई महिला बच्चे को जन्म देती है तो वह इतनी पीड़ा से गुजरती कि उसे खुद के दोबारा जन्म का अहसास हो जाता है। लेकिन क्या हम इन माताओं की असल स्थिति से वाकिफ है? रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में जन्म देते समय प्रति 100,000 महिलाओं में से 167 महिलाएं मौंत के मुंह में चली जाती हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, अब भारत में मातृ मृत्यु दर में कमी आ रही है। पुरानी रिपोर्ट्स पर नजर डाले तो वर्ष 2010-12 में मातृ मृत्यु दर 178, 2007-2009 में 212 जबकि 2004-2006 में मातृ मृत्यु दर 254 रही। देश ने 1990 से 2011-13 की अवधि में 47 प्रतिशत की वैश्विक उपलब्धि की तुलना में मातृ मृत्यु दर को 65 प्रतिशत से ज्यादा घटाने में सफलता हासिल की है। सुरक्षित मातृत्व का आधार आहार - मनमुताबिक खाना - हर दो घंटे में हल्का खाना - फलों की मात्रा को शामिल करना - भरपूर मात्रा में पानी पीना व्यवहार - दिनचर्या में खुशनुमा रहना - बात-बात में गुस्सैल रवैए से दूरी बनाना - तनावमुक्त होकर काम करना - किसी से झगड़ा नहीं करना - निद्रा एवं आराम - रात में 8 घंटे की नींद लेना - दिन में कम से कम 2 घंटे की नींद - नींद नहीं आने पर आराम करना - भागदौड़ से काम से दूर रहना योग - हर तिमाही में योग के आसन बदलना - सुबह और शाम को टहलना - मेडिटेशन और ध्यान लगाना - हल्का संगीत और मंत्रों को सुनना ये भी पढ़े... शिशु के विकास के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन करना चाहिए ये 5 योगासन प्रसव के दौरान गर्भवती के दर्द को कम करने के लिए अस्पताल ने अपनाया यह अनोखा तरीका गर्भ से ही बच्चों को संस्कारी बनाएगा यह विश्वविद्यालय, गर्भवती महिलाओं को सिखाएंगे ये चीजें Read the full article
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चैतन्य भारत न्यूज हर वर्ष 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (National safe motherhood day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को उनके स्वास्थ्य संबंधी देखभाल और उन्हें मातृत्व सुविधाओं के विषय में जागरूक करना है। इस ��िन देश भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ताकि गर्भवती महिलाओं के पोषण पर सही ध्यान दिया जा सके। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का इतिहास भारत सरकार द्वारा 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया था। 11 अप्रैल को कस्तूरबा गांधी के जन्म की सालगिरह को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया गया है। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धर्मपत्नी हैं। आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस घोषित करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। चौंकाने वाले आंकड़े मां बनना प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान माना जाता है। जब कोई महिला बच्चे को जन्म देती है तो वह इतनी पीड़ा से गुजरती कि उसे खुद के दोबारा जन्म का अहसास हो जाता है। लेकिन क्या हम इन माताओं की असल स्थिति से वाकिफ है? रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में जन्म देते समय प्रति 100,000 महिलाओं में से 167 महिलाएं मौंत के मुंह में चली जाती हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, अब भारत में मातृ मृत्यु दर में कमी आ रही है। पुरानी रिपोर्ट्स पर नजर डाले तो वर्ष 2010-12 में मातृ मृत्यु दर 178, 2007-2009 में 212 जबकि 2004-2006 में मातृ मृत्यु दर 254 रही। देश ने 1990 से 2011-13 की अवधि में 47 प्रतिशत की वैश्विक उपलब्धि की तुलना में मातृ मृत्यु दर को 65 प्रतिशत से ज्यादा घटाने में सफलता हासिल की है। सुरक्षित मातृत्व का आधार आहार - मनमुताबिक खाना - हर दो घंटे में हल्का खाना - फलों की मात्रा को शामिल करना - भरपूर मात्रा में पानी पीना व्यवहार - दिनचर्या में खुशनुमा रहना - बात-बात में गुस्सैल रवैए से दूरी बनाना - तनावमुक्त होकर काम करना - किसी से झगड़ा नहीं करना - निद्रा एवं आराम - रात में 8 घंटे की नींद लेना - दिन में कम से कम 2 घंटे की नींद - नींद नहीं आने पर आराम करना - भागदौड़ से काम से दूर रहना योग - हर तिमाही में योग के आसन बदलना - सुबह और शाम को टहलना - मेडिटेशन और ध्यान लगाना - हल्का संगीत और मंत्रों को सुनना ये भी पढ़े... शिशु के विकास के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन करना चाहिए ये 5 योगासन प्रसव के दौरान गर्भवती के दर्द को कम करने के लिए अस्पताल ने अपनाया यह अनोखा तरीका गर्भ से ही बच्चों को संस्कारी बनाएगा यह विश्वविद्यालय, गर्भवती महिलाओं को सिखाएंगे ये चीजें Read the full article
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