#सुरक्षा की अनदेखी
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bhopalgas · 2 months ago
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Bhopal gas Tragedy | आखिर गलती किसकी 1984
भोपाल गैस त्रासदी ने न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक बड़ी चिंतन प्रक्रिया को जन्म दिया। इस त्रासदी को लेकर आज भी कई पहलू हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए। अधिक गहराई में जाने पर और भी महत्वपूर्ण सवाल उठते हैं, जो हमें यह समझने में मदद करते हैं कि यह त्रासदी कैसे घटित हुई और किसकी जिम्मेदारी थी।
विकास और पर्यावरण
विकास और पर्यावरण: एक गंभीर टकराव
विकास की कीमत: भोपाल गैस त्रासदी एक उदाहरण बन गई कि कैसे विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन नहीं बनाए रखने से विनाश हो सकता है। इस हादसे ने यह साबित कर दिया कि तेज़ी से बढ़ते औद्योगिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण और सुरक्षा मानकों की अनदेखी से बड़े हादसों की संभावना बढ़ जाती है।
पर्यावरणीय प्रभाव: गैस के रिसाव के बाद पर्यावरण पर गहरा असर पड़ा। केवल मनुष्यों की ही नहीं, बल्कि आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र की भी भारी क्षति हुई। पशु और पौधे भी इस गैस के प्रभाव से प्रभावित हुए थ��।
: एक गंभीर टकराव
विकास की कीमत: भोपाल गैस त्रासदी एक उदाहरण बन गई कि कैसे विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन नहीं बनाए रखने से विनाश हो सकता है। इस हादसे ने यह साबित कर दिया कि तेज़ी से बढ़ते औद्योगिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण और सुरक्षा मानकों की अनदेखी से बड़े हादसों की संभावना बढ़ जाती है।
पर्यावरणीय प्रभाव: गैस के रिसाव के बाद पर्यावरण पर गहरा असर पड़ा। केवल मनुष्यों की ही नहीं, बल्कि आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र की भी भारी क्षति हुई। पशु और पौधे भी इस गैस के प्रभाव से प्रभावित हुए थे।
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vedantbhoomidigital · 18 hours ago
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छत्तीसगढ़ के मुंगेली में बड़ा हादसा; निर्माणाधीन प्लांट की चिमनी गिरने से कई मजदूर दबे, 8 की मौत की खबर
छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के रामबोड़ में निर्माणाधीन कुसुम प्लांट की चिमनी गिरने से बड़ा हादसा हुआ। 25 से अधिक लोग मलबे में दबे, 8-9 मौत की आशंका। पुलिस और प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। सुरक्षा मानकों की अनदेखी हादसे का मुख्य कारण बताया जा रहा है।By Neeraj Pandey Publish Date: Thu, 09 Jan 2025 05:05:11 PM (IST)Updated Date: Thu, 09 Jan 2025 05:44:43 PM (IST)प्रशासन और पुलिस की टीम मौके पर…
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agra24 · 7 days ago
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धौलपुर: घने कोहरे में हादसा, एनएच-44 पर कार ट्रक में घुसी, एक की मौत, दो घायल
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धौलपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर शुक्रवार सुबह घने कोहरे की वजह से एक दर्दनाक सड़क हादसा हो गया। कोतवाली थाना क्षेत्र में सागरपाड़ा पुलिस चौकी के पास एक तेज रफ्तार कार ट्रक से टकरा गई। इस हादसे में कार सवार एक युवक की मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे का विवरण हेड कॉन्स्टेबल कृष्ण अवतार के अनुसार, कार चालक महेंद्र रावत (30) निवासी डबरा, जिला ग्वालियर की मौके पर ही मृत्यु हो गई। उनके साथ यात्रा कर रहे 19 वर्षीय प्रसून पुत्र कृष्ण पाल सिंह (उषा कॉलोनी, डबरा) और 24 वर्षीय पारस गुप्ता पुत्र पवन (रघु नगर, डबरा) गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा इतना भीषण था कि कार के परखच्चे उड़ गए। स्थानीय पुलिस और राहगीरों की मदद से घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। कोहरे की वजह से बढ़ते खतरे हादसे के संबंध में पुलिस ने बताया कि तीनों युवक नए सा�� के अवसर पर उत्तराखंड के नैनीताल घूमने गए थे। वापसी के दौरान घने कोहरे और खराब दृश्यता के चलते यह दुर्घटना धौलपुर क्षेत्र में हुई। सड़क सुरक्षा के लिए जरूरी दिशानिर्देश इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर से कोहरे के मौसम में सुरक्षित ड्राइविंग की आवश्यकता पर जोर दिया है। घने कोहरे के दौरान सड़क पर दुर्घटनाओं को टालने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं: स्पीड कम रखें: कोहरे में गाड़ी की गति धीमी रखें ताकि अचानक रुकावटों से बचा जा सके। फॉग लाइट का इस्तेमाल करें: वाहन में लगे फॉग लाइट का उपयोग करें ताकि सामने और पीछे के वाहनों को आपकी उपस्थिति का संकेत मिले। दूरी बनाए रखें: अपने वाहन और सामने चल रहे वाहन के बीच पर्याप्त दूरी बनाए रखें। हॉर्न का उपयोग करें: जरूरत पड़ने पर हल्के हॉर्न का उपयोग करें ताकि अन्य वाहन चालक सतर्क रहें। मोबाइल का उपयोग न करें: वाहन चलाते समय ध्यान भटकाने वाले उपकरणों से दूर रहें। प्रशासन का बयान इस हादसे के बाद, आगरा के पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, "सर्दियों में कोहरे के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। वाहन चालकों को सुरक्षित ड्राइविंग के निर्देश दिए जा रहे हैं।" स्थानीय लोगों की अपील आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल ने कहा, "ऐसे हादसे दुखद हैं। प्रशासन और नागरिकों को मिलकर कोहरे के मौसम में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।" यह हादसा न केवल सर्दियों के दौरान सड़क सुरक्षा की अनदेखी के गंभीर परिणामों को उजागर करता है, बल्कि लोगों को सतर्क रहने और सभी सुरक्षा उपाय अपनाने की भी याद दिलाता है। Read the full article
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indlivebulletin · 20 days ago
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बिना लेबल वाले नूडल्स-एक्सपायर चिकन और कॉकरेच; बीमार कर देगा इन रेस्टोरेंट्स का खाना; कैसे खुली पोल?
तेलंगाना के सिकंदराबाद से एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. राज्य में फूड सेफ्टी अधिकारियों ने सिकंदराबाद और उसके आसपास के इलाकों में 18 दिसंबर 2024 को कई जगह छापेमारी की, जहां बड़े पैमाने पर खाद्य सुरक्षा नियमों की अनदेखी सामने आई है. छापामारी के दौरान पार्कलेन स्थित गोल्डन ड्रैगन रेस्टोरेंट और एमजी रोड पर स्थित सरवी रेस्टोरेंट और बेकरी की जांच में फूड सेफ्टी अधिकारियों गंभीर गड़बड़ियों का खुलासा…
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gnewsportal · 25 days ago
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dainiksamachar · 6 months ago
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घटेगी नई इमारतों की ऊंचाई, घरों की बाउंड्री और कमरे भी अलग होंगे, BIS ने नोएडा के लिए सुझाए नए नियम
योगेश तिवारी, नोएडा: आने वाले दिनों में शहर में बनने वाली बहुमंजिला आवासीय इमारतों की ऊंचाई उतनी नहीं होगी जितनी पहले की बिल्डिंगों की है। ग्रुप हाउसिंग में बिना सुविधा विकसित किए बिल्डर पजेशन नहीं दे पाएंगे। यही नहीं प्लॉट पर जो नए मकान बनेंगे वहां दो मकानों के बीच की दीवार पर छत नहीं डाली जा सकेगी। प्लॉट में सेटबैक का हिस्सा तकरीबन चारों तरफ छोड़ना होगा। इसका मतलब ये है कि प्लॉट पर पहले बाउंड्री बनवानी होगी, इसके बाद बीच में अलग से कमरे बनेंगे। इसी तरह निर्माण से जुड़े कई और नए नियम नोएडा में लागू हो सकते हैं। केंद्र के भारतीय मानक ब्यूरो () ने नोएडा में स्टैंडर्ड डिवेलपमेंट के लिए अगल से बिल्डिंग बायलॉज तैयार किए हैं। नए नियमों की किताब अथॉरिटी को सौंप दी गई है। अब अथॉरिटी इसे बोर्ड में रखकर मंजूरी लेगी। अथॉरिटी ने बिल्डिंग बायलॉज के ड्राफ्ट का अध्ययन शुरू करा दिया है। माना जा रहा है कि इसमें कुछ संशोधन भी होंगे। पुराने बायलॉज FAR पर आधारित हैं 2010 में नोएडा अथॉरिटी की तरफ से बनाए गए बिल्डिंग बायलॉज ही अभी तक लागू हैं। यह बायलॉज फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) आधारित था। इसमें देखा जाता था कि प्लॉट कितना बड़ा है और कितना निर्माण हो सकता है। इसके बाद उसी आधार पर अथॉरिटी नक्शा पास कर देती है। निर्माण के दौरान खिड़की से लेकर बालकनी को मंजूरी तो अथॉरिटी देती थी लेकिन इनके मानक और कोई परिभाषा नहीं थी। अब नए बिल्डिंग बायलॉज में खिड़की से लेकर वेंटिलेशन के लिए एग्जॉस्ट लगाने तक के मानक और परिभाषा तय कर अथॉरिटी को बताए गए हैं। ग्रुप हाउसिंग में फ्लोर एरिया रेशियो भी घटाने का सुझाव दिया गया है। ऐसा होने पर इमारतों की ऊंचाई कम होगी। नए बायलॉज की 200 पेज से ��्यादा की एक किताब अथॉरिटी को सौंपी गई है। अब अथॉरिटी इन नए प्रस्तावित नियमों का अध्ययन कर रही है। ये सभी नियम नोएडा को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इसके बाद भी अथॉरिटी को यह छूट होगी कि वह अध्ययन कर वाजिब तर्क देकर इन बायलॉज को कुछ संशोधन के साथ स्वीकार कर सकती है। अधिकारियों ने बताया कि नए बिल्डिंग बायलॉज की जरूरत मौजूदा इंडस्ट्री और हाउसिंग ट्रेंड में बदलाव को देखते हुए पड़ी है। अब डेटा सेंटर, आईटी-आईटीएस, ईवी-वीकल जैसे उद्योगों के लिए अलग-अलग नीतियां आ चुकी हैं, लेकिन बिल्डिंग बायलॉज वहीं पुराने हैं। ईवी की इंडस्ट्री उसी तरह से नहीं बनाई जा सकती जैसे नट बोल्ट या अन्य पुरानी इंडस्ट्री बनी हुई हैं। इसके साथ ही प्लॉट पर निर्माण के लिए नक्शा पास कराने के मानक सेटबैक, ग्राउंड कवरेज, एफएआर, ग्रीन एरिया, ओपन एरिया, लैंड यूज समेत अन्य मानक भी परिभाषित हो गए हैं। ऐसा होने पर सभी के लिए एक ही मानक रहने वाले हैं। बिल्डरों को नक्शा पास कराने के लिए देना होगा सर्विस प्लान ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट में फ्लैट बायर्स की बहुत सी शिकायतें और समस्याएं रहती हैं कि बिल्डर ने सभी जरूरी सुविधाएं विकसित किए बगैर ही कब्जा दे दिया। कहीं पार्किंग अधूरी रहती है तो कहीं क्लब हाउस और फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं रहते। कुछ जगह एसटीपी तक नहीं बना होता है। ये समस��याएं आगे न रहें इसके लिए प्रस्तावित बिल्डिंग बायलॉज में यह व्यवस्था की गई है कि बिल्डर जब नक्शे के लिए आवेदन करेगा तो सर्विस प्लान अलग से देगा। इस प्लान में यह बताया जाएगा कि सोसायटी में कौन-कौन सी सुविधाएं विकसित की जानी हैं। इसके साथ ही इन सुविधाओं से अलग बिल्डर सोसायटी को हाईटेक बना रहा है तो स्पेसिफिकेशन भी बताने होंगे। निर्माण पूरा होने के बाद जब ओसी के लिए बिल्डर आवेदन करेगा तो अथॉरिटी सबसे पहले सर्विस प्लान का परीक्षण करेगी। ऐसे में आम सुविधाओं की अनदेखी नहीं होगी। बनी हुई इमारत के कमजोर पड़ने पर उसके लिए भी नियम अगर बनी हुई पुरानी इमारत कमजोर पड़ जाती है तो उसे असुरक्षित घोषित करने का नियम भी नए बिल्डिंग बायलॉज में आया है। इसके लिए जरूरी जांच और फिर इमारत कमजोर मिलने के बाद होने वाले सुरक्षा इंतजाम भी नए बताए गए हैं। इमारत के कमजोर होने पर उसे कैसे खाली कराया जा सकता है और कोई घटना होने पर जिम्मेदारी भी तय की गई है। http://dlvr.it/T92WH8
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gameonoverdogcom · 7 months ago
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prakhar-pravakta · 1 year ago
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भरण पोषण अधिनियम के तहत वरिष्ठ जनों को अपने संतति से आजीविका का अधिकारवरिष्ठ नागरिकों को दी गई अधिनियम की जानकारी
सतना 05 अक्टूबर 2023/चित्रकूट के वृद्धाश्रम में सामाजिक न्याय विभाग सतना द्वारा वरिष्ठ जनों एवं बुजुर्गों को भरण-पोषण अधिनियम की जानकारी देने संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में बताया गया कि वरिष्ठ नागरिकों बुजुर्गों के प्रति समाज में लगातार बढ़ती असंवेदनशीलता तथा उनके खान-पान रहन-सहन स्वास्थ्य चिकित्सा एवं मनोरंजन की अनदेखी जैसी घटनाओं को देखते हुए बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा और उनका…
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helputrust · 3 years ago
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#हेलमेट, #सीटबेल्ट, #नियंत्रित_रफ़्तार, #यातायात_नियमों का पालन बचा सकता है आपका #अस्पताल जाना और आपकी जान - हर्ष वर्धन अग्रवाल
 लखनऊ 27 अप्रैल, 2022 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में इंदिरा नगर स्थित सेक्टर-25 चौराहे पर ‘#सड़क_सुरक्षा_सप्ताह’ के अंतर्गत “#सड़क_सुरक्षा_जागरूकता_अभियान” कार्यक्रम का आयोजन किया गया l अभियान के तहत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, #यातायात_पुलिसकर्मियों, #समाजसेवियों तथा ट्रस्ट के #स्वयंसेवकों द्वारा वाहन चालकों को यातायात नियमों के प्रति पर्चे बांटकर #जागरूक किया गया l ट्रस्ट के #प्रचार_वैन में लगे पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लोगों को #सड़क_सुरक्षा तथा #यातायात_नियमों के प्रति जागरूक किया गया l #चार_पहिया वाहनों में #सीट_बेल्ट न लगे होने पर तथा #दो_पहिया_वाहन_चालकों के #हेलमेट न लगाए होने पर, #वाहन_चालकों को #फूल देकर, #सीट_बेल्ट और #हेल्मेट लगाने का अनुरोध किया गया, साथ ही वाहन चलाते समय #मोबाइल पर बात न करने से भी रोका गया l अभियान में कुछ लोग ऐसे भी मिले, जो #हेलमेट या तो हाथ में पकड़े थे या अपने #दो_पहिया_वाहन में लगाए हुए थे पर पहने हुए नहीं थे, उन सभी को #हेल्मेट लगाने के लिए अनुरोध किया गया l  
 इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, सभी लोगों क�� विशेष रूप से पैदल चलने वालों को सड़क पर चलने के दौरान सतर्क रहना चाहिए और सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए। पैदल यात्री ही हैं जो सड़क #दुर्घटना के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं, क्योंकि ऐसा तब होता है जब वह लापरवाही से #यातायात_सिग्नल पर ध्यान नहीं देते या सावधानी से #क्रॉसवाक पर नहीं चलते हैं, जिससे चोट लगने के मामले बढ़ जाते हैं l मेरा मानना है कि सॉरी से ज्यादा अच्छा सुरक्षित रहना है l इसलिए सभी लोगों से सड़क पर चलने के दौरान जल्दी में ना रहने और सतर्क रहने का अनुरोध है l इसके अलावा कई लोग आमतौर पर #यातायात के सामान्य प्रवाह में भी बाधा डालते हैं l उनसे अपील है कि कृपया ध्यान दें कि यह किसी के जीवन के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है, इसलिए ऐसा करने से बचना चाहिए l हमेशा सड़क पर चलने के लिए ज़ेब्रा क्रॉसिंग का उपयोग करें और अपनी #आँखों और #कानों को खोल कर रखें ताकि चारों ओर से आती #ट्रैफिक की आवाज़ों को सुन सकें l
 श्री अग्रवाल ने यह भी कहा कि, आप यदि #सार्वजनिक_परिवहन के माध्यम से यात्रा करने जा रहे हैं और यदि यह बस है तो धैर्यपूर्वक बस के रुकने का इंतजार करें और उसके बाद उसमें सवार हों l इसी तरह यदि आप बस से बाहर निकल रहे हैं तो बस के ठीक से रुकने का इंतजार करें और सुनिश्चित करें कि कोई अन्य वाहन आपके रास्ते में बाधा नहीं डाले l कभी भी सुरक्षा संकेतों की अनदेखी न करें क्योंकि जब-जब लोग सुरक्षा संकेतों की अनदेखी करते है तब-तब उन्हें गंभीर सड़क #दुर्घटनाओं का शिकार होना पड़ता है l यदि आप सड़क पर साइकिल चला रहे हैं तो और भी सावधान रहें और सुनिश्चित करें कि आपकी साइकिल में रोशनी का यंत्र हो और उसके ब्रेक अच्छी स्थिति में काम कर रहे हों l दूसरा व्यस्त सड़क पर साइकिल चलाने से बचें और #सार्वजनिक_परिवहन का उपयोग करने की कोशिश करें l हालांकि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि इन निवारक उपायों के जरिए हम सड़क #दुर्घटनाओं के घातक मामलों से बचने में सक्षम होंगे, लेकिन हम निश्चित रूप से सड़क पर सतर्क रहके और सभी सुरक्षा नियमों का पालन करके इस खतरे से ज़रूर बच सकते हैं l हमेशा याद रखें कि जीवन में रीसेट बटन नहीं होता इसलिए सड़क पर लापरवाही न करें l दो और #चार_पहिया_वाहन के चालक ध्यान रखें कि #हेलमेट, #सीटबेल्ट, #नियंत्रित_रफ़्तार, #यातायात_नियमों का पालन बचा सकता है आपका #अस्पताल जाना और आपकी जान l
 इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, टी.एस.आई. श्री सुभाष सिंह सरोज, #यातायात_पुलिसकर्मी, #यातायात व #पर्यावरण_जागरूकता_अभियान से जुड़े श्री कृष्णानंद राय तथा ट्रस्ट के #स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही l
 #सड़क_सुरक्षा_सप्ताह #स��क_सुरक्षा_जागरूकता_अभियान #Road_Safety_Advocacy #स्मार्ट_बनिए #यातायात_नियम #नशे_में_वाहन_न_चलाएं #यातायात_नियमों_का_पालन_करें
 #HelpUTrust
#HelpUEducationalandCharitableTrust
www.helputrust.org
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vaidicphysics · 4 years ago
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क्या विज्ञान बीमारियों को नियन्त्रित कर पायेगा?
वर्तमान में मानव अनेक प्रकार की बीमारियों से घिरा हुआ है। इस समय सारा विश्व कोविड-19 से परेशान है। दिन में कई बार सावधान किया जाता है कि जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। ऐसा करो, वैसा करो आदि। क्या दवा आयेगी और हम कोवडि-19 के भय से मुक्त हो जायेंगे? और भविष्य में भी जब कोई बीमारी आयेगी, तो विज्ञान उसका उपचार कर लेगा? इस चर्चा को आगे बढ़ाने से पहले मैं एक घोषणा करना चाहता हूँ और इसी घोषणा के अनुसार ही कोई समाधान हाथ लग सकता है, इसके विरुद्ध कुछ हाथ आने वाला नहीं है। घोषणा यह है कि सिद्धान्त सर्वोपरी होता है।
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सिद्धान्त के सामने किसी की कोई औकात नहीं होती। सिद्धान्त विरुद्ध चलने से हानि होगी, कष्ट होगा। सुख केवल सिद्धान्त अनुसार चलने से ही हो सकता है। घोषणा में ‘किसी’ शब्द का अभिप्राय राजनेता, वैज्ञानिक, धनपति आदि सभी से है। ये कितने ही बड़े हो, कितनी ही संख्या में हो, इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता, सिद्धान्त के सामने इन सबकी सम्मिलित सत्ता का भी कोई अर्थ नहीं है। अब विज्ञान बिमारी पर काबू पा लेगा, इसका निर्णय कुछ सिद्धान्तों के आधार पर ही हो सकता हैं। ये सिद्धान्त निम्र प्रकार हैं -
बीमारी और गन्दगी का सीधा सम्बन्ध है।
जितनी प्रकार की गन्दगी, उतनी प्रकार की बीमारियाँ।
किसी वस्तु के बारे में जानकारी उपयोग करने वाले से उस वस्तु को बनाने वाले को अधिक होती है।
भवन की नींव कमजोर करने से भवन सुरक्षित नहीं रह सकता।
सुखी जीवन का आधार स्वस्थ शरीर और संतोष हैं।
अब देखते हैं आधुनिक विज्ञान और उसका प्रयोग करने वाले उपरोक्त नियमों का कितना पालन कर रहे हैं।
प्रत्येक जीवधारी का जीवन हवा-पानी और भोजन पर टिका हुआ है। यह बात भी सर्वमान्य है कि हवा-पानी-भोजन भी जीवन को नहीं टिका पायेंगे, यदि ये शुद्ध नहीं है तो। शुद्ध हवा-पानी-भोजन ही जीवन के आधार हैं। यदि इनमें से एक भी प्रदूषित हुआ, तो जीवन टिक नहीं पायेगा और यदि ये सारे ही प्रदूषित हो गये, तो किसी की कोई औकात नहीं कि जीवन को बचा पाये। अब विस्तार में न जाते हुए वर्तमान में हवा की क्या स्थिति है, थोड़ा आँकलन करें। शुद्ध हवा जीवन का पहला आधार है। हवा सभी जीवों को श्वास लेने के लिये परमात्मा की दी हुई है, यदि आप परमात्मा को नहीं मानते, तो प्रकृति की दी हुई है, किसी की बपौती नहीं है, तो इसका मतलब हुआ हवा पर सभी जीवों का बराबर अधिकार है। वर्तमान में विश्वस्तर पर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 10 युनिट बिजली खपत है। एक युनिट बिजली उत्पादन में लगभग 80 व्यक्तियों द्वारा दिनभर श्वास लेने में प्रयोग होने वाली हवा के बराबर वायु प्रदूषित होती है, तो प्रत्येक व्यक्ति 800 व्यक्तियों की हवा को 10 युनिट बिजली प्रयोग करके खर्च कर रहा है। विश्व स्तर पर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन लगभग 1.5 किलोग्राम सिमेण्ट का उत्पादन हो रहा है। 1 किलो सिमेण्ट उत्पादन में 110 व्यक्तियों के हवा का कोटा खत्म होता है। विश्व स्तर पर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन लगभग 2 लिटर डीजल व पैट्रोल खर्च हो रहा है। 1 लीटर तेल जलने से 10 व्यक्तियों का प्रतिदिन हवा का कोटा खप जाता है। केवल इन तीन गतिविधियों से प्रतिदिन 985 अर्थात् लगभग 1000 व्यक्तियों के हवा का कोटा एक व्यक्ति खर्च कर रहा है। यदि सभी प्रकार के उद्योग धन्धों को मिला लें, तो लगभग आधुनिक मानव विज्ञान के प्रयोग द्वारा 2000 व्यक्तियों के बराबर हवा को प्रदूषित कर रहा है। सभी प्रकार की तथाकथित विकास की गतिविधियों द्वारा न केवल हवा को ही अपितु पानी और जमीन को भी प्रदूषित किया जा रहा है। इस बात से कौन इनकार कर सकता है कि सभी प्रकार के भोजन हवा-पानी और जमीन से ही पैदा होते हैं, तो हवा-पानी-जमीन के प्रदूषित होने पर शुद्ध भोजन कैसे मिल सकता है? इन आधारभूत वस्तुओं के गन्दा या प्रदूषित होने पर पहले सिद्धान्त के अनुसार बीमारियों होंगी और इनके बढ़ते प्रदुषण से ज्यादा बीमारियों होंगी। ये भी सभी की जानकारी में है कि न केवल प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है बल्कि प्रदूषण की प्रकार भी बढ़ रहे हैं।
दूसरे सिद्धान्त के अनुसार जितने प्रकार के प्रदूषण होंगे, उतने प्रकार की बीमारी होती चली जायेंगी, तो क्या विज्ञान भी साथ-साथ दवाई व उपचार नहीं निकाल लेगा? इस स्थिति में विज्ञान कभी सफल नहीं होगा क्योंकि विज्ञान एक बीमारी का उपचार निकलेगा, उतने समय में तीन नई बीमारी पैदा हो जायेंगी। इसका कारण एक तो लगातार बढ़ता प्रदूषण और दूसरा कारण यह कि कोई भी दवा ऐसी नहीं बन सकती, जिसका साईड इफैक्ट ना हो, तो बढ़ता और नई-नई दवाईयाँ नये-नये रोग पैदा करते चले जायेंगे और विज्ञान कभी इसको रोक नहीं पायेगा। यहाँ विज्ञान एक और मूलभूत नियम की अनदेखी कर रहा है। यह नियम कार्य-कारण का है। वर्तमान में कारणों को हटाये बिना परिणाम आने से रोकने का असफल और नियम विरुद्ध प्रयास किया जा रहा है। बीमारियों के कारणों को हटाने का कोई प्रयास न करके विज्ञान के बलबूते बीमारियों को रोकने का भ्रम पाला जा रहा है।
कोविड-19 की दवा के बारे में विचार करते है। विश्व स्तर पर दवा कम्पनीयाँ शीघ्र से शीघ्र कोविड-19 का टीका बाजार में उतारने का जोर-शोर से प्रयास कर रहे हैं। विश्वभर के चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक, जो सरकारों और दवा कम्पनीयों के दबाव व प्रभाव में नहीं है, जल्दबाजी में बनाये जा रहे टीका को प्रभावी व सुरक्षित नहीं मानते और स्पष्ट रूप से लोगों को इस प्रकार के टीके के प्रयोग से बचने का परामर्श दे रहे हैं।  हम जल्दबाजी वाली बात को छोड़ कर सिद्धान्त-३ के अनुसार इन सभी प्रकार के टीकों पर विचार करते हैं। सभी प्रकार के टीकों में जिस बीमारी का टीका तैयार किया जाता है, उसमें उसी बीमारी को पैदा करने वाले वायरस का प्रयोग किया जाता है। वायरस एक प्रकार का DNA होता है, जो जिस भी शरीर में संक्रमण करता है, उस शरीर की कोशिकाओं के DNA के साथ छेड़-छाड़ करता है। शरीर की कोशिकायें इस छेड़-छाड़ को निष्फल करने की कोशिश करती हैं। इस प्रतिरोध को शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कहते हैं। शरीर की कोशिकायें कैसे कार्य करती हैं? इसको इन कोशिकाओं को बनाने वाला ईश्वर या प्रकृति किसी वैज्ञानिक से अधिक जानते हैं। वैज्ञानिक वायरस के माध्यम से इन कोशिकाओं का उपयोग करके टीका बनाकर बीमारी को कन्ट्रोल करना चाहता है। इस प्रक्रिया में कोशिका के DNA के साथ छेड़-छाड़ की जाती है। यह वैज्ञानिक छेड़-छाड़ मन चाहे परिणाम लायेगी, इसकी कोई गारण्टी नहीं है, क्योंकि परमात्मा या प्रकृति की बनाई वस्तु की पूरी समझ वैज्ञानिक को कभी भी नहीं हो सकती। इसका ��ारण यह है कि परमात्मा या प्रकृति के ज्ञान के सामने मनुष्य का ज्ञान बहुत छोटा है और सिद्धान्त यह है कि बड़ी वस्तु छोटी में नहीं आ सकती। मनुष्य ने पौधौं के DNA में छेड़-छाड़ करके देखा है। उदाहरण के लिये सोयाबीन, कपास, मक्का, बाजरा आदि के बीजों के साथ छेड़-छाड़ करके देखा है। इन सभी के परिणाम नकारात्मक आये हैं। रूसी वैज्ञानिक Alexey V. Surov का अध्ययन GM Soy Linked to Steritily जो Jehhery Smith द्वारा www.rense.com जनरल Health Reports में दिया है, के अनुसार GM उत्पादों से कई प्रकार की विकृतियाँ जैसे - गर्भपात, कद-काठी में कमी, बीमार होना आदि पाये गये हैं। GM सद्ब्रजी, फल, अनाज के शरीर पर दुष्प्रभाव तो हैं ही, इनका स्वाद भी जाता रहता है। जब पेड़-पौधौं के DNA से छेड़-छाड़ के नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, तो मनुष्य के DNA के साथ टीकों के माध्यम से की जा रही जल्दबाजी वाली छेड़-छाड़ कैसे सुरक्षित हो सकती है? वैज्ञानिकों की मानव DNA की ��ेड़-छाड़ कभी अच्छे परिणाम नहीं ला सकेगी, क्योंकि मानव की समझ सीमित है। इस दृष्टि से कोविड-19 का टीका सुरक्षित नहीं हो सकता।
हवा-पानी-जमीन जीवन के आधार हैं। इनको प्रदूषित करके विज्ञान के बलबूते स्वस्थ जीवन बनाये रखना ऐसी ही बात हुई कि भवन की नींव को कमजोर करके, भवन के ऊपरी भाग की लीपा-पोती करना, पेन्ट करना, सजावट करना और यह मान बैठना की भवन सुरक्षित हो गया। विज्ञान के सहारे दवाईयाँ बनाकर और टीकें बनाकर स्वास्थ्य के भवन को टिकाये रखने की इच्छा करना ऐसा ही है जैसे नींव की देखभाल छोड़कर भवन को रंग-रोगन करके सुरक्षित मानना। मानव जीवन को सुखी बनाना विज्ञान का उद्देश्य माना जाता है। आधुनिक विज्ञान इस उद्देश्य में भी कभी सफल नहीं हो सकेगा। कारण यह कि विज्ञान ने मनुष्य को वह टैक्नोलाॅजी दी है, जो हवा-पानी-जमीन-समुद्र-आकाश सभी का निर्मम दोहन व दुरुपयोग करने की क्षमता देती है। जब मनुष्य का जीवन आधार और उसका सभी प्रकार का पर्यावरण प्रदूषित होगा, तो मनुष्य विज्ञान के किसी भी प्रयास के होने पर भी बीमार रहेगा। दूसरी तरफ संसाधनों के दोहन का लालच बढ़ता चला जायेगा, जो मनुष्य में असंतोष पैदा करेगा। स्वस्थ शरीर और मानसिक संतोष सुखी जीवन की मूलभूत शर्तें हैं। विज्ञान इन दोनों को उपलब्ध नहीं करवा सकता, तो विज्ञान के सहारे सुखी जीवन एक स्वप्न ही रहेगा, तो क्या विज्ञान छोड़ दिया जाये? बीमारी और प्रदुषण तो विज्ञान के दुरुपयोग के परिणाम हैं, इसमें विज्ञान का क्या दोष है? विज्ञान का वर्तमान में दोष यह है कि आज विज्ञान का बोलबाला इतना बढ़ गया है कि जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा, जहाँ विज्ञान का हस्तक्षेप न हो। विज्ञान ने प्रत्येक क्षेत्र की तकनीक दी, पर तकनीक का क���ाँ, कितना, कैसे प्रयोग करना है, यह नहीं बताया। आधुनिक विज्ञान यह मार्गदर्शन दे भी नहीं सकता, क्योंकि आधुनिक विज्ञान केवल जड़ पदार्थ का अध्ययन करता है। जड़ पदार्थ में उपयोग तो होता है, प्रयोजन नहीं होता। आधुनिक विज्ञान को प्रयोजन कौन दे सकता है? यह कार्य वेद-विज्ञान कर सकता है। वेद-विज्ञान सभी क्षेत्रों का मार्गदर्शन दे सकता है। वर्तमान में वेद-विज्ञान आधुनिक विज्ञान को कैसे मार्गदर्शन दे सकता है? यह अति महत्वपूर्ण और मानवता के हित का कार्य श्रद्धेय आचार्य अग्निव्रत जी ने वेद से विज्ञान का ग्रन्थ वेदविज्ञान-आलोकः तैयार कर दिया है।  यह मानवता की महान् सेवा है। आचार्य जी वैदिक फिजिक्स चैनल के माध्यम से यह मानव कल्याण का कार्य कर रहे हैं। हम सबके हित में है कि हम इस चैनल से जुड़े और आचार्य अग्निव्रत जी के मानव कल्याण कार्य को आगे बढ़ायें, यही अन्तिम सुरक्षा है।
- डाॅ. भूपसिंह, रिटायर्ड एसोशिएट प्रोफेसर (भौतिकी)
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vedantbhoomidigital · 8 days ago
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बिलासपुर में चलने वाली बसों से किराया सूची गायब, ड्राइवर-कंडक्टर नहीं पहनते यूनिफार्म
बस में किराया सूची नहीं लगी होने की वजह से यात्रियों से कंडक्टर की मनमर्जी किराया वसूल लेता है। रोजाना यात्रा करने वाले यात्रियों से बहस भी होती है। इसकी शिकायत भी विभाग तक पहुंचती है। मगर, कोई कार्रवाई नहीं होती है। बसों की हालत भी खस्ताहाल दिखती है।By Shashank Shekhar Bajpai Publish Date: Thu, 02 Jan 2025 04:47:09 PM (IST)Updated Date: Thu, 02 Jan 2025 04:47:09 PM (IST)सुरक्षा की अनदेखी कर बस…
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agra24 · 1 month ago
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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर भीषण हादसा: 6 की मौत, 40 घायल : दायर होगी जनहित याचिका
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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर एक और दर्दनाक हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। मंगलवार सुबह कन्नौज जिले के पास ��क डबल-डेकर बस खड़े पानी के टैंकर से टकराकर पलट गई। इस भयावह दुर्घटना में छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 40 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। ‘किलर एक्सप्रेसवे’ की छवि गहराई यह दुर्घटना 27 नवंबर 2024 को हुई एक अन्य बड़े हादसे की याद दिलाती है, जिसमें डॉक्टरों समेत पांच लोग अपनी जान गंवा बैठे थे। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर लगातार हो रही इन दुर्घटनाओं ने इसे ‘किलर एक्सप्रेसवे’ की छवि दे दी है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे हेमंत जैन सड़क सुरक्षा को लेकर लंबे समय से सक्रिय आगरा निवासी हेमंत जैन ने इस हादसे पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि वे बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करेंगे। याचिका में उन्होंने सड़क सुरक्षा उपायों की अनदेखी और दुर्घटनाओं के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में सड़कों पर सुरक्षा ऑडिट के सख्त निर्देश दिए थे। लेकिन आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर 2019 के बाद से कोई सुरक्षा ऑडिट नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित ऑडिट से सड़क की संरचनात्मक खामियों का पता चल सकता है, जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। क्रैश इन्वेस्टिगेशन स्कीम 2023: नाम के लिए लागू उत्तर प्रदेश सरकार ने 2023 में "क्रैश इन्वेस्टिगेशन स्कीम" लागू की थी। इस योजना के तहत हर सड़क दुर्घटना की जांच कर उसके कारणों की रिपोर्ट तैयार की जानी थी। हालांकि, यह योजना कागजों में सिमट कर रह गई है।
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सीआरआरआई की चेतावनी हुई नजरअंदाज सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) ने 2019 में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा ऑडिट किया था। रिपोर्ट में नवंबर 2017 से फरवरी 2019 के बीच 1,871 दुर्घटनाओं का जिक्र था, जिनमें 118 लोगों की मौत और 406 गंभीर रूप से घायल हुए थे। रिपोर्ट में सुझाए गए कई उपाय अभी तक लागू नहीं कि�� गए हैं। याचिका में मांगे गए सुधार हेमंत जैन ने सुप्रीम कोर्ट से निम्नलिखित राहतों की मांग की है: - प्रतिष्ठित संस्थानों से एक्सप्रेसवे का सुरक्षा ऑडिट कराया जाए। - "क्रैश इन्वेस्टिगेशन स्कीम 2023" का सख्ती से पालन हो। - सड़क पर क्रैश बैरियर की स्थापना हो। - दुर्घटनाओं का डेटा सार्वजनिक किया जाए। - सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं। हेमंत जैन का बयान “सिर्फ आधुनिक सड़कों का निर्माण पर्याप्त नहीं है। सड़क सुरक्षा के लिए ठोस और समयबद्ध उपाय जरूरी हैं। मैं अदालत से अपील करता हूं कि एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा ऑडिट और क्रैश बैरियर की स्थापना सुनिश्चित की जाए। यह कदम दुर्घटनाओं को रोकने और लोगों की जान बचाने के लिए अनिवार्य है।” यह हादसा सड़क सुरक्षा को लेकर बड़े सुधारों की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर करता है। उम्मीद है कि इस मामले में जिम्मेदार प्राधिकरण जल्द ठोस कदम उठाएंगे। Read the full article
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indlivebulletin · 2 months ago
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Trump On Bangladesh Hindu: हिंदुओं पर ट्रंप ने कर दिया ऐसा ऐलान, कई देशों में हड़कंप
अमेरिका में वोटिंग से ठीक पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने बहुत बड़ा ऐलान कर दिया है। डोनाल्ड ट्रम्प ने साफ कहा है कि हिंदुओं के लिए क्या करूँगा। ट्रम्प ने आरोप लगाया है कि जो बाइडेन और कमला हैरिस ने हिंदुओं की अनदेखी की है। इतिहास में पहली बार अमेरिका में राष्ट्रपति पद का कोई उम्मीदवार अमेरिका समेत पूरी दुनिया में हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठा रहा है। कई लोग बोल रहे हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प वोटर्स को…
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sharpbharat · 2 years ago
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adityapur-building-construction-Ignoring- safety-rules-आदित्यपुर में मजदूर जान जोखिम में डाल कर रहे है काम,भवन निर्माण कार्य में सुरक्षा नियमों की अनदेखी, बगैर सेफ्टी वेल्ट के 7वें व 5वें तल्ले पर काम करने को विवश है मजदूर
adityapur-building-construction-Ignoring- safety-rules-आदित्यपुर में मजदूर जान जोखिम में डाल कर रहे है काम,भवन निर्माण कार्य में सुरक्षा नियमों की अनदेखी, बगैर सेफ्टी वेल्ट के 7वें व 5वें तल्ले पर काम करने को विवश है मजदूर
आदित्यपुर: आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखकर बिल्डर और ठेकेदार मजदूरों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं.भगवान ना करे कभी कोई अनहोनी हो जाए उसके बाद लकीर पीटने के कुछ नहीं रह जाएगा.दरअसल आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में इन दिनों ऊंची-ऊंची बिल्डिंगों का निर्माण कार्य चल रहा है.जहां सुरक्षा नियमों की अनदेखी साफ देखी जा सकती है.(नीचे भी पढ़े) वो भी ऐसे जगह पर निर्माण कार्य में लापरवाही…
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dainiksamachar · 10 months ago
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गुरुग्राम के बुली हत्या निकला कनाडा लिंक, विदेशों से गैंगस्टर हरियाणा में करवा रहे मर्डर, गैंगवार या कुछ और?
गुरुग्राम: एक सट्टेबाज सचिन मुंजाल की गुरुवार रात रोहतक में एक ढाबा के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई। सचिन अपनी मां, पत्नी और दो बच्चों के साथ एक शादी में शामिल होने के लिए गुरुग्राम से पंजाब के संगरूर जा रहे थे। यह हत्या गैंगवार की ताजा घटना है, जिसे विदेश से आए आदेश पर अंजाम दिया गया। जेल में बंद डॉन लॉरेंस बिश्नोई के करीबी सहयोगी गैंगस्टर रोहित गोदारा ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली है। रोहित गोदारा कनाडा में बैठा है। 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू म��सेवाला की हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के बाद से सचिन की हत्या सातवीं घटना है, जिसकी विदेश में बैठे गैंगस्टरों ने जिम्मेदारी ली है। इस सप्ताह की शुरुआत में झज्जर में INLD के प्रदेश प्रमुख नफे सिंह राठी की हत्या सहित कई अन्य हत्याएं हुई हैं, जिसमें विदेश में स्थित भारतीय गैंगस्टरों की भूमिका की जांच की जा रही है।सूत्रों ने कहा कि अर्जुन नगर में रहने वाले 36 वर्षीय सचिन गोडा दिल्ली-एनसीआर में सट्टेबाजी के सबसे बड़े रैकेट में से एक का संचालन करते थे। सट्टेबाजों के बीच उनकी प्रोमिनेंट उपस्थिति ने कौशल गिरोह का ध्यान आकर्षित किया। गोदारा ने इसी साझेदारी को निशाना बनाया। बीकानेर के रहने वाले रोहित गोदारा ने शुक्रवार को अपने पोस्ट में चेतावनी दी कि जो कोई भी मेरे कॉल की अनदेखी करेगा, उसका भी यही हाल होगा। 11 बजे के आसपास हुई वारदात मां दर्शना देवी, पत्नी मोनिका और उनके दो बच्चों के साथ सचिन रात करीब 8 बजे पंजाब के लिए रवाना हुए। रात करीब 11 बजे वे रोहतक-जिंद राजमार्ग पर लखन माजरा में एक ढाबा पर खाने के लिए रुके। 40 मिनट के बाद परिवार ढाबा से बाहर निकला। मोनिका बच्चों को शौचालय ले गई, जबकि सचिन और दर्शना अपनी कार की ओर चले गए। इस तरह हमलावरों ने बरसाईं गोलियां सफेद स्विफ्ट में आए निशानेबाजों ने सचिन के कार में चढ़ने के बाद उन्हें पीछे खींचा और उन पर गोलियां बरसाईं। उन्होंने सचिन की म��द के लिए आने की कोशिश करने वाली दर्शना को पैर में गोली मार दी और भाग गए। पुलिस ने कहा कि सचिन को 12 गोलियां लगीं और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। सचिन गोदारा की पत्नी हुई बेहोश गोलियों की आवाज सुनकर बाहर निकली मोनिका सचिन को देखकर बेहोश हो गई। ढाबा कर्मचारियों ने पुलिस को बुलाया, जो सचिन और दर्शना को पीजीआईएमएस रोहतक ले गए। बाद में दर्शना को गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। इस तरह गैंगस्टर की नजरों में चढ़ा सचिन सूत्रों ने कहा कि सचिन का पालन-पोषण दर्शना और उनकी तीन बहनों ने किया था, जब उनके पिता का निधन हो गया था, जब वह बहुत छोटे थे। परिवार ने ओल्ड गुरुग्राम में एक कबाड़ की दुकान से अपना जीवन यापन करते हुए कई वर्षों की कठिनाई देखी थी। आखिरकार उनकी किस्मत बदल गई जब सचिन ने बुली बनकर धन कमाना शुरू किया। 20 के दशक के मध्य तक, वह सट्टेबाजी में व्यस्त हो गए और अपना उद्यम स्थापित करने लगे। पिछले 10 वर्षों में, वह अग्रणी सट्टेबाजों में से एक के रूप में उभरे। जेल भी गया था सचिन छह महीने पहले रोहतक में छापेमारी के दौरान सचिन और अन्य को सट्टेबाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जमानत मिलने के तुरंत बाद वह वापस आ गए। एक सूत्र ने कहा कि सचिन ने तब से क्रिकेट सट्टेबाजी से एक ही दिन में 18 करोड़ रुपये कमाए, जिसने उनकी प्रतिष्ठा के लिए चमत्कार किया, लेकिन लॉरेंस नेटवर्क का ध्यान भी आकर्षित किया। मां बोली- सट्टेबाज नहीं था बेटा परिवार वालों ने पुलिस को दी जानकारी सचिन को लॉरेंस नेटवर्क से जबरन वसूली के कॉल आ रहे थे जो 2 करोड़ रुपये से शुरू होकर 5 करोड़ रुपये तक बढ़ गए थे। इसके बाद सचिन ने पुलिस सुरक्षा मांगी थी और अपना मोबाइल नंबर भी बदल लिया था। पुलिस ने कहा कि वे जांच के लिए ढाबा में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं। हत्या स्थल से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर एक पुलिस चौकी है। उनके परिवार के एक सदस्य ने इस बात से इनकार किया कि सचिन सट्टेबाजी में शामिल थे। एक रिश्तेदार ने कहा, 'सचिन सट्टेबाज नहीं था, वह संपत्ति के व्यवसाय में था।' उसके परिवार के पास पुराने गुड़गांव में कई दुकानें थीं और वे किराए से कमाते थे।लखन माजरा पुलिस स्टेशन के एसएचओ सुरेश कुमार ने कहा कि दर्शना की शिकायत के आधार पर अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि पोस्टमॉर्टम के बाद शव को परिवार को सौंप दिया गया है। http://dlvr.it/T3Vnkl
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telnews-in · 2 years ago
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India On Its Poor Hunger Index Rating
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भारत ने आरोप लगाया है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट सरकार के खाद्य सुरक्षा उपायों की अनदेखी करती है नई दिल्ली: भारत ने आज नवीनतम ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) रिपोर्ट को “भूख का झूठा उपाय” करार दिया और दावा किया कि 2022 में 121 देशों में से 107 वें स्थान पर गिरने के बाद यह “गंभीर प्रणालीगत समस्याओं” से पीड़ित है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस नोट में कहा गया है:…
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