#सिविल सर्जन डॉ. अंजनी कुमार
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मोतिहारी : डॉ राधाकृष्णन सभागार में जनता दरबार का किया गया आयोजन, 113 आवेदन प्राप्त
मोतिहारी : डॉ राधाकृष्णन सभागार में जनता दरबार का किया गया आयोजन, 113 आवेदन प्राप्त
मोतिहारी, रंजय कुमार : डॉ राधाकृष्णन सभागार में शुक्रवार को जनता दरबार का आयोजन किया गया। अध्यक्षता जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने की। जनता दरबार में आए फरियादियों द्वारा 113 आवेदन प्राप्त हुए। पंचायती राज विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, महिला हेल्पलाइन, आंगनबाड़ी, राजस्व शाखा, अतिक्रमण, भूमि विवाद, विद्युत, पेंशन आदि विभागों से संबंधित आवेदन प्राप्त हुए। डीएम ने निर्देश देते हुए कहा कि…
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वाह डॉक्टर साहब वाह! कागज पर फूंक मरवा कर शराब पीने की कर दी जांच
मोतिहारी: वाह डॉक्टर साहब वाह! ब्रेथ एनालाइजर वाला तो डूब कर मर जाएगा। ये डॉक्टर साहब बिहार के रक्सौल में पाए जाते हैं। कागज का कुप्पा बनाया, उसमें फूंक मरवाई, फिर अपने सूंघा और फिर अपने सामने वाले डॉक्टर को सूंघाई और बता दिया कि शराब पिया है या नहीं। बात सिर्फ शराब पीने और नहीं पीने की नहीं है। बल्कि इनके सूंघा-सूंघी बाद दिए गए सर्टिफिकेट के बाद समस्या शुरू होती है, जब पुलिस उस आदमी को शराब पीने के आरोप में जेल भेज देती है क्योंकि बिहार में शराबबंदी कानून है। रक्सौल में खुल गई शराब जांच की पोल शराबबंदी वाले बिहार में कोई शराब पिया है या नहीं, इसके जांच के दो ही तरीके हो सकते हैं। जिसमें एक ब्रेथ एनालाइजर मशीन है और दूसरा ब्लड टेस्ट। ब्रेथ एनालाइजर से पुलिस थाने में ही पता लगा लेती है। ब्रेथ एनालाइजर नहीं होने पर शक के आधार पर हिरासत में लिए गए लोगों को ब्लड टेस्ट के लिए अस्पताल भेज दिया जाता है। पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल अनुमंडलीय अस्पताल का वीडियो तो पूरे सिस्टम का पोल खोल रहा है। सूंघा-सूंघी के बाद 9 लोग भेज दिए गए जेल दरअसल, दो दिन पहले नेपाल से कुछ लोग बिहार की सीमा में दाखिल हुए। इनमें से 11 लोगों को पुलिस शराब पीने के आरोप में पकड़ा। जांच के लिए रक्सौल अनुमंडलीय अस्पताल भेजा गया। ड्यूटी पर दो डॉक्टर मौजूद थे। सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने एक-एक कर पकड़े गए 11 लोगों से कागज पर फूंक मरवाया। उसे सूंघा और सर्टिफिकेट बना दिया। सब के सब कम पढ़े-लिखे और गरीब तबके लोग थे। डॉक्टर के दिए सर्टिफिकेट के आधार पर 11 में से 9 लोगों को जेल भेज दिया गया। जब अस्पताल में साधन नहीं तो कैसे हो रही जांच? बताया जा रहा है कि रक्सौल अस्पताल में ना तो ब्रेथ एनालाइजर है और ना ही ब्लड में अल्कोहल टेस्ट का कोई साधन। ऐसे में डॉक्टरों ने अपना जुगाड़ सेट कर लिया है। पता नहीं कब से वो इस जुगाड़ को चला रहे हैं और न जाने कितने लोगों को कागज पर फूंक मरवा कर जेल भेज चुके हैं। इस बाबत मीडिया ने जब रक्सौल अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ राजीव रंजन से सवाल पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके पास ब्रेथ एनालाइजर या फिर शराब की पुष्टि करने का कोई संसाधन उपलब्ध नहीं है। जांच मामले की जांच के लिए बनी जांच कमेटी वीडियो वायरल होने बाद स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के हाथ-पांव फूल रहे हैं। पूर्व�� चंपारण के सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि रक्सौल अस्पताल में कागज के कुप्पे से शराब की जांच मामले की जांच के लिए जांच कमेटी बना दी गई है। रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई जरूर की जाएगी। http://dlvr.it/SyFph8
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