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पुरुषों के लिए सामान्य स्पर्म काउंट: जानिए प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में सबकुछ
मोहाली के सेक्सोलॉजिस्ट पुरुषों के लिए सामान्य स्पर्म काउंट का महत्वपूर्ण स्रोत है। प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जानना आवश्यक है। स्पर्म काउंट पुरुषों की प्रजनन क्षमता को मापता है। सेक्सोलॉजिस्ट से प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में संपर्क करें और जानें कि कैसे आप इसे सुरक्षित रख सकते हैं और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन जी सकते हैं।
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जाने शराब पुरुष और महिला की प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित कर सकती है
शराब हमारे जीवनशैली का एक सामान्य हिस्सा बन गई है, लेकिन इसके प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर गहराई तक पड़ सकते हैं। जब प्रजनन क्षमता की बात आती है, तो शराब का सेवन इसे नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इस ब्लॉग में, हम चर्चा करेंगे कि शराब महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करती है और इसके पीछे क्या कारक जिम्मेदार होते हैं।
शराब और महिला प्रजनन क्षमता
महिलाओं में प्रजनन क्षमता को बनाए रखने के लिए हार्मोनल संतुलन अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन शराब और महिला प्रजनन क्षमता के बीच गहरा संबंध है। शराब का अधिक सेवन इस संतुलन को बिगाड़ सकता है और कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
शराब के कारण होने वाली समस्याएं:
हार्मोनल असंतुलन:शराब का सेवन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे महत्वपूर्ण हार्मोनों के स्तर को प्रभावित कर सकता है, जिससे ओव्यूलेशन में बाधा आती है।
मासिक धर्म की अनियमितता:शराब पीने से मासिक धर्म का चक्र अनियमित हो सकता है, जिससे गर्भधारण की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
गर्भावस्था के दौरान जोखिम:गर्भधारण के दौरान शराब का सेवन गर्भपात और भ्रूण के विकास में रुकावट पैदा कर सकता है। यह फेटल अल्कोहल सिंड्रोम जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
महिला प्रजनन क्षमता को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि शराब का सेवन कम से कम किया जाए या पूरी तरह से छोड़ा जाए। साथ ही, सही आहार, नियमित व्यायाम, और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना भी लाभकारी हो सकता है।
शराब और पुरुष प्रजनन क्षमता
पुरुषों में प्रजनन क्षमता को बनाए रखना एक स्वस्थ जीवनशैली पर निर्भर करता है। लेकिन शराब और पुरुष प्रजनन क्षमता के बीच एक नकारात्मक संबंध है। शराब का अत्यधिक सेवन पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
शराब के कारण होने वाले मुख्य प्रभाव:
स्पर्म क्वालिटी और काउंट में कमी:अत्यधिक शराब का सेवन स्पर्म की गुणवत्ता और संख्या दोनों को प्रभावित करता है। यह स्पर्म की गतिशीलता (motility) और संरचना (morphology) को भी नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है।
हार्मोनल बदलाव:शराब के सेवन से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी हो सकती है, जो पुरुषों की यौन और प्रजनन क्षमताओं के लिए आवश्यक है।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन:अधिक मात्रा में शराब पीने से इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिससे गर्भधारण की प्रक्रिया कठिन हो जाती है।
डीएनए डैमेज:लंबे समय तक शराब का सेवन स्पर्म में डीएनए क्षति का कारण बन सकता है, जो स्वस्थ गर्भधारण और भ्रूण के विकास में बाधा डाल सकता है।
पुरुषों के लिए यह आवश्यक है कि वे शराब का सेवन सीमित करें या इसे पूरी तरह छोड़ दें। इसके अलावा, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव मुक्त जीवनशैली अपनाकर प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।
योगदान देने वाले कारक
शराब के सेवन से प्रजनन क्षमता पर पड़ने वाले प्रभाव कई कारकों पर निर्भर करते हैं। प्रजनन क्षमता में योगदान देने वाले कारक यह निर्धारित करते हैं कि शराब किसी व्यक्ति की प्रजनन क्षमता को कितनी हद तक प्रभावित करेगी।
प्रमुख योगदान देने वाले कारक:
सेवन की मात्रा और अवधि:
यदि शराब का सेवन लंबे समय तक और अत्यधिक मात्रा में किया जाए, तो इसका प्रभाव अधिक गंभीर हो सकता है।
सीमित मात्रा में सेवन का असर कम हो सकता है, लेकिन निरंतर और भारी मात्रा में सेवन प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य:
समग्र स्वास्थ्य स्थिति जैसे वजन, आहार, और जीवनशैली भी शराब के प्रभाव को बढ़ा सकते हैं।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं शराब के नकारात्मक प्रभाव को और बढ़ा सकती हैं।
अन्य नशीले पदार्थों का उपयोग:
यदि शराब के साथ-साथ अन्य नशीले पदार्थों का सेवन किया जाए, तो यह प्रजनन क्षमता पर और भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
धूम्रपान, ड्रग्स, या अत्यधिक कैफीन का सेवन शराब के प्रभाव को और खतरनाक बना सकता है।
उम्र और लिंग:
उम्र के साथ शरीर की सहनशक्ति और पुनर्निर्माण क्षमता कम हो जाती है, जिससे शराब का असर ज्यादा हो सकता है।
पुरुषों और महिलाओं पर इसका प्रभाव अलग-अलग हो सकता है, जो उनके हार्मोनल संतुलन और प्रजनन तंत्र प�� निर्भर करता है।
शराब से जुड़े जोखिम को कम करना
शराब का प्रभाव कम करने के लिए ��्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिसमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और नशीले पदार्थों से दूरी शामिल है। समय-समय पर मेडिकल चेकअप करवाना भी फायदेमंद हो सकता है।
निष्कर्ष
प्रजनन क्षमता को बनाए रखने के लिए शराब के सेवन को नियंत्रित करना आवश्यक है। यदि आप गर्भधारण की योजना बना रहे हैं, तो शराब से दूरी बनाना सबसे अच्छा विकल्प है।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से न केवल आपकी प्रजनन क्षमता बेहतर होती है, बल्कि यह आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को भी मजबूत बनाती है। अपने और अपने भविष्य के लिए सही निर्णय लें और शराब के सेवन को सीमित करें। स्वस्थ जीवन की ओर पहला कदम आज ही उठाएं।
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फर्टिलिटी में सुधार के लिए महिलाएं रोज लें ये पोषक तत्व
व्यस्त जीवनशैली और खानपान में लापरवाही के कारण आपकी फर्टिलिटी प्रभावित होती है। पेरेंटहुड की ख़ुशी पाने के लिए एक कपल की फर्टिलिटी का अच्छा होना बहुत जरुरी है लेकिन हर व्यक्ति की प्रजनन क्षमता अलग अलग होती है जिस वजह से कुछ लोगों को बच्चे पैदा करने में एक सामान्य कपल की तुलना में ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इनफर्टिलिटी की समस्या पुरुष और महिला दोनों में से किसी एक में या दोनों में हो सकती है।
आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर तथा फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉक्टर चंचल शर्मा इस विषय में बताती हैं कि इनफर्टिलिटी का कारण पुरुष और महिला दोनों में भिन्न भिन्न हो सकता है। महिलाओं में बांझपन का कारण ट्यूबल ब्लॉकेज, PCOD, थायरॉइड, एंडोमेट्रियोसिस, हार्मोनल डिसऑर्डर, लो एएमएच, आदि हो सकता है वहीँ पुरुषों में बांझपन का मुख्य कारण लो स्पर्म काउंट, स्पर्म मोटिलिटी आदि हो सकता है। कई बार बढ़ती उम्र के कारण भी गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। अगर कोई कपल 35 की उम्र के बाद कन्सीव करने की कोशिश करता है तो उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्यूंकि धीरे धीरे उम्र बढ़ने के साथ आपकी फर्टिलिटी कम होने लगती है। इसलिए एक्सपर्ट्स आपको सुझाव देते हैं कि 35 की उम्र से पहले बच्चे प्लान कर लें।
डॉ चंचल शर्मा कुछ ऐसे पोषक तत्वों के बारे में बताती हैं जिसको अपने आहार में शामिल करके आप अपनी फर्टिलिटी में सुधार ला सकते हैं:
दाल और बिन्स: बिन्स और दाल में प्रोटीन तथा फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो हॉर्मोन्स को संतुलित रखने में सहायक होता है और पाचन शक्ति में भी सुधार लाता है। इसके सेवन से आपका ओवुलेशन बेहतर होता है और प्रजनन क्षमता में भी सुधार होता ह���।
शतावरी: जो महिलाएं माँ बनना चाहती हैं उनके लिए फॉलिक एसिड बहुत जरुरी होता है। शतावरी एक आयुर्वेदिक हर्ब है जिसमे पर्याप्त मात्रा में फॉलिक एसिड पाया जाता है। इसके अंदर मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी आपके अंडे की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मददगार होते हैं।
अंडे: अंडे में ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन्स पाए जाते हैं जो आपकी फर्टिलिटी में सुधार लाने के लिए बहुत जरुरी है इसलिए एक्सपर्ट आपको अंडे खाने की सलाह देते हैं।
एवोकाडो: एवोकाडो में मौजूद विटामिन के आपके शरीर में मौजूद सभी जरुरी पोषक तत्वों को अवशोषित ��रने का कार्य करता है। जिससे आपके गर्भाश�� की स्थिति में सुधार होता है और अंततः आपकी फर्टिलिटी भी इम्प्रूव होती है।
विटामिन सी: विटामिन सी आपके अंडे की गुणवत्ता में सुधार लाने में सहायक होते हैं इसलिए आप खट्टे फल जैसे संतरा, आँवला, आदि का सेवन करके अपने गर्भाशय को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। जिससे गर्भधारण के लिए एक अच्छा वातावरण बन सके।
हरी पत्तेदार सब्जियां: ये सब्जियां आयरन, फॉलेट, और कैल्शियम का अच्छा स्रोत माना जाता है जो आपके अंडे की गुणवत्ता में सुधार, नियमित मासिक धर्म, और गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क के सर्वांगीण विकास के लिए बहुत जरुरी है।
चुकंदर: चुकंदर एक ऐसा फल है जो शरीर में ब्लड फ्लो को बढ़ाने में सहायता करता है और गर्भाशय को स्वस्थ वातावरण प्रदान करता है जिससे फर्टिलिटी में सुधार होता है और गर्भधारण करने में मदद मिलती है।
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स्पर्म काउंट बढ़ाने के घरेलू उपाय:पुरुष में स्पर्म काउंट कम होने यानी की शुक्राणुओं की कमी को आम भाषा में बांझपन, नपुंसकता या नामर्दी कहा जाता है। जिस पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या कम या सामान्य होती है उनकी शुक्राणुओं की गतिशीलता भी कम होती है और यह दोनों बातें ही एक पुरुष में नपुंसकता के खास कारण होते हैं। अगर एक पुरुष के प्रति मिलीलीटर स्पर्म में 15 मिलियन से कम शुक्राणु पाए जाते हैं तो उसे सामान्य स्पर्म काउंट से कम माना जाता है।
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स्पर्म फ्रीजिंग है संतान सुख पाने का अनोखा उपाय - Sperm freezing is a unique way to get child happiness
आजकल इंफर्टिलिटी या बांझपन की समस्या से निपटने के लिए कई मेडिकल विकल्प मौजूद हैं। कई निःसंतान कपल्स संतान सुख पाने के लिए आईवीएफ, आईयूआई और स्पर्म डोनेशन जैसे कई तरीके अपनाते है। स्पर्म फ्रीजिंग भी संतान सुख पाने का ऐसा ही एक तरीका है। हालाँकि, बहुत कम लोगों को इस बारे में पूरी जानकारी होती है जिसकी वजह से वे इसका लाभ नहीं उठा पाते। आइए जानते हैं स्पर्म फ्रीजिंग क्या होता है -
स्पर्म फ्रीजिंग क्या है?
स्पर्म फ्रीजिंग एक ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें पुरुष के स्पर्म को फ्रीज करके स्टोर किया जाता है। इसे सीमेन क्रायोप्रिजर्वेशन या स्पर्म बैंकिंग भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया से पुरुष के स्पर्म को जमा करके रखा जाता है ताकि बाद में जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके।
क्यों किया जाता है स्पर्म फ्रीज़?
ऐसे कपल्स जो फिलहाल फैमिली प्लानिंग के बारे में नहीं सोच रहे हैं, वे भविष्य में स्पर्म फ्रीजिंग की सहायता से बेबी प्लान कर सकते हैं।
जो कपल्स अधिक उम्र में माँ-बाप बनना चाहते हैं, वे भी स्पर्म फ्रीजिंग की सहायता ले सकते हैं।
यदि कोई पुरुष नसबंदी करवा ले तो भविष्य में स्पर्म फ्रीजिंग में स्टोर किए गए स्पर्म का इस्तेमाल किया जा सकता है।
नि:संतान दंपत्तियों के लिए स्पर्म फ्रीजिंग संतान सुख प्राप्ति का अनोखा तरीका है।
कई बार किसी बीमारी या किसी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के कारण डॉक्टर भी स्पर्म फ्रीजिंग की सलाह दे सकते हैं। जिन पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने से इंफर्टिलिटी का खतरा होता है उनके लिए स्पर्म फ्रीजिंग काफी सफल साबित हो सकता है।
कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का पुरुष के स्पर्म काउंट और स्पर्म की गुणवत्ता पर काफी प्रभाव पड़ता है। कीमोथेरेपी और रेडिएशन के कारण स्पर्म काउंट काफी कम हो जाता है, ऐसे में स्पर्म फ्रीज़ करवाना लाभकारी साबित हो सकता है।
समलैंगिक जोड़े भी संतान सुख की प्राप्ति के लिए स्पर्म फ्रीजिंग का विकल्प चुन सकते हैं।
स्पर्म फ्रीजिंग की प्रक्रिया क्या है?
स्पर्म फ्रीजिंग एक मल्टी-स्टेप प्रक्रिया है यानि इसमें कई सारे स्टेप शामिल होेते हैं।
सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लेने के बाद को ब्लड टेस्ट कराना होगा। ब्लड टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि उस व्यक्ति का स्पर्म फ्रीज किया जा सकता है या नहीं। ब्लड टेस्ट से पुरुष के स्पर्म काउंट, स्पर्म की गुणवत्ता या किसी बीमारी का पता लगाया जाता है।
अगर ब्लड टेस्ट के बाद इस बात की पुष्टि हो जाती है कि व्यक्ति का स्पर्म फ्रीज किया जा सकता है तो उसका स्पर्म सैंपल क्लेक्ट किया जाता है। स्पर्म कलेक्ट करने की प्रक्रिया किसी अस्पता�� या मेडिकल सेंटर में पूरी की जाती है। आजकल होम स्पर्म बैंकिंग किट्स भी मौजूद हैं जिससे आप घर पर भी अपना स्पर्म सैंपल कलेक्ट कर सकते हैं।
स्पर्म को क्लेक्ट करने के बाद उसे एक विशेष मेडिकेटेड सॉल्यूशन के साथ मिलाया जाता है और उसे 3-4 जार में स्टोर करके रखा जाता है।
स्पर्म सैंपल को फ्रीज करने के लिए उसे ठंडा किया जाता है और धीरे-धीरे उसके तापमान को -198 तक लाया जाता है।
स्पर्म फ्रीजिंग से स्पर्म को कितने समय के लिए स्टोर किया जा सकता है?
स्पर्म फ्रीजिंग की प्रक्रिया से स्पर्म को करीब 10 साल तक स्टोर किया जा सकता है। हालाँकि, यह हर व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है कि वह अपने स्पर्म को कितने समय बाद इस्तेमाल करना चाहता है।
स्पर्म फ्रीजिंग में कितने पैसे लगते हैं?
स्पर्म फ्रीजिंग में कितना कितना खर्चा आएगा यह कई बातों पर निर्भर करता है। जैसे आप किस अस्पताल या क्लीनिक में स्पर्म फ्रीजिंग करवा रहे हैं। शहर या जगह के हिसाब से भी स्पर्म फ्रीजिंग की लागत अलग-अलग हो सकती है। इसके अलावा स्पर्म फ्रीजिंग में कितना खर्चा आएगा वह इसके तरीके पर भी काफी निर्भर करती है। औसतन रूप से स्पर्म फ्रीजिंग की प्रक्रिया में 15 हजार से 1 लाख तक का खर्चा आता है।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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IVF Process in Hindi | समझिये आईवीएफ के द्वारा गर्भधारण की पूरी प्रकिया?
इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन में फर्टिलाइजेशन, एंब्रियो का विकास और इम्प्लांटेशन किया जाता है ताकि एक महिला प्रेग्नेंट हो सके।
आईवीएफ को गर्भधारण से जुड़ी समस्या से निजात पाने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है क्योंकि यह सालों से लोगों को सकारात्मक परिणाम दे रहा है। आईवीएफ का सक्सेस रेट काफी अच्छा है और यह सरल भी है। लोग इसके बारे में आज काफी कुछ जानते हैं और यही कारण है कि वह इससे डरते नहीं और ना ही उन्हें इससे संबंधित कोई संदेह होता है। आईवीएफ के द्वारा गर्भधारण की प्रकिया में स्पर्म को बॉडी से बाहर कल्चर में रखना होता है। लेकिन इसमें आईवीएफ से पहले और बाद में काफी कुछ होता है जिसे हमें अच्छे से जानने की जरूरत है। अब हम विभिन्न चरणों में इसे समझने की कोशिश करेंगे।
आईवीएफ की प्रक्रिया का उपयोग निम्नलिखित के लिए किया जाता है:
ओवुलेशन डिसऑर्डर – अगर ओवुलेशन ठीक से नहीं होता है या होता ही नहीं है तो ऐसे में फर्टिलाइजेशन के लिए कम अंडे ही उपलब्ध रहते हैं।
यूटराइन फाइब्रॉयड – फाइब्रॉयड यूट्रस की वॉल पर एक बिनाइन ट्यूमर होता है और 30 से 40 साल की औरतों में आम तौर पर पाया जाता है। फाइब्रॉयड अंडों के फर्टिलाइजेशन के इंप्लांटेशन में दिक्कतें पैदा करता है।
अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी – ऐसे में इनफर्टिलिटी के पीछे कोई सामान्य कारण नहीं होता है।
ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब – फैलोपियन ट्यूब डैमेज जा ब्लॉकेज अंडो के लिए फर्टिलाइजेशन करना मुश्किल बना देता है या एंब्रियो का यूट्रस तक जाना मुश्किल कर देता है।
एंडोमेट्रियोसिस – यह तब होता है जब यूटेराइन टिशु यूट्रस के बाहर विकसित होने लगते हैं और जिससे आम तौर पर ओवरी, यूट्रस और फैलोपियन ट्यूब के फंक्शन पर प्रभाव पड़ता है।
लो स्पर्म काउंट या ब्लॉकेज के कारण पुरुष बांझपन – स्पर्म जरुरत से कम मात्रा में होना, स्पर्म की धीमी गति या आकार में कमी, अंडों में स्पर्म के फर्टिलाइजेशन को मुश्किल बना देता है। अगर सीमन में कोई कमी होती है तो आपके पार्टनर को एक्सपर्ट से मिलना होता है ताकि परेशानी से निजात पाया जा सके।
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पुरुषों में वीर्य की कमी होने के लक्षण,जानें इसके उपाय
वीर्य की कमी से शुक्राणुओं की संख्या में कमी भी कहा जाता है। वीर्य में शुक्राणु के पूर्ण उन्मूलन को एडुपर्मिया कहा जाता है, शुक्राणु की कमी के कारण स्त्रीयों में गर्भ धारण करने की संभावना बहुत कम हैं। इसके बावजूद, बहुत से पुरुष जिनके शुक्राणु कम हैं, वे बच्चे पैदा करने में सक्षम हैं।
आसान शब्दों में कहे तो, पुरुष में उत्तेजना और स्खलन के दौरान मूत्रमार्ग से निकलने वाले द्रव को वीर्य कहा जाता है। सामान्य शुक्राणु की संख्या कितनी होती है. एक पुरुष के वीर्य में शुक्राणु की संख्या सामान्य रूप से 15 मिलियन शुक्राणु से 200 मिलियन से अधिक शुक्राणु प्रति मिलीलीटर (एमएल) तक होती है। यदि एक मिलीलीटर वीर्य में पुरुष वीर्य में 15 मिलियन से कम शुक्राणु होते हैं, तो उन्हें शुक्राणु की समस्या कम होती है।
शुक्राणु की कमी के कारण
शुक्राणु गठन एक बहुत ही दुर्लभ प्रक्रिया है, इसके लिए, हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथि को भी वृषण के साथ काम करना पड़ता है।
भारी धातुओं के संपर्क में – सीसा या अन्य भारी धातुओं के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।
वृषण अधिक गरम होना – यह आपके शुक्राणुओं की संख्या को भी प्रभावित करता है।
मोटापा – मोटापा शरीर में हार्मोनल परिवर्तन का कारण बन सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पुरुषों की प्रजनन क्षमता कम���ोर हो जाती है।
अत्यधिक दवा का सेवन – यह समस्या अक्सर उन लोगों में देखी जाती है जो अत्यधिक मात्रा में शराब, धूम्रपान का सेवन करते हैं।
संक्रमण – कुछ संक्रमण शुक्राणु और स्वस्थ लोगों के उत्पादन को प्रभावित करते हैं जैसे कि कुछ यौन संचारित रोग।
तनाव – लंबे समय तक तनाव के कारण, शुक्राणु पैदा करने वाले कुछ आवश्यक हार्मोन असंतुलित होते हैं।
शुक्राणु की कमी से बचाव
धूम्रपान नहीं करना चाहिए सीमित मात्रा में शराब पीना या पूरी तरह से बंद कर देना दवाओं से परहेज करें वजन कम करना
वीर्य की कमी के लक्षण
यौन गतिविधि की समस्याएं – स्तंभन को बनाए रखने में कामेच्छा में कमी या कठिनाई। चेहरे या शरीर के बाल या क्रोमोसोमल या हार्मोन असामान्यता के अन्य लक्षणों का नुकसान यदि आप नियमित और बिना कंडोम संभोग के एक साल बाद भी अपने यौन साथी को गर्भ धारण करने में असमर्थ हैं। यौन गतिविधि से संबंधित समस्याएं, जैसे लिंग का सख्त होना, स्खलन की समस्या, यौन रुचि की घटनाएं या अन्य यौन गतिविधि की समस्याएं। दर्द, वृषण क्षेत्र में असुविधा, गांठ या सूजन। वृषण, प्रोस्टेट या यौन समस्याओं का इतिहास वृषण, प्रोस्टेट या यौन समस्याओं से पहले हो सकता है। कमर (पेट और जांघ का हिस्सा), वृषण, लिंग या अंडकोष की सर्जरी की गई है।
शुक्राणु की जांच
ऑलिगॉस्पर्मिया के अधिकांश मामलों का पता तब चलता है जब एक बार एक पुरुष पिता बनने की कोशिश करता है, और जब प्राकृतिक असुरक्षित संभोग के एक साल बाद गर्भावस्था नहीं होती है, तो प्रजनन स्थिति के लिए पुरुष और महिला दोनों साथी का परीक्षण किया जाता है।
एक स्त्री रोग विशेषज्ञ या बांझपन सलाहकार वीर्य विश्लेषण परीक्षण ��ानी स्पर्म काउंट टेस्ट से करवाते है। शुक्राणु की कमी या ओलिगोस्पर्मिया का निदान वीर्य विश्लेषण परीक्षण में पाए गए कम शुक्राणुओं की संख्या पर आधारित होता है।
वीर्य की कमी को दूर करने के उपाय
पर्याप्त व्यायाम और नींद लें
कई अध्ययनों से पता चलता है कि अधिक वजन वाले लोग अपना वजन कम करते हैं और व्यायाम से शुक्राणुओं की संख्या बढ़ जाती है और उनकी गुणवत्ता में सुधार होता है। इसलिए पर्याप्त नींद लें और शुक्राणु की मात्रा में सुधार के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
धूम्रपान छोड़ने
आप नहीं जानते होंगे, लेकिन तंबाकू और धूम्रपान शुक्राणु की गुणवत्ता को कम करते हैं। 2016 में किए गए एक अध्ययन से यह भी पता चला है कि धूम्रपान और शुक्राणु का निकट संबंध है। तो शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए, आज धूम्रपान छोड़ दें। धूम्रपान के अलावा आपको शराब और ड्रग्स से भी दूर रहना चाहिए।
दवाओं का उपयोग
कुछ प्रकार की दवाओं का सेवन भी संभावित रूप से एक पुरुष के शुक्राणु उत्पादन को कम कर सकता है। एक बार जब कोई व्यक्ति दवा लेना बंद कर देता है, तो उसके शुक्राणुओं की संख्या फिर से बढ़ जाती है। इन दवाओं में एंटीबायोटिक्स, एंटी-एण्ड्रोजन, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-डिप्रेसेंट आदि शामिल हैं।
मेंथी
स्पर्म काउंट बढ़ाने और सुधारने में मेथी बहुत फायदेमंद है। इसके लिए आपको अपने आहार में मेथी को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा, मेथी वाले उत्पादों को अपने आहार का हिस्सा बनाएं।
पर्याप्त विटामिन डी
2019 में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि विटामिन डी और कैल्शियम का पर्याप्त स्तर शुक्राणु स्वास्थ्य में सुधार करता है। शोध बताते हैं कि कैल्शियम की कमी शुक्राणुओं की संख्या पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इसलिए कैल्शियम और विटामिन डी युक्त चीजों को अपने आहार का हिस्सा बनाएं।
अश्वगंधा
अश्वगंधा, जिसे भारतीय जिनसेंग के रूप में भी जाना जाता है, कई प्रकार के यौन रोगों को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए आप अश्वगंधा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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गाय का दूध पीला क्यों होता है? आइये जानते हैं गाय का दूध पीला क्यों होता है (gay ka dudh pila kyo hota hai)। अच्छी सेहत के लिए दूध पीना बहुत जरुरी होता है क्योंकि दूध में विटामिन्स, कैल्शियम और प्रोटीन की प्रचुरता होती है जो एक स्वस्थ और मजबूत शरीर के लिए आवश्यक होती है। दूध के बहुत से विकल्प आजकल मार्केट में मौजूद हैं जिनमें गाय के दूध और भैंस के ताजे दूध के अलावा अलग-अलग डेयरी से आने वाले दूध और डिब्बाबंद दूध भी शामिल हो गए हैं और हम सभी अपनी सहूलियत, स्वाद और जरुरत को देखते हुए ही दूध का चुनाव करते हैं। वैसे तो हर प्रकार के दूध में पोषक तत्व मौजूद रहते हैं लेकिन गाय के दूध को प्राचीन काल से ही विशेष महत्व दिया जाता रहा है और इससे मिलने वाले चौंकाने वाले फायदों को जानकर आप हैरान भी हो जाएंगे। आयुर्वेद में विशेष महत्व रखने वाला गाय का दूध अब एड्स जैसी घातक बीमारी से भी रक्षा कर सकता है क्योंकि मेलबर्न में हुए एक शोध के आधार पर ये बताया गया है कि गाय के दूध को एक ऐसी क्रीम में बदला जा सकता है जो एड्स से सुरक्षा कर सकती है। इतना ही नहीं, पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने की स्थिति में भी गाय का दूध फायदेमंद साबित होता है। साथ ही बच्चों का बौद्धिक विकास करने में भी गाय का दूध प्रभावी रहता है और पाचन सम्बन्धी समस्याओं का निपटारा करने में भी गाय का दूध सर्वश्रेष्ठ साबित होता है। टीबी के मरीजों के लिए गाय का दूध पीना बहुत फायदेमन्द रहता है और चेहरे पर कच्चे दूध की मसाज करने से चेहरा भी चमकदार और साफ हो जाता है। गाय के दूध को गुणों की खान कहा जा सकता है लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि सामान्य तौर पर दूध का रंग सफेद होता है लेकिन गाय के दूध का रंग हल्का पीला क्यों होता है? गाय का दूध पीला क्यों होता है? (gay ka dudh pila kyo hota hai) ऐसा माना जाता है कि गाय की रीढ़ की हड्डी में सूर्यकेतु नाड़ी पायी जाती है जिस पर सूर्य की किरणें पड़ने पर ये नाड़ी स्वर्ण बनाती है जिसके कारण गाय का दूध पीला हो जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो गाय के दूध में कैरोटीन पाया जाता है जो एक पीला पदार्थ होता है। इसी के कारण गाय का दूध हल्का पीला दिखाई देता है और ये कैरोटीन आँखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि इससे आँखों की रोशनी भी बढ़ती है और आँखों की खूबसूरती में भी इजाफा होता है। गाय का दूध सेहत के लिए किस तरह वरदान साबित होता है, ये तो आप पहले भी जानते थे और अब गाय के दूध के पीले रंग का राज भी आप जान चुके हैं। #cow #cows #milk #cowmilk #india #iron #upsc #ssc #currentaffai https://www.instagram.com/p/CAg73cxJ216/?igshid=48hnhpwq73tq
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Sexual Stamina Supplements For Male Enhancement (पुरुष वृद्धि के लिए यौन सहनशक्ति की आयुर्वेदिक दवा)
पुरुषों में यौन समस्याएं होना काफी आम है। समस्याओं के पीछे के कारण कई हो सकते हैं, जिनमें चिकित्सा समस्याओं से ��ेकर भावनात्मक असंतोष तक शामिल हैं। जैसा कि आप ज��नते हैं, किसी भी व्यक्ति के जीवन में यौन गतिविधि बहुत महत्वपूर्ण गतिविधि है। खराब यौन प्रदर्शन के कारण असंतोष के कारण कई रिश्ते खत्म हो जाते हैं। वास्तव में, खराब यौन प्रदर्शन रिश्तों को बना या बिगाड़ सकता है। शीघ्रपतन, कम सेक्स ड्राइव, वीर्य की हानि, स्तंभन दोष और बांझपन पुरुषों की सामान्य यौन समस्याएं हैं।
इन सभी समस्याओं को आयुर्वेदिक दवाओं द्वारा हल किया जा सकता है, और इसे ध्यान में रखते हुए, Ayurvedic Health Care ने एक आयुर्वेदिक टैबलेट की खोज की है, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के आपकी सेक्स पावर को बढ़ाती है।
Horsefire Capsule and Oil
इस समस्या को दूर करने के लिए Ayurvedic Health Care ने आयुर्वेदिक दवाए का उत्पादन किया हैं, जिसका नाम Horsefire capsule and oil हैं | इस दवाइ में कई भारतीय प्राकृतिक जड़ी-बूटियो को शामिल करके तैयार किया है। ये जड़ी-बूटियां एक साथ काम करती हैं और रक्त प्रवाह को बढ़ाकर और इसके विस्तार में मदद करके लिंग की नसों को सक्रिय करती हैं। कई पुरुषों में पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन की धीमी या कम रिलीज से संबंधित समस्याएं हैं। कैप्सूल और आयल टेस्टोस्टेरोन की रिहाई को संतुलित करता है और सेक्स ड्राइव को बढ़ाता है। Horsefire capsule & oil के कई प्रमुख लाभों में पुरुष कामेच्छा, आत्मविश्वास, सहनशक्ति और संभोग की लंबाई में वृद्धि शामिल है। यह पुरुषों को लंबे और कठिन निर्माण का आनंद लेने में मदद करता है। ये सभी कारक बहुत बेहतर सेक्स जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह आपके साथी को संतुष्ट करने और बदले में संतुष्ट होने में मदद करता है। यह लिंग वृद्धि के लिए एक आयुर्वेदिक औषधि है। यह पुरुष की यौन वृद्धि की खुराक है | (sexual stamina supplements for male enhancement)
Ingredient used in Horsefire capsule & oil
• Shilajit Shuddha:- यह पुरुष बांझपन के मुद्दों के लिए एक आदर्श उपचार है और इसे भारतीय वियाग्रा के रूप में भी जाना जाता है, यह पुरुष यौन प्रदर्शन में सुधार करता है। • Shatavari:- शतावरी पुरुषों में यौन जीवन शक्ति और सेक्स ड्राइव को बढ़ाती है। • Musali Sveta:- मुसली स्वेता इस उत्पाद में उपयोग की जाने वाली एक कामेच्छा बढ़ाने वाला शक्तिशाली घटक है। • Kuchala shuddha:- यह ऊर्जा और यौन गतिविधियों में रुचि बढ़ाता है। यह यौन प्रदर्शन करने के लिए सहनशक्ति में भी सुधार करता है। और इस उत्पाद में कई और प्राकृतिक और उपयोगी जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता है जैसे कि गोखरू, अखलारो, वान्या भस्म, कर्पूर आदि | • Ashwagandha:- यह अद्भुत जड़ी बूटी शरीर में तनाव हार्मोन के स्तर को कम करती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है। • Jatiphala or Nutmeg:- जतीफला एक सेक्स उत्तेजक जड़ी बूटी है और यौन इच्छा को उत्तेजित करने में काफी उपयोगी है।
Benefits of Horsefire capsule & oil
• पुरुष के लिए यौन सहनशक्ति की वृद्धि करता है | (Sexual Stamina Supplements For Male Enhancement) • स्पर्म काउंट बढ़ता है |( Sperm count increases) • यौन इच्छा को बढ़ाता है |( Enhances sexual desire) • रक्त के परिसंचरण में सुधार करता है |(Improves the circulation of blood) • शीघ्रपतन की समस्या में भी सुधार करता है |( Improves the problem of premature ejaculation.) • लिंग वृद्धि में मदद करता है| (Helps to penis enlargement) • आपकी कामेच्छा को बढाने में मदद करता है | (Helps to increase your libido.) • यह लंबे समय तक बिस्तर पर रहने वाली एक आयुर्वेदिक दवा है|(Ayurvedic Medicine for long lasting in bed)
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शीर्षासन करने का तरीका और फायदे – Sirsasana (Headstand Pose) Steps And Benefits in Hindi
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शीर्षासन करने का तरीका और फायदे – Sirsasana (Headstand Pose) Steps And Benefits in Hindi
शीर्षासन करने का तरीका और फायदे – Sirsasana (Headstand Pose) Steps And Benefits in Hindi Bhupendra Verma Hyderabd040-395603080 January 7, 2020
आजकल हर कोई काम-काज की भाग-दौड़ में स्वास्थ्य के साथ समझौता कर रहा है। परिणामस्वरूप तनाव, अवसाद और खराब पाचन तंत्र का सामना करना पड़ता है। अगर आप चाहते हैं कि ऐसी कोई भी समस्या आपको न हो, तो उसके लिए योग पर भरोसा करें। योग शरीर को तरोताजा और मन को शांत रखने में मदद कर सकता है। हालांकि, इसके लिए कई योगासन है, लेकिन स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम सिर्फ शीर्षासन की बात करेंगे। आर्टिकल में शीर्षासन करने का तरीका और शीर्षासन के फायदे के साथ-साथ शीर्षासन के नुकसान के बारे में विस्तार से बताया गया है। हमारे लिए यह जानना भी जरूरी है कि सिर्फ शीर्षासन करने से कोई चमत्कार नहीं होने वाला। इसके साथ-साथ पौष्टिक आहार का सेवन करना और संतुलित जीवनशैली का पालना करना भी जरूरी है।
इस लेख के सबसे पहले भाग में हम जानेंगे कि शीर्षासन किसे कहते हैं।
वि��य सूची
शीर्षासन क्या है? – What is Sirsasana (Headstand Pose) in hindi
शीर्षासन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है, शीर्ष यानी सिर और आसन यानी मुद्रा। इस योगासन का मतलब होता है, सिर के बल योग करना। इस आसन को सबसे कठिन माना गया है। संभवत: यही कारण है कि इसे सभी आसनों के शीर्ष पर रखा गया है। इस कारण से भी इसे शीर्षासन कहा जाता है। इस आसन को करते समय शरीर पूरी तरह विपरीत स्थिति में होता है यानी सिर के बल खड़ा होने का प्रयास किया जाता है। शीर्षासन मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इससे याददाश्त को मजबूत करने और दिमाग की कार्य क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है (1)।
इस आर्टिकल के अगले हिस्से में शीर्षासन के फायदे के बारे में जानेंगे।
शीर्षासन करने के फायदे – Benefits of Sirsasana (Headstand Pose) in hindi
किसी भी योग को सही तरीके से किया जाए, तो वह लाभकारी होता है। ऐसे ही शीर्षासन के भी लाभ हो सकते हैं, जो इस प्रकार है:
1. तनाव दूर करने के लिए
इन दिनों तनाव होना आम बात है। इसे दूर करने के लिए योग का सहारा लिया जा सकता है। इसी संबंध में एनसीबीआई ने एक रिसर्च पेपर को प्रकाशित किया है। इस रिसर्च पेपर के अनुसार, तनाव व उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए योग का प्रयोग किया गया। इन योगासनों में शीर्षासन को भी जगह दी गई, जिसके सकारात्मक परिणाम नजर आए (2)। शीर्षासन शरीर और मन को शांत करने में मदद करता है। इससे तनाव दूर हो सकता है (3)। इसलिए, शीर्षासन के लाभ में तनाव से छुटकारा पाना शामिल हो सकता है।
2. पाचन के लिए
पेट को ठीक रखने के लिए पाचन तंत्र का अच्छे से काम करना जरूरी है। ऐसे में पाचन क्रिया को बेहतर बनाने के लिए शीर्षासन का सहारा लिया जा सकता है। इस आसन के जरिए होने वाली शारीरिक गतिविधि आहार को पचाने में मदद कर सकती है (4)। शीर्षासन करने से शरीर में खून का प्रवाह बेहतर होता है, जिसका असर पाचन तंत्र भी नजर आ सकता है। इस प्रकार शीर्षासन के फायदे में बेहतर पाचन तंत्र भी शामिल है।
3. अस्थमा के इलाज में मदद
योग में श्वसन क्रिया के मुख्य भूमिका मानी जाती है। इसलिए, श्वसन क्रिया से संबंधित किसी भी समस्या को दूर करने के लिए योग करना अच्छा माना जा सकता है। वहीं, अस्थमा श्वसन क्रिया से जुड़ी समस्या है। इसके कारण सांस फूलने लगती है। ऐसे में शीर्षासन करने पर अस्थमा की स्थिति में सुधार हो सकता है। फिलहाल, इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध किए जाने की जरूरत है।
4. इनफर्टिलिटी (बांझपन)
महिला और पुरुष दोनों के लिए योग एक सामान फायदा पहुंचाने का काम कर सकता है। महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है (5)। इसे संतुलित करने के लिए योग मदद कर सकता है। वहीं, पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने पर इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है (6)। शीर्षासन की मदद से स्पर्म काउंट भी बढ़ सकता है। जिससे कि महिलाओं और पुरुषों की इनफर्टिलिटी यानी बांझपन की समस्या दूर हो सकती हैं। फिलहाल, अभी इस बात की पुष्टि करने के लिए किसी तरह का वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है।
5. डिप्रेशन (अवसाद)
योग के माध्यम से मूड में सुधार किया जा सकता है। जैसा कि लेख में ऊपर बताया गया है कि शीर्षासन करने पर मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ सकता है। इससे डिप्रेशन से निकलने में मदद मिल सकती है (7)। इसलिए, योग को अवसाद के लिए अच्छा इलाज माना जा सकता है।
ऊपर आपने ���ीर्षासन के फायदे पढ़े, आगे हम इस आसन को करने के तरीके बता रहे हैं।
शीर्षासन योग मुद्रा करने का तरीका – Steps to Do Sirsasana in Hindi
शीर्षासन को करने के लिए सबसे पहले चटाई बिछाकर वज्रासन की अवस्था में आ जाएं।
फिर दोनों हाथों की उंगलियों को इंटरलॉक करते हुए, आगे की तरफ झुककर हाथों को जमीन पर रखें।
अब सिर को झुकाकर हाथों के बीच में रखते हुए जमीन से सटाएं।
फिर पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और सीधे कर लें।
इस स्थिति में सिर के बल शरीर पूरी तरह सीधा होना चाहिए।
कुछ सेकंड इसी मुद्रा में बने रहे और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
फिर सांस छोड़ते हुए पैरों को नीचे करें और धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
शुरुआत में इस आसन को दो से तीन बार तक करें।
शीर्षासन करने का तरीका जानने के बाद आगे हम इस करने के कुछ टिप्स बता रहे हैं।
शुरुआती लोगों के लिए शीर्षासन करने की टिप्स
जो लोग पहली बार इस आसन को कर रहे हैं, उनके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। ऐसे लोगों के लिए हम कुछ काम की बातें बता रहे हैं।
इस आसन को पहली बार कर रहे हैं, तो विशेषज्ञ की निगरानी में करें।
इस आसान की शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, दीवार का सहारा लेना बेहतर होगा।
इस आसन को सुबह खली पेट करना उचित होगा।
शरीर का पूरा भार सिर्फ सिर पर न डालें, बल्कि बाहों और कंधों पर भी रखें।
इस प्रक्रिया से पहली वाली मुद्रा में धीरे से आएं। ध्यान रहे गले में झटका न लगे।
इस लेख के अगले भाग में शीर्षासन करने से पहले कुछ सावधानियों के बारे में बताया गया है।
शीर्षासन योग के लिए कुछ सावधानियां – Precautions for Sirsasana In Hindi
शीर्षासन करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखने से विभिन्न प्रकार के नुकसान से बचा जा सकता है।
कंधे, बुजाओं, पीठ, सिर या गर्दन में दर्द हो, तो इस आसन को करने से बचें।
उच्च रक्तचाप, हार्ट फेलियर व बेरी एन्यूरिज्म (दिमाग की नसों से जुड़ी समस्या) और 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
अगर शरीर में किसी तरह की कमजोरी हो रही है, तो इस आसन को न करें।
गर्भवती को इस आसन से बचना चाहिए।
शीर्षासन करने के चमत्कारी लाभ तो आप इस लेख को पढ़ने के बाद जान ही गए होंगे। इसलिए, आप बिना देरी किए आज से ही इसे करने का अभ्यास शुरू कर दें। साथ ही ध्यान रखें कि इसे प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में ही करें, वरना फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। साथ ही योग करने का लाभ तभी मिलेगा, जब आप इसे नियमित रूप से करेंगे। उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर आप शीर्षासन के संबंध में और कुछ जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के जरिए अपने सवाल हमारे साथ साझा कर सकते हैं।
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Bhupendra Verma
भूपेंद्र वर्मा ने सेंट थॉमस कॉलेज से बीजेएमसी और एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी से एमजेएमसी किया है। भूपेंद्र को लेखक के तौर पर फ्रीलांसिंग में काम करते 2 साल हो गए हैं। इनकी लिखी हुई कविताएं, गाने और रैप हर किसी को पसंद आते हैं। यह अपने लेखन और रैप करने के अनोखे स्टाइल की वजह से जाने जाते हैं। इन्होंने कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्टोरी और डायलॉग्स भी लिखे हैं। इन्हें संगीत सुनना, फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/sirsasana-ke-fayde-aur-karne-ka-tarika-in-hindi/
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वेरीकोसील : उपचार, बचाव और पुरुष नि:संतानता से संबंध
आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें से एक है "वेरीकोसील", जो पुरुषों में प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। इस ब्लॉग में हम वेरीकोसील के उपचार, बचाव के उपाय, पुरुष नि:संतानता से इसके संबंध और इसके खतरों पर चर्चा करेंगे।
वेरीकोसील क्या है?
वेरीकोसील एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंडकोष (टेस्टिकल्स) के आसपास की नसें फैल जाती हैं। यह समस्या मुख्यतः 15-25 साल के युवाओं में पाई जाती है। इसे सरल भाषा में "वेरिकोज़ वेन्स" का टेस्टिकल्स में होना भी कहा जा सकता है।
वेरीकोसील का उपचार (Treatment of Varicocele in Hindi)
वेरीकोसील का उपचार संभव है और इसके कई विकल्प उपलब्ध हैं।
सर्जिकल उपचार:
अगर समस्या गंभीर है और इससे दर्द या प्रजनन में दिक्कत हो रही है, तो सर्जरी सबसे अच्छा विकल्प है।
“वेरिकोसेलेक्टॉमी” (Varicocelectomy) एक सामान्य प्रक्रिया है जिसमें प्रभावित नसों को हटा दिया जाता है। यह लैप्रोस्कोपिक या ओपन सर्जरी के माध्यम से की जाती है।
एम्बोलाइजेशन (Embolization):
यह एक न्यूनतम इनवेसि�� प्रक्रिया है जिसमें नसों को बंद कर दिया जाता है, ताकि रक्त प्रवाह रुक जाए। यह प्रक्रिया जल्दी ठीक होने और कम दर्द के कारण लोकप्रिय हो रही है।
दवाइयां और लाइफस्टाइल बदलाव:
हल्के मामलों में दर्द और सूजन को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवाइयां और आरामदायक अंडरवियर पहनने की सलाह दे सकते हैं।
वेरीकोसील से बचने के उपाय (Prevention of Varicocele in Hindi)
हालांकि वेरीकोसील को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ आदतें इसे बढ़ने से रोकने में मदद कर सकती हैं:
नियमित व्यायाम करें:योग और हल्की कसरत से रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे नसों पर दबाव कम होता है। नियमित व्यायाम से नसों में खून का प्रवाह सही रहता है और वेरीकोसील के जोखिम को कम किया जा सकता है।
लंबे समय तक खड़े रहने से बचें:लंबे समय तक खड़े रहने से नसों पर दबाव बढ़ सकता है। इसे रोकने के लिए नियमित रूप से चलने-फिरने की आदत डालें।
संतुलित आहार लें:आहार में फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स शामिल करें ताकि कब्ज और नसों पर अतिरिक्त दबाव से बचा जा सके। हरी सब्जियाँ, फल और पूरा अनाज सेवन करें।
स्मोकिंग और शराब से दूरी बनाएं:ये आदतें नसों की दीवारों को कमजोर बना सकती हैं, जिससे वेरीकोसील का खतरा बढ़ सकता है। स्मोकिंग और शराब से बचना, नसों को स्वस्थ रखने के लिए मददगार है।
वेरीकोसील से बचने के उपाय का पालन करने से आप इसकी संभावना को कम कर सकते हैं और अपने स्वास्थ्य को बेहतर रख सकते हैं।
पुरुष नि:संतानता और वेरीकोसील का संबंध (Male Infertility & Varicocele in Hindi)
वेरीकोसील पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। यह समस्या टेस्टिकल्स में रक्त के असामान्य प्रवाह के कारण होती है, जिससे स्पर्म की गुणवत्ता और मात्रा में कमी आ सकती है। वेरीकोसील का प्रभाव पुरुषों में नि:संतानता (Male Infertility) के प्रमुख कारणों में से एक है।
स्पर्म काउंट पर असर:वेरीकोसील से टेस्टिकल्स का तापमान बढ़ जाता है, जो स्पर्म के उत्पादन में बाधा डालता है। अधिक तापमान स्पर्म की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और पुरुष नि:संतानता का कारण बन सकता है।
इलाज के बाद प्रजनन क्षमता में सुधार:कई अध्ययन बताते हैं कि वेरीकोसील के उपचार के बाद स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। वेरीकोसील का सर्जिकल उपचार या अन्य विकल्प स्पर्म काउंट और गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं, जो कि पुरुष नि:संतानता के इलाज में सहायक साबित होते हैं।
इसलिए, वेरीकोसील को समय पर पहचानकर उसका इलाज करना पुरुष नि:संतानता से बचाव और प्रजनन क्षमता में सुधार में मदद कर सकता है।
क्या वेरीकोसील खतरनाक हो सकता है?
सामान्यतः वेरीकोसील जानलेवा नहीं है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना सही नहीं है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह पुरुषों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
प्रजनन क्षमता पर प्रभाव:वेरीकोसील पुरुष प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इससे स्पर्म की गुणवत्ता और संख्या ��ें कमी आ सकती है, जो पुरुष नि:संतानता का कारण बन सकता है।
टेस्टिकल्स के आकार में कमी:कुछ मामलों में, वेरीकोसील टेस्टिकल्स के आकार को भी कम कर सकता है, जिससे टेस्टिकल्स की कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
पुरानी समस्या बनने की संभावना:अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो यह समस्या पुरानी हो सकती है, और इसके प्रभाव का इलाज करना कठिन हो सकता ��ै।
इसलिए, यदि वेरीकोसील के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें और उचित उपचार करवाएं ताकि गंभीर समस्याओं से बचा जा सके।
निष्कर्ष
वेरीकोसील एक सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण समस्या है, जो पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। इसके लक्षणों को पहचानकर और समय रहते इलाज करवाकर इस समस्या को नियंत्रण में रखा जा सकता है। हालाँकि, वेरीकोसील जानलेवा नहीं है, लेकिन इसका इलाज न किया जाना प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।
उपचार के विकल्पों में सर्जिकल ऑपरेशन (जैसे, माइक्रो-सर्जरी, लापारोस्कोपिक सर्जरी) और अन्य चिकित्सीय विकल्प शामिल हैं, जो स्पर्म की गुणवत्ता और संख्या में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। इलाज के बाद, अधिकतर पुरुषों की प्रजनन क्षमता में सुधार होता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
इसलिए, अगर आपको वेरीकोसील के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श लें और उचित उपचार करवाएं। सही समय पर उपचार से आप अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रख सकते हैं और अन्य जटिलताओं से बच सकते हैं।
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सबरीमाला ;- अनुशासित परम्परा या आडम्बर – अजेष्ठ त्रिपाठी कोई आपसे पूछे कि ब्रह्मांड में कितनी तरह की चीज़े हैं तो आप क्या जवाब देंगे ? जवाब है सिर्फ दो - पहली चीज़ है ऊर्जा यानी एनर्जी (E), दूसरी द्रव्यमान, मैटर या मास (M) । इनके बीच के सिद्धांत को ऊर्जा द्रव्यमान का समीकरण कहते है जिसे E = MC*2 से प्रदर्शित करते है और इस समीकरण के अनुसार ऊर्जा न पैदा होती है न खत्म की जा सकती है। बस अपना रूप बदलती है। # अब_जरा_इसे_पढिये - नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: । न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥ (द्वितीय अध्याय, श्लोक 23) आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। मतलब उसे नष्ट नही किया जा सकता । दोनो में समानता मिली ऊपर का नियम ऊर्जा द्रव्यमान का नियम है जो अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा दिया गया नीचे भगवत गीता में आत्मा के उसी रूप यानी आत्मा के एक ऊर्जा ही होने की पुष्टि की जा रही है , की आत्मा भी ऊर्जा का एक रूप है जिससे मानव शरीर कार्य करता है । भारत में बहुत सारे मंदिर हैं। मंदिर कभी भी केवल प्रार्थना के स्थान नहीं रहे, वे हमेशा से ऊर्जा के केंद्र रहे हैं। जहां आप कई स्तरों पर ऊर्जा प्राप्त कर सकते है। चूंकि आप खुद कई तरह की ऊर्जाओं का एक जटिल संगम हैं इसलिए हर तरह के लोगों को ध्यान मे रखते हुए कई तरह के मंदिरों का एक जटिल समूह बनाया गया। एक व्यक्ति की कई तरह की जरूरतें होती हैं जिसे देखते हुए तरह-तरह के मंदिर बनाए जिनका आधार रहा अगम शास्त्र दरअसल आगम शास्त्र कुछ खास तरह के स्थानों के निर्माण का विज्ञान है। बुनियादी रूप में यह अपवित्र को पवित्र में बदलने का विज्ञान है। समय के साथ इसमें काफी-कुछ निरर्थक जोड़ दिया गया लेकिन इसकी विषय वस्तु यही है कि पत्थर को ईश्वर कैसे बनाया जाये। यह एक अत्यंत गूढ़ विज्ञान है , सही ढंग से किये जाने पर यह एक ऐसी टेक्नालॉजी है जिसके जरिये आप पत्थर जैसी स्थूल वस्तु को एक सूक्ष्म ऊर्जा में रूपांतरित कर सकते हैं, जिसको हम ईश्वर कहते हैं दूसरे शब्दों में विज्ञान की व्याख्यानुसार ऊर्जा का केंद्र जिससे हमें ऊर्जा मिलती है । # अगम_शास्त्र , बहुत लम्बे समय से हिन्दू धर्म के पूजा-पाठ, मंदिर निर्माण, आध्यात्मिक और अनुष्ठानिक रीति-रिवाज के नियम और मानदंडों के लिए बने विचारों का एक सम्पूर्ण संकलन है। यह संस्कृत, तमिल और ग्रंथ शास्त्रों का एक संग्रह है जिसमें मुख्य रूप से मंदिर निर्माण के तरीके, मूर्ती निर्माण के तरीके, दार्शनिक सिद्धांतों और ध्यान मुद्राओं का सम्पूर्ण संगृह है। बाद के वर्षों में यह विभिन्न प्रकार के श्रोतों और विचारों के आत्मसात हुआ और सम्पूर्ण अस्तित्व में आया (कुछ कुरीतिया भी सम्मिलित हुई)। एक संग्रह के रूप में सम्पुर्ण अगम शस्त्र को दिनांकित नहीं किया जा सकता है इसके कुछ भाग वैदिक काल के पहले के प्रतीत होते हैं और कुछ भाग वैदिक काल के बाद के। मंदिर निर्माण और पूजा में अगम शास्त्र की भूमिका एक पूर्ण उपदेशक और मार्गदर्शक के रूप में, आगम शास्त्र अभिषेक और पवित्र स्थानों के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ज्यादातर हिन्दू पूजास्थल अगम शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करतें है। अगम शास्त्र के चार पद - जैसे की अगम संख्या में बहुत सारे हैं लेकिन उनमे से प्रत्येक के चार भाग होते हैं # क्रिया_पद # चर्या_पद # योग_पद # जनन_पद क्रिया पद मंदिर निर्माण, मूर्तिकला के अधिक साकार नियमों की व्याख्या करता है जबकि जनन पद मंदिर में पूजा की विधि, दर्शन और आध्यामिकता के नियमों की गर्वित व्याख्या करता है ,अगम शस्त्र के अनुसार मंदिर और पूजास्थल कभी भी एसे ही स्वेच्छा ��े और स्थानीय धारणाओं के आधार पर मनमाने ढंग से नहीं बनाए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए किसी भी हिन्दू तीर्थस्थान के लिए तीन अनिवार्य सारभूत या मौलिक आवश्यकताएं है # स्थल - मंदिर की जगह को दर्शाता है # तीर्थ - मंदिर के जलाशय या सरोवर को दर्शाता है # मूर्ती - पूजित प्रतिमा को दर्शाती है अगम शास्त्र में तीर्थस्थल/मंदिर के प्रत्येक छोटे-छोटे से पहलु, आकृति, दृष्टिकोण और भाव के लिए विस्तार पूर्वक नियमों और तरीकों का विवरण है जैसे की मंदिर का निर्माण किस सामग्री से किया जाना चाहिए, पवित्र प्रतिमा का उचित स्थान कहाँ होना चाहिए और पवित्र प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कैसे करनीं चाहिए आदि आदि। आसान शब्दो मे ऊर्जा स्थानांतरण के लिए किन नियमो का पालन किया जाए कि हममे स्थित ऊर्जा उस ऊर्जा के केंद्र से ऊर्जा लेकर और अधिक ऊर्जावान बन सके ये हमे अगम शास्त्र का जनन पद बताता है , वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आप ऐसे समझिए कि यदि किसी ट्रांसफार्मर से हम ऊर्जा यानी विद्युत आपूर्ति करते है तो वायर यदि सही न लगाकर गलत लगा दिया जाए तो न सिर्फ उपभोक्ता को नुकसान होगा अपितु उस ट्रांसफार्मर को भी छती पहुँचेगी और यही होता है जब कोई अपात्र व्यक्ति मंदिर में प्रवेश करता है तो न सिर्फ उसे नुकसान होता है बल्कि उन ऊर्जा केंद्रों का भी ।। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किमी की दूरी पर पंपा है और वहाँ से चार-पांच किमी की दूरी पर पश्चिम घाट से सह्यपर्वत श्रृंखलाओं के घने वनों के बीच, समुद्रतल से लगभग 1km की ऊंचाई पर शबरीमला मंदिर स्थित है। मक्का-मदीना के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है, जहां हर साल करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं ,और हिन्दू धर्म का एक प्रतीक चिन्ह है ये मंदिर इसलिए विधर्मियों की नजर भी हमेसा इसपर रही । मंदिर में अयप्पन के अलावा मालिकापुरत्त अम्मा, गणेश और नागराजा जैसे उप देवताओं की भी मूर्तियां हैं। मंदिर में रजस्वला स्त्री का प्रवेश वर्जित था इसके पीछे कारण था इस समय महिलाओं की औरा नेगेटिव एनर्जी होना , आप हर प्रवेश करने वाली महिला से ये तो पूछ नही सकते कि आप रजस्वला हो या नही इसलिए मंदिर में 10 से नीचे और 50 से ऊपर महिलाओं के प्रवेश की अनुमति थी वो भी उनके ही भले के लिए क्योंकि ऐसा न होने पर मंदिर सिर्फ एक दर्शन स्थल ही रह जॉयगा उसका प्रभाव कम हो जाएगा , लेकिन फेमिनिस्ट जमात को सिर्फ हिन्दू धार्मिक स्थलों पर ही ��समानता दिखती है आशा करता हूं मस्जिद में महिलाओं के नमाज पढ़ने के लिए जल्द ही ये जमात आंदोलन करेगी । # विशेष - ये मंदिर श्रद्धालुओं के लिए साल में सिर्फ नवंबर से जनवरी तक खुलता है। बाकी महीने इसे बंद रखा जाता है।भक्तजन पंपा त्रिवेणी में स्नान करते हैं और दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करते हैं। इसके बाद ही शबरीमलै यानी सबरीमाला मंदिर जाना होता है।पंपा त्रिवेणी पर गणपति जी की पूजा करते हैं। उसके बाद ही चढ़ाई शुरू करते हैं। पहला पड़ाव शबरी पीठम नाम की जगह है। कहा जाता है कि यहां पर रामायण काल में शबरी नामक भीलनी ने तपस्या की थी। श्री अय्यप्पा के अवतार के बाद ही शबरी को मुक्ति मिली थी। इसके आगे शरणमकुट्टी नाम की जगह आती है। पहली बार आने वाले भक्त यहाँ पर शर (बाण) गाड़ते हैं। इसके बाद मंदिर में जाने के लिए दो मार्ग हैं। एक सामान्य रास्ता और दूसरा अट्ठारह पवित्र सीढ़ियों से होकर। जो लोग मंदिर आने के पहले 41 दिनों तक कठिन व्रत करते हैं वो ही इन पवित्र सीढ़ियों से होकर मंदिर में जा सकते हैं । दरअसल पहले नियम था कि इस मंदिर में 41 दिन के व्रत के बाद ही लोग प्रवेश करते थे इससे उनको ऊर्जा , व्रत के कारण आत्मिक शारीरिक शुद्धि मिलती थी जिससे यहां से जाने पर वो जीवन मे अधिक ऊर्जा से आगे बढ़ते । लेकिन अब सीधे ऊर्जा के केन्द्र को ही दूषित कर देने का कुत्शित प्रयास हो रहा है ताकि हिन्दुओ का धर्मांतरण , उनके हनन में आसानी हो । # मंदिर_का_नियम_और_मानव_शरीर - शबरीमाला मंदिर प्रवेश के लिए 41 दिन के व्रत के लिए जो निर्देश है उनसे क्या लाभ है इसका विश्लेषण भी कर देता हूँ - 1- इकतालीस दिन तक समस्त लौकिक बंधनों से मुक्त होकर ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है। ब्रम्हचर्य के लाभ आज हर वैमानिक पुष्टि करती है कि इससे शरीर मे ऊर्जा बढ़ती है मेडीकली देखे तो स्पर्म काउंट , डेन्सिटी और यौन छमता को बढ़ाया जाता है ब्रम्हचर्य से । 2- इन दिनों में उन्हें नीले या काले कपड़े ही पहनने पड़ते हैं। प्रकाश के सबसे अच्छे अवशोषक है ये रंग , चर्म रोग या व्यधि कैलसिफिकेशन आदि रोगी जब 41 दिन तक इन कपड़ो में दैनिक कार्य सूर्य उपासना पूजा कर्म आदि करते है तो उसमें लाभ होता है यहाँ तक कि स्किन कैंसर जैसी समस्या के लिए भी एक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है 3- गले में तुलसी की माला रखनी होती है और पूरे दिन में केवल एक बार ही साधारण भोजन करना होता है। तुलसी माला एक मदिबन्ध पर दवाब डालती है तो रक्तचाप नियंत्रण में रहता है साधारण और 1 समय के भोजन से लि��र और पेट से समस्या खत्म हो जाती है । 4- शाम को पूजा करनी होती है और ज़मीन पर ही सोना पड़ता है। मानसिक शांति के साथ , जमीन पर सोने से सर्वाइकल पेन और शरीर के मांसपेशियों को लाभ धरती की चुम्बकीय तरंगों से तन मन को रिलैक्स मिलता है ।
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मेल इनफर्टिलिटी क्या है ? कारण लक्षण और उपचार
पुरुष का किसी महिला को गर्भधारण करने में असमर्थ होने को, पुरुष बांझपन (Male इनफर्टिलिटी) कहा जाता है। यदि किसी पुरुष के, एक साल तक यौन-संबंध (सम्भोग) के प्रयास के बाद भी महिला गर्भवती नहीं हो पाती है, तो इसका मतलब है कि उस पुरुष को बांझपन की समस्या है। पुरुषों में बाँझपन शुक्राणुओं की कमी के कारण और स्पर्म काउंट में कमी होने से भी बाँझपन का होना सामान्य बीमारी है ,ज्यादा शराब का पीना धूम्रपान का अधिक सेवन करना बाँझपन का सामान्य कारन है यदि आप पुरुष की बाँझपन समस्या से परेशां है तो Best Male Infertility Centre In Jaipur
मेल इनफर्टिलिटी के कारण
लौ स्पर्म काउंट - पुरुषों में बांझपन का मुख्य कारण यही है , की शुक्राणु की ख़राब गुणवत्ता यानि क्वालिटी और कम संख्या है। जब वीर्य में स्पर्म काउंट कम होता है, तो इससे महिला को गर्भधारण करने में समस्या आ सकती है। लो स्पर्म काउंट होने से बांझपन की सबसे सामान्य बीमारी मन जाता है लो स्पर्म काउंट का काम होने बांझपन का प्रमुख कारण है
जन्मजात असामान्यताएं - ऐसी समस्याएं जो पुरुषों में उनके जन्म के समय से ही होती है , जैसे की वास-डेफेरेंस की जन्मजात से अनुपस्थिति होना (जो एक ट्यूब की अनुपस्थिति है जिसके द्वारा टेस्टिकल (अंडकोष) से शुक्राणु बाहर निकलते है। ऐसी स्थिति में वीर्य के स्खलन होने में समस्या होती है। और यह बांझपन का कारण बनकर बहार निकलती है
एंडोक्राइन डिसऑर्डर्स - हमारी अंतःस्रावी प्रणाली यानि एंडोक्राइन सिस्टम में कई ग्रंथियां होती हैं जो शरीर में प्रमुख हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करती हैं। ये हार्मोन ��रीर के विकास में मदद करते हैं। पिट्यूटरी, थायराइड या एड्रेनल जैसे प्रमुख हार्मोनों की खराबी से बांझपन की समस्या हो सकती है।
जेनेटिक/ आनुवंशिक असामान्यताएं क्रोमोजोम में किसी तरह का परिवर्तन शुक्राणु के उत्पादन या शुक्राणु के प्रवाह में रुकावट पैदा कर सकते हैं।
शुक्राणु की गतिशीलता - शुक्राणु की गति ठीक ना होने के कारण, यह महिला के अंडे के साथ निषेचित नहीं हो पाता है।
वेरिकोसिल - इस स्थिति में टेस्टिकल की नसे सूज जाती हैं। वेरिकोसिल शुक्राणु उत्पादन में कमी या शुक्राणु की गुणवत्ता के सबसे सामान्य कारणों में से एक है।
संक्रमण - पुरुषों के गुप्तांगों में संक्रमण यानि इन्फेक्शन होने से भी उन्हें बांझपन की समस्या हो सकती है। कुछ इन्फेक्शन ऐसे होते हैं, जो शुक्राणु के बनने में बाधा उत्पन्न करते हैं और शुक्राणु की नली को बंद कर देते हैं। कुछ यौन संचारित संक्रमण (क्लैमाइडिया, गोनोरिया आदि) साथ ही मूत्रमार्ग में होने वाले अन्य संक्रमण के कारण कम शुक्राणुओं की समस्या हो सकती है।
औद्योगिक रसायन - औद्योगिक रसायन जैसे- लेड X-Ray, रेडिएशन आदि से शुक्राणु के बनने में बाधा के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य समस्या भी हो सकती है।
वृषण का अधिक गर्म होना - जैसे गर्म पानी से अधिक नहाना, हॉट टब का रोज़ाना इस्तेमाल करना या लैपटॉप गोद में रखकर काम करना, आपके शुक्राणुओं की संख्या को प्रभावित करता है।
ट्यूमर - यदि किसी पुरुष को tumor की समस्या हो, तो हॉर्मोन का उत्पादन करने वाली ग्रंथियां यानि ग्लैंड्स जैसे पिट्यूटरी ग्लैंड और प्रजनन अंग , इससे प्रभावित हो सकते हैं।
रेडिएशन - अधिक रेडिएशन और X- Ray के प्रभाव से भी पुरुषों में शुक्राणु का बनना कम हो जाता है।
शराब - शराब के सेवन से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आ जाती है साथ ही शुक्राणु की संख्या भी कम हो सकती है।
धूम्रपान - धूम्रपान ना करने वाले अन्य व्यक्तियों की तुलना में धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के अंदर शुक्राणुओं की संख्या कम होती है।
तनाव - यदि तनाव लंबे समय से हैं तो यह आपके शुक्राणु पैदा करने वाले कुछ हार्मोन को असंतुलित कर देता है।
मोटापा - अधिक वजन के कारण हार्मोन में बदलाव आ सकता है। जिस कारण पुरुषों में बांझपन की समस्या हो सकती है।
मेल इनफर्टिलिटी के लक्षण
क्रोमोजोम में असामान्यता या हॉर्मोन में असंतुलन भी पुरुष बांझपन के लक्षण हो सकते है।
पुरुषों में बांझपन के कई लक्षण है जिनमे से सबसे मुख्या लक्षण यह है कि यौन-संबंध बनाने के बाद भी, महिला को गर्भवती करने में असक्षम होना। यह सबसे मुख्या कारण है जो अक्सर होता रहता है यह एक मुख्या एवं सामान्य लक्षण है
टेस्टिकल की नसों का फैल जानाभी इसका लक्षण है और शुक्राणु की नली का बंद यानि ब्लॉक हो जाना।
यौन-संबंध बनाने में तकलीफ होना।
टेस्टिकल और इसके आसपास की जगहों में सूजन ,दर्द,और गांठ का बन जाना।
असामान्य रूप से छाती का बढ़ना जिसे कहा जाता है।
शरीर और चेहरे पर बालों का कम होना भीं इसका लक्षण होता है
लौ स्पर्म काउंट होना यानि वीर्य में 15 मिलियन से कम शुक्राणु का होना।
यदि आप इसका का समाधान चाहथे हो ��ो IVF Center In Jaipur
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जानिये ! आईवीएफ से पहले आपको किन बातो का ध्यान रखने की आवश्यकता है?
आईवीएफ (IVF) प्रक्रिया के लिए खुद को तैयार करना किसी भी दंपत्ति के लिए एक बहुत ही बड़ा निर्णय होता है। यह जानते हुए कि हमारा समाज इस प्रक्रिया को ले कर कितना पिछड़ा हुआ है (सबसे पहले आईवीएफ इलाज होने के 40 साल बाद भी), यह एक बहुत बड़ी बात है कि आप इस सब से आगे बड़ कर सही इलाज लेने का कदम ���ठा रहें हैं।
पूरा ��ंटरनेट आईवीएफ की जानकारी से भरा हुआ है परंतु बहुत कम स्त्रोत हैं जो सही तरह से बताते हैं कि आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी की जाती है। किसी भी दंपत्ति के लिए बहुत ही मुश्किल होता है कई ऐसे लेख पढ़ना जो आईवीएफ के बारे में बड़ी बड़ी बातें लिखते हैं लेकिन आपको इस बात का उत्तर नहीं देते कि इस प्रक्रिया के लिए तैयार कैसे होते हैं।
हम आशा करते हैं कि इस लेख से आपको सभी सवालों जैसे – मैं अपने शरीर को आईवीएफ के लिए कैसे तैयार करूं? मानसिक रूप से आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी करते हैं? और आईवीएफ प्रिक्रिया के दौरान क्या क्या सवाल पूछने चाहिए? आदि के जवाब मिलेंगे। ये सभी सवाल बहुत महत्वपूर्ण हैं और हम आशा करते हैं कि आपको इन सभी के बारे में पता लग जाएगा, तो आईये जानते हैं हमे आईवीएफ से पहले आपको किन चीजें का ध्यान रखने की आवश्यकता है?
आईवीएफ के लिए खुद को कैसे तैयार करें?
अगर आप पहले ही समझ गए हैं की आईवीएफ हर शरण पर कैसे काम करता है, तो आप जानते होंगे कि आईवीएफ प्रक्रिया में कई शरण होते हैं जिसमें डॉक्टर से परामर्श, खून जांचें, अंडों की उत्तेजना (ovarian stimulation), अंडों को शरीर से निकालना (Transvaginal Oocyte Retrieval), अंडों और स्पर्म को तैयार करना (Egg and Sperm Preparation), अंडों और स्पर्म को मिलाना (Egg Fertilizations), और इस मेल से बनने वाले एंब्रियो को महिला के गर्भ में रखना (Embryo transfer), आदि शामिल हैं। यह सब होने के दो हफ्ते बाद महिला का प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता है। यह सारे चरण सुनने में बहुत लम्बे और डरावने लग सकते हैं परंतु आप निश्चिंत रहिए कि आपके डॉक्टर के लिए यह सभी प्रक्रियाँ उनकी विशेषता हैं और उन्होंने इनमें महारत पाने के लिए कई साल मेहनत की है।
आईवीएफ में बहुत से चारण होते हैं, इसलिए इसके लिए शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक रूप से तैयार होना बहुत जरूरी है। इसके लिए बेहतर है कि आप एक ऐसे प्रदाता चुने जो आपको हर चरण में मदद करे और आपके ऊपर से यह बोझ हटा दे। आईवीएफ जंक्शन यह समझता है की यह प्रक्रिया आपके लिए कितनी डरावनी और मुश्किल हो सकती है और आपको पूरी प्रक्रिया के दौरान मदद करता है। हम आपको बहुत से रूप में मदद करते हैं जैसे – मानसिक तनाव को संभालना, आपके खान पान का ध्यान रखना, आर्थिक रूप में मदद करना और आपको हर चरण पर सही राय देना। इस सबसे आपको इस प्रक्रिया से गुजरने में बहुत सहायता मिलती है।
पूरी प्रक्रिया होने में कुछ हफ्तों से कुछ महीनें भी लग सकते हैं और इसलिए यह जरूरी है कि आप एक सही आईवीएफ क्लिनिक चुने। इसके साथ साथ यह जानना कि इस प्रक्रिया से आपको क्या उम्मीद करनी चाहिए आपको इसके लिए भी तैयार बनाता है।
· आईवीएफ के लिए शारीरिक तैयारी
· आईवीएफ के लिए आर्थिक तैयारी
· आईवीएफ के लिए मानसिक तैयारी
· टेक आवे
आईवीएफ के लिए शारीरिक तैयारी
आईवीएफ की प्रक्रिया के लिए जाने से पहले आप और आपके साथी को कुछ ��ांचें करवानी पड़ेंगी। यह सब जांचें सुनिश्चित करती हैं कि आपके डॉक्टर आपके लिए सही इलाज ढूंढ सके। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि डॉक्टर आपके बच्चा ना होने के कारण को ढूंढ कर ठीक कर पाए। इनसे यह भी पता चलता है कि आपका खुद का बच्चा हो सकता है या फिर आपको एक डोनर की आवश्यकता है।
अंडों की संख्या की जांच (ovarian reserve testing)
आम भाषा में बोलें तो ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग से यह पता चलता है कि महिला के शरीर में कितने अंडे हैं जो एक कामयाब प्रेगनेंसी में बदल सकते हैं। सभी महिलाएं अंडों की एक संख्या ले कर पैदा होती हैं और इन अंडों को संख्या और क्वालिटी बढ़ती उम्र के साथ कम होती जाती है। ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग आपके डॉक्टर को आपका सही इलाज करने में मदद करती है।
ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग में फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (Follicle Stimulating Hormone), एंटी मुलेरियन हॉर्मोन (Anti Mullerian Hormone), इनहिबिन बी (Inhibin B), बेसल एस्ट्राडियोल (Basal estradiol) और एंट्रल फॉलिकल काउंट ( Antral follicle count) का टेस्ट किया जाता है। इन जांचों से पता चलता है की क्या आपके अंडे प्रेग्नेंसी में बदल सकते हैं या नही।
संक्रामक रोगों की जांच
आपके (और अगर कोई डोनर हो तो) खून की जांच की जाती है ताकि किसी संक्रामक बीमारी का पता चल सके।
गर्भ का परीक्षण
अगर आपके डॉक्टर को लगता है की आपके बांझपन का कारण गर्भ से संबंधित हो सकता है तो वो गर्भ का परीक्षण करने के लिए कुछ जांच कर सकते हैं जैसे –
· ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड
· हिस्टेरोस्कोपी
· सेलाइन हिस्टेरोसोनोग्राफी
· और हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी
यह सारी जांचें कई बीमारियों का पता लगा सकती हैं जैसे – पॉलीप्स (polyps), अंतर्गर्भाशयी आसंजन, एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया (endometrial hyperplasia), गर्भाशय सेप्टा (septate uterus) और सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड (submucosal fibroids)।
स्पर्म का परीक्षण
इस जांच में पुरुष के शुक्राणु का परीक्षण किया जाता है। इस टेस्ट में स्पर्म की संख्या, आकार, गतिशीलता, आदि का परीक्षण किया जाता है। एक आदर्श सीमिन सैंपल में 15 मिलियन शुक्राणु एक मिली लीटर सैंपल में होते हैं और इनमें से 50 प्रतिशत शुक्राणु की गतिशीलता अच्छी होनी चाहिए और कम से कम 4 प्रतिशत शुक्राणु का आकार सही होना चाहिए। इसके अलावा और कई चीजों की जांच की जाती है जिससे आपके डॉक्टर को पता चलता है की क्या यह स्पर्म प्रेगनेंसी को जन्म दे सकते हैं या नहीं।
इन सभी जांचों के बाद आपके डॉक्टर को यह पता चल जाता है की आपके अंडे और स्पर्म से एक प्रेगनेंसी बन सकती है या नहीं, या आपको एक डोनर की जरूरत है।
इसके अलावा जरूरी है की आप एक सामान्य डॉक्टर और एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लें ताकि अगर बांझपन का कोई और कारण है तो वों भी सामने आ जाएं। पीसीओएस ( PCOS) जैसे कई बीमारियां हैं जिससे महिला को बांझपन हो सकता है। 30 प्रतिशत दंपत्ति में बच्चे नहीं होने का कारण पीसीओएस हो सकता है इसलिए यह बहुत जरूरी है की यह सारी जांचें की जाएं।
आईवीएफ जंक्शन आपको सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञों, भारत के सबसे अच्छे आईवीएफ डॉक्टरों, आईसीएमआर अनुमोदित केंद्रों, आईवीएफ उपचार परामर्श और उपचार सहायता से विशेषज्ञ परामर्श प्रदान करता है। हम ऐसे केंद्रों के साथ साझेदारी करते हैं जिन्होंने सफलता दर स्थापित की है और सर्वोत्तम विशेषज्ञता, विशेष प्रयोगशालाएं, नैतिक अभ्यास और रोगी-केंद्रित हितों की पेशकश करते हैं।
हमारा फर्टिलिटी लाइफस्टाइल मैनेजमेंट प्रोग्राम आईवीएफ जंक्शन द्वारा विशेष रूप से डिजाइन किया गया एक प्रोग्राम है जो आपको आईवीएफ इलाज शुरू करने से पहले अपनी जीवन शैली को बदलने करने में मदद करता है।
सबसे पहले एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना शुरू करें –
· धूम्रपान और शराब का सेवन करना बंद कर दें।
· रात को एक अच्छी और पर्याप्त नींद लें।
· रोजाना कसरत करें।
· स्वस्थ भोजन ही खाएं।
· खूब सारा पानी पीएं।
· अपनी सभी दवाएं ठीक से लें।
· अपने वजन का ध्यान रखें।
· ऐसे पदार्थों से दूर रहें जो आपके हॉरमोन के स्तर को बिगड़ सकते हैं।
��ूम्रपान और शराब का सेवन करना बंद कर दें।
धूम्रपान और शराब का सेवन आईवीएफ प्रक्रिया शुरू करने से पहले बंद कर देना चाहिए। यह आदतें आपके स्वास्थ्य के लिए बुरी होने के साथ साथ आपके अंडों या स्पर्म पर भी बुरा असर करती हैं। अगर आप बहुत समय से धूम्रपान करते हैं तो यह आदत छोड़ने का सही समय अभी है। आपके डॉक्टर धूम्रपान छोड़ने में आपकी मदद करेंगे।
रात को एक अच्छी और पर्याप्त नींद लें।
नींद की कमी आपके शरीर में बहुत तरह के असंतुलन पैदा कर सकती है जैसे शरीर के सोने जागने की प्रकिया, हार्मोन्स का संतुलन, आपका मन, और आपके शरीर के नॉर्मल काम करने की क्षमता। रोज रात को अच्छी नींद लेना हार्मोन्स का स्तर ठीक रखने के लिए बहुत आवश्यक है।
रोजाना कसरत करें।
आपको कुछ हल्की फुल्की कसरत जैसे टहलना, रोज करना चाहिए अगर आपके डॉक्टर आपको अनुमति देते हैं तो। आप ऐसी कसरत से शुरू कर सकते हैं जो आपको सक्रिय और प्रेरित रखें। कसरत करना आपके मूड को अच्छा रखता है और मानसिक तनाव को कम करता है। ताज़ी हवा सेहत के लिए अच्छी होती है और थोड़ा टहलना भी आपके मूड को अच्छा कर सकता हैं। लेकिन याद रखें कि अपने डॉक्टर से पूछे बिना कोई नई कसरत न शुरू करें।
स्वस्थ भोजन ही खाएं।
अपने डॉक्टर द्वारा बताया गया अच्छा भोजन ही खाएं। कुछ खाद्य पदार्थ आपका स्वस्थ बनाते हैं और आपको सभी जरूरतमंद पोषण देते हैं। आपके शरीर को कभी भी आवश्यक पोषक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट्स, विटामिंस, मिनरल्स और फाइबर की कमी नहीं होनी चाहिए। नियमित रूप से स्वस्थ खाद्य पदार्थ खाना यह निश्चित करेगा की आपको कभी भी किसी पोषक तत्व की कमी न हो। बाहर के पैकेज्ड खाने को कम ही खाएं क्युकी ऐसे खाद्य पदार्थों में ट्रांस – फैट्स की मात्रा ज्यादा होती है। एक नियमित आहार लेना, एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है।
खूब सारा पानी पीएं।
आप जानते हो होंगे की हमारे शरीर का लगभग 60 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है। नियमित रूप से पानी पीना हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। आपको कोशिश करनी चाहिए की आप केफीन (caffeine) से भरी हुई चीज से दूर रहें और ज्यादा स्वस्थ चीजों को चुने।
अपनी सभी दवाएं ठीक से लें।
आपके डॉक्टर आपको कुछ सप्लीमेंट्स दे सकते हैं अगर उनको लगता है कि आपको उनसे फायदा होगा। और यह बहुत जरूरी है कि आप उन्हें सही तरह से लेते रहें। दवाएं जैसे जिंक, फोलिक एसिड, कैल्शियम, और मैग्नीशियम आपको दी जा सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें की यह बहुत जरूरी है कि आप यह दवाएं बिलकुल वैसे ही लें जैसे आपके डॉक्टर ने बताया है। सप्लीमेंट ओवरडोज (supplement overdose) एक ऐसी स्तिथि है जिसमे इन दवाओं की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है और यह बहुत हानिकारक हो सकती है। अपने डॉक्टर के मुताबिक दवाओं को लेना आपको इस स्तिथि से सुरक्षित रखेगा।
अपने वजन का ध्यान रखें।
सही वजन में रहना बहुत जरूरी हैं। अपने डॉक्टर से बात करिए कि आपके लिए सही वजन कितना है और उसी स्तर में रहने की कोशिश करें। आपके डॉक्टर आपको वजन बढ़ाने या घटाने में मदद कर सकते हैं।
ऐसे पदार्थों से दूर रहें जो आपके हॉरमोन के स्तर को बिगाड़ सकते हैं।
कुछ पदार्थ जैसे बीपीए (BPAs) और थेलेट्स (phthalates) शरीर में हार्मोन्स के स्तर को अंसांतुलित करते हैं। जरूरी है की आप इन पदार्थों के बारे में जाने और इनसे दूर रहें।
आईवीएफ जंक्शन में नेटवर्क पार्टनर हैं जो आहार प्रबंधन प्रदान करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि आपको पता है कि आपके स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए वास्तव में क्या खाना चाहिए। आईवीएफ जंक्शन के आहार प्रबंधन भागीदार सुनिश्चित करते हैं कि आपके आहार संबंधी लक्ष्य आपकी आईवीएफ यात्रा के अनुरूप हों।
आईवीएफ के लिए आर्थिक तैयारी
· आईवीएफ एक महंगी प्रक्रिया है और अकसर इस प्रक्रिया के आर्थिक पहलू के बारे में कोई बात नही करता। अगर आप पहले से इस आर्थिक पहलू के बारे में सोचे तो जब तक आपका बच्चा इस दुनिया में आएगा तब तक आपकी आर्थिक स्तिथि ठीक होगी।
· आईवीएफ का खर्चा भारत और बाहर के देशों में कुछ चीजों पर निर्भर करता है।
· आईवीएफ एक बहुत ही विशेषज्ञ प्रक्रिया है और इसमें बहुत सारे विशेषज्ञों की जरूरत होती है, जैसे – सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ विशेषज्ञ, प्रजनन एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, नर्स, भ्रूणविज्ञानी और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम। यह सारे बहुत साल बिता देते हैं इन सब में महारत पाने में ताकि वो आईवीएफ कर सकें।
· एंड्रोलॉजी लैब को चलाने में बहुत सारे पैसे लगते हैं और इसलिए इनके द्वारा दी जाने वाली प्रक्रियां भी महंगी होती है।
· आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान कई सारे टेस्ट्स, जैसे – खून की जांच, सोनोग्राफी, स्पर्म का परीक्षण, हिस्टेरोस्कोपी, आदि किए जाते हैं ताकि बच्चा होने की संभावना बढ़ जाए।
· आईवीएफ प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के खर्चे के बारे में भी सोचना होगा। इस भाग में खर्चा कम करना सही नहीं होगा।
· जब आप आईवीएफ प्रक्रिया के आर्थिक स्तिथि के बारे में सोचे, तो यह सवाल खुद से जरूर करें कि क्या पैसे कम करने से मेरे स्वास्थ्य को कोई नुकसान तो नही पहुंचेगा? खर्चा कम करने के चक्कर में आपको कभी भी अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता नहीं करना चाहिए और हमेशा अच्छे और समर्थ विशेषज्ञों को ही चुनना चाहिए। कोई भी कीमत आपके स्वास्थ्य से ज्यादा नहीं है।
· आईवीएफ जंक्शन ने एक लागत कैलकुलेटर प्रदान किया है जो आपको शामिल वित्त का अनुमान लगाने में मदद कर सकता है।
· हांलांकि पैसे के बारे में सोचना जरूरी है, कुछ रास्ते हैं जिससे आप इसका हिसाब लगा सकते हैं। आप कुछ विकल्पों के बारे में सोच सकते हैं जैसे ईएमआई (EMI) और लोन। आईवीएफ जंक्शन फर्टिलिटी प्रोग्राम और अनुभवी काउंसलर की मदद से आपकी सामर्थ्य के अनुसार ईएमआई योजना का लाभ उठाने में आपकी मदद कर सकता है।
आईवीएफ के लिए मानसिक तैयारी
जब आईवीएफ प्रक्रिया की बात आती है तो सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले दो सवाल हैं कि मैं खुद को आईवीएफ के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से कैसे तैयार करूं? ज्यादातर लोगों ने आईवीएफ चुनने से पहले सभी घरेलू नुस्खे अपना लिए होते हैं। इसके साथ साथ यह प्रक्रिया बहुत लंबी और कठिन होती है, इसलिए यह आवश्यक है कि आप अपने मानसिकता का भी ध्यान रखें।
· इसके लिए आपको खुद से कुछ सवाल करने चाहिए, जैसे –
· क्या मैं मानसिक रूप में आईवीएफ के लिए तैयार हूं?
· क्या हम इस प्रक्रिया को पर्याप्त वक्त देने के लिए तैयार हैं?
· अगर आईवीएफ के दौरान हम अंडे या स्पर्म डोनर की जरूरत पड़ती है तो क्या उस स्तिथि से सहमत हैं?
· आईवीएफ प्रक्रिया के कई चरणों, जैसे पेग्नेंसी टेस्ट करते समय, के दौरान घबराहट हो सकती हैं क्या हम उसके लिए तैयार हैं?
· हमें सरोगेट की जरूरत भी पढ़ सकती है। क्या हम इस बात से सहमत हैं?
· आईवीएफ में कई बार एक से ज्यादा प्रेगनेंसी भी हो सकती है। क्य��� हम ऐसी स्तिथि के लिए तैयार हैं?
· क्या मेरे पास अपने तनाव को कम करने के लिए कुछ उपाय हैं?
· आईवीएफ प्रक्रिया में अकसर बहुत समय लग सकता है। क्या हम इतने लंबे समय तक उपचार लेने के लिए तैयार हैं?
इन सब सवालों के जवाब देते वक्त यह बहुत जरूरी है की आप अपने आप से बिलकुल सच बोलें। साथ साथ यह भी ध्यान रहें की इस प्रक्रिया के दौरान आपके डॉक्टर हमेशा आपके साथ हैं। आईवीएफ की सफलता उन पर भी निर्भर करती है और वो हर चरण में आपके साथ होंगें। आईवीएफ डॉक्टरों ने हजारों दंपत्ति को अपना बच्चा पाने में मदद की है और वो समझते हैं की आईवीएफ मानसिक स्तर को कैसे प्रभावित करता है। इसलिए आपकी मदद के लिए कई सारी मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ साथ आप ��से समूह में शामिल हो सकते हैं जिसमे और दंपत्ति हो जो आईवीएफ इलाज ले रहे हो। ऐसे दंपत्तियों से आपको बहुत मदद और टिप्पणी मिल सकती है।
आईवीएफ जंक्शन में नेटवर्क पार्टनर हैं जो तनाव प्रबंधन में मदद करते हैं। आईवीएफ जंक्शन का फर्टिलिटी ग्रुप आपको अपने आईवीएफ प्रश्नों को साझा करने के लिए एक जगह प्रदान करता है, जिसका जवाब विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता है।
निष्कर्ष
हम आशा करते हैं की इस लेख से आपको अपने इस प्रश्न का उत्तर मिल गया हो की – आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी करते हैं? आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपको शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक तरीके से चुनौती देती है। इसलिए बहुत जरूरी होता है की आप अपने डॉक्टर और इस प्रक्रिया पर भरोसा रखें।
आप अपनी और मदद करने के लिए इस विषय में किताबें पढ़ सकते हैं। अपने आप को हर चरण पर याद दिलाएं की इतना लंबा और कठिन प्रक्रिया होने के बावजूद उसने सांकड़ों दंपत्ति को मां बाप बनने में मदद की है और विज्ञान में तरक्की की वजह से यह प्रक्रिया और बेहतर भी हुई है।
इसके अलावा अपने डॉक्टर की सलाह को हमेशा माने। उन्होंने अपने जीवन के कई साल लगाने के बाद इस में महारत हासिल की है। अच्छे से जान बूझ कर ही अपने लिए एक आईवीएफ डॉक्टर को चुने। साथ साथ अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखें।
जब आप विश्वास की यह छलांग लगाते हैं, तो हम भारत में उच्च योग्य आईवीएफ विशेषज्ञों की एक टीम के साथ इस प्रक्रिया में आपकी मदद करने के लिए मौजूद हैं।
Source: https://ivfjunction.com/blog/how-to-prepare-for-ivf-in-hindi/
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नींद की कमी से पुरुषों में होती है प्रजनन क्षमता दिक्कत
नींद के साथ खिलवाड़ करने का अर्थ जीवन के साथ खिलवाड़ करना है। विभिन्न शोध हमें लगातार भरपूर नींद लेने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन हमारी औसत नींद कम होती जा रही है। इस वजह से तनाव के साथ ही कई तरह की समस्याएं हमें घेर रही हैं। 21वीं सदी पर्यावरण प्रदूषण की ही नहीं, बल्कि नींद की कमी की भी सदी है। शहरों की जिंदगी और भागदौड़ भरी जीवनशैली ने हमे नींद की बीमारी दे दी है। नींद हर 24 घंटे में नियमित रुप से आने वाला वो समय है जब हम अचेतन अवस्था मे होते है, और आस-पास की चीजों से अनजान रहते है। नींद के बारे में सोचने की आवश्यकता नहीं होती। ये आपकी दिनचर्या का एक हिस्सा है।
लेकिन ज्यादातर लोग कभी न कभी नींद आने मे परेशानी का सामना करते है। आप लोगो ने एक शब्द सुना होगा – अनिद्र, अगर आप बहुत चिन्तित हों या बहुत उत्तेजित हों तो थोड़े समय के लिए आप इसके शिकार हो सकते हो और जब आपकी उत्तेजना या चिन्ता खत्म हो जाती है तो सब सामान्य हो जाता है। अगर आपको अच्छी नींद नही आती है तो ये एक समस्या है क्योंकि नींद आपके शरीर और दिमाग को स्वस्थ एवं ��ुस्त रखती है।अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है। कई बार नींद न पूरी होने पर ऑफिस में लोग अनमने से रहते हैं जिसका फर्क उनकी कार्य क्षमता पर भी पड़ता है। अच्छी नींद न सिर्फ याददाश्त के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा करती है। नए शोध में यह बात सामने आई है।
जब शरीर पर किसी बैक्टीरिया या वायरस का हमला होता है, तो रोग प्रतिरोधक प्रणाली, दिमाग में मेमरी-टी कोशिकाओं का निर्माण होता है। तनाव और अवसाद की वजह से कई बार लोगों में अनिद्रा की समस्या सामने आती है। इससे लोगों की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है।90 फीसदी से ज्यादा भारतीय नींद की समस्या से जूझ रहे हैं। बस 2 फीसदी ही इस बीमारी को लेकर सचेत हैं और डॉक्टर के पास जाते हैं। यही वजह है कि हमें अपनी नींद को लेकर जागरूक होने के लिए ‘विश्व नींद दिवस’ तक मनाने की जरूरत पड़ रही है, चिंता इतनी ही नहीं बल्कि इससे कई ज्यादा गंभीर है। नींद की कमी आपको शारीरिक थ���ान, अवसाद, चिड़चिड़ापन और सिर दर्द ही नहीं देती, बल्कि आपकी प्रजनन क्षमता को भी कम कर देती है।
पहली बार शोधकर्ताओं ने इस तरह हमारा ध्यानाकर्षण किया है। इस सिलसिले में नीदरलैंड के आरहूस यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने वियना के ‘यूरोपियन सोसायटी ऑफ ह्युमन रिप्रोडक्शन एंड एंब्रीओलॉजी’ कार्यक्रम में जानकारी देते हुए कहा कि पूरी नींद न ले पाने की वजह से पुरुषों का स्पर्म काउंट कम हो जाता है। जिससे कि उनकी बच्चा पैदा करने की क्षमता प्रभावित होती है।शोध में शोधकर्ताओं ने ये भी बताया है कि सेहतमंद जीवन के लिए सामान्य रूप से 8 घंटे की नींद लेना जरूरी है। पूरी नींद लेने से शरीर की चयापचय दर सुचारु रूप से काम करती है। जिससे कि शरीर बेहतर ढंग से काम करता है और पाचन तंत्र भी अच्छा रहता है।
अनिद्रा की वजह से मेटाबॉलिज्म बुरी तरह प्रभावित होता है जिससे कि तनाव, थकान, अवसाद और प्रजनन क्षमता कम होने जैसे समस्याएं सामने आती हैं। मेमरी-टी कोशिकाएं संभावित तौर पर रोगाणुओं से संबंधित जानकारियों को रखने का काम करती हैं। अब जर्मनी के शोधकर्ताओं ने शोध के बाद कहा है कि गहरी नींद लेने से मेमरी-टी कोशिकाओं को मजबूती मिलती है, जिससे संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है।बहुत से लोगों को यह बात पता ही नहीं होती कि कम नींद आना भी बीमारी है। वह इसे सामान्य मानकर चलते हैं और नींद की गड़बड़ी को लेकर कभी डॉक्टरी सलाह लेते ही नहीं है। जबकि इस वक्त दुनियाभर में नींद की कमी खतरनाक बीमारी के तौर पर उभर के सामने आ रही है। अगर आपको नींद से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या हो रही है तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। फौरन डॉक्टर को दिखाएं। ‘स्लिप डिसऑर्डर’ यानी कम नींद आना या अनिद्रा कई तरह से आपके शरीर को प्रभावित कर सकती है।
अनिद्रा को आप इन कुछ लक्षणों से पहचान सकते हैं:-
सोने में दिक्कत होना।
देर रात तक नींद का न आना।
स्वभाव में चिड़चिड़ापन और घबराहट
किसी चीज पर ध्यान कम लगना।
अवसाद होना।
अनिद्रा के कुछ और गम्भीर कारण है जैसे:-
भावनात्मक समस्यायें रोजगार सम्बन्धित परेशानियां उलझन और चिन्ता उदासी की बीमारी – आप सुबह बहुत जल्दी उठ जाते है और फिर से सोने मे दिक्कत होती है बार -बार समस्याओं के बारे मे सोचना
हालांकि इसके अलावा भी कई वजह हो सकती हैं जो अनिद्रा के लिए जिम्मेदार हैं। आपको शारीरिक स्वास्थ्य अगर ठीक नहीं है और कोई दूसरी बीमारी है तब भी आपको अनिद्रा हो सकती है। श्वास की समस्या भी अनिद्रा की वजह हो सकती है। इसके अलावा एलर्जी और रात में बार-बार पेशाब जाने और बार-बार जागने से भी अनिद्रा की समस्या हो सकती है।
यही नहीं आपको डायबिटीज है तो भी नींद की कमी की परेशानी हो सकती है। अगर आप अवसाद में जी रहे हैं और मानसिक तौर पर परेशान हैं तो भी आपको कम नींद आने की बीमारी हो सकती है।हमें कितनी नींद की आवश्यकता होती है यह उम्र पर निर्भर है-
1- बच्चे -17 घन्टे
2- किशोर – 9 से 10 घन्टे
3- व्यस्क – 8 घन्टे
4- वृद्ध – व्यस्क के समान, लेकिन गहरी नींद केवल एक बार ही आती है, सामान्यतः शुरुआती 3-4 घन्टे- उसके बाद वे आसानी से जाग जाते हैं तथा वे स्वप्न भी कम देखते हैं| रात में जागने का थोड़ा समय भी उनको वास्तविकता से ज्यादा लम्बा लगता है। उनको लगता है कि वे उतना नहीं सोये हैं जितना कि वे वास्तव में सोये थे|
समान उम्र के लोगों के बीच मे भी अन्तर पाया जाता है| अधिकांश लोग 8 घन्टे सोते हैं जबकि कुछ लोगों के लिये 3 घन्टे की नींद ही पर्याप्त होती है|भरपूर नींद स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। नींद वैसी ही जैसे आपके लिए रोज का खाना है। बेहतर उत्पादन और किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करने के लिए या किसी चीज को पूरी लगन के साथ करने के लिए भरपूर नींद लेना जरूरी है। अगर आपको वजन बढ़ने की समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो भी भरपूर नींद आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। यहां तक की शोध यह भी बताते हैं कि अच्छी नींद लेने वालों को हृदय से जुड़ी बीमारियां भी कम होती हैं।
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Ayurvedic Sexual Stamina Supplement For Male Enhancement
(यौन शक्ति और लिंग के आकार बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा)
पुरुषों में सेक्स पावर बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक सेक्स पावर दवा की जरूरत आज लगभग सभी पुरुषों को है, क्योंकि यह एक ज्ञात तथ्य है कि पुरुष आसानी से उत्साही हो जाते हैं और वे हर समय सेक्स के लिए तैयार रहते हैं। लेकिन हम में से अधिकांश पुरुष कई प्रकार की यौन स्थितियों का अनुभव करते हैं जो उनकी यौन कामेच्छा को बाधित कर सकते हैं। शीघ्रपतन, कम सेक्स ड्राइव, वीर्य की हानि, स्तंभन दोष या स्तंभन दोष और बांझपन पुरुषों की सामान्य यौन समस्याएं हैं।
सेक्स करने के लिए बहुत सी ऊर्जा की आवश्यकता होती है और इस ऊर्जा को सेक्स पावर कहा जाता है। शोध के अनुसार, डेढ़ किलोमीटर दौड़ने पर वही ऊर्जा खर्च होती है जो आप एक बार सेक्स करने पर अधिक ऊर्जा खर्च करते हैं। सेक्स पावर में कमी का मतलब है कि सेक्स के दौरान आप अपनी क्षमता के अनुसार सेक्स करने में सक्षम नहीं हैं या आप कुछ ही मिनटों में थक जाते हैं। इन सभी समस्याओं को आयुर्वेदिक दवाओं द्वारा हल किया जा सकता है, और इसे ध्यान में रखते हुए, Ayurvedic Health Care ने एक आयुर्वेदिक टैबलेट की खोज की है, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के आपकी सेक्स पावर को बढ़ाती है।
Ayurvedic Medicine | Horsefire Capsule & Oil
इस समस्या के लिए Ayurevdic Health Care ने Horsefire capsule & oil का उत्पाद किया हैं | यह यौन शक्ति बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक दवा है। स्वस्थ यौन जीवन के लिए एक प्राकृतिक और सुरक्षित समाधान को ध्यान में रखते हुए अपने शीघ्रपतन का नियंत्रित करता है । यह पुरुषों के लिए सेक्स पॉवर की दवा है (Sexual Stamina Supplements For Male Enhancement), क्योंकि यह लंबे समय तक बिस्तर पर रहने वाली एक आयुर्वेदिक दवा है। यह आपकी ताकत और धीरज को बढ़ाने में मदद करता है | यह लिंग वृद्धि में भी मदद करता है |
Ingredients used in this product
Horsefire capsule & oil एक प्राकृतिक और सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा हैं जो लंबे समय तक बिस्तर पर रहने में मदद करता हैं। इसमें 61 अद्वितीय जड़ी-बूटियों अश्वगंधा, केसर, शतावरी, जतिफला, शिलाजीत शुद्धा, कुचला शुद्ध और मुसली स्वेता का एक शक्तिशाली संयोजन शामिल है। जो परुष की यौन शक्ति को बढ़ाता(Sexual Stamina Supplements For Male Enhancement) है और यौन इच्छा में वृद्धि करता है |
Benefits of Horsefire Capsule & Oil
• आपकी यौन शक्ति को बढ़ाता है |(Enhances your sexual power) • लिंग वृद्धि में मदद करता है| (Helps to penis enlargement) • रक्त के परिसंचरण में सुधार करता है |(Improves the circulation of blood) • यौन शक्ति की वृद्धि है |(sexual stamina supplements for male enhancement) • स्पर्म काउंट बढ़ता है |( Sperm count increases)
Disclaimer: By using this product, results may vary from person to person.
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