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#सांपों का युद्ध
rudrjobdesk · 2 years
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सांपों की लड़ाई ने बढ़ाई धड़कनें, करीब 1 घंटे चला जोरदार संघर्ष, देखें वायरल वीडियो
सांपों की लड़ाई ने बढ़ाई धड़कनें, करीब 1 घंटे चला जोरदार संघर्ष, देखें वायरल वीडियो
दौसा. बारिश का मौसम आते ही सांपों की गतिविधियां बढ़ गई है. वे बिलों से बाहर निकलकर कहीं घरों में घुसपैठ कर रहे हैं तो कहीं सरेराह लड़ाई. कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आई है दौसा जिले में. दौसा जिले के खेड़ली गांव में हाल ही में दो सांपों के बीच हुई लड़ाई (Shocking video of snakes fight) इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. सांपों की लड़ाई का वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में दो…
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bhaktigroupofficial · 3 years
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🐍 नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर विशेष 🐍
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श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजा करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है।
ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 13 अगस्त, शुक्रवार को है। इस दिन नागदेवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है।
पूजन विधि
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नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें नागों की पूजा शिव के अंश के रूप में और शिव के आभूषण के रूप में ही की जाती है। क्योंकि नागों का कोई अपना अस्तित्व नहीं है। अगर वो शिव के गले में नहीं होते तो उनका क्या होता। इसलिए पहले भगवान शिव का पूजन करेंगे। शिव का अभिषेक करें, उन्हें बेलपत्र और जल चढ़ाएं।
इसके बाद शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करे। नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद चने, खील बताशे और जरा सा कच्चा दूध प्रतिकात्मक रूप से अर्पित करेंगे।
घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी पूजा करें।
घर के मुख्य द्वार पर सर्प की आकृति बनाने से जहां आर्थिक लाभ होता है, वहीं घर पर आने वाली विपत्तियां भी टल जाती हैं।
इसके बाद 'ऊं कुरु कुल्ले फट् स्वाहा' का जाप करते हुए घर में जल छिड़कें। अगर आप नागपंचमी के दिन आप सामान्य रूप से भी इस मंत्र का उच्चारण करते हैं तो आपको नागों का तो आर्शीवाद मिलेगा ही साथ ही आपको भगवान शंकर का भी आशीष मिलेगा बिना शिव जी की पूजा के कभी भी नागों की पूजा ना करें। क्योंकि शिव की पूजा करके नागों की पूजा करेंगे तो वो कभी अनियंत्रित नहीं होंगे नागों की स्वतंत्र पूजा ना करें, उनकी पूजा शिव जी के आभूषण के रूप में ही करें।
नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
इसके बाद पूजा व उपवास का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, फूल, धूप, दीप से पूजा करें व सफेद मिठाई का भोग लगाएं। यह प्रार्थना करें।
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करे���
ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
नागदेवता की आरती करें और प्रसाद बांट दें। इस प्रकार पूजा करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।
नागपंचमी
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महाभारत आदि ग्रंथों में नागों की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है। इनमें शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि प्रमुख हैं। नागपंचमी के अवसर पर हम आपको ग्रंथों में वर्णित प्रमुख नागों के बारे में बता रहे हैं।
तक्षक नाग
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धर्म ग्रंथों के अनुसार, तक्षक पातालवासी आठ नागों में से एक है। तक्षक के संदर्भ में महाभारत में वर्णन मिलता है। उसके अनुसार, श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी। तक्षक से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्प यज्ञ किया था। इस यज्ञ में अनेक सर्प आ-आकर गिरने लगे। यह देखकर तक्षक देवराज इंद्र की शरण में गया।
जैसे ही ऋत्विजों (यज्ञ करने वाले ब्राह्मण) ने तक्षक का नाम लेकर यज्ञ में आहुति डाली, तक्षक देवलोक से यज्ञ कुंड में गिरने लगा। तभी आस्तिक ऋषि ने अपने मंत्रों से उन्हें आकाश में ही स्थिर कर दिया। उसी समय आस्तिक मुनि के कहने पर जनमेजय ने सर्प यज्ञ रोक दिया और तक्षक के प्राण बच गए।
कर्कोटक नाग
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कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।
ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित लिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा। इसके बाद कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रवेश कर गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। मान्यता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।
कालिया नाग
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श्रीमद्भागवत के अनुसार, कालिया नाग यमुना नदी में अपनी पत्नियों के साथ निवास करता था। उसके जहर से यमुना नदी का पानी भी जहरीला हो गया था। श्रीकृष्ण ने जब यह देखा तो वे लीलावश यमुना नदी में कूद गए। यहां कालिया नाग व भगवान श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। तब कालिया नाग की पत्नियों ने श्रीकृष्ण से कालिया नाग को छोडऩे के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम सब यमुना नदी को छोड़कर कहीं और निवास करो। श्रीकृष्ण के कहने पर कालिया नाग परिवार सहित यमुना नदी छोड़कर कहीं और चला गया।
इनके अलावा कंबल, शंखपाल, पद्म व महापद्म आदि नाग भी धर्म ग्रंथों में पूज्यनीय बताए गए हैं।
नागपंचमी पर नागों की पूजा कर आध्यात्मिक शक्ति और धन मिलता है। लेकिन पूजा के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है।
हिंदू परंपरा में नागों की पूजा क्यों की जाती है और ज्योतिष में नाग पंचमी का क्या महत्व है।
अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन विशेष पूजा का लाभ पाया जा सकता है।
जिनकी कुंडली में विषकन्या या अश्वगंधा योग हो, ऐसे लोगों को भी इस दिन पूजा-उपासना करनी चाहिए. जिनको सांप के सपने आते हों या सर्प से डर लगता हो तो ऐसे लोगों को इस दिन नागों की पूजा विशेष रूप से करना चाहिए।
भूलकर भी ये ना करें
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1. जो लोग भी नागों की कृपा पाना चाहते हैं उन्हें नागपंचमी के दिन ना तो भूमि खोदनी चाहिए और ना ही साग काटना चाहिए.।
2. उपवास करने वाला मनुष्य सांयकाल को भूमि की खुदाई कभी न करे।
3. नागपंचमी के दिन धरती पर हल न चलाएं।
4. देश के कई भागों में तो इस दिन सुई धागे से किसी तरह की सिलाई आदि भी नहीं की जाती।
5. न ही आग पर तवा और लोहे की कड़ाही आदि में भोजन पकाया जाता है।
6. किसान लोग अपनी नई फसल का तब तक प्रयोग नहीं करते जब तक वह नए अनाज से बाबे को रोट न चढ़ाएं।
राहु-केतु से परेशान हों तो क्या करें
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एक बड़ी सी रस्सी में सात गांठें लगाकर प्रतिकात्मक रूप से उसे सर्प बना लें इसे एक आसन पर स्थापित करें। अब इस पर कच्चा दूध, बताशा और फूल अर्पित करें। साथ ही गुग्गल की धूप भी जलाएं.
इसके पहले राहु के मंत्र 'ऊं रां राहवे नम:' का जाप करना है और फिर केतु के मंत्र 'ऊं कें केतवे नम:' का जाप करें।
जितनी बार राहु का मंत्र जपेंगे उतनी ही बार केतु का मंत्र भी जपना है।
मंत्र का जाप करने के बाद भगवान शिव का स्मरण करते हुए एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं. फिर रस्सी को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें. राहु और केतु से संबंधित जीवन में कोई समस्या है तो वह समस्या दूर हो जाएगी।
सांप से डर लगता है या सपने आते हैं।
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अगर आपको सर्प से डर लगता है या सांप के सपने आते हैं तो चांदी के दो सर्प बनवाएं साथ में एक स्वास्तिक भी बनवाएं। अगर चांदी का नहीं बनवा सकते तो जस्ते का बनवा लीजिए।
अब थाल में रखकर इन दोनों सांपों की पूजा कीजिए और एक दूसरे थाल में स्वास्तिक को रखकर उसकी अलग पूजा कीजिए।
नागों को कच्चा दूध जरा-जरा सा दीजिए और स्वास्तिक पर एक बेलपत्र अर्पित करें. फिर दोनों थाल को सामने रखकर 'ऊं नागेंद्रहाराय नम:' का जाप करें।
इसके बाद नागों को ले जाकर शिवलिंग पर अर्पित करें और स्वास्तिक को गले में धारण करें���
ऐसा करने के बाद आपके सांपों का डर दूर हो जाएगा और सपने में सांप आना बंद हो जाएंगे।
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🦚🌈[ श्री भक्ति ग्रुप मंदिर ]🦚🌈
🙏🌹🙏जय श्री महाकाल🙏🌹🙏
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💐🌼🌺🛕[श्री भक्ति ग्रुप मंदिर]🛕🌺🌼💐
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abhay121996-blog · 3 years
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क्या आप जानते है की सांपो की जीभ बीच से क्यों कटी होती है? नहीं तो यहां जानें! Divya Sandesh
#Divyasandesh
क्या आप जानते है की सांपो की जीभ बीच से क्यों कटी होती है? नहीं तो यहां जानें!
 हम सभी जानते हैं कि सांपों में देखने और सुनने की शक्ति काफी कम होती है इसलिए उन्हें कुदरत ने जीभ दी  है ताकि उसका इस्तेमाल करके देख और सुन सके। इसके साथ सूंघने  में और आसपास का तापमान और वातावरण को जानने के लिए भी वे जीभ  का उपयोग करते हैं। लेकिन  कभी इस बात पर गौर किया है की आखिर सांपो की जीभ बीच से क्यों कटी होती है? तो चलिए मैं आज आपको अपने इस आर्टिकल की मद्दद से बताती हु की क्यों सांप की जीभ बीच से कटी होती है और इसके साथ साथ मैं आपको इसके  पीछे का पौराणिक कारण भी बताउंगी।सांप अपनी जीभ के माध्यम से ही शिकार पकड़ता है और यह कटी जीभ सांप  को शिकार के बारे में उसकी गर्मी दूरी और दिशा सब बता देती है। कटे होने के कारण जीभ  को अधिक फैलाव  मिलता है जो शिकार को पकड़ने में मदद करता है।परंतु हिंदू पुराणों की मानें तो सांप की जीभ के फटे होने का कोई और ही कारण है। तो आइए जानते हैं कि आखिर पौराणिक कथाओं के अनुसार सांपों की जीभ दो हिस्सों यानी कि बीच से कटी क्यों होती है ?पुराणों के अनुसार गरुड़ और सर्प दोनों सौतेले भाई हैं और सांपो   की माँ  कत्रु ने छल द्वारा गरुड़ की मां विनता को अपना दासी बना लिया था और उसके बाद सर्पो ने गरुण से कहा था कि वे उनके लिए स्वर्ग से अमृत लाए तो सर्प उनकी मां को दासता से मुक्त कर देंगे। तब गरुण अपनी मां को मुक्त करने के लिए स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया और सभी देवताओं को परास्त कर अमृत हासिल कर लिया गरुण का पराकर्म देख भगवान् विष्णु बहुत प्रसन्न हुए थे और उसके बाद उन्होंने गरुण को अपना वाहन बना लिया था।उधर गरुण से युद्ध करते हुए इंद्रदेव मूर्छित हो गए थे और उनकी मूर्छा जब टूटी तो उन्होंने गरुण को अमृत कलश ले जाते थे उनका पीछा किया और गरुड़ पर अपनी बज्र  से प्रहार कर दिया। किंतु भगवान विष्णु से अजर अमर होने का वरदान प्राप्त कर चुके गरुड़ को कुछ भी नहीं हुआ।ये देख इंद्र देव बहुत चिंतित हो गए और गरुण से बोले मैं तुमसे मित्रता करना चाहता हूं गरुड़ देव ने देवराज इंद्र की मित्रता स्वीकार कर ली उसके बाद इंद्रदेव बोले हे मित्र यह अमृत कलश तुमको देने जा रहे हो वे इसे पाकर अजर अमर हो जाएंगे और विनाश करने का काम करेंगे इसलिए मित्र ये अमृत कलश  मुझे दे दो। तब गरुण ने इंद्रदेव से कहा कि मित्र मैं ये अमृत कलश तुम्हें नहीं दे सकता क्योंकि इस अमृत कलश को सर्पों को देकर मुझे अपनी माता को उनकी दासता से मुक्त कराना है परंतु मैं इस अमृत कलश को जहा रखूंगा वहां से आप इसे उठाकर वापस ला सकते हैं।गरुण की यह बातें सुनकर इंद्रदेव प्रसन्न हो गए और बोले मित्र तुम मुझसे कोई वरदान मांगो तब गरुड़ देव ने कहा कि जिन सर्पो ने मेरी माता को छल से अपना दास बनाया था वे सभी सर्प  मेरा प्रिय भोजन बने।देवराज इंद्र से वरदान पाने के बाद गरुण अमृत का कलश लेकर सर्पो  के पास गए औरसर्पो  से कहा कि मैं तुम्हारे लिए अमृत लेकर आया हूं औरअब तुम  मेरी माता को अपनी दस्ता से मुक्त कर दो गरुण के हाथ अमृत कलश देखकर सर्प खुश हो गए और कहा कि आज से तुम्हारी माता हमारी दासता से मुक्त है। उसके बाद गरुण ने अमृत कलश को कुश के बने आसन पर रख दिया और सर्पो  से कहा कि तुम लोग पवित्र हो अमृत पियो और उसके बाद वह अपनी माता को लेकर वहां से चले गए।उसके बाद सभी सर अपने आपस में विचार किया कि गरुण  ने कहा कि पवित्र हो अमृत पियो तो पहले हमे स्नान कर पवित्र हो जाना चाहिए और सभी सर्प स्नान करने चले गए।इसी बीच घात लगा कर बैठे  देवराज इंद्र अमृत कलश को लेकर स्वर्ग लोक चले जाते हैं उधर जब सर्प  स्नान कर वापस अमृत पीने के लिए आते हैं तो देखते हैं कि उस कुश के आसन पर अमृत कलश नहीं है फिर वह सभी मन ही मन सोच है कि जिस तरह हम सभी ने गरुण  की माता को छल से दासी बनाया था ये उसी का फल है। अमृत कलश गायब हो जाने के बाद सभी सर्पो को अमृत पीकर अजर अमर होने की अभिलाषा समाप्त हो गई। सभी उस कुश के आसन को बड़ी दीनता से देख रहे थे जिस पर गरुण ने अमृत कलश रखा था. सभी सर्पो  के दिमाग में एक विचार आया कि हो सकता है इस कुश के आसन पर अमृत गिरा हो और यह सोचकर सभी सर्प  के आसान को चाटने लगे जिससे सभी सर्पो की जीभ  बीच से फट गई।  ऐसा माना जाता है कि तभी से सभी सर्पो की जीभ दो हिस्सों में बांट गई।
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indianlocalnews · 4 years
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दो नर चूहे अपने क्षेत्र को परिभाषित करने के लिए लड़ रहे हैं और अपने साथी का बचाव करते हैं देखें वायरल वीडियो
दो नर चूहे अपने क्षेत्र को परिभाषित करने के लिए लड़ रहे हैं और अपने साथी का बचाव करते हैं देखें वायरल वीडियो
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वायरल वीडियो: दो सांपों के बीच खतरनाक युद्ध, एक-दूसरे से लिपटे, ऐसा है कैसे …
दो पुरुष दरिद्र सांपों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। आपने इंटरनेट पर ऐसे कई वीडियो देखे होंगे, जिनमें सांप घर में घुसते हैं और बचाव दल आता है और उन्हें बाहर निकालता है। क्या आपने दो सांपों को लड़ते देखा है? जी हां, दो नर चूहे सांपों की लड़ाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस…
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navprabhattimes · 4 years
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सांपों की धींगामुश्ती: प्रणय या युद्ध कालू राम शर्मा इस गर्मी का मौसम जब उतार पर होता है तब अक्सर दो सांपों का आपस में लिपटना हर किसी का ध्यान आकर्षित करता है। लगता है, दोनों लिपटते हुए नृत्य कर रहे हों।
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jetendrapal · 7 years
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बढ़ जाता है मान वीर का रण में बलि होने से। मूल्यवान होती है सोने की भस्म सदा सोने से।। चलो डासना देवी मंदिर 12.11.2017, 9:00 बजे प्रातः *इतिहास गवाह है,* *हिन्दू ने कभी हिन्दू का साथ नहीं दिया,* तोे अकेले होकर होकर क्या हिन्दुओ तुम जीत पाओगे* आओ मिलकर लडे़ जहाँ एक तरफ धर्मगुरू यति नरसिंहानंद सरस्वती जी ने डासना में धर्म यौद्धाओं को शसक्त कर रहै हैं वहीं सेक्यूलर चोला ओढे़ जिहादी वामपंथी और राजनीतिक चाटुकार फन उठाये विरोध कर रहे हैं यही सही समय है आओ इन आस्तीन के सांपों का फन कुचले। *इतिहास गवाह है,* क्या कारण था *मोहम्मद गोरी से अकेले पृथ्वीराज चौहान* ने ही युद्ध किया.. बाकी *पड़ोसी हिन्दू राजा* क्या कर रहे थे..? क्या कारण था *अकबर से केवल मेवाड़ के महाराणा प्रताप लोहा* ले रहे थे.. बाकी पूरे भारत के राजा कहाँ थे.? क्या कारण था *महाराष्ट्र के शिवाजी महाराज अकेले अफजल खां और ओरगंजेब से युद्ध लड़ रहे थ*े, बाकी के हिन्दू राजा….? *क्या आप जानते हो-- हिंदुओं की आपसी फूट और घमंड ने इन शूरवीर राजाओं को कभी एकमत और एक साथ नहीं होने दिया तो…. !!* *जागो समझो और साथ दो..!!* ऐसे भी *हमारा देश सैकड़ों-हज़ारों साल से विदेशी आक्रमणों* को झेल रहा है। कभी हम *सनातनी (हिंदु) पूरे विश्व पर फैले* थे। आज इसी आपसी फूट के कारण *भारत में भी अस्तित्व की लड़ाई लड़* रहे हैं। *_विचार कीजिएगा!!...._* *ब्रह्म वाक्य* *आज का भारतीय मुसलमान* *अतीत का कायर हिंदू था,* *और* *आज का कायर हिंदू* *भविष्य का मुसलमान होगा।* 🤔 कड़वी बात..... तय करो हमारे मंदिरो का संचालन जिहादियों और राजनीतिक चाटुकारों के हाथ में होगा या हिन्दुओं के हाथ में। चलो डासना-महापंचायत 12.11.2017: 9AM बस कुछ ही साल पहले तक *दुर्गा*पूजा बंगाल का मुख्य त्योहार था और आज *मुहर्रम* हो गया। *सोते_रहो*और मोदी को कोसते रहो☹ डासना देवी मंदिर की महापंचायत तय करेगी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिन्दुओ का भविष्य। महाभारतकालीन प्राचीन देवी चंडी मंदिर डासना जेल रोड़ निकट टोल टैक्स गाजियाबाद यूपी आपका हार्दिक स्वागत करता है। चलो डासना देवी मंदिर 12.11.2017, प्रातः 9:00 बजे आप सभी की उपस्थिती प्रार्थनीय है। ।। हर हर महादेव ।।
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