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#सस्टेनेबल जीवनशैली
vlogrush · 3 months
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ग्लोबल वार्मिंग: 2024 में बहुत ज्यादा गर्मी क्यों हुई, इस समस्या से हमें कैसे निपटना होगा
Global Warming: 2024 में बहुत ज्यादा गर्मी ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर प्रभावों का संकेत है। क्या हम इसे रोकने के उपाय करेंगे या हार मान लेंगे? जानें इस लेख उपयुक्त महत्वपूर्ण जानकारियां। 2024 का साल अब तक के सबसे गर्म सालों में से एक साबित हुआ है। दुनिया भर में तापमान में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है, जो ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरों का स्पष्ट संकेत है। इस गंभीर स्थिति ने वैज्ञानिकों, नीति…
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ashokgehlotofficial · 3 years
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निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री आर्थिक सुधार सलाहकार परिषद की दूसरी बैठक को संबोधित किया।
कोविड की विषम परिस्थितियों के कारण राजस्व अर्जन में गिरावट के साथ ही केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में लगातार राज्यांश बढ़ने, केंद्र द्वारा जीएसटी क्षतिपूर्ति का पूर्ण भुगतान नहीं होने तथा 15वें वित्त आयोग में अनुमान से कम राशि का हस्तांतरण सहित कई कारणों से प्रदेश को जटिल राजकोषीय स्थिति से गुजरना पड़ रहा है।
इन प्रतिकूल स्थितियों में भी राज्य सरकार आर्थिक सुधार और संसाधनों के कुशल प्रबंधन से शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी, रोजगार सहित अन्य क्षेत्रों में परियोजनाओं को बेहतरीन तरीके से गति दे रही है। हमारा प्रयास है कि विशेषज्ञों के अनुभव और सुझावों के आधार पर बड़े नीतिगत निर्णय लेकर राजस्थान के समग्र विकास के साथ-साथ मानव विकास सूचकांक को और बेहतर किया जाए।
राजस्थान देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है, जिसने राजस्व में बड़ी गिरावट के बावजूद अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अपने खर्च में वृद्धि की है। साथ ही बजट घोषणाओं को पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूरा करने के प्रयास किए हैं। हमारा वर्तमान बजट स्वास्थ्य को समर्पित रहा और प्रदेश में चिकित्सा का आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ। इसी प्रकार अगला बजट कृषि क्षेत्र को समर्पित होगा।
15वें वित्त आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विभाज्य पूल से राजस्थान को 50 हजार करोड़ रूपए देने का अनुमान लगाया था, लेकिन वास्तविक हस्तांतरण करीब 32 हजार करोड़ रूपए ही रहा। इसी प्रकार जीएसटी मुआवजे का भी केंद्र द्वारा पूरा भुगतान राज्यों को नहीं मिल रहा है। जल सहित विभिन्न परियोजनाओं में पहले केंद्र और राज्य का अनुपात 90ः10 होता था, जो अब 50ः50 पर आ गया है। पेट्रोल एवं डीजल पर करों के डिविजिबल पूल में से राज्यों को मिलने वाले हिस्से को भी लगातार कम किया जा रहा है। इन मुद्दों का तत्काल समाधान आवश्यक है अन्यथा राज्यों के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
राज्य सरकार ने कोविड की पहली और दूसरी लहर का बेहतरीन प्रबंधन किया है। प्रदेश में अब प्रतिदिन 1.50 लाख आरटी-पीसीआर टेस्ट करने की क्षमता हासिल कर ली गई है। ऑक्सीजन बेड 149 प्रतिशत, आईसीयू 64 प्रतिशत और वेंटीलेटर बेड 87 प्रतिशत तक बढ़े हैं। ग्रामीण स्तर तक चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत किया गया है। हर परिवार को स्वास���थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराने और इलाज के खर्च से मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की गई है। विगत ढाई वर्ष में सरकारी क्षेत्र में 90 हजार से अधिक भर्तियां की गई हैं और 81 हजार भर्तियां प्रक्रियाधीन हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में अंग्रेजी माध्यम के 1200 विद्यालय शुरू किए हैं।
राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां काफी जटिल हैं। ऐसे में यहां सर्विस डिलीवरी की लागत अन्य राज्यों के मुकाबले काफी अधिक आती है। इन हालात में राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार ने इस दिशा में अभी तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है। तमाम चुनौतियों के बावजूद हमारा प्रयास है कि प्रदेश के सतत विकास के लिए आर्थिक सुधारों के साथ ही गवर्नेंस के मॉडल में भी बदलाव लाएं।
राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए शहरी असंगठित क्षेत्र का उचित रूप से समायोजन, स्कूली शिक्षा में डिजिटल डिवाइड को कम करना, चिकित्सा सेवाओं का विस्तार, ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और कृषि प्रसंस्करण आधारित गतिविधियों को बढ़ाना, कृषि-व्यवसाय के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, राज्य की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण एवं संवर्धन, सार्वजनिक बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं का निर्माण, निवेश प्रोत्साहन और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ाना जरूरी है। राज्य सरकार इन बिंदुओं पर प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ेगी।
नगरीय विकास मंत्री श्री शांति धारीवाल ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में नजूल संपत्तियों, खाली जमीन एवं विभिन्न सरकारी संपत्तियों का सदुपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इनसे व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने के साथ ही राजस्व भी बढ़ेगा।
ऊर्जा एवं जलदाय मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए वर्षा जल का संरक्षण करना तथा कृषि में सिंचाई की बूंद-बूंद और फव्वारा प्रणाली जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाना बेहतर होगा।
शिक्षा राज्यमंत्री श्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के ढांचे में गुणात्मकता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। अंग्रेजी माध्यम के स्कूल प्रारंभ कर सरकारी क्षेत्र में स्कूली शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाया जा रहा है। कोरोना काल में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को भी डिजिटल शिक्षा से जोड़ने तथा सुदूर क्षेत्रों तक शिक्षा पहुंचाने के हरसंभव प्रयास किए गए हैं।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि परिषद ने जिन विषयों को शोध तथा विकास योजनाएं बनाने के लिए चुना है, वे सभी विषय प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों पर राज्य सरकार तत्परता से काम करेगी।
परिषद के सदस्य एवं चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. शिव कुमार सरीन ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा चलाया गया ‘निरोगी राजस्थान’ अभियान जीवनशैली में गुणात्मक सुधार से लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर करने की दिशा में बड़ा कदम है। इससे औसत आयु में 5 वर्ष तक की वृद्धि हो सकती है। परिषद के सदस्य एवं कृषि अर्थशास्त्री श्री अशोक गुलाटी ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, कृषि एवं सहकारिता मामलों के विशेषज्ञ श्री विजय कुमार ने फसली चक्र में बदलाव तथा बंजर भूमि में खेती करने, केंद्र सरकार में पूर्व स्वास्थ्य सचिव रहे श्री केशव देसीराजू ने कोविड टीकाकरण के काम में गति लाने, कुमार मंगलम विश्वविद्यालय के चांसलर प्रो. दिनेश सिंह ने बदलते सामाजिक परिदृश्य के अनुरूप शिक्षा पाठ्यक्रमों में बदलाव करने, बैंकर नैना लाल किद्वई ने महिला स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने, इन्फ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञ श्री अमित कपूर ने राज्य की नीतियों में सतत विकास पर फोकस करने, ट्रेड एक्सपर्ट श्री प्रदीप मेहता ने युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने आदि विषयों पर सुझाव दिए।
मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री गोविंद शर्मा, आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक प्रो. इरोल डिसूजा, जेएनयू की प्रोफेसर कविता सिंह, राज्यसभा सदस्य श्री राजीव गौड़ा तथा दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक श्री मंगू सिंह आदि सदस्यों ने भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
परिषद के उपाध्यक्ष श्री अरविंद मायाराम ने स्वागत उद्बोधन देते हुए परिषद द्वारा राजस्थान के समग्र विकास के लिए तय किए गए बिंदुओं पर प्रकाश डाला। ��ैठक में सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, इंटीग्रेटेड एग्रो बिजनेस इन्फ्रास्ट्रक्चर इन रूरल एरिया, मेडिकल सर्विसेज, इंटेंजीबल कल्चरल असेट्स ऑफ राजस्थान, अरबन इनफोर्मल सेक्टर, एजूकेशन एंड न्यू पैराडाइम आदि विषयों पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। इस अवसर पर मंत्रिपरिषद के सदस्य एवं विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
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onlinekhabarapp · 4 years
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असुरक्षा, भय र अपहेलनाले हामी सधै दुःखी
यतिबेला हामी भयभित छौं । रोग र भोकले हामीलाई सताएको छ । एकातिर असुरक्षाको भय छ भने अर्कोतिर अभावले पिरोलेको छ । जन जीविका अस���ज छ । कतिपयको चुलो निभेको छ । कतिपयको दैनिकी अस्पताल-उपचारमै गुज्रिदैछ । कतिपयले रोजगारी गुमाएका छन् । कतिपयको कामधन्दा ठप्प छ । आयआर्जन नहुँदा, आर्थिक समस्या बढ्दै जाँदा, रोग र भोकको आयतन तन्किदै जाँदा हामी दुःखको भुँमरीमा परेका छौं ।
राज्यमा भ्रष्टचार मौलाएको छ । रोजगारी र उद्यमशिलताको अवसरहरु खुम्चिएका छन् । लुट, हत्या, हिंसा, विभेद बढ्दो छ ।
यस्तो पृष्टभूमीमा हाम्रो खुसीको स्तर मापन गर्ने हो भने नतिजा कस्तो आउँछ होला ?
दैनिक काम–व्यवहारका बीचमा पनि हामीले बेलाबखत खुसी हुने मौका पाएका थियौं । चाडपर्व, मेला, उत्सव, जमघटले हाम्रो दुःखहरु बिर्साइदिन्थ्यो । भेटघाट, भलाकुसारीले हाम्रो पीडाहरु बिर्साइदिन्थ्यो । तर, अहिले स्थिति प्रतिकुल छ । यस्तो प्रतिकुलतामा हामी कस्तो मानसिक अवस्थाबाट गुज्रिरहेका छौं ?
समग्र मुलुककै खुसीको स्तर मापन गर्ने हो भने हामी कति श्रेणीमा छौं होला ? अर्थात विश्वका मुलुकहरुको तुलनामा हामी कति खुसी छौं ? यसको ठ्याक्कै जवाफ छैन । यद्यपि एउटा निश्चित मापदण्ड बनाएर खुसीको स्तर जाँच्ने काम भने वैश्विक रुपमै हुँदै आएको छ । यसै अनुरुप विश्वमा कुन मुलुकमा मान्छे बढी खुसी छन् भनेर बेलाबखत सोधीखोजी हुने गरेका छन् ।
संयुक्त राज्य अमेरिकाको ‘सस्टेनेबल डेभलपमेन्ट सोलुसन नेटवर्क’ले विश्वभरको सर्वेक्षणबाट ‘ह्याप्पिनेस रिपोर्ट’ सार्वजनिक गर्ने गर्छ । उक्त रिपोर्ट अनुसार फिनल्यान्ड सर्वाधिक खुसी मुलुकको सूचीमा समेटिदै आएको छ । आखिर कुनै मुलुकका जनता किन खुसी हुन्छन् ? उनीहरु कस्तो वातावरणमा छन् ? त्यस्तो के कुरा छ जसले उनीहरुलाई खुसी बनाउँछ ?
हामीले पाइला पाइलामा असुरक्षा, भय, चिन्ता लिएर हिँडिरहेका छौं । जबकी फिनल्यान्डमा त्यस्तो स्थिति छैन । भनिन्छ, हामी जस्तो अरुको कारणले भयाभित हुनुपर्ने, अरुको कारणले अपहेलित हुनुपर्ने, अरुको कारणले हतोत्साही हुनुपर्ने, अरुको कारणले क्रोधित हुनुपर्ने अवस्था त्यहाँ छैन । फिनल्यान्डबासीहरु खुसी हुनुको एउटा कारण यो पनि हो ।
हामीकहाँ श्रमको उचित मूल्य छैन । जति श्रम गरेपनि सुविधायुक्त जीवन विताउन संभव छैन । मेहनत वा श्रम गर्नेहरु सधै अभावमा बाँच्नुपर्ने बाध्यता छ । जबकी फिनल्यान्डवासीलाई धेरै खर्च गर्नुपर्ने वा कमाउनुपर्ने दवाव छैन । हामीले जीवनभरको कमाई छोराछोरीको शिक्षामा खर्च गर्छौं । पढेर पनि छोराछोरी बेरोजगार हुन्छन् । जबकी फिनल्यान्डमा अभिभावकले छोराछोरीको पढाईका लागि एकरत्ती तनाव लिनुपर्दैन । व्यायभार पनि हुँदैन । पठनपाठन, पोशाक, शैक्षिक सामाग्रीदेखि खानेकुरासम्म सरकारले नै उपलब्ध गराउँछ । त्यो पनि गुणस्तरिय ।
हामीकहाँ खुलमखुला भ्रष्टचार हुन्छ, हत्या, हिंसा, अपराध हुन्छ । अपराधीहरुलाई नेता–मन्त्रीले संरक्षण दिएर राख्छन् । पीडकहरु सधै पीडामा डुब्नुपर्ने बाध्यता छ । जबकी फिनल्यान्डमा अपराधिक गतिविधि शून्य बराबर छ ।
राज्यप्रति भरोसा गर्न सकिने अवस्था छैन हामीकहाँ । राज्य प्रदायक सेवा सुविधाबाट समेत वञ्चित छन्, धेरैजसो । पहुँच हुने वा नेता–मन्त्रीका नातेदार र आफन्तहरु मात्र राज्यको सुविधाबाट लाभान्वित हुन्छन् । जबकी फिनल्यान्ड समृद्ध देश भएर पनि सरकारले जनतालाई विशेष सुविधा उपलब्ध गराएको छ । आर्थिक सुरक्षादेखि सित्तैमा स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध गराउँछ । भनिन्छ, फिनल्यान्डमा कोहीपनि घरबारविहिन छैनन् । पर्यटक वा आगन्तुकले पनि त्यस मुलुकलाई अति सुरक्षित मान्ने गर्छन् ।
फिनल्यान्डमा मानवअधिकारको सम्मान गरिन्छ । लैंगिक समानताको लागि पनि उदाहरणिय मुलुक हो यो । यहाँ बेरोजगारीको पीडा पनि छैन । सबैले सबैको ख्याल राख्ने किसिमको संस्कार र राज्य संयन्त्र छ । यतिसम्म कि पर्यावरण सम्बन्धी नीति समेत सानो सानो कुरामा ख्याल गरेर तयार गरिन्छ ।
मुलुक राम्रो भएपछि, सामाजिक संस्कार राम्रो भएपछि, मानविय व्यवहार राम्रो भएपछि त्यहाँको वातावरण नै राम्रो हुन्छ । त्यस्तो वातावरणमा हुर्किएकाहरुमा मनोविकार हुँदैन । उनीहरु सधै सकारात्मक, उर्जावान र खुसी हुन्छन् । फिनल्यान्डका मानिसहरु धेरै खुलेर खुसी व्यक्ति गर्ने वा धेरै दुःखी भएर बिलौना गर्ने प्रवृत्तिका छैनन् । उनीहरु अन्र्तमुखी हुन्छन् । रिस होस वा खुसी, खुलेर व्यक्ति गर्दैनन् । उनीहरु आ–आफ्नै जिन्दगीमा मग्न हुन्छन् । उनीहरु एकदमै सन्तुलित जीवन विताउँछन् ।
फिनल्यान्डवासी खुसी हुनुमा त्यहाँको सुरक्षा स्थिती हो । कोही पनि, कसैबाट भयाभित छैनन् । सुरक्षाको प्रत्याभूत राम्ररी गरेका छन् । मानौ फिनल्यान्डमा तपाईंको मूल्यावान सामाग्री कतै छुट्यो वा हरायो, कसैले त्यसलाई लाने छैनन् ।
खुसी हुनुमा जीवनशैली एवं रहनसहनले पनि भूमिका खेल्छ । स्वास्थ्य जीवन, सन्तुलित दिनचर्या, आपसी सद्भाव र सहयोग आदि कुराले फिनल्यान्डबासीलाई खुसी तुल्याएको हो । तर, हामी ?
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vlogrush · 3 months
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ग्लोबल वार्मिंग: 2024 में बहुत ज्यादा गर्मी क्यों हुई, इस समस्या से हमें कैसे निपटना होगा
Global Warming: 2024 में बहुत ज्यादा गर्मी ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर प्रभावों का संकेत है। क्या हम इसे रोकने के उपाय करेंगे या हार मान लेंगे? जानें इस लेख उपयुक्त महत्वपूर्ण जानकारियां। 2024 का साल अब तक के सबसे गर्म सालों में से एक साबित हुआ है। दुनिया भर में तापमान में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है, जो ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरों का स्पष्ट संकेत है। इस गंभीर स्थिति ने वैज्ञानिकों, नीति…
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onlinekhabarapp · 5 years
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फिनल्यान्डका मान्छेहरु किन सबैभन्दा खुशी ?
हामी ऐश-आरम खोज्छौ, धनदौलत जोड्छौ, मिठो-मसिनो खान्छौं, चाडपर्व मनाउँछौं किन ? यी सबैबाट हामी ‘खुसी’ खोजिरहेका हुन्छौं ।
जीवनको सार नै खुसी हो । हामी जति खुसी रहन्छौं, उत्तिनै हाम्रो जीवन हो । रिस, आवेग, पीडा, भय, चिन्ता, दुःख, रोग जीवन होइन । उन्मुक्त, उमंगित र उत्साहित हुनु नै जीवनको असली स्वाद हो । अतः संसारमा सबैभन्दा खुसी को होलान् ?
विल गेट्स ? किनभने उनी सर्वाधिक धनाड्य हुन् नि त । लियोनल मेस्सी ? किनभने उनको विश्वभर ख्याती छ नि त । डोनाल्ड ट्रम्प ? किनभने उनी सर्वशक्तिमान छन् नि त ।
होइन, खुसीको ब्यारोमिटरले नाप्ने हो भने उनीहरु त्यती खुसी पक्कै छैनन्, जति हुनुपर्ने हो । सम्पन्नताले खुसी किन्दैन । ख्यातीले खुसी आर्जन गर्दैन । शक्तिले खुसी तान्दैन । खुसी त एक बटुवा पनि हुनसक्छ, चर्को घाम र अप्ठ्यारो बाटोमा दिनभर हिँडेर पिपलको छहारीमा आरमसाथ पल्टिएका छन् । खुसी त एक गरिब पनि हुनसक्छन्, जो दिनभरको प्रयासपछि जसोतसो एक छाक तातो भात खानका लागि बसेको छ ।
खुसी एक मानसिक अवस्था हो । र, खुसी कहाँबाट कसरी प्राप्त हुन्छ भन्ने कुरा उनको परिवार, समाज, संस्कार र मुलुकको अवस्थाबाट निर्भर हुन्छ । विश्वमा सबैभन्दा खुसी कहाँका व्यक्ति होलान् भनेर सोधीखोजी पनि हुनेगर्छ । संयुक्त राज्य अमेरिकाको ‘सस्टेनेबल डेभलपमेन्ट सोलुसन नेटवर्क’ले विश्वभरको सर्वेक्षणबाट ‘ह्याप्पिनेस रिपोर्ट’ सार्वजनिक गर्ने गर्छ । उक्त रिपोर्ट अनुसार विश्वको सवैभन्दा खुसी मुलुक फिनल्यान्ड हो । पछिल्लो दुई बर्षको रिपोर्टले फिनल्यान्डलाई खुसी मुलुकको पहिलो सूचीमा समेटेको छ ।
फिनल्यान्डका मान्छेहरु कसरी खुसी ?
स्वभाविक रुपमा प्रश्न उठ्छ कि फिनल्यान्डका मान्छेहरु कसरी खुसी होलान् ? किन उनीहरु खुसी भएका हुन् ? के कुराले उनीहरुलाई ढुक्क र प्रफुल्ल बनाएको छ ?
अघिल्लो बर्ष बिबिसीमा एउटा फिचर प्रकासित भएको थियो, जसले फिनल्यान्डको खुसीबारे चर्चा गरेको थियो । उक्त फिचरमा एउटा दृष्टान्त यसरी पेश गरिएको थियो ।
पार्कमा बसिरहेकी एकजना बेली डान्सर पार्कबाट उठेर हिँड्छिन् । पार्कबाट हिँड्दै गर्दा उनलाई महसुष हुन्छ कि, मेरो त्यहाँ केही छुट्यो । हो उनले पार्कमै वालेट अर्थात पैसा राख्ने ब्याग छाडेर आएकी छिन् । पैसाको व्याग छुट्यो तर, उनी ढुक्क छिन् कि त्यो हराउने छैन । कसैले चोर्ने छैन । जहाँको त्यही हुनेछ । त्यसैले उनलाई पैसाको व्याग छाडेकोमा बेचैनी, औडाह, हतारो, भय छैन । उनमा नकारात्मक भाव पनि छैन । किनभने कसैले उनको चोर्ने वा लुट्ने छैन । यही कारण उनले अनावश्यक शंका-उपशंका गरिरहनु आवश्यक छैन ।
अक्सर मान्छेहरु हिँडडुल गर्ने पार्कमा पैसाको ब्याग छाडेकी छिन्, तर उनलाई कतिपनि चिन्ता वा तनाव छैन । किनभने फिनल्यान्डमा चोरिने, हराउने भय एकरत्ती हुँदैन ।
अरुको कारण दुःखी, असुरक्षित, अपहेलित हुनुपर्दैन
हामी जस्तो अरुको कारणले भयाभित हुनुपर्ने, अरुको कारणले अपहेलित हुनुपर्ने, अरुको कारणले हतोत्साही हुनुपर्ने, अरुको कारणले क्रोधित हुनुपर्ने अवस्था त्यहाँ छैन । फिनल्यान्डबासीहरु खुसी हुनुको एउटा कारण यो पनि हो । तर, यत्ति मात्र पनि काफी छैन ।
फिनल्यान्डका मानिसहरु धेरै खुलेर खुसी व्यक्ति गर्ने वा धेरै दुःखी भएर बिलौना गर्ने प्रवृत्तिका छैनन् । उनीहरु अन्र्तमुखी हुन्छन् । रिस होस वा खुसी, खुलेर व्यक्ति गर्दैनन् । उनीहरु आ-आफ्नै जिन्दगीमा मग्न हुन्छन् । उनीहरु एकदमै सन्तुलित जीवन विताउँछन् ।
फिनल्यान्डवासी खुसी हुनुमा त्यहाँको सुरक्षा स्थिती हो । कोही पनि, कसैबाट भयाभित छैनन् । सुरक्षाको प्रत्याभूत राम्ररी गरेका छन् । मानौ फिनल्यान्डमा तपाईंको मूल्यावान सामाग्री कतै छुट्यो वा हरायो, कसैले त्यसलाई लाने छैनन् ।
आपसी सहयोग, सद्भावको समाज
यी त भावनात्मक कुरा भए । खुसी हुनुमा जीवनशैली एवं रहनसहनले पनि भूमिका खेल्छ । स्वास्थ्य जीवन, सन्तुलित दिनचर्या, आपसी सद्भाव र सहयोग आदि कुराले फिनल्यान्डबासीलाई खुसी तुल्याएको हो ।
फिनल्यान्डवासीलाई धेरै खर्च ��र्नुपर्ने वा कमाउनुपर्ने दवाव छैन । हामीले जीवनभरको कमाई छोराछोरीको शिक्षामा खर्च गर्छौं । पढेर पनि छोराछोरी बेरोजगार हुन्छन् । जबकी फिनल्यान्डमा अभिभावकले छोराछोरीको पढाईका लागि एकरत्ती तनाव लिनुपर्दैन । व्यायभार पनि हुँदैन । पठनपाठन, पोशाक, शैक्षिक सामाग्रीदेखि खानेकुरासम्म सरकारले नै उपलब्ध गराउँछ । त्यो पनि गुणस्तरिय ।
फिनल्यान्डमा मानवअधिकारको सम्मान गरिन्छ । लैंगिक समानताको लागि पनि उदाहरणिय मुलुक हो यो । यहाँ बेरोजगारीको पीडा पनि छैन । सबैले सबैको ख्याल राख्ने किसिमको संस्कार र राज्य संयन्त्र छ । यतिसम्म कि पर्यावरण सम्बन्धी नीति समेत सानो सानो कुरामा ख्याल गरेर तयार गरिन्छ ।
जनताप्रति पूर्ण उत्तरदायि राज्य
फिनल्यान्डमा अपराधिक गतिविधि शून्य बराबर छ । समृद्ध देश भएर पनि सरकारले जनतालाई विशेष सुविधा उपलब्ध गराएको छ । आर्थिक सुरक्षादेखि सित्तैमा स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध गराउँछ । भनिन्छ, फिनल्यान्डमा कोहीपनि घरबारविहिन छैनन् । पर्यटक वा आगन्तुकले पनि त्यस मुलुकलाई अति सुरक्षित मान्ने गर्छन् ।
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onlinekhabarapp · 8 years
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भारतीय र श्रीलंकाभन्दा नेपाली बढी खुसी, वर्ल्ड ह्याप्पीनेस रिपोर्टमा नर्बे नम्बर वान
बिनासकारी भूकम्पको घाउ अझै निको भएको छैन । आर्थिक सुरक्षा खोज्दै बिदेशिने दर घटेको छैन । सामाजिक अपराध नियन्त्रण भएको छैन । राजनीतिक अस्थिरता उस्तै छ । महंगी बढ्दो छ । तैपनि, नेपालीहरु त्यती निरास र दुखीः छैनन्, जति छिमेकी भारत छ ।
युनाइटेड नेसनका वल्र्ड ह्याप्पिनेस रिपोर्ट-२०१७ ले त्यसै भन्छ । उक्त रिपोर्ट अनुसार विश्वको खुसी मुलुकमा नेपाल ९९ औं नम्बरमा छ । जबकी भारत १ सय २२ औं नम्बरमा छ । त्यस्तै अर्काे दक्षिण एसियाली मुलुक श्रीलंकलाई पनि नेपालले उछिनेको छ । श्रीलंका यो सूचीमा १ सय २० औं नम्बरमा छ । उत्तरी छिमेकी चीन भने हामीभन्दा बढी खुसी देखिए । रिपोर्टमा चीन ७९ औ नम्बरमा छ ।
जिज्ञासा उठ्न सक्छ, संसारकै सर्बाधिक खुसी देश कुन होला ?
जबाफ हो, नर्बे । उक्त रिपोर्टले नर्बेलाई विश्वकै सबैभन्दा खुसी देशमा सूचिकृत गरेको छ । यो अघिल्लो बर्ष चौथो नम्बरमा थियो । नर्बेले डेनमार्कलाई उछिन्दै पहिलो नम्बरमा उक्लिएको हो ।
के हो ह्याप्पीनेसको महत्व ?
वल्र्ड ह्याप्पीनेस रिपोर्ट २०१७ तयार गर्ने सस्टेनेबल डेभलोपमेन्ट सोल्युसन नेटवर्कका निर्देशक जेफरी एसका भन्छन्,  ‘खुसी देश त्यो हो, जहाँ खुसीयाली, समाजमा भरोसा, समानता र सरकारप्रति बढी भरोसा छ । र, यि सबैमा राम्रो सन्तुलन छ ।’
प्रतिव्यत्ति जीडीपी अर्थात कुल घरेलु उत्पादन, राम्रो जीवनशैली, आयु,  स्वतन्त्रता, सामाजिक सुरक्षा र सहयोग, उदारता, सरकार र व्यपारमा सून्य भ्रष्टचारको आधारमा त्यस देशको खुसी मापन गरिन्छ ।
नर्बे नम्बर वान
२०१२ यता डेनमार्क सबैभन्दा खुसी देशमा दरिएका थिए । र, धेरैजसो नर्बे नम्बर चारमा पथ्र्यो । यसपाली चाहि नर्बेले डेनमार्कलाई उछिनेको छ ।
रिपोर्टको अनुसार नर्बेले आफ्नो देशमा तेलको मूल्य कम भएपनि नम्बर वान स्थान हासिल गरेको हो । केवल तेलको सम्पतिले मात्र सबैभन्दा खुसी तुल्याएको होइन, उनीहरुले तेल कम मात्रामा उत्पादन गरिरहेको छ । तर, भविष्यका लागि उनीहरुले लगानी गरिरहेका छन् ।
नर्बेको मानिसहरुमा आपसी भरोसा छ । उनीहरु कुनै न कुनै उदेश्यका साथ काम गरिरहेका छन् । नर्बेका बासिन्दा उदार छन् । र, सरकार पनि राम्रो छ ।
कुन देशको मानिस सबैभन्दा बेखुस
सब-सहारा अफ्रिकामा पर्ने देश जस्तो कि सीरिया र यमन सबैभन्दा बेखुस देशमा दरिएका छन् । खुसीको तराजुमा उनीहरु सबैभन्दा कमजोर देखिएका छन् ।
चीनमा मानिस त्यती खुसी छैनन्, जति २५ बर्षअघि थिए
रिपोर्ट अनुसार चीनमा २५ बर्षअघि मानिस सबैभन्दा बढी खुसी थिए । १९९० देखि २००५ को बीचमा चीनमा मानिसहरुको खुसी हराउँदै गयो । यहाँ बेरोजगारी बढ्यो । सरकारको सुरक्षा कोष कम भयो ।
अमेरिका पनि त्यती खुसी छैन
२००७ मा अमेरिका तेस्रो नम्बरमा थियो । यसपाली भने १४ औं नम्बरमा झरेको छ ।
उत्कृष्ट १० खुसी देश
१. नर्वे
२. डेनमार्क
३. आइसल्यान्ड
४. स्विजरल्यान्ड
५. फिनल्यान्ड
६. नेदरल्यान्ड
७. क्यानडा
८. न्यूजील्यान्ड
९. अष्ट्रेलिया
१०. स्विडेन
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