भारत बनाम न्यूजीलैंड: ग्रीन पार्क फेदरबेड्स और लेफ्ट-आर्म वैरायटी, एक सफलता की कहानी
भारत बनाम न्यूजीलैंड: ग्रीन पार्क फेदरबेड्स और लेफ्ट-आर्म वैरायटी, एक सफलता की कहानी
ग्रीन पार्क, कानपुर स्पिनरों के लिए बहुत अनुकूल माना जाता है। जैसा कि संख्या से पता चलता है, स्पिनरों ने 329 विकेट हासिल किए हैं, जबकि पेस ब्रिगेड ने 251 विकेट लिए हैं। भारत और न्यूजीलैंड के 23वें टेस्ट मैच के लिए मैदान पर उतरने से पहले यह सब उस स्थान पर हुआ जहां जनवरी 1992 में इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट खेला गया था।
स्पिनरों में बाएं हाथ की फिंगर स्पिन वैरायटी में 102 स्कैलप हैं, जिसमें जादूगर…
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अर्जुन पुरस्कार नाम भी इसका किसी मतलब के लिए रखा गया है | भारत के महाकाव्य 'महाभारत' में पांच पांडवो में एक अर्जुन थे जिन्हे बहुत बड़ा धनुर्धर माना जाता था |एक बार उनके गुरु ने अपने सभी शिष्यों को वन में ले जाके लक्ष्य भेदने को कहा और सबको धनुष देकर एक प्रश्न किया की 'तुम्हे क्या दिख रहा है?' - सबका अलग-अलग उतर था , किसी ने कहा -'मुझे रस्सी दिख रही है' , किसी ने कहा-' मुझे चिड़िया दिख रही' और किसी ने कुछ कहा | केवल अर्जुन ही थे जिन्होंने कहा की -'मुझे चिड़िया की आँख दिख रही है' |और ये जवाब सुनकर उनके गुरु बहुत खुश हुए |
अर्जुन पुरस्कार पहला किसको मिला -
अर्जुन पुरस्कार 1961 में शुरू हुआ | जो भारत सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये दिया जाता है| ये एक व्यक्तितगत खेल पुरस्कार है | इस पुरस्कार में खिलाडियों को अर्जुन की कांस्य की प्रतिमा और 5 लाख रूपए भेट स्वरूप दिया जाता है | और 1961 ये पुरस्कार पहली बार दिया गया -पाने वालों में पहला नाम - क्रिकेट के खिलाडी -सलीम दुरानी , मैनुअल आरों को सतरंज के लिए , ल बी डी डिसूजा को बॉक्सिंग के लिए , सरबजीत सिंह को बास्केटबाल के लिए ,नंदू नाटेकर को बैडमिंटन के लिए ,गुरुचरण सिंह रंधवा को एथलीट के लिए मिला |
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भारत की 1971 की टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड पर जीत की खुशी पर सुनील गावस्कर
भारत की 1971 की टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड पर जीत की खुशी पर सुनील गावस्कर
50 साल पहले की बात है जब युवाओं और अनुभव के मेल ने भारतीय क���रिकेट के इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय लिखा था। वेस्ट इंडीज और फिर इंग्लैंड में जीत ने उस टीम को एक नई दिशा दी जिसमें नवोदित खिलाड़ी – सुनील गावस्कर – और एक अनुभवी – दिलीप सरदेसाई – ने नए मानक स्थापित किए। केनिंग्टन ओवल (लंदन) में बीएस चंद्रशेखर और क्वीन्स पार्क ओवल (पोर्ट ऑफ स्पेन) में सलीम दुरानी के तीखे मंत्रों ने एक अमिट छाप छोड़ी…
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अर्जुन पुरस्कार नाम भी इसका किसी मतलब के लिए रखा गया है | भारत के महाकाव्य 'महाभारत' में पांच पांडवो में एक अर्जुन थे जिन्हे बहुत बड़ा धनुर्धर माना जाता था |एक बार उनके गुरु ने अपने सभी शिष्यों को वन में ले जाके लक्ष्य भेदने को कहा और सबको धनुष देकर एक प्रश्न किया की 'तुम्हे क्या दिख रहा है?' - सबका अलग-अलग उतर था , किसी ने कहा -'मुझे रस्सी दिख रही है' , किसी ने कहा-' मुझे चिड़िया दिख रही' और किसी ने कुछ कहा | केवल अर्जुन ही थे जिन्होंने कहा की -'मुझे चिड़िया की आँख दिख रही है' |और ये जवाब सुनकर उनके गुरु बहुत खुश हुए |
अर्जुन पुरस्कार पहला किसको मिला -
अर्जुन पुरस्कार 1961 में शुरू हुआ | जो भारत सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये दिया जाता है| ये एक व्यक्तितगत खेल पुरस्कार है | इस पुरस्कार में खिलाडियों को अर्जुन की कांस्य की प्रतिमा और 5 लाख रूपए भेट स्वरूप दिया जाता है | और 1961 ये पुरस्कार पहली बार दिया गया -पाने वालों में पहला नाम - क्रिकेट के खिलाडी -सलीम दुरानी , मैनुअल आरों को सतरंज के लिए , ल बी डी डिसूजा को बॉक्सिंग के लिए , सरबजीत सिंह को बास्केटबाल के लिए ,नंदू नाटेकर को बैडमिंटन के लिए ,गुरुचरण सिंह रंधवा को एथलीट के लिए मिला |
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अर्जुन पुरस्कार - ये मिलता क्यों है ये कब शुरू हुआ ?
अर्जुन पुरस्कार नाम भी इसका किसी मतलब के लिए रखा गया है | भारत के महाकाव्य 'महाभारत' में पांच पांडवो में एक अर्जुन थे जिन्हे बहुत बड़ा धनुर्धर माना जाता था |एक बार उनके गुरु ने अपने सभी शिष्यों को वन में ले जाके लक्ष्य भेदने को कहा और सबको धनुष देकर एक प्रश्न किया की 'तुम्हे क्या दिख रहा है?' - सबका अलग-अलग उतर था , किसी ने कहा -'मुझे रस्सी दिख रही है' , किसी ने कहा-' मुझे चिड़िया दिख रही' और किसी ने कुछ कहा | केवल अर्जुन ही थे जिन्होंने कहा की -'मुझे चिड़िया की आँख दिख रही है' |और ये जवाब सुनकर उनके गुरु बहुत खुश हुए |
अर्जुन पुरस्कार पहला किसको मिला -
अर्जुन पुरस्कार 1961 में शुरू हुआ | जो भारत सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये दिया जाता है| ये एक व्यक्तितगत खेल पुरस्कार है | इस पुरस्कार में खिलाडियों को अर्जुन की कांस्य की प्रतिमा और 5 लाख रूपए भेट स्वरूप दिया जाता है | और 1961 ये पुरस्कार पहली बार दिया गया -पाने वालों में पहला नाम - क्रिकेट के खिलाडी -सलीम दुरानी , मैनुअल आरों को सतरंज के लिए , ल बी डी डिसूजा को बॉक्सिंग के लिए , सरबजीत सिंह को बास्केटबाल के लिए ,नंदू नाटेकर को बैडमिंटन के लिए ,गुरुचरण सिंह रंधवा को एथलीट के लिए मिला |
मैनुअल आरों
-ये पहले भारतीय सतरंज खिलाडी थे जिन्हे -इंटरनेशनल मास्टर का ख़िताब दिया गया था | और ये 9 बार सतरंज में राष्ट्रीय चैम्पियन थे |ये तमिलनाडु के थे और इन्होने अपना स्नातक प्रयागराज ( इलाहाबाद ) से किया था |1959 से 1981 के बीच 14 बार चैम्पियनशिप हुई और मैनुअल आरों उसमे 9 बार विजय रहे |इन्हे इंटरनेशनल मास्टर का ख़िताब अपने मंगोलियन प्रतिदुंदी हारने पे मिला था |और तो और इन्होने स्टेट चैम्पियनशिप भी 11 बार जीती | और आज के दौर तमिलनाडु हमारा चैस खिलाडियों का एक हब है | तमिलनाडु से ही विश्वनाथन आनंद भी है जो वर्ल्ड के 5 बार विश्वा विजेता बने | सबसे गौर करने वाली बात ये है की तीरंदाजी में अर्जुन अवार्ड कृष्णा दास को 1981 में दिया गया |
सलीम दुरानी -
एक ऐसा क्रिकेटर जो जन्मा अफगानिस्तान में और भारत के लिए खेलते हुए इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में १० विकेट लिए | इन्होने 29 टेस्ट मैच खेले | इन्होने एक फिल्म में भी परवीन बॉबी के साथ काम जिसका नाम था -चरित्र |ये भारतीय क्रिकेट के पहले अर्जुन अवार्डी है
ल बी डी डिसूजा-
बॉक्सिंग के पहले अर्जुन अवार्डी ल बी डी डिसूजा है और इनका कहना था की - मैं पहले जिस परिस्थति में था मैं उसी परिस्थति में अथक मेहनत की है | और एशियाई गेम्स के पदक विजेता थे | इन्हे स्पोर्ट कोटा से उस वक़्त में रेलवे में नौकरी मिली थी |इनके योगदान के लिए इन्हे बैडमिंटन के लिए पहले अर्जुन अवार्डी बनने का गौरव प्राप्त हुआ |
नंदू नाटेकर-
नंदू नाटेकर भारत के लिए 100 राष्ट्रीय और अंतरास्ट्रीय ख़िताब जीता अपने 15 साल के करियर में |ये इंग्लैंड चैम्पियनशिप में ८ बार पहुंचे थे | और अपनी स्पोर्ट्स अकादमी चलाते थे |इनके योगदान के लिए इन्हे बैडमिंटन के लिए पहले अर्जुन अवार्डी बनने का गौरव प्राप्त हुआ |
गुरुचरण सिंह रंधवा-
गुरुचरण सिंह रंधवा भारत के बहुत ही अच्छे एथलिट थे |इनका जन्म पंजाब में हुआ था और एथलिट में गोल्ड मैडल जीता था एशियाई गेम्स में |इन्होने दो ओलंपिक्स में भी भाग लिया था |
ये हमारे हीरो है जिन्हे हमे याद करना चाहिए किसी भी बहाने से उस समय बहुत ही कम सुविधा होने के बावजूद ये हमारे लिए खेले देश के लिए खेले | अब चाहे क्रिकेट हो या बैडमिंटन या बॉक्सिंग हो या हर तरह लोग इनसे आकर्षित हो रहे है |हमारे नये खिलाडियों को इन पुराने खिलाडियों से प्रेरणा लेनी चाहिए |भारत सरकार ने इन्हे पहले अर्जुन अवार्डी बनने का गौरव भी दिया |अभी तक ये पुरस्कार ७०० से ज्यादा लोगों को मिल चूका है |इस पुरस्कार देने का मतलब खिलाडियों का उत्साह बढ़ाना है |
पूरा जानने के लिए -https://bit.ly/2YAhMzg
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