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#सर्दियों में डिटॉक्स वॉटर
mwsnewshindi · 2 years
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वजन घटाने के लिए डिटॉक्स वॉटर: सर्दियों में फैट कम करने और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने के लिए 7 रेसिपी
वजन घटाने के लिए डिटॉक्स वॉटर: सर्दियों में फैट कम करने और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने के लिए 7 रेसिपी
हम सर्दियों के मौसम में हैं और यही वह समय है जब हमें अपने चयापचय को बढ़ावा देने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए अतिरिक्त धक्का देने की आवश्यकता होती है ताकि हम सर्दी और फ्लू को दूर रख सकें। फलों और जड़ी-बूटियों से प्रभावित, डिटॉक्स वॉटर अपने अद्भुत स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। तो वजन घटाने के लिए डिटॉक्स वॉटर पीने का सबसे अच्छा समय क्या है? विशेषज्ञों का कहना है कि हर सुबह एक…
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rohtakmedia-blog · 6 years
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शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जानिए
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शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जानिए सबकुछ : कोई गर्दन दर्द से परेशान है तो कोई कमर दर्द से तो कोई घुटने के दर्द से। एक्सपर्ट्स से पूछकर अलग-अलग तरह के दर्द के कारण, बचाव और उनके इलाज के बारे में पूरी जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह और पूजा मेहरोत्रा  ! दर्द कितनी तरह का दर्द चार तरह का होता हैः फिजियोलॉजिकल (चोट लगने या किसी बाहरी दिक्कत की वजह से), न्यूरोपैथिक (नसों में दर्द), इनफ्लेमेटरी (सूजन वाला जैसे कि कमर दर्द, घुटने का दर्द आदि) और डिसफंक्शनल पेन (जिसकी वजह समझ नहीं आती लेकिन दर्द बना रहता है)। डिसफंक्शनल पेन शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक उठता है और बहुत तेज होता है। मरीज दर्द की शिकायत करता है लेकिन डॉक्टर को दर्द की वजह का पता नहीं लग पाता। जहां तक मौसम की बात है तो सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा जोड़ों का दर्द परेशान करता है।  जोड़ों के दर्द की वजह - चोट लगना  - एक्सरसाइज न करना  - वजन बढ़ जाना  - विटामिन डी और कैल्शियम की कमी हो जाना  - सेडंटरी लाइफस्टाइल यानी दिन भर ज्यादातर वक्त एक ही जगह बैठे रहना  - घंटों कंप्यूटर पर काम करना  - गलत पॉश्चर यानी झुककर बैठना, गलत तरीके से लेटना या चलना  - घंटों ड्राइव करना  - बेहद कम तापमान में लंबे समय तक रहना  - जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक का ज्यादा सेवन  - बहुत ज्यादा तनाव लेना, हमेशा हड़बड़ी में रहना  - गर्दन और कान के बीच फोन लगाकर लंबी बात करना  - मोटा या सख्त तकिया इस्तेमाल करना  - बेहद नर्म गद्दे पर सोना  इन्हे भी पढ़े :- भूलकर भी अखबार में न लपेटें खाना समझें दर्द के साइकल को शुरू में दर्द हल्का होता है और हम उसे नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन ऐसा करने से आगे जाकर दर्द क्रॉनिक हो जाता है और धीरे-धीरे उसे सहने की क्षमता भी कम हो जाती है। दर्द आमतौर पर जोड़ों से शुरू होता है यानी शरीर का जो भी अंग आसानी से मुड़ता है या जिसमें अकड़न होती है जैसे कि कोहनी, कलाई, घुटना, गर्दन, कमर, उंगलियां, टखने आदि में दर्द जल्दी होता है।  सर्वाइकल यानी गर्दन का दर्द युवाओं में दर्द का बड़ा कारण सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइसिस है। इसमें दर्द सबसे ज्यादा गर्दन को प्रभावित करता है और समय पर इलाज न कराने पर यह दर्द बढ़ता हुआ हाथ और कमर तक पहुंच जाता है। इससे रीढ़ की हड्डी में धीरे-धीरे सूजन आ जाती है या वह अकड़ जाती है। इसे इनक्लोसिंग स्पॉन्डिलाइसिस कहते हैं। कुछ युवाओं की गर्दन पीछे थोड़ी उठी-सी दिखती है। वे डिस्क बल्ज से पीड़ित होते हैं। इनमें गलत पॉश्चर या लगातार बैठने से हड्डी शेप बदलकर नया आकार लेती है। ऐसे लोगों को गर्दन में समय-समय पर तेज दर्द होता है। अगर आप इससे पीड़ित हैं तो गर्दन को आगे की ओर झुकाने से बचें।  कमर का दर्द कमर में दर्द दो तरह का होता है - पहला : अचानक हुआ तेज दर्द (एक्यूट पेन) और दूसरा : लंबे वक्त से हो रहा दर्द (क्रॉनिक पेन)। एक्यूट पेन अक्सर ज्यादा वजन उठाने या किसी नस के खिंचने से होता है। इसमें कमर में एक चुभन-सी महसूस होती है। कई बार यह आराम करने, सिकाई करने और बाम आदि लगाने से दो-चार दिन में अपने आप ठीक हो जाता है। क्रॉनिक पेन लंबे समय तक रहता है और उसका पूरा और सही इलाज जरूरी है। कमर दर्द के साथ साइटिका का दर्द भी जुड़ा है। साइटिका सबसे बड़ी नर्व है जोकि कमर से लेकर पंजे तक जाती है। अगर यह कहीं दब जाती है तो तेज दर्द शुरू हो जाता है। हां, दर्द होने के फौरन बाद कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं, मसलन वजन न उठाएं, आगे की ओर न झुकें। झुकना ही हो तो घुटनों के बल बैठें। फिर सामान उठाएं। बिस्तर से उठते हुए पहले करवट लें और फिर उठें।  घुटने का दर्द पहले घुटने में दर्द की शिकायत 50 पार के लोग करते थे लेकिन अब 30-35 साल की उम्र में ही लोगों के घुटने जवाब देने लगे हैं। वजन बढ़ने के अलावा ऑटोइम्यून बीमारी भी घुटने के दर्द की वजह बनती हैं। घुटने में दर्द हो जाए तो डॉक्टर की बताई एक्सरसाइज जरूर करें क्योंकि घुटना कमजोर होने से पैरों की मसल्स भी कमजोर होने लग जाती हैं। धीरे-धीरे दर्द कमर तक और फिर स्पाइन तक भी पहुंच सकता है। घुटनों में घिसावट है तो कुछ महीने ग्लूकोसामाइन और कोंड्रोटिन सल्फेट के कैप्सूल ले सकते हैं। यह डाइट सप्लिमेंट है। कब और कितना लेना है, इसके लिए डॉक्टर की सलाह लें। घुटने का दर्द ज्यादा होने पर घुटने में चिकनाई बढ़ाने के लिए इंजेक्शन भी दिए जाते हैं। इंजेक्शन दो तरह के होते हैं: एक स्टेरॉयड वाले और दूसरे प्रोटीन (विस्कस) वाले। स्टेरॉयड वाले इंजेक्शन के साइड इफेक्ट्स होते हैं इसलिए इन्हें लेने से बचना चाहिए। विस्कस वाला एक इंजेक्शन करीब 10-15 हजार रुपये का होता है, जिसका असर कुछ महीने से लेकर कुछ साल तक रह सकता है। इससे भी फायदा न होने पर नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है।  दर्द के फौरन बाद क्या करें दर्द होने पर डॉक्टर RICE का फॉर्म्युला अपनाने की सलाह देते हैं। राइस यानी रेस्ट, आइस, कंप्रेसन और एलिवेशन।  रेस्टः कोई भी दर्द हो, आराम करें। घुटने के दर्द में घुटने को मोड़े नहीं। कमर दर्द में आगे को न झुकें।  आइसः जहां दर्द है, वहां बर्फ से सिकाई करें।  कंप्रेसनः दर्द वाली जगह को बैंडेज से बांध लें। ज्यादातर घुटने, कोहनी आदि में दर्द के लिए यह इस्तेमाल किया जाता है। ध्यान रखें कि बैंडेज न बहुत टाइट हो और न ही ढीला।  एलिवेशनः पैर दर्द में एलिवेशन बहुत कारगर इलाज है। लेटते वक्त पैर के नीचे तकिया रखें जिससे पैर और घुटना थोड़ा ऊंचा रहे।  नोट: सूजन है, दर्द है तो कुछ दिन के लिए एक्सरसाइज बंद कर दें। जब दर्द ठीक हो जाए तो एक्सरसाइज फिर से शुरू करें और कमर व घुटने को फिर से पहले की तरह की मोड़ना शुरू करें क्योंकि अगर हम अपने शरीर के किसी अंग को पूरा इस्तेमाल नहीं करते तो उसमें अकड़न आ जाती है और फिर वह मुड़ नहीं पाता।  दर्द है तो सावधानी बरतें - विशेषज्ञ की देखरेख में ही एक्सरसाइज और योग करें।  - घुटनों को मोड़ने से बचें। लिफ्ट का इस्तेमाल करें।  - पालथी मारकर न बैठें।  - जमीन पर बैठने से बचें। जमीन पर बैठने के दौरान घुटनों पर दबाव बढ़ता है।  - 15-20 मिनट से ज्यादा एक ही पोजिशन में बैठने से बचें। एक जगह पर खड़े तो 5-10 मिनट से ज्यादा बिल्कुल न हों।  - ऑफिस में हर आधे घंटे या एक घंटे में सीट छोड़कर 5-7 मिनट के लिए घूमे-फिरें। बॉडी को स्ट्रेच करें।  - महिलाएं ऊंची हील की सैंडिल पहनने से बचें। इससे एड़ी़, घुटने और पिंडलियों के साथ कमर पर भी असर पड़ता है।  - जिन्हें सर्दियों में दर्द परेशान करता हो, वे सर्दियों में या ठंडी जगहों पर खुद को अच्छी तरह ढककर रखें।  पेनकिलर लें या नहीं आमतौर पर किसी भी दर्द को खत्म करने के लिए हम पेनिकलर ले लेते हैं लेकिन यह सही तरीका नहीं है। ऐसा करने से दर्द सिर्फ दब जाता है, खत्म नहीं होता। बहुत दर्द हो तो पैरासिटामॉल 500 एमजी (क्रोसिन, पैरासिटामोल आदि) ले सकते हैं क्योंकि यह सेफ है। जरूरत लगने पर छह घंटे में दोबारा ले सकते हैं। एक दिन में 2 ग्राम तक लेना सेफ है लेकिन 2-3 दिन तक आराम न आए तो डॉक्टर को दिखाएं। दूसरी कोई पेनकिलर लेने से बचें क्योंकि उनका साइड इफेक्ट होता है। वैसे साल में 12 से ज्यादा पेनकिलर न लें, वरना किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। पेन-किलर क्रीम या जेल: कितने असरदार पेन-किलर क्रीम: ये ऑयल बेस्ड होती हैं और ज्यादा सफेद रंग में आती हैं। ये ज्यादा जज्ब नहीं होती इसलिए इन्हें लगाकर हल्का रगड़ना होता है।  पेन-किलर जेल: ये वॉटर बेस्ड होते हैं और ट्रांसपैरंट होते हैं। ये आसानी से जज्ब हो जाते हैं और इन्हें लगाकर ज्यादा रगड़ना नहीं होता।  पेन-किलर स्प्रे: ये स्प्रे के रूप में होते हैं और इन्हें लगाकर मसाज नहीं करनी होती। ये फौरन राहत के लिए होते हैं।  दर्दनाशक तेल: ये ज्यादा आयुर्वेदिक होते हैं। आयुर्वेद के एक्सपर्ट दावा करते हैं कि इनमें कई तरह की जड़ी-बूटियां होती हैं, जोकि दर्द में राहत देती हैं।  कितने फायदेमंद: जानकारों का मानना है कि फौरी राहत के लिए पेनकिलर जेल (वॉलिनी, मूव, डीएफओ आदि) लगाकर हल्की मसाज कर सकते हैं। ज्यादा नहीं रगड़ें, वरना जलन बढ़ जाएगी। जेल या क्रीम लगाकर किसी कपड़े से ढक दें ताकि गर्मी मिले। इनसे फौरी राहत जरूर महसूस होती है लेकिन ये परमानेंट इलाज के लिए नहीं हैं। वैसे भी मसाज करने से उस हिस्से की नसें रिलैक्स होती हैं। ऐसे में किसी भी आम तेल से हल्के हाथ से मालिश कर सकते हैं।  कब करें ठंडी सिकाई, कब गर्म ठंडी सिकाई: दर्द में सिकाई से राहत मिलती है। अगर चोट ताजा है, प्रभावित जगह लाल और सूजी हुई है तो ��र्फ से सिकाई करें।  गर्म सिकाई: अगर चोट पुरानी है, चोटिल जगह में अकड़न है तो गर्म पानी से सिकाईं करें। वह जगह नरम पड़ जाएगी और आराम मिलेगा।  गर्म-ठंडी, दोनों सिकाई: अगर किसी जगह पर ब्लड सप्लाई बढ़ाने की जरूरत है तो गर्म और ठंडी सिकाई बारी-बारी से करने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर सुबह उठकर एड़ी में होने वाले दर्द में यह सिकाई की जाती है। गर्म से शुरू करें और गर्म पर ही खत्म करें। कुल 6 बार गर्म और 5 बार ठंडा करें। हर बार 30 सेकंड के लिए सिकाई करें।  कितनी बार, कितनी देर: सिकाई दिन में दो बार, करीब 15-15 मिनट के लिए करें।  किससे करें: सिकाई वॉटर बॉटल, कपड़ा या सिंपल हॉट जेल पैक से कर सकते हैं। हॉट जेल पैक केमिस्ट के पास मिल जाएंगे। बिजली से चलनेवाले हॉट पैक न यूज करें। इनसे जल जाने का खतरा है।  कब दिखाएं ऑर्थोपीडिक डॉक्टर को  अगर दर्द फ्रेक्चर की वजह से है या दर्द के साथ सूजन है, लालिमा है या गर्माहट है, या फिर दर्द के साथ बुखार है और वजन कम हो रहा है या रात में तेज दर्द होता है तो फौरन ऑर्थोपीडिक डॉक्टर को दिखाएं।  फिजियोथेरपिस्ट के पास कब जाएं अगर कोई भी दर्द मूवमेंट यानी चलने-फिरने या हिलने-डुलने पर बढ़े, सॉफ्ट टिश्यू इंजरी जैसे कि चलते हुए पैर मुड़ जाना, सोते हुए कमर या गर्दन मुड़ जाना आदि हो तो फिजियोथेरपिस्ट के पास जाना चाहिए। फिजियोथेरपिस्ट जितने दिन की थेरपी और एक्सरसाइज बताए, जरूर करें। बीच में थेरपी बंद न करें क्योंकि दर्द जल्दी चला जाता है लेकिन बीमारी को पूरी तरह ठीक होने में महीनों लग जाते हैं।  आयुर्वेद में दर्द का इलाज आयुर्वेद में दर्द के इलाज में खान-पान पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। खाने में कोई भी गरिष्ठ चीज जैसे कि बैंगन, आलू, उड़द दाल सहित सभी साबुत दालें, ठंडी चीजें मना होती हैं। दर्द के हिसाब से पंचकर्म, पोटली मसाज आदि दी जाती है।  अगर मरीज सर्वाइकल से पीड़ित है तो उसे ग्रीवा वस्ती थेरपी से ठीक किया जाता है जिसमें उड़द और गेहूं के आटे को गूंथ कर गर्दन में पीछे गोल कर रखा जाता है औऱ फिर गोल घेरे के अंदर दर्दनिवारक गुनगुने तेल से थेरपी दी जाती है। यह काम पूरा एक घंटे का होता है। हर सात दिन पर यह थेरपी दी जाती है।  - घुटने और कमर के दर्द के लिए जानू वस्ती और कटि वस्ती थेरपी का इस्तेमाल किया जाता है। लीफ डिटॉक्स थेरपी भी इन दर्द में कारगर साबित होती है।  - ह��� थेरपी के लिए 2000 से 3000 रुपये तक का खर्च आता है।  -आयुर्वेद में दवा, मालिश और लेप को मिलाकर विटामिन डी की कमी से होनेवाले दर्द का इलाज किया जाता है। आमतौर पर इलाज का नतीजा सामने आने में 3 महीने लग जाते हैं।  - पूरे शरीर पर तेल की धारा डालते हैं। इसके लिए क्षीरबला तेल, धनवंतरम तेल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसे 40 मिनट रोजाना और 5 दिन लगातार करते हैं। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं।  - महिलाएं सुबह और शाम शतावरी की एक-एक टैब्लेट लें। वैसे तो किसी भी उम्र में ले सकते हैं लेकिन मिनोपॉज के बाद जरूर लें।  - रोजाना एक चम्मच मेथी दाना भिगोकर खाएं। मेथी दर्दनिवारक है और हड्डियों के लिए अच्छी है।  - एक कप गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर पिएं।  - रोजाना एक चम्मच बादाम का तेल (बादाम रोगन) एक कप दूध में डालकर पिएं।  दर्द भगाए योग - गर्दन, साइटिका और कमर दर्द के लिए भुजंगासन, चक्रासन, शलभासन, धनुरासन कारगर हैं, वहीं ऑफिस में काम के दौरान चलित ताड़ासन यानी हर घंटे बाद 10 कदम आगे और 10 कदम पीछे चलने से बहुत आराम मिलता है। घुटने के दर्द वाले याद रखें कि वज्रासन बिलकुल नहीं करना है।  -अनुलोम-विलोम और कपालभाति काफी फायदेमंद हैं। सोने से पहले शवासन भी कई तरह के दर्द से आराम दिलाता है।  इन्हे भी पढ़े :- गद्दारो के जाने से पार्टी में जुड़ने लगे सामाजिक और राजनीतिक लोग : अभय घरेलू नुस्खे अपनाएं - किसी भी तरह के दर्द से निपटने के लिए एक गिलास गाय के गुनगुने दूध में एक छोटी चम्मच हल्दी और गाय के घी की पांच बूंदे रात में नियमित पीने से फायदा होता है।  - सोयाबीन, अंडे का पीला हिस्सा, फ्लैक्स सीड्स, सफेद तिल और आवंले का सेवन लाभकारी है।  - रात में खाना खाने के करीब आधे घंटे बाद करीब आधा गिलास गुनगुना पानी पीने से भी लाभ होता है।  - माइग्रेन में गाय के घी को गुनगुना कर दो-दो बूंदें नाक में डालने से बहुत आराम मिलता है। यह सर्वाइकल के दर्द में भी मदद करता है।  - गाय के घी में सेंधा नमक डाल कर दर्द वाली जगह पर मसाज करने से भी काफी फायदा होता है।  दर्द से ऐसे बचें  1. ऐक्टिव रहें, एक्सरसाइज करें - हमारा शरीर इस तरह से बना है कि सारे जोड़ चलते रहें। जरूरी है कि हम नियमित एक्सरसाइज करें और जितना मुमकिन हो, चलें। एक्सरसाइज में कार्डियोवस्क्युलर, स्ट्रेंथनिंग और स्ट्रेचिंग को मिलाकर करें। कार्डियो के लिए साइकलिंग, स्वीमिंग या डांस, स्ट्रेंथनिंग के लिए वेट लिफ्टिंग और स्ट्रेचिंग के लिए योग करें। वैसे, वॉक अपनेआप में संपूर्ण एक्सरसाइज है।  - अगर घुटने की समस्या नहीं है तो ब्रिस्क वॉक करें। ब्रिस्क वॉक में मोटेतौर पर 1 मिनट में 40-50 कदम चलते हैं। वैसे नॉर्मल वॉक (1 मिनट में लगभग 80 कदम) करना सबसे सेफ है। इससे घुटनों पर असर नहीं पड़ता। रोजाना कम-से-कम 3 किमी जरूर चलें।  - बीच-बीच में कलाइयों, घुटनों आदि को स्ट्रेच करते रहें। कमर को भी घुमाएं। साथ ही, जितना मुमकिन हो, अपना काम खुद करें और वजन कंट्रोल में रखें।  - जिन्हें पुराने दर्द परेशान करते हैं या सर्दियों में दर्द बढ़ जाता है, उन्हें तो एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। कसरत से हमारे शरीर में मसल्स ऐक्टिव होती हैं, खून का दौरा बढ़ता है और इससे शरीर कुदरती तौर पर गर्म रहता है। ये लोग खासतौर पर पीटी जैसी एक्सरसाइज करें। ठंड की वजह से सुबह बाहर नहीं निकलना चाहते तो शाम को घूमने जाएं।  शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जानिए सबकुछ स्त्रोत : navbharattimes छायाचित्र भिन्न हो सकता है Read the full article
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