#सब बाहर जाएं
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चाहिए थोड़ा दुख
खबरें देखता रहता हूं दिन भर और
कुछ नहीं लिखता मैं
देखता हूं रील, तस्वीर और वीडियो
दूसरों का नाच गाना सोना नहाना
सब कुछ पर बेमन
सीने में जाने किसका है वजन
जो काटे नहीं कटता वक्त की तरह
गोकि मैं हूं बहुत बहुत व्यस्त और
ऐसा सिर्फ दिखाने के लिए नहीं है चूंकि
मैं फोन नहीं उठाता किसी का
मैं वाकई व्यस्त हूं, और जाने
किन खयालों में मस्त हूं कि अब
कुछ भी छू कर नहीं जाता
निकल लेता है ऊपर से या नीचे से
या दाएं से और बाएं से
सर्र से पर मेरी रूह को तो छोड़ दें
त्वचा तक को कष्ट नहीं होता।
ये जो वजन है
यही दुख का सहन है
��ैसे कारण कम नहीं हैं दुखी होने के
दूसरी सहस्राब्दि के तीसरे दशक में, लेकिन
दुख की कमी अखरती है रोज-ब-रोज
जबकि समृद्धि इतनी भी नहीं आई
कि खा पी लें दो चार पुश्तें
या फिर कम से कम जी जाएं विशुद्ध
हरामखोर बन के ही बेटा बेटी
या अकेले मैं ही।
मैंने सिकोड़ लिया खुद को बेहद
तितली से लार्वा बनने के बाद भी
फोन आ जाते हैं दिन में दो चार
और सभी उड़ते हुए से करते हैं बात
चुनाव आ गया बॉस, क्या प्लान है
मेरा मन तो कतई म्लान है यह कह देना
हास्यास्पद बन जाने की हद तक
संन्यस्त हो जाने की उलाहना को आमंत्रित करता
बेकल आदमी का एकल गान है।
एक कल्पना है
जिसका ठोस प्रारूप कागज पर उतारना
इतना कठिन है कि महीनों हो गए
और इतना आसान, कि लगता है
एक रोज बैठूंगा और लिख दूंगा
रोज आता है वह एक रोज
और बीत जाता है रोज
अब उसकी भी तीव्रता चुक रही है
तारीख करीब आ रही है और धौंकनी
धुक धुक रही है
कि क्या 4 जून के बाद भी करते रहना होगा
वही सब चूतियापा
जिसके सहारे काट दिए दस साल
अत्यंत सुरक्षित, सुविधाजनक
बिना खोए एक क्षण भी आपा
बदले में उपजा लिए कुछ रोग जिन्हें
डॉक्टर साहब जीवनशैली जनित कहते हैं
जबकि इस बीच न जीवन ही खास रहा
न कोई शैली, सिवाय खुद को
बचाने की एक अदद थैली
आदमी से बन गए कंगारू
स्वस्थ से हो गए बीमारू
कीड़े पनपते रहे भीतर ही भीतर
बाहर चिल्लाते रहे फासीवाद और
भरता रहा मन में दुचित्तेपन का
गंदा पीला मवाद।
यार, ऐसे तो नहीं जीना था
सिवाय इस राहत के कि
जीने की भौतिक परिस्थितियां ही
गढ़ती हैं मनुष्य को
यह दलील चाहे जितना डिस्काउंट दे दे
लेकिन मन तो जानता है (न) कि
दुनिया के सामने आदमी कितनी फानता है
और घर के भीतर चादर कितनी तानता है।
अगर ये सरकार बदल भी जाए तो क्या होगा मेरा
यही सोच सोच कर हलकान हुआ जाता हूं
जबकि सभी दोस्त ठीक उलटा सोच रहे हैं
जरूरी नहीं कि दोस्त एक जैसा सोचें
बिलकुल इसी लोकतांत्रिक आस्था ने दोस्त
कम कर दिए हैं और जो ��च रहे हैं
वे फोन करते हैं और मानकर चलते हैं
मैं उनके जैसी बात कहूंगा हुंकारी भरूंगा
मैं तो अब किसी को फोन नहीं करता
न बाहर जाता हूं मिलने
बहुत जिच की किसी ने तो घर
बुला लेता हूं और जानता हूं कि
दस में से दो आ जाएं तो बहुत
इस तरह कटता है मेरा क्लेश और
बच जाता है वक्त
चूंकि मैं हूं बहुत बहुत व्यस्त
बचे हुए वक्त में मैं कुछ नहीं करता
यह जानते हुए भी लगातार लोगों से बचता
फिरता हूं क्योंकि वे जब मिलते हैं तो
ऐसा लगता है कि बेहतर होता कुछ न करते
घर पर ही रहते और ऐसा
तकरीबन हर बार होता है
हर दिन बस यही संतोष
मुझे बचा ले जाता है
कि मेरा खाली समय कोई बददिमाग
पॉलिटिकली करेक्ट
बुनियादी रूप से मूर्ख और अतिमहत्वाकांक्षी
लेकिन अनिवार्यत: मुझे जानने वाला मनुष्य
नहीं खाता है।
लोगों को ना करते दुख होता है
ना नहीं करने के अपने दुख हैं
आखिर कितनों की इच्छाओं, महत्वाकांक्षाओं
और मूर्खतापूर्ण लिप्साओं की आत्यंन्तिक रूप से
मौद्रिक परियोजनाओं में
आदमी कंसल्टेंट बन सकता है एक साथ?
आपके बगैर तो ये नहीं होगा
आपका होना तो जरूरी है
रोज दो चार लोग ऐसी बातें कह के मुझे
फुलाते रहते हैं और घंटे भर की ऊर्जा
उनके निजी स्वार्थों की भेंट चढ़ जाती है
इतने में दस आदमी कांग्रेस से भाजपा में और
चार आदमी भाजपा से कांग्रेस में चले जाते हैं
हेडलाइन बदल जाती है
किसी के यहां छापा पड़ जाता है
तो किसी को जेल हो जाती है
फिर अचानक कोई ऐसा नाम ट्रेंड करने लगता है
जिसे जानने में बची हुई ऊर्जा खप जाती है।
मुझे वाकई ये बातें जानने का शौक नहीं
ज्यादा जरूरी यह सोचना है कि अगले टाइम
क्या छौंकना है लौकी, करेला या भिंडी
और किस विधि से उन्हें बनना है
यह और भी अहम है पर संतों के कहे
ये दुनिया एक वहम है और मैं
इस वहम का अनिवार्य नागरिक हूं
और औसत लोगों से दस ग्राम ज्यादा
जागरिक हूं और यह विशिष्टता 2014 के बाद
अर्जित की हुई नहीं है क्योंकि उससे पहले भी
मैं जग रहा था जब सौ करोड़ हिंदू
सो रहा था इस देश का जो आज मुझसे
कहीं ज्यादा जाग चुका है और
मेरे जैसा आदमी बाजार से भाग चुका है
भागा हुआ आदमी घर में दुबक कर
खबरें ही देख सकता है और गाहे-बगाहे सजने वाली
महफिलों में अपने प्रासंगिक होने के सुबूत
उछाल के फेंक सकता है।
दरअसल मैं इसी की ��ैयारी करता हूं
इसीलिए खबरें देखता रहता हूं
पर लिखता कुछ नहीं
बस देखता हूं दूसरों का नाच गाना
सोना नहाना सब कुछ
नियमित लेकिन बेमन।
कब आ जाए परीक्षा की घड़ी
खींच लिया जाए सर���बाजार और
पूछ दिया जाए बताओ क्या है खबर
और कह सकूं बेधड़क मैं कि सरकार बहादुर
गरीबों में बांटने वाले हैं ईडी के पास आया धन।
छुपा ले जाऊं वो बात जो पता है
सारे जमाने को लेकिन कहने की है मनाही
कि एक स्वतंत्र देश का लोकतांत्रिक ढंग से
चुना गया प्रधानमंत्री कर रहा था सात साल से
धनकुबेरों से हजारों करोड़ रुपये की उगाही
खुलवाकर कुछ लाख गरीबों का खाता जनधन।
सच बोलने और प्रिय बोलने के द्वंद्व का समाधान
मैंने इस तरह किया है
बीते बरसों में जमकर झूठ को जिया है
स्वांग किया है, अभिनय किया है
जहां गाली देनी थी वहां जय-जय किया है
और सीने पर रख लिया है एक पत्थर
विशालकाय
अकेले बैठा पीटता रहता हूं छाती हाय हाय
कि कुछ तो दुख मने, एकाध कविता बने
लगे हाथ कम से कम भ्रम ही हो कि वही हैं हम
जो हुआ करते थे पहले और अकसर सोचा करते थे
किसके बाप में है दम जो साला हमको बदले।
ये तैंतालीस की उम्र का लफड़ा है या जमाने की हवा
छूछी देह ही बरामद हुई हर बार जब-जब
खुद को छुवा
हर सुबह चेहरे पर उग आती है फुंसी गोया
दुख का निशान देह पर उभर आता हो
मिटाने में जिसे आधा दिन गुजर जाता हो
दुख हो या न हो, दिखना नहीं चाहिए
ऐसी मॉडेस्टी ने हमें किसी का नहीं छोड़ा
भरता गया मवाद बढ़ता गया फोड़ा
अल्ला से मेघ पानी छाया कुछ न मांगिए
बस थोड़ा सा जेनुइन दुख जिसे हम भी
गा सकें, बजा सकें और हताशाओं के
अपने मिट्टी के गमले में सजा सकें
और उसे साक्षी मानकर आवाहन करें
प्रकृति का कि लौट आओ ओ आत्मा
कम से कम कुछ तो दो करुणा कि
स्पर्श कर सकें वे लोग, वे जगहें, वे हादसे
जिनकी खबरें देखता रहता हूं मैं
दिन भर और कुछ भी नहीं लिख पाता।
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दिवाली के बाद शरीर को डिटॉक्स कैसे करें ?
साल का अक्टूबर और नवंबर महीने त्योहारों से भरे रहे। नवरात्रे, गणेश पूजा, दुर्गा पूजा, दशहरा, धनतेरस, दिवाली और भाई दूज के साथ साथ कई तरह के त्यौहार हम सभी के जीवन में खुशियां और यादें छोड़ गए। इस पूरे महीने बहुत से त्यौहार होने के कारण हम सभी के घरो में कई अलग अलग दिन भिन्न भिन्न प्रकार के पकवान बने। साथ ही हम से ज्यादातर लोग मिलने मिलाने के लिए अपने ऑफिस, रिश्तेदारों और परिचितों के घर भी गए, जहाँ हमने ऐसे ही पकवानो और पेय का स्वाद लिया होगा।
हालाँकि इस दौरान हम सभी हम चाह न चाह कर कई ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन भी कर लेते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं होते। ऐसे खाद्य पदार्थो मे अधिक तेल, मसाले और शक्कर से भरे खाद्य पदार्थ तली-भुनी चीजें जैसे समोसे, कचौड़ी,पूड़ी तेल, मैदा और चीनी से बनी चीज़ें आदि हो सकती हैं। यह सभी पकवान खाने मे तो स्वादिष्ट होते हैं पर शरीर और सेहत को कई प्रकार से नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये न केव�� कोलेस्ट्रॉल बढाती है और हमारे लिवर के लिए बहुत नुकसानदेय होते हैं। इन दिनों शरीर थोड़ा अनहेल्दी हो जाता है और उसे डिटॉक्स करने की ज़रूरत पड़ती है।
यह भी पढ़ें: लिवर डिटॉक्स के लिए 6 अच्छे फूड्स आइये इस ब्लॉग मे हम सब जानेंगे कि दिवाली के बाद कैसे करें शरीर को डिटॉक्स कैसे करें।
बैलेंस डाइट शुरू करें
अब कुछ दिनों के लिए तला भुना और बाहर का खाना छोड़ देना चाहिए और बैलेंस डाइट शुरू करनी चाहिए। घर पर बना शुद्ध खाना खाएं। ध्यान रहे खाने मे प्रचुर मात्रा मे फाइबर्स हों, साथ ही फल और सब्जियां खूब खाएं। अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा हरी और पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। इससे आपको भरपूर न्यूट्रिशन भी मिलेंगे और डाइजेशन भी बेहतर बना रहेगा। ये आपके लिवर को स्वस्थ रखने और डिटॉक्स करने के लिए भी लाभदायक होता है।
खूब पानी पिएं
पानी पीना शरीर को डिटॉक्स करने के सबसे अच्छा तरीका है। दिवाली के बाद ज्यादा से ज्यादा पानी पीना पिए। इससे शरीर हाइड्रेटेड रहता है और कई बार बाथरूम जा पाते हैं। इस प्रक्रिया से शरीर मे जमे हुए सारे टॉक्सिंस शरीर से बाहर निकल जाते हैं और शरीर अंदर से काफी हल्का और ताजा महसूस करता है। पानी के साथ साथ ताज़ा फलों का जूस और ��ेल्दी ड्रिंक्स का सेवन भी कर सकते हैं।
��ुबह उठ कर गर्म पानी से बना नींबू पानी लेना बहुत ही लाभदायक है साथ ही नारियल पानी बहुत अच्छा ऑप्शन है।
यह भी पढ़ें: लिवर डिटॉक्स के लिए 6 अच्छे फूड्स पूरी नींद लें
रोज़ाना 7-9 घंटे की आरामदायक नींद लें। ये बॉडी को डिटॉक्स और हेल्दी रखने का बहुत अच्छा और आसान तरीका है। पूरी नींद लेना शरीर को आराम देता है और एनर्जेटिक फील कराता है। याद रहे, रात को समय से सोएं और सोने से 1 घंटे पहले मोबाइल या टीवी से दूर हो जाएं।
यह भी पढ़ें: नींद स्वास्थ्य के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? मेडिटेशन करें
सुबह या शाम के किसी समय में कुछ देर 20-30 मिनट के लिए मेडिटेशन करें। इस दौरान गहरी सांस लेते रहें। ध्यान और गहरी सांस की मदद से स्ट्रेस कम होता है, दिमाग एक्टिव फील करता है, जो शरीर डिटॉक्स के लिए ज़रूरी है।
प्रोसेस्ड फूड्स कम खाएं और शुगर कम करें।
प्रोसेस्ड फूड खाना बहुत कम कर दें। साथ ही रिफाइंड शुगर और ��ृत्रिम एडिटिव्स से बने फूड आइटम्स को बहुत कम कर दें। ऐसा कम से कम 2-3 सप्ताह के लिए करें। इससे शरीर को पहले से खायी शुगर और फ़ूड से रिकवर होने का समय मिलेगा और शरीर हल्का फील करेगा।
डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी या तबियत बिगड़ने पर हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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🌷 बुजुर्गों का महत्व 🌷
आजकल बहुत लोग सोचते है की अगर कोई बूढ़ा इंसान है तो उसका कोई महत्त्व नहीं है। लेकिन आज आप लोगों को एक कहानी के माध्यम से बताना चाहता हूँ की बुजुर्गों का महत्त्व क्या है। तो चलिए दोस्तों शुरू करते है आज का कहानी "दूध की नदी"।
एक बार की बात है, एक लड़का था जिसका नाम "रवि" था और वो एक शहर में नौकरी करता था। उसके साथ एक लड़की भी काम करती थी जिसका नाम "कोमल" था। काम करते-करते ये दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और विवाह करने की सोची। फिर इन दोनों ने अपने- अपने घर में यह बात बताई, लड़के के घर वाले बहुत खुले विचार के थे तो वो बहुत जल्दी मान गए लेकिन लड़की के पिता को ये पसन्द नही था और जब लड़के के घरवाले लड़की के घर लड़की का हाथ मांगने पहुँचे तो कोमल के पिता ने एक शर्त रख दी कि बारात में कोई भी बुजुर्ग व्यक्ति नही आएगा तो सबने बिना विचारे उनकी वो शर्त मान ली और दोनों परिवार विवाह की तैयारी करने लगे।सब बहुत प्रसन्न थे क्योंकि आज वो दिन था जब रवि और कोमल का विवाह होना है। तो सब तैयार थे, अब बारात निकलने का समय आया, तभी रवि के दादा ने ज़िद पकड़ ली की वो तो बारात में जायेंगे। सब लोगों ने मना किया लेकिन वो अपने जिद्द पर अडिग ही रहे, उन्होंने कहा - "भले ही मुझे कार की डिग्गी में डाल के ले जाओ, लेकिन में जाऊंगा "। फिर सब लोगो को उनकी बात माननी पड़ी, उन्हें कार की डिग्गी में डाल दिया गया और बारात निकल पड़ी। सब नाचते गाते जा रहे थे, (कोमल के घर से थोड़े दूर में एक नदी थी जिससे पार करने के बाद एक पहाड़ आता था उसके बाद कोमल का घर), जब बारात पूल पार करने वाली थी उन्होंने देखा लड़की के मामा वहा खड़े है। बारात रुक गई, रवि के दोस्त ने कोमल के ��ामा से पूछा की "क्या हुआ? आप यहाँ क्या कर रहे है?", कोमल के मामा ने कहा की "मैं यहाँ बस तुम लोगों को यह बताने के लिए आया हूँ की अगर तुम लोग अपनी बारात हमारे गाँव मे लाना चाहते हो और ये विवाह करना चाहते हो तो हम लोगों की एक और शर्त है। और वो यह है की - ये जो नदी है इसमे तुम्हे पानी की जगह दूध बहाना होगा"। ये बोलने के बाद वो वहाँ से चले गए। तब रवि के दोस्तों ने कहा की ये असंभव है इतना दूध कहाँ से लाएंगे, अब ये विवाह नहीं हो सकता और बारात वापस जाने लगी और दूर से कोमल के मामा और पिता ये देख के हँसने लगे। बारात वापिस हो रही थी तभी एक दोस्त ने कहा विवाह तो होना नही तो दादा जी को भी डिग्गी से बाहर निकाल लो उनका भी क्यों दम घोटना। डिग्गी खोली तो दादा जी ने पूछा "क्या हुआ? हम लोग वापस क्यों जा रहे है?", रवि ने उत्तर दिया "क्योंकि दादाजी उन्होंने विवाह की एक और शर्त रखी है,,वो लोग चाहते है की इस नदी में पानी के जगह दूध बहाया जाए, जो की असंभव है "। "बस इतनी सी बात है ?", दादा जी ने कहा। सब उनकी ये बाते सुन के सोचने लगे क्या ये इतनी सी बात है? फिर बुजुर्ग दादा ने कहा "जाओ और कोमल के मामा को बोलो हमने दूध की व्यवस्था कर ली है,,अब तुम लोग इस नदी को खाली करो, जिससे हम इसमे दूध बहा सके। जब ये बात कोमल के पिता को पता लगी, उन्होंने कहा अवश्य उनके साथ कोई न कोई बुजुर्ग व्यक्ति जरूर है जिसने ये समाधान निकाला है !उसके बाद कोमल के पिता बिना शर्तो के विवाह के लिए मान गए। क्योंकि जिनके ऊपर बुजुर्गों के अनुभव की छत्र छाया होती है वह हर समस्या को बड़ी आसानी से पार कर जाते है, इसके बाद रवि और कोमल की एक अच्छे भविष्य की शुरूवात होती है। 👉शिक्षा
आप कितना भी कुछ बन जाएं या कितना भी बड़े हो जाये जो बुजुर्गों के पास जिंदगी के अनुभव है वो आपके पास नहीं। उनका आदर करे।
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::एक होमवर्क ऐसा भी::
चेन्नई के एक स्कूल ने अपने बच्चों को छुट्टियों का जो एसाइनमेंट दिया वो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है। कारण बस इतना कि उसे बड़े सोच समझकर बनाया गया है। इसे पढ़कर अहसास होता है कि हम वास्तव में कहां आ पहुंचे हैं और अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं।
अन्नाई वायलेट मैट्रीकुलेशन एंड हायर सेकेंडरी स्कूल ने बच्चों के लिए नहीं बल्कि पेरेंट्स के लिए होमवर्क दिया है, जिसे ह��� एक पेरेंट को पढ़ना चाहिए।
उ���्होंने लिखा:-
◆ पिछले 10 महीने आपके बच्चों की देखभाल करने में हमें अच्छा लगा। आपने गौर किया होगा कि उन्हें स्कूल आना बहुत अच्छा लगता है। अगले दो महीने उनके प्राकृतिक संरक्षक यानी आप उनके साथ छुट्टियां बिताएंगे। हम आपको कुछ टिप्स दे रहे हैं जिससे ये समय उनके लिए उपयोगी और खुशनुमा साबित हो।
◆- अपने बच्चों के साथ कम से कम दो बार खाना जरूर खाएं। उन्हें किसानों के महत्व और उनके कठिन परिश्रम के बारे में बताएं। और उन्हें बताएं कि उपना खाना बेकार न करें।
◆- खाने के बाद उन्हें अपनी प्लेटें खुद धोने दें। इस तरह के कामों से बच्चे मेहनत की कीमत समझेंगे।
◆- उन्हें अपने साथ खाना बनाने में मदद करने दें। उन्हें उनके लिए सब्जी या फिर सलाद बनाने दें।
◆- तीन पड़ोसियों के घर जाएं. उनके बारे में और जानें और घनिष्ठता बढ़ाएं।
◆- दादा-दादी/ नाना-नानी के घर जाएं और उन्हें बच्चों के साथ घुलने मिलने दें। उनका प्यार और भावनात्मक सहारा आपके बच्चों के लिए बहुत आवश्यक है। उनके साथ फ़ोटो लेवें।
◆- उन्हें अपने काम करने की जगह पर लेकर जाएं जिससे वो समझ सकें कि आप परिवार के लिए कितनी मेहनत करते हैं।
◆- किसी भी स्थानीय त्योहार या स्थानीय बाजार को मिस न करें।
◆- अपने बच्चों को किचन गार्डन बनाने के लिए बीज बोने के लिए प्रेरित करें। पेड़ पौधों के बारे में जानकारी होना भी आपके बच्चे के विकास के लिए जरूरी है।
◆- अपने बचपन और अपने परिवार के इतिहास के बारे में बच्चों को बताएं।
◆- अपने बच्चों का बाहर जाकर खेलने दें, चोट लगने दें, गंदा होने दें। कभी कभार गिरना और दर्द सहना उनके लिए अच्छा है। सोफे के कुशन जैसी आराम की जिंदगी आपके बच्चों को आलसी बना देगी।
◆- उन्हें कोई पालतू जावनर जैसे कुत्ता, बिल्ली, चिड़िया या मछली पालने दें।
◆- उन्हें कुछ लोक गीत सुनाएं।
◆- अपने बच्चों के लिए रंग बिरंगी तस्वीरों वाली कुछ कहानी की किताबें लेकर आएं।
◆- अपने बच्चों को टीवी, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रखें। इन सबके लिए तो उनका पूरा जीवन पड़ा है।
◆- उन्हें चॉकलेट्स, जैली, क्रीम केक, चिप्स, गैस वाले पेय पदार्थ और पफ्स जैसे बेकरी प्रोडक्ट्स और समोसे जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ देने से बचें।
◆- अपने बच्चों की आंखों में देखें और ईश्वर को धन्यवाद दें कि उन्होंने इतना अच्छा उपहार आपको दिया। अब से आने वाले कुछ सालों में वो नई ऊंचा��यों पर होंगे।
माता-पिता होने के नाते ये जरूरी है कि आप अपना समय बच्चों को दें।
★ अगर आप माता-पिता हैं तो इसे पढ़कर आपकी आंखें नम अवश्य हुई होंगी और आखें अगर नम हैं तो कारण स्पष्ट है कि आपके बच्चे वास्तव में इन सब चीजों से दूर हैं।
*इस एसाइनमेंट में लिखा एक-एक शब्द ये बता रहा है कि जब हम छोटे थे तो ये सब बातें हमारी जीवन शैली का हिस्सा थीं, जिसके साथ हम बड़े हुए हैं, लेकिन आज हमारे ही बच्चे इन सब चीजों से दूर हैं, जिसकी वजह हम खुद हैं।*
*आज के कठिन समय में बच्चों के साथ ऐसे कार्य करे जिससे उनके अंदर त्याग, समर्पण, सेवा परोपकार की भावना जागृत हो।*
🙏🙏
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28. परमात्मा से एक होना
श्रीकृष्ण स्वधर्म (2.31-2.37) और परधर्म (3.35) के बारे में बताते हैं और अंत में सभी धर्मों को त्यागकर परमात्मा के साथ एक होने की सलाह देते हैं (18.66)।
अर्जुन का विषाद उसके भय से उत्पन्न हुआ कि यदि उसने युद्ध लड़ा और अपने भाइयों को मार डाला तो उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचेगी। श्रीकृष्ण उसे कहते हैं कि युद्ध से पलायन करने पर भी वह अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि लडऩा उसका स्वधर्म है (2.34-2.36)। सब लोगों को लगेगा कि अर्जुन युद्ध में शामिल होने से डरे और युद्ध से डरना क्षत्रिय के लिए मृत्यु से भी बदतर है।
श्रीकृष्ण आगे बताते हैं कि, ‘‘स्वधर्म, भले ही दोषपूर्ण या गुणों से रहित हो, परन्तु परधर्म से बेहतर है और स्वधर्म के मार्ग में मृत्यु बेहतर है, क्योंकि परधर्म भय देने वाला है’’ (3.35)।
बाहर की ओर देखने वाली इन्द्रियों की वजह से परधर्म आसान और बेहतर लगता है खासकर जब हम सफल लोगों को देखते है। लेकिन आंतरिक स्वधर्म के लिए अनुशासन और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है और इसे धीरे-धीरे हमारे अंदर उजागर करना पड़ता है।
आमतौर पर हमारे आत्म-मूल्य की भावना दूसरों से तुलना करने से आती है। इस तुलना में अन्य बातों के अलावा हमारे प्रतिष्ठित परिवार जहां हम पैदा हुए हैं, स्��ूल में ग्रेड, नौकरी या पेशे में अच्छी कमाई और हमारे रास्ते में आने वाली शक्ति / प्रसिद्धि शामिल होते है। ऐसी तुलना से हम खुद को दूसरों से बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। परन्तु श्रीकृष्ण के लिए, हर कोई अद्वितीय है और अपने स्वधर्म के अनुसार अद्वितीय रूप से खिलेगा। उनका कहना है कि जबकि सभी में अव्यक्त एक ही है, प्रत्येक प्रकट अस्तित्व अद्वितीय है।
अंत में, श्रीकृष्ण हमें परामर्श देते हैं कि हम सभी धर्मों को त्याग दें और उनकी शरण में चले जाएं क्योंकि वे हमें सभी पापों से मुक्त कर देंगे (18.66)। यह भक्ति योग में समर्पण के समान है और आध्यात्मिकता की नींव है।
जिस प्रकार एक नदी समुद्र का हिस्��ा बनने पर अपने स्वधर्म को खो देती है, उसी तरह हमें भी परमात्मा के साथ एक होने के लिए अहंकार और स्वधर्म को खोना पड़ेगा।
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Today's Horoscope -
मेष दैनिक राशिफल (Aries Daily Horoscope)
मेष राशि के जातकों के लिए आज दिन नुकसानदेह रहेगा। पारिवारिक बातों को घर के बाहर न आने दें। आप यदि कहीं घूमने फिरने जाएं, तो उसमें अपने खान-पान पर पूरा ध्यान दें। नहीं तो बाद में आपको कोई स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। ऑनलाइन काम कर रहे लोगों को कोई बड़ा ऑर्डर मिल सकता है। आप किसी नए काम की शुरुआत करेंगे, जो आपके लिए अच्छी रहेगी। आपको किसी विरोधी की बातों में आने से बचना होगा। आप अपने भाई या बहन से कोई ऐसी बात बोल सकते हैं, जो उन्हें परेशान करेगी।
वृष दैनिक राशिफल (Taurus Daily Horoscope)
आज आपको अपने बिजनेस पर ध्यान देना होगा। अन्यथा आपको नुकसान होने की संभावना है। आपको नौकरी में तरक्की मिल सकती है। जो विद्यार्थी विदेश जाकर शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं, वह आज किसी संस्था से जुड़ सकते हैं। टेक्निकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को कोई बड़ी उपलब्धि हासिल हो सकती है। आपको अपने किसी काम को लेकर भाग दौड़ अधिक करनी होगी, तभी वह पूरा होता दिख रहा है। आपकी माताजी से आप किसी बात को लेकर जिद ना करें। आप सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।
मिथुन दैनिक राशिफल (Gemini Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए प्रसन्नता भरा रहेगा। आप अपने साथियों के साथ कहीं बाहर डिनर करने जा सकते हैं। आप किसी काम को करने के लिए उतावले ना हो, नहीं तो उसमें आपसे कोई गलती हो सकती है। परिवार में किसी हर्ष व मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। किसी सदस्य को नई नौकरी मिलने से ��ाहौल खुशनुमा रहेगा। आप कार्यक्षेत्र में किसी की कोई गलती ना निकालें, नहीं तो वह आपसे ईर्ष्या का भाव रख सकते है। जीवनसाथी को करियर में तरक्की करते देख आपको प्रसन्नता होगी। आप अपनी धन संबंधी योजनाओं की कुछ बातों को गुप्त रखें।
कर्क दैनिक राशिफल (Cancer Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए बहुत ही सोच विचार कर काम करने के लिए रहेगा। आपको वाहन के प्रयोग से सावधान रहना होगा, क्योंकि वाहन की अक्समात खराबी के कारण आपका धन खर्च बढ़ सकता है। परिवार में कुछ बातों को लेकर सदस्यों में आपसी मनमुटाव रहेगा। आप किसी विशेष काम को लेकर यात्रा पर जा सकते हैं। आपको विदेश में रह रहे किसी परिजन से फोन कॉल के जरिए कोई शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है। आपको संतान की शिक्षा में आ रही समस्याओं को दूर करने की कोशिश करनी होगी। प्रेम जीवन जी रहे लोग साथी के साथ किसी काम की शुरुआत कर सकते हैं।
सिंह दैनिक राशिफल (Leo Daily Horoscope)
आज का दिन आपकी मन की इच्छा की पूर्ति के लिए रहेगा। परिवार में सब आपसे सामानता बनाए रखेंगे। किसी प्रॉपर्टी आदि की खरीदारी की आप योजना बना सकते हैं। काम का दबाव अधिक होने के कारण आपका मन काम में नहीं लगेगा। परिवार के सदस्यों के साथ किसी बात को लेकर जिद्द व अहंकार ना दिखाएं। विद्यार्थियों को पढ़ाई लिखाई में आ रही समस्याओं को दूर करने की कोशिश करनी होगी। आप अपने माताजी की सेहत के प्रति सचेत रहे।
कन्या दैनिक राशिफल (Virgo Daily Horoscope)
आज का दिन बाकी दिनों की तुलना में अच्छा रहने वाला है। आपने जिन काम को पूरा करने के बारे में विचार किया है वह पूरे होंगे। घर व बाहर लोग आपके व्यवहार के साथ आपके काम की भी प्रशंसा करते नजर आएंगे। लोगों के साथ तालमेल बनाकर चलना बेहतर रहेगा। यदि आप किसी से कोई मदद मांगेंगे, तो वह भी आपको आसानी से मिल जाएगी। यदि बिजनेस में आपका किसी से कोई विवाद चल रहा था वह भी समाप्त होगा। अपनी संतान से किए हुए वादे को पूरा करना होगा, नहीं तो वह आपसे नाराज हो सकते हैं। काम समय से पूरा होने से आपका मन प्रसन्न रहेगा। आप मित्रों के साथ किसी पार्टी आदि को करने की योजना बना सकते हैं। आपको किसी विशेष व्यक्ति से मुलाकात होगी।
तुला दैनिक राशिफल (Libra Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए लाभदायक रहने वाला है। आप किसी नए काम को लेकर भाग दौड़ अधिक करेंगे। इसमें आप अपने भाइयों से मदद ले सकते हैं। किसी विवाद के बाद कार्यक्षेत्र में अपने विचारों से माहौल को सामान्य बनाने में कामयाब रहेंगे। किसी कानूनी मामले में आप अपने विरोधियों को आसानी से मात दे पाएंगे। आपके बिजनेस की कुछ योजनाएं गति पकड़ेंगी, जिनसे आपको अच्छा लाभ मिलेगा। आपको अपने लंबे समय से रुके हुए धन की प्राप्ति हो सकती है।
वृश्चिक दैनिक राशिफल (Scorpio Daily Horoscope)
आज आप किसी अजनबी पर भरोसा न करें। आप अपने मन की किसी बात को लेकर अपने पिताजी से बातचीत कर सकते हैं। पारिवारिक विवाद आपके लिए समस्या बन सकते हैं। आपके शत्रु भी आप पर हावी रहेंगे। आपक�� काम से मन थोड़ा उ��झा रहेगा। आपका काम करने में मन कम लगेगा इसलिए आप कोई सही निर्णय नहीं ले पाएंगे। संभव हो तो किसी भी प्रकार के निर्णय से बचें। संतान को जिम्मेदारी देते समय अच्छे से विचार कर लें। आप अपनी किसी पुरानी गलती को दूसरे पर ना डालें। बिजनेस में ��पको कुछ उतार-चढ़ाव बने रहेंगे।
धनु दैनिक राशिफल (Sagittarius Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए चिंताग्रस्त रहने वाला है। व्यापार में आपके काम बिगड़ सकते हैं जिस वजह से आप परेशान रह सकते हैं। आप अपने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को अनदेखा न करें, नहीं तो बाद में वह बढ़ सकते हैं। कार्यक्षेत्र में आपको अधिकारियो से डांट खानी पड़ सकती है। आपको अपनी योजनाओं को पूरा करके आगे बढ़ाना बेहतर रहेगा, नहीं तो कोई आपको धोखा दे सकता है। आपको अपने मित्रों का पूरा साथ मिलेगा। आप किसी यात्रा पर जाएं, तो उसमें वाहन आपको सावधानी से चलना होगा।
मकर दैनिक राशिफल (Capricorn Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए खुशनुमा रहने वाला है। परिवार में किसी मांगलिक कार्यक्रम के होने से माहौल खुशनुमा रहेगा। आपका कोई बड़ा व लंबे समय से रुका हुआ काम पूरा होगा। किसी कानूनी मामले में आपको जीत मिलेगी। परिवार के सदस्यों के साथ आप कुछ समय मौज मस्ती करने में व्यतीत करेंगे। आपके मन में कोई चिंता है तो वह भी दूर होगी। आप अपने से बड़ों का सम्मान करें। आप अपने मन में सकारात्मकता बनाए रखें। यदि आपने किसी को धन उधार दिया था, तो वह भी आपको वापस मिल सकता है। आपकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा।
कुंभ दैनिक राशिफल (Aquarius Daily Horoscope)
आज का दिन किसी प्रॉपर्टी की खरीदारी करने के लिए अच्छा रहेगा। आप संतान को संस्कारों व परंपराओं का पाठ पढ़ाएगे। आप कही घूमने फिरने जाए, तो वाहन बहुत ही सावधानी से चलाएं। आपको किसी पुरानी गलती से सबक लेना होगा। माताजी से आप अपने मन की इच्छा को लेकर बातचीत कर सकते हैं। आपके कुछ विरोधी आपके खिलाफ कोई षड्यंत्र रच सकते हैं। आप अपने किसी मित्र से यदि कोई मदद मांगेंगे, तो वह भी आपको आसानी से मिल जाएगी।
मीन दैनिक राशिफल (Pisces Daily Horoscope)
आज का दिन कुछ समस्याएं लेकर आने वाला है। आपकी कोई पुरानी बीमारी फिर से उभर सकती है, इसलिए आप स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। परिवार में आप अपनी वाणी व व्यवहार पर संयम रखें, नहीं तो आपसी लड़ाई झगड़े बढ़ सकते हैं। किसी को कोई भी सलाह सोच विचार कर ही दें। अन्यथा आपको उसके लिए खरी-खोटी सुनने को मिल सकती है।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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आत्मा चित्तम भाग 6
‘अविवेक माया है।’ अविवेक का अर्थ है: भेद न कर पाना, डिसक्रिमिनेशन का अभाव, यह तय न कर पाना कि क्या हीरा है और क्या पत्थर है। जीवन के जौहरी बनना होगा। जीवन के जौहरी बनने से ही विवेक पैदा होता है। तुम्हारे पास जीवन है। और तुम खोजो। और इसको मैं खोज की कसौटी कहता हूं कि जो अपने आप चल रहा है, उसे तुम व्य��्थ जानना; और जो तुम्हारे चलाने से भी नहीं चलता है, उसे तुम सार्थक जानना। यह कसौटी है। और जिस दिन तुम्हारे जीवन में वह चलने लगे, जिसे तुम चलाना चाहते थे और जिसका चलना मुश्किल था, उस दिन समझना कि फूल आएंगे। और जिस दिन उसका उगना बंद हो जाए, जो अपने आप उगता था, समझना माया समाप्त हुई। ‘मोह आवरण से युक्त योगी को सिद्धियां तो फलित हो जाती हैं, लेकिन आत्मज्ञान नहीं होता।’ और यह व्यर्थ इतना महत्वपूर्ण हो गया है जीवन में कि जब तुम सार्थक को भी साधने जाते हो, तब भी सार्थक नहीं सधता, व्यर्थ ही सधता है। लोग ध्यान करने आते हैं, तो भी उनकी आकांक्षा को समझने की कोशिश करो तो बड़ी हैरानी होती है। ध्यान से भी वे व्यर्थ को ही मांगते हैं। मेरे पास वे आते हैं, वे कहते हैं कि ध्यान करना चाहता हूं, क्योंकि शारीरिक बीमारियां हैं। क्या आप आश्वासन देते हैं कि ध्यान करने से वे दूर हो जाएंगी? अच्छा होता, वे चिकित्सक के पास गए होते। अच्छा होता कि उन्होंने आदमी खोजा होता, जो शरीर की चिकित्सा करता। वे आत्मा के वैद्य के पास भी आते हैं तो भी शरीर के इलाज के लिए ही। वे ध्यान भी करने को तैयार हैं, तो भी ध्यान उनके लिए औषधि से ज्यादा नहीं है; और वह औषधि भी शरीर के लिए। मेरे पास लोग आते हैं, वे कहते हैं कि बड़ी कठिनाई में जीवन जा रहा है, धन की असुविधा है; क्या ध्यान करने से सब ठीक हो जाएगा? यह मोह का आवरण इतना घना है कि तुम अगर अमृत को भी खोजते हो तो जहर के लिए। बड़ी हैरानी की बात है! तुम चाहते तो अमृत हो; लेकिन उससे आत्महत्या करना चाहते हो। और अमृत से कोई आत्महत्या नहीं होती। अमृत पीया कि तुम अमर हो जाओगे। लेकिन तुम अमृत की तलाश में आते हो तो भी तुम्हारा लक्ष्य आत्महत्या का है। धन या देह, संसार का कोई न कोई अंग, वही तुम धर्म से भी पूरा करना चाहते हो। सुनो लोगों की प्रार्थनाएं, मंदिरों में जाकर वे क्या मांग रहे हैं? और तुम पाओगे कि वे मंदिर में भी संसार मांग रहे हैं। किसी के बेटे की शादी नहीं हुई है; किसी के बेटे को नौकरी नहीं मिली है; किसी के घर में कलह है। मंदिर में भी तुम संसार को ही मांगने जाते हो? तुम्हारा मंदिर सुपर मार्केट होगा, बड़ी दुकान होगा, जहां ये चीजें भी बिकती हैं, जहां सभी कुछ बिकता है। लेकिन तुम्हें अभी मंदिर की कोई पहचान नहीं। इसलिए तुम्हारे मंदिरों में जो पुजारी बैठे हैं, वे दुकानदार हैं; क्योंकि वहां जो लोग आते हैं, वे संसार के ही ग्राहक हैं। असली मंदिर से तो तुम बचोगे। मेरे एक मित्र हैं, दांत के डॉक्टर हैं। उनके घर मैं मेहमान था। बैठा था उनके बैठकखाने में एक दिन सुबह, एक छोटा सा बच्चा डरा-डरा भीतर प्रविष्ट हुआ। चारों तरफ उसने ��ौंक कर देखा। फिर मुझसे पूछा कि क्या मैं पूछ सकता हूं--बड़े फुसफुसा कर--कि डॉक्टर साहब भीतर हैं या नहीं? तो मैंने कहा, वे अभी बाहर गए हैं। प्रसन्न हो गया वह बच्चा। उसने कहा, मेरी मां ने भेजा था दांत दिखाने। क्या मैं आपसे पूछ सकता हूं कि वे फिर कब बाहर जाएंगे? बस, ऐसी तुम्हारी हालत है। अगर मंदिर तुम्हें मिल जाए तो तुम बचोगे। दांत का दर्द तुम सह सकते हो; लेकिन दांत का डॉक्टर तुम्हें जो दर्द देगा, वह तुम सहने को तैयार नहीं हो। तुम छोटे बच्चों की भांति हो। तुम संसार की पीड़ा सह सकते हो; लेकिन धर्म की पीड़ा सहने की तुम्हारी तैयारी नहीं है। और निश्चित ही धर्म भी पीड़ा देगा। वह धर्म पीड़ा नहीं देता; वह तुम्हारे संसार के दांत इतने सड़ गए हैं, उनको निकालने में पीड़ा होगी। धर्म पीड़ा नहीं देता; धर्म तो परम आनंद है। लेकिन तुम दुख में ही जीए हो और तुमने दुख ही अर्जित किया है। तुम्हारे सब दांत पीड़ा से भर गए हैं; उनको खींचने में कष्ट होगा। तुम इतने डरते हो उनको खींचे जाने से कि तुम राजी हो उनकी पीड़ा और जहर को झेलने को। उससे तुम विषाक्त हुए जा रहे हो; तुम्हारा सारा जीवन गलित हुआ जा रहा है। लेकिन तुम इस दुख से परिचित हो। आदमी परिचित दुख को झेलने को राजी होता है; अपरिचित सुख से भी भय लगता है! ये दांत भी तुम्हारे हैं। यह दर्द भी तुम्हारा है। इससे तुम जन्मों-जन्मों से परिचित हो। लेकिन तुम्हें पता नहीं कि अगर ये दांत निकल जाएं, यह पीड़ा खो जाए, तो तुम्हारे जीवन में पहली दफा आनंद का द्वार खुलेगा। तुम मंदिर भी जाते हो तो तुम पूछते हो पुजारी से, परमात्मा फिर कब बाहर होंगे, तब मैं आऊं। तुम जाते भी हो, तुम जाना भी नहीं चाहते हो। तुम कैसी चाल अपने साथ खेलते हो, इसका हिसाब लगाना बहुत मुश्किल है। निरंतर तुम्हें देख कर, तुम्हारी समस्याओं को देख कर, मैं इस नतीजे
पर पहुंचा हूं कि तुम्हारी एक ही मात्र समस्या है कि तुम ठीक से यही नहीं समझ पा रहे हो कि तुम क्या करना चाहते हो। ध्यान करना चाहते हो? यह भी पक्का नहीं है। फिर ध्यान नहीं होता तो तुम परेशान होते हो। लेकिन जो करने का तुम्हारा पक्का ही नहीं है, वह तुम पूरे-पूरे भाव से करोगे नहीं, आधे-आधे भाव से करोगे। और आधे-आधे भाव से जीवन में कुछ भी नहीं होता। व्यर्थ तो बिना भाव के भी चलता है। उसमें तुम्हें कुछ भी लगाने की जरूरत नहीं; उसकी अपनी ही गति है। लेकिन सार्थक में जीवन को डालना पड़ता है, दांव पर लगाना होता है। यह सूत्र कहता है: ‘मोह आवरण से युक्त योगी को सिद्धियां तो फलित हो जाती हैं, लेकिन आत्मज्ञान नहीं होता।’ मोह का आवरण इतना घना है कि अगर तुम धर्म की तरफ भी जाते ह�� तो तुम चमत्कार खोजते हो वहां भी। वहां भी अगर बुद्ध खड़े हों, तुम न पहचान सकोगे। तुम सत्य साईं बाबा को पहचानोगे। अगर बुद्ध और सत्य साईं बाबा दोनों खड़े हों, तो तुम सत्य साईं बाबा के पास जाओगे, बुद्ध के पास नहीं। क्योंकि बुद्ध ऐसी मूढ़ता न करेंगे कि ��ुम्हें ताबीज दें, हाथ से राख गिराएं; बुद्ध क��ई मदारी नहीं हैं। लेकिन तुम मदारियों की तलाश में हो। तुम चमत्कार से प्रभावित होते हो। क्योंकि तुम्हारी गहरी आकांक्षा, वासना परमात्मा की नहीं है; तुम्हारी गहरी वासना संसार की है। जहां तुम चमत्कार देखते हो, वहां लगता है कि यहां कोई गुरु है। यहां आशा बंधती है कि वासना पूरी होगी। जो गुरु हाथ से ताबीज निकाल सकता है, वह चाहे तो कोहिनूर भी निकाल सकता है। बस गुरु के चरणों में, सेवा में लग जाने की जरूरत है, आज नहीं कल कोहिनूर भी निकलेगा। क्या फर्क पड़ता है गुरु को! ताबीज निकाला, कोहिनूर भी निकल सकता है। कोहिनूर की तुम्हारी आकांक्षा है। कोहिनूर के लिए छोटे-छोटे लोग ही नहीं, बड़े से बड़े लोग भी चोर होने को तैयार हैं। जिस आदमी के हाथ से राख गिर सकती है शून्य से, वह चाहे तो तुम्हें अमरत्व प्रदान कर सकता है; बस केवल गुरु-सेवा की जरूरत है! नहीं, बुद्ध से तुम वंचित रह जाओगे; क्योंकि वहां कोई चमत्कार घटित नहीं होता। जहां सारी वासना समाप्त हो गई है, वहां तुम्हारी किसी वासना को तृप्त करने का भी कोई सवाल नहीं है। बुद्ध के पास तो महानतम चमत्कार, आखिरी चमत्कार घटित होता है--निर्वासना का प्रकाश है वहां। लेकिन तुम्हारी वासना से भरी आंखें वह न देख पाएंगी। बुद्ध को तुम तभी देख पाओगे, तभी समझ पाओगे, उनके चरणों में तुम तभी झुक पाओगे, जब सच में ही संसार की व्यर्थता तुम्हें दिखाई पड़ गई हो, मोह का आवरण टूट गया हो। मोह एक नशा है। जैसे नशे में डूबा हुआ कोई आदमी चलता है, डगमगाता; पक्का पता भी नहीं कहां जा रहा है, क्यों जा रहा है; चलता है बेहोशी में; ऐसे तुम चलते रहे हो। कितना ही तुम सम्हालो अपने पैरों को, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सभी शराबी सम्हालने की कोशिश करते हैं। तुम अपने को भला धोखा दे लो, दूसरों को कोई धोखा नहीं हो पाता। सभी शराबी कोशिश करते हैं कि वे नशे में नहीं हैं; वे जितनी कोशिश करते हैं, उतना ही प्रकट होता है। और यह मोह नशा है। और जब मैं कहता हूं मोह नशा है, तो बिलकुल रासायनिक अर्थों में कहता हूं कि मोह नशा है। मोह की अवस्था में तुम्हारा पूरा शरीर नशीले द्रव्यों से भर जाता है--वैज्ञानिक अर्थों में भी। जब तुम किसी स्त्री के प्रेम में गिरते हो, तो तुम्हारा पूरे शरीर का खून विशेष रासायनिक द्रव्यों से भर जाता है। वे द्रव्य वही हैं जो भांग में हैं, गांजे में हैं, एल एस डी में हैं। इसीलिए स्त्री अब, जिसके तुम प्रेम में पड़ गए हो, वह स्त्री अलौकिक दिखाई पड़ने लगती है। वह इस पृथ्वी की नहीं मालूम होती। जिस पुरुष के तुम प्रेम में पड़ जाओ, वह पुरुष इस लोक का नहीं मालूम पड़ता। नशा उतरेगा, तब वह दो कौड़ी का दिखाई पड़ेगा। जब तक नशा है! इसलिए तुम्हारा कोई भी प्रेम स्थायी नहीं हो सकता; क्योंकि नशे की अवस्था में किया गया है। वह मोह का एक रूप है। होश में नहीं हुआ है वह, बेहोशी में हुआ है। इसलिए हम प्रेम को अंधा कहते हैं। प्रेम अंधा नहीं है, मोह अंधा है। हम भूल से मोह को प्रेम समझते हैं। प्रेम तो आंख है; उससे ��ड़ी कोई आंख नहीं है। प्रेम की आंख से तो परमात्मा दिखाई पड़ जाता है--इस संसार में छिपा हुआ। मोह अंधा है; जहां कुछ भी नहीं है वहां सब-कुछ दिखाई पड़ता है। मोह एक सपना है। और जिनको हम योगी कहते हैं, वे भी इस मोह से ग्रस्त होते हैं। सिद्धियां तो हल हो जाती हैं। वे कुछ शक्तियां तो पा लेते हैं। शक्तियां पानी कठिन नहीं है। दूसरे के मन के विचार पढ़े जा सकते हैं--थोड़ा ही उपाय करने की जरूरत है। दूसरे के विचार प्रभावित किए जा सकते हैं--थोड़ा ही उपाय करने की जरूरत है। आदमी आए, तुम बता सकते हो कि तुम्हारे मन में क्या खयाल है--थोड़े ही उपाय करने की जरूरत है। यह विज्ञान है; धर्म का इससे कुछ लेना-देना नहीं है। मन को पढ़ने का विज्ञान है, जैसे किताब
को पढ़ने का विज्ञान है। जो अपढ़ है, वह तुम्हें किताब को पढ़ते देख कर बहुत हैरान होता है--क्या चमत्कार हो रहा है! जहां कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता उसे, काले धब्बे हैं, वहां से तुम ऐसा आनंद ले रहे हो--कविता का, उपनिषद का, वेद का--मंत्रमुग्ध हो रहे हो! अपढ़ देख कर हैरान होता है। मुल्ला नसरुद्दीन के गांव में वह अकेला ही पढ़ा-लिखा आदमी था। और जब अकेला ही कोई पढ़ा-लिखा आदमी हो तो पक्का नहीं कि वह पढ़ा-लिखा है भी कि नहीं। क्योंकि कौन पता लगाए? गांव में जिसको भी चिट्ठी वगैरह लिखवानी होती, वह नसरुद्दीन के पास आता। वह चिट्ठी लिख देता था। एक दिन एक बुढ़िया आई। उसने कहा कि चिट्ठी लिख दो नसरुद्दीन! नसरुद्दीन ने कहा, अभी न लिख सकूंगा, मेरे पैर में बहुत दर्द है। बुढ़िया ने कहा, हद हो गई! पैर के दर्द से और चिट्ठी लिखने का संबंध क्या? नसरुद्दीन ने कहा, अब उस विस्तार में मत जाओ। लेकिन मैं कहता हूं कि पैर में दर्द है, और मैं चिट्ठी न लिखूंगा। बुढ़िया भी जिद्दी थी। उसने कहा, मैं बिना जाने जाऊंगी नहीं। क्योंकि मैं बेपढ़ी-लिखी हूं, लेकिन यह मैंने कभी सुना नहीं कि पैर के दर्द से चिट्ठी लिखने का क्या संबंध है। नसरुद्दीन ने कहा, तू नहीं मानती तो मैं बता दूं। फिर पढ़ने दूसरे गांव तक कौन जाएगा? वह मुझ ही को जाना पड़ता है। मेरी लिखी चिट्ठी मैं ही पढ़ सकता हूं। अभी मेरे पैर में दर्द है, मैं लिखने वाला नहीं। गैर पढ़ा-लिखा आदमी किताब में खोए आदमी को देख कर चमत्कृत होता है। लेकिन पढ़ना सीखा जा सकता है; उसकी कला है। तुम्हारे मन में विचार चलते हैं। तुम देखते हो विचारों को, दूसरा भी उनको देख सकता है; उसकी कला है। लेकिन उस विचारों को देखने की कला का धर्म से कोई भी संबंध नहीं। न किताब को पढ़ने की कला से धर्म का कोई संबंध है; न दूसरे के मन को पढ़ने की कला से धर्म का कोई संबंध है। जादूगर सीख लेते हैं; वे कोई सिद्ध पुरुष नहीं हैं। लेकिन तुम बहुत चमत्कृत होओगे। तुम गए किसी साधु के पास और उसने कहा कि आओ! तुम्हारा नाम लिया, तुम्हारे गांव का पता बताया और कहा कि तुम्हारे घर के बगल में एक नीम का झाड़ है। तुम दीवाने हो गए! लेकिन साधु को नीम के झाड़ से क्या लेना, तुम्हारे गांव से क्या लेना, तुम्हारे नाम से क्या मतलब! साधु तो वह है जिसे पता चल गया है कि किसी का कोई नाम नहीं, रूप नहीं, किसी का कोई गांव ��हीं। ये गांव, नाम, रूप, सब संसार के हिस्से हैं। तुम संसारी हो! वह साधु भी तुम्हें प्रभावित कर रहा है, क्योंकि वह तुमसे गहरे संसार में है। उसने और भी कला सीख ली है। तुम्हारे बिना बताए वह बोलता है। वह तुम्हें प्रभावित करना चाहता है। ध्यान रखो, जब तक तुम दूसरे को प्रभावित करना चाहते हो, तब तक तुम अहंकार से ग्रस्त हो। आत्मा किसी को प्रभावित करना नहीं चाहती। दूसरे को प्रभावित करने में सार भी क्या है? क्या अर्थ है? पानी पर बनाई हुई लकीरों जैसा है। क्या होगा मुझे? दस हजार लोग प्रभावित हों कि दस करोड़ लोग प्रभावित हों, इससे होगा क्या? उनको प्रभावित करके मैं क्या पा लूंगा? अज्ञानियों की भीड़ को प्रभावित करने की इतनी उत्सुकता अज्ञान की खबर देती है। तो राजनेता दूसरों को प्रभावित करने में उत्सुक होता है, समझ में आता है। लेकिन धार्मिक व्यक्ति क्यों दूसरों को प्रभावित करने में उत्सुक होगा? और जब भी तुम दूसरे को प्रभावित करना चाहते हो, तब एक बात याद रखना, तुम आत्मस्थ नहीं हो। दूसरे को प्रभावित करने का अर्थ है कि तुम अहंकार स्थित हो। अहंकार दूसरे के प्रभाव को भोजन की तरह उपलब्ध करता है; उसी पर जीता है। जितनी आंखें मुझे पहचान लें, उतना मेरा अहंकार बड़ा होता है। अगर सारी दुनिया मुझे पहचान ले, तो मेरा अहंकार सर्वोत्कृष्ट हो जाता है। कोई मुझे न पहचाने--गांव से निकलूं, सड़क से गुजरूं, कोई देखे न, कोई रिकग्नीशन नहीं, कोई प्रत्यभिज्ञा नहीं; किसी की आंख में झलक न आए, लोग ऐसा जैसे कि मैं हूं ही नहीं--बस वहां अहंकार को चोट है। अहंकार चाहता है दूसरे ध्यान दें। यह बड़े मजे की बात है। अहंकार ध्यान नहीं करना चाहता; दूसरे उस पर ध्यान करें, सारी दुनिया उसकी तरफ देखे, वह केंद्र हो जाए। धार्मिक व्यक्ति, दूसरा मेरी तरफ देखे, इसकी फिक्र नहीं करता; मैं अपनी तरफ देखूं! क्योंकि अंततः वही मेरे साथ जाएगा। यह तो बच्चों की बात हुई। बच्चे खुश होते हैं कि दूसरे उनकी प्रशंसा करें। सर्टिफिकेट घर लेकर आते हैं तो नाचते-कूदते आते हैं। लेकिन बुढ़ापे में भी तुम सर्टिफिकेट मांग रहे हो? तब तुमने जिंदगी गंवा दी! सिद्धि की आकांक्षा दूसरों को प्रभावित करने में है। धार्मिक व्यक्ति की वह आकांक्षा नहीं है। वही तो सांसारिक का स्वभाव है। यह सूत्र कहता है: ‘मोह आवरण से युक्त योगी को सिद्धियां तो फलित हो जाती हैं, लेकिन आत्मज्ञान नहीं होता।’ वह कितनी ही बड़ी सिद्धियों को पा ले--उसके छूने से मुर्दा जिंदा हो जाए, उसके स्पर्श से बीमारियां खो जाएं, वह पानी को छू दे और
औषधि हो जाए--लेकिन उससे आत्मज्ञान का कोई भी संबंध नहीं है। सच तो स्थिति उलटी है कि जितना ही वह व्यक्ति सिद्धियों से भरता जाता है, उतना ही आत्मज्ञान से दूर होता जाता है। क्योंकि जैसे-जैसे अहंकार भरता है, वैसे-वैसे आत्मा खाली होती है; और जैसे-जैसे अहंकार खाली होता है, वैसे-वैसे आत्मा भरती है। तुम दोनों को साथ ही साथ न भर पाओगे। दूसरे को प्रभावित करने की आकांक्षा छोड़ दो, अन्यथा योग भी भ्रष्ट हो जाएगा। तब तुम योग भी साधोगे, वह भी राजनीति होगी, धर्म नहीं। और राजनीति एक जाल है। फिर ये�� केन प्रकारेण आदमी दूसरे को प्रभावित करना चाहता है। फिर सीधे और गलत रास्ते से भी प्रभावित करना चाहता है। लेकिन प्रभावित तुम करना ही इसलिए चाहते हो कि तुम दूसरे का शोषण करना चाहते हो। मैंने सुना है, चुनाव हो रहे थे; और एक संध्या तीन आदमी हवालात में बंद किए गए। अंधेरा था, तीनों ने अंधेरे में एक-दूसरे को परिचय दिया। पहले व्यक्ति ने कहा, मैं हूं सरदार संतसिंह। मैं सरदार सिरफोड़सिंह के लिए काम कर रहा था। दूसरे ने कहा, गजब हो गया! मैं हूं सरदार शैतानसिंह। मैं सरदार सिरफोड़सिंह के विरोध में काम कर रहा था। तीसरे ने कहा, वाहे गुरुजी की फतह! वाहे गुरुजी का खालसा! हद हो गई! मैं खुद सरदार सिरफोड़सिंह हूं। नेता, अनुयायी, पक्ष के, विपक्ष के--सभी कारागृहों के योग्य हैं। वही उनकी ठीक जगह है, जहां उन्हें होना चाहिए। क्योंकि पाप की शुरुआत वहां से होती है, जहां मैं दूसरे व्यक्ति को प्रभावित करने चलता हूं। क्योंकि अहंकार न शुभ जानता, न अशुभ; अहंकार सिर्फ अपने को भरना जानता है। कैसे अपने को भरता है, यह बात गौण है। अहंकार की एक ही आकांक्षा है कि मैं अपने को भरूं और परिपुष्ट हो जाऊं। और चूंकि अहंकार एक सूनापन है, सब उपाय करके भी भर नहीं पाता, खाली ही रह जाता है। तो जैसे-जैसे उम्र हाथ से खोती है, वैसे-वैसे अहंकार पागल होने लगता है; क्योंकि अभी तक भर नहीं पाया, अभी तक यात्रा अधूरी है और समय बीता जा रहा है। इसलिए बूढ़े आदमी चिड़चिड़े हो जाते हैं। वह चिड़चिड़ापन किसी और के लिए नहीं है; वह चिड़चिड़ापन अपने जीवन की असफलता के लिए है। जो भरना चाहते थे, वे भर नहीं पाए। और बूढ़े आदमी की चिड़चिड़ाहट और घनी हो जाती है; क्योंकि उसे लगता है कि जैसे-जैसे वह बूढ़ा हुआ है, वैसे-वैसे लोगों ने ध्यान देना बंद कर दिया है; बल्कि लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं कि वह कब समाप्त हो जाए। मुल्ला नसरुद्दीन सौ साल का हो गया था। मैंने उससे पूछा कि क्या तुम कुछ कारण बता सकते हो नसरुद्दीन कि परमात्मा ने तुम्हें इतनी लंबी उम्र क्यों दी? उसने बिना कुछ झिझक कर कहा, संबंधियों के धैर्य की परीक्षा के लिए। सभी बूढ़े संबंधियों के धैर्य की परीक्षा कर रहे हैं। चौबीस घंटे देख रहे हैं कि ध्यान उनकी तरफ से हटता जा रहा है। मौत तो उन्हें बाद में मिटाएगी, लोगों की पीठ उन्हें पहले ही मिटा देती है। उससे चिड़चिड़ापन पैदा होता है। तुम सोच भी नहीं सकते कि निक्सन का चिड़चिड़ापन अभी कैसा होगा। सब की पीठ हो गई, जिनके चेहरे थे। जो अपने थे, वे पराए हो गए। जो मित्र थे, वे शत्रु हो गए। जिन्होंने सहारे दिए थे, उन्होंने सहारे छीन लिए। सब ध्यान हट गया। निक्सन अस्वस्थ हैं, बेचैन हैं, परेशान हैं। जो भी आदमी जाता है निक्सन के पास, उससे वे पहली बात यही पूछते हैं कि मैंने जो किया वह ठीक किया? लोग मेरे संबंध में क्या कह रहे हैं? अभी यह आदमी शिखर पर थ���, अब यह आदमी खाई में पड़ा है! यह शिखर और खाई किस बात की थी? यह आदमी तो वही है जो कल था, पद पर था; वही आदमी अभी भी है। सिर्फ अहंकार शिखर पर था, अब खाई में है; आत्मा तो जहां की तहां है। काश! इस आदमी को उसकी याद आ जाए, जिसका न कोई शिखर होता, न कोई खाई होती; न कोई हार होती, न जीत होती; जिसको लोग देखें तो ठीक, न देखें तो ठीक; जिसमें कोई फर्क नहीं पड़ता, जो एकरस है। उस एकरसता का अनुभव तुम्हें तभी होगा, जब तुम लोगों का ध्यान मांगना बंद कर दोगे। भिखमंगापन बंद करो। सिद्धियों से क्या होगा? लोग तुम्हें चमत्कारी कहेंगे; लाखों की भीड़ इकट्ठी होगी। लेकिन लाखों मूढ़ों को इकट्ठा करके क्या सिद्ध होता है--कि तुम इन लाखों मूढ़ों के ध्यान के केंद्र हो! तुम महामूढ़ हो! अज्ञानी से प्रशंसा पाकर भी क्या मिलेगा? जिसे खुद ज्ञान नहीं मिल सका, उसकी प्रशंसा मांग कर तुम क्या करोगे? जो खुद भटक रहा है, उसके तुम नेता हो जाओगे? उसके सम्मान का कितना मूल्य है? सुना है मैंने, सूफी फकीर हुआ, फरीद। वह जब बोलता था, तो कभी लोग ताली बजाते तो वह रोने लगता। एक दिन उसके शिष्यों ने पूछा, हद्द हो गई! लोग ताली बजाते हैं, तुम रोते किसलिए हो? तो फरीद ने कहा कि वे ताली बजाते हैं, तब मैं समझता हूं कि मुझसे कोई गलती हो गई होगी। अन्यथा वे ताली कभी न बजाते। ये गलत लोग! जब वे न ताली बजाते, न उनकी समझ में आता, तभी मैं समझता हूं कि कुछ ठीक बात कह रहा हूं। आखिर गलत आदमी की ताली
का मूल्य क्या है? तुम किसके सामने अपने को ‘सिद्ध’ सिद्ध करना चाह रहे हो? अगर तुम इस संसार के सामने अपने को ‘सिद्ध’ सिद्ध करना चाह रहे हो, तो तुम नासमझों की प्रशंसा के लिए आतुर हो। तुम अभी नासमझ हो। और अगर तुम सोचते हो कि परमात्मा के सामने तुम अपने को सिद्ध करना चाह रहे हो कि मैं सिद्ध हूं, तो तुम और महा नासमझ हो। क्योंकि उसके सामने तो विनम्रता चाहिए। वहां तो अहंकार काम न करेगा। वहां तो तुम मिट कर जाओगे तो ही स्वीकार पाओगे। वहां तुम अकड़ लेकर गए तो तुम्हारी अकड़ ही बाधा हो जाएगी। इसलिए तथाकथित सिद्ध परमात्मा तक नहीं पहुंच पाते। परम सिद्धियां उनकी हो जाती हैं, लेकिन असली सिद्धि चूक जाती है। वह असली सिद्धि है आत्मज्ञान। क्यों आत्मज्ञान चूक जाता है? क्योंकि सिद्धि भी दूसरे की तरफ देख रही है, अपनी तरफ नहीं। अगर कोई भी न हो दुनिया में, तुम अकेले होओ, तो तुम सिद्धियां चाहोगे? तुम चाहोगे कि पानी को छुऊं, औषधि हो जाए? मरीज को छुऊं, स्वस्थ हो जाए? मुर्दे को छुऊं, जिंदा हो जाए? कोई भी न हो पृथ्वी पर, तुम अकेले होओ, तो तुम ये सिद्धियां चाहोगे? तुम कहोगे, क्या करेंगे! देखने वाले ही न रहे। देखने वाले के लिए सिद्धियां हैं। दूसरे पर तुम्हारा ध्यान है, तब तक तुम्हारा अपने पर ध्यान नहीं आ सकता। और आत्मज्ञान तो उसे फलित होता है, जो दूसरे की तरफ से आंखें अपनी तरफ मोड़ लेता है।
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Today's Horoscope-
मेष - मेष राशि के लोग मेहनत करेंगे तो उसका फल भी उन्हें मिलेगा, इसलिए मेहनत को कैसे आगे बढ़ाया जाए इस बात पर विचार करना चाहिए. ग्रहों की स्थिति को देखते हुए व्यावसायिक स्थिति मजबूत होगी, यदि किसी डील का इंतजार कर रहे थे तो वह भी पूरी हो सकती है. युवाओं को पालतू पशुओं की सेवा करनी चाहिए, इसके साथ ही गाय को हरा चारा खिलाना आपके लिए लाभकारी रहेगा. संतान से संबंधित चिताओं का अंत होगा, लेकिन यहां से आपकी जिम्मेदारी खत्म नहीं होगी आगे भी आपको संतान के ऊपर बराबर ध्यान देना है. सेहत की बात करें तो अनावश्यक बातों को लेकर चिंता करने से बचना होगा, वरना छोटी छोटी बातों पर भी क्रोध आएगा साथ ही बीपी भी बढ़ जाएगा.
वृष - इस राशि के लोगों के कार्यस्थल पर प्रतिस्पर्धी दोस्ती का हाथ बढ़ाकर आपको धूल चटाने का कार्य कर सकते हैं. व्यापारी वर्ग को ग्राहकों से बातचीत के दौरान जुबान पर कंट्रोल करना होगा, वाणी अनियंत्रित होने की आशंका है. जब भी दोस्त यारों के साथ मिले तो सिर्फ मौज मस्ती को ही ध्यान में न रखें बल्कि करियर से संबंधित भी कुछ वार्तालाप करनी चाहिए. पारिवारिक माहौल शांत रहेगा, साथ ही किसी धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिलेगा जिससे मानसिक शांति का स्तर और बढ़ेगा. सेहत में जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या है, उन्हें दिमाग को शांत रखना है जिसका सबसे अच्छा उपाय भक्ति भजन सुनना और मेडिटेशन करना हो सकता है.
मिथुन - मिथुन राशि के लोग ऑफिशियल कार्यों को लेकर एक्टिव नजर आएंगे, ऊर्जा का साथ मिलने से कार्य को समय पर पूरा करने में सफल होंगे. विरोधी पक्ष व्यापारी वर्ग को उकसाने का काम कर सकते हैं, जिससे आपको हर हाल में बचना चाहिए. युवा वर्ग विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण और प्रेम महसूस करेंगे, दिल की बात कहने जल्दबाजी दिखाने से बचें. घर का अनुशासन बनाए रखने की पहली जिम्मेदारी घर के मुखिया की होती है, आप मुखिया हैं तो अपने दायित्व और कर्तव्य का ध्यान रखें. यदि कमजोरी या कोई और निगेटिव बात हेल्थ को लेकर महसूस हो रही है, तो एक बार चेकअप करा लेना चाहिए.
कर्क - इस राशि के लोगों की विषयों को समझने की क्षमता को देखते हुए, संस्थान के अधिकारी ��पको बड़ी रिस्पॉन्सबिलिटी दे सकते हैं. व्यापारी वर्ग नेटवर्क को मजबूत रखने के साथ अच्छी बोली और व्यवहार का भी प्रयोग करें, जिससे उनके कारोबार की माउथ पब्लिसिटी हो सके. युवा वर्ग की बात करें तो बिना सोचे समझे या दूसरों के कहने पर कदम न उठाएं, जो भी निर्णय लेने है वह खुद से लें. परिवार में रिश्तों की गंभीरता को समझना होगा, छोटों को प्यार और बड़ों को मान- सम्मान देना आपका फर्ज है. जिसे आपको हमेशा याद रखना है. सेहत में जिन लोगों को बहुत ज्यादा सोचने की बीमारी है, वह डिप्रेशन में जा सकते हैं. डिप्रेशन की समस्या से बचने का एक ही उपाय है कि अपने को बिजी रखें.
सिंह - सिंह राशि के लोगों पर कार्यभार की अधिकता और उलझाव स्वभाव में तीखापन ला सकता है, इसलिए कुछ देर कार्य न करके रेस्ट करना ठीक रहेगा. व्यापारी वर्ग की बात करें तो कारोबार में नए उत्पाद और सेवाओं को जोड़ने पर विचार करना चाहिए. यदि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहें है तो पढ़ाई करने के तरीके में कुछ बदलाव लाकर देखें, निश्चित रूप से पढ़ाई पहले की अपेक्षा कुछ आसान लगेगी. पारिवारिक समस्या का निदान सभी को मिलकर ढूंढना होगा, तभी आप सब जल्दी मुसीबत को पार कर सकेंगे. सेहत में यदि घर में छोटे बच्चे हैं तो खास तौर पर उनका ध्यान रखना होगा. मच्छरों के प्रकोप से बचने का इंतजाम करके रखें.
कन्या - कन्या राशि के जो लोग एजुकेशन डिपार्टमेंट में कार्य करते हैं, उन पर आज कार्यभार अधिक रहने वाला है. कारोबार को विकसित करने के लिए विज्ञापन का सहारा लेने में व्यापारी वर्ग को देर नहीं करनी चाहिए, इसका सबसे अच्छा माध्यम ऑनलाइन प्लेटफार्म रहेगा. माता-पिता को मान सम्मान दें, घर के बाहर जाने से पहले उनके चरण स्पर्श करके ही बाहर जाएं. पैतृक संपत्ति विवाद की वजह बन सकती है, यदि आप मुखिया है तो विवाद से पहले कोई बेहतर हल निकालने का प्रयास करें. सेहत में रेगुलर एक्सरसाइज, मॉर्निंग वॉक करते रहें तो बहुत से रोग तो बिना इलाज के ही दूर भाग जाएंगे.
तुला - तुला राशि के लोग कार्यों का डाटा बैंक मजबूत रखें, यदि आप मीडिया क्षेत्र से हैं तो आपके लिए यह कार्य बेहद जरूरी है. कॉस्मेटिक का व्यापार करने वाले लोग सामानों का रख रखाव बड़ी सुरक्षा और ध्यान के साथ करें अन्यथा आपको नुकसान हो सकता है. युवा वर्ग को आजीविका को लेकर अलर्ट हो जाना चाहिए, सारा टाइम मौज मस्ती में ही गुम रहना अच्छी बात नहीं है. अपनों को समय देना शुरू करें साथ ही उनसे संवाद भी बनाए रखें, काम की व्यस्तता के चलते रिश्तों में दूरी बढ़ सकती है. सेहत में शरीर क��� विष तत्व बाहर करने के लिए कम से कम भोजन और लिक्विड डाइट पर फोकस करना होगा.
वृश्चिक - वृश्चिक राशि के लोग ऑफिशियल कार्यों को पूरा करने में अधिक समय न लगाएं, इस बात का विशेष ध्यान रखें. फैशन जगत से जुड़े लोगों के लिए आज का द��न शानदार रहने वाला है, या फिर जो लोग कपड़े का काम करते है उनको भी अपेक्षित लाभ होगा. युवा वर्ग की बात करें तो उन्हें व्यर्थ के दोस्तों की संगति में समय व्यतीत नहीं करना चाहिए. घर पर कुछ ऐसे मित्रों या रिश्तेदारों का आगमन हो सकता है, जिनसे मिलकर आपको प्रसन्नता की अनुभूति होगी. सेहत की बात करें तो अपने आस पास सफाई रखें, गंदगी से दूर रहते हुए स्वच्छता को प्राथमिकता दें.
धनु - इस राशि के लोग यदि सीनियर पद पर कार्यरत है, तो अनुशासन की अवहेलना न होने पाए इस बात का ध्यान आपको अन्य कर्मचारियों को याद दिलाते रहना है. व्यापारी वर्ग की बात करें तो उन्हें अच्छी कमाई के लिए अपने उत्पादों के बेहतर प्रचार-प्रसार के बारे में कुछ ठोस योजना बनानी चाहिए. नकारात्मक ग्रहों की स्थिति विद्यार्थी वर्ग का मन पढ़ाई से हटाकर अन्य कामों को करने के लिए उकसा सकती है. घर के बड़े बुजुर्गों को सेहत के प्रति सतर्क रहने की सलाह दें और उनकी सेहत को लेकर खुद भी सजग रहें. स्वास्थ्य में सांस और हृदय रोगियों को थोड़ी दिक्कत आ सकती है, सेहत को लेकर लापरवाही तो बिलकुल न करें.
मकर - मकर राशि के लोगों को ऑफिस के काम से बाहर जाना पड़ सकता है, काम इतना जरूरी होगा कि आपको अपने प्लान भी कैंसिल करने पड़ सकते हैं. व्यापारी वर्ग यदि निवेश की योजना बना रहें है, तो आपको दूसरे बड़े निवेशको से भी फायदा होने की प्रबल संभावना है. विद्यार्थियों को शिक्षा एवं बौद्धिक कार्य क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होगी. आपके बड़ो ने जो इज्जत कमाई है, समाज में जो उनकी पहचान है उसे आपको भी कायम रखना होगा, अर्थात ऐसा कोई भी काम न करें जिससे परिवार की इज्जत दांव पर लगे. सेहत में डॉक्टर की सलाह से अलग कोई कदम न उठाएं. संक्रमण या एलर्जी जैसे रोग होने की आशंका है.
कुंभ - इस राशि के लोगों को दिनचर्या और काम के तरीके में बदलाव लाना होगा, तभी आप समय से काम से फ्री हो सकेंगे. कारोबार में जारी लंबे समय की मेहनत का फायदा आज के दिन मिलता नजर आ रहा है, हिसाब-किताब में सतर्कता बरतें. पढ़ाई पूरी कर चुके विद्यार्थी नौकरी के लिए तैयारी में खुद को तनमन के साथ लगाएं, सफलता के आसार है. संतान की उन्नति के रास्ते खुलेंगे, उन्नति से जितनी खुशी उसे होगी उतना ही घर के अन्य लोग भी उससे प्रसन्न होंगे. सेहत की बात करें तो खानपान सादा रखें, बाहर की चीजों और जंक फूड से भी दूरी बनाकर रखनी है.
मीन - मीन राशि के लोग समय क�� देखते हुए अपडेट होते रहें, इस समय आपको सामान्य ज्ञान मजबूत रखने की जरूरत होगी. जो लोग कस्टमर डीलिंग का काम करते हैं उन्हें मीठी वाणी का प्रयोग करते हुए ही ग्राहकों से बात करनी है. युवाओं को सकारात्मक ग्रहों का सपोर्ट मिल रहा है, इसलिए सफलता मिलना तो उन्हें तय है. इसके साथ ही हनुमान जी की उपासना भी करनी है. जीवनसाथी की सेहत यदि असामान्य लग रही है तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें, लापरवाही सेहत को और ज्यादा खराब कर सकती है. सेहत में गाड़ी बहुत दिन से खराब है तो उसे आज ही सही करा लें, दुर्घटना की आशंका बन रही है.
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जातीय राजनीति के नए चक्रव्यूह में फंसी BJP, जानिए अति-पिछड़ा वोट के चक्कर में कैसे दरक रहा सवर्ण समीकरण
रमाकांत चंदन, पटना: एक बात तो है कि बीजेपी की भीतरी चाहत जातीय जनगणना कराने की नहीं रही हो। खुल कर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और सम्माननीय नेताओं ने जातीय जनगणना का विरोध भी नहीं किया है। एक सच ये भी है कि जिस सरकार ने जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया उस सरकार में शामिल बीजेपी की भूमिका भी महत्वपूर्ण नहीं थी। परोक्ष रूप से कहें तो जातीय जनगणना पर रोक लगाने को लेकर बीजेपी की तरफ से कोई याचिका भी नहीं डाली गई। ये भी सत्य है कि अपरोक्ष रूप से बीजेपी जनगणना के साथ खड़ी भी रहना नहीं चाहती है। बीजेपी भले खुद को हिंदुत्व के शंखनाद के साथ प्रचारित करती रही है। बीजेपी को पहले बनियों की पार्टी और बाद में बनियों और सवर्णों की पार्टी कहा जाता रहा। एक समय था जब बनिया और सवर्ण बाहुल्य वाले क्षेत्र बीजेपी की माने जाते थे। एक उक्ति यह भी थी कि शहरी पार्टी है बीजेपी। अधिकांश बीजेपी हमेशा शहरों में जीत हासिल करती थी। अटल बिहारी वाजपेयी तक चला दौर ये सब अटल बिहारी वाजपेई तक चलता रहा। पुरजोर तरीके से नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद बीजेपी का पिछड़ावाद उभर कर सामने आया। बिहार क्या, पूरे भारत में अति पिछड़ा वोट पर बीजेपी का अधिकार सा बन गया। बीजेपी केवल बनियों और सवर्ण की पार्टी नहीं रह गई। बिहार बीजेपी तो इस प्रयास में काफी पहले से हिंदुत्व के की आड़ में पिछड़ों की राजनीति करती रही। ये प्रयोग जगदंबी यादव, जनार्दन यादव, नंदकिशोर यादव और हाल में नित्यानंद राय को ले कर किया गया। कहने को कह सकते हैं कि भक्ति भाव में रहने वाले यादव जाति को बीजेपी के साथ जोड़ने का ख्याल लालू यादव के एमवाई को तोड़ने के लिए लाया गया। ये बीजेपी की राजनीति में पिछड़ा वाद और पिछड़ों में भी दबंग जाति को लाने का प्रयास भी था। भाजपा जाति जनगणना से क्या डरती है ? बीजेपी जिस हिंदुत्व की लहर पर देश की राजनीति को साधना चाहती है जातीय जनगणना इनके मकसद में बाधा तो है। बीजेपी 'समावेशी हिंदुत्व' की नीति का पथ गामी है। इसका लाभ गत दशक की राजनीति में भी हुई है और देश की राजनीति में एक जबरदस्त सत्ता के रूप में उभरी भी है। पिछड़ी जाति के समूहों के समर्थन से लाभ हुआ है। जहां तक ओबीसी का सवाल है, वह बिहार में बीजेपी के पक्ष में एक हद तक ही दिखता है। अभी भी संपूर्णता में पिछड़ों की राजनीति की बागडोर लालू प्रसाद और नीतीश कुमार जैसे नेताओं ने संभाल रखी है। उस पर जाति-आधारित जनगणना सामाजिक और राजनीतिक भावनाओं को भड़काएगी और ये हिंदुत्व-राष्ट्रवादी विचारधारा को नुकसान पहुंचाएगी। बिहार के संदर्भ की बात बिहार के संदर्भ में यह तो मानना होगा कि अभी भी लोकतंत्र में जाति एक मजबूत फैक्टर है। वह भी एक पूर्व निर्धारित जकड़न के साथ। 1931 की जातीय जनगणना में ओबीसी की आबादी आखिरी बार प्रकाशित हुई थी। जहां इसे देश की आबादी का 52% बताया गया था। तब से, किसी भी राष्ट्रीय सरकार ने ओबीसी की गिनती के लिए इसी तरह की कवायद नहीं की है। यही वजह है कि ओबीसी की उपस्थिति के बारे में कोई राष्ट्रीय स्तर का डेटा नहीं है। अब चुकी बिहार में जातीय जनगणना का निर्णय लिया गया है तो इनके समर्थन ��ासिल करने को आपा धापी मची है। बीजेपी भी इस दौड़ में तो है पर इस भय के साथ कि कहीं सवर्ण नाराज हो जाएं। वैसे तो बिहार की जाति जनगणना का राज्य के बाहर भी प्रभाव पड़ेगा। कृषक जातियों को, सामाजिक न्याय की राजनीति करने वालों को लोकतांत्रिक विरोध या समर्थन में बल मिलेगा। बीजेपी की राष्ट्रवाद की आक्रामक राजनीति को इस बात से सावधान रहना होगा कि विभाजनकारी भूमिका प्रबल न हो जाए। क्या कहते हैं सुशील मोदी ! जातीय जनगणना के मुद्दे पर हाईकोर्ट के निर्णय का सुशील मोदी ने स्वागत किया और कहा कि बिहार में जातीय जनगणना कराने का निर्णय उस राज्य सरकार का था, जिसमें बीजेपी शामिल थी और उस समय राजद विपक्ष में था। जातीय जनगणना के विरुद्ध याचिका दायर करने वाले का बीजेपी से कोई संबंध नहीं है। राजद को इसका श्रेय लेने के लिए अनर्गल आरोप नहीं लगाना चाहिए। बीजेपी पहले भी जातीय जनगणना के पक्ष में थी। आज हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करती है और आगे भी जातीय जनगणना का समर्थन करेगी। ताकि सभी पिछड़ी जातियों को विकास की मुख्यधारा में लाने वाले कार्यक्रम लागू हो सकें। यदि राज्य सरकार ने मजबूती से पैरवी की होती और संवैधानिक प्रश्नों का उत्तर ठीक से दिया होता, तो जातीय जनगणना पर बीच में रोक नहीं लगती। http://dlvr.it/St6Dvk
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परिचय द्वीप रिज़ॉर्ट और कैसीनो आराम, मौज-मस्ती और विश्राम चरम हैं; कृपया अपने रहने का आनंद लें। हमारा रिसॉर्ट, एक चित्र-परिपूर्ण द्वीप पर स्थित है, जो मेहमानों को एक अनूठा और अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है। आइलैंड रिज़ॉर्ट और कैसीनो अपने विश्व स्तरीय कैसीनो, शानदार कमरे, स्वादिष्ट भोजन विकल्प, रोमांचक नाइटलाइफ़ और रोमांचक मनोरंजन के अवसरों की प्रचुरता के कारण एक अविस्मरणीय छुट्टी का आपका टिकट है। के लिए यहां क्लिक करें कैसीनो समाचार. छुट्टियों के द्वीपों का आकर्षण द्वीप रिज़ॉर्ट और कैसीनो हम आपको हमारे द्वीप रिसॉर्ट के शांतिपूर्ण वैभव में शरण लेने के लिए आमंत्रित करते हैं, जहां आप उष्णकटिबंधीय इलाकों का सबसे अच्छा आनंद ले सकते हैं। समुद्र तट पर इत्मीनान से टहलें और गर्म धूप और ताजी हवा को अपनी इंद्रियों को तरोताजा करने दें। हमारे द्वीप स्वर्ग पर शांति और विश्राम पाएं। अब तक का सबसे अच्छा जुआ अनुभव हमारे शानदार, अत्याधुनिक कैसीनो में कुछ सबसे रोमांचक खेलों में अपनी किस्मत आज़माएँ। विभिन्न पोकर टूर्नामेंट, स्लॉट मशीन और पारंपरिक टेबल गेम में हर प्रकार के जुआरी के लिए कुछ न कुछ है। चाहे आप एक अनुभवी जुआरी हों या अभी शुरुआत कर रहे हों, हमारे सहायक कर्मचारी यह सुनिश्चित करेंगे कि आप हमारे कैसीनो में एक अच्छा समय बिताएं। असाधारण आवास यहां आइलैंड रिज़ॉर्ट और कैसीनो में, हम आरामदायक और शानदार दोनों तरह के आवास प्रदान करने में बहुत संतुष्ट हैं। हमारे सभी कमरे और सुइट्स एक शांतिपूर्ण विश्राम प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, शानदार दृश्यों वाले मानक कमरों से लेकर शानदार प्रेसिडेंशियल सुइट तक। यहां विलासिता के बीच स्टाफ सदस्यों के साथ अपना समय बिताएं जो आपके आदेश और कॉल पर ध्यान दें। स्वादिष्ट खाना आइलैंड रिज़ॉर्ट और कैसीनो में अपने स्वाद का अन्वेषण करें, जहां दर्जनों रेस्तरां आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। हमारे कई रेस्तरां में से किसी एक में खाने के लिए कुछ स्वादिष्ट ढूंढना आसान है, जिसमें स्वादिष्ट भोजनालयों से लेकर किफायती पब ग्रब तक शामिल हैं। हमारे कुशल शेफ द्वारा बनाई गई स्वादों की सिम्फनी का स्वाद लें। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=h23BcuIuGTQ[/embed] मनोरंजन में दिलचस्प विकल्प आइलैंड रिज़ॉर्ट और कैसीनो में वह सब कुछ है जो आपको एक शानदार समय बिताने के लिए चाहिए। संग्रहालयों से लेकर नाइट क्लबों से लेकर विश्व-प्रसिद्ध कलाकारों और संगीतकारों के लाइव प्रदर्शन तक, बाहर जाने और मौज-मस्ती करने के लिए बहुत सारी जगहें हैं। चाहे आप पूरी रात हंसना चाहते हों, अपनी लय में आना चाहते हों, या किसी संगीत कार्यक्रम में पूरी तरह से मंत्रमुग्ध होना चाहते हों, हमारे रिज़ॉर्ट ने आपको कवर कर लिया है। मज़ेदार और दिलचस्प गतिविधियाँ यदि आप साहसी प्रकार के हैं तो आइलैंड रिज़ॉर्ट और कैसीनो में बहुत कुछ है। स्कूबा डाइविंग यात्राओं के साथ समुद्र की गहराई का अनुभव करें, विभिन्न जल खेलों का आनंद लें, और इसके कई मार्गों के माध्यम से द्वीप पर प्रकृति के संपर्क में रहें। हमारे रिसॉर्ट में विश्राम और उत्साह के बीच मधुर स्थान खोजें। गंतव्य स्वास्थ्य स्पा हमारे पांच सितारा स्पा या वेलनेस रिसॉर्ट्स में से किसी एक पर जाएँ और एक ऐसे लाड़-प्यार वाले अनुभव के लिए तैयार हो जाएँ जो पहले कभी नहीं मिला। आरामदायक मालिश का आनंद लें, विभिन्न प्रकार के स्पा उपचारों से तरोताजा हो जाएं और एक शांत वातावरण में आराम करें। हमारा स्टाफ यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि आप तरोताजा और तरोताजा महसूस करें। एक दुकानदार का सपना द्वीप रिज़ॉर्ट और कैसीनो द्वीप रिज़ॉर्ट और कैसीनो दुकानें खुदरा थेरेपी चाहने वालों के लिए एक अद्भुत जगह हैं। खरीदारी की होड़ में शामिल हों या कई हाई-एंड बुटीक, लक्ज़री ब्रांड और अद्वितीय कारीगर व्यवसायों में से किसी एक पर उत्तम स्मारिका ढूंढें। हमारे रिसॉर्ट में वह सब कुछ है जो एक खरीदार चाहता है, कपड़ों और गहनों से लेकर क्षेत्र के अनूठे उपहार और स्मृति चिन्ह तक। फायदे और नुकसान प्रोफेसर विलोम अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य कुछ लोगों के लिए सीमित पहुंच शांत एवं एकांत वातावरण खराब मौसम के कारण यात्रा योजना प्रभावित होने की संभावना मनोरंजक गतिविधियों की विस्तृत श्रृंखला मुख्य भूमि के गंतव्यों की तुलना में अधिक कीमतें आलीशान आवास एवं सुविधाएँ भोजन और मनोरंजन के सीमित विकल्प साइट पर मनोरंजन के विभिन्न विकल्प पीक सीज़न के दौरान भीड़भाड़ की संभावना आराम करने और नवीनीकरण करने का मौका नौका या नाव परिवहन पर निर्भरता विशिष्ट समुद्र तटों और जल क्रीड़ाओं तक पहुंच द्वीप पर सीमित चिकित्सा सुविधाएँ
रोमांचक कैसीनो गेमिंग विकल्प द्वीप पर खरीदारी के सीमित अवसर उत्कृष्ट ग्राहक सेवा गैर-अंग्रेजी बोलने वालों के लिए भाषा संबंधी बाधाएँ मुख्य भूमि से अलग होने का अवसर सार्वजनिक परिवहन की सीमित उपलब्धता निष्कर्ष कुल मिलाकर, आइलैंड रिज़ॉर्ट और कैसीनो की यात्रा आपको विलासिता, मनोरंजन और मनोरंजन का वह स्तर प्रदान करेगी जो आपको कहीं और नहीं मिलेगा। हमारे रिसॉर्ट्स में वह सब कुछ है जो एक यात्री चाहता है, हमारे द्वीप स्वर्ग की प्राकृतिक सुंदरता से लेकर रोमांचक गेमिंग अनुभव, शानदार कमरे, भोजन विकल्प और विभिन्न प्रकार के मज़ेदार और रोमांचक मनोरंजन के अवसर। मनोरंजन के चरम का अनुभव करें और जीवन भर याद रहने वाली यादें बनाएं। आइलैंड रिज़ॉर्ट और कैसीनो में तत्काल आरक्षण करके कुछ अविस्मरणीय क्षणों को शामिल करने के लिए अपनी यात्रा की योजना बनाएं। अन्य खेलों के लिए देखें कैसीनो भविष्यवाणी सॉफ्टवेयर. सामान्य प्रश्न और उत्तर हवाई अड्डे से यात्रियों को लाने-ले जाने के लिए शटल सेवा उपलब्ध है। बस हमारी आरक्षण टीम को अपनी उड़ान की जानकारी बताएं, और वे बाकी का ध्यान रखेंगे। ज़रूर! हमारा रिसॉर्ट दृश्य शादियों, रिसेप्शन और अन्य औपचारिक समारोहों के लिए आदर्श है। हमारे पेशेवर कार्यक्रम नियोजक एक अद्वितीय और यादगार कार्यक्रम तैयार करने के लिए सीधे आपके साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बिल्कुल! आइलैंड रिज़ॉर्ट और कैसीनो में किसी भी उम्र के किसी भी व्यक्ति का स्वागत महसूस होगा। स्विमिंग पूल, वॉटर स्पोर्ट्स, बीच वॉलीबॉल और बच्चों के संगठित कार्यक्रम कुछ परिवार-अनुकूल गतिविधियाँ हैं जो हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रदान करते हैं कि परिवार में हर किसी का दिन अच्छा बीते। हमारे कैसीनो में आपके चुनने के लिए कई गेम हैं। स्लॉट मशीनों और ढेर सारे रोमांचक टूर्नामेंटों के साथ-साथ ब्लैकजैक, रूलेट और पोकर कुछ पारंपरिक टेबल गेम उपलब्ध हैं। आइलैंड रिज़ॉर्ट और कैसीनो में एक कमरा बुक करना आसान नहीं हो सकता। अपनी पसंदीदा तिथियाँ और कमरे का प्रकार आरक्षित करने के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट पर जाएँ या हमें कॉल करें। Source link
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आलू टमाटर चाट बनाने की विधि सिर्फ 2 मिनट में बनाए आसान और मजेदार चाट | Aloo Tamatar chat
आलू टमाटर चाट (Aloo Tamatar chaat recipe in Hindi) स्ट्रीट फूड में यदि सबसे ज्यादा हम सब की कोई फेवरेट रेसिपी है, तो वह है टमाटर चाट। टमाटर चाट हमको स्ट्रीट फूड में सबसे ज्यादा पसंद आने वाली रेसिपी है। लेकिन टमाटर चाट यदि हम बाहर का खाते हैं तो वह बहुत स्पाइसी होता इसके अलावा उसमें बहुत ज्यादा आयल होता है। इस वजह से उसको हम डेली नहीं खाते हैं, लेकिन यदि हम घर पर ही टमाटर चाट बनाना सीख जाएं तो…
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अपना हाता
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
कुछ दोस्तों ने मुखौटे बदल लिए हैं
कुछ दुश्मनों ने चेहरे।
एक बस है जो लगता है छूटने वाली है
एक और बस है ठसाठस भरी हुई
उसका खलासी गायब है
चलने का वक़्त भी नहीं पता
लोग भाग रहे हैं बेतहाशा
इधर से उधर
उधर से इधर
कुछ खड़े हैं जो असमंजस में
छूट जाने के डर से अकेले
दांव तौल रहे हैं
इधर जाएं
या उधर
किसी को मिल गए हैं बारहमासा टिकाऊ जूते
किसी ने तान ली है छतरी धूप में।
मुझसे कहता है पकी दाढ़ी वाला घुटा हुआ एक आदमी
बेटा जी लो अपनी ज़िन्दगी, कमा लो पैसे
फिर नहीं आने का सुनहरा मौका
क्यों जी रहे हो जैसे तैसे
वह अभी अभी चढ़ा है एक बस में
और पुकार रहा है मुझे सीढ़ी से ही
वो छूटने वाली बस का है मुसाफिर
उसकी दौड़ ज़्यादा लंबी नहीं, जानते हुए भी
दे रहा है मुझे आखिरी आवाज़
दिस इज़ द लास्ट कॉल फॉर पैसेंजर नंबर फलां फलां
मैं असमंजस में हूं
पैरों के नीचे की धरती कर सकता हूं महसूस
थोड़ा और शिद्दत के साथ
वह मुझे गुब्बारे दिखाता है
गुब्बारे रंग बिरंगे उसकी छतरी हैं गोया उल्टा पैराशूट
आकाश की ओर उतान जिनमें भरी है
निष्प्राण, निरर्थक, नीरस गैस
मेरे सिर के ठीक ऊपर चमकाता है वह
अपने बारहमासा जूते
जिनसे अगले पांच माह वह काट लेगा कम से कम
ऐसा दावा करता है।
मेरे साथी कह रहे हैं चढ़ जाओ
मेरी संगिन कहती है तोड़ दो दीवारें जो
बना रखी हैं तुमने अपने चारों ओर।
एक देश है जहां उत्तेजना ऐसी है गोया
सोलह मई को नेहरू जी संसद से करेंगे
ट्रिस्ट विद डेस्टिनी का भाषण
और आज़ाद हो जाएंगे सवा अरब लोग
चौक चौराहों और ट्रेनों में बैठे लोग किसी को
देख रहे हैं आता हुए सवार सफेद घोड़े पर
उसके पीछे उड़ती हुई एक चादर है और उसके
हाथों में जादू की एक छड़ी
बिल्कुल ऐसा ही हुआ था पांच साल पहले
लेकिन कोई याद नहीं करना चाहता उस घोड़े को
जिसकी टाप ने कर दिया था हमें बहरा
जिसके खुरों से उड़ने वाली धूल का कण अब भी
गड़ता है हमारी आंखों में और घुड़सवार के उतरते ही
हुई थी आकाशवाणी
हार कर जीतने वाले को बाज़ीगर कहते हैं
उसने हवा में जो रुमाल लहराया था उसमें लगी इत्र
की मादकता अब भी सिर चढ़ कर बोलती है
आदमी पागल
औरत पागल
बच्चे पागल
पागल बुज़ुर्ग
भीतर से दरकता हुआ एक दुर्ग
बाहर सवारियों को समेटती खचाखच भरी बस
कोई छूटने न पाए
सबका साथ ही सबका विकास है।
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
और मैं असमंजस में हूं और यह कोई नई बात नहीं है
क्योंकि शादियों में उदास हो जाना अचानक बचपन से मेरी फितरत रही है
कोई मर जाए तो निस्संग हो कर मलंग हो जाना पुरानी
अदा रही है अपनी
एकाध बार पूछते हैं, कहते हैं लोग हाथ बढ़ाकर-
चढ़ जाओ
फिर प्रेरणा के दो शब्द कह कर हो लेते हैं फरार
अबकी बार मजबूत सरकार।
मैंने पिछले एक हफ्ते में दर्जनों लोगों से पूछा है कि प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस का वोट कैसे बढ़ेगा
सबके मन में केवल विश्वास है
पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब वाला
विश्वास पर दुनिया कायम है तो कांग्रेस क्यों नहीं?
एक बस में अंधविश्वास का भरा है पेट्रोल
दूसरे में विश्वास का
संदेह वर्जित है
विरासत में मिला जो कुछ भी है वही अर्जित है
हाउ इज़ द जोश
सब महामिलावट का है दोष।
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
इसीलिए
मैंने किया है निश्चय बहुत धीरे धीरे
ऐन चुनाव के बीच बच्चों को गणित पढ़ाऊंगा
तेजी से घटती हुई दुनिया में उन्हें जोड़ना सिखाऊंगा
न इस बस से आऊंगा
न उस बस से जाऊंगा
अपनी हदों में रहूंगा
पकी दाढ़ी वाले घुटे हुए आदमी की बातों में
नहीं आऊंगा
न पहनूंगा जूता न तानूंगा छाता
किसी के बाप का क्या जाता
अपना खेल
अपना हाता।
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" आचरण....
शहर से विवाह करके आई आराध्या जबसे अपने ससुराल एक गांव में आई तबसे देख रही थी घर में उसकी बुजुर्ग दादी सास का अपमान होता हुआ...
घर में उसके पति रमेश के अलावा उसकी सास और दादी सास थी बस चार लोगों का परिवार ... उसने ये बात अपने पति रमेश से कहीं तो वह बोला ...ये घर की औरतों का मामला है में इसमें क्या कर सकता हूं
आराध्या समझ गई जो कुछ करना है वह उसे अकेले ही करना होगा जब भी उसकी सासूमां दादी सास का अपमान करती वह विचलित हो जाती उसके मायके में उसके पापा और मम्मी तो दादी का कितना ख्याल रखते हैं और यहां एक बड़ी बुजुर्ग का तिरस्कार हो रहा है वक्त पर खाना ना देना बेवजह बातें सुनाना चलते हुए ताने कहना ...आराध्या को लगता उसे अपनी सास से इसपर बात करनी चाहिए मगर फिर मन में आया कहीं मैं सास से ये सब कहूँगी तो सासूमां आप दादी मां का तिरस्कार मत किया करो तो कहेंगी कि कल की बहू आकर मुझे उपदेश दे रही है और बात बजाय बनने के बिगड़ जाएगी आखिर उसने एक उपाय सोचा वह रोज अपने काम निपटाकर दादी सास के पास जाकर बैठ जाती और उसके पैर दबाने लगती आराध्या की सासूमां ने जब ये नोटिस किया की आराध्या ज्यादा दादी सास के पास बैठने लगी तो यह सब उन्हें पसंद नहीं आया और एक दिन आराध्या को गुस्से से पूछा ...बहू तुम वहां क्यों जा बैठती हो
आराध्या ने अंजान बनते हुए पूछा... मां जी कुछ काम है आपको बताइए ना ...
काम को छोड़ पहले ये बता तू वहां कयुं ज्यादा बैठती है
मां जी ...मेरे प���ताजी ने कहा था कि जवान लड़कों के साथ कभी बैठना ही नहीं जवान लड़कियों के साथ भी कभी मत बैठना जो घर में बड़े-बूढ़े हों उनके पास बैठना, उनसे शिक्षा लेना हमारे घर में सबसे बूढ़ी ये ही हैं अब आप ही बताइए मे किसके पास बैठूं
तुम्हारे पिताजी ने कहा था ये वहां के तौर तरीके हमारे घर नहीं चलेगे यहां तो हमारे तौर तरीके ही चलेगे समझी
मां जी .... मुझे भी यहां के तौर तरीके सीखने है इसीलिए तो मैं उनसे पूछती रहती हूं कि मेरी सास आपकी सेवा कैसे करती है ताकि में भी आपकी तरह आपकी सेवा कर सकूं
अच्छा...तो क्या कहा बुढ़िया ने...
मां जी ...दादीजी बोल रही थी कि अगर मेरी बहु समय पर भोजन दें मुझे ताने ना दे तो मैं उसे ही सच्ची सेवा मान लूं
अच्छा ...तो क्या तू भी कर ऐसा ही करेगी
अब मैं ऐसा नहीं करना चाहती हूं मगर मेरे पिता जी ने कहा कि बड़ों से ससुराल की रीति सीखना जैसे वहां होता हो वैसा ही तुम्हें भी सीखकर करना होगा
आराध्या की बात सुनकर सास डर गयी कि ये सब क्या है यदि मैं अपनी सास के साथ जो बर्ताव करुँगी वही बर्ताव ये मेरे साथ करेंगी ये तो कल मेरे बुढ़ापे में मेरे लिए खतरनाक हो सकता है अचानक एक जगह कोने में मिट्टी के बर्तन इकट्ठे पड़े देखकर सास ने पूछा-बहू ये मिट्टी के बर्तन क्यों इकट्ठे कर रखे है
आराध्या ने कहा...आप दादी जी को ऐसे ही बर्तनों में भोजन देती हो इसलिए मैंने पहले ही ये बर्तन जमा कर लिए हैं ताकि कल ...
क्या मतलब तो तू मुझे कल को मिट्टी के बर्तन में भोजन करायेगी
जी ...अब आप ही ने तो थोड़ी देर पहले कहा कि यहां आपके यहां की रीति चलेगी हमारे घर में तो बड़े बुजुर्गो को आदर से अच्छे बर्तनों में खाना परोसते हैं
अरे यह कोई रीति थोड़े ही है
तो आप फिर आप दादी सास को इन बर्तनों में खाना क्यों देती हो मां जी
वो तो इसलिए की थाली कौन मांजेगा
थाली तो मैं मांज दूँगी
ठीक है तो तू आज से उन्हें थाली में खाना दिया कर और ये मिट्टी के बर्तन उठाकर बाहर फेंक
अब बूढ़ी दादीजी को थाली में भोजन मिलने लगा
लेकिन आराध्या ने नोटिस किया सबको भोजन देने के बाद जो बाकी बचे वह खिचड़ी की खुरचन बची हुई दाल दादी मां जी को दी जाती थी
आराध्या एक दिन ऐसे खाने को हाथ में लाकर देखने लगी तो सास ने पूछा ...क्या देख रही हो बहु
मां जी मैं देख रही हू कि बड़ों को भोजन कैसा दिया जाता है ये भी तो यहां की रीति होगी
ऐसा भोजन देने की कोई रीति थोड़े ही है
मतलब ...तो फिर आप दादीजी ऐसा भोजन क्यों देती हो
अरे बूढ़ों को पहले भोजन कौन देने जाएं
आप आज्ञा दो तो मैं दे दूँगी
अच्छा ... ठीक है तो तू पहले दादी को भोजन दे दिया कर
अच्छी बात है
अब बूढ़ी दादी जी को बढ़िया भोजन मिलने लगा
रसोई बनते ही आराध्या ताजी खिचड़ी, ताजा फुलका, दाल-साग ले जाकर दादी सास जी को दे देती
दादी मां जी तो मन-ही-मन आशीर्वाद देने लगी दादी मां जी दिनभर एक खटिया में पड़ी रहती और वह खटिया भी लगभग टूटी हुई थी उसमें से बन्दनवार की तरह मूँज नीचे लटकती थी
आराध्या ने उसे बड़े गौर से देखा तो ये सब देख रही उसकी सासूमां बोली ...अब क्या देख रही हो
मां जी देख रही हूं कि बड़ों को खाट कैसे दी जाती है
अरे नहीं ... तुम गलत समझ रही हो बड़ों को ऐसी खाट थोड़े ही दी जाती है यह तो टूट जाने से ऐसी हो गयी है
अच्छा ...तो दूसरी क्यों नही बिछा देती
एक काम कर तू बिछा दे दूसरी
अब बूढ़ी दादी के लिए निवार की खाट लाकर बिछा दी गयी एक दिन कपड़े धोते समय आराध्या दादीजी के कपड़े देखने लगी कपड़े छलनी हो रखे थे कपड़ों को गौर से देख रही आराध्या को उसकी सासूमां ने कहा अब क्या देख रही हो बहू
देख रही हूं कि बूढों को कपड़ा कैसे दिया जाता है
फिर वही बात अरे कपड़ा ऐसा थोड़े ही दिया जाता है यह तो पुराना होने पर ऐसा हो जाता है
तो फिर वही कपड़ा रहने दें क्या
तू बदल दे
आराध्या ने मुस्कुरा कर दादी मां के कपड़े चादर, बिछौना आदि सब बदल दिया उसकी चतुराई से बूढ़ी दादी मां का जीवन सुधर गया दोस्तों ....ये सब बाते आपको पुराने जमाने की लग रही होगी ये सच भी है क्योंकि आजकल तो बहु मुंह फट होकर सामने से विरोध कर सकती हैं ऐसी गलत रीतियों का तौर तरीके का मगर पोस्ट का असल मकसद आपको ये बताने का था कहने भर से ही असर नहीं पड़ता बल्कि आचरण का असर पड़ता है जैसे आप को करते हुए देखकर लोगों को सीखने का मौका मिलता है अपने वर्तमान में अपना भविष्य देखने का
असल में जैसा बोओगे वैसा काटोगे यहां तो समझदार बहु ने समझा दिया मगर यदि आप समझना ही नहीं चाहते तो कल होने वाली आपकी परिस्थितियां आप वर्तमान में ही तय कर रहे हैं
एक सुंदर रचना...
#दीप...🙏🙏🙏
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*•("धन्य है वे जो सरल है")•*
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एक छोटी सी कहानी कहूं और उससे ही अपनी चर्चा शुरू करूं।
एक रात, एक सराय में, एक फकीर आया।
सराय भरी हुई थी, रात बहुत बीत चुकी थी और उस गांव के दूसरे मकान बंद हो चुके थे और लोग सो चुके थे।
सराय का मालिक भी सराय को बंद करता था, तभी वह फकीर वहां पहुंचा और उसने कहा, कुछ भी हो, कहीं भी हो, मुझे रात भर टिकने के लिए जगह चाहिए ही।
इस अंधेरी रात में अब मैं कहां खोजूं और कहां जाऊं! सराय के मालिक ने कहा, ठहरना तो हो सकता है, लेकिन अकेला कमरा मिलना कठिन है।
एक कमरा है, उसमें एक मेहमान अभी—अभी आकर ठहरा है, वह जागता होगा, क्या तुम उसके साथ ही उसके कमरे में सो सकोगे? वह फकीर राजी हो गया। एक कमरे में दो मेहमान ठहरा दिए गए।
वह फकीर अपने बिस्तर पर लेट गया, न तो उसने अपने जूते खोले, न अपनी टोपी निकाली, वह सब कपड़े पहने हुए लेट गया।
दूसरा आदमी जो वहां ठहरा हुआ था, उसे हैरानी भी हुई, लेकिन अपरिचित आदमी से कुछ कहना ठीक न था, वह चुप रहा। लेकिन वह फकीर जो टोपी पहने ही सो गया था, वह करवटें बदलने लगा और नींद आनी उसे कठिन हो गई।
दूसरे मेहमान के बर्दाश्त के बाहर हो गया और उसने कहा, महानुभाव, ऐसे तो रात भर नींद नहीं आएगी, आप करवट बदलते रहेंगे।
कृपा करके जूते उतार दें, कपड़े उतार दें, फिर ठीक से सो जाएं। थोड़े सरल हो जाएं तो शायद नींद आ भी जाए। इतने जटिल होकर सोना बहुत मुश्किल है।
उस फकीर ने कहा, मैं भी यही सोचता हूं। लेकिन अगर मैं कमरे में अकेला होता तो कपड़े निकाल देता, तुम्हारे होने की वजह से मैं बहुत मुश्किल में हूं!
उस आदमी ने कहा, इसमें क्या मुश्किल की बात है?
वह फकीर कहने लगा, मुश्किल यह है कि अगर मैं कपड़े निकाल कर सो गया, तो सुबह मेरी नींद खुलेगी, मैं यह कैसे पहचानूंगा कि मैं कौन हूं? मैं अपने कपड़ों से ही खुद को पहचानता हूं। यह कोट मेरे ऊपर है, तो मुझे लगता है कि मैं मैं ही हूं।
यह पगड़ी मेरे सिर पर है, तो मैं जानता हूं कि मैं मैं ही हूं। इस पगड़ी, इस कोट को पहने हुए आईने के सामने खड़ा होता हूं तो पहचान लेता हूं कि मैं मैं ही हूं।
अगर कमरे में अकेला होता तो कपड़े निकाल कर सो जाता, बदलने का कोई डर न था। लेकिन सुबह मैं उठूं तो मैं कैसे पहचानूंगा कि मैं कौन हूं और तुम कौन हो?
वह आदमी कहने लगा, बड़े पागल मालूम होते हो!
तुम जैसा पागल मैंने कभी नहीं देखा!
वह फकीर कहने लगा, तुम मुझे पागल कहते हो! मैंने दुनिया में जो भी आदमी देखा, वह अपने कपड़ों से ही अपने को पहचानता हुआ देखा है।
अगर मैं पागल हूं तो सभी पागल हैं।
आप भी अपने को कपड़ों के अलावा और किसी चीज से पहचानते हैं?
कपड़े बहुत तरह के हैं—नाम भी एक कपड़ा है, जाति भी एक कपड़ा है, धर्म भी एक कपड़ा है। मैं हिंदू हूं मैं मुसलमान हूं? मैं जैन हूं— ये भी कपड़े हैं, ये भी बचपन के बाद पहनाए गए हैं। मेरा यह नाम है, मेरा वह नाम है— ये भी कपड़े हैं, ये भी बचपन के बाद पहनाए गए हैं।
इन्हीं को हम सोचते हैं अपना होना? तो हम जटिल हो जाएंगे, तो हम जटिल हो ही जाएंगे।
एक महानगरी में एक बहुत अदभुत नाटक चल रहा था। शेक्सपियर का नाटक था। उस नगरी में एक ही चर्चा थी कि नाटक बहुत अदभुत है, अभिनेता बहुत कुशल हैं।
उस नगर का जो सबसे बड़ा धर्मगुरु था, उसके भी मन में हुआ कि मैं भी नाटक देखूं। लेकिन धर्मगुरु नाटक देखने कैसे जाए? लोग क्या कहेंगे?
तो उसने नाटक के मैनेजर को एक पत्र लिखा और कहा कि मैं भी नाटक देखना चाहता हूं। प्रशंसा सुन—सुन कर पागल हुआ जा रहा हूं। लेकिन मैं कैसे आऊं? लोग क्या कहेंगे?
तो मेरी एक प्रार्थना है, तुम्हारे नाटक—गृह में कोई ऐसा दरवाजा नहीं है पीछे से जहां से मैं आ सकूं, कोई मुझे न देख सके? उस मैनेजर ने उत्तर लिखा कि आप खुशी से आएं, हमारे नाटक— भवन में पीछे दरवाजा है।
धर्मगुरुओं, सज्जनों, साधुओं के लिए पीछे का दरवाजा बनाना पड़ा है, क्योंकि वे सामने के दरवाजे से कभी नहीं आते। दरवाजा है, आप खुशी से आएं, कोई आपको नहीं देख सकेगा।
लेकिन एक मेरी भी प्रार्थना है, लोग तो नहीं देख पाएंगे कि आप आए, लेकिन इस बात की गारंटी करना मुश्किल है कि परमात्मा नहीं देख सकेगा।
पीछे का दरवाजा है, लोगों को धोखा दिया जा सकता है।
लेकिन परमात्मा को धोखा देना असंभव है। और यह भी हो सकता है कि कोई परमात्मा को भी धोखा दे दे, लेकिन अपने को धोखा देना तो बिलकुल असंभव है।
लेकिन हम सब अपने को धोखा दे रहे हैं। तो हम जटिल हो जाएंगे, सरल नहीं रह सकते। खुद को जो धोखा देगा वह कठिन हो जाएगा, उलझ जाएगा, उलझता चला जाएगा।
हर उलझाव पर नया धोखा, नया असत्य खोजेगा, और उलझ जाएगा। ऐसे हम कठिन और जटिल हो गए हैं।
हमने पीछे के दरवाजे खोज लिए हैं, ताकि कोई हमें देख न सके। हमने झूठे चेहरे बना रखे हैं, ताकि कोई हमें पहचान न सके। हमारी नमस्कार झूठी है, हमारा प्रेम झूठा है, हमारी प्रार्थना झूठी है।
एक आदमी सुबह ही सुबह आपको रास्ते पर मिल जाता है, आप हाथ जोड़ते हैं, नमस्कार करते हैं और कहते हैं, मिल कर बड़ी खुशी हुई।
और मन में सोचते हैं कि इस दुष्ट का चेहरा सुबह से ही कैसे दिखाई पड़ गया! तो आप सरल कैसे हो सकेंगे? ऊपर कुछ है, भीतर कुछ है। ऊपर प्रेम की बातें हैं, भीतर घृणा के कांटे हैं।
ऊपर प्रार्थना है, गीत हैं, भीतर गालियां हैं, अपशब्द हैं। ऊपर मुस्कुराहट है, भीतर आंसू हैं। तो इस विरोध में, इस आत्मविरोध में, इस सेल्फ कंट्राडिक्यान में जटिलता पैदा होगी, उलझन पैदा होगी।
परमात्मा कठिन नहीं है, लेकिन आदमी कठिन है। कठिन आदमी को परमात्मा भी कठिन दिखाई पड़ता हो तो कोई आश्चर्य नहीं।
मैंने सुबह कहा कि परमात्मा सरल है। दूसरी बात आपसे कहनी है, यह सरलता तभी प्रकट होगी जब आप भी सरल हों। यह सरल हृदय के सामने ही यह सरलता प्रकट हो सकती है।
लेकिन हम सरल नहीं हैं।
क्या आप धार्मिक होना चाहते हैं?
क्या आप आनंद को उपलब्ध करना चाहते हैं?
क्या आप शांत होना चाहते हैं?
क्या आप चाहते हैं आपके जीवन के अंधकार में सत्य की ज्योति उतरे?
तो स्मरण रखें— पहली सीढ़ी स्मरण रखें— सरलता के अतिरिक्त सत्य का आगमन नहीं होता है।
सिर्फ उन हृदयों में सत्य का बीज फूटता है जहां सरलता की भूमि है।
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ओशो।
"जीवन रहस्य"--(प्रवचन--12)
("धन्य है वे जो सरल है")
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पीकेएल : पटना पाइरेट्स ने पुनेरी पलटन को हराया, प्लेऑफ के लिए किया क्वालीफाई | प्रो-कबड्डी-लीग समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया
पीकेएल : पटना पाइरेट्स ने पुनेरी पलटन को हराया, प्लेऑफ के लिए किया क्वालीफाई | प्रो-कबड्डी-लीग समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया
बेंगलुरू: गुमान सिंह के लिए सितारा था पटना समुद्री डाकू के रूप में उन्होंने पुनेरी पलटन को 46-23 से हराकर प्लेऑफ में जगह बनाई प्रो कबड्डी लीग गुरुवार को सीजन 8। रेडर ने 13 अंक बनाए जिससे तीन बार के चैंपियन को इस सीजन में प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली टीम बनने में मदद मिली। पहले हाफ में पुणे की ओर से टेबल टॉपर्स को उनके अंक के लिए पसीना बहाना पड़ा, लेकिन उन्होंने दूसरे हाफ में नारंगी रंग…
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GODI MEDIA: गोदी मीडिया वालों की हकीकत क्या ?
आजकल एक बात बहुत चर्चा में है वो है गोदी मीडिया. क्या सच में भारत का मीडिया गोदी मीडिया है? मेरा लेख पढ़ने के बाद आप आकलन कीजिए. लोकतंत्र में कोई स्वतंत्र हो ये आसान नहीं. यूट्यूब चैनल चलाने वाले तक स्वतंत्र नहीं हैं. वो भी पक्ष या विपक्ष दोनों में से किसी एक से संबध रखते हैं. पहले वो किसी चैनल से अपना पक्ष रख रहे थे. अब यूट्यूब चैनल बनाकर, स्वतंत्र मीडिया बनकर खुद को निष्पक्ष बताते हैं.
हकीकत में वो भी गोदी मीडिया हैं. क्योंकि वो उस पब्लिक की गोदी में बैठना चाहते हैं जो उस पक्ष के विरोध में है. जिसका वो विरोध कर रहे हैं. हमारे देश में जनता दो हिस्सों में बट चुकी है. एक वो जो मोदी समर्थक हैं और दूसरे वो जो मोदी विरोधी हैं. तीसरा यहां कोई है ही नहीं. मीडिया भी इन्ही दो हिस्सों में बटी हुई है. देश के कुछ न्यूज़ चैनल मोदी समर्पित हैं तो कुछ मोदी विरोधी.
लेकिन सोशल मीडिया पर दुनिया भर के फैक्ट चेक के नाम पर सरकार विरोधी चैनल्स हैं. पहले के मुकाबले सरकार के हितैषी सोशल मीडिया पर कम हैं, अगर हैं तो सरकार के ही अपने “IT” सेल के कर्मचारी या कुछ गिने चुने लोग. क्योंकि सरकार का मेन स्ट्रीम मीडिया पर कंट्रोल ज्यादा है इस लिए सरकार को सोशल मीडिया की इतनी ज़रूरत नहीं है.
अब अगर बात गोदी मीडिया की करें तो क्या मोदी की गोद में बैठी मीडिया ही गोदी मीडिया (GODI MEDIA) है या मोदी विरोध वाले भी गोदी मीडिया हैं. दरसल इस देश में मोदी मीडिया और गोदी मीडिया दो हैं. मीडिया कहीं नज़र नहीं आ रहा. मोदी की गोदी में बैठे मोदी गोदी (MODI GODI) हैं. मोदी के विरोध वाले विपक्ष की गोदी में बैठे हैं.
क्योंकि खबर को तो अब मारा जा चुका है. अब तो सिर्फ विरोध और पक्ष रह गया है. हकीकत में हमारे देश में मीडिया का पतन हो चुका है. मीडिया में सिर्फ कर्मचारी रह गए हैं. पत्रकारिता तो कफन में बंद हो चुकी है. क्योंकि संपादक सब पहले ही डिसाइड कर लेते हैं कि कौन सी खबर को बेचना है और कौन सी खबर को छोड़ना. जनता के हित की खबर गलती से चल जाए तो खुदा का लाख लाख शुक्र.
गोदी में बैठी मीडिया के लिए अब खबर सिर्फ दो ही बची हैं. एक खबर मोदी की तारीफ एक मोदी के विरोध वाली. जो पत्रकार नौकरी छोड़ चुके हैं वो मोदी विरोध से धंधा चला रहे हैं और जो नौकरी में हैं वो मोदी की खुशामती कर के अपना काम चला रहे हैं. बहुत कम ही पत्रकार हैं जो बैचारे किसी तरह अपने आप को न्यूट्रल बना कर चल रहे हैं.
दरसल मोदी विरोध और मोदी भक्त होने के बाद आप के दर्शक बंध जाते हैं. जिसके बाद आप को अपने उन दर्शकों के लिए विचारधारा को समर्पित करके उनका एजेंडा चलाना आपकी मजबूरी होती है. अब मेरा चैनल्स का नाम लेने से तो कोई फर्क नहीं पढ़ने वाला कि ये गोदी में बैठा है तो ये नहीं. दरसल गोदी में तो सभी बैठे हैं. लेकिन हम सब गोदी मीडिया हैं ऐसा नहीं है.
देश के लिए झुकाव रखना गोदी मीडिया (GODI MEDIA) नहीं हो सकता चाहे वो सरकार का विरोध हो या सरकार का पक्ष. देश हित के मुद्दों पर सरकार की गोदी में बैठना गोदी मीडिया नहीं है, ��ेकिन सरकार के गलत फैसलों को भी आंख मूंद कर समर्थन करना गोदी मीडिया होना ही है. जितने भी पत्रकार ��रकार का पक्ष या विरोध देश हित को, जनता हित को देख कर करते हैं वो गोदी मीडिया नहीं हैं वहीं पत्रकार हैं. लेकिन इस देश में पत्रकारों कि बहुत कमी है.
यहां पर गोदी मीडिया (GODI MEDIA) वाले बहुत ज्यादा हैं. उनको हर खबर में पक्ष या विरोध ही दिखता है. गोदी मीडिया हमेशा रहेगा जब तक देश रहेगा. लेकिन बस इंतज़ार है, तो उस मीडिया का जो देश हित के लिए गोदी में बैठे. फिर चाहे गोदी मीडिया हो या मोदी मीडिया कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बहुत से लोग आज भी गोदी मीडिया से बाहर एक स्वतंत्र मीडिया चाहते हैं. लेकिन इस देश में ऐसा होना नामुमकिन है, जब तक देश में धर्म और जाति के नाम पर चुनाव होते रहेंगे.
हमारे देश में लोग अपने आप को स्वतंत्र तो बताते हैं लेकिन उसी स्वतंत्रता में अगर उनकी प्रोफाइल देखी जाए तो वो नंगे हो जाते हैं. किसी खास के विरोध से वो किसी की गोदी में बैठे दिखते हैं. गोदी मीडिया वाले वहीं हैं जो किसी की गोदी में बैठकर सिर्फ एक विचारधारा को समर्पित हैं जो सच अधूरा ही दिखा कर खुश होते हैं. जिन्हे डर लगता है कि हमने सच पूरा बता दिया तो कहीं हमारे साथी न नाराज़ हो जाएं. हमारे समर्थक ना नाराज़ हो जाएं. वो डर से गोदी से बाहर नहीं निकल पाते यहीं असल में गोदी मीडिया (GODI MEDIA) वाले हैं.
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