#सनी की आवाज़
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राज कॉलोनी का भूतिया रहस्य
(The Haunting Mystery of Raj Colony)
1995 का साल था। उत्तर प्रदेश के जौनपुर के राज कॉलोनी में एक परिवार रहता था, जिसमें तीन बड़े भाई-बहन थे – राकेश, निधि, और सबसे छोटे थे सनी और पूजा। ये चारों भाई-बहन हमेशा साथ रहते थे और कॉलोनी में मस्ती करते रहते थे। हालांकि, उनके घर के पास स्थित एक पुरानी हवेली हमेशा उनकी जिज्ञासा और डर का विषय बनी रहती थी। उस हवेली को लोग "भूतिया हवेली" के नाम से जानते थे।
कहते थे कि इस हवेली में कई साल पहले एक परिवार रहता था, लेकिन एक भयानक हादसे के बाद पूरा परिवार मर गया, और तब से हवेली में अजीब घटनाएँ होने लगीं। मोहल्ले के लोग उस हवेली के पास जाने से डरते थे, और बच्चों को भी मना किया गया था कि वहाँ न जाएँ। हवेली के बारे में कई कहानियाँ थीं—कभी किसी ने रात में रोने की आवाज़ें सुनीं तो कभी अजीब परछाइयाँ देखी गईं।
राकेश और निधि जो कि सनी और पूजा से बड़े थे, हमेशा हवेली की कहानियों को अफवाह समझते थे। उन्हें इन कहानियों पर विश्वास नहीं था, लेकिन सनी और पूजा हवेली के बारे में सुनकर बहुत डरते थे। एक दिन, जब माता-पिता किसी काम से शहर के बाहर गए हुए थे, राकेश ने सुझाव दिया, "क्यों न हम आज इस हवेली का रहस्य सुलझाएँ? हम लोग अब बड़े हो गए हैं, हमें इस तरह की बातों से डरना नहीं चाहिए।"
निधि ने भी सहमति जताई, "हम जा सकते हैं, लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि कुछ भी अजीब हो, तो तुरंत वापस लौट आएंगे।"
पूजा डरते हुए बोली, "लेकिन लोग कहते हैं कि वहाँ आत्माएँ भटकती हैं।"
राकेश हंसते हुए बोला, "वो सब लोगों की बातें हैं, पूजा। अगर हम खुद देखेंगे, तभी हमें सच्चाई पता चलेगी।"
रात को जब कॉलोनी में सन्नाटा छा गया, चारों भाई-बहन हवेली की तरफ निकल पड़े। हवेली का रास्ता सुनसान था, चारों ओर घना अंधेरा और ठंडी हवा चल रही थी। जैसे-जैसे वे हवेली के करीब पहुँचे, सनी और पूजा की धड़कनें तेज हो रही थीं, लेकिन राकेश और निधि ने हिम्मत दिखाते हुए आगे कदम बढ़ाए।
हवेली के सामने पहुँचकर, उन्होंने देखा कि हवेली की ऊँची दीवारें समय के साथ टूट-फूट गई थीं। हवेली का मुख्य दरवाजा हल्का खुला हुआ था, जैसे किसी ने हाल ही में उसे ख���ला हो। राकेश ने धीरे से दरवाजे को धक्का दिया, और वह चिरचिराते हुए खुल गया। अंदर गहरा अंधेरा था, और ठंडी हवा ने चारों को सिहरन महसूस कराई। राकेश ने अपनी टॉर्च जलाई और सभी धीरे-धीरे अंदर कदम बढ़ाने लगे।
हवेली के अंदर की हवा भारी और ठंडी थी, जैसे वहाँ कई सालों से कोई नहीं गया हो। फर्श पर धूल की मोटी परत जमी थी, और दीवारों पर मकड़ी के जाले लटके हुए थे। हवेली के अंदर जाने पर एक अजीब सी घुटन महसूस होने लगी। सनी और पूजा पीछे-पीछे चल रहे थे, जबकि राकेश और निधि आगे बढ़ रहे थे।
राकेश ने कहा, "देखा, यहाँ कुछ भी नहीं है। ये सिर्फ अफवाहें हैं।"
लेकिन तभी, निधि को लगा कि किसी ने उसकी पीठ पर हाथ रखा। उसने अचानक मुड़कर देखा, पर वहाँ कोई नहीं था। वह थोड़ी घबरा गई, लेकिन उसने खुद को शांत किया और कहा, "शायद मेरा भ्रम होगा।"
चारों हवेली के बीचों-बीच पहुँचे, जहाँ एक पुराना झूमर लटका हुआ था, जो धीरे-धीरे हिल रहा था। हवा का झोंका नहीं था, फिर भी झूमर का हिलना उन्हें अजीब लगा। पूजा ने डरते हुए कहा, "भैया, हमें वापस चलना चाहिए। मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा।"
राकेश ने उसे चुप कराते हुए कहा, "थोड़ा और देखते हैं। कुछ भी नहीं होगा।"
तभी अचानक, हवेली के ऊपर के कमरे से किसी के जोर-जोर से चीखने की आवाज़ आई। आवाज़ इतनी तेज थी कि चारों भाई-बहन सिहर उठे। सनी और पूजा डर के मारे पीछे हटने लगे, लेकिन राकेश ने उन्हें रोकते हुए कहा, "आवाज ऊपर से आई है। हमें देखना चाहिए कि वहाँ क्या है।"
निधि ने कहा, "राकेश, ये सही नहीं है। हमें वापस चलना चाहिए।"
लेकिन राकेश ने जिद पकड़ी और सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगा। निधि भी उसके साथ चल पड़ी, हालांकि वह भी डरी हुई थी। सनी और पूजा को नीचे ही रुकने के लिए कहा गया, लेकिन वे दोनों भी उनके पीछे-पीछे चल पड़े।
सीढ़ियाँ चरमरा रही थीं, जैसे किसी भी वक्त टूट जाएँगी। ऊपर पहुँचते ही उन्हें एक बड़ा, खाली कमरा मिला। कमरे में सिर्फ एक पुराना पलंग पड़ा था, और दीवारों पर अजीब से निशान थे। जैसे ही राकेश और निधि ने कमरे के अंदर कदम रखा, दरवाजा अचानक जोर से बंद हो गया। अब चारों कमरे के अंदर फँस चुके थे।
पूजा चीखकर बोली, "भैया, हमें यहाँ से निकलना चाहिए!"
सनी ने दरवाजे को जोर से खींचने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा जैसे किसी ने बाहर से बंद कर दिया हो। तभी कमरे के एक कोने से हल्की-हल्की आवाज़ें आने लगीं, जैसे कोई फुसफुसा रहा हो। चारों ने उधर देखा, और वहाँ अंधेरे में किसी की परछाई हिलती हुई दिखाई दी।
राकेश की आवाज अब काँपने लगी, "क-कौन है वहाँ?"
कोई जवाब नहीं आया। लेकिन परछाई धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ने लगी। चारों की साँसें रुक गईं। अचानक, कमरे के चारों ओर तेज हवा चलने लगी, और दीवारों पर लिखे अजीब निशान चमकने लगे। चारों भाई-बहन अब हिल भी नहीं पा रहे थे। तभी परछाई पूरी तरह से उनके ��ामने आ गई—वह एक औरत की आत्मा थी, जिसके चेहरे पर कोई शक्ल नहीं थी। उसकी आँखें गहरे काले रंग की थीं, और उसकी उपस्थिति से हवेली की सारी चीजें हिलने लगीं।
औरत की आत्मा ने अपनी दर्दभरी आवाज़ में कहा, "तुमने मेरे घर में कदम रखने की हिम्मत कैसे की?"
सनी और पूजा रोने लगे, लेकिन राकेश और निधि ने खुद को संभालने की कोशिश की। राकेश ने कांपती आवाज़ में कहा, "हम, हम बस यहाँ का सच जानने आए थे।"
आत्मा ने गुस्से में कहा, "यह हवेली मेरी कब्रगाह है। जो यहाँ आता है, वह जिंदा वापस नहीं जाता!"
उसकी आवाज से हवेली के दरवाजे और खिड़कियाँ जोर-जोर से धड़कने लगे। चारों भाई-बहन अब पूरी तरह से डर चुके थे। अचानक, हवेली की बिजली गुल हो गई और चारों अंधेरे में घिर गए। चीखें और परछाइयाँ हर तरफ मंडराने लगीं। चारों को लगा कि आज वे यहाँ से कभी वापस नहीं जा पाएंगे।
लेकिन तभी, सनी ने देखा कि दरवाजे के पास एक छोटा सा छेद था, जिससे बाहर की हल्की रोशनी आ रही थी। उसने राकेश को इशारा किया, और राकेश ने अपनी पूरी ताकत लगाकर दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की। कुछ मिनटों की जद्दोजहद के बाद, दरवाजा टूट गया और चारों हवेली से बाहर भागे।
जैसे ही वे हवेली से बाहर निकले, हवा एकदम शांत हो गई, और चारों भाई-बहन ने राहत की साँस ली। उनके चेहरे पसीने से तर थे, लेकिन वे जान बचाकर भाग चुके थे। हवेली के बाहर खड़े होकर उन्होंने पीछे मुड़कर देखा। हवेली अब और भी भयानक लग रही थी, और अंदर से अब भी धीमी-धीमी चीखें सुनाई दे रही थीं।
उस रात के बाद, चारों भाई-बहन ने कभी उस हवेली की तरफ रुख नहीं किया। राज कॉलोनी में हवेली की भूतिया कहानियाँ हमेशा सच मानी जाती रहीं, और अब चारों को भी यकीन हो चुका था कि कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिन्हें समझने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
शिक्षा: कभी-कभी कुछ रहस्यों को छेड़ना जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है।
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