#सतगुरु कहते है कि मांगने से मर जाना बेहतर है
Explore tagged Tumblr posts
Text
#सतगुरु कहते है कि मांगने से मर जाना बेहतर है#अर्थात पुरूषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त कर��#उसे किसी से मांगो मत।GodMorningSaturday
0 notes
Text
#सत_भक्ति_संदेश
कबीर,....
माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख । माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख |
सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
0 notes
Text
#GodMorningTuesday
🥌कबीर,🥌
माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख । माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख ||
⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽⚽
सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
0 notes
Text
🍁04 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कि वास्तविक समाज सुधारक कबीर परमेश्वर जी ही हैं🍁
समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और बुराइयों के बारे में पढ़ते पढ़ाते सैकड़ो वर्ष बीत गये। लेकिन इन समाज नाशक बुराइयों के अंत में सफलता प्राप्त नहीं हुई?
समय समय पर सरकारों ने भी इन इन बुराइयों की रोकथाम के लिए अनेक प्रयत्न किये किंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई।
दहेज, मृत्युभोज जैसी कुरितियां समाज के गरीब व्यक्ति को और गरीब बनाने वाली है, व्यक्ति भूत प्रेत, प्राकृतिक आपदाओं से तो बच सकता है परंतु राक्षस रूपी कुप्रथाओं से बचना असम्भव है।
इन बुराइयों से मात्र कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं से ही बचा जा सकता है, यही एकमात्र और सरल उपाय है।
जब 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने इन बुराइयों तथा कुप्रथाओं के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया तब नकली धर्मगुरुओं ने कबीर साहेब का विरोध किया।
*दहेज रूपी दानव का अंत कबीर ज्ञान से।*
कबीर साहेब ने बताया:-
कबीर, माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख ।
माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥
अर्थ : माँगना मरने के बराबर है, इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
समाज के दुष्ट लोग भीख मानकर रात्रि में शराब मांस का सेवन करते हैं।
भ्रष्ट लोग रिश्वत मांगकर देश के साथ और अपने कर्मों के साथ धोखा करते हैं।
नीच लोग दहेज मानकर अन्याय करते हैं।
इसलिए परमेश्वर ने बताया है मांगने से मरना भला।
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं।
ऋण संबन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा।।
परमात्मा की दृष्टि से कुछ नहीं छुपा है। जैसा करेगा, वैसा भरना पड़ेगा। प्रत्येक परिवार इसी प्रकार संस्कार के कारण एक-दूसरे से जुड़ा है। कोई पूर्व जन्म का कर्ज उतारने के लिए जन्मा है, कोई पूर्व जन्म का कर्ज लेने जन्मा है। उदाहरण के लिए :-
पिता ने लड़के को पढ़ाया। शादी से दो दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त होक�� मर गया। वह अपना कर्ज पिता से लेने आया था। बेटा जवा�� हुआ। कार्य करके निर्वाह करने लगा। पिता रोगी हो गया, लाखों रूपये लगे, व्यर्थ रहे, मर गया। यह पिता पिछले जन्म का कर्ज लेने आया था। कुछ देने आया था। लड़की का विवाह किया, दो वर्ष पश्चात् लड़की मर गई। बहुत दहेज दिया था। वह दामाद पूर्व जन्म के ऋण के बदले में लड़की भी ले गया और धन भी। वर्तमान में जो किसी के साथ धोखा करके धन हड़प लेते हैं, वह धन अगले जन्म में दामाद बनकर वसूलेगा। परमात्मा का अटल विधान है। बुद्धिमान को संकेत ही पर्याप्त है।
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
भावार्थ :- सर्व सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का स्वतः होने वाला, जिसको प्राप्त करना उद्देश्य नहीं, वह फिर भी अवश्य प्राप्त होता है, By Product होता है।
जैसे :- जिसने गेहूँ की फसल बोई तो उसका उद्देश्य गेहूँ का अन्न प्राप्त करना है। परंतु भुष अर्थात् चारा भी अवश्य प्राप्त होता है। चारा, तूड़ा गेहूँ के अन्न का By Product है।
इसी प्रकार सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, वह चरणों में पड़ी रहती है अर्थात् धन का अभाव नहीं रहता अपितु आवश्यकता से अधिक प्राप्त रहती है।
परमेश्वर की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के अवतार रूप में आये है जो परमेश्वर कबीर जी के ज्ञान से सर्व बुराइयों व कुप्रथाओं का समूल नाश कर रहे है। पूर्ण संत रामपाल जी महाराज के पास ही पूर्ण मोक्ष मंत्र है जिनसे बुराइयां अपने आप छूट जाती है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में रोजाना दहेजमुक्त विवाह संपन्न हो रहे है।
दहेजमुक्त, नशामुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
सर्व समाज से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझे, उनसे दीक्षा लेकर बुराइयों से बचे और अपने जीव का कल्याण कराये।
संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन शाम 7:30-8:30 बजे।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से ��ाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
0 notes
Text
कबीर, गुरू बिना माला फेरते, गुरू बिना देते दान।
गुरू बिन दोनों निष्फल है, भावें देखो वेद पुराण।।
🍁04 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कि वास्तविक समाज सुधारक कबीर परमेश्वर जी ही हैं🍁
समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और बुराइयों के बारे में पढ़ते पढ़ाते सैकड़ो वर्ष बीत गये। लेकिन इन समाज नाशक बुराइयों के अंत में सफलता प्राप्त नहीं हुई?
समय समय पर सरकारों ने भी इन इन बुराइयों की रोकथाम के लिए अनेक प्रयत्न किये किंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई।
दहेज, मृत्युभोज जैसी कुरितियां समाज के गरीब व्यक्ति को और गरीब बनाने वाली है, व्यक्ति भूत प्रेत, प्राकृतिक आपदाओं से तो बच सकता है परंतु राक्षस रूपी कुप्रथाओं से बचना असम्भव है।
इन बुराइयों से मात्र कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं से ही बचा जा सकता है, यही एकमात्र और सरल उपाय है।
जब 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने इन बुराइयों तथा कुप्रथाओं के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया तब नकली धर्मगुरुओं ने कबीर साहेब का विरोध किया।
*दहेज रूपी दानव का अंत कबीर ज्ञान से।*
कबीर साहेब ने बताया:-
कबीर, माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख ।
माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥
अर्थ : माँगना मरने के बराबर है, इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
समाज के दुष्ट लोग भीख मानकर रात्रि में शराब मांस का सेवन करते हैं।
भ्रष्ट लोग रिश्वत मांगकर देश के साथ और अपने कर्मों के साथ धोखा करते हैं।
नीच लोग दहेज मानकर अन्याय करते हैं।
इसलिए परमेश्वर ने बताया है मांगने से मरना भला।
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं।
ऋण संबन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा।।
परमात्मा की दृष्टि से कुछ नहीं छुपा है। जैसा करेगा, वैसा भरना पड़ेगा। प्रत्येक परिवार इसी प्रकार संस्कार के कारण एक-दूसरे से जुड़ा है। कोई पूर्व जन्म का कर्ज उतारने के लिए जन्मा है, कोई पूर्व जन्म का कर्ज लेने जन्मा है। उदाहरण के लिए :-
पिता ने लड़के को पढ़ाया। शादी से दो दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त होकर मर गया। वह अपना कर्ज पिता से लेने आया था। बेटा जवान हुआ। कार्य करके निर्वाह करने लगा। पिता रोगी हो गया, लाखों रूपये लगे, व्यर्थ रहे, मर गया। यह पिता पिछले जन्म का कर्ज लेने आया था। कुछ देने आया था। लड़की का विवाह किया, दो वर्ष पश्चात् लड़की मर गई। बहुत दहेज दिया था। वह दामाद पूर्व जन्म के ऋण के बदले में लड़की भी ले गया और धन भी। वर्तमान में जो किसी के साथ धोखा करके धन हड़प लेते हैं, वह धन अगले जन्म में दामाद बनकर वसूलेगा। परमात्मा का अटल विधान है। बुद्धिमान को संकेत ही पर्याप्त है।
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
भावार्थ :- सर्व सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का स्वतः होने वाला, जिसको प्राप्त करना उद्देश्य नहीं, वह फिर भी अवश्य प्राप्त होता है, By Product होता है।
जैसे :- जिसने गेहूँ की फसल बोई तो उसका उद्देश्य गेहूँ का अन्न प्राप्त करना है। परंतु भुष अर्थात् चारा भी अवश्य प्राप्त होता है। चारा, तूड़ा गेहूँ के अन्न का By Product है।
इसी प्रकार सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, वह चरणों में पड़ी रहती है अर्थात् धन का अभाव नहीं रहता अपितु आवश्यकता से अधिक प्राप्त रहती है।
परमेश्वर की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के अवतार रूप में आये है जो परमेश्वर कबीर जी के ज्ञान से सर्व बुराइयों व कुप्रथाओं का समूल नाश कर रहे है। पूर्ण संत रामपाल जी महाराज के पास ही पूर्ण मोक्ष मंत्र है जिनसे बुराइयां अपने आप छूट जाती है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में रोजाना दहेजमुक्त विवाह संपन्न हो रहे है।
दहेजमुक्त, नशामुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
सर्व समाज से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझे, उनसे दीक्षा लेकर बुराइयों से बचे और अपने जीव का कल्याण कराये।
🏷️ आध्यात्मिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक "ज्ञान गंगा" फ्री में ऑ���्डर करे ⤵️
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeWbFJG0nPe4DDrhwAFWLF2M4-EwDVLo27ubMfW6_nz_v1upw/viewform?usp=sf_link
संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन शाम 7:30-8:30 बजे।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से डाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
0 notes
Text
🍁04 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कि वास्तविक समाज सुधारक कबीर परमेश्वर जी ही हैं🍁
समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और बुराइयों के बारे में पढ़ते पढ़ाते सैकड़ो वर्ष बीत गये। लेकिन इन समाज नाशक बुराइयों के अंत में सफलता प्राप्त नहीं हुई?
समय समय पर सरकारों ने भी इन इन बुराइयों की रोकथाम के लिए अनेक प्रयत्न किये किंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई।
दहेज, मृत्युभोज जैसी कुरितियां समाज के गरीब व्यक्ति को और गरीब बनाने वाली है, व्यक्ति भूत प्रेत, प्राकृतिक आपदाओं से तो बच सकता है परंतु राक्षस रूपी कुप्रथाओं से बचना असम्भव है।
इन बुराइयों से मात्र कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं से ही बचा जा सकता है, यही एकमात्र और सरल उपाय है।
जब 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने इन बुराइयों तथा कुप्रथाओं के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया तब नकली धर्मगुरुओं ने कबीर साहेब का विरोध किया।
*दहेज रूपी दानव का अंत कबीर ज्ञान से।*
कबीर साहेब ने बताया:-
कबीर, माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख ।
माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥
अर्थ : माँगना मरने के बराबर है, इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
समाज के दुष्ट लोग भीख मानकर रात्रि में शराब मांस का सेवन करते हैं।
भ्रष्ट लोग रिश्वत मांगकर देश के साथ और अपने कर्मों के साथ धोखा करते हैं।
नीच लोग दहेज मानकर अन्याय करते हैं।
इसलिए परमेश्वर ने बताया है मांगने से मरना भला।
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं।
ऋण संबन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा।।
परमात्मा की दृष्टि से कुछ नहीं छुपा है। जैसा करेगा, वैसा भरना पड़ेगा। प्रत्येक परिवार इसी प्रकार संस्कार के कारण एक-दूसरे से जुड़ा है। कोई पूर्व जन्म का कर्ज उतारने के लिए जन्मा है, कोई पूर्व जन्म का कर्ज लेने जन्मा है। उदाहरण के लिए :-
पिता ने लड़के को पढ़ाया। शादी से दो दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त होकर मर गया। वह अपना कर्ज पिता से लेने आया था। बेटा जवान हुआ। कार्य करके निर्वाह करने लगा। पिता रोगी हो गया, लाखों रूपये लगे, व्यर्थ रहे, मर गया। यह पिता पिछले जन्म का कर्ज लेने आया था। कुछ देने आया था। लड़की का विवाह किया, दो वर्ष पश्चात् लड़की मर गई। बहुत दहेज दिया था। वह दामाद पूर्व जन्म के ऋण के बदले में लड़की भी ले गया और धन भी। वर्तमान में जो किसी के साथ धोखा करके धन हड़प लेते हैं, वह धन अगले जन्म में दामाद बनकर वसूलेगा। परमात्मा का अटल विधान है। बुद्धिमान को संकेत ही पर्याप्त है।
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
भावार्थ :- सर्व सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का स्वतः होने वाला, जिसको प्राप्त करना उद्देश्य नहीं, वह फिर भी अवश्य प्राप्त होता है, By Product होता है।
जैसे :- जिसने गेहूँ की फसल बोई तो उसका उद्देश्य गेहूँ का अन्न प्राप्त करना है। परंतु भुष अर्थात् चारा भी अवश्य प्राप्त होता है। चारा, तूड़ा गेहूँ के अन्न का By Product है।
इसी प्रकार सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, वह चरणों में पड़ी रहती है अर्थात् धन का अभाव नहीं रहता अपितु आवश्यकता से अधिक प्राप्त रहती है।
परमेश्वर की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के अवतार रूप में आये है जो परमेश्वर कबीर जी के ज्ञान से सर्व बुराइयों व कुप्रथाओं का समूल नाश कर रहे है। पूर्ण संत रामपाल जी महाराज के पास ही पूर्ण मोक्ष मंत्र है जिनसे बुराइयां अपने आप छूट जाती है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में रोजाना दहेजमुक्त विवाह संपन्न हो रहे है।
दहेजमुक्त, नशामुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
सर्व समाज से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझे, उनसे दीक्षा लेकर बुराइयों से बचे और अपने जीव का कल्याण कराये।
संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन शाम 7:30-8:30 बजे।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से डाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
0 notes
Text
कबीर, गुरू बिना माला फेरते, गुरू बिना देते दान।
गुरू बिन दोनों निष्फल है, भावें देखो वेद पुराण।।
🍁04 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कि वास्तविक समाज सुधारक कबीर परमेश्वर जी ही हैं🍁
समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और बुराइयों के बारे में पढ़ते पढ़ाते सैकड़ो वर्ष बीत गये। लेकिन इन समाज नाशक बुराइयों के अंत में सफलता प्राप्त नहीं हुई?
समय समय पर सरकारों ने भी इन इन बुराइयों की रोकथाम के लिए अनेक प्रयत्न किये किंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई।
दहेज, मृत्युभोज जैसी कुरितियां समाज के गरीब व्यक्ति को और गरीब बनाने वाली है, व्यक्ति भूत प्रेत, प्राकृतिक आपदाओं से तो बच सकता है परंतु राक्षस रूपी कुप्रथाओं से बचना असम्भव है।
इन बुराइयों से मात्र कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं से ही बचा जा सकता है, यही एकमात्र और सरल उपाय है।
जब 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने इन बुराइयों तथा कुप्रथाओं के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया तब नकली धर्मगुरुओं ने कबीर साहेब का विरोध किया।
*दहेज रूपी दानव का अंत कबीर ज्ञान से।*
कबीर साहेब ने बताया:-
कबीर, माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख ।
माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥
अर्थ : माँगना मरने के बराबर है, इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
समाज के दुष्ट लोग भीख मानकर रात्रि में शराब मांस का सेवन करते हैं।
भ्रष्ट लोग रिश्वत मांगकर देश के साथ और अपने कर्मों के साथ धोखा करते हैं।
नीच लोग दहेज मानकर अन्याय करते हैं।
इसलिए परमेश्वर ने बताया है मांगने से मरना भला।
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं।
ऋण संबन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा।।
परमात्मा की दृष्टि से कुछ नहीं छुपा है। जैसा करेगा, वैसा भरना पड़ेगा। प्रत्येक परिवार इसी प्रकार संस्कार के कारण एक-दूसरे से जुड़ा है। कोई पूर्व जन्म का कर्ज उतारने के लिए जन्मा है, कोई पूर्व जन्म का कर्ज लेने जन्मा है। उदाहरण के लिए :-
पिता ने लड़के को पढ़ाया। शादी से दो दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त होकर मर गया। वह अपना कर्ज पिता से लेने आया था। बेटा जवान हुआ। कार्य करके निर्वाह करने लगा। पिता रोगी हो गया, लाखों रूपये लगे, व्यर्थ रहे, मर गया। यह पिता पिछले जन्म का कर्ज लेने आया था। कुछ देने आया था। लड़की का विवाह किया, दो वर्ष पश्चात् लड़की मर गई। बहुत दहेज दिया था। वह दामाद पूर्व जन्म के ऋण के बदले में लड़की भी ले गया और धन भी। वर्तमान में जो किसी के साथ धोखा करके धन हड़प लेते हैं, वह धन अगले जन्म में दामाद बनकर वसूलेगा। परमात्मा का अटल विधान है। बुद्धिमान को संकेत ही पर्याप्त है।
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
भावार्थ :- सर्व सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का स्वतः होने वाला, जिसको प्राप्त करना उद्���ेश्य नहीं, वह फिर भी अवश्य प्राप्त होता है, By Product होता है।
जैसे :- जिसने गेहूँ की फसल बोई तो उसका उद्देश्य गेहूँ का अन्न प्राप्त करना है। परंतु भुष अर्थात् चारा भी अवश्य प्राप्त होता है। चारा, तूड़ा गेहूँ के अन्न का By Product है।
इसी प्रकार सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, वह चरणों में पड़ी रहती है अर्थात् धन का अभाव नहीं रहता अपितु आवश्यकता से अधिक प्राप्त रहती है।
परमेश्वर की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के अवतार रूप में आये है जो परमेश्वर कबीर जी के ज्ञान से सर्व बुराइयों व कुप्रथाओं का समूल नाश कर रहे है। पूर्ण संत रामपाल जी महाराज के पास ही पूर्ण मोक्ष मंत्र है जिनसे बुराइयां अपने आप छूट जाती है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में रोजाना दहेजमुक्त विवाह संपन्न हो रहे है।
दहेजमुक्त, नशामुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
सर्व समाज से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझे, उनसे दीक्षा लेकर बुराइयों से बचे और अपने जीव का कल्याण कराये।
🏷️ आध्यात्मिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक "ज्ञान गंगा" फ्री में ऑर्डर करे ⤵️
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeWbFJG0nPe4DDrhwAFWLF2M4-EwDVLo27ubMfW6_nz_v1upw/viewform?usp=sf_link
संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन शाम 7:30-8:30 बजे।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से डाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
0 notes
Text
#Teachings_Of_LordKabir
भक्ति की साधना मे श्वांस जो बाहर आता है, उश्वांस जो वापिस शरीर में जाता है। ऐसे सतनाम का स्मरण करने को कहा है, यही वास्तविक साधना है
Kabir Prakat Diwas 14June
🍁14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कि वास्तविक समाज सुधारक कबीर परमेश्वर जी ही हैं!🍁
समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और बुराइयों के बारे में पढ़ते पढ़ाते सैकड़ो वर्ष बीत गये। लेकिन इन समाज नाशक बुराइयों के अंत में सफलता प्राप्त नहीं हुई?
समय समय पर सरकारों ने भी इन इन बुराइयों की रोकथाम के लिए अनेक प्रयत्न किये किंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई।
दहेज, मृत्युभोज जैसी कुरितियां समाज के गरीब व्यक्ति को और गरीब बनाने वाली है, व्यक्ति भूत प्रेत, प्राकृतिक आपदाओं से तो बच सकता है परंतु राक्षस रूपी कुप्रथाओं से बचना असम्भव है।
इन बुराइयों से मात्र कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं से ही बचा जा सकता है, यही एकमात्र और सरल उपाय है।
जब 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने इन बुराइयों तथा कुप्रथाओं के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया तब नकली धर्मगुरुओं ने कबीर साहेब का विरोध किया।
*दहेज रूपी दानव का अंत कबीर ज्ञान से।*
कबीर साहेब ने बताया:-
कबीर, माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख ।
माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥
अर्थ : माँगना मरने के बराबर है, इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
समाज के दुष्ट लोग भीख मानकर रात्रि में शराब मांस का सेवन करते हैं।
भ्रष्ट लोग रिश्वत मांगकर देश के साथ और अपने कर्मों के साथ धोखा करते हैं।
नीच लोग दहेज मानकर अन्याय करते हैं।
इसलिए परमेश्वर ने बताया है मांगने से मरना भला।
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं।
ऋण संबन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा।।
परमात्मा की दृष्टि से कुछ नहीं छुपा है। जैसा करेगा, वैसा भरना पड़ेगा। प्रत्येक परिवार इसी प्रकार संस्कार के कारण एक-दूसरे से जुड़ा है। कोई पूर्व जन्म का कर्ज उतारने के लिए जन्मा है, कोई पूर्व जन्म का कर्ज लेने जन्मा है। उदाहरण के लिए:-
पिता ने लड़के को पढ़ाया। शादी से दो दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त होकर मर गया। वह अपना कर्ज पिता से लेने आया था। बेटा जवान हुआ। कार्य करके निर्वाह करने लगा। पिता रोगी हो गया, लाखों रूपये लगे, व्यर्थ रहे, मर गया। यह पिता पिछले जन्म का कर्ज लेने आया था। कुछ देने आया था। लड़की का विवाह किया, दो वर्ष पश्चात् लड़की मर गई। बहुत दहेज दिया था। वह दामाद पूर्व जन्म के ऋण के बदले में लड़की भी ले गया और धन भी। वर्तमान में जो किसी के साथ धोखा करके धन हड़प लेते हैं, वह धन अगले जन्म में दामाद बनकर वसूलेगा। परमात्मा का अटल विधान है। बुद्धिमान को संकेत ही पर्याप्त है।
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
भावार्थ :- सर्व सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का स्वतः होने वाला, जिसको प्राप्त करना उद्देश्य नहीं, वह फिर भी अवश्य प्राप्त होता है, By Product होता है।
जैसे :- जिसने गेहूँ की फसल बोई तो उसका उद्देश्य गेहूँ का अन्न प्राप्त करना है। परंतु भुष अर्थात् चारा भी अवश्य प्राप्त होता है। चारा, तूड़ा गेहूँ के अन्न का By Product है।
इसी प्रकार सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, वह चरणों में पड़ी रहती है अर्थात् धन का अभाव नहीं रहता अपितु आवश्यकता से अधिक प्राप्त रहती है।
परमेश्वर की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के अवतार रूप में आये है जो परमेश्वर कबीर जी के ज्ञान से सर्व बुराइयों व कुप्रथाओं का समूल नाश कर रहे है। पूर्ण संत रामपाल जी महाराज के पास ही पूर्ण मोक्ष मंत्र है जिनसे बुराइयां अपने आप छूट जाती है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में रोजाना दहेजमुक्त विवाह संपन्न हो रहे है।
दहेजमुक्त, नशामुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
सर्व समाज से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझे, उनसे दीक्षा लेकर बुराइयों से बचे और अपने जीव का कल्याण कराये।
#KabirPrakatDiwas
#SaintRampalJi
अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
0 notes
Photo
#Teachings_Of_LordKabir भक्ति की साधना में नाम स्मरण करने का सही तथा सहज (आसान) मार्ग बताया है जो श्वांस - उश्वांस से किया जाता है। यही वास्तविक साधना है Kabir Prakat Diwas 14June 🍁14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कि वास्तविक समाज सुधारक कबीर परमेश्वर जी ही हैं!🍁 समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और बुराइयों के बारे में पढ़ते पढ़ाते सैकड़ो वर्ष बीत गये। लेकिन इन समाज नाशक बुराइयों के अंत में सफलता प्राप्त नहीं हुई? समय समय पर सरकारों ने भी इन इन बुराइयों की रोकथाम के लिए अनेक प्रयत्न किये किंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई। दहेज, मृत्युभोज जैसी कुरितियां समाज के गरीब व्यक्ति को और गरीब बनाने वाली है, व्यक्ति भूत प्रेत, प्राकृतिक आपदाओं से तो बच सकता है परंतु राक्षस रूपी कुप्रथाओं से बचना असम्भव है। इन बुराइयों से मात्र कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं से ही बचा जा सकता है, यही एकमात्र और सरल उपाय है। जब 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने इन बुराइयों तथा कुप्रथाओं के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया ��ब नकली धर्मगुरुओं ने कबीर साहेब का विरोध किया। *दहेज रूपी दानव का अंत कबीर ज्ञान से।* कबीर साहेब ने बताया:- कबीर, माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख । माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥ अर्थ : माँगना मरने के बराबर है, इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत। समाज के दुष्ट लोग भीख मानकर रात्रि में शराब मांस का सेवन करते हैं। भ्रष्ट लोग रिश्वत मांगकर देश के साथ और अपने कर्मों के साथ धोखा करते हैं। नीच लोग दहेज मानकर अन्याय करते हैं। इसलिए परमेश्वर ने बताया है मांगने से मरना भला। एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं। ऋण संबन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा।। परमात्मा की दृष्टि से कुछ नहीं छुपा है। जैसा करेगा, वैसा भरना पड़ेगा। प्रत्येक परिवार इसी प्रकार संस्कार के कारण एक-दूसरे से जुड़ा है। कोई पूर्व जन्म का कर्ज उतारने के लिए जन्मा है, कोई पूर्व जन्म का कर्ज लेने जन्मा है। उदाहरण के लिए:- पिता ने लड़के को पढ़ाया। शादी से दो दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त होकर मर गया। वह अपना कर्ज पिता से लेने आया था। बेटा जवान हुआ। कार्य करके निर्वाह करने लगा। पिता रोगी हो गया, लाखों रूपये लगे, व्यर्थ रहे, मर गया। यह पिता पिछले जन्म का कर्ज लेने आया था। कुछ देने आया था। लड़की का विवाह किया, दो वर्ष पश्चात् लड़की मर गई। बहुत दहेज दिया था। वह दामाद पूर्व जन्म के ऋण https://www.instagram.com/p/CeSpyKmIxGxRW7SSlz_ReD7ZDp1diA-eUBDhqQ0/?igshid=NGJjMDIxMWI=
0 notes
Text
🍁04 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कि वास्तविक समाज सुधारक कबीर परमेश्वर जी ही हैं🍁
समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और बुराइयों के बारे में पढ़ते पढ़ाते सैकड़ो वर्ष बीत गये। लेकिन इन समाज नाशक बुराइयों के अंत में सफलता प्राप्त नहीं हुई?
समय समय पर सरकारों ने भी इन इन बुराइयों की रोकथाम के लिए अनेक प्रयत्न किये किंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई।
दहेज, मृत्युभोज जैसी कुरितियां समाज के गरीब व्यक्ति को और गरीब बनाने वाली है, व्यक्ति भूत प्रेत, प्राकृतिक आपदाओं से तो बच सकता है परंतु राक्षस रूपी कुप्रथाओं से बचना असम्भव है।
इन बुराइयों से मात्र कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं से ही बचा जा सकता है, यही एकमात्र और सरल उपाय है।
जब 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने इन बुराइयों तथा कुप्रथाओं के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया तब नकली धर्मगुरुओं ने कबीर साहेब का विरोध किया।
*दहेज रूपी दानव का अंत कबीर ज्ञान से।*
कबीर साहेब ने बताया:-
कबीर, माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख ।
माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥
अर्थ : माँगना मरने के बराबर है, इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
समाज के दुष्ट लोग भीख मानकर रात्रि में शराब मांस का सेवन करते हैं।
भ्रष्ट लोग रिश्वत मांगकर देश के साथ और अपने कर्मों के साथ धोखा करते हैं।
नीच लोग दहेज मानकर अन्याय करते हैं।
इसलिए परमेश्वर ने बताया है मांगने से मरना भला।
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं।
ऋण संबन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा।।
परमात्मा की दृष्टि से कुछ नहीं छुपा है। जैसा करेगा, वैसा भरना पड़ेगा। प्रत्येक परिवार इसी प्रकार संस्कार के कारण एक-दूसरे से जुड़ा है। कोई पूर्व जन्म का कर्ज उतारने के लिए जन्मा है, कोई पूर्व जन्म का कर्ज लेने जन्मा है। उदाहरण के लिए :-
पिता ने लड़के को पढ़ाया। शादी से दो दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त होकर मर गया। वह अपना कर्ज पिता से लेने आया था। बेटा जवान हुआ। कार्य करके निर्वाह करने लगा। पिता रोगी हो गया, लाखों रूपये लगे, व्यर्थ रहे, मर गया। यह पिता पिछले जन्म का कर्ज लेने आया था। कुछ देने आया था। लड़की का विवाह किया, दो वर्ष पश्चात् लड़की मर गई। बहुत दहेज दिया था। वह दामाद पूर्व जन्म के ऋण के बदले में लड़की भी ले गया और धन भी। वर्तमान में जो किसी के साथ धोखा करके धन हड़प लेते हैं, वह धन अगले जन्म में दामाद बनकर वसूलेगा। परमात्मा का अटल विधान है। बुद्धिमान को संकेत ही पर्याप्त है।
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
भावार्थ :- सर्व सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का स्वतः होने वाला, जिसको प्राप्त करना उद्देश्य नहीं, वह फिर भी अवश्य प्राप्त होता है, By Product होता है।
जैसे :- जिसने गेहूँ की फसल बोई तो उसका उद्देश्य गेहूँ का अन्न प्राप्त करना है। परंतु भुष अर्थात् चारा भी अवश्य प्राप्त होता है। चारा, तूड़ा गेहूँ के अन्न का By Product है।
इसी प्रकार सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, वह चरणों में पड़ी रहती है अर्थात् धन का अभाव नहीं रहता अपितु आवश्यकता से अधिक प्राप्त रहती है।
परमेश्वर की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के अवतार रूप में आये है जो परमेश्वर कबीर जी के ज्ञान से सर्व बुराइयों व कुप्रथाओं का समूल नाश कर रहे है। पूर्ण संत रामपाल जी महाराज के पास ही पूर्ण मोक्ष मंत्र है जिनसे बुराइयां अपने आप छूट जाती है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में रोजाना दहेजमुक्त विवाह संपन्न हो रहे है।
दहेजमुक्त, नशामुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
सर्व समाज से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझे, उनसे दीक्षा लेकर बुराइयों से बचे और अपने जीव का कल्याण कराये।
संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन शाम 7:30-8:30 बजे।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से डाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
🍁अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें *"ज्ञान गंगा"*
संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित ये पुस्तक फ्री में प्राप्त करने के लिए लिंक पर जाकर अपनी पूरी जानकारी दें.....⤵️⤵️
⬇️
"𝙂𝙮𝙖𝙣 𝙂𝙖𝙣𝙜𝙖"!!
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeWbFJG0nPe4DDrhwAFWLF2M4-EwDVLo27ubMfW6_nz_v1upw/viewform?usp=sf_link
📚📚पुस्तक और डिलीवरी चार्ज नि: शुल्क फ्री है!
0 notes
Text
#कबीरजी_के_रहस्यमयीदोहे
Kabir Prakat Diwas 14 June
🍁14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कि वास्तविक समाज सुधारक कबीर परमेश्वर जी ही हैं!🍁
समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और बुराइयों के बारे में पढ़ते पढ़ाते सैकड़ो वर्ष बीत गये। लेकिन इन समाज नाशक बुराइयों के अंत में सफलता प्राप्त नहीं हुई?
समय समय पर सरकारों ने भी इन इन बुराइयों की रोकथाम के लिए अनेक प्रयत्न किये किंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई।
दहेज, मृत्युभोज जैसी कुरितियां समाज के गरीब व्यक्ति को और गरीब बनाने वाली है, व्यक्ति भूत प्रेत, प्राकृतिक आपदाओं से तो बच सकता है परंतु राक्षस रूपी कुप्रथाओं से बचना असम्भव है।
इन बुराइयों से मात्र कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं से ही बचा जा सकता है, यही एकमात्र और सरल उपाय है।
जब 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने इन बुराइयों तथा कुप्रथाओं के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया तब नकली धर्मगुरुओं ने कबीर साहेब का विरोध किया।
*दहेज रूपी दानव का अंत कबीर ज्ञान से।*
कबीर साहेब ने बताया:-
कबीर, माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख ।
माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥
अर्थ : माँगना मरने के बराबर है, इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
समाज के दुष्ट लोग भीख मानकर रात्रि में शराब मांस का सेवन करते हैं।
भ्रष्ट लोग रिश्वत मांगकर देश के साथ और अपने कर्मों के साथ धोखा करते हैं।
नीच लोग दहेज मानकर अन्याय करते हैं।
इसलिए परमेश्वर ने बताया है मांगने से मरना भला।
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं।
ऋण संबन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा।।
परमात्मा की दृष्टि से कुछ नहीं छुपा है। जैसा करेगा, वैसा भरना पड़ेगा। प्रत्येक परिवार इसी प्रकार संस्कार के कारण एक-दूसरे से जुड़ा है। कोई पूर्व जन्म का कर्ज उतारने के लिए जन्मा है, कोई पूर्व जन्म का कर्ज लेने जन्मा है। उदाहरण के लिए:-
पिता ने लड़के को पढ़ाया। शादी से दो दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त होकर मर गया। वह अपना कर्ज पिता से लेने आया था। बेटा जवान हुआ। कार्य करके निर्वाह करने लगा। पिता रोगी हो गया, लाखों रूपये लगे, व्यर्थ रहे, मर गया। यह पिता पिछले जन्म का कर्ज लेने आया था। कुछ देने आया था। लड़की का विवाह किया, दो वर्ष पश्चात् लड़की मर गई। बहुत दहेज दिया था। वह दामाद पूर्व जन्म के ऋण के बदले में लड़की भी ले गया और धन भी। वर्तमान में जो किसी के साथ धोखा करके धन हड़प लेते हैं, वह धन अगले जन्म में दामाद बनकर वसूलेगा। परमात्मा का अटल विधान है। बुद्धिमान को संकेत ही पर्याप्त है।
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
भावार्थ :- सर्व सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का स्वतः होने वाला, जिसको प्राप्त करना उद्देश्य नहीं, वह फिर भी अवश्य प्राप्त होता है, By Product होता है।
जैसे :- जिसने गेहूँ की फसल बोई तो उसका उद्देश्य गेहूँ का अन्न प्राप्त करना है। परंतु भुष अर्थात् चारा भी अवश्य प्राप्त होता है। चारा, तूड़ा गेहूँ के अन्न का By Product है।
इसी प्रकार सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, वह चरणों में पड़ी रहती है अर्थात् धन का अभाव नहीं रहता अपितु आवश्यकता से अधिक प्राप्त रहती है।
परमेश्वर की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के अवतार रूप में आये है जो परमेश्वर कबीर जी के ज्ञान से सर्व बुराइयों व कुप्रथाओं का समूल नाश कर रहे है। पूर्ण संत रामपाल जी महाराज के पास ही पूर्ण मोक्ष मंत्र है जिनसे बुराइयां अपने आप छूट जाती है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में रोजाना दहेजमुक्त विवाह संपन्न हो रहे है।
दहेजमुक्त, नशामुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
सर्व समाज से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझे, उनसे दीक्षा लेकर बुराइयों से बचे और अपने जीव का कल्याण कराये।
#KabirPrakatDiwas
#SaintRampalJi
अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
0 notes
Text
🍁14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कि वास्तविक समाज सुधारक कबीर परमेश्वर जी ही हैं!🍁
💫💫💫💫💫
#Teachings_Of_LordKabir
#KabirPrakatDiwas 14June 2022
🧬🧬🧬🧬🧬🧬
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के अवतार रूप में आये है जो परमेश्वर कबीर जी के ज्ञान से सर्व बुराइयों व कुप्रथाओं का समूल नाश कर रहे है। पूर्ण संत रामपाल जी महाराज के पास ही पूर्ण मोक्ष मंत्र है जिनसे बुराइयां अपने आप छूट जाती है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में रोजाना दहेजमुक्त विवाह संपन्न हो रहे है।
दहेजमुक्त, नशामुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
सर्व समाज से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझे, उनसे दीक्षा लेकर बुराइयों से बचे और अपने जीव का कल्याण कराये।
🔷🔷🔷🔷🔷🔷
समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और बुराइयों के बारे में पढ़ते पढ़ाते सैकड़ो वर्ष बीत गये। लेकिन इन समाज नाशक बुराइयों के अंत में सफलता प्राप्त नहीं हुई?
समय समय पर सरकारों ने भी इन इन बुराइयों की रोकथाम के लिए अनेक प्रयत्न किये किंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई।
दहेज, मृत्युभोज जैसी कुरितियां समाज के गरीब व्यक्ति को और गरीब बनाने वाली है, व्यक्ति भूत प्रेत, प्राकृतिक आपदाओं से तो बच सकता है परंतु राक्षस रूपी कुप्रथाओं से बचना असम्भव है।
इन बुराइयों से मात्र कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं से ही बचा जा सकता है, यही एकमात्र और सरल उपाय है।
जब 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने इन बुराइयों तथा कुप्रथाओं के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया तब नकली धर्मगुरुओं ने कबीर साहेब का विरोध किया।
*दहेज रूपी दानव का अंत कबीर ज्ञान से।*
कबीर साहेब ने बताया:-
कबीर, माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख ।
माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥
अर्थ : माँगना मरने के बराबर है, इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
समाज के दुष्ट लोग भीख मानकर रात्रि में शराब मांस का सेवन करते हैं।
भ्रष्ट लोग रिश्वत मांगकर देश के साथ और अपने कर्मों के साथ धोखा करते हैं।
नीच लोग दहेज मानकर अन्याय करते हैं।
इसलिए परमेश्वर ने बताया है मांगने से मरना भला।
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं।
ऋण संबन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा।।
परमात्मा की दृष्टि से कुछ नहीं छुपा है। जैसा करेगा, वैसा भरना पड़ेगा। प्रत्येक परिवार इसी प्रकार संस्कार के कारण एक-दूसरे से जुड़ा है। कोई पूर्व जन्म का कर्ज उतारने के लिए जन्मा है, कोई पूर्व जन्म का कर्ज लेने जन्मा है। उदाहरण के लिए:-
पिता ने लड़के को पढ़ाया। शादी से दो दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त होकर मर गया। वह अपना कर्ज पिता से लेने आया था। बेटा जवान हुआ। कार्य करके निर्वाह करने लगा। पिता रोगी हो गया, लाखों रूपये लगे, व्यर्थ रहे, मर गया। यह पिता पिछले जन्म का कर्ज लेने आया था। कुछ देने आया था। लड़की का विवाह किया, दो वर्ष पश्चात् लड़की मर गई। बहुत दहेज दिया था। वह दामाद पूर्व जन्म के ऋण के बदले में लड़की भी ले गया और धन भी। वर्तमान में जो किसी के साथ धोखा करके धन हड़प लेते हैं, वह धन अगले जन्म में दामाद बनकर वसूलेगा। परमात्मा का अटल विधान है। बुद्धिमान को संकेत ही पर्याप्त है।
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सुमर जगदीश।।
भावार्थ :- सर्व सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का स्वतः होने वाला, जिसको प्राप्त करना उद्देश्य नहीं, वह फिर भी अवश्य प्राप्त होता है, By Product होता है।
जैसे :- जिसने गेहूँ की फसल बोई तो उसका उद्देश्य गेहूँ का अन्न प्राप्त करना है। परंतु भुष अर्थात् चारा भी अवश्य प्राप्त होता है। चारा, तूड़ा गेहूँ के अन्न का By Product है।
इसी प्रकार सत्य सा���ना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, वह चरणों में पड़ी रहती है अर्थात् धन का अभाव नहीं रहता अपितु आवश्यकता से अधिक प्राप्त रहती है।
परमेश्वर की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
🔸🔸🔸🔸🔸🔸
#KabirPrakatDiwas
#SaintRampalJi
अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
0 notes
Text
#Teachings_Of_LordKabir
भक्ति की साधना में नाम स्मरण करने का सही तथा सहज (आसान) मार्ग बताया है जो श्वांस - उश्वांस से किया जाता है। यही वास्तविक साधना है
Kabir Prakat Diwas 14June
🍁14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कि वास्तविक समाज सुधारक कबीर परमेश्वर जी ही हैं!🍁
समाज में व्याप्त कुप्रथाओं और बुराइयों के बारे में पढ़ते पढ़ाते सैकड़ो वर्ष बीत गये। लेकिन इन समाज नाशक बुराइयों के अंत में सफलता प्राप्त नहीं हुई?
समय समय पर सरकारों ने भी इन इन बुराइयों की रोकथाम के लिए अनेक प्रयत्न किये किंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई।
दहेज, मृत्युभोज जैसी कुरितियां समाज के गरीब व्यक्ति को और गरीब बनाने वाली है, व्यक्ति भूत प्रेत, प्राकृतिक आपदाओं से तो बच सकता है परंतु राक्षस रूपी कुप्रथाओं से बचना असम्भव है।
इन बुराइयों से मात्र कबीर परमेश्वर की शिक्षाओं से ही बचा जा सकता है, यही एकमात्र और सरल उपाय है।
जब 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने इन बुराइयों तथा कुप्रथाओं के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया तब नकली धर्मगुरुओं ने कबीर साहेब का विरोध किया।
*दहेज रूपी दानव का अंत कबीर ज्ञान से।*
कबीर साहेब ने बताया:-
कबीर, माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख ।
माँगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥
अर्थ : माँगना मरने के बराबर है, इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है, अर्थात पुरुषार्थ से स्वयं चीजों को प्राप्त करो, उसे किसी से मांगो मत।
समाज के दुष्ट लोग भीख मानकर रात्रि में शराब मांस का सेवन करते हैं।
भ्रष्ट लोग रिश्वत मांगकर देश के साथ और अपने कर्मों के साथ धोखा करते हैं।
नीच लोग दहेज मानकर अन्याय करते हैं।
इसलिए परमेश्वर ने बताया है मांगने से मरना भला।
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं।
ऋण संबन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा।।
परमात्मा की दृष्टि से कुछ नहीं छुपा है। जैसा करेगा, वैसा भरना पड़ेगा। प्रत्येक परिवार इसी प्रकार संस्कार के कारण एक-दूसरे से जुड़ा है। कोई पूर्व जन्म का कर्ज उतारने के लिए जन्मा है, कोई पूर्व जन्म का कर्ज लेने जन्मा है। उदाहरण के लिए:-
पिता ने लड़के को पढ़ाया। शादी से दो दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त होकर मर गया। वह अपना कर्ज पिता से लेने आया था। बेटा जवान हुआ। कार्य करके निर्वाह करने लगा। पिता रोगी हो गया, लाखों रूपये लगे, व्यर्थ रहे, मर गया। यह पिता पिछले जन्म का कर्ज लेने आया था। कुछ देने आया था। लड़की का विवाह किया, दो वर्ष पश्चात् लड़की मर गई। बहुत दहेज दिया था। वह दामाद पूर्व जन्म के ऋण के बदले में लड़की भी ले गया और धन भी। वर्तमान में जो किसी के साथ धोखा करके धन हड़प लेते हैं, वह धन अगले जन्म में दामाद बनकर वसूलेगा। परमात्मा का अटल विधान है। बुद्धिमान को संकेत ही पर्याप्त है।
कबीर, माया दासी संत की, उभय दे आशीष।
विलसी और लातों छड़ी, सुमर-सु��र जगदीश।।
भावार्थ :- सर्व सुविधाऐं धन से होती हैं। वह धन शास्त्रविधि अनुसार भक्ति करने वाले संत-भक्त की भक्ति का स्वतः होने वाला, जिसको प्राप्त करना उद्देश्य नहीं, वह फिर भी अवश्य प्राप्त होता है, By Product होता है।
जैसे :- जिसने गेहूँ की फसल बोई तो उसका उद्देश्य गेहूँ का अन्न प्राप्त करना है। परंतु भुष अर्थात् चारा भी अवश्य प्राप्त होता है। चारा, तूड़ा गेहूँ के अन्न का By Product है।
इसी प्रकार सत्य साधना करने वाले को अपने आप धन माया मिलती है। साधक उसको भोगता है, वह चरणों में पड़ी रहती है अर्थात् धन का अभाव नहीं रहता अपितु आवश्यकता से अधिक प्राप्त रहती है।
परमेश्वर की भक्ति करके माया का भी आनन्द भक्त प्राप्त करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त करते हैं।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के अवतार रूप में आये है जो परमेश्वर कबीर जी के ज्ञान से सर्व बुराइयों व कुप्रथाओं का समूल नाश कर रहे है। पूर्ण संत रामपाल जी महाराज के पास ही पूर्ण मोक्ष मंत्र है जिनसे बुराइयां अपने आप छूट जाती है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में रोजाना दहेजमुक्त विवाह संपन्न हो रहे है।
दहेजमुक्त, नशामुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ समाज का निर्माण हो रहा है।
सर्व समाज से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझे, उनसे दीक्षा लेकर बुराइयों से बचे और अपने जीव का कल्याण कराये।
#KabirPrakatDiwas
#SaintRampalJi
अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
0 notes