#षट्तिला एकादशी व्रत पूजा विधि
Explore tagged Tumblr posts
Text
षट्तिला एकादशी व्रत महात्मय और कथा
🍀 षट्तिला एकादशी : 25 जनवरी 2025 शनिवार
(24 जनवरी रात्रि 7:25 से 25 जनवरी रात्रि 08:31 तक)
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी 'षट्तिला एकादशी' के नाम से जानी जाती है। इस दिन काले तिल तथा काली गाय के दान का भी बड़ा माहात्म्य है l
🌀 तिलमिश्रित ��ल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिलमिश्रित जल का पान व तर्पण, तिलमिश्रित भोजन, तिल का दान - ये छः कर्म पाप का नाश करनेवाले हैं। ••••••••••••••••••••••••••••••|
🌀♻ व्रत कथा
🌹 युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा : भगवन् ! माघ मास के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? उसके लिए कैसी विधि है तथा उसका फल क्या है ? कृपा करके ये सब बातें हमें बताइये ।
🌹 श्रीभगवान बोले : नृपश्रेष्ठ ! माघ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार पौष) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी ‘षट्तिला’ के नाम से विख्यात है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है । मुनिश्रेष्ठ पुलस्त्य ने इसकी जो पापहारिणी कथा दाल्भ्य से कही थी, उसे सुनो ।
🌹 दाल्भ्य ने पूछा : ब्रह्मन् ! मृत्युलोक में आये हुए प्राणी प्राय: पापकर्म करते रहते हैं । उन्हें नरक में न जाना पड़े इसके लिए कौन सा उपाय है ? बताने की कृपा करें ।
🌹 पुलस्त्यजी बोले : महाभाग ! माघ मास आने पर मनुष्य को चाहिए कि वह नहा धोकर पवित्र हो इन्द्रियसंयम रखते हुए काम, क्रोध, अहंकार ,लोभ और चुगली आदि बुराइयों को त्याग दे । देवाधिदेव भगवान का स्मरण करके जल से पैर धोकर भूमि पर पड़े हुए गोबर का संग्रह करे । उसमें तिल और कपास मिलाकर एक सौ आठ पिंडिकाएँ बनाये । फिर माघ में जब आर्द्रा या मूल नक्षत्र आये, तब कृष्णपक्ष की एकादशी करने के लिए नियम ग्रहण करें । भली भाँति स्नान करके पवित्र हो शुद्ध भाव से देवाधिदेव श्रीविष्णु की पूजा करें । कोई भूल हो जाने पर श्रीकृष्ण का नामोच्चारण करें । रात को जागरण और होम करें । चन्दन, अरगजा, कपूर, नैवेघ आदि सामग्री से शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले देवदेवेश्वर श्रीहरि की पूजा करें । तत्पश्चात् भगवान का स्मरण करके बारंबार श्रीकृष्ण नाम का उच्चारण करते हुए कुम्हड़े, नारियल अथवा बिजौरे के फल से भगवान को विधिपूर्वक पूजकर अर्ध्य दें । अन्य सब सामग्रियों के अभाव में सौ सुपारियों के द्वारा भी पूजन और अर्ध्यदान किया जा सकता है । अर्ध्य का मंत्र इस प्रकार है:
कृष्ण कृष्ण कृपालुस्त्वमगतीनां गतिर्भव । संसारार्णवमग्नानां प्रसीद पुरुषोत्तम ॥ नमस्ते पुण्डरीकाक्ष नमस्ते विश्वभावन । सुब्रह्मण्य नमस्तेSस्तु महापुरुष पूर्वज ॥ गृहाणार्ध्यं मया दत्तं ल��्ष्म्या सह जगत्पते ।
🌹‘सच्चिदानन्दस्वरुप श्रीकृष्ण ! आप बड़े दयालु हैं । हम आश्रयहीन जीवों के आप आश्रयदाता होइये । हम संसार समुद्र में डूब रहे हैं, आप हम पर प्रसन्न होइये । कमलनयन ! विश्वभावन ! सुब्रह्मण्य ! महापुरुष ! सबके पूर्वज ! आपको नमस्कार है ! जगत्पते ! मेरा दिया हुआ अर्ध्य आप लक्ष्मीजी के साथ स्वीकार करें ।’ तत्पश्चात् ब्राह्मण की पूजा करें । उसे जल का घड़ा, छाता, जूता और वस्त्र दान करें । दान करते समय ऐसा कहें : ‘इस दान के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण मुझ पर प्रसन्न हों ।’ अपनी शक्ति के अनुसार श्रेष्ठ ब्राह्मण को काली गौ का दान करें । द्विजश्रेष्ठ ! विद्वान पुरुष को चाहिए कि वह तिल से भरा हुआ पात्र भी दान करे । उन तिलों के बोने पर उनसे जितनी शाखाएँ पैदा हो सकती हैं, उतने हजार वर्षों तक वह स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है । तिल से स्नान होम करे, तिल का उबटन लगाये, तिल मिलाया हुआ जल पीये, तिल का दान करे और तिल को भोजन के काम में ले ।’
🌹 इस प्रकार हे नृपश्रेष्ठ ! छ: कामों में तिल का उपयोग करने के कारण यह एकादशी ‘षटतिला’ कहलाती है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है ।
🌹 व्रत खोलने की विधि : द्वादशी को सेवापूजा की जगह पर बैठकर भुने हुए सात चनों के चौदह टुकड़े करके अपने सिर के पीछे फेंकना चाहिए । ‘मेरे सात जन्मों के शारीरिक, वाचिक और मानसिक पाप नष्ट हुए’ - यह भावना करके सात अ���जलि जल पीना और चने के सात दाने खाकर व्रत खोलना चाहिए ।
👉ऐसी ही "सनातन धर्म" की "𝘼𝙨𝙩𝙧𝙤𝙡𝙤𝙜𝙮 और 𝙑𝙖𝙨𝙩𝙪𝙎𝙝𝙖𝙨𝙩𝙧𝙖" की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी पाने के लिए अभी जुड़ें "𝘼𝙨𝙩𝙧𝙤 𝙑𝙖𝙨𝙩𝙪 𝙆𝙤𝙨𝙝" से✍ 👉9837376839 👉WhatsApp✍
👉https://chat.whatsapp.com/BsWPoSt9qSj7KwBvo9zWID
👉WhatsappChannel✍
👉https://whatsapp.com/channel/0029Va51s5wLtOj7SaZ6cL2E 👉Telegram✍
👉https://t.me/astrovastukosh 👉Facebook page✍ 👉https://www.facebook.com/astrovastukosh 👉Instagram✍ 👉https://www.instagram.com/astrovastukosh/
#motivational motivational jyotishwithakshayg#tumblr milestone#akshayjamdagni#mahakal#panchang#hanumanji
0 notes
Text
षट्तिला एकादशी को जरुर करें विष्णु भगवान् की पूजा
षट्तिला एकादशी को जरुर करें विष्णु भगवान् की पूजा
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इसलिए एकादशी को हरि वासर या हरि का दिन भी कहा जाता है। हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष में दो एकादशी पड़ती हैं और इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। एकादशी के बारे में हमारे शास्त्रों में लिखा गया है, ”नविवेकसमोबन्धुर्नैकादश्या:परंव्रतं” अर्थात एकादशी के व्रत से बढ़कर कोई व्रत नहीं होता और विवेक के सामान कोई बंधु नहीं होता है। माघ मास के कृष्ण…
View On WordPress
#जनवरी की एकादशी#माह मास की एकादशी#विष्णु चालीसा#षट्तिला एकादशी#षट्तिला एकादशी किस दिन है#षट्तिला एकादशी की कथा#षट्तिला एकादशी की व्रत कथा#षट्तिला एकादशी पूजा विधि#Shattila Ekadshi vrat katha
0 notes
Photo
ऑनलाइन यजमान बनने के लिए संपर्क करें
+91 8826891955, 95899 38938, 96859 38938, 7291986653
षट्तिला एकादशी के व्रत-पूजन, तिल-अन्न दान से सभी सुखों की प्राप्ति
माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी को षट्तिला एकादशी कहते हैं। इस एकादशी में तिल को जल में मिलाकर स्नान और तिल का दान व तिल मिश्रित हवन सामग्री से यज्ञ करने का विशेष महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक ब्राह्मणी रहती थी, जिसके पति की असमय मृत्यु हो गयी थी। वह ब्राह्मणी सदैव पूजा-पाठ, व्रत-तपस्या में लीन रहती थी, जिससे उसका शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया। यद्यपि वह अत्यंत बुद्धिमान थी फिर भी उसने कभी देवताओं व ब्राह्मणों के निमित्त अन्न-धन का दान नहीं किया था। उसके कल्याण के निमित्त एक बार स्वयं भगवान विष्णु गरीब ब्राह्मण का वेष बनाकर उसके घर भिक्षा मांगने गये। उस ब्राह्मणी ने भिक्षुक को भिक्षा में मिट्टी का ढेला दिया। कुछ समय बाद उस ब्राह्मणी की मृत्यु हो गयी।
मृत्यु के बाद उसके पूजा-पाठ, व्रत-तपस्या के प्रभाव से स्वर्ग में उसे एक सुंदर महल मिला लेकिन अन्नदान व धनदान न करने से वह महल अन्न-धन आदि सामग्रियों से रिक्त था। घबराकर वह भगवान विष्णु के पास गई और इसका कारण पू��ा, भगवान विष्णु ने कहा पूर्व जन्म में तुमने अन्न-धन का दान नहीं किया, जिससे तुम्हें स्वर्ग में खाली महल की प्राप्ति हुई है। अब मैं तुम्हें उपाय बताता हूं। जब तुम्हारे महल में तुमसे मिलने देवताओं की स्त्रियां आयें तो महल का दरवाजा खोलने से पहले तुम उनसे षट्तिला एकादशी के व्रत की विधि और महत्व पूछना तभी दरवाजा खोलना। भगवान विष्णु के कहने पर उस ब्राह्मणी ने ऐसा ही किया। देवताओं की स्त्रियों से षट्तिला एकादशी व्रत की विधि और महत्व को जानकर उसने विधिवत व्रत-पूजन और दान किया जिसके प्रभाव से स्वर्ग में उसका महल अन्न-धन और सभी सुख की सामग्रियों से परिपूर्ण हो गया।
परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशुजी महाराज की कृपा से आप सभी की धार्मिक निष्ठा की पूर्ति में समर्पित ‘‘युगऋषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र’’ द्वारा आनन्दधाम आश्रम, नई दिल्ली में षट्तिला एकादशी पर किए जाने वाले मन्त्रनुष्ठानों का लाभ प्राप्त करके अपने जीवन को धन्य बनाएं।
#sudhanshujimaharaj #षट्तिला #एकादशी #vrat #anusthan #hariom #hinduism #yagya #vishnupooja #fridaymotivation #fridayfeeling #spirituality
1 note
·
View note
Quote
आज 20 जनवरी 2020 को माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी तिथि है। इस एकादशी तिखि षटतिला एकादशी कहा जाता है। शास्त्रोक्त मान्यता हैं कि इस दिन उपवास रखने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इस दिन का व्रत तिलों से जुडा हुआ है, तिल का महत्व तो सर्वव्यापक है और ***** धर्म में यह बहुत पवित्र माने जाते हैं। जानें पूजा विधि एवं व्रत के लाभ। इस सप्ताह इन 3 राशि वालों की बदल जाएगी पूरी तरह जिंदगी, देखें अपना राशिफल तिल दान के लाभ षट्तिला एकादशी के दिन तिलों का छ: प्रकार से उपयोग किया जाता है, जिसमें स्नान के जल में तिल डालकर स्नान करना, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन करना, तिल से तर्पण करना, तिल का भोजन करना और तिलों का दान करना आदि इसी कारण यह षटतिला एकादशी कही जाती है। इस दिन तिल का दान करने वाले को स्वर्गलोक में स्थान में प्राप्त होता है। बुधवार की शाम प्रदोष काल में ऐसे करें मनोकामना पूर्ति के लिए शिव की अचूक पूजा ऐसे करें षटतिला एकादशी का व्रत 1- षटतिला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके धुले हुये पीले वस्त्र ही पहनना चाहिए, एवं जल में तिल डालकर स्नान करें। 2- इस दिन प्याज लहसुन और तामसिक भोजन का प्रयोग बिल्कुल भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। 3- इस दिन सुबह और शाम दोनों समय एकादशी पर घर में पूजा पाठ करना चाहिए। साथ ही एक पीले आसन पर बैठकर नारायण कवच का 3 बार पाठ करने से मन की इच्छा जरूर पूरी होती है। 4- षटतिला एकादशी वाले दिन कुशा के आसन पर बैठकर- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप कम से कम 108 बार करना चाहिए। 5- षटतिला व्रत में झूठ नहीं बोलना चाहिए बड़ों का निरादर नहीं करना चाहिए, काम क्रोध लोभ मोह अहंकार आदि का त्याग कर भगवान की शरण में जाना चाहिए। यहां साक्षात निवास करते हैं भगवान साईंनाथ, करते हैं भक्त की हर इच्छा पूरी 6- षटतिला एकादशी पर तिलों का प्रयोग करके भगवान विष्णु का पूजन करने से अनेक प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। 7- षटतिला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले तिल का उबटन भी लगाने का विधान है। 8- पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पांच मुट्ठी तिलों से 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की आहुति यज्ञ में देना चाहिए। 9- इस दिन दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके अपने पितरों के लिए तिल से तर्पण करना चाहिए। 10- रात में सोते समय अपने बिस्तर में तिल जरूर डाल कर सोना चाहिए। **************** source https://www.patrika.com/festivals/shattila-ekadashi-puja-vidhi-in-20-january-2020-5668142/
http://www.poojakamahatva.site/2020/01/2020_19.html
0 notes
Text
MANAN KARNE YOGY Ekadashi Vrat:
🌹षट्तिला एकादशी : 06 फरवरी
🌹इसदिन तिल से स्नान-होम करे, तिल का उबटन लगाये, तिल मिलाया हुआ जल पीये, तिल का दान करे और तिल को भोजन के काम में ले ।’
🌹इस प्रकार छ: कामों में तिल का उपयोग करने के कारण यह एकादशी ‘षट्तिला’ कहलाती है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है ।
🌹युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा: भगवन् ! माघ मास के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है? उसके लिए कैसी विधि है तथा उसका फल क्या है ? कृपा करके ये सब बातें हमें बताइये ।
🌹श्रीभगवान बोले: नृपश्रेष्ठ ! माघ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार पौष) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी ‘षट्तिला’ के नाम से विख्यात है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है । मुनिश्रेष्ठ पुलस्त्य ने इसकी जो पापहारिणी कथा दाल्भ्य से कही थी, उसे सुनो ।
🌹दाल्भ्य ने पूछा: ब्रह्मन्! मृत्युलोक में आये हुए प्राणी प्राय: पापकर्म करते रहते हैं । उन्हें नरक में न जाना पड़े इसके लिए कौन सा उपाय है? बताने की कृपा करें ।
🌹पुलस्त्यजी बोले: महाभाग ! माघ मास आने पर मनुष्य को चाहिए कि वह नहा धोकर पवित्र हो इन्द्रियसंयम रखते हुए काम, क्रोध, अहंकार ,लोभ और चुगली आदि बुराइयों को त्याग दे । देवाधिदेव भगवान का स्मरण करके जल से पैर धोकर भूमि पर पड़े हुए गोबर का संग्रह करे । उसमें तिल और कपास मिलाकर एक सौ आठ पिंडिकाएँ बनाये । फिर माघ में जब आर्द्रा या मूल नक्षत्र आये, तब कृष्णपक्ष की एकादशी करने के लिए नियम ग्रहण करें । भली भाँति स्नान करके पवित्र हो शुद्ध भाव से देवाधिदेव श्रीविष्णु की पूजा करें । कोई भूल हो जाने पर श्रीकृष्ण का नामोच्चारण करें । रात को जागरण और होम करें । चन्दन, अरगजा, कपूर, नैवेघ आदि सामग्री से शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले देवदेवेश्वर श्रीहरि की पूजा करें । तत्पश्चात् भगवान का स्मरण करके बारंबार श्रीकृष्ण नाम का उच्चारण करते हुए कुम्हड़े, नारियल अथवा बिजौरे के फल से भगवान को विधिपूर्वक पूजकर अर्ध्य दें । अन्य सब सामग्रियों के अभाव में सौ सुपारियों के द्वारा भी पूजन और अर्ध्यदान किया जा सकता है । अर्ध्य का मंत्र इस प्रकार है:
कृष्ण कृष्ण कृपालुस्त्वमगतीनां गतिर्भव ।
संसारार्णवमग्नानां प्रसीद पुरुषोत्तम ॥
नमस्ते पुण्डरीकाक्ष नमस्ते विश्वभावन ।
सुब्रह्मण्य नमस्तेSस्तु महापुरुष पूर्वज ॥
गृहाणार्ध्यं मया दत्तं लक्ष्म्या सह जगत्पते ।
🌹‘सच्चिदानन्दस्वरुप श्रीकृष्ण ! आप बड़े दयालु हैं । हम आश्रयहीन जीवों के आप आश्रयदाता होइये । हम संसार समुद्र में डूब रहे हैं, आप हम पर प्रसन्न होइये । कमलनयन ! विश्वभावन ! सुब्रह्मण्य ! महापुरुष ! सबके पूर्वज ! आपको नमस्कार है ! जगत्पते ! मेरा दिया हुआ अर्ध्य आप लक्ष्मीजी के साथ स्वीकार करें ।’
🌹तत्पश्चात् ब्राह्मण की पूजा करें । उसे जल का घड़ा, छाता, जूता और वस्त्र दान करें । दान करते समय ऐसा कहें : ‘इस दान के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण मुझ पर प्रसन्न हों ।’ अपनी शक्ति के अनुसार श्रेष्ठ ब्राह्मण को काली गौ का दान करें । द्विजश्रेष्ठ ! विद्वान पुरुष को चाहिए कि वह तिल से भरा हुआ पात्र भी दान करे । उन तिलों के बोने पर उनसे जितनी शाखाएँ पैदा हो सकती हैं, उतने हजार वर्षों तक वह स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है । तिल से स्नान होम करे, तिल का उबटन लगाये, तिल मिलाया हुआ जल पीये, तिल का दान करे और तिल को भोजन के काम में ले ।’
🌹इस प्रकार हे नृपश्रेष्ठ ! छ: कामों में तिल का उपयोग करने के कारण यह एकादशी ‘षट्तिला’ कहलाती है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है ।
🌹व्रत खोलने की विधि : द्वादशी को सेवापूजा की जगह पर बैठकर भुने हुए सात चनों के चौदह टुकड़े करके अपने सिर के पीछे फेंकना चाहिए । ‘मेरे सात जन्मों के शारीरिक, वाचिक और मानसिक पाप नष्ट हुए’ - यह भावना करके सात अंजलि जल पीना और चने के सात दाने खाकर व्रत खोलना चाहिए ।
🚩Join us for any kind of information related to astrology, Vastu, and numerology. 🚩👇 👉Whatsapp Link
https://chat.whatsapp.com/BsWPoSt9qSj7KwBvo9zWID
☎️👇
9837376839
#akshayjamdagni #astrologypost #hindi #hindu #bharat #hinduism #hindusm #rashifal #panchang #astrology #rammandir #ram
1 note
·
View note
Link
उस ब्राह्मणी ने उनके कथनानुसार षटतिला एकादशी का व्रत किया । इसके प्रभाव से वह सुंदर और रूपवती हो गई तथा उसका घर अन्नादि समस्त सामग्रियों से युक्त हो गया । इससे दुर्भाग्य, दरिद्रता तथा अनेक प्रकार के कष्ट दूर होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है ।। Shat-Tila Ekadashi Vrat Vidhi And Katha in Hindi
0 notes
Link
उस ब्राह्मणी ने उनके कथनानुसार षटतिला एकादशी का व्रत किया । इसके प्रभाव से वह सुंदर और रूपवती हो गई तथा उसका घर अन्नादि समस्त सामग्रियों से युक्त हो गया । इससे दुर्भाग्य, दरिद्रता तथा अनेक प्रकार के कष्ट दूर होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है ।। Shat-Tila Ekadashi Vrat Vidhi And Katha in Hindi
0 notes