#श्रीकृष्ण का जीवन
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मैं केवल सलाह दे सकता हूँ और जहाँ तक सम्भव हो उसका पालन किया जा सकता है, किन्तु मैं किसी के साथ जबरदस्ती नहीं कर सकता। आख़िरकार, मुझसे प्रेम के कारण ही आप सभी श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए इतना कठिन परिश्रम कर रहे हैं, इसलिए यदि प्रेम है तो जबरदस्ती का प्रश्न ही नहीं उठता। हमें कभी भी किसी के साथ ना ही जबरदस्ती का प्रयास करना चाहिए ना ही इस संस्था को एक व्यापारी संस्थान जैसा बनाना चाहिए। इससे सबकुछ नष्ट हो जायेगा। प्रत्येक प्रयास में हमारा एकमात्र उद्देश्य आध्यात्मिक जीवन में प्रगति करना अथवा श्रीकृष्ण को प्रसन्न करना है। भक्तदास को पत्र, 9 अप्रैल 1972
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जीवनपद्धतीचे सर्व सार ज्यात समाविष्ट आहे!
त्या पवित्र श्रीमद् भगवतगितेला नमन !!
समस्त देश व प्रदेश वासियों को #श्रीमद्भागवत_गीता की #सांकेतिक_जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं ।
#जगतज्ञानी #परमेश्वर #भगवान #श्रीकृष्ण के #अनमोल_वचन आज भी हमारे जीवन में #समता #त्याग एवं #कर्म करने का #दर्शन देती है ।
#GeetaJayanti
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#HelpUEducationalandCharitableTrust
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जीवनपद्धतीचे सर्व सार ज्यात समाविष्ट आहे!
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राधा-कृष्ण के प्रेम की दिव्यता | Radha Krishna Quotes in Hindi
राधा-कृष्ण के प्रेम की दिव्यता राधा-कृष्ण का नाम सुनते ही हमारे मन में प्रेम, भक्ति, और समर्पण का भाव जागृत होता है। श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम केवल सांसारिक प्रेम नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक प्रेम और ईश्वर के प्रति भक्ति का प्रतीक है। उनके अनमोल विचार और Quotes न केवल प्रेम के महत्व को दर्शाते हैं, बल्कि जीवन के गहरे अर्थों को भी उजागर करते हैं। यह ब्लॉग “Radha Krishna Quotes in Hindi” पर…
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108 Krishna Kathayen
108 कृष्ण कथाएँ 108 कृष्ण कथाएँ भगवान श्रीकृष्ण की प्रेरणादायक और मोहक कथाओं का एक सुंदर संग्रह है। यह पुस्तक उन कहानियों को जीवंत करती है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म में पीढ़ियों से प्रचलित रही हैं। पुस्तक की विशेषताएँ कथाओं की विविधता:पुस्तक में श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े प्रमुख घटनाक्रमों को प्रस्तुत किया गया है, जैसे उनके बाल लीलाएँ, मथुरा और वृंदावन की कथाएँ, गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना,…
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66. समर्पण या संघर्ष
जीने के दो तरीके हैं। एक है समर्पण और दूसरा संघर्ष। समर्पण युद्ध में पराजितों के समर्पण की तरह असहाय समर्पण नहीं है। यह जागरूकता और सक्रिय स्वीकृति के साथ समर्पण है। दूसरों से आगे रहने की सोच ही संघर्ष है। जो हमें दिया गया है उससे अधिक पाने के लिए; और जो हमारे पास है उससे अलग पाने की कोशिश ही संघर्ष है। दूसरी ओर, समर्पण हर जीवित क्षण के लिए कृतज्ञता है।
श्रीकृष्ण कहते हैं कि, ‘‘यदि कोई इंद्रियों के द्वारा भोगों में रमण करता है और सृष्टिचक्र के अनुकूल नहीं बरतता तो उसका जीवन व्यर्थ है’’ (3.16)। इन्द्रियों की तृप्ति के पथ पर चल रहे किसी भी व्यक्ति के लिए यह संघर्ष का जीवन है, क्योंकि इन्द्रियां कभी तृप्त नहीं हो सकती। यह संघर्ष, तनाव, चिंता और दु:ख लाता है जो व्यर्थ का जीवन है।
श्रीकृष्ण सृष्टिचक्र को वर्षा के उदाहरण से समझाते हैं (3.14)। बारिश पानी की निस्वार्थ क्रिया का रूप है जहां पानी वाष्पित होकर निस्वार्थ रूप से बारिश के रूप में बरसता है। ऐसा निस्वार्थ कर्म ही सर्वोच्च शक्ति का स्रोत है (3.15)। निस्वार्थ कर्मों के चक्र पर चलना ही समर्पण का जीवन है जो हमें आनंदमय बनाता है।
श्रीकृष्ण कहते हैं कि, ‘‘जो मनुष्य आत्मा में ही रमण करने वाला और आत्मा में ही तृप्त तथा आत्मा में ही संतुष्ट हो, उसके लिए कोई कर्तव्य नहीं है’’ (3.17)। ऐसा जीवन इंद्रियों से स्वतंत्र है जहां अस्तित्व की इच्छा से अलग हमारी कोई इच्छा नहीं है। जब अस्तित्व की इच्छा ही हमारी इच्छा हो तो हमारा कोई अलग कर्तव्य नहीं रह जाता है। निस्वार्थ कर्म करते हुए हमारे रास्ते में जो कुछ ��ी आता है, उसकी शुद्ध स्वीकृति है। ‘‘उस महापुरुष का इस विश्व में न तो कर्म करने से कोई प्रयोजन रहता है और न कर्मों के न करने से ही कोई प्रयोजन रहता है। तथा सम्पूर्ण प्राणियों में भी इसका किंचित मात्र भी स्वार्थ का सम्बन्ध नहीं रहता है’’ (3.18)।
‘स्वयं के साथ तृप्त’ गीता में एक मूल उपदेश है जो स्वयं में आनन्दित और स्वयं से संतुष्ट है। जब कोई स्वयं से संतुष्ट होता है, तो हमारे अधिकारों और क्षमताओं के बारे में कोई शिकायत या तुलना नहीं होती है।
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गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दे केंद्र और हरियाणा सरकार: नवीन गोयल
गौमाता हमारी सनानत संस्कृति और सामाजिक जीवन का अहम हिस्सा माधव गौसेवा धाम गाड़ौली खुर्द में धूमधाम से मनाया गया गोपाष्टमी पर्व बेसहारा घूम रही गायों को हरा चारा डालकर उनका जीवन बचाएं फतह सिंह उजाला गुरुग्राम माधव गौसेवा धाम, श्रीकृष्ण कृपा सेवा समिति जिओ गीता परिवार व भारत विकास परिषद युवा भारत शाखा ने मिलकर मनाया गोपाष्टमी पर्व गुरुग्राम। माधव गौसेवा धाम गाड़ौली खुर्द में शनिवार को गोपाष्टमी…
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प्रकृति और गोवंश के संरक्षण-संवर्धन की प्रतीक गोवर्धन पूजा की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।
आप सभी का जीवन सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण हो, भगवान श्रीकृष्ण से यही प्रार्थना है।
जय श्रीकृष्ण!
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Govardhan Pooja; इस साल कब होगी गोवर्धन पूजा? यहां से नोट करें डेट; जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Govardhan Puja 2024 Kab Hai: गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है। इसमें भगवान कृष्ण गाय और बैलों का पूजन करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के निर्मित दीपक जलाकर अन्नकूट का प्रसाद अर्पित करते हैं। शाम को राजा बली और भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को होगी। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान गोवर्धन और श्री कृष्ण की पूजा करने से जीवन में आने वाले कष्ट दूर हो जाते हैं।…
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यदि कोई गम्भीरता से थोड़ी-सी भी भक्ति करता है तो श्रीकृष्ण ऐसे व्यक्ति को ऊपर उठाना अपना कर्तव्य मानते हैं, फिर उस व्यक्ति का क्या कहना जिसने अपना सम्पूर्ण जीवन और प्राण श्रीकृष्ण की सेवा में समर्पित कर दिया है। हरेर्नाम को पत्र, 6 नवम्बर 1969
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काली चौदसये ये उपाय दूर करेंगे नकारात्मकता और बना देंगे जीवन खुशहाल
आज काली चौदश है, जिसे नरक चतुर्दशी और रूप चौदश भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण, माता महाकाली, यमराज और नरकासुर का वध क���ने वाले हनुमानजी की पूजा का विशेष महत्व है। नरक चतुर्दशी का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही ज्योतिष शास्त्र में भी है। काली चौदश के दिन कुछ उपाय करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है और बुरी नजर से बचाव होता है। काली चौदशे महाकाली माता की पूजा विशेष फलदायी मानी…
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गीता जी का ज्ञान किसने बोला श्रीकृष्ण या काल? Sant Rampal Ji Maharaj Sat...
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*🪷बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🪷*
♦♦♦
25/10/24
🌿 🌺🌼🌺🌼🌺🥀
#FridayMotivation
#FridayThoughts
📙📙📙
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला
#TattvadarshiSantRampalJi
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1📙 पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान किसने कहा?
जानने के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
2📙 ‘‘गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा’’:-
जब कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते समय अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। ��ब सर्व लोकों को खाने के लिए ��्रकट हुआ हूँ।‘ जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
3📙गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा’
अध्याय 11 श्लोक 21 व 46 में अर्जुन कह रहा है कि भगवन्! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं, कुछ आपके मुख में समा रहे हैं। हे सहस्रबाहु अर्थात् हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को देखकर धीरज नहीं रख पा रहा हूँ।
श्री कृष्ण जी तो अर्जुन के साले थे। श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था। क्या व्यक्ति अपने साले को भी नहीं जानता? इससे सिद्ध है कि गीता का ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा, काल ब्रह्म ने बोला था।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
4📙अध्याय 11 श्लोक 47 में पवित्र गीता जी को बोलने वाले प्रभु काल ने कहा है कि ‘हे अर्जुन! यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था।‘
सिद्ध हुआ कि कौरवों की सभा में विराट रूप श्री कृष्ण जी ने दिखाया था तथा कुरूक्षेत्र में युद्ध के मैदान में विराट रूप काल ने दिखाया था। नहीं तो यह नहीं कहता कि यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है। क्योंकि श्री कृष्ण जी अपना विराट रूप कौरवों की सभा में पहले ही दिखा चुके थे जो अनेकों ने देखा था।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
5📙पवित्र गीता जी को बोलने वाला काल (ब्रह्म-ज्योति निरंजन) है, न कि श्री कृष्ण जी। क्योंकि श्री कृष्ण जी ने पहले कभी नहीं कहा कि मैं काल हूँ तथा बाद में कभी नहीं कहा कि मैं काल हूँ। श्री कृष्ण जी काल नहीं हो सकते। उनके दर्शन मात्र को तो दूर-दूर क्षेत्र के स्त्री तथा पुरुष तड़फा करते थे। पशु-पक्षी भी उनको प्यार करते थे।
6📙गीता अध्याय 7 श्लोक 24-25 में गीता ज्ञान दाता प्रभु ने कहा है कि बुद्धिहीन जन समुदाय मेरे उस घटिया (अनुत्तम) अटल विधान को नहीं जानते कि मैं कभी भी मनुष्य की तरह किसी के सामने प्रकट नहीं होता। मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ।
गीता ज्ञान दाता श्री कृष्ण जी नहीं है क्योंकि श्री कृष्ण जी तो सर्व समक्ष साक्षात् थे। श्री कृष्ण नहीं कहते कि मैं अपनी योगमाया से छिपा रहता हूँ। इसलिए गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी के अन्दर प्रेतवत् प्रवेश करके काल ने बोला था।
7📙गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन! मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं। भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके कार्य करता है। जैसे श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं महाभारत के युद्ध में ��िसी को मारने के लिए शस्त्र भी नहीं उठाऊँगा। श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला। पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए। प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
8📙जिस समय काल ब्रह्म ने श्री कृष्ण जी के शरीर से बाहर निकलकर अपना विराट रूप दिखाया, वह बहुत प्रकाशमान था। अर्जुन भयभीत हो गया तथा श्री कृष्ण उस विराट रूप के प्रकाश में ओझल हो गया था। इसलिए पूछ रहा था कि आप कौन हो? क्या अपने साले से भी यह ��ूछा जाता है कि आप कौन हो? इसलिए गीता का ज्ञान काल ब्रह्म ने श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके बोला था।
9📙गीता अध्याय 18 श्लोक 43 में गीता ज्ञान दाता ने क्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘‘युद्ध से न भागना’’ आदि-2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं क्षत्री होते हुए कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता। न उसकी राय श्रोता को ठीक जचेगी। वह उपहास का पात्र बनेगा। यह गीता ज्ञान ब्रह्म(काल) ने प्रेतवत् श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके बोला था। भगवान श्री कृष्ण रूप में स्वयं श्री विष्णु जी ही अवतार धार कर आए थे।
10📙काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर में व्यक्त(मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा। उसी ने सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सही(वेदों का सार) कहा, परन्तु युद्ध करवाने के लिए भी अटकल बाजी में कसर नहीं छोड़ी।
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⏩ Sant Rampal Ji Maharaj
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7:30p.m. To 8:30p.m. _Daily
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20 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे कृष्णा*🌹
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👍🏻👍🏻आध्यात्मिक गुरु 👍🏻राधे राधे 8764415587, 9610752236
जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ आपका स्वागत है #वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स की विशेष प्रस्तुति में। यह कॉलम नियमित रूप से उन पाठकों के व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में जानकारी देगा जिनका उस दिनांक को जन्मदिन होगा। पेश है दिनांक 20 को जन्मे व्यक्तियों के बारे में जानकारी : दिनांक 20 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 2 होगा। आप अत्यधिक भावुक होते हैं। आप स्वभाव से शंकालु भी होते हैं। दूसरों के दु:ख-दर्द से आप परेशान हो जाना आपकी कमजोरी है। ग्यारह की संख्या आपस में मिलकर दो होती है इस तरह आपका मूलांक दो होगा। इस मूलांक को चंद्र ग्रह संचालित करता है। चंद्र ग्रह मन का कारक होता है।
चंद्र के समान आपके स्वभाव में भी उतार-चढ़ाव पाया जाता है। आप अगर जल्दबाजी को त्याग दें तो आप जीवन में बहुत सफल होते हैं। आप मानसिक रूप से तो स्वस्थ हैं लेकिन शारीरिक रूप से आप कमजोर हैं। चंद्र ग्रह स्त्री ग्रह माना गया है। अत: आप अत्यंत कोमल स्वभाव के हैं। आपमें अभिमान तो जरा भी नहीं होता।
शुभ दिनांक : 2, 11, 20, 23, 25, 27, 29
शुभ अंक : 2, 11, 20, 29, 56, 65, 92
शुभ वर्ष : 2025, 2027, 2029, 2036
ईष्टदेव : श्रीकृष्ण, शनि महाराज के ईष्ट दे, भगवान शिव, बटुक भैरव
शुभ रंग : सफेद, हल्का नीला, सिल्वर ग्रे
कैसा रहेगा यह वर्ष
लेखन से संबंधित मामलों में सावधानी रखना होगी। बगैर देखे किसी कागजात पर हस्ताक्षर ना करें। किसी नवीन कार्य योजनाओं की शुरुआत करने से पहले बड़ों की सलाह लें। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति ठीक-ठीक रहेगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से संभल कर चलने का वक्त होगा। पारिवारिक विवाद आपसी मेलजोल से ही सुलझाएं। दखलअंदाजी ठीक नहीं रहेगी।
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Shree Krishna Quotes in Hindi | श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ सुविचार
भगवान श्रीकृष्ण, जो हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण और दिव्य व्यक्तित्व हैं, अपने गहरे ज्ञान, निस्वार्थ भक्ति और प्रेरणादायक जीवन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अर्जुन को भगवद गीता के माध्यम से जीवन के मूलभूत सिद्धांतों का उपदेश दिया। उनके विचार, श्लोक और अनमोल वचन आज भी मानव जीवन के हर पहलू में प्रेरणा देते हैं। इस ब्लॉग में हम “Krishna Quotes in Hindi” को विस्तार से जानेंगे और समझेंगे कि ये विचार…
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