#श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं
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ghostlybelieverpoetry · 4 months ago
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rakeshdasprajapat · 4 months ago
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#राधास्वामी_प्रवर्तकबना_प्रेत
श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
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naren1234 · 4 months ago
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#राधास्वामी_निगुरा_पंथ
श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
RadhaSoami Exposed
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meenumeenu · 1 year ago
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#राधास्वामी_पंथ_की_सच्चाई
श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
Kabir Is God
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bhuneshwaridasi · 2 years ago
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#Reality_Of_RadhaSoami_Panth
श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
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dass-rakesh-meena · 2 years ago
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🧩श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने? पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है। #Reality_Of_RadhaSoami_Panth #rssbquote #rssbbeas #soami #waheguru #radhaswamispiritual #radha #radhaswamiji #satsang #sewa #meditation #simran #gurbani #satnam #satnamwaheguru #SantRampalJiMaharaj #SaintRampalJi #Satguru (at Gwalior) https://www.instagram.com/p/CrgOsQMyWGx/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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noisycowboyfart · 4 months ago
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#राधास्वामी_प्रवर्तकबना_प्रेत
RadhaSoami Vs Sant Rampal Ji🧩श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को
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dharmarajdas · 4 months ago
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#राधास्वामी_प्रवर्तकबना_प्रेत
#RadhaSoamiVsSantRampalJi
#RadhaSoami_ArbitrarySect #ghost #spirit
#RadhaSoamiExposed
#Radhasoami #Radhasoamiji
#SantRampalJiMaharaj
श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
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chocolatefoxdelusion · 4 months ago
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श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
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sukhnandansahu · 4 months ago
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श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
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davender · 4 months ago
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श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
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naren1234 · 4 months ago
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#राधास्वामी_निगुरा_पंथ
श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
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merasahib · 4 months ago
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श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
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2112jitendra · 4 months ago
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पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
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onkarsahu17 · 4 months ago
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श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
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glitterydragonprince · 4 months ago
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श्री शिवदयाल जी (राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक) ने इतना हठयोग/तप किया फिर भी उनका मोक्ष क्यों नहीं हुआ, वे मृत्यु उपरांत प्रेत क्यों बने?
पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण अर्थात मनमानी भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है, न कार्य सिद्धि होती है, न ही परम गति(मोक्ष) को प्राप्त होता है अर्थात व्यर्थ है।
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