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#शैक्षिक पुस्तकें
vlogrush · 3 months
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बाल साहित्य: हिंदी में टॉप 10 शैक्षिक किताबें
किताब पढ़ते बच्चे बच्चों के लिए हिंदी की श्रेष्ठ 20 शैक्षिक पुस्तकों की सूची। ये किताबें मनोरंजक तरीके से ज्ञान बढ़ाएंगी और बच्चों के समग्र विकास में मदद करेंगी।बाल साहित्य बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अच्छी किताबें न केवल बच्चों की कल्पनाशीलता और रचनात्मकता को बढ़ावा देती हैं, बल्कि उन्हें नए विचारों और मूल्यों से भी परिचित कराती हैं। हिंदी में लिखी गई…
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vickys-viral-vibes · 3 months
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नालंदा विश्वविद्यालय: 700 साल का ज्ञान और उसका विनाश
नालंदा विश्वविद्यालय, प्राचीन भारत का एक अद्वितीय शिक्षा का केंद्र, जिसने शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए थे। यह विश्वविद्यालय 5वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था और यह अपने समय का सबसे बड़ा और सबसे प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान था। इस विश्वविद्यालय ने लगभग 700 वर्षों तक ज्ञान का प्रसार किया और पूरे विश्व से छात्र यहां अध्ययन करने आते थे।
नालंदा विश्वविद्यालय का परिसर बहुत विशाल था, जिसमें दस बड़े मठ और कई छोटे-छोटे मंदिर थे। यहां पर लाइब्रेरी भी थी, जिसे 'धर्मगंज' कहा जाता था, जिसमें हजारों पांडुलिपियाँ और ग्रंथ संग्रहीत थे। यह लाइब्रेरी तीन भवनों में विभाजित थी - रत्नसागर, रत्नोदधि और रत्नरंजक। यह विश्वविद्यालय न केवल बौद्ध धर्म के अध्ययन का केंद्र था, बल्कि यहां अन्य विषयों जैसे गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा, तर्कशास्त्र और कला का भी अध्ययन होता था।
नालंदा विश्वविद्यालय में प्रवेश पाना बहुत कठिन था। यहां के विद्वान शिक्षक अपने समय के सबसे ज्ञानी और बुद्धिमान व्यक्तित्व थे। ह्वेनसांग, जो एक चीनी तीर्थयात्री थे, उन्होंने नालंदा में 17 साल तक अध्ययन किया और अपनी यात्रा वृतांत में इस विश्वविद्यालय की महानता का विस्तार से वर्णन किया है।
12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के बाद नालंदा विश्वविद्यालय को जला दिया गया। कहा जाता है कि यहां की लाइब्रेरी में इतनी पुस्तकें थीं कि उन्हें जलने में कई महीने लगे। यह एक ऐसा आघात था जिससे भारतीय शिक्षा प्रणाली कभी उबर नहीं पाई।
नालंदा विश्वविद्यालय का विनाश भारतीय उपमहाद्वीप के सांस्कृतिक और शैक्षिक धरोहर पर एक गहरा आघात था। लेकिन इसके बावजूद, नालंदा का इतिहास आज भी हमें प्रेरित करता है और हमें यह याद दिलाता है कि भारत में शिक्षा और ज्ञान का कितना समृद्ध इतिहास रहा है।
आज नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष बिहार के नालंदा जिले में स्थित हैं, जो पर्यटकों और इतिहासकारों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र हैं। 2014 में, नालंदा विश्वविद्यालय को पुनःस्थापित किया गया और यह नए युग के छात्रों को शिक्षा का प्रकाश प्रदान कर रहा है।
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abhinews1 · 1 year
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राजीव इंटरनेशनल स्कूल में हुआ दो दिवसीय पुस्तक मेले का आयोजन
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राजीव इंटरनेशनल स्कूल में हुआ दो दिवसीय पुस्तक मेले का आयोजन
पुस्तकें मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र होती हैं, ऐसे में यदि पुस्तक मेले से छात्र-छात्राओं को रूबरू होने का सुअवसर मिले तो इससे अच्छी बात दूसरी हो ही नहीं सकती। शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले मथुरा जनपद के राजीव इंटरनेशनल स्कूल में दो दिवसीय पुस्तक मेले का आयोजन किया गया। एक ही छत के नीचे हजारों तरह की पुस्तकें पाकर छात्र-छात्राओं के चेहरे खुशी से खिल उठे। राजीव इंटरनेशनल स्कूल में दो दिवसीय पुस्तक मेले के आयोजन का उद्देश्य छात्र-छात्राओं में अध्ययन-अध्यापन के प्रति रुचि जागृत करना था। इस पुस्तक मेले में आगरा और दिल्ली के प्रकाशकों ने अपने-अपने स्टॉलों में ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों का संग्रह रखा। पुस्तक मेले में पुस्तकों की प्रदर्शनी के साथ-साथ उनकी बिक्री की भी व्यवस्था की गई थी। पुस्तक मेले में हर आयु वर्ग के विद्यार्थियों को अपनी-अपनी पसंद की पुस्तकें देखने और खरीदने का सुअवसर मिला। पुस्तक मेले में छोटे बच्चों के लिए पंचतंत्र के साथ-साथ अन्य मनोरंजक कहानियों की रंग-बिरंगी किताबें थीं तो बड़े बच्चों के लिए एक से बढ़कर एक उपयोगी पुस्तकें भी स्टॉलों में पाई गईं। काल्पनिक, हॉरर, थ्रिलर, बायोग्राफी जैसी विविध प्रकार की पुस्तकों को एक ही छत के नीचे पाने की खुशी जहां छात्र-छात्राओं में साफ देखी गई वहीं उन्होंने इसका लाभ उठाते हुए जमकर पुस्तकों की खरीददारी भी की। पुस्तक मेले में अभिभावकों की पसंद का भी पूरा ध्यान रखा गया था। इस अवसर का लाभ उठाते हुए विद्यार्थियों के साथ-साथ अभिभावकों ने भी अपनी-अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकें खरीदीं। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने पुस्तक मेले के आयोजन को समसामयिक बताते हुए कहा कि मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक पुस्तकें छात्र-छात्राओं ही नहीं हर आयु वर्ग के लोगों के लिए न केवल उपयोगी होती हैं बल्कि उनका जीवन पर्यंत मार्गदर्शन भी करती हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पुस्तकें प्रगति एवं बुद्धि के विकास में सहायक होती हैं। पुस्तकें ही हमारी हर मुश्किल में सहायता करती हैं तथा अज्ञान के अंधकार से हमें ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाती हैं। प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कहा कि आज के समय में जब विद्यार्थियों की मौलिकता सोशल मीडिया या मोबाइल में लुप्त होती जा रही हो, ऐसे समय में उस अंधकार से उन्हें सिर्फ अच्छी पुस्तकें ही निकाल सकती हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि पुस्तकों को मनुष्य का सच्चा मित्र कहा जाता है, इन्हें पढ़कर ही हम ज्ञान पाते हैं। आज हम किसी विषय के बारे में जो कुछ जानते हैं उसका आधार किताबें ही हैं। बच्चें पुस्तक पढ़कर ही सीखना शुरू करते हैं। विद्यालय की शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने कहा कि इस प्रकार के पुस्तक मेले बड़े उपयोगी होते हैं क्योंकि हमें एक ही स्थान पर सभी प्रकार की पुस्तकें देखने, पढ़ने एवं चुनने का अवसर मिलता है। विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन के लिए समय-समय पर ऐसे पुस्तक मेलों का आयोजन किया जाना बहुत जरूरी है।
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NCERT Hindi Class 9 to 12 (Kshitij, Kritika, Sparsh, Sanchayan) Audiobook- Audicate
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Title: सुनें और सीखें: NCERT कक्षा 9 से 12 की हिंदी पाठ्यपुस्तकें Audicate ऐप पर उपलब्ध
प्रस्तावना
हिंदी भाषा भारतीय साहित्य, संस्कृति, और भूमिकाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए संकलित पाठ्यपुस्तकों का निरूपण करता है। कक्षा 9 से 12 के छात्रों के लिए, NCERT ने किताबें तैयार की हैं, जैसे कि "Kshitij," "Kritika," "Sparsh," और "Sanchayan," जो हिंदी साहित्य को एक रूचिकर और जीवन्त रूप में प्रस्तुत करती हैं। अब इन पाठ्यपुस्तकों के ऑडियोबुक संस्करण Audicate ऐप पर उपलब्ध हैं, जिससे छात्रों को हिंदी की साहित्यिक दुनिया में गहराई से घुसने का और आकर्षक और जुदाई भरपूर तरीके से अध्ययन करने का अवसर मिलता है।
NCERT हिंदी पुस्तकों का महत्व
NCERT हिंदी पाठ्यपुस्तकें, जैसे कि "Kshitij," "Kritika," "Sparsh," और "Sanchayan," कई कारणों से महत्वपूर्ण हैं:
भाषा कौशल में सुधार: इन पुस्तकों का अध्ययन करने से छात्र अपने पठन पाठन कौशल में सुधार करते हैं और सही व्याकरण, उच्चरण, और भाषा का सुधार करते हैं।
हिंदी साहित्य का परिचय: इन पाठ्यपुस्तकों में महान हिंदी लेखकों की कहानियों, कविताओं, और निबंधों का चयन है, जिससे छात्रों को हिंदी साहित्य का अद्वितीय दुनिया में प्रवेश मिलता है।
साहित्यिक विश्लेषण: ये पुस्तकें छात्रों को हिंदी साहित्य के विश्लेषण में मदद करती हैं और उनकी साहित्यिक समझ को बढ़ावा देती है।
सरल और प्रभावी शिक्षा: ये पुस्तकें हिंदी भाषा के प्रयोग को सरल और प्रभावी तरीके से सिखाने में मदद करती हैं।
ऑडियोबुक का फायदा
Audicate ऐप पर NCERT हिंदी पाठ्यपुस्तकों के ऑडियोबुक संस्करण का उपलब्ध होना कई फायदे प्रदान करता है:
पहुंचन: ऑडियोबुक्स को स्मार्टफ़ोन और टैबलेट पर आसानी से पहुंचा जा सकता है, छात्रों को हिंदी साहित्य की दुनिया में डूबने का अवसर देते हैं।
**जीवंत और सुविधाजनक शिक्षा**: छात्रों को व्याकरण, उच्चरण, और सही वाक्य रचना के लिए जीवंत उदाहरण देने के लिए ऑडियोबुक्स का उपयोग करने में सहायक होता है।
समय की बचत: छात्र यात्रा करते समय, व्यायाम करते समय, या फिर अपने काम करते समय भी हिंदी साहित्य का आनंद ले सकते हैं, जिससे समय का उपयोग भी होता है।
विशेषज्ञ उच्चरण: ऑडियोबुक्स को प्रोफेशनल्स द्वारा सुनाया जाता है, जो सही उच्चरण की गारंटी देते हैं।
निष्कर्षण
NCERT कक्षा 9 से 12 की हिंदी पाठ्यपुस्तकें "Kshitij," "Kritika," "Sparsh," और "Sanchayan" हमारे भाषा और साहित्य के प्रेमियों के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं। इन पुस्तकों के Audicate ऐप पर ऑडियोबुक संस्करण अब उपलब्ध हैं, जिससे हिंदी साहित्य के साथ रोमांचक और जिवंत आधार द्वारा पढ़ाई करने का अवसर मिलता है। Audicate के गूगल प्ले स्टोर पर जाएं और आज ही इन पाठ्यपुस्तकों के ऑडियोबुक का आनंद लें, हिंदी भाषा के समृद्ध साहित्य को खोजने का सबसे सुविधाजनक तरीका।
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crazynewsindia · 2 years
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प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाने का निर्णय लिया
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संख्या : 2शिमला 16 फरवरी, 2023   हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल के निर्णय   प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाने का निर्णय लिया उपेक्षित वरिष्ठ नागरिकों, अनाथ बच्चों, विशेष रूप से सक्षम बच्चों और निराश्रित महिलाओं के लिए किया जाएगा नए एकीकृत घरों का निर्माण भारत के विभिन्न दर्���नीय स्थलों का प्रति वर्ष शैक्षिक भ्रमण का प्रावधान पात्र आवासियों को स्टार्ट-अप आरंभ के लिए मिलेंगे एकमुश्त दो लाख रुपए   मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक में महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के दिशा-निर्देशों को स्वीकृति प्रदान की गई। विगत माह हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एनपीएस कर्मचारियों के लिए पुरानी पैंशन बहाल करने का निर्णय लिया गया था। मंत्रिमंडल ने राज्यपाल से हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 14 मार्च से 6 अप्रैल, 2023 तक आयोजित करने की सिफारिश भी की। बजट सत्र में 18 बैठकें होंगी। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के अंतर्गत अनाथ, अर्ध-अनाथ, और विशेष रूप से सक्षम, निराश्रित महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को लाया गया है, जिसमें उन्हें हर संभव सहायता का प्रावधान किया गया है। योजना में प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को अपने बच्चों (चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट) के रूप में अपनाया है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत मौजूदा अधोसंरचना के उन्नयन के साथ-साथ मौजूदा संस्थानों का युक्तिकरण कर उन्हें सुदृढ़ किया जाएगा ताकि आवासियों को बेहतर सुविधाएं प्राप्त हो सकें। उनके लिए अटैच शौचालय वाले कमरे, मनोरंजन व गतिविधि कक्ष, कॉमन रूम, म्यूजिक रूम, स्मार्ट क्लास रूम, कोचिंग रूम, इनडोर व आउटडोर खेल सुविधाओं सहित अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इस योजना के तहत उपेक्षित वरिष्ठ नागरिकों, अनाथ बच्चों, विशेष रूप से सक्षम बच्चों और निराश्रित महिलाओं की बेहतर देखभाल के लिए नए एकीकृत घरों का निर्माण चरणबद्ध तरीके से एक परिसर में अलग-अलग खण्डों में किया जाएगा। इनमें सभी आधुनिक सुविधाओं का समावेश होगा। यह आधुनिक एकीकृत घर जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी तथा जिला मंडी के सुंदरनगर में स्थापित होंगे। योजना के अंतर्गत संस्थान में रहने वाले बच्चों की गुणात्मक शिक्षा का प्रावधान किया गया है ताकि उन्हें बेहतर कोचिंग, संदर्भ पुस्तकें अथवा कोचिंग सामग्री मिल सके। समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के माध्यम से ऐसे बच्चों को मेंटरशिप भी प्रदान की जाएगी। दसवीं से बाहरवीं तक के बच्चों को सूचीबद्ध एजेंसियों के माध्यम से करियर काउंसलिंग भी प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा के लिए भी इन बच्चों को सरकार सहायता प्रदान करेगी। इसके अलावा इन बच्चों के समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए मासिक पिकनिक आयोजित करने का भी प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु के पात्र आवासियों को कोचिंग, छात्रावास शुल्क, शिक्षण शुल्क आदि के लिए प्रति व्यक्ति एक लाख रुपए प्रति वर्ष प्रदान करने के अलावा कोचिंग की अवधि के दौरान चार हजार रुपए प्रति आवासी प्रति माह छात्रवृत्ति प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना में इन संस्थानों के आवासियों को विवाह के लिए दो लाख रुपए अथवा वास्तविक खर्च, जो भी कम हो, प्रदान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त इन संस्थानों में रहने वाले प्रत्येक बच्चे, निराश्रित महिलाओं का आवर्ती जमा खाता खोला जाएगा, जिसमें सरकार द्वारा 0-14 वर्ष की आयु के बच्चों को एक हजार रुपए प्रति बच्चा प्रति माह, 15-18 वर्ष आयु के बच्चों व एकल महिलाओं को दो हजार पांच सौ रुपए प्रति माह की सहायता राशि देगी। इन संस्थानों के आवासियों को भारत के विभिन्न दर्शनीय अथवा ऐतिहासिक स्थलों का पंद्रह दिन का शैक्षिक भ्रमण प्रति वर्ष आयोजित करने का भी प्रावधान है, जिसमें आवासियों के लिए यात्रा की व्यवस्था शताब्दी ट्रेन, एसी वॉल्वो अथवा हवाई सुविधा के साथ-साथ थ्री स्टार होटलों में ठहरने की व्यवस्था होगी। योजना में इसी तर्ज पर वृद्धाश्रमों एवं नारी सेवा सदनों के आवासियों को भी प्रति वर्ष 10 दिन की यात्रा व ठहरने का प्रावधान किया गया है। योजना के तहत बाल देखरेख संस्थानों को छोड़ने वाले सभी बच्चों के लिए 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद भी 21 वर्ष की आयु तक और अनाथ बच्चों के लिए 27 वर्ष की आयु तक वास्तविक दरों पर छात्रावास शुल्क और शिक्षण शुल्क प्रदान करने की व्यवस्था करने के साथ-साथ अध्ययन अवधि के दौरान छात्रवृत्ति के रूप में चार हजार रुपए प्रति माह प्रति बच्चे को उनके व्यक्तिगत खर्चों को पूरा करने के लिए सहायता राशि दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत पात्र आवासी, जो 18 वर्ष के आयु पूर्ण करने के बाद अपना स्टार्ट-अप आरंभ करना चाहते हैं, उन्हें दो लाख रुपए प्रति व्यक्ति एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत अनाथ बच्चों को 18 वर्ष की आयु के बाद 27 वर्ष तक पश्चावर्ती देखभाल संस्थानों में आवासीय सुविधाओं के साथ-साथ भोजन, आश्रय और वस्त्र भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस योजना के तहत जिन अनाथ बच्चों के नाम पर कोई भूमि नहीं है, उन्हें 27 वर्ष की आयु के बाद घर के निर्माण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा भूमि देने के साथ-साथ आवास निर्माण के लिए तीन लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। योजना के तहत इन संस्थानों में रहने वाले सभी आवासियों को वस्त्र अनुदान के रूप में दस हजार रुपए की राशि प्रति वर्ष उनके बैंक खाते में जमा करवाई जाएगी ताकि वह अपने पसंद के वस्त्र व जूते खरीद सकें। इसके अतिरिक्त संस्थान में रहने वाले व्यक्तियों की देखभाल के लिए अतिरिक्त गृह माता अथवा पालक की नियुक्ति का भी योजना में प्रावधान किया गया है, ताकि उन्हें रहन-सहन में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत आवासीय को वर्ष भर आने वाले त्यौहार को मनाने के लिए प्रति त्यौहार 500 रुपए की सहायता राशि भी दी जाएगा। योजना के तहत ऐसे वर्ग की सहायता के लिए 101 करोड़ के प्रारंभिक योगदान के साथ-साथ मुख्यमंत्री सुख-आश्रय कोष का गठन किया गया है। Read the full article
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loktantraudghosh · 2 years
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विधायक डॉ. पांडेय ने किया छात्रावास का औचक निरीक्षण वाटर कूलर, एयर कूलर, पुस्तकें व खेल सामग्री देने की घोषणा
लोकतंत्र उद्धघोष : प्रफुल्ल जैन -पिपलौदा क्षेत्रीय विधायक डॉ.राजेंद्र पांडेय ने गुरुवार को समीपस्थ ग्राम सूजापुर स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस बालिका छात्रावास का आकस्मिक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान डॉ.पांडेय ने छात्रावास की व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए छात्रावास में निवास कर रही छात्राओं के भोजन, नाश्ता, पेयजल, शिक्षण व्यवस्था, शैक्षिक सामग्री वितरण तथा छात्रावास में उपलब्ध सुविधाओं की…
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talentfeats · 2 years
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बच्चे के लिए अक्षर ज्ञान का महत्व. बच्चे के लिए अक्षर ज्ञान का महत्व अक्षर ज्ञान अक्षर नाम और अक्षर ध्वनियों की पहचान है। यह किसी विशेष शब्द के अर्थ को समझने की क्षमता है। अक्षर का ज्ञान समझ पैदा करता है और शब्दों की कल्पना करता है। इसलिए, बच्चे को उनकी स्कूली उम्र से ही अक्षर ज्ञान प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है। हावड़ा में सीबीएसई बोर्ड स्कूल अपने छात्रों को एक अनोखे तरीके से अक्षरों का ज्ञान प्रदान करने पर बहुत प्रभाव डालता है। विशिष्टता के पीछे प्रमुख कारण शब्दावली पर उनका ध्यान है। शब्दावली की शक्ति बच्चे के ज्ञान पर बहुत प्रभाव डाल सकती है। यह विभिन्न तरीकों से बच्चों के अक्षर ज्ञान को भी बढ़ाता है। इस ब्लॉग में हम बच्चों के लिए उनके शैक्षिक जीवन में अक्षर ज्ञान के महत्व पर चर्चा करेंगे। आइए इस पर चर्चा करें। अक्षर ज्ञान के बारे में कुछ वास्तविक तथ्य. 26 अक्षर होते हैं। प्रत्येक अक्षर में प्रत्येक शब्द के लिए अपरकेस और लोअरकेस होते हैं, जो 52 अलग-अलग आकार के होते हैं। एक बच्चे को दोनों (अपरकेस और लोअरकेस) के अलग-अलग 52 अक्षरों के आकार को याद रखना चाहिए। अक्षर के दो अलग-अलग स्वरूप हैं: स्वर (ए, ई, आई, ओ, यू) और व्यंजन (बी, सी, डी), आदि। प्रत्येक शब्द के आरंभिक शब्द के आधार पर अलग-अलग ध्वनियाँ होती हैं। ये सभी तथ्य आपके बच्चे के लिए वास्तविक चुनौती हैं लेकिन इन्हें याद रखना असंभव नहीं है। इसलिए, आपको अपने बच्चे के ज्ञान विकास के लिए उचित मार्गदर्शन और स्कूली शिक्षा की पृष्ठभूमि प्रदान करने की आवश्यकता है। अपने बच्चे में अक्षर ज्ञान कैसे विकसित करें? बच्चे के ज्ञान को विकसित करने के कई तरीके हैं। आप अपने बच्चे को मज़ेदार तरीकों, दिलचस्प तरीकों और शैक्षिक तरीकों से सीखने दे सकते हैं। आइए यह भी चर्चा करें कि अक्षर ज्ञान कैसे विकसित किया जाए। रचनात्मक वर्णमाला पुस्तकें प्राप्त करें अपने बच्चे के लिए सबसे रचनात्मक और मजेदार सीखने वाली किताबें प्राप्त करें। किताबों में कुछ रोचक चित्र होने चाहिए जो आपके बच्चे को ज्ञान प्राप्त करने और किताबें पढ़ने का आनंद लेने के लिए आकर्षित कर सकें। अपने बच्चे के साथ अक्षर गाएं बच्चे के सीखने की प्रक्रिया के दौरान, चीजों को मज़ेदार और सकारात्मक तरीके से बनाना महत्वपूर्ण है। अक्षर ज्ञान के दौरान अपने बच्चे को ऊर्जावान बनाए रखने का यह सबसे अच्छा तरीका है। इसलिए, अक्षर गीत गाने की दिलचस्प गतिविधियाँ स्वाभाविक रूप से आपके बच्चे के ज्ञान को बढ़ा सकती हैं। अक्षर का फैशन बनाओ यह आपके बच्चे के अक्षर ज्ञान को बेहतर बनाने के सबसे दि https://www.instagram.com/p/CnrhdbRvQi-/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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dainikuk · 2 years
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Uttarakhand Jobs 2022: शिक्षा विभाग में जल्द भरे जायेंगे 05 हजार से ज्यादा पद, चयनितों को शीघ्र नियुक्ति देने के निर्देश
Uttarakhand Jobs 2022: शिक्षा विभाग में जल्द भरे जायेंगे 05 हजार से ज्यादा पद, चयनितों को शीघ्र नियुक्ति देने के निर्देश
अतिथि शिक्षकों के 2300 पद शीघ्र भरे जाएं – मुख्यमंत्रीहर जनपद में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय की तर्ज पर की जाए आवासीय बालिका विद्यालयों की स्थापना।बीआरपी एवं सीआरपी के रिक्त 950 पद शीघ्र भरे जाएं।विद्यालयों में आउटसोर्स के माध्यम से भरे जाए चतुर्थ श्रेणी के 03 हजार रिक्त पद।9वीं से 12 वीं कक्षा के बच्चों को भी निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जाए।उच्चाधिकारी स्कूलों की व्यवस्थाओं एवं शैक्षिक गुणवत्ता…
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tazacoverage · 2 years
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Uttarakhand Jobs 2022: शिक्षा विभाग में जल्द भरे जायेंगे 05 हजार से ज्यादा पद, चयनितों को शीघ्र नियुक्ति देने के निर्देश
Uttarakhand Jobs 2022: शिक्षा विभाग में जल्द भरे जायेंगे 05 हजार से ज्यादा पद, चयनितों को शीघ्र नियुक्ति देने के निर्देश
अतिथि शिक्षकों के 2300 पद शीघ्र भरे जाएं – मुख्यमंत्री हर जनपद में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय की तर्ज पर की जाए आवासीय बालिका विद्यालयों की स्थापना। बीआरपी एवं सीआरपी के रिक्त 950 पद शीघ्र भरे जाएं। विद्यालयों में आउटसोर्स के माध्यम से भरे जाए चतुर्थ श्रेणी के 03 हजार रिक्त पद। 9वीं से 12 वीं कक्षा के बच्चों को भी निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जाए। उच्चाधिकारी स्कूलों की व्यवस्थाओं एवं शैक्षिक…
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swarajtv · 2 years
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Uttarakhand Jobs 2022: शिक्षा विभाग में जल्द भरे जायेंगे 05 हजार से ज्यादा पद, चयनितों को शीघ्र नियुक्ति देने के निर्देश
Uttarakhand Jobs 2022: शिक्षा विभाग में जल्द भरे जायेंगे 05 हजार से ज्यादा पद, चयनितों को शीघ्र नियुक्ति देने के निर्देश
अतिथि शिक्षकों के 2300 पद शीघ्र भरे जाएं – मुख्यमंत्री हर जनपद में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय की तर्ज पर की जाए आवासीय बालिका विद्यालयों की स्थापना। बीआरपी एवं सीआरपी के रिक्त 950 पद शीघ्र भरे जाएं। विद्यालयों में आउटसोर्स के माध्यम से भरे जाए चतुर्थ श्रेणी के 03 हजार रिक्त पद। 9वीं से 12 वीं कक्षा के बच्चों को भी निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जाए। उच्चाधिकारी स्कूलों की व्यवस्थाओं एवं शैक्षिक…
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vlogrush · 3 months
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बाल साहित्य: हिंदी में टॉप 10 शैक्षिक किताबें
किताब पढ़ते बच्चे बच्चों के लिए हिंदी की श्रेष्ठ 20 शैक्षिक पुस्तकों की सूची। ये किताबें मनोरंजक तरीके से ज्ञान बढ़ाएंगी और बच्चों के समग्र विकास में मदद करेंगी।बाल साहित्य बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अच्छी किताबें न केवल बच्चों की कल्पनाशीलता और रचनात्मकता को बढ़ावा देती हैं, बल्कि उन्हें नए विचारों और मूल्यों से भी परिचित कराती हैं। हिंदी में लिखी गई…
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studycarewithgsbrar · 2 years
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शिक्षक दिवस 2022: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 10 पुस्तकें जो साबित करती हैं कि वह महान व्यक्ति थे
शिक्षक दिवस 2022: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 10 पुस्तकें जो साबित करती हैं कि वह महान व्यक्ति थे
हैप्पी टीचर्स डे 2022: एक दार्शनिक से लेकर भारत के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति तक, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने विभिन्न क्षमताओं में सेवा की, लेकिन एक शिक्षक के रूप में उनके योगदान के लिए उन्हें सबसे ज्यादा याद किया जाता है। डॉ राधाकृष्णन को शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करने और देश में शैक्षिक मानकों को बढ़ाने के लिए काम करने के लिए मनाया जाता है। उनका जन्मदिन 5 सितंबर 1962 पूरे देश में शिक्षक…
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NCERT English Class 9 to 12 (Flamingo and Vistas) Audiobook- Audicate
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शीर्षक: NCERT किताबों के साथ ऑडियोबुक पर अंग्रेजी साहित्य का अन्वेषण करें: Audicate पर NCERT Flamingo और Vistas
प्रस्तावना
साहित्य मानव अनुभव को समझने के लिए एक द्वार है, और NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) शिक्षा में इसका महत्व समझता है। कक्षा 9 से 12 के छात्रों के लिए, NCERT ने ध्यानपूर्वक अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों का निरूपण किया है, जैसे "Flamingo" और "Vistas," जो छात्रों को अंग्रेजी साहित्य की मोहक दुनिया में प्रस्तुत करते हैं। इन पाठ्यपुस्तकों को अब Audicate ऐप पर रूचिकर और जीवन्त ऑडियोबुक्स के रूप में उपलब्ध किया गया है, जो छात्रों को प्रोज, कविता, और नाटक के क्षेत्रों में बूढ़ेने का एक गतिविधि और जानकारीपूर्ण तरीके से प्रदान करते हैं।
NCERT अंग्रेजी किताबों का महत्व
NCERT अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों, जैसे कि "Flamingo" और "Vistas," कई कारणों से महत्वपूर्ण होते हैं:
विविध साहित्यिक चयन: इन पुस्तकों में प्रसिद्ध लेखकों के कविताएँ, लघुकथाएँ, निबंध, और नाटकों का विविध चयन है, जिससे छात्रों को विभिन्न साहित्यिक रूप और शैलियों का परिचय होता है।
भाषा कौशल का सुधारना: साहित्यिक टेक्स्ट्स को पढ़कर और विश्लेषित करके शब्दावली, समझ, और क्रिटिकल थिंकिंग कौशल में सुधार होता है।
सांस्कृतिक दृष्टिकोण: अंग्रेजी साहित्य अक्सर विभिन्न संस्कृतियों और दृष्टिकोणों में दर्शनीयता प्रदान करता है, छात्रों की दृष्टि को विस्तारित करता है।
परीक्षा की तैयारी: इन पाठ्यपुस्तकों से प्राप्त ज्ञान और साहित्यिक विश्लेषण कौशल प्रतिस्पर
्धी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए मूल्यबोध है, जैसे कि भाषा और साहित्य परीक्षाएँ।
जीवन के सबक: साहित्य अक्सर महत्वपूर्ण जीवन सबक और मॉरल मूल्यों को संवेदनशीलता में लाता है, पूर्णांतरित विकास को प्रोत्साहित करता है।
ऑडियोबुक का फायदा
Audicate ऐप पर NCERT अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों के ऑडियोबुक संस्करण का उपलब्ध होना कई फायदे प्रदान करता है:
पहुंचन: ऑडियोबुक्स को स्मार्टफ़ोन और टैबलेट पर आसानी से पहुंचा जा सकता है, छात्रों को साहित्यिक दुनिया में अंग्रेजी अध्ययन करने का अवसर देते हैं, चाहे वे कहीं भी जाएं।
मोहक प्रस्तुति: ऑडियोबुक्स को कुशल पेशेवरों द्वारा सुनाया जाता है, जो साहित्यिक काम को अपनी अभिव्यक्ति से जीवंत करते हैं।
उच्चरण और सुनने कौशल में सुधार: सही उच्चरण और व्यक्तिगत साहित्य के सुनने से छात्र अपने उच्चरण और सुनने कौशल में सुधार कर सकते हैं।
सुविधाजनक शिक्षा: ऑडियोबुक्स छात्रों को मल्टिटास्किंग करते समय भी साहित्य का अन्वेषण करने की लचीलाता प्रदान करते हैं, जैसे कि यात्रा करते समय या आत्मनिर्भर कार्यकला के दौरान।
निष्कर्षण
NCERT अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकें "Flamingo" और "Vistas" केवल शैक्षिक संसाधन नहीं हैं; ये अंग्रेजी साहित्य की जादू से भरपूर दुनिया के लिए द्वारके हैं। चाहे आप प
रीक्षा की तैयारी कर रहे हों, एक साहित्य श्रवण क्रियाओं के अभियंता हों, या फिर भाषा और विश्लेषण कौशल विकसित करने के इच्छुक हों, ये पुस्तकें अमूल्य संसाधनों के रूप में कार्य करती हैं।
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crazynewsindia · 2 years
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प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाने का निर्णय लिया
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संख्या : 2शिमला 16 फरवरी, 2023   हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल के निर्णय   प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाने का निर्णय लिया उपेक्षित वरिष्ठ नागरिकों, अनाथ बच्चों, विशेष रूप से सक्षम बच्चों और निराश्रित महिलाओं के लिए किया जाएगा नए एकीकृत घरों का निर्माण भारत के विभिन्न दर्शनीय स्थलों का प्रति वर्ष शैक्षिक भ्रमण का प्रावधान पात्र आवासियों को स्टार्ट-अप आरंभ के लिए मिलेंगे एकमुश्त दो लाख रुपए   मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक में महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के दिशा-निर्देशों को स्वीकृति प्रदान की गई। विगत माह हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एनपीएस कर्मचारियों के लिए पुरानी पैंशन बहाल करने का निर्णय लिया गया था। मंत्रिमंडल ने राज्यपाल से हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 14 मार्च से 6 अप्रैल, 2023 तक आयोजित करने की सिफारिश भी की। बजट सत्र में 18 बैठकें होंगी। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के अंतर्गत अनाथ, अर्ध-अनाथ, और विशेष रूप से सक्षम, निराश्रित महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को लाया गया है, जिसमें उन्हें हर संभव सहायता का प्रावधान किया गया है। योजना में प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को अपने बच्चों (चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट) के रूप में अपनाया है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत मौजूदा अधोसंरचना के उन्नयन के साथ-साथ मौजूदा संस्थानों का युक्तिकरण कर उन्हें सुदृढ़ किया जाएगा ताकि आवासियों को बेहतर सुविधाएं प्राप्त हो सकें। उनके लिए अटैच शौचालय वाले कमरे, मनोरंजन व गतिविधि कक्ष, कॉमन रूम, म्यूजिक रूम, स्मार्ट क्लास रूम, कोचिंग रूम, इनडोर व आउटडोर खेल सुविधाओं सहित अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इस योजना के तहत उपेक्षित वरिष्ठ नागरिकों, अनाथ बच्चों, विशेष रूप से सक्षम बच्चों और निराश्रित महिलाओं की बेहतर देखभाल के लिए नए एकीकृत घरों का निर्माण चरणबद्ध तरीके से एक परिसर में अलग-अलग खण्डों में किया जाएगा। इनमें सभी आधुनिक सुविधाओं का समावेश होगा। यह आधुनिक एकीकृत घर जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी तथा जिला मंडी के सुंदरनगर में स्थापित होंगे। योजना के अंतर्गत संस्थान में रहने वाले बच्चों की गुणात्मक शिक्षा का प्रावधान किया गया है ताकि उन्हें बेहतर कोचिंग, संदर्भ पुस्तकें अथवा कोचिंग सामग्री मिल सके। समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के माध्यम से ऐसे बच्चों को मेंटरशिप भी प्रदान की जाएगी। दसवीं से बाहरवीं तक के बच्चों को सूचीबद्ध एजेंसियों के माध्यम से करियर काउंसलिंग भी प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा के लिए भी इन बच्चों को सरकार सहायता प्रदान करेगी। इसके अलावा इन बच्चों के समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए मासिक पिकनिक आयोजित करने का भी प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु के पात्र आवासियों को कोचिंग, छात्रावास शुल्क, शिक्षण शुल्क आदि के लिए प्रति व्यक्ति एक लाख रुपए प्रति वर्ष प्रदान करने के अलावा कोचिंग की अवधि के दौरान चार हजार रुपए प्रति आवासी प्रति माह छात्रवृत्ति प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना में इन संस्थानों के आवासियों को विवाह के लिए दो लाख रुपए अथवा वास्तविक खर्च, जो भी कम हो, प्रदान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त इन संस्थानों में रहने वाले प्रत्येक बच्चे, निराश्रित महिलाओं का आवर्ती जमा खाता खोला जाएगा, जिसमें सरकार द्वारा 0-14 वर्ष की आयु के बच्चों को एक हजार रुपए प्रति बच्चा प्रति माह, 15-18 वर्ष आयु के बच्चों व एकल महिलाओं को दो हजार पांच सौ रुपए प्रति माह की सहायता राशि देगी। इन संस्थानों के आवासियों को भारत के विभिन्न दर्शनीय अथवा ऐतिहासिक स्थलों का पंद्रह दिन का शैक्षिक भ्रमण प्रति वर्ष आयोजित करने का भी प्रावधान है, जिसमें आवासियों के लिए यात्रा की व्यवस्था शताब्दी ट्रेन, एसी वॉल्वो अथवा हवाई सुविधा के साथ-साथ थ्री स्टार होटलों में ठहरने की व्यवस्था होगी। योजना में इसी तर्ज पर वृद्धाश्रमों एवं नारी सेवा सदनों के आवासियों को भी प्रति वर्ष 10 दिन की यात्रा व ठहरने का प्रावधान किया गया है। योजना के तहत बाल देखरेख संस्थानों को छोड़ने वाले सभी बच्चों के लिए 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद भी 21 वर्ष की आयु तक और अनाथ बच्चों के लिए 27 वर्ष की आयु तक वास्तविक दरों पर छात्रावास शुल्क और शिक्षण शुल्क प्रदान करने की व्यवस्था करने के साथ-साथ अध्ययन अवधि के दौरान छात्रवृत्ति के रूप में चार हजार रुपए प्रति माह प्रति बच्चे को उनके व्यक्तिगत खर्चों को पूरा करने के लिए सहायता राशि दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत पात्र आवासी, जो 18 वर्ष के आयु पूर्ण करने के बाद अपना स्टार्ट-अप आरंभ करना चाहते हैं, उन्हें दो लाख रुपए प्रति व्यक्ति एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत अनाथ बच्चों को 18 वर्ष की आयु के बाद 27 वर्ष तक पश्चावर्ती देखभाल संस्थानों में आवासीय सुविधाओं के साथ-साथ भोजन, आश्रय और वस्त्र भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस योजना के तहत जिन अनाथ बच्चों के नाम पर कोई भूमि नहीं है, उन्हें 27 वर्ष की आयु के बाद घर के निर्माण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा भूमि देने के साथ-साथ आवास निर्माण के लिए तीन लाख रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। योजना के तहत इन संस्थानों में रहने वाले सभी आवासियों को वस्त्र अनुदान के रूप में दस हजार रुपए की राशि प्रति वर्ष उनके बैंक खाते में जमा करवाई जाएगी ताकि वह अपने पसंद के वस्त्र व जूते खरीद सकें। इसके अतिरिक्त संस्थान में रहने वाले व्यक्तियों की देखभाल के लिए अतिरिक्त गृह माता अथवा पालक की नियुक्ति का भी योजना में प्रावधान किया गया है, ताकि उन्हें रहन-सहन में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत आवासीय को वर्ष भर आने वाले त्यौहार को मनाने के लिए प्रति त्यौहार 500 रुपए की सहायता राशि भी दी जाएगा। योजना के तहत ऐसे वर्ग की सहायता के लिए 101 करोड़ के प्रारंभिक योगदान के साथ-साथ मुख्यमंत्री सुख-आश्रय कोष का गठन किया गया है। Read the full article
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talentfeats · 2 years
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बच्चे के लिए अक्षर ज्ञान का महत्व.
बच्चे के लिए अक्षर ज्ञान का महत्व
अक्षर ज्ञान अक्षर नाम और अक्षर ध्वनियों की पहचान है। यह किसी विशेष शब्द के अर्थ को समझने की क्षमता है। अक्षर का ज्ञान समझ पैदा करता है और शब्दों की कल्पना करता है। इसलिए, बच्चे को उनकी स्कूली उम्र से ही अक्षर ज्ञान प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है। हावड़ा में सीबीएसई बोर्ड स्कूल अपने छात्रों को एक अनोखे तरीके से अक्षरों का ज्ञान प्रदान करने पर बहुत प्रभाव डालता है। विशिष्टता के पीछे प्रमुख कारण शब्दावली पर उनका ध्यान है। शब्दावली की शक्ति बच्चे के ज्ञान पर बहुत प्रभाव डाल सकती है। यह विभिन्न तरीकों से बच्चों के अक्षर ज्ञान को भी बढ़ाता है। इस ब्लॉग में हम बच्चों के लिए उनके शैक्षिक जीवन में अक्षर ज्ञान के महत्व पर चर्चा करेंगे। आइए इस पर चर्चा करें।
अक्षर ज्ञान के बारे में कुछ वास्तविक तथ्य.
26 अक्षर होते हैं।
प्रत्येक अक्षर में प्रत्येक शब्द के लिए अपरकेस और लोअरकेस होते हैं, जो 52 अलग-अलग आकार के होते हैं।
एक बच्चे को दोनों (अपरकेस और लोअरकेस) के अलग-अलग 52 अक्षरों के आकार को याद रखना चाहिए।
अक्षर के दो अलग-अलग स्वरूप हैं: स्वर (ए, ई, आई, ओ, यू) और व्यंजन (बी, सी, डी), आदि।
प्रत्येक शब्द के आरंभिक शब्द के आधार पर अलग-अलग ध्वनियाँ होती हैं।
ये सभी तथ्य आपके बच्चे के लिए वास्तविक चुनौती हैं लेकिन इन्हें याद रखना असंभव नहीं है। इसलिए, आपको अपने बच्चे के ज्ञान विकास के लिए उचित मार्गदर्शन और स्कूली शिक्षा की पृष्ठभूमि प्रदान करने की आवश्यकता है।
अपने बच्चे में अक्षर ज्ञान कैसे विकसित करें?
बच्चे के ज्ञान को विकसित करने के कई तरीके हैं। आप अपने बच्चे को मज़ेदार तरीकों, दिलचस्प तरीकों और शैक्षिक तरीकों से सीखने दे सकते हैं। आइए यह भी चर्चा करें कि अक्षर ज्ञान कैसे विकसित किया जाए।
रचनात्मक वर्णमाला पुस्तकें प्राप्त करें
अपने बच्चे के लिए सबसे रचनात्मक और मजेदार सीखने वाली किताबें प्राप्त करें। किताबों में कुछ रोचक चित्र होने चाहिए जो आपके बच्चे को ज्ञान प्राप्त करने और किताबें पढ़ने का आनंद लेने के लिए आकर्षित कर सकें।
अपने बच्चे के साथ अक्षर गाएं
बच्चे के सीखने की प्रक्रिया के दौरान, चीजों को मज़ेदार और सकारात्मक तरीके से बनाना महत्वपूर्ण है। अक्षर ज्ञान के दौरान अपने बच्चे को ऊर्जावान बनाए रखने का यह सबसे अच्छा तरीका है। इसलिए, अक्षर गीत गाने की दिलचस्प गतिविधियाँ स्वाभाविक रूप से आपके बच्चे के ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
अक्षर का फैशन बनाओ
यह आपके बच्चे के अक्षर ज्ञान को बेहतर बनाने के सबसे दिलचस्प तरीकों में से एक है। ज्ञान शब्द वाले अक्षर वाले वस्त्र, बैनर आदि में उन्हें धारण करें। इस तरह का फैशन आपके बच्चे को सबसे अनोखे और स्टाइलिश तरीके से ज्ञान भी देगा।
शब्द को उनके पसंदीदा अक्षर से जोड़ें
हम अपने बच्चे की पसंदीदा गतिविधियों को आसानी से ग्रहण कर सकते हैं। जैसे खेलना, कार्टून देखना, पिज्जा खाना आदि। इसलिए पढ़ाई के दौरान हम अपने बच्चे की ऐसी पसंदीदा गतिविधियों को शब्दों से जोड़ सकते हैं। यह विधि आमतौर पर हमारे बच्चे को समझने में त्वरित प्रतिक्रिया देती है।
इसलिए, ये बच्चे के शैक्षिक जीवन में अक्षर ज्ञान के कुछ महत्व हैं। इस तरह के कदमों को दैनिक आधार पर लागू करने से हमारे बच्चों में अक्षर ज्ञान में भी सुधार हो सकता है। हालाँकि, हमें सर्वश्रेष्ठ स्कूली शिक्षा मार्गदर्शन की आवश्यकता है जो हमारे बच्चे को सर्वोत���तम ज्ञान प्रदान करे।
Attached Some Jpg Noted / Images For Kids Knowledge and Entertaiment.
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dainikuk · 2 years
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Uttarakhand Jobs 2022: शिक्षा विभाग में जल्द भरे जायेंगे 05 हजार से ज्यादा पद, चयनितों को शीघ्र नियुक्ति देने के निर्देश
Uttarakhand Jobs 2022: शिक्षा विभाग में जल्द भरे जायेंगे 05 हजार से ज्यादा पद, चयनितों को शीघ्र नियुक्ति देने के निर्देश
अतिथि शिक्षकों के 2300 पद शीघ्र भरे जाएं – मुख्यमंत्री हर जनपद में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय की तर्ज पर की जाए आवासीय बालिका विद्यालयों की स्थापना। बीआरपी एवं सीआरपी के रिक्त 950 पद शीघ्र भरे जाएं। विद्यालयों में आउटसोर्स के माध्यम से भरे जाए चतुर्थ श्रेणी के 03 हजार रिक्त पद। 9वीं से 12 वीं कक्षा के बच्चों को भी निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जाए। उच्चाधिकारी स्कूलों की व्यवस्थाओं एवं शैक्षिक…
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