#शिव ब्रह्मा जहा
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#Kabir_Is_AlmightyGodवाह-वाह कबीर गुरू पूरा है।(टेक)पूरे गुरू की मैं बली जाऊँ जाका सकल जहूरा है।अधर दुलीचे पर#शिव ब्रह्मा जहा
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🌲1. ब्रह्मा विष्णु और शिव के माता पिता कौन हैं? अब तक सभी ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव को अविनाशी ही जाना है जो कि पीढी दर पीढी सुनी सुनायी जानकारी के आधार पर पवित्र ग्रंथों को ठीक से ना समझ पाने के कारण हुआ है । संत रामपाल जी ने श्रीमद्भगवद् गीता और श्रीमद् देवी भागवत पुराण (दुर्गा पुराण) में प्रमाण दिखाकर सिद्ध किया है कि माँ दुर्गा, ब्रह्मा, विष्णु और शिव / शंकर की माँ हैं। और ज्योति निरंजन / क्षर पुरुष / काल उनके पिता हैं। सृष्टि रचना में परमात्मा कबीर जी ने जो ज्ञान दिया है उसमें स्पष्ट रूप से ब्रह्मा, विष्णु और शिव के जन्म का विस्तार से वर्णन किया गया है जिसका प्रमाण कबीर सागर में उपलब्ध है। संत रामपाल जी ने उस ज्ञान को भी प्रमाण के साथ स्पष्ट किया है। जिसकी सम्पूर्ण जानकारी के लिए पाठक सृष्टी रचना पढ़कर अधिक जान सकते हैं। 2. शेरांवाली माता दुर्गा (अष्टांगी) का पति कौन है? इसमें कोई संदेह नहीं है कि देवी दुर्गा ब्रह्मा, विष्णु और शिव की माँ हैं। लेकिन इसके बाद भी ये रहस्य बना रहा कि माँ दुर्गा का पति कौन है? संत रामपाल जी ने इस रहस्य को भी दुर्गा पुराण के प्रमाण से उजागर किया है कि क्षर पुरुष (काल) माँ दुर्गा के पति हैं। अधिक जानकारी हासिल करने के लिए कृपया श्रीमद देवी भागवत पुराण पढ़ें। 3. हम को जन्म देने व मारने में किस प्रभु का स्वार्थ है? सभी आत्माएं इस पृथ्वीलोक में फंस गई हैं, जो कि काल के 21 ब्रह्मांडों में एक है। जहा मनुष्य लगातार जन्म और जैसा कि भगवान काल को प्रतिदिन 1 मृत्यु के चक्र में हैं। पाठकों को इन 21 ब्रह्मांडों की स्थिति को समझने के लिए सृष्टि रचना को जानने की आवश्यकता है । लाख मानव शरीरधारी जीव के आहार का श्राप मिला है , जिस कारण वह नहीं चाहता कि कोई भी आत्मा इस ब्रह्मांड से बच जाए क्योंकि हम उसके भोजन हैं। इसलिए यह काल भगवान यही चाहता है कि आत्माएं मोक्ष प्राप्त न कर सके और अपने निवास स्थान सतलोक ना जा सके । यह सुनिश्चित करने के लिए, आत्मा को अपने जाल में उलझाए रखने के लिए, काल ने अपने ब्रह्मांड ��ें कई जाल बनाए हैं। आगे पढ़ें कौन है काल? इस काल को अन्य धर्मों में शैतान के रूप में संबोधित किया गया है। 4. हम सभी देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं फिर भी दुखी क्यों हैं? केवल परमपिता परमेश्वर कबीर साहेब जी की पूजा ही हमारे पापों को नष्ट कर सकती है। अन्यथा व्यक्ति पिछले जन्मों में किए गए पाप कर्मों का परिणाम ही भुगतता रहता है। जिस कारण व्यथित रहता है। इसका सीधा सा कारण यह है कि सभी लोग गलत साधना (शस्त्रविरुद्ध भक्ति/ मनमानी भक्ति) https://www.instagram.com/p/CZmInU7pZ31/?utm_medium=tumblr
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स��्वानंद की कथा एक बार सर्वानंद नाम का एक बड़ा विद्वान पंडित था उसने शास्त्रार्थ में सभी विद्वानों को हरा दीया ओर अपनी माँ शारदा के पास आया ओर बोला मा मैने सबको ज्ञान में हरा दीया मेरे समान इस पृथ्वी पर अब कोई विद्वान नही है इसलिये आप आज से मेरा नाम सर्वानंद से बदलकर सर्वजीत रख दो
सर्वानंद की मां को शरीर में भंयकर दर्द रहता था उसने तरह तरह के ईलाज करवा लिये पर कोई आराम नही मिला एक दिन उसने कबीर साहब का सत्संग एक बहन से सुना और वह भी सत्संग में पहुंच गयी सत्संग के समाप्त मे वो कबीर साहब को अपने कष्ट के लिये प्रार्थना करने गयी उसने पहले चरण स्पर्श किये जैसे ही कबीर परमेश्वर ने उस पर आशीर्वाद का हाथ रखा वो कष्ट शरीर से छूमंतर हो गया यह समझ शारदा समझ गयी यह कोई परम शक्ति ही है ।
अब शारदा को पता था कि स्वयं पूर्ण ब्रह्म कबीर जी के रूप में कांशी में आए हुए है इसलिए शारदा कहती है बेटा कांशी में एक कबीर नाम का संत है तू उसको ज्ञान चर्चा में हरा देना फिर में तेरा नाम सर्वजीत रख दूंगी ओर सुन में तुम पर ऐसे यकीन नही करूंगी आप कबीर जी से लिखित में लेकर आना की आप जीत गए
अब सर्वानंद गीता चारो वेद आदि आदि सभी धार्मिक पुस्तको को एक बैलगाड़ी में भरता है और चल पड़ता है काशी की तरफ सर्वानंद को कांशी में पहुचते पहुचते बहुत जोर की प्यास लग जाती है और ऐसी हालत हो जाती है कि अगर कुछ देर ओर पानी नही मिला तो मानो प्राण निकल जाएंगे
तभी सर्वानंद को सामने एक लड़की कुए पर पानी भरती नजर आती है जो कबीर परमात्मा की धर्म पुत्री कमाली थी जिसे कबीर परमात्मा ने कब्र से निकाल कर सबके सामने जिंदा किया था अब सर्वानंद कमाली के पास जाता है और कहता है कि बहन मुझे जल्दी से पानी पिला दो कमाली कहती है पण्डित जी पानी पीने से पहले ��ेरी बात सुनो लेकिन सर्वानंद कहता है कि मेरे प्राण जाने वाले है आप पहले मुझे ��ोड़ा सा पानी पिला दो फिर में आपकी बात सुनेगा अब कमाली सर्वानंद को पानी पिला देती है
पानी पीकर सर्वानंद कहता है अब बोलो आप क्या कहना चाहती हो कमाली कहती है कि में तो आपको ये कहना चाहती थी कि ये हरिजनों की बस्ती है और ये कुआ भी हरिजनों का है और आप मुझे पण्डित लग रहे हो कमाली की इतनी बात सुनकर सर्वानंद गुस्सा हो जाता है कि तुम मुझे पहले नही बता सकती थी कि ये हरिजनों का कुआ है तुमने मेऱा धर्म भरष्ट करवा दिया हम पंडित नीच जाती वालो के हाथ से कभी कुछ खाते पीते नही हैअब कमाली कहती है कि सर्वानंद जी मैने तो आपको पहले ही बताना चाहा था पर उस समय तो आपके प्यास से प्राण जाने वाले थे इसलिए आपने मेरी बात सुनी ही नही ओर अब आप पंडित का रोब जाड़ रहे हो अगर ऐसे आपका धर्म भ्रष्ट होता है तो आपको पहले पूछ कर पानी पीना चाहिए था
अब सर्वानंद कहता है चल ठीक है मुझे कबीर जुलाहे के पास जाना है तुम्हे पता है कबीर कहा रहता है कमाली कहती है चलो मेरे साथ मे भी वही जा रही हु अब कमली ओर सर्वानन्द कबीर जी की कुटिया में पहुचते है कमाली पानी का मटका उतारकर सर्वानंद को कहती है कि पण्डित जी यही है कबीर जी की कुटिया
अब सर्वानंद एक पानी से पूरा भरा हुआ लोटा देते है और कमाली से कहते है कि ये लोटा कबीर जी को दे देना अब कमाली कबीर जी के पास पानी से भरा लोटा लेकर जाती है कबीर परमात्मा एक कपड़े सिलने की सुई उस लोटे में डालते है और कमाली से कहते है कि जा वापिस इस लोटे को सर्वानंद को दे दे
अब कमाली उसे वापिस सर्वानंद के पास लेकर जाती है सर्वानंद कबीर जी से पूछता है कि में लौटे में आपकी सुई डालने का मतलब समझा नही कबीर परमात्मा कहते है कि आपने ये पानी से भरा लोटा मेरे पास क्यों भेज था सर्वानद कहता है कि में इसके माध्यम से आपको ये समझाना चाहता था कि जिस तरह इस पानी के भरे लोटे में एक बूंद भी पानी और नही समा सकता ठीक उसी प्रकार में भी ज्ञान से भरा पड़ा हु मुझमें भी ओर ज्ञान नही समा सकता इसलिए बिना बहस किये आप ज्ञान चर्चा में हार मान लो कबीर परमात्मा बोले जैसे मेरी डाली हुई सुई लोटे की तली में जा कर टिकी है और तेरा पानी लोटे से बाहर आ गया है ऐसे ही मेरा ज्ञान तुम्हारे अंदर जाकर अपनी जगह बना लेगा और तेरा ये अज्ञान पानी की तरह बाहर निकल जायेगा
लेकिन सर्वानंद नही मानता है और ज्ञान चर्चा शुरू होती है अब कबीर परमात्मा सर्वानंद से पूछते है कि
कौन ब्रह्मा की माँ है कौन विष्णु का बाप
शंकर का दादा कौन है हम को बता दो आप
अब सर्वानंद के पास इसका जबाब तो था नही जोर जोर से धारावाहिक संस्कृत बोलने लग जाता है अब उस समय ज्ञान चर्चा का फैसला अनपढ़ लोग करते थे अनपढ़ लोगो ने देखा कि वह सर्वानंद कितनी धारावाहिक संस्कृत बोल रहा है इसलिए सर्वानंद जीत गया
अब कबीर परमात्मा ने सोचा इस मूर्ख से क्या ज्ञान चर्चा करू में इससे ब्रह्मा विष्णु और शिव के मा��ा पिता का नाम पूछ रहा हु ओर ये मूर्ख कुछ और ही बके जा रहा है इसलिए कबीर परमात्मा बोले भाई सर्वानन्द जी में हार गया और आप जीत गए
अब सर्वानन्द बोला कबीर जी ऐसे मेरी माँ नही मानेगी आप लिख कर दे दो कबीर पमात्मा बोले भाई में तो अनपढ़ हु आप लिख लो में अपना अंगूठा लगा दूंगा जहा आप कहोगे अब सर्वानन्द लिखता है कि ज्ञान चर्चा में कबीर जी हार गए और सर्वानन्द जीत गया और कबीर जी का अंगूठा लगवा कर अपनी माँ शारदा के पास जाता है
अब सर्वानन्द अपनी माँ से कहता है मै मैन कबीर जी को ज्ञान चर्चा में हरा दिया है अब आप मेरा नाम सर्वजीत रख दो शारदा कहती है ऐसे नही मैने कहा था तुम कबीर जी से लिखवा कर लाना सर्वानन्द कहता है मै में लिखवा कर लाया हूं
अब शारदा कहती है कि पढ़ कर सुना अब सर्वानन्द जब पढ़ता है तो उसमें लिखा था कि ज्ञान चर्चा में सर्वजीत हार गया और कबीर जी जीत गए
अब सर्वानन्द क��ता है लगता है लिखने में गलत्ति हो गई में दुबारा लिखवा कर लाता हूं
ये कहकर सर्वानन्द फिर कबीर जी के पास जाता है कबीर जी कहते है कोई बात नही सर्वानन्द दुबारा लिख ले भाई में फिर अंगूठा लगा देता हूं अब दुबारा लिख कर कबीर जी का अंगूठा लगवाकर फिर सर्वानन्द अपनी माँ के पास आता है और पढता है तो फिर वही लिखा था कि ज्ञान चर्चा में सर्वानन्द हार गया और कबीर जी जीत गए
अब सर्वानन्द अपनी माता शारदा को कहता है कि लगता है मुझसे लिखने में फिर भूल हो गई इसलिए इस बार कोई गलत्ति नही करूंगा ओर फिर कबीर परमात्मा के पास गया कबीर परमात्मा फिर बोले कि सर्वानन्द कोई बात नही एक बार फिर लिख ले में अंगूठा लगा दूंगा अबकी बार सर्वानन्द उन्ही लाइन को पढ़ता पढता अपनी माता के पास जाता है ओर क्या देखता है कि उसकी आँखों के सामने ही शब्द बदल जाते है
अब शारदा सर्वानन्द से कहती है मूर्ख कबीर जी स्वयं पूर्ण ब्रह्म है जाकर उनके पैर पकड़ कर माफी मांग और अपने इस आधे अधूरे ज्ञान को छोड़कर पूर्ण परमात्मा कबीर से पांचवे वेद सूक्षम वेद का ज्ञान समझ और उनसे नाम दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर मोक्ष प्राप्त करके अपने असली घर सतलोक चल
तब सर्वानन्द जी कबीर परमात्मा के पैरो में गिरकर माफी मांगता है और उनसे नाम दीक्षा लेकर पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब की शरण ली।
अवश्य देखिये- साधना टी. वी. शाम 7:30 से 8:30 तक
Visit - www.jagatguturampalji.org
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🌲1. ब्रह्मा विष्णु और शिव के माता पिता कौन हैं? अब तक सभी ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव को अविनाशी ही जाना है जो कि पीढी दर पीढी सुनी सुनायी जानकारी के आधार पर पवित्र ग्रंथों को ठीक से ना समझ पाने के कारण हुआ है । संत रामपाल जी ने श्रीमद्भगवद् गीता और श्रीमद् देवी भागवत पुराण (दुर्गा पुराण) में प्रमाण दिखाकर सिद्ध किया है कि माँ दुर्गा, ब्रह्मा, विष्णु और शिव / शंकर की माँ हैं। और ज्योति निरंजन / क्षर पुरुष / काल उनके पिता हैं। सृष्टि रचना में परमात्मा कबीर जी ने जो ज्ञान दिया है उसमें स्पष्ट रूप से ब्रह्मा, विष्णु और शिव के जन्म का विस्तार से वर्णन किया गया है जिसका प्रमाण कबीर सागर में उपलब्ध है। संत रामपाल जी ने उस ज्ञान को भी प्रमाण के साथ स्पष्ट किया है। जिसकी सम्पूर्ण जानकारी के लिए पाठक सृष्टी रचना पढ़कर अधिक जान सकते हैं। 2. शेरांवाली माता दुर्गा (अष्टांगी) का पति कौन है? इसमें कोई संदेह नहीं है कि देवी दुर्गा ब्रह्मा, विष्णु और शिव की माँ हैं। लेकिन इसके बाद भी ये रहस्य बना रहा कि माँ दुर्गा का पति कौन है? संत रामपाल जी ने इस रहस्य को भी दुर्गा पुराण के प्रमाण से उजागर किया है कि क्षर पुरुष (काल) माँ दुर्गा के पति हैं। अधिक जानकारी हासिल करने के लिए कृपया श्रीमद देवी भागवत पुराण पढ़ें। 3. हम को जन्म देने व मारने में किस प्रभु का स्वार्थ है? सभी आत्माएं इस पृथ्वीलोक में फंस गई हैं, जो कि काल के 21 ब्रह्मांडों में एक है। जहा मनुष्य लगातार जन्म और जैसा कि भगवान काल को प्रतिदिन 1 मृत्यु के चक्र में हैं। पाठकों को इन 21 ब्रह्मांडों की स्थिति को समझने के लिए सृष्टि रचना को जानने की आवश्यकता है । लाख मानव शरीरधारी जीव के आहार का श्राप मिला है , जिस कारण वह नहीं चाहता कि कोई भी आत्मा इस ब्रह्मांड से बच जाए क्योंकि हम उसके भोजन हैं। इसलिए यह काल भगवान यही चाहता है कि आत्माएं मोक्ष प्राप्त न कर सके और अपने निवास स्थान सतलोक ना जा सके । यह सुनिश्चित करने के लिए, आत्मा को अपने जाल में उलझाए रखने के लिए, काल ने अपने ब्रह्मांड में कई जाल बनाए हैं। आगे पढ़ें कौन है काल? इस काल को अन्य धर्मों में शैतान के रूप में संबोधित किया गया है। 4. हम सभी देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं फिर भी दुखी क्यों हैं? केवल परमपिता परमेश्वर कबीर साहेब जी की पूजा ही हमारे पापों को नष्ट कर सकती है। अन्यथा व्यक्ति पिछले जन्मों में किए गए पाप कर्मों का परिणाम ही भुगतता रहता है। जिस कारण व्यथित रहता है। इसका सीधा सा कारण यह है कि सभी लोग गलत साधना (शस्त्रविरुद्ध भक्ति/ मनमानी भक्ति) https://www.instagram.com/p/CanFBRDP029/?utm_medium=tumblr
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Kalashtami 2020: Kalashtami Ki Kahani.
कालाष्टमी 2020 : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महाकाल के रौद्र रूप कालभैरव की उपासना की जाती है। कालभैरव के बटुक रूप को सौम्य माना जाता है जिसके कारण ज्यादा अधिकतर उनके इसी रूप की आराधना की जाती है। कालभैरव की पूजा बहुत ही ध्यान पूर्वक करनी चाहिए। इनकी पूजा किसी भी व्यक्ति के बारें में बुरा सोचकर नहीं करनी चाहिए। इस दिन व्रत धारण करने का भी बहुत महत्व माना जाता है। माना जाता है की जो कोई भी कालभैरव को प्रसन्न करने में सफल होता है , कालभैरव उसकी सभी इच्छाओं की पूर्ति करतें है। इनकी आशीष की प्राप्ति से व्यक्ति के सभी कष्ट एवं बीमारियों का नाश होता है।
पौराणिक कथाओं में सर्वप्रचलित कथा तब की है जब एक बार महादेव के रूप को लेकर ब्रह्मा जी ने आपत्तिजनक बात बोल दी। उनकी बातें सुनकर महादेव बहुत क्रोधित हो उठे थे। उनके क्रोध के तेज से ही कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी। शिव का कालभैरव स्वरुप ब्रह्मा की बात से इतने क्रोधित हो गए थे की अपने नाख़ून को हथियार बनाकर उन्होंने ब्रह्मा जी का मस्तिक्ष ही काट दिया था। उनका क्रोध इस तरह उबाल मार रहा था की उन्हें एहसास ही नहीं हुआ की जाने - अनजाने में उन्होंने ब्रह्म हत्या जैसा पाप अपने सिर पर उठा लिया था। गुस्सा शांत होने पर उन्हें जब अपनी गलती का ज्ञात हुआ तो वह इस पाप से मुक्ति पाने के लिए जगह - जगह भटकने लगे। भ्रमण करतें - करतें उन्होंने एक आकाशवाणी सुनी जहा उनसे कहा गया की उन्होंने ब्रह्म हत्या जैसा पाप किया है। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्हें काशी का कोतवाल बनना पड़ेगा और सदैव दूसरों की गलतियों को क्षमाकर उन्हें सुखद जीवन का आशीर्वाद प्रदान करना होगा। तभी से जो कोई भी कालाष्टमी के दिन कालभैरव की उपासना करता है , उसके सभी कष्ट दूर हो जातें है। गंभीर रोग एवं दुखों का उसके जीवन में कोई स्थान नहीं होता है। कालभैरव की उपासना के साथ ही माँ काली की स्तुति करना बहुत फलदायी माना जाता है। कालभैरव की कृपा से भक्तों के समस्त व्यथा के कारण समाप्त हो जातें है तथा उन्हें सुखद जीवन का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। कालभैरव द्वारा प्रदान किए गए फल के कारण व्यक्ति का जीवन आनंदमय हो जाता है।
Reference URL: https://www.myjyotish.com/blogs-hindi/kalashtami-2020-kalashtami-fast-story
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. सही समय मेरे देशवासियो ��रूरी सुचना सुनो फ्रांस के रहने वाले नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी मे जोर देकर कहा है कि दुनिया का मुक्तिदाता भारत मे पैदा होगा। मित्रो ये हमारे लिए बडे सौभाग्य की बात है ��सा महापुरूष हमारे देश मे आयेगा। ऐसे महापुरूष को हमे पलको पर ��ैठाना चाहिये क्योकि वो महापुरूष हमारे देश ही नही बल्कि पूरी दुनिया को मुक्ति दिलायेगा। दोस्तो तिसरा विश्व युद्ध जोर पकडने वाला है। हर देश युद्ध के लिए एक दुसरे के आमने-सामने खडा है। वह मुक्तिदाता सही समय पर हमारे देश मे आ चुका है वह अज्ञान और अन्याय से मुक्ति दिलाने के लिए संघर्ष कर रहा है। मेरी सभी से हाथ जोडकर प्रार्थना है कि उस मुक्तिदाता को पहचान कर जल्दी से जल्दी उसकी शरण मे आ जाये। क्योकि वो मुक्तिदाता उस परमेश्वर का भेजा हुआ दुत है। उस मुक्तिदाता पर परमेश्वर की बहुत बडी कृप्या है। वह हमे तिसरे विश्व युद्ध मे होने वाली हानि से बचा सकता है.. ये समझ लो वह परमेश्वर का ही रूप है। नास्त्रेदमस ने कुछ पहचान बताई है उस मुक्तिदाता के बारे मे. आऑे जाने कौन है वह दुनिया का मुक्तिदाता पहचान१. वह पंजाब देश मे होगा। दुनिया का मुक्तिदाता उस स्थान से होगा जहां पांच नदिया बहती हो। ये भविष्य वाणी १४५५सन् मे बोली गई थी। उस समय महापंजाब था। नोट - मोदी जी को लोग मुक्तिदाता समझते है वे तो गुजरात से है। संत रामपाल जी महाराज हरियाणा से है लेकिन जब ये भविष्यवाणी बोली तब हरियाणा नही था। पूरा पंजाब बोला जाता था। हरियाणा 1966 मे पंजाब से अलग हुआ था। पहचान २. उस संत के मस्तक पर जहा दो भौहे मिलती है वहा चंद्रमा बनता है नोट- मोदी के कोई चंद्रमा नही बनता. संत रामपाल जी महाराज के मस्तक पर right साईड मस्तक पर भौहरी है। अक्सर ये भौहरी लोगो के सर के बीच मे होती है जहा चोटी रखते है वहा सबके बाल round shape मे होते है इसको ही भौहरी बोलते है। लेकिन ये ऐसी round shape संत रामपाल जी महाराज के right side मस्तक पर बनी है। इसको ही चंद्रमा कहा है नास्त्रेदमस ने। पहचान ३. उस ग्रेट शायरन के दो पुत्र होगे दो पुत्रियां होगी। नोट- मोदी जी के कोई संतान नही है। जबकि संत रामपाल जी महाराज के दो पुत्र है और दो पुत्रियां है। पहचान ४ . वह ग्रेट शायरन ऐसा ज्ञान बतायेगा जिसको आजतक ना किसी ने सुना है ना जाना है। नोट - मोदी जी ने कोई ऐसा ज्ञान नही दिया। जबकि संत रामपाल जी महाराज ने ब्रह्मा विष्णु शिव के माता पिता और दादा का नाम बताया है. शेरावाली माता के पति और पिता का नाम बताया है. ऐसे बहुत से सवालो का जवाब बताया है जिसको आजतक किसी ने नही बताया। पहचान ५ भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने उस मुक्तिदाता को शायरन कहकर सम्बोघित किया है।कहा है उस शायरन पर देश द्रोही का आरोप लगेगा। पहले सभी उससे नफरत करेगे फिर सच्चाई जानकर बहुत प्यार करेगे। नोट - मोदी पर देशद्रोही का कोई आरोप नही है। ना ही लोग उनसे नफरत करते है। लेकिन संत रामपाल जी महाराज पर देशद्रोही का आरोप लगा है। मीडिया वालो ने इतना गलत बोला है कि सभी संत रामपाल जी महाराज से नफरत कर रहे है। लेकिन जो भी उनके सच्च��� ज्ञान से परिचित हो जाता है वह उनसे बहुत प्रेम करता है। पहचान ६. उस शायरन यानी मुक्तिदाता के उपर कारवाई मे 6 लोग मारे जायेगे. नोट - मोदी के उपर कोई कारवाई नही हुई। जबकि संत रामपाल जी महाराज के उपर बरवाला कांड हमले मे 6 लोग मारे गये थे। पहचान७. उस सायरण की माता, तीन बहने होगी। व उसकी माता का नाम देवताऔ के राजा के नाम से होगा। संत रामपालदास की माता, तीन बहने है व संतरामपाल दास की माता का नाम इन्द्राणी देवी है जो कि देवताऔ के राजा इन्द्र के नाम. से है। सभी से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज के पास दिव्य ज्ञान है जिसके दम पर वे दुनिया के मुक्तिदाता बनेगे। कृप्या उनके ज्ञान को एक बार जरूर पढे। इस वेबसाइट से "जीने की राह " पुस्तक डाऊनलोड करे और सतसंग डाऊनलोड करके सुने plz Visit - Www.jagatgururampalji.org Download जीने की राह। गीता तेरा ज्ञान अमृत। सत साहेब जी सर्च करें:- jagatgururampalji.org Supremegod.org
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